22/02/2025: भगदड़ के वीडियो मिटाने का हुक्म, यूएसएड का पैसा बांग्लादेश के लिए था, अडानी के खिलाफ याचिका, सीबीएसई का नया पाठ्यक्रम, नौकरियों की कमी महिलाओं पर भारी, एआई ने ढूंढा सुपरबग का रहस्य
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां | 22 फरवरी 2025
स्टेशन की भगदड़ के वीडियो हटाने के आदेश: रेल मंत्रालय ने एक्स (पूर्व नाम ट्वीटर) को 15 फरवरी 2025 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ वाले 285 सोशल मीडिया लिंक हटाने का निर्देश दिया है. ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में अदिति अग्रवाल की खबर के अनुसार पिछले वर्ष दिसंबर में रेल मंत्रालय ने सूचना और प्रचार (रेलवे बोर्ड) के कार्यकारी निदेशक को आईटी एक्ट के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को सीधे नोटिस देने का अधिकार दिया था. अधिकार मिलने के बाद रेल मंत्रालय की यह पहली बड़ी कार्रवाई है. “एक्स” को 17 फरवरी को दिए नोटिस में कंटेंट हटाने के लिए 36 घंटे की समय सीमा दी गई थी. मंत्रालय ने “एक्स” से कहा है कि संबंधित वीडियो लिंक न सिर्फ “नैतिक मानदंडों”, बल्कि एक्स डॉट कॉम की सामग्री नीति के भी खिलाफ हैं. क्योंकि ऐसे वीडियो साझा करने से कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है. लेकिन आलोचकों ने सरकार पर पारदर्शिता और जवाबदेही के मुकाबले अपनी छवि को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया है. पत्रकार से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद बनीं सागरिका घोष ने नरेंद्र मोदी सरकार को “इनकार, ध्यान हटाने और गलत सूचना ” की “3डी सरकार” कहा. घोष ने एक्स पर लिखा, “पहले रेल मंत्रालय ने रेलवे स्टेशन पर भगदड़ को ‘अफवाह’ कहा. फिर मौतों की संख्या को कम करके बताया. अब वे भगदड़ के वीडियो हटाना चाहते हैं.”
यूएसएड के 21 मिलियन डॉलर बांग्लादेश के लिए था : जब ट्रम्प प्रशासन के सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) ने 16 फरवरी को घोषणा की कि उसने कई परियोजनाओं के साथ-साथ भारत में 'वोटर टर्नआउट' के लिए 21 मिलियन डॉलर की यूएसएड फंडिंग को "रद्द" कर दिया है, तो भाजपा ने विपक्षी कांग्रेस पर भारत की चुनावी प्रक्रिया में कथित बाहरी प्रभाव का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. ट्रम्प ने स्वयं बुधवार को मियामी में एक भाषण में कहा, "हमें भारत में वोटर टर्नआउट के लिए 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की क्या जरूरत है? वाह, 21 मिलियन डॉलर! मुझे लगता है वे किसी और को चुनाव में जिताने की कोशिश कर रहे थे." हालांकि, सच्चाई यह है कि सभी ने जल्दबाजी में निष्कर्ष निकाला. वह 21 मिलियन डॉलर, जिनका जिक्र डीओजीई विभाग द्वारा किया गया था, भारतीय चुनावों से संबंधित नहीं था. रिकॉर्ड्स के अनुसार, यह फंडिंग 2022 में बांग्लादेश के लिए मंजूर की गई थी, भारत के लिए नहीं, लेकिन राजनीति जमकर हो गई… सिर्फ एक गलत बयान पर.
भारत-पाक सेना के बीच बातचीत: भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं ने आज पुंछ में लाइन ऑफ कंट्रोल पर बढ़े तनाव को कम करने के लिए ब्रिगेड कमांडर स्तर की बैठक की. कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया. भारतीय सेना ने चर्चा के विषयों का खुलासा नहीं किया. यह बैठक ऐसे समय हुई है जब दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर एलओसी पर "अकारण गोलीबारी" का आरोप लगाया है.
मुंबई की दवा कंपनी का नशीला कारोबार : मुंबई स्थित एवियो फार्मास्युटिकल्स पर पश्चिमी अफ्रीकी देशों को अवैध ओपिओइड ड्रग (टैपेंटाडोल और कैरिसोप्रोडोल का मिश्रण) भेजने का आरोप है. कंपनी के निदेशक विनोद शर्मा ने अंडरकवर पत्रकार को बताया कि यह "हानिकारक" है, लेकिन "यह व्यवसाय है". विशेषज्ञों ने इस मिश्रण को "जानलेवा" बताया.
