24/02/2025 : एक भगदड़ स्टॉक मार्केट में भी, जर्मनी भी दक्षिणपंथियों की तरफ, जेलेंस्की के इस्तीफे की सशर्त पेशकश, विराट के सैकड़े से भारत जीता, तेंदुए से बचना और उन्हें बचाना भी, 32 मछुआरे गिरफ्तार
'हरकारा' यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा!
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां | 24 फरवरी 2025
श्रीलंकाई नौसेना ने 32 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया
तेलंगाना सुरंग हादसा : 8 फंसे लोगों से संपर्क नहीं
सबसे कम पारियों में विराट के 14 हजार रन
चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 : भारत सेमीफाइनल के मुहाने पर
पंजाब में सभी 232 विधि अधिकारियों से इस्तीफा मांगा
तमिलनाडु : तीन भाषा नीति पर विवाद क्यों?
शांति और नाटो सदस्यता के लिए ज़ेलेंस्की पद छोड़ने को तैयार
नसरल्लाह के अंतिम संस्कार मे हिजबुल्लाह की भीड़
जर्मनी का जनादेश कट्टर दक्षिणपंथियों की तरफ
बर्फीले तेंदुओं से बचना भी है और उन्हें बचाना भी
भारतीय बाज़ार ने इस माह 23,710 करोड़ गंवाए
यहां से चीन-अमरीका भाग रहे विदेशी निवेशक
'टेलीग्राफ' की खबर है कि विदेशी निवेशकों ने बाजार में उठे संशय के बीच भारतीय शेयर बाजारों से इस महीने अब तक 23,710 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है. निवेशक भारत के बाजार से भाग रहे हैं. 2024 में भारतीय शेयरों में निवेश कम हुआ है और शुद्ध प्रवाह केवल 427 करोड़ रुपये का रहा है. इससे 2025 में कुल निकासी 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई है, जो वैश्विक व्यापार तनावों के बढ़ने के बीच हुआ है. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज़ के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार का मानना है कि भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों की वापसी तभी हो सकती है, जब भारतीय आर्थिक विकास और कॉर्पोरेट आय में सुधार आएगा. वो उम्मीद जताते हैं कि इसके संकेत अगले दो-तीन महीनों में देखने को मिल सकते हैं.
डिपॉजिटरीज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने इस महीने (21 फरवरी तक) भारतीय शेयर मार्केट से 23,710 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. इसके पहले जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये की निकासी हुई थी. कुलमिलाकर, 2025 में अब तक FPI की कुल निकासी 1,01,737 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है. इस भारी बिकवाली के कारण, निफ्टी ने साल की शुरुआत से अब तक 4 प्रतिशत नकारात्मक रिटर्न दिया है.
असल में बाजार की चिंताएं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के स्टील और एल्युमिनियम आयातों पर नए शुल्क लगाने और कई देशों पर प्रत्यावर्ती शुल्क लगाने के फैसले की खबरों के बाद बढ़ गईं. घरेलू मोर्चे पर सुस्त कॉर्पोरेट आय और भारतीय रुपये की निरंतर गिरावट, जो कई वर्षों के निचले स्तरों को पार कर गई, ने भारतीय संपत्तियों के आकर्षण को और कम कर दिया है. भारत से भागकर निवेशक चीन और अमरीकी बाजार का रुख कर रहे हैं. चीन के राष्ट्रपति की नई पहलों और प्रमुख व्यापारियों के साथ साझेदारी ने चीन में वृद्धि की वापसी की उम्मीदें जगाई हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि चूंकि चीनी स्टॉक्स अभी भी सस्ते हैं, इसलिए 'भारत बेचो, चीन खरीदो' का यह ट्रेंड जारी रह सकता है.
पाकिस्तान पर आसान जीत से भारत सेमीफाइनल के मुहाने पर : चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 के ग्रुप मैच में रविवार को पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने छह विकेट की आसान जीत दर्ज की. इस जीत के शिल्पकार रहे विराट कोहली. इसी के साथ भारत सेमीफाइनल के मुहाने पर पहुंच गया. पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और सउद शकील के अर्धशतक की मदद से 241 का स्कोर खड़ा किया. इसके जवाब में विराट कोहली के 51वें नाबाद एकदिवसीय शतक की मदद से भारत ने 42.3 ओवर में लक्ष्य हासिल कर लिया.
