24/06/2025 : ईरान का पलटवार | उपचुनाव में भाजपा का संघर्ष | पिघलते ग्लेशियर, बढ़ता ताप | हेट क्राइम पर एक और रिपोर्ट | यूरोप खुद मजबूत बनने की कोशिश में | शोले का अनकट एडिशन | दिलीप दोशी का जाना
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा.
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ईरान के हमले, हार्मुज को लेकर कयास जारी, तेहरान शहर पर बम गिरे
हार्मुज़ का रास्ता बंद होने से भारत पर भी पड़ सकता है असर, बढ़ सकते हैं फ्यूल के दाम
तेज हुई खामेनेई के उत्तराधिकारी की तलाश
भाजपा को अपने पारंपरिक क्षेत्रों के बाहर अब भी संघर्ष करना पड़ रहा
हिमालय और तियान शान में पिघलते ग्लेशियर, एशिया में तापमान वृद्धि दर दोगुनी
छत्तीसगढ़ में मारे गए माओवादियों में एक-तिहाई महिलाएं
इंडिगो के ट्रेनी पायलट से कहा, “तुम विमान उड़ाने के लायक नहीं, लौट जाओ और चप्पल सिलो”
दिल्ली में जलभराव वाले 71 स्थानों के लिए दो-दो पुलिसकर्मी
हेट क्राइम पर एक और रिपोर्ट, एक साल में 74.4 फ़ीसदी की बढ़ोतरी
बड़ोदरा के हिंदू-बहुल इलाके में अपनी दुकान नहीं खोल पा रहा मुस्लिम, हाईकोर्ट ने कहा-समाधान करें
रूस के हमलों में कीव क्षेत्र में 10 की मौत
यूरोप में अमेरिकी रसूख से मुक्त होने की तैयारी
सीरिया के चर्च में बम धमाका: 22 लोगों की मौत, दर्जनों घायल
खाने के इंतजार में खड़े 9 फिलिस्तीनियों को इजरायल ने तोप से उड़ाया
न्यूजीलैंड के 'गोल्डन वीजा' के लिए अमेरिका, चीन और हॉन्गकॉन्ग में उत्साह
राहुल, पंत ने सेंचुरी मारी, इंग्लैंड को 371 का लक्ष्य
दिलीप दोशी का निधन: मेलबर्न टेस्ट 1981 को बताया ‘अपने करियर का सबसे बड़ा पल’
'शोले' के अनकट संस्करण का वर्ल्ड प्रीमियर होगा
इजराइल-ईरान तनाव
अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ईरान के हमले, हार्मुज को लेकर कयास जारी, तेहरान शहर पर बम गिरे
सोमवार को क़तर की राजधानी दोहा में धमाकों की आवाज़ें सुनी गईं. ‘रॉयटर्स’ की रिपोर्ट है कि यह घटनाएं उस वक्त हुईं जब एक पश्चिमी राजनयिक ने कहा कि दोपहर से ही खाड़ी अरब राष्ट्र क़तर में स्थित अमेरिका द्वारा संचालित अल-उदीद एयर बेस के खिलाफ़ एक विश्वसनीय ईरानी खतरे की आशंका थी. इस बयान से कुछ समय पहले क़तर ने यह घोषणा की थी कि उसने निवासियों और आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अस्थायी रूप से अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है. अमेरिकी रक्षा विभाग ने पुष्टि की कि कोई मिसाइल बेस पर नहीं गिरी. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने क्षेत्रीय "अराजकता की सर्पिल" को रोकने के लिए कूटनीति की मांग की. मिस्र, लेबनान और ओमान ने हमले की निंदा की और कतर के साथ एकजुटता दिखाई.
'रॉयटर्स' की रिपोर्ट है कि कतर स्थित अमेरिकी दूतावास ने सोमवार को वहां रह रहे अमेरिकी नागरिकों को एक ईमेल संदेश भेजा, जिसमें उन्हें अगली सूचना तक "जहां हैं वहीं ठहरने"की सिफारिश की गई है. इस संदेश में कहा गया कि यह सलाह "अत्यधिक सतर्कता" के तौर पर दी जा रही है. हालांकि, इसमें इससे अधिक कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई. ब्रिटेन ने भी अपने नागरिकों को कतर में “जहां हैं वहीं ठहरने” की सलाह दी है. चीन ने भी कमोबेश ऐसी ही एडवाइजरी अपने नागरिकों के लिए जारी की है. कतर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजेद अल अंसार ने सोमवार को पहले कहा था कि अमेरिकी दूतावास की चेतावनी किसी "विशिष्ट खतरे" की मौजूदगी को नहीं दर्शाती. उन्होंने कहा कि कतर में सुरक्षा स्थिति "स्थिर" है और देश नागरिकों, निवासियों और आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए "सभी आवश्यक उपाय" करने को तैयार है. कतर पश्चिम एशिया (मध्य पूर्व) में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है और यहां हमले की संभावनाएं हैं. कुछ ही देर बाद खबर आई कि कतर ने क्षेत्र में हालिया घटनाक्रमों के चलते एहतियातन अस्थायी रूप से अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है. यह जानकारी कतर के विदेश मंत्रालय द्वारा एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जारी एक बयान में दी गई. बयान में कहा गया है कि यह कदम निवासियों और आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है.
अमेरिकी हमले के बाद जहां पूरे ईरान समेत मुस्लिम देशों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं ईरानी अपनी सरकार से एक मजबूत प्रतिक्रिया की उम्मीद भी कर रहे हैं. खुद ईरान के सर्वोच्च नेता ने कहा है कि वो अपने दुश्मनों को सबक सिखाएंगे. इधर रूस पहुंचे अराघची ने भी ईरान के सर्वोच्च नेता की ही बात एक किस्म से दोहराई है और कहा है कि पलटवार किए बिना अब बातचीत की मेज पर वापसी संभव नहीं. ईरान के लिए ये लड़ाई अब आत्मसम्मान की बनती जा रही है. ईरान ने अमरीकी हमलों के बाद बड़े पैमाने पर इजरायल पर हमले किए हैं. युद्ध ईरान को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहा है, बल्कि इजरायल की अर्थव्यवस्था पर भी अब ये नया युद्ध का मोर्चा बड़ी चोट पहुंचा रहा है. ईरान ने मध्य पूर्व में अमरीकी सैन्य ठिकानों पर अपना गोला बारूद दागना शुरू कर दिया है. ईरान ने दावा किया है कि उसने कतर में स्थित अल उदीद एयर बेस पर मिसाइल हमला किया, जो मध्य पूर्व में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है. कतर सरकार ने कहा कि उसके वायु रक्षा तंत्र ने इस हमले को नाकाम कर दिया और मिसाइलों को रास्ते में ही इंटरसेप्ट कर लिया गया. इजरायल में भी अमरीकी हमले के बाद ईरान की मिसाइलों ने तबाही मचाई है.