गेहूं की फसल पर मंडराया संकट : उत्तर-पश्चिम भारत में गर्मी और बारिश की कमी से गेहूं की पैदावार घटने का खतरा. ब्लूमबर्ग के अनुसार, सरकारी भंडार 16 साल के निचले स्तर पर. आयात शुल्क (40%) घटाने या हटाने की संभावना बढ़ी.
हरियाणा-मणिपुर में सबसे ज्यादा इंटरनेट बंद: सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (एसएफएलसी) की रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में हरियाणा (12 बार) और मणिपुर (11 बार) में सबसे अधिक इंटरनेट शटडाउन किया गया. हरियाणा में किसान आंदोलन, मणिपुर में जातीय हिंसा को कारण बताया गया.
भारत के जरिए रूस को पश्चिमी एविएशन पार्ट्स की सप्लाई : रिपोर्टर्स कलेक्टिव के मुताबिक 700 कार्गो जहाजों के जरिए 100+ पश्चिमी कंपनियों के एविएशन पार्ट्स (50 मिलियन डॉलर मूल्य) भारत से रूस पहुंचे. इनमें जेनरेटर, सेंसर, प्रोपेलर ब्लेड शामिल हैं. हालांकि गार्डियन ने कहा, "कोई गलत काम साबित नहीं हुआ."
1984 सिख विरोधी दंगे : सज्जन कुमार के खिलाफ सजा की अवधि पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा : शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के खिलाफ सजा की अवधि पर फैसला 25 फरवरी तक सुरक्षित रख लिया.
असम में कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन पर भीड़ ने किया हमला : असम के नौगांव जिले में गुरुवार को कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन और उनके सुरक्षा अधिकारियों पर नकाबपोश हमलावरों की भीड़ ने क्रिकेट बल्ले से उस समय हमला कर दिया और काले झंडे लहराये, जब वे पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में जा रहे थे. इस हमले में हुसैन तो सुरक्षित बच गए, लेकिन उनके दो निजी सुरक्षा अधिकारियों को चोटें आईं.
कांग्रेस ने सीमा पर 90 चीनी बस्तियों को देश के लिए बताया खतरा : 'डेक्कन हेराल्ड' की खबर है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को रिपोर्ट्स के हवाले से मोदी सरकार पर चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश सीमा के पास 90 नई बस्तियां बसाने को लेकर हमला बोला और आरोप लगाया कि सरकार भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को खतरे में डाल रही है. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "हमारा आरोप बड़ी जिम्मेदारी के साथ और तथ्यों पर आधारित है. चीन ने अरुणाचल सीमा पर 90 नई बस्तियां बसाना शुरू कर दी हैं. इससे पहले, चीन ने हमारी सीमा पर 628 ऐसी बस्तियां बसाई थीं, जैसा कि समाचार पत्रों में रिपोर्ट किया गया है."
सुप्रीम कोर्ट ने चेन्नई फॉर्मूला 4 इवेंट को गति दी: सुप्रीम कोर्ट ने 20 फरवरी को मद्रास हाई कोर्ट द्वारा चेन्नई में फॉर्मूला 4 रेसिंग के संचालन से संबंधित एक मामले में दिए गए चार निर्देशों को रद्द कर दिया, जिसमें यह भी शामिल था कि रेसिंग प्रमोशन प्राइवेट लिमिटेड (RPPL) को तमिलनाडु सरकार को ₹42 करोड़ का भुगतान करना होगा. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय से दिए गए चारों निर्देश कानूनी रूप से कायम नहीं रखे जा सकते. सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक-निजी साझेदारी की सराहना की है.
ईडी ने बीबीसी पर 3.44 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, 3 निदेशकों पर भी जुर्माना : प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने जानकारी दी कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों के कथित उल्लंघन के लिए बीबीसी वर्ल्ड सर्विस इंडिया पर 3.44 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है. संघीय जांच एजेंसी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत ब्रिटिश प्रसारक के खिलाफ एक निर्णय आदेश जारी करते हुए इसके तीन निदेशकों पर 1.14 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया.
रश्दी पर हमला करने वाला हत्या के प्रयास का दोषी: 2022 में न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय मूल के 77 साल के लेखक सलमान रुश्दी पर एक कार्यक्रम के दौरान हादी मतार ने 10 से अधिक बार हमला किया था. इस हमले में उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी. शुक्रवार को अदालत ने मतार को दोषी करार दिया. इस मामले में सजा 23 अप्रैल को सुनाई जाएगी. बताया जा रहा है कि मतार को 25 साल तक की सजा हो सकती है.