सबसे कम पारियों में विराट के 14 हजार रन : इस मैच में विराट कोहली 14 हजार रन पूरे करने वाले तीसरे खिलाड़ी बने. उनसे पहले सचिन तेंदुलकर और कुमार संगाकारा यह कारनामा कर चुके हैं. इसके लिए तेंदुलकर ने 350 पारियां खेली है तो संगाकारा ने 378. मगर विराट महज 287 पारियों में इस आंकड़े तक पहुंच गए.
दिल्ली में आतिशी होंगी नेता विपक्ष : दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी को आप विधायक दल का नेता चुना गया है. वह विधानसभा में विपक्ष की नेता होंगी. रविवार को विधायक दल की बैठक में पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और सभी 22 विधायक शामिल हुए. नवगठित दिल्ली विधानसभा का पहला सत्र 24 फरवरी को शुरू होगा. तीन दिनों तक चलने वाले इस सत्र में सत्तारूढ़ भाजपा पिछली आप सरकार के प्रदर्शन पर लंबित कैग रिपोर्ट्स सदन में प्रस्तुत करने वाली है.
श्रीलंकाई नौसेना ने 32 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया : 'द हिंदू' की रिपोर्ट है कि श्रीलंका की नौसेना ने रविवार को 32 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया और पांच ट्राले भी जब्त कर लिये. मछली पालन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को रामेश्वरम बंदरगाह से 478 मछुआरों को टोकन जारी किए गए थे, जिनमें से 32 नहीं लौटे. इस साल की शुरुआत से अब तक श्रीलंकाई नौसेना ने तमिलनाडु के 100 से अधिक मछुआरों को गिरफ्तार किया है और 20 ट्रॉलर भी जब्त किए हैं.
तेलंगाना सुरंग हादसा : 8 फंसे लोगों से संपर्क नहीं : तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे आठ लोगों से बचाव दल का अब तक संपर्क नहीं हो पाया है. शनिवार को 51 मजदूर खुदाई का काम कर रहे थे, तभी सुरंग की छत का एक हिस्सा ढह गया था. जिससे, दो साइट इंजीनियरों सहित आठ लोग सुरंग में फंस रह गए. शेष सुरक्षित हैं.
असम पुलिस को हक़ और 5 शिक्षकों का रिमांड नहीं मिला : छात्रों को परीक्षा में ज्यादा अंक लाने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग करने का आश्वासन देने के आरोप में गिरफ्तार किए गए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेघालय (यूएसटीएम) के कुलाधिपति महबूबुल हक़ और उनके पांच सहयोगी शिक्षकों को अदालत में पेश कर असम पुलिस ने सात दिन की रिमांड मांगी थी, लेकिन अदालत ने इनकार कर दिया और 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. कोर्ट ने देर रात सुनवाई करते हुए यद्यपि कहा कि पुलिस चाहे तो जेल में आरोपियों से पूछताछ कर सकती है. बता दें, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा काफी पहले से हक़ और यूएसटीएम के खिलाफ टिप्पणियाँ करते रहे हैं. उन्होंने पिछले साल कहा था कि हक गुवाहाटी में ‘बाढ़ जिहाद’ के लिए जिम्मेदार हैं.. सरमा ने विश्वविद्यालय पर फर्जी डिग्री जारी करने का भी आरोप लगाया था, जिस पर मेघालय सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी.
26 ग्रामीण स्वयंसेवकों को जनता के दबाव में छोड़ा : असम राइफल्स ने शुक्रवार को काकचिंग जिले में जिन 26 ग्रामीण स्वयंसेवकों को गिरफ्तार किया था, उन्हें विरोध प्रदर्शन और जनता के दबाव में छोड़ना पड़ा है. हिरासत में लिए गए ग्रामीणों में बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्र भी शामिल थे. दरअसल, गिरफ़्तारी से नाराज प्रदर्शनकारियों ने इंफाल घाटी के कई इलाकों में आगजनी की. दुकानें व बाजार बंद रहे. सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं और स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं.
दिल्ली की हार का असर पंजाब में; सभी 232 विधि अधिकारियों से इस्तीफा मांगा, 50 पुलिस अफसरों पर कार्रवाई : दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार का असर पंजाब पर लगातार दिख रहा है. वहां उथल-पुथल मची हुई है. अब पंजाब की आप सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न बोर्डों और न्यायाधिकरणों में राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे सभी 232 विधि अधिकारियों से इस्तीफा मांगा है. इसकी जानकारी महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने दी. सिर्फ विधि विभाग में ही हलचल नहीं मची है, बल्कि पुलिस महकमे में भी बड़े पैमाने पर फेरबदल किया गया है. इसमें जहां कई तबादले किए गए हैं तो वहीं 50 से अधिक पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है.