इससे पहले ईरान के खातम अल-अंबिया केंद्रीय सैन्य मुख्यालय के प्रवक्ता इब्राहिम जोलफक़ारी ने सोमवार को एक रिकॉर्ड किए गए अंग्रेज़ी वीडियो बयान में कहा, "मिस्टर ट्रम्प, जुआरी, आप इस युद्ध की शुरुआत कर सकते हैं, लेकिन इसे खत्म करने वाले हम होंगे." दो अमेरिकी अधिकारियों ने 'रॉयटर्स' को बताया कि वॉशिंगटन का आकलन है कि ईरान मध्य पूर्व में अमेरिकी बलों को निशाना बनाकर हमले कर सकता है. हालांकि, अमेरिका अब भी ऐसा राजनयिक समाधान चाहता है, जिसमें तेहरान किसी भी प्रतिशोध से परहेज़ करे.
'रॉयटर्स' की रिपोर्ट है कि इज़रायल ने तेहरान की उस बदनाम एविन जेल पर हमला किया, जिसमें राजनीतिक कैदियों को रखा जाता है. यह हमला यह दिखाने के लिए काफी है कि इज़रायल अब सिर्फ सैन्य और परमाणु ठिकानों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह ईरानी शासन की मूल संरचनाओं को भी निशाना बना रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सप्ताहांत में ईरान के प्रमुख सैन्य ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के बाद, अब ईरान में ‘रेजीम चेंज’ (शासन परिवर्तन) की संभावना का संकेत दिया है. ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा - “रेजीम चेंज कहना राजनीतिक रूप से ठीक नहीं है, लेकिन अगर ईरान की वर्तमान सरकार MAKE IRAN GREAT AGAIN नहीं कर सकती, तो फिर शासन परिवर्तन क्यों नहीं हो सकता??? MIGA!!!” यह बयान उस समय आया जब उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस ने दावा किया कि अमेरिका ईरान से युद्ध नहीं कर रहा, बल्कि उसके परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ है.
ट्रम्प ने यह भी दोहराया कि ईरान के परमाणु ठिकानों को अमेरिकी हमलों में “पूरी तरह तबाह” कर दिया गया है. उन्होंने कहा - “सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहा है कि सभी परमाणु ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा है. 'Obliteration' (समूल विनाश) सही शब्द है!”
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली ख़ामेनेई से जुड़े एक सोशल मीडिया अकाउंट ने पहली बार इस हमले पर प्रतिक्रिया दी. पोस्ट में लिखा गया- “यहूदी शासन (Zionist enemy) ने बहुत बड़ी गलती की है, एक बड़ा अपराध किया है; उसे सज़ा दी जानी चाहिए और दी जा रही है, अभी दी जा रही है.”
ईरान ने कहा है कि उसके परमाणु ठिकानों पर हमलों के लिए “पूरी तरह और अकेले” अमेरिका जिम्मेदार होगा और इसके खतरनाक परिणामों का बोझ भी अमेरिका को ही उठाना पड़ेगा. साथ ही, ईरान ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इज़रायल की इच्छाओं के आगे झुककर अमेरिकी मतदाताओं के साथ “विश्वासघात” किया है.
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची अब मॉस्को में हैं, जहा उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से “साझा खतरों” पर बातचीत की. इस्तांबुल में उन्होंने कहा कि ईरान कूटनीति पर लौटेगा नहीं, जब तक कि वह पलटवार नहीं कर लेता.
ईरान और इज़रायल ने एक-दूसरे पर मिसाइलें भी दागी हैं. ईरान के करज और तेहरान के पास पर्चिन में धमाकों की सूचना है. इज़रायल ने कहा है कि उसने पश्चिमी ईरान के करमनशाह क्षेत्र पर भी हमला किया. इज़रायल में सोमवार तड़के 3 बजे के बाद सायरन बजे, जब ईरानी मिसाइलों का हमला बताया गया, लेकिन कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ.
एबीसी की रिपोर्ट है कि इस बीच ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका के ईरान पर हमलों का समर्थन किया है. प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने कहा- “हम ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए की गई कार्रवाई का समर्थन करते हैं.”
ईरान में संयुक्त राष्ट्र के एक फैक्ट-फाइंडिंग मिशन ने कहा है कि इज़राइल द्वारा ईरान पर किए गए कुछ हमले अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून का उल्लंघन प्रतीत होते हैं. मिशन ने बताया कि तेहरान में मारे गए लोगों में एक अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स के दर्जनों निवासी और तीन रेड क्रॉस के राहतकर्मी शामिल थे. मिशन ने यह भी कहा कि उसे इज़राइल से जासूसी के आरोपों के चलते मनमाने ढंग से की जा रही गिरफ्तारियों की चिंताजनक रिपोर्टें मिल रही हैं.
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने एक बयान में कहा- ईरान पर "संभावित भविष्य के खतरे" के आधार पर इज़राइली हमले दुनिया को "ग़लत संदेश" देते हैं. ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमले “खराब मिसाल” स्थापित करते हैं. संघर्ष में शामिल सभी पक्षों को स्थिति शांत करने के लिए कदम उठाने चाहिए और बातचीत व कूटनीति की राह पर लौटना चाहिए.

इसी बीच, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची ने मास्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की, क्योंकि तेहरान अपने अंतिम बचे कुछ प्रमुख सहयोगियों में से एक से समर्थन की उम्मीद कर रहा है, ताकि वह अपने अगले कदम तय कर सके.
रूसी उप-विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव ने सोमवार को कहा कि ईरान को “आत्मरक्षा का पूरा अधिकार” है और मॉस्को और तेहरान के बीच रणनीतिक साझेदारी “अटूट” है. यह जानकारी राज्य समाचार एजेंसियों ने दी है. जब उनसे पूछा गया कि क्या ईरान ने रूस से सैन्य सहायता मांगी है, तो रियाबकोव ने कहा कि रूस और ईरान कई क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं और इसके विवरण साझा करना “ग़ैर-जिम्मेदाराना” होगा.
इज़राइली सेना ने तेहरान के नागरिकों को चेतावनी दी है कि वे हथियार निर्माण केंद्रों और सैन्य अड्डों के आसपास न जाएं. यह चेतावनी फ़ारसी और अरबी भाषा में एक्स(पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट की गई है. ईरान में इंटरनेट पाबंदियों के चलते राजधानी तेहरान से भाग रहे लाखों नागरिकों के लिए “खतरनाक हालात” पैदा हो गए हैं.
