25 नवंबर 2024 : “पावरप्ले” से बाहर शरद पवार, मस्जिद के सर्वे पर सम्भल में हिंसा और 3 की मौत, 6 इज़रायली सैनिकों की आत्महत्या, टेस्ट में भारत की जीत तय और क्लाइमेट चेंज पर झगड़ा
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
“पावर” के खेल से बाहर पवार : ऐसा कभी नहीं हुआ कि चुनाव के नतीजे वाले दिन “साहेब” ने मीडिया को फेस न किया हो. लंबे समय से भारतीय राजनीति के अहम किरदार रहे 84 वर्षीय शरद पवार के एक वरिष्ठ साथी के ये शब्द महाराष्ट्र की आज की सियासी तस्वीर बताने के लिए पर्याप्त हैं. लोकसभा चुनाव में 48 में से 30 सीटें जीतने के बाद महा विकास अघाड़ी का मनोबल ऊंचाई पर था. विधानसभा चुनाव के ऐलान के तीन माह पहले पुणे में पुरंदर की रैली में यह दिग्गज भाषण दे रहा था कि राज्य की सरकार बदलने का वक्त या गया है. इतनी उम्र में भी पवार ने राज्य की सड़कों को नापा. अजित पवार के अलग हो जाने के बाद यह चुनाव उनके लिए “लिटमस टेस्ट” था, यह साबित करने के लिए वह ही असली एनसीपी हैं. लिहाजा नौजवानों को अपनी पार्टी से जोड़ने के लिए उन्होंने अपने प्रभाव वाले पश्चिमी महाराष्ट्र की सतत खाक छानी.
एकनाथ शिंदे और अजित पवार “असली” शिवसेना और एनसीपी के रूप में उभरे हैं. सवाल यह भी है कि क्या शरद पवार सचमुच अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में करने के विकल्प पर विचार करेंगे, जिसकी संभावनाओं के बारे में वह स्वयं लोकसभा चुनाव के दौरान बोल चुके हैं.
पहली बार उनके हाथ में कुछ नहीं है. उनकी पार्टी के सिर्फ 10 प्रत्याशी चुने गए हैं. महाराष्ट्र की राजनीति बीते कुछ दशकों में ऐसा दृश्य देखने की आदी नहीं रही कि मुंबई में नई सरकार के लिए कवायद शुरू हो गई है, लेकिन “पावर के खेल” का यह खिलाड़ी मैदान से बाहर कर दिया गया है. दरअसल, शनिवार को आए नतीजों ने सब बदलकर रख दिया है. शिंदे और अजित पवार भी भाजपा से अड़ने या जिद करने की स्थिति में नहीं हैं.
288 सदस्यों की विधानसभा में बहुमत के लिए 145 विधायक चाहिए. 132 सीटें भाजपा ने जीती हैं. 13 और चाहिए, जो वह निर्दलीय या अन्य छोटे दलों से हासिल कर सकती है. बल्कि कुछ ऐसे प्रत्याशी भी जीत गए हैं, जिन्हें भाजपा ने शिंदे और अजित पवार के कोटे से चुनाव लड़ाया था. कहने का मतलब भाजपा अब महायुति के दो सदस्य शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) पर आश्रित नहीं है. इसीलिए मुख्यमंत्री का पद भाजपा के खाते में जाने और भाजपा में भी अगले सीएम के बतौर देवेन्द्र फडणवीस के नाम की चर्चा चल पड़ी है. कहा जा रहा है कि आमतौर पर ऐसे मामलों में दखल न देने वाला आरएसएस भी चाहता है कि फडणवीस को कुर्सी सौंपी जाए.
मस्जिद के सर्वे पर सम्भल में हिंसा, 3 मरे
उत्तर प्रदेश के सम्भल में 16 वीं शताब्दी की शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर भयंकर बवाल हुआ और इसके बाद हिंसा में 3 लोगों की मौत हो गई. प्रशासन दावा कर रहा है कि सर्वे के विरोध में सैंकड़ों लोग इकट्ठा हो गए और पुलिस को घेरकर हमला किया गया, जबकि सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिनमें पुलिसकर्मी गोलियां चलाते और पत्थरबाजी करते दिख रहे हैं. स्वतंत्र पत्रकार वसीम अकरम त्यागी समेत कई पत्रकारों ने सम्भल हिंसा पर ट्वीट किए हैं और पुलिस की भूमिका पर डीजीपी से सवाल पूछे हैं.' मुरादाबाद कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने मीडिया को बताया है कि कुछ लोगों ने साजिश के तहत घटना को अंजाम दिया है. इसमें छोटे बच्चे और महिलाओं को आगे किया गया और घरों के अंदर से पत्थरबाजी की गई. उन्होंने कहा कि किसी घर से लगातार पथराव होगा तो हम हाथ जोड़कर खड़े रहेंगे क्या?