तमिलनाडु : तीन भाषा नीति पर विवाद क्यों? : केन्द्र सरकार ने तमिलनाडु को समग्र शिक्षा योजना के तहत मिलने वाले करीब ₹2,152 करोड़ के फंड पर कुंडली मार ली है, क्योंकि राज्य ने प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (PMSHRI) योजना में शामिल होने से इनकार किया है. हालांकि, तमिलनाडु इस योजना में भाग लेने के लिए तैयार है, लेकिन वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तीन भाषा फॉर्मूले का विरोध करता है. 'द हिंदू' की रिपोर्ट है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किसी भी रियायत को नकारते हुए यह कहा है कि तमिलनाडु को "संविधान के अनुरूप" काम करना होगा, जबकि मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी दो टूक कह दिया है कि राज्य केन्द्र के "ब्लैकमेल" के सामने नहीं झुकेगा और ऐतिहासिक रूप से अपनाई गई अपनी दो-भाषा नीति को नहीं छोड़ेगा.
बिना हथकड़ियों के 12 भारतीयों की घर वापसी : संयुक्त राज्य अमेरिका से निकालकर पनामा भेजे गए 12 भारतीय नागरिकों को लेकर एक विमान रविवार शाम को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचा. यह अमेरिका से वापस लाए जाने वाले भारतीयों का चौथा जत्था है, लेकिन इस दफा वापस लौटे भारतीय बिना हथकड़ियों के पहुंचे. इससे पहले अमेरिका से करीब 332 अवैध अप्रवासी भारत आ चुके हैं और सबको बेड़ियों में जकड़कर लाया गया था.
पाठकों से अपील
जर्मनी का जनादेश कट्टर दक्षिणपंथियों की तरफ
'एसोसिएट प्रेस' की खबर है कि अपने इस्तीफे के दौरान जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी की ऐतिहासिक सफलता की निंदा की है. प्रारंभिक एग्जिट पोल्स से पता चलता है कि एएफडी दूसरे स्थान की ओर बढ़ रही है, जबकि विपक्षी नेता फ्रेडरिक मर्स के कंजर्वेटिव्स पहले स्थान पर हैं और शोल्ज़ की पार्टी तीसरे स्थान पर गिर गई है. इस बीच दक्षिणपंथी विपक्षी नेता मर्स ने एग्जिट पोल्स में अपने ब्लॉक को आगे होते हुए देख जीत का दावा किया है. उन्हें दूसरे देशों के नेताओं की बधाईयां मिलनी शुरू हो गई हैं. मर्स ने कहा कि वह इस जिम्मेदारी का आकार समझते हैं और यह "आसान नहीं होगा." वह जल्द से जल्द एक शासकीय गठबंधन बनाने का लक्ष्य रख रहे हैं. पोल्स बंद हो चुके हैं. अब क्या होगा? मतदान समाप्त होते ही वोटों की गिनती शुरू हो गई. प्रारंभिक एग्जिट पोल डेटा मतदान के समाप्त होने के बाद उपलब्ध हुआ, लेकिन अंतिम आधिकारिक परिणाम सुबह तक आने की उम्मीद है. एग्जिट पोल्स कितने विश्वसनीय हैं? ये पोल्स बहुत विश्वसनीय माने जाते हैं. एपी ने इन पोल्स की विधियों की समीक्षा की है और अनुमोदित किया है.
शांति और नाटो सदस्यता के लिए ज़ेलेंस्की पद छोड़ने को तैयार
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि अगर देश में शांति स्थापित हो सके, तो वह अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं. मई 2019 में लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए ज़ेलेंस्की से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछा गया कि क्या वह यूक्रेन की शांति के बदले राष्ट्रपति पद छोड़ने को तैयार हैं. उन्होंने जवाब दिया, "हां, अगर यह यूक्रेन की शांति के लिए हो, तो मैं खुशी-खुशी यह कुर्सी छोड़ दूंगा. मैं इसे यूक्रेन के नाटो सदस्यता के बदले भी दे सकता हूं."