कार्टून
अडानी के खिलाफ याचिका, 'अवैध' निर्माण पर तत्काल रोक लगाने की मांग
'न्यूजलॉन्ड्री' की रिपोर्ट है कि पिछले हफ्ते राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) में एक याचिका दायर की गई, जिसमें उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में विवादित 1,600 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट में निर्माण गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है. मिर्जापुर थर्मल एनर्जी (UP) प्राइवेट लिमिटेड, अडानी समूह की सहायक कंपनी है. आरोप है कि इसने पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त किए बिना सीमा दीवार बनाई और भूमि समतल की. याचिका की सुनवाई करते हुए, एनजीटी की तीन सदस्यीय प्रधान पीठ ने निर्माण कार्य पर "असंतोष" व्यक्त किया है. न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने अडानी समूह से पूछा कि क्या परियोजना प्रस्तावक के पास निर्माण शुरू करने के लिए कोई पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) है? जब कंपनी के वकील ने कहा- नहीं, तो अग्रवाल ने कहा, "अगर आपके पास मंजूरी नहीं है, तो आप इन गतिविधियों को कैसे जारी रख सकते हैं?" महत्वपूर्ण बात यह है कि परियोजना स्थल 10 संरक्षित जंगलों से घिरा हुआ है और यह समृद्ध वन्यजीवों का घर है. दादरी खुर्द गांव, जहां संयंत्र बनेगा, वास्तव में यूपी गजट 1952 में एक वन के रूप में दर्ज किया गया था. एनजीटी ने 2016 में परियोजना के लिए पर्यावरणीय मंजूरी रद्द कर दी थी. तब वेलस्पन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड इस पर काम कर रही थी. उस समय, एनजीटी ने कहा था कि परियोजना वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को ध्यान में रखते हुए अनुकूल नहीं है. इसके बाद अडानी ने वेलस्पन के साथ 400 करोड़ रुपये का समझौता किया और परियोजना को 1,320 मेगावाट से बढ़ाकर 1,600 मेगावाट कर दिया. मई 2024 में अडानी ने पर्यावरणीय मंजूरी के लिए पुनः आवेदन किया, लेकिन सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, यह अभी तक पर्यावरण मंत्रालय के पास लंबित है.
2026 में सीबीएसई पेश करेगा नया ग्लोबल पाठ्यक्रम
'टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 2026-2027 शैक्षिक वर्ष से विदेशों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए एक वैश्विक पाठ्यक्रम पेश करने जा रहा है. यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत एक व्यापक सुधार योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य छात्रों को अधिक लचीलापन और वैश्विक प्रतिस्पर्धी शिक्षा प्रदान करना है. इन परिवर्तनों के तहत, सीबीएसई यह भी विचार कर रहा है कि बोर्ड परीक्षा एक ही शैक्षिक सत्र में साल में दो बार आयोजित की जाए, जिससे छात्रों को सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने का मौका मिल सके. सीबीएसई ने पहली बार वैश्विक पहल नहीं की है. एक दशक पहले, 2010 में, सीबीएसई ने विदेशों में रह रहे भारतीय छात्रों के लिए सीबीएसई इंटरनेशनल (सीबीएसई-i) पाठ्यक्रम पेश किया था. यह पहल कई चरणों में लागू की गई थी, जिसमें मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के 25 स्कूलों में कक्षा एक से कक्षा नौ तक एक पायलट कार्यक्रम के रूप में शुरुआत की गई थी. बाद में इसे अधिक अंतरराष्ट्रीय स्कूलों और कुछ भारतीय संस्थानों में विस्तारित किया गया था. यह पाठ्यक्रम राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के दिशानिर्देशों के आधार पर तैयार किया गया था, जो भारतीय विषयों को बनाए रखते हुए वैश्विक दृष्टिकोण को एकीकृत करता है.