कम से कम दो सुपरटैंकरों ने होर्मुज़ जलडमरूमध्य के पास यू-टर्न लिया, जैसा कि जहाज़ ट्रैकिंग डेटा से पता चलता है. यह कदम अमेरिका द्वारा ईरान पर सैन्य हमले के बाद उठाया गया है. क्षेत्र में एक सप्ताह से अधिक समय से जारी हिंसा के चलते कई जहाज़ों ने अपनी गति बढ़ा दी है, कुछ रुक गए हैं, और कुछ ने अपना मार्ग बदल दिया है. वाशिंगटन द्वारा ईरान पर इज़रायल के हमलों में शामिल होने के निर्णय ने इस आशंका को जन्म दिया है कि ईरान जवाबी कार्रवाई में ओमान और ईरान के बीच स्थित इस महत्वपूर्ण जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है, जिसके ज़रिए विश्व की लगभग 20% तेल और गैस की आपूर्ति होती है.
हार्मुज़ का रास्ता बंद होने से भारत पर भी पड़ सकता है असर, बढ़ सकते हैं फ्यूल के दाम
भारत में कच्चे तेल की 40% आपूर्ति हार्मुज़ जलडमरूमध्य के माध्यम से होती है. यह काम इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत जैसे मध्य पूर्व के देशों से किया जाता है. चिंता इस बात की है कि हार्मुज़ जलडमरूमध्य, जिस पर कई देश अपने कच्चे तेल के निर्यात और आयात के लिए निर्भर हैं, इज़रायल-ईरान संघर्ष के तेज़ होने के कारण बंद हो सकता है. अमेरिका द्वारा ईरान में परमाणु ठिकानों पर हमला करने के बाद, तेहरान ने इस मार्ग को बंद करने का संकेत दिया है, जिससे वैश्विक स्तर पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है.
दुनिया के लगभग पांचवे हिस्से (20%) तेल की आपूर्ति प्रतिदिन इसी जलडमरूमध्य से होती है. अगर यह बंद हो जाता है, तो क्या भारत पर इसका गहरा असर पड़ेगा? भारत कुल 5.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल आयात करता है, जिसमें से लगभग 2 मिलियन बैरल प्रतिदिन इसी हार्मुज़ जलडमरूमध्य के रास्ते आता है.
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि इस मार्ग के बंद होने से वैश्विक तेल बाज़ार पर बड़ा असर पड़ेगा, लेकिन भारत पर बहुत बड़ा झटका लगने की संभावना कम है. इसका कारण यह है कि भारत के प्रमुख गैस आपूर्तिकर्ता कतर और तेल आपूर्तिकर्ता रूस, दोनों ही हार्मुज़ का उपयोग नहीं करते. रूस से आने वाला तेल या तो स्वेज़ नहर, केप ऑफ गुड होप या प्रशांत महासागर के रास्ते आता है. इसके अलावा, भारत के लिए एलएनजी की अन्य आपूर्ति ऑस्ट्रेलिया, रूस और अमेरिका से होती है. हालांकि, भारत का कच्चा तेल आयात जो इराक और कुछ हद तक सऊदी अरब से होता है, वह प्रभावित हो सकता है, क्योंकि दोनों देश अपने निर्यात के लिए हार्मुज़ जलडमरूमध्य का उपयोग करते हैं.
संक्षिप्त निष्कर्ष
हार्मुज़ जलडमरूमध्य के बंद होने से भारत के कुल कच्चे तेल आयात का लगभग 35-40% प्रभावित हो सकता है.
इससे भारत में तेल और गैस की कीमतों में तेज़ वृद्धि, आपूर्ति में बाधा, शिपिंग लागत में इज़ाफ़ा और महंगाई बढ़ सकती है.
इसके बंद होने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा को झटका लगेगा, खासकर इराक और सऊदी अरब से आने वाले कच्चे तेल के आयात पर, लेकिन रूस और अन्य विकल्पों के कारण भारत पर गहरा और दीर्घकालिक असर सीमित रहने की संभावना है.
तेज हुई खामेनेई के उत्तराधिकारी की तलाश
'रॉयटर्स' की रिपोर्ट है कि ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई के उत्तराधिकारी की तलाश अब तेज़ हो गई है. खामेनेई द्वारा दो साल पहले नियुक्त तीन वरिष्ठ मौलवियों की एक समिति ने हाल ही में इस प्रक्रिया को तेज कर दिया है, खासकर तब से जब इज़राइल ने ईरान पर हमला किया और उनके जीवन को खतरे में बताया. 86 वर्षीय खामेनेई इस प्रक्रिया की नियमित जानकारी ले रहे हैं और इस वक्त वे अपने परिवार के साथ एक सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की विशेष “वली-ए-अमर” यूनिट द्वारा उनकी सुरक्षा की जा रही है. सूत्रों के अनुसार, अगर खामेनेई की मृत्यु हो जाती है तो ईरानी सत्ता प्रतिष्ठान तुरंत नए नेता की घोषणा करेगा ताकि स्थिरता का संदेश जाए. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि नया नेता आसानी से सत्ता में आ पाएगा या खामेनेई जैसी पकड़ बना पाएगा. उत्तराधिकारी के लिए दो प्रमुख नाम सामने आए हैं.
खामेनेई के 56 वर्षीय पुत्र मोजतबा खामेनेई, जो उनके विचारों के घनिष्ठ अनुयायी माने जाते हैं और दूसरा हसन खोमैनी. इस्लामिक क्रांति के संस्थापक आयतुल्ला रुहोल्लाह खोमैनी के पोते, जो सुधारवादी खेमे के करीबी हैं और अधिक उदारवादी चेहरे के रूप में देखे जा रहे हैं. हालांकि मोजतबा शक्तिशाली माने जाते हैं और उनके पास अपने पिता के कार्यालय तक पहुंच है, लेकिन खामेनेई ने अतीत में बेटे को उत्तराधिकारी बनाने के विचार का विरोध किया था, ताकि शाह के जमाने की वंशानुगत सत्ता की पुनरावृत्ति न हो.
हसन खोमैनी ने हाल ही में खामेनेई को खुलेआम समर्थन देने वाला संदेश जारी किया था. वे जनता में लोकप्रिय हैं और गरीबों के प्रति अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं, जिससे उन्हें एक संभावित “संक्रमणकारी नेता” के रूप में देखा जा रहा है जो क्रांति के मूल्यों और आधुनिक अपेक्षाओं में संतुलन बना सकता है.
अन्य संभावित दावेदारों में पूर्व राष्ट्रपति हाशमी रफ़संजानी, पूर्व न्याय प्रमुख शहरुदी और पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी भी शामिल थे, लेकिन इनमें से कोई भी अब जीवित नहीं हैं. रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रहेगी. खामेनेई के बाद वे इस चयन को अपने प्रभाव में रखने की कोशिश कर सकते हैं. बता दें कि 1989 में जब रुहोल्लाह खोमैनी का निधन हुआ, तब अली खामेनेई एक मंझले दर्जे के मौलवी थे, लेकिन उन्होंने धीरे-धीरे सत्ता की सारी बागडोर अपने हाथ में ले ली और अपने विरोधियों को पीछे छोड़ते गए. लंदन स्थित विश्लेषक हुसैन रस्साम के अनुसार, “इस्लामिक रिपब्लिक जैसी है, वैसी शायद न रहे. अगर वह बचेगी भी, तो बिल्कुल बदली हुई होगी.”