पृष्ठभूमि : ज़ेलेंस्की का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब डोनाल्ड ट्रम्प ने उन्हें "बिना चुनाव वाला तानाशाह" बताया था. क्योंकि यूक्रेन में लंबे समय से चुनाव नहीं हुए हैं. हालांकि, यूक्रेन का कानून मार्शल लॉ के दौरान चुनावों पर रोक लगाता है. रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण किया था, जिसके बाद से देश में मार्शल लॉ लागू है. यूक्रेन अभी जंग में है और ऐसे में वहां चुनाव करवाना मुश्किल है. यूक्रेन में लाखों लोग युद्ध के कारण विदेश भाग चुके हैं. सैनिक युद्ध के मोर्चे पर लड़ते हुए जान गंवा रहे हैं. जनता का मानना है कि इस संकट के समय चुनाव कराना अव्यावहारिक और अनैतिक होगा.
ट्रम्प के "तानाशाह" वाले बयान के जवाब में ज़ेलेंस्की ने कहा कि वह लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं, लेकिन देश की सुरक्षा और एकता को चुनावों से ऊपर रखेंगे. उन्होंने जोर देकर कहा, "शांति और नाटो की सदस्यता हमारी प्राथमिकता है. अगर इन्हें पाने के लिए मुझे पद छोड़ना पड़े, तो मैं तैयार हूं." संविधान के मुताबिक ज़ेलेंस्की का कार्यकाल युद्ध समाप्त होने तक जारी रहेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प के आरोप राजनीतिक प्रचार का हिस्सा हैं, क्योंकि यूक्रेन में चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी रही है.
विश्लेषण
चंद्रचूड़ को क्यों नागवार गुज़रा अगर याचिकाकर्ता ने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल किया?
पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने उमर खालिद की जमानत याचिका वापस लेने के सवाल पर बजाय न्यायपालिका के गिरहबान में झांकने के याचिकाकर्ता को ही गलत ठहराने की कोशिश की है. 'आर्टिकल 14' के लिए बेतवा शर्मा ने विवादास्पद पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड के एक साक्षात्कार में दिए गए उनके बयानों के बरक्स न्यायपालिका की जमीनी हकीकत को टटोलने की कोशिश की है. यह उनके कार्यकाल के दौरान घटित हुआ था. पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा- 'मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं जो बहुत से लोगों की नज़र से छूट गई है, जब उमर ख़ालिद के मामले की बात आती है. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इस मामले में कम से कम सात बार, अगर और अधिक नहीं, स्थगन याचिकाएं दायर की गईं और अंत में जमानत याचिका वापस ले ली गई? इसके बारे में आपका क्या कहना है? अब, आखिरकार, जो होता है वह यह है कि एक विशेष दृष्टिकोण सोशल मीडिया और मीडिया में प्रकट हो जाता है. न्यायाधीशों के पास खुद को बचाने का कोई स्थान नहीं होता और अगर आप कोर्ट में जो होता है उसे देखेंगे, तो वास्तविकता थोड़ी अधिक सूक्ष्म होती है…'. यह सच है कि ख़ालिद के वकील ने कई स्थगन याचिकाएं दायर कीं, लेकिन इसका लेना देना उस बात से नहीं है जिसे पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने प्रस्तुत करने की कोशिश की है. इसका संबंध उस सुप्रीम कोर्ट जज बेला त्रिवेदी से था, जिन्हें बार बार चंद्रचूड़ ने इसकी सुनवाई का जिम्मा सौंपा. यह असाइनमेंट नियमों के खिलाफ था, जिसके तहत मामले को बेंच पर वरिष्ठ न्यायाधीश के सामने रखा जाना चाहिए था. गुजरात हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला न्यायाधीश बनीं बेला त्रिवेदी ने नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते गुजरात सरकार में कानून सचिव के रूप में कार्य किया था. वकीलों ने यह सवाल उठाया था कि उनके मामले त्रिवेदी को क्यों सौंपे गए थे, जिनका रिकार्ड नागरिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों के मामले में संदेहास्पद था.