एमएसएमई के लिए ईवी उद्योग में बिक्री का रास्ता कठिन
'द हिंदू' की एक रिपोर्ट कहती है कि इलेक्ट्रिक वाहन (EV) आपूर्ति श्रृंखला एमएसएमईज और स्टार्टअप्स के लिए संभावनाएं तो रखती है, लेकिन यह एक आसान रास्ता नहीं है. वित्त और प्रौद्योगिकी तक पहुंच से लेकर कौशलपूर्ण श्रमिकों की उपलब्धता तक, इन उद्यमियों के लिए कई बाधाएं लेकर आ रही है. कोयंबटूर के विजयन श्रीनिवासन, जो एक दशक से अधिक समय से इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों का निर्माण कर रहे हैं, उन्होंने अब तक 4,000 से अधिक वाहन बेचे हैं. उनका कहना है कि केवल 2022 में तमिलनाडु ने इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों के लिए नीति बनाई थी और आज भी ई-रिक्शा की वाणिज्यिक बिक्री के लिए अनुमोदन प्राप्त करना बहुत चुनौतीपूर्ण है. ग्रीर्नग मोबिलिटी सॉल्यूशंस के सीईओ मणिकंदन पलानीमुथु, जो कोयंबटूर के कुछ इलेक्ट्रिक वाहन (EV) स्टार्टअप्स में से एक हैं, ने फंड जुटाए हैं और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए डिस्प्ले विकसित करते हैं. उनका कहना है कि उनकी अतिरिक्त आवश्यकता लगभग ₹100 करोड़ है. "हम लगभग हर छह महीने में एक नया मॉडल विकसित करते हैं," वह कहते हैं.
विजयन और मणिकंदन कोयंबटूर के बढ़ते ईवी स्टार्टअप्स के पारिस्थितिकी तंत्र में शुरुआती उद्यमी हैं, जो पारंपरिक ऑटोमोबाइल क्षेत्र को घटक आपूर्ति करने वाले एमएसएमई क्लस्टर में से एक है. चीन ने अपने घरेलू ईवी आपूर्ति श्रृंखला पारिस्थितिकी तंत्र को बनाने के लिए बड़े प्रोत्साहन दिए थे. हालांकि, भारत में उत्पाद विकास और नवाचार में वर्षों लगेंगे और यह आवश्यक सुरक्षा मानदंडों को पूरा करने के लिए बदलाव से गुजरेगा. सरकार को ईवी निर्माताओं और घटक आपूर्तिकर्ताओं के लिए, विशेष रूप से एमएसएमई क्षेत्र के लिए, वित्त और प्रौद्योगिकी में दीर्घकालिक समर्थन पर विचार करना चाहिए, कोयंबटूर के ईवी स्टेकहोल्डर्स ऐसा कहते हैं.
खतरे में क्यों है भारत की खाद्य और जल सुरक्षा!
हरियाणा के अंबाला जिले की तंगरी नदी के किनारे के खेत दूर तक फैले हुए हैं, हरे-भरे और लहलहाते हुए, लेकिन इनमें एक परेशान करने वाला सच छिपा हुआ है. यहां की मिट्टी कभी नरम थी और ऐसी होती थी, जिससे पानी झिर सकता था. अब वह कठोर हो गई है, जिसे स्थानीय लोग "दाकर मिट्टी" कहते हैं. यह कड़ी मिट्टी है जो पानी को अवशोषित नहीं कर सकती और न ही जल स्तर को पुनः भर सकती है. ऐसा और कई जगहों पर भी हो रहा है. 'स्क्रोल' के लिए ऐश्वर्या मोहंती की रिपोर्ट है कि भारत में एकल फसल प्रणाली पर अत्यधिक निर्भरता की वजह से कीमती संसाधन तेजी से समाप्त हो रहे हैं और किसानों के लिए इसका लाभ घटता जा रहा है. देश में कृषि संकट गहरा रहा है, खासकर पानी की अधिक खपत करने वाली फसलों जैसे धान और गेहूं की एकल फसल प्रणाली के कारण. हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में इस वजह से भूजल स्तर घट रहा है. यह समस्या पानी की भारी खपत और उर्वरकों के अधिक उपयोग के कारण बढ़ रही है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता भी खराब हो रही है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फसल विविधता को बढ़ाना और जल-गहन फसलों की बजाय कम पानी की आवश्यकता वाली फसलें उगाना आवश्यक है. हालांकि, सरकार की ओर से उचित समर्थन की कमी के चलते किसानों को फसल विविधता अपनाने में कठिनाइयां आ रही हैं. अगर इसे समय रहते न सुलझाया गया, तो भारत की खाद्य और जल सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.