उपचुनाव
भाजपा को अपने पारंपरिक क्षेत्रों के बाहर अब भी संघर्ष करना पड़ रहा
आमतौर पर उपचुनावों के नतीजों को पहले से तय मान लिया जाता है, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से सत्ताधारी पार्टियों के जीतने की संभावना अधिक रहती है. लेकिन इस बार चार राज्यों की पांच सीटों पर हुए उपचुनाव दो अहम वजहों से खास माने जा रहे थे. पहली, क्या भारतीय जनता पार्टी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक दशक से अधिक लंबे नेतृत्व के बाद अपने पारंपरिक उत्तर और पश्चिम भारत के बाहर अपना विस्तार कर पाई है? दूसरी, क्या विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस, केरल और पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनावों से पहले पुनर्जीवन के कोई ठोस संकेत दिखा रहे हैं?
अजॉय आशीर्वाद महाप्रशस्त ने बताया है कि परिणाम विपक्ष के लिए मिले-जुले रहे, लेकिन यह साफ़ हो गया कि भाजपा अब भी अपनी आरामदायक सीमाओं के बाहर संघर्ष कर रही है. वहीं, आम आदमी पार्टी ने दिखा दिया है कि वह अब हल्के में लेने वाली पार्टी नहीं है और उसकी मौजूदगी स्थायी है. गुजरात की विसावदर और पंजाब की लुधियाना वेस्ट को अपने कब्जे में बरकरार रखना इस बात का प्रमाण है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी वह वापसी करने में सक्षम है.
भाजपा केवल अपने गढ़ गुजरात के कड़ी से जीत पाई, जबकि तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल के कालिगंज को बरकरार रखा, और कांग्रेस ने केरल के नीलांबुर को सत्तारूढ़ वाम मोर्चा से छीनकर सबको चौंका दिया. इन सभी पांच सीटों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने चुनाव लड़ा.
भाजपा की चुनौतियां : भाजपा इन उपचुनावों को जल्द भूलना चाहेगी. उसने सभी सीटों पर पूरी ताकत झोंकी, लेकिन केवल अपने गढ़ कड़ी से ही जीत पाई. गुजरात के विसावदर में उसका उम्मीदवार करीब 18 हजार वोटों से हार गया. पंजाब और पश्चिम बंगाल में भी उसका प्रदर्शन कमजोर रहा. पिछले एक दशक में भाजपा का विस्तार तो हुआ, लेकिन अब वह नए क्षेत्रों में संघर्ष करती दिख रही है. निष्कर्ष : इन उपचुनावों के नतीजों ने साफ़ कर दिया है कि गुजरात में कांग्रेस और आप के बीच मुख्य विपक्षी दल बनने की होड़ है, वहीं पंजाब में भी आप और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर उभर रही है. भाजपा को अपने पारंपरिक क्षेत्रों के बाहर अब भी संघर्ष करना पड़ रहा है.
हिमालय और तियान शान में पिघलते ग्लेशियर, एशिया में तापमान वृद्धि दर दोगुनी
एशिया में तापमान वृद्धि की दर वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की "एशिया में जलवायु की स्थिति 2024" रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में एशिया का औसत तापमान 1991-2020 के औसत से लगभग 1.04 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जो रिकॉर्ड पर सबसे गर्म या दूसरा सबसे गर्म वर्ष बना. समुद्र की सतह का तापमान भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. एशिया में समुद्र की सतह की दशकीय वार्मिंग दर भी वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी है. प्रशांत और हिंद महासागर के तटीय क्षेत्रों में समुद्र स्तर का बढ़ना वैश्विक औसत से अधिक है, जिससे निचले तटीय इलाकों में जोखिम बढ़ गया है.
हिमालय और तियान शान क्षेत्र में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. 24 में से 23 ग्लेशियरों ने अपना द्रव्यमान खो दिया है, जिससे ग्लेशियर झील फटने और भूस्खलन जैसी आपदाओं का खतरा बढ़ गया है और जल सुरक्षा पर दीर्घकालिक जोखिम पैदा हो गया है. चरम मौसमी घटनाएं, जैसे कि भीषण गर्मी, बाढ़ और सूखा, एशिया के समाजों, अर्थव्यवस्थाओं और पारिस्थितिक तंत्रों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं. भारत में भी 2024 में अत्यधिक गर्मी के कारण हजारों हीटस्ट्रोक के मामले और मौतें दर्ज की गईं. विस्तृत समाचार पूर्णिमा साह की रिपोर्ट में पढ़ा जा सकता है.
छत्तीसगढ़ में मारे गए माओवादियों में एक-तिहाई महिलाएं
वर्ष 2024 से अब तक छत्तीसगढ़ में पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए माओवादियों में से लगभग एक-तिहाई महिलाएं थीं. आंकड़ों के अनुसार, हाल के अभियानों में महिलाओं की भागीदारी और हताहतों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. उदाहरण के लिए, मई 2025 में दक्षिण बस्तर में मारे गए 27 माओवादियों में से 12 महिलाएं थीं (44%), जबकि एक अन्य ऑपरेशन 'ब्लैक फॉरेस्ट' में मारे गए 31 माओवादियों में 16 महिलाएं थीं (51%).
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में माओवादी संगठन में महिलाओं की भागीदारी अन्य राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है. संगठन की कुल ताकत का लगभग 40% महिलाएं हैं. इनमें से कई महिलाएं कम उम्र में संगठन में शामिल होती हैं और उन्हें संगठन के विभिन्न कार्यों में लगाया जाता है, जैसे कि सांस्कृतिक मंडली, आपूर्ति शृंखला, निगरानी आदि.
“द हिंदू” में विजेयता सिंह की रिपोर्ट के अनुसार कुछ मामलों में, महिलाओं को 'मानव ढाल' के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रवृत्ति छत्तीसगढ़ की जनजातीय सामाजिक संरचना को दर्शाती है, जिससे माओवादी संगठन में महिलाओं की अधिक भागीदारी होती है.
इंडिगो के ट्रेनी पायलट से कहा, “तुम विमान उड़ाने के लायक नहीं, लौट जाओ और चप्पल सिलो”
“टाइम्स ऑफ इंडिया” के मुताबिक, इंडिगो एयरलाइंस के एक ट्रेनी पायलट की शिकायत पर कंपनी के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जातिवादी दुर्व्यवहार और कार्यस्थल पर भेदभाव करने के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज किया गया है. एफआईआर के अनुसार, शिकायतकर्ता को अप्रैल में गुरुग्राम के सेक्टर 24 स्थित इंडिगो के कार्यालय में एक बैठक के लिए बुलाया गया. इस बैठक में तीन वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे, जिन्होंने कथित तौर पर शिकायतकर्ता की जाति का उल्लेख करते हुए अपमानजनक और निम्न दर्जे की टिप्पणियां कीं, जैसे- “तुम विमान उड़ाने के लायक नहीं हो, वापस लौट जाओ और चप्पल सिलो.” “तुम यहां चौकीदार बनने के भी लायक नहीं हो.”