अक्टूबर 2022 में न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की बेंच ने दिल्ली विश्वविद्यालय के व्हीलचेयर पर निर्भर प्रोफेसर जीएन साईबाबा की रिहाई पर रोक लगा दी थी, जिन्हें मई 2014 में एक यूएपीए मामले में गिरफ्तार किया गया था. मार्च 2024 में एक और बेंच ने उन्हें बरी कर दिया, यह पाते हुए कि सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का "आरोप अस्पष्ट" ही था. साईबाबा को लगभग दस साल तक जेल में रखा गया था. इसी महीने, त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने बिहार में रेत खनन मामले में जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय ने दायर किया था. यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत देने के अधिक उदार मानक से विरोधाभासी था, यहां तक कि गंभीर अपराधों जैसे मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के मामलों में भी. क़रीब से देखा जाए याचिका वापस लेने के पीछे भावना यह थी कि ख़ालिद को निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिल सकती थी. खालिद और उनके वकीलों के पास कानूनी तौर पर वह सब करने की आजादी है जो बतौर रणनीति उनके लिए सबसे हितकर होती.
और यह सही नहीं लगता कि रिटायर होने के बाद इंटरव्यू दे रहे पूर्व मुख्य न्यायाधीश जमानत याचिकाकर्ता पर आलोचना करने लगें. वे कुछ महीने पहले तक न्यायपालिका के सबसे वरिष्ठ अधिकारी थे. ख़ालिद के जमानत आवेदन को तीन महीने बाद वापस लेने के बाद, यह साफ हुआ कि वह अब ट्रायल कोर्ट में ही अपनी किस्मत आज़माएंगे. जबकि इसी बीच भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी बाबू ने भी त्रिवेदी की बेंच के सामने अपनी याचिका वापस ले ली. यह कहते हुए कि वह उच्च न्यायालय का रुख करेंगे. पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने इस पर प्रकाश डाला कि ख़ालिद ने स्थगन याचिकाएं दायर की थीं, लेकिन यह भी ध्यान में रखना आवश्यक है कि अभियोजन पक्ष ने भी ऐसा ही किया था. जैसा कि जमानत याचिका एक न्यायिक बेंच से दूसरी बेंच में जाती रही, न्यायाधीशों ने इसे कई बार स्थगित किया, इसका कारण था समय की कमी और रोस्टर से संबंधित समस्याएं.
जब सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने ख़ालिद की जमानत याचिका 12 जुलाई 2023 को सुनी थी, तो न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश ने कहा था कि "यह एक या दो मिनट में हो जाएगा," लेकिन राज्य ने अधिक समय देने की मांग की थी. 13 अक्टूबर 2023 को जब न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की न्यायिक बेंच ने सुनवाई को 1 नवम्बर तक स्थगित कर दिया था, तो वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें 20 मिनट चाहिए थे यह दिखाने के लिए कि पुलिस के पास ख़ालिद के खिलाफ कोई मामला नहीं है.
जब ख़ालिद ने यूएपीए, भारत के आतंकवाद निरोधक कानून को चुनौती दी, जिसके तहत उन्हें आरोपित किया गया है, तो उनकी चुनौती और जमानत याचिका को कुछ पुराने यूएपीए मामलों के साथ जोड़ा गया और अंततः मामला त्रिवेदी की बेंच के पास पहुंच गया. प्रशांत भूषण ने कहा- "हमें नहीं पता कि यह कैसे हो रहा है, क्या यह रजिस्ट्र्री कर रही है या मुख्य न्यायाधीश कर रहे हैं." ख़ालिद चार साल से अधिक समय से जेल में है और अब तक उनके मामले में कोई मुकदमा दाखिल नहीं हुआ है. यह मुकदमा तथाकथित दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में है, जिसे पुलिस ने एंटी-सीएए विरोधों और उसमें शामिल लोगों को दोषी ठहराने के लिए बनाया था. दूसरों को भी इस मामले में और अधिक समय तक जेल में रखा गया है, जहां एक सामान्य रूप से पढ़े जाने पर भी केवल अनुमान और पक्षपाती दृष्टिकोण नजर आते हैं.
बेतवा शर्मा के अनुसार, विधिक प्रक्रिया और कानून के शासन के उल्लंघन को देखते हुए, पूर्व मुख्य न्यायाधीश की यह चिंता कि ख़ालिद के मामले के बारे में सोशल मीडिया पर सार्वजनिक धारणाओं के बारे में क्या कहा जा रहा है और न्यायाधीशों के पास खुद का बचाव करने का कोई स्थान नहीं है, यह चिढ़ी हुई और नासमझ प्रतीत होती है. इतने सारे जीवन खराब हो गए हैं क्योंकि न्यायिक प्रणाली विफल हो रही है, इस मामले में उन्हें खुद को बचाने का कोई विशेष कारण नहीं होना चाहिए.