बिहार की महिलाओं के जीवन पर भारी पड़ रहे परीक्षा घोटाले, मायूस मां-बाप शादी की ओर धकेल रहे जीवन
‘सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार की खबरों के बीच, मेरी मां और भाई अब मुझसे मेरे अंतिम परीक्षा के बाद घर लौटने को कह रहे हैं,’ 23 वर्षीय बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की उम्मीदवार निधि कुमारी ने कहा. स्वतंत्र पत्रकार युशा रहमान ने ‘आर्टिकल 14’ के लिए बिहार में सरकारी नौकरी प्राप्त करने की महिलाओं की आकांक्षाएं कैसे भ्रष्टाचार और परीक्षा में गड़बड़ियों के कारण संकट में हैं, इस पर एक लंबी रिपोर्ट की है. सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार, जैसे पेपर लीक और चयन प्रक्रिया में धोखाधड़ी, इन महिलाओं के लिए एक बड़ी बाधा बन चुकी है. इसके कारण कई महिलाएं अपनी पढ़ाई और करियर की दिशा बदलने के लिए मजबूर हो रही हैं. परिवार भी इन महिलाओं पर शादी करने और मातृत्व की ओर बढ़ने का दबाव डाल रहे हैं, क्योंकि उन्हें सरकारी नौकरी पाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता का भरोसा नहीं रहा. बिहार में बेरोजगारी, गरीबी और भ्रष्टाचार के कारण महिलाओं को विशेष रूप से आर्थिक स्वतंत्रता और स्थिरता प्राप्त करना कठिन हो रहा है.
करीब 2000 अधिकारियों को चयनित करने के लिए होने वाली अंतिम परीक्षा, जो पुलिस, जेल, उत्पाद शुल्क, शिक्षा और श्रम जैसे विभागों में अधिकारियों के लिए होगी. मई या जून 2025 में आयोजित होने की संभावना है. निधि कुमारी ने दिसंबर 2024 में पटना में छात्र विरोध प्रदर्शन में भाग लिया, जिसमें 70वीं BPSC परीक्षा के प्रारंभिक चरण में सवालों की पर्ची देर से आने, सवालों के गुम होने और पेपर लीक होने जैसी गड़बड़ियों के आरोप लगाए गए थे. बीपीएससी उम्मीदवारों के आंदोलन के दौरान, कई छात्रों ने आरोप लगाया कि भारत का सबसे बड़ा परीक्षा केंद्र पटना का बापू परीक्षा परिसर, जहां 8,000 से अधिक उम्मीदवार परीक्षा दे रहे थे, उसमें संयुक्त प्रतियोगी (प्रारंभिक) परीक्षा में 92 प्रश्नपत्र गायब थे. कुछ छात्रों को प्रश्नपत्र नहीं मिला, जबकि कई ने आरोप लगाया कि उन्हें परीक्षा शुरू होने के आधे घंटे बाद बाद प्रश्नपत्र मिला. कुछ का यह भी कहना था कि प्रश्नपत्र कोचिंग संस्थानों द्वारा जारी किए गए टेस्ट पेपर के समान थे.
पटना विश्वविद्यालय में भूगोल में मास्टर की अंतिम वर्ष की छात्रा निधि कुमारी बिहार की उन कई महिलाओं में से एक हैं जो सरकारी नौकरी प्राप्त करके वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करना चाहती हैं. निधि घर से दूर कमरा किराए पर लेकर रहती थी, लेकिन पिता के निधन के बाद आर्थिक मुसीबतें सामने आ गई. निधि जैसी कई महिलाएं हैं, जिनके परिजन अब पढ़ाई पर होने वाले खर्च को बचाकर दहेज देना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
इन महिलाओं के लिए सरकारी नौकरी राज्य में गरीबी और बेरोजगारी से जूझते हुए स्थिरता और स्वायत्तता का एक रास्ता है, लेकिन परीक्षा घोटालों ने अब निधि जैसे कई बच्चों का सपना धुंधला कर दिया है. बिहार में सरकारी नौकरी के अलावा स्थिर रोजगार कम हैं, जिसके संकेत हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में सबसे कम श्रम-बल भागीदारी और श्रमिक-जनसंख्या अनुपात से मिलते हैं. महिलाओं के लिए अवसर अब भी कम हैं. उदाहरण के लिए, राज्य के श्रमिक बल में 20.3% महिलाएं हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 31.7% और बिहार में पुरुषों के लिए 48.1% है, जैसा कि संघीय सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम श्रम बल सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है.
इतना मुश्किल क्यों है भारत में शिक्षक बनना?