बेंगलुरू के रहने वाले शिकायतकर्ता ट्रेनी पायलट ने कहा कि उसने पुलिस से पहले इंडिगो के सीईओ और एथिक्स कमेटी से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. आरोपियों को सात दिन का समय देकर माफी मांगने को कहा गया, पर ऐसा नहीं हुआ, जिसके बाद कानूनी कार्रवाई की गई.
दिल्ली में जलभराव वाले 71 स्थानों के लिए दो-दो पुलिसकर्मी : दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने राजधानी में ऐसे 71 स्थानों पर दो-दो पुलिसकर्मियों को तैनात किया है, जहां बारिश में बड़े पैमाने पर जलभराव होता है. ये पुलिसकर्मी अन्य विभागों के साथ समन्वय बनाकर काम करेंगे. मानसून अगले दो दिनों के भीतर राजधानी में दस्तक दे सकता है. अधिकारियों ने बताया कि ये 71 उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र प्रमुख यातायात मार्गों के साथ स्थित हैं और सफाई के बावजूद जलभराव के लिए संवेदनशील बने हुए हैं.
हेट क्राइम
हेट क्राइम पर एक और रिपोर्ट, एक साल में 74.4 फ़ीसदी की बढ़ोतरी
भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध घृणास्पद अपराधों की स्थिति दिनों-दिन गंभीर होती जा रही है. अमेरिका स्थित ‘सेंटर फॉर स्टडी ऑफ ऑर्गेनाइज्ड हेट’ और ‘इंडिया हेट लैब’ द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट एक डरावनी तस्वीर पेश करती है, जो देश की धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक नींव पर गहरे सवाल खड़े करती है.
वर्ष 2024 में हेट स्पीच की घटनाओं में भारी उछाल देखा गया है. पिछले साल की 668 घटनाओं की तुलना में इस बार 1,165 मामले दर्ज किए गए, जो 74.4% की चौंकाने वाली वृद्धि दर्शाता है. इस वृद्धि के पीछे मुख्य कारण 2024 के आम चुनाव और विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव रहे, जहां हेट स्पीच को एक चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया.
सबसे चिंताजनक बात यह है कि हेट स्पीच की लगभग 80% घटनाएं भाजपा या उसके सहयोगी दलों के शासित राज्यों में हुईं. उत्तर प्रदेश में 242 और महाराष्ट्र में 210 घटनाएं दर्ज की गईं. मई 2024 में चुनावी चरम के दौरान एक महीने में ही 269 घटनाएं हुईं, जबकि अगस्त में बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता के बाद भी इसमें तेजी आई.
राष्ट्रीय स्तर के शीर्ष नेताओं की भागीदारी इस समस्या को और गंभीर बनाती है. योगी आदित्यनाथ ने 86, प्रधानमंत्री मोदी ने 63 और अमित शाह ने 58 हेट स्पीच दिए. भाजपा ने 340 कार्यक्रमों का आयोजन किया, जबकि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने मिलकर 279 कार्यक्रम किए. कुल मिलाकर संघ परिवार से जुड़े संगठन 58.8% घटनाओं के लिए जिम्मेदार थे.
इन भाषणों में 'लव जिहाद', 'लैंड जिहाद', 'वोट जिहाद' और 'थूक जिहाद' जैसे षड्यंत्रकारी सिद्धांतों का व्यापक प्रयोग किया गया. 22% भाषणों में प्रत्यक्ष हिंसा का आह्वान किया गया, 123 में हथियार उठाने की बात कही गई और 111 में आर्थिक बहिष्कार की बात की गई. मुसलमान 98.5% घटनाओं के मुख्य निशाने रहे, जबकि 9.9% में ईसाइयों को लक्षित किया गया.
274 भाषणों में अल्पसंख्यक पूजा स्थलों को हटाने या ध्वस्त करने का आह्वान किया गया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, विशेषकर फेसबुक और यूट्यूब, इस घृणा के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे. 995 घटनाओं को उनके मूल स्रोत तक ट्रेस किया गया.
सबसे निराशाजनक पहलू संस्थागत विफलता है. चुनाव आयोग और न्यायपालिका दोनों इस मामले में निष्क्रिय रहे, जिससे हेट स्पीच देने वालों को खुली छूट मिली. यह रिपोर्ट न केवल अल्पसंख्यकों के बढ़ते खतरे को रेखांकित करती है, बल्कि भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र पर पड़ रहे गहरे प्रभाव को भी उजागर करती है.
बड़ोदरा के हिंदू-बहुल इलाके में अपनी दुकान नहीं खोल पा रहा मुस्लिम, हाईकोर्ट ने कहा-समाधान करें
गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को याद दिलाया है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना उसकी जिम्मेदारी है. कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे वडोदरा के एक हिंदू-बहुल इलाके में कानूनी रूप से खरीदी गई अपनी दुकान से व्यापार करने में मुस्लिम व्यापारी को आ रही समस्या का समाधान करें.
यह आदेश जस्टिस एच.डी. सुथार की पीठ ने याचिकाकर्ता ओनाली ढोलकावाला को राहत देते हुए दिया, जिन्हें स्थानीय लोगों द्वारा दुकान खोलने से लगातार रोका जा रहा था. “टाइम्स ऑफ इंडिया” के अनुसार, ढोलकावाला ने 2016 में चंपानेर दरवाजा के पास दो हिंदू भाइयों से दुकान खरीदी थी, लेकिन यह क्षेत्र 'गुजरात प्रोहिबिशन ऑफ ट्रांसफर ऑफ इमूवेबल प्रॉपर्टी एंड प्रोविज़न ऑफ टेनेंट्स फ्रॉम एविक्शन फ्रॉम प्रिमाइसेस इन डिस्टर्ब्ड एरियाज एक्ट, 1991' (गुजरात निषिद्ध क्षेत्र में अचल संपत्ति के हस्तांतरण पर प्रतिबंध और परिसरों से किरायेदारों की बेदखली से सुरक्षा का प्रावधान अधिनियम, 1991) के तहत आता है, जिससे संपत्ति का लेन-देन प्रतिबंधित है और कलेक्टर की अनुमति जरूरी है. उन्हें बिक्री पत्र 2020 में ही रजिस्टर्ड करवाने का मौका मिला, जब उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया.