मरने के पांच माह बाद नसरल्लाह को दफनाया
इजरायल के हवाई हमलों में मारे जाने के पांच महीने बाद हिज़बुल्लाह के पूर्व नेता हसन नसरल्लाह के अंतिम संस्कार के लिए हजारों की संख्या में लोग सुबह से ही जुटते चले गए. नसरल्लाह की मौत ईरान-समर्थित समूह के लिए एक बड़ा झटका थी, जिसे उन्होंने मध्य पूर्व में एक शक्तिशाली ताकत में बदल दिया था. 'द गार्डियन' की खबर है कि नसरल्लाह के अंतिम संस्कार से पहले इजरायली विमानों ने दक्षिणी लेबनान के अल-कलीला और अल-अंसार के कस्बों के बाहरी इलाकों पर हमले किए. नसरल्लाह की मध्य पूर्व में क्या अहमियत थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके अंतिम संस्कार में ईरानी संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाघेर क़ालिबाफ और विदेश मंत्री अब्बास अराघची भी शामिल होने पहुंचे थे. नसरल्लाह को बेरूत में दफनाया गया और सार्वजनिक शोक सभा में लेबनान के हजारों लोग शामिल हुए.
चलते-चलते
बर्फीले तेंदुओं से बचना भी है और उन्हें बचाना भी
नेपाल के हिमालय इलाकों में बर्फीले तेंदुए (स्नो लेपर्ड) अक्सर पशुओं को शिकार बनाते हैं, जिससे किसानों और इन दुर्लभ जानवरों के बीच टकराव बढ़ जाता है. लेकिन डोलपा जिले की नेपाली महिलाओं ने एक अनोखा हल निकाला है, जो पशुओं और तेंदुओं दोनों की जान बचा रहा है. बीबीसी ने इस पर एक रिपोर्ताज किया है.
रिंचेन लामा के खेत में एक ही रात हिम तेंदुए ने 37 भेड़-बकरियों को मार डाला. "खून से सनी ऊन बिखरी थी. ये मेरी आजीविका के लिए सबकुछ थे," वे याद करते हैं. नेपाल में हर साल सैकड़ों किसान ऐसे नुकसान झेलते हैं. अंतरराष्ट्रीय संरक्षण संघ के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल 221-450 हिम तेंदुए इंसानों द्वारा मारे जाते हैं, जिनमें से 55% हमले बदले की भावना से होते हैं.
संरक्षणवादी त्शिरिंग ल्हामू लामा ने स्थानीय महिलाओं के साथ मिलकर दो उपाय किए: उन्होंने पशु बाड़ों के पास सोलर-चार्ज रंगीन लाइट्स लगानी शुरु की जो तेंदुओं को भगाती हैं. दूसरा पत्थर और धातु की जाली से बने "बाघ-रोधी बाड़े" बनाए गए, जिनकी छत और ऊंची दीवारें तेंदुओं को अंदर घुसने से रोकती हैं.
भारत के लद्दाख में ऐसे बाड़ों ने पशुओं पर हमले 90% तक कम किए हैं. नेपाल के डोलपा में पहला बाघ-रोधी बाड़ा 2024 में बनाया गया, जिसके बाद 11 और बनाने की योजना है. पुरुष व्यापार के लिए गाँव छोड़ देते हैं, इसलिए महिलाएं ही मवेशियों की देखभाल करती हैं. उन्हें संरक्षण में शामिल करना ज़रूरी था," त्शिरिंग बताती हैं. उन्होंने 15 युवाओं (आधी महिलाएं) को तेंदुओं का गाइड बनाकर टूरिज़्म से जोड़ा. अब ये पर्यटकों को ठहराकर आय अर्जित कर रहे हैं. स्थानीय लोग हिम तेंदुओं को "पहाड़ों के देवता" मानते हैं. वर्ल्ड वाइड वाइल्डलाइफ फंड के घन गुरुंग कहते हैं, "1-2 जानवर खोना चलता है, लेकिन बड़े नुकसान से गुस्सा भड़क जाता है." बाड़े बनाने की सामग्री लाना महंगा है और साक्षरता कम (37-40%) होने के कारण प्रशिक्षण मुश्किल भी है. त्शिरिंग का सपना है कि स्थानीय लोग स्वयं संरक्षक बनें. "पहले वे मुझे दुश्मन समझते थे, अब उन्हें समझ आया है: तेंदुए और पशु दोनों बचेंगे, तभी हमारा जीवन बचेगा," वे मुस्कुराते हुए कहती हैं.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.