यह जानने के लिए कि शिक्षा अब वह स्थिर पेशा क्यों नहीं रहा जो एक समय में था, नूतन शर्मा ने 'द प्रिंट' के लिए एक रिपोर्ट तैयार की है. पूजा शर्मा ने छत्तीसगढ़ में सरकारी शिक्षक बनने के लिए 5 साल तक मेहनत की. उन्होंने परीक्षा पास की, नौकरी पाई और शिक्षा देने के लिए बस्तर के जंगलों में चली गईं. फिर, उन्हें और लगभग 2,900 अन्य को निकाल दिया गया, वे अधिक योग्य थे. छत्तीसगढ़ के बीएड शिक्षकों ने महीनों से धरने, सड़कों को ब्लॉक करने, सिर मुंडवाने, सब्ज़ियां बेचने और डिजिटल विरोध चलाने जैसे विभिन्न तरीकों से विरोध किया है. डिग्री की पात्रता को लेकर कानूनी उलझन ने उनकी जीविका को खतरे में डाल दिया. भारत भर के शिक्षक संकट में हैं. यह नौकरी की कमी की वजह से नहीं, बल्कि बदलती नीतियों, भर्ती घोटालों, अस्थायी नीतियों, नए परीक्षणों और कम वेतन के कारण हो रहा है. पिछले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, बिहार और अन्य राज्यों में शिक्षक सड़कों पर विरोध करते दिखे हैं. ये विरोध कभी खत्म नहीं होता. शिक्षक सालों तक संघर्ष करते हैं, अपनी नौकरियों को जोखिम में डालते हैं और अपनी जिंदगी का कीमती समय दांव पर लगाते हैं. वे सड़कों पर वापस होते हैं. इस बीच, कक्षाएं बिना शिक्षकों के चलती हैं.
चलते-चलते
एआई ने दस साल का वैज्ञानिक शोध महज दो दिन में पूरा किया
माइक्रोबायोलॉजिस्टों को एक जटिल समस्या का हल ढूंढने में एक दशक लग गया, लेकिन ‘को-साइंटिस्ट’ नाम के गूगल के नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल ने इसे महज 48 घंटे में सुलझा दिया. इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर जोस आर. पेनेड्स और उनकी टीम वर्षों से यह पता लगा रहे थे कि कुछ सुपरबग्स (एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी कीटाणु) दवाओं के प्रति इम्यून क्यों होते हैं.
कैसे हुआ खुलासा? प्रोफेसर पेनेड्स ने एआई टूल को उसी मूल प्रश्न के साथ प्रोम्प्ट किया, जिस पर वे शोध कर रहे थे. हैरानी की बात यह थी कि एआई ने उनके अप्रकाशित शोध के समान निष्कर्ष निकाला, जिसे सार्वजनिक डोमेन में खोजना असंभव था. प्रोफेसर ने बीबीसी को बताया, "मैं खरीदारी कर रहा था, तभी मैंने कहा, 'मुझे एक घंटे का समय दो, मुझे यह समझने की ज़रूरत है.'" उन्होंने गूगल से पूछा कि क्या उनके कंप्यूटर तक एआई की पहुँच थी, लेकिन गूगल ने इनकार किया.
सुपरबग्स का रहस्य और एआई की भूमिका : शोधकर्ताओं का मानना है कि सुपरबग्स विभिन्न वायरस से एक "पूँछ" बनाते हैं, जो उन्हें एक मेजबान प्रजाति से दूसरी में फैलने में मदद करता है. पेनेड्स के अनुसार, यह ऐसा है जैसे सुपरबग्स के पास "चाबियाँ" हों, जो उन्हें अलग-अलग होस्ट्स में प्रवेश करने देती हैं. एआई ने न केवल यही परिकल्पना सामने रखी, बल्कि चार अन्य संभावित स्पष्टीकरण भी दिए, जिनमें से एक पर टीम ने कभी विचार नहीं किया था.
यह विज्ञान को बदल देगा: कुछ वैज्ञानिक एआई को प्रगति का साधन मानते हैं, तो कुछ नौकरियों के खतरे को लेकर चिंतित हैं. पेनेड्स कहते हैं, "डर स्वाभाविक है, लेकिन यह एक शक्तिशाली उपकरण है. हमें विश्वास है कि यह भविष्य में उपयोगी साबित होगा. मैं ऐसा कुछ देख रहा हूँ जो विज्ञान को बदल देगा." उन्होंने एआई की तुलना चैंपियंस लीग मैच से करते हुए कहा, "मुझे लगता है कि मैं अब बड़े मैदान में खेल रहा हूँ."
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.