फिर भी, पड़ोसियों ने मुस्लिम को संपत्ति बेचने का विरोध किया और बिक्री रद्द करने की मांग की. उनका तर्क था कि मुस्लिम को संपत्ति बेचने से इलाके में ध्रुवीकरण और जनसंख्या संतुलन बिगड़ सकता है.
फरवरी 2023 में हाईकोर्ट ने इन विरोधकर्ताओं की याचिका खारिज कर दी और दोनों पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया, क्योंकि वे मालिक को संपत्ति का लाभ उठाने से रोक रहे थे. इसके बावजूद, स्थानीय लोगों ने ढोलकावाला को दुकान का उपयोग करने नहीं दिया और दुकान के गेट पर मलबा डाल दिया. ढोलकावाला ने फिर से हाईकोर्ट में पुलिस सुरक्षा की मांग की ताकि वे दुकान की मरम्मत करवा सकें और व्यापार शुरू कर सकें. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस से कई बार सुरक्षा मांगी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली.
रूस के हमलों में कीव क्षेत्र में 10 की मौत
‘रॉयटर्स’ की रिपोर्ट है कि यूक्रेनी अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि रूस द्वारा कीव और उसके आसपास किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है, जबकि दर्जनों घायल हुए हैं. इन हमलों से रिहायशी इलाकों में आग लग गई और एक मेट्रो स्टेशन बम शेल्टर का प्रवेश द्वार क्षतिग्रस्त हो गया. यूक्रेन के गृह मंत्रालय के अनुसार, कीव के व्यस्त शेवचेनकिवस्की जिले में एक अपार्टमेंट ब्लॉक पर मिसाइल हमले में कम से कम 9 लोगों की जान गई. यह इलाका अमेरिकी दूतावास से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है. आपातकालीन सेवा के अनुसार, कीव में कम से कम 34 लोग घायल हुए, जिनमें चार बच्चे भी शामिल हैं. आधी रात से सुबह तक, शहर में विस्फोटों की आवाज़ और ड्रोन पर गोलीबारी की गूंज सुनाई देती रही. यूक्रेनी वायु सेना ने बताया कि रूस ने चार क्षेत्रों पर हमला करते हुए 352 ड्रोन और 16 मिसाइलें दागीं, जिनमें से 339 ड्रोन और 15 मिसाइलों को मार गिराया गया.
किताब
यूरोप में अमेरिकी रसूख से मुक्त होने की तैयारी
रॉबिन अलेक्जेंडर एक्सल स्प्रिंगर ग्लोबल नेटवर्क के संवाददाता हैं. उनकी पुस्तक "लास्ट चांस: द न्यू चांसलर एंड द फाइट फॉर डेमोक्रेसी" (आखिरी मौका: नया चांसलर और लोकतंत्र की लड़ाई), जिससे यह कहानी ली गई है, 25 जून को जर्मन भाषा में प्रकाशित होगी. पॉलिटिको पत्रिका में इसके कुछ अंश छपे है.
यह रिपोर्ट इस सवाल पर केंद्रित है कि क्या यूरोप इस भयावह संभावना के लिए खुद को तैयार कर रहा है कि डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका नाटो छोड़ सकता है. यह कहानी उन घटनाओं का एक नाटकीय लेखा-जोखा प्रस्तुत करती है, जो दर्शाती हैं कि अमेरिकी नेतृत्व पर अविश्वास यूरोपीय राजधानियों में किस हद तक गहरा गया है. कहानी के केंद्र में जर्मनी के चांसलर (काल्पनिक परिदृश्य में) फ्रेडरिक मेर्ज़ हैं, जिन्हें एक ऐसे संकट का सामना करना पड़ता है जो अटलांटिक-पार गठबंधन की नींव को हिला सकता है. अलेक्जेंडर की रिपोर्ट की शुरुआत एक तनावपूर्ण दृश्य से होती है. ओवल ऑफिस में डोनाल्ड ट्रम्प के दाईं ओर यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की बैठे हैं. ज़ेलेंस्की थके हुए और असहाय दिख रहे हैं. ट्रम्प कैमरों के सामने उन्हें अपमानित करते हैं, उन पर लाखों लोगों की जान खतरे में डालने और तीसरे विश्व युद्ध का जोखिम उठाने का आरोप लगाते हैं. जब ज़ेलेंस्की यह कहने की कोशिश करते हैं कि युद्ध तो व्लादिमीर पुतिन ने शुरू किया था, तो ट्रम्प उन्हें कठोरता से टोक देते हैं. उपराष्ट्रपति जेडी वेंस बार-बार ज़ेलेंस्की से पूछते हैं, "क्या आपने कभी धन्यवाद कहा?". बैठक के बाद होने वाली वार्ता, जश्न का लंच और एक महत्वपूर्ण कच्चे माल का समझौता, सब कुछ रद्द कर दिया जाता है. ज़ेलेंस्की को बस वापस भेज दिया जाता है.
जर्मनी में, भावी चांसलर फ्रेडरिक मेर्ज़ इस दृश्य को देख रहे हैं. वह स्तब्ध हैं और तुरंत X पर ज़ेलेंस्की के समर्थन में लिखते हैं, "हमें इस युद्ध में कभी भी हमलावर और पीड़ित के बीच भ्रमित नहीं होना चाहिए.". इस घटना ने मेर्ज़ और उनके पूर्ववर्ती, ओलाफ स्कोल्ज़, दोनों को झकझोर कर रख दिया. दोनों इस बात पर सहमत होते हैं कि वाशिंगटन में कुछ ऐतिहासिक हुआ है. अमेरिका न केवल यूक्रेन को, बल्कि अपने सभी सहयोगियों को छोड़ने की धमकी दे रहा है. इससे सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है: क्या नाटो संधि के अनुच्छेद 5, जो एक सदस्य पर हमले को सभी पर हमला मानता है, को अब भी गंभीरता से लिया जा सकता है. क्या अमेरिकी सैनिक रूसी हमले से जर्मनी की रक्षा करेंगे.
इस अहसास के साथ, दोनों नेता एक ऐतिहासिक निर्णय पर पहुँचते हैं. जर्मनी को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा का पुनर्निर्माण करना होगा, जितनी जल्दी हो सके और चाहे जो भी कीमत चुकानी पड़े. यह कीमत बहुत बड़ी है - अगले 12 वर्षों में 1 से 1.5 ट्रिलियन यूरो, जो पिछली राशि से दोगुनी है. यह फैसला जर्मनी के लिए आसान नहीं है, जहाँ संविधान में "Schuldenbremse" या "ऋण ब्रेक" नामक एक कठोर राजकोषीय नियम है, जो नए सरकारी कर्ज को सीमित करता है. चुनाव से पहले मेर्ज़ इस नियम को बनाए रखने के कट्टर समर्थक थे, लेकिन ज़ेलेंस्की के अपमान ने सब कुछ बदल दिया. मेर्ज़ अपनी स्थिति से पलट जाते हैं और इस भारी-भरकम नए कर्ज के लिए सहमत हो जाते हैं.
मेर्ज़ के मन में संदेह पहले से ही पनप रहा था. कुछ हफ़्ते पहले म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अपने भाषण से सबको चौंका दिया था. उन्होंने कहा था कि यूरोपीय संघ में बोलने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध रूस या चीन से बड़ा खतरा है. उन्होंने परोक्ष रूप से यूरोप में दक्षिणपंथी पाप्यूलिस्ट दलों का समर्थन किया था. बाद में यह भी पता चला कि वेंस ने जर्मनी की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी की नेता एलिस वीडेल से गुप्त रूप से मुलाकात की थी. इस घटना ने मेर्ज़ को अमेरिकी प्रशासन की मंशा पर गंभीर रूप से संदेह करने पर मजबूर कर दिया था. इसी पृष्ठभूमि में, मेर्ज़ ने चुनाव से पहले ही गुप्त रूप से यह पता लगाना शुरू कर दिया था कि क्या निवर्तमान संसद के वोटों से संविधान में संशोधन करके "ऋण ब्रेक" नियम को बदला जा सकता है.
चुनाव जीतने के बाद, मेर्ज़ ने सार्वजनिक रूप से अमेरिका से "स्वतंत्रता" की बात करनी शुरू कर दी, जो उनके जैसे कट्टर ट्रान्साटलांटिकिस्ट के लिए एक चौंकाने वाला बयान था. उन्होंने पूछा, "क्या हम जून के अंत में नाटो के बारे में उसके मौजूदा स्वरूप में भी बात कर रहे होंगे. या हमें तब तक एक स्वतंत्र यूरोपीय रक्षा क्षमता स्थापित करनी होगी.". इस बीच, स्कोल्ज़ ने मेर्ज़ को खुफिया जानकारी दिखाई, जिसमें बताया गया था कि यूक्रेन में भारी नुकसान के बावजूद, रूस कुछ ही वर्षों में पहले से कहीं ज़्यादा टैंक और मिसाइलें बना लेगा. खुफिया जानकारी से यह भी संकेत मिला कि पुतिन यूरोप के खिलाफ एक और युद्ध की तैयारी कर रहे हैं.
इन सब वजहों से मेर्ज़ ने रक्षा खर्च में भारी वृद्धि के फैसले को सही ठहराने के लिए "Whatever it takes!" (जो भी करना पड़े) का नारा दिया. लेकिन इस असाधारण फैसले के पीछे एक और भी बड़ी और गुप्त वजह थी. मेर्ज़ को एक विश्वसनीय अमेरिकी स्रोत से यह सूचना मिली थी कि ट्रम्प कांग्रेस को अपने संबोधन में नाटो से अमेरिका की वापसी की घोषणा करने वाले हैं. मेर्ज़ को डर था कि अगर ऐसा हुआ, तो पुतिन तुरंत बाल्टिक देशों पर हमला कर सकते हैं. इसी आसन्न खतरे की आशंका में, यह मानते हुए कि यूरोप में एक नया युद्ध छिड़ सकता है और नाटो टूटने की कगार पर है, मेर्ज़ ने जर्मनी को खरबों यूरो के कर्ज में डालने के लिए अपनी सहमति दी.
हालांकि, जैसा कि हम जानते हैं, ट्रम्प ने अपने भाषण में नाटो से हटने का कोई जिक्र नहीं किया. व्हाइट हाउस ने भी इस बात से इनकार किया कि ऐसी कोई घोषणा किसी भी भाषण के मसौदे में शामिल थी. फिर भी, मेर्ज़ आज भी मानते हैं कि उनकी सूचना सही थी और ट्रम्प ने बस आखिरी समय में अपना मन बदल लिया. यह पूरा प्रकरण यूरोप के भीतर व्याप्त गहरे अविश्वास और डर को उजागर करता है, और यह दिखाता है कि यूरोपीय नेता अमेरिका पर निर्भरता खत्म करने और अपनी सुरक्षा अपने हाथों में लेने के लिए कितने गंभीर और हताश हो सकते हैं.
सीरिया के चर्च में बम धमाका: 22 लोगों की मौत, दर्जनों घायल
'अलजजीरा' की रिपोर्ट है कि सीरिया की राजधानी दमिश्क के बाहरी इलाके द्वेइला में स्थित मार एलियास चर्च में रविवार को सामूहिक प्रार्थना के दौरान एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोट कर दिया. सरकारी मीडिया के अनुसार, इस हमले में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई और 63 से अधिक घायल हुए हैं. कई स्थानीय रिपोर्टों में कहा गया है कि मृतकों में बच्चे भी शामिल हैं. सीरियाई गृह मंत्रालय ने बताया कि हमलावर ने चर्च में घुसने से पहले लोगों पर गोलियां चलाईं, फिर विस्फोटक जैकेट से खुद को उड़ा लिया. यह हमला सीरिया में वर्षों बाद किसी चर्च को निशाना बनाकर किया गया बड़ा आतंकी हमला है. प्रत्यक्षदर्शी रावद ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि उसने हमलावर को दो अन्य लोगों के साथ देखा, जो हमले से पहले वहां से भाग निकले थे. “वह चर्च पर गोलियां चला रहा था… फिर वह अंदर घुसा और खुद को उड़ा लिया,” रावद ने कहा. हालांकि अभी तक किसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन सीरियाई अधिकारियों ने शक जताया है कि इसके पीछे आईएसआईएल का हाथ हो सकता है. गृह मंत्रालय ने कहा कि यह हमला आईएस के एक लड़ाके द्वारा किया गया, जो चर्च में घुसा और लोगों पर गोलीबारी करने के बाद खुद को उड़ा लिया.
खाने के इंतजार में खड़े 9 फिलिस्तीनियों को इजरायल ने तोप से उड़ाया
'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि गाजा सिटी के उत्तर-पश्चिम में अल-वाहा इलाके में खाना लेने के लिए खड़े लोगों पर इस्राइली तोपखाने की गोलाबारी में 9 नागरिक मारे गए. स्वतंत्र पत्रकारों को गाजा में प्रवेश की अनुमति नहीं है, इसलिए रिपोर्ट की स्वतंत्र पुष्टि संभव नहीं हो सकी है. संयुक्त राष्ट्र की मानवीय एजेंसी (OCHA) के प्रमुख जोनाथन विटॉल ने कहा- “एक भयावह पैटर्न सामने आया है जिसमें इस्राइली सेनाएं खाद्य सामग्री लेने के लिए जुटे भीड़ पर गोली चला रही हैं.” गाजा के चिकित्सकों का कहना है कि पिछले 12 दिनों में ऐसी घटनाओं में लगभग 450 लोग मारे गए हैं और हजारों घायल हुए हैं. हमलों का लक्ष्य बने ये राहत स्थल गाजा ह्यूमैनेटेरियन फांउडेशन नामक एक संगठन चला रहा था, जिसे अमेरिका और इज़रायल का समर्थन प्राप्त है.
न्यूजीलैंड के 'गोल्डन वीजा' के लिए अमेरिका, चीन और हॉन्गकॉन्ग में उत्साह
'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' की रिपोर्ट है कि न्यूजीलैंड में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए नए निवेशक वीजा के लिए आवेदनों की बाढ़ आ गई है. सरकार ने अप्रैल में नियमों को आसान किया, जिसमें जोखिम वाले निवेश के लिए न्यूनतम राशि को 15 मिलियन NZD से घटाकर 5 मिलियन NZD (3 मिलियन USD) कर दिया और अंग्रेजी भाषा की आवश्यकता हटा दी. आप्रवासन मंत्री एरिका स्टैनफोर्ड ने कहा, "नए 'गोल्डन वीजा' में जबरदस्त रुचि देखी गई है." तीन महीनों में 189 आवेदन प्राप्त हुए, जो पहले ढाई साल में 116 आवेदनों से कहीं अधिक हैं. इनमें से 85 आवेदन अमेरिकी नागरिकों, 26 चीन और 24 हॉन्गकॉन्ग से आए. ये आवेदन न्यूजीलैंड के व्यवसायों में 845 मिलियन NZD (503 मिलियन USD) के संभावित निवेश का प्रतिनिधित्व करते हैं. पिछले साल तकनीकी मंदी के बाद, इस साल पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था अपेक्षा से तेजी से बढ़ी, जिससे नीति निर्माताओं को राहत मिली.
क्रिकेट
राहुल, पंत ने सेंचुरी मारी, इंग्लैंड को 371 का लक्ष्य
लीड्स टेस्ट के चौथे दिन केएल राहुल ने गंभीरता भरी पारी खेली. ओवरों के बीच में, वह अपने साथी बल्लेबाज ऋषभ पंत को, जो अचानक आक्रामक हो जाते हैं, शांत रहने की सलाह देते रहे. अंततः दोनों ने सेंचुरी जड़ दी. भारत की पूरी टीम 364 रन पर ऑलआउट हो गई, जिससे इंग्लैंड को जीत के लिए 371 रन का लक्ष्य मिला. भारतीय पारी खत्म होने के बाद लगभग 20 ओवर बचे थे, जिसमें शुभमन गिल को इंग्लिश बल्लेबाजों को आज़माने का मौका मिला. स्टंप्स तक इंग्लैंड 21/0 था. इस टेस्ट के अंतिम दिन कई संभावनाएं खुली हैं.
दिलीप दोशी का निधन: मेलबर्न टेस्ट 1981 को बताया ‘अपने करियर का सबसे बड़ा पल’
'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर है कि पूर्व भारतीय स्पिनर दिलीप दोशी का सोमवार को लंदन में 77 वर्ष की उम्र में दिल से जुड़ी समस्याओं के चलते निधन हो गया. सौराष्ट्र क्रिकेट संघ ने उनके निधन की पुष्टि की. दोशी ने 1979 से 1983 के बीच भारत के लिए 33 टेस्ट मैच खेले थे और उनके नाम 114 टेस्ट विकेट दर्ज हैं. उनका करियर भारत के प्रसिद्ध स्पिन चौकड़ी के दौर से टकराया, जिस कारण उन्हें सीमित मौके मिले. फिर भी उन्होंने 238 प्रथम श्रेणी मैचों में हिस्सा लिया, जिनमें नॉटिंघमशायर और वॉरविकशायर जैसी काउंटी टीमों के लिए खेलते हुए कुल 898 विकेट चटकाए. दिलीप दोशी ने अपने करियर का सबसे बड़ा क्षण 1981 में मेलबर्न टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की ऐतिहासिक जीत को बताया. उन्होंने कहा था, “मैं कहूंगा कि यह कार्सन घावरी और मैंने सेट किया था. कपिल ने इसे खत्म किया. यह मेरे करियर का सबसे बड़ा क्रिकेटिंग पल था.” दिलीप दोशी कई वर्षों से लंदन में रह रहे थे. उनके परिवार में पत्नी कालिंदी, बेटा नयन (जो सरे और सौराष्ट्र के लिए खेले) और बेटी विशाखा हैं.
चलते-चलते
'शोले' के अनकट संस्करण का वर्ल्ड प्रीमियर होगा
भारतीय सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर मानी जाने वाली रमेश सिप्पी की कालजयी फिल्म 'शोले' एक बार फिर बड़े पर्दे पर अपनी पूरी भव्यता के साथ लौटने को तैयार है. फिल्म की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर, इसके रिस्टोर किए गए अनकट संस्करण का वर्ल्ड प्रीमियर 27 जून को इटली के बोलोग्ना में इल सिनेमा रिट्रोवेटो फेस्टिवल में होगा. यह घोषणा फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा की गई, जिसने इस ऐतिहासिक फिल्म को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है. यह स्क्रीनिंग बोलोग्ना के प्रसिद्ध पियाज़ा मैगिओर में एक ओपन-एयर स्क्रीन पर होगी, जो इस अनुभव को और भी यादगार बना देगी.
इस प्रीमियर की सबसे दिलचस्प बात यह है कि दर्शकों को फिल्म का वह मूल अंत देखने को मिलेगा, जिसे सेंसरशिप के कारण बदलना पड़ा था. साथ ही, वे पहले हटाए गए दृश्यों को भी देख सकेंगे, जो सिनेमाघरों में रिलीज़ हुए संस्करण का हिस्सा नहीं थे. फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन ने सिप्पी फिल्म्स के सहयोग से इस फिल्म को 4K में रिस्टोर किया है. इस मुश्किल काम के लिए ब्रिटेन के एक गोदाम में मिली फिल्म की मूल प्रतियों और सिप्पी फिल्म्स द्वारा संरक्षित नेगेटिव का इस्तेमाल किया गया. यह बहाली सुनिश्चित करती है कि 'शोले' का असली जादू आने वाली पीढ़ियों तक अपने सबसे प्रामाणिक रूप में पहुंचे.
'शोले' सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक भावना है. जय (अमिताभ बच्चन) और वीरू (धर्मेंद्र) की दोस्ती, ठाकुर (संजीव कुमार) का बदला और गब्बर सिंह (अमजद खान) की क्रूरता आज भी लोगों के जेहन में ताज़ा है. फिल्म के यादगार संवाद, दमदार अभिनय और आर.डी. बर्मन के अमर संगीत ने इसे बॉलीवुड की सबसे महान फिल्मों में से एक बना दिया है. इटली में होने वाला यह प्रीमियर न केवल इस फिल्म का जश्न है, बल्कि वैश्विक सिनेमा के इतिहास में इसके स्थायी प्रभाव को एक बड़ी श्रद्धांजलि भी है.
पाठकों से अपील :
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, यूट्यूब पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.