अडानी रिश्वत मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, सेबी पर भी सवाल
रविवार को सुप्रीम कोर्ट में एक नई अर्जी दाखिल कर गौतम अडानी और उनके सात सहयोगियों के खिलाफ अमेरिकी अधिकारियों की ओर से लगाए गए रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों को रिकॉर्ड में लेने का आग्रह किया गया है. विशाल तिवारी की ओर से दायर याचिका में अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच में खामियों का आरोप लगाया गया है. साथ ही बाजार नियामक संस्था की विश्वसनीयता पर चिंता जताई गई है. आवेदन में कहा गया है, 3 जनवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में दी गई समय-सीमा के बावजूद, सेबी ने अब तक जांच की कोई रिपोर्ट या निष्कर्ष दाखिल नहीं की है. ताजा हालात में अगर जांच रिपोर्ट रिकॉर्ड पर नहीं लाई जाती है, तो इससे नियामक प्राधिकरण सेबी में विश्वास और कम होगा.
अमेरिकी कोर्ट ने अडानी को नोटिस भेज मांगा जवाब
न्यूयॉर्क ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने अडानी समूह के गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी को सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए 265 मिलियन अमरीकी डालर (2,200 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने के अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) के आरोप पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए बुलाया गया है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, कोर्ट का समन 21 नवंबर को भेजे गए नोटिस के हवाले से अहमदाबाद में अडानी के संबंधित आवासों पर समन भेजा गया है. इसका जवाब 21 दिनों के भीतर देने की कहा गया है. नोटिस में कहा गया है कि अगर अडानी समय पर जवाब नहीं देते तो अदालत उनके खिलाफ फैसला सुनाएगा.
राजेश रपरिया की कलम से: धोखाधड़ी साबित हुई तो अडानी को 20 साल की जेल मुमकिन
हरकारा विशेष
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में शामिल देश के दूसरे सबसे धनिक और अडानी समूह के मुखिया गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी और उनसे जुड़े छह अन्य व्यक्तियों पर अमेरिका में सौर ऊर्जा से जुड़े एक सौदे को हासिल करने के लिए रिश्वत देने और धोखाधड़ी के सनसनीखेज आरोप लगे हैं. अमेरिकी न्याय विभाग और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन का कहना है कि आरोपी लोगों ने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देकर अक्षय ऊर्जा परियोजना से लाभ हासिल किया. इसमें अडानी ग्रीन एनर्जी और एज्योर पावर (यह कंपनी 2023 तक न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध थी) को खासा फायदा हुआ. अमेरिकी अभियोजकों ने यह भी आरोप लगाया है कि अडानी और उनके सहयोगियों ने 2023 में अमेरिकी जांच के बारे में जानकारी होने के बाद भी निवेशकों को गुमराह किया.
21 नवंबर को जैसे ही यह खबर आई दुनियाभर में हड़कंप मच गया. भारत में जैसे ही शेयर बाजार खुले अडानी समूह से जुड़ी कंपनियों के शेयर 23% लुढ़क गए. अडानी समूह के 11 शेयरों के बाजार पूंजीकरण में 2.24 लाख करोड़ रुपये की भारी गिरावट दर्ज हुई. समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग के अनुसार, गौतम अडानी के खिलाफ धोखाधड़ी व रिश्वतखोरी के आरोप तय होने के बाद 21 नवंबर को ही तकरीबन 15 अरब डॉलर (करीब 1266 अरब रुपये) का घाटा उन्हें उठाना पड़ा. है.
अमेरिकी कानूनी प्रावधानों के अनुसार, अडानी को विदेशी रिश्वतखोरी के लिए पांच साल तक की कैद हो सकती है. प्रतिभूति (सेक्योरिटीज) धोखाधड़ी, न्यायिक प्रक्रियाओं को बाधित करने और साजिश के आरोपों में 20 साल तक की जेल हो सकती है. अमेरिकी अभियोजकों ने यह भी आरोप लगाया है कि अडानी ग्रीन के कार्यकारी निदेशक गौतम अडानी के भतीजे सागर अडानी ने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत के विवरण को सुरक्षित रखने के लिए अपने मोबाइल का इस्तेमाल किया. अमेरिकी अभियोजकों का आरोप है कि 2022 में अडानी और आरोपी एज्योर के अधिकारियों के बीच अनेक रिश्वत योजनाओं के तमाम लाभों के बारे में विस्तार से बताया. इसमें सरकारी अधिकारियों को नकद रिश्वत देने के उपाय भी शामिल थे. मार्च 23 में अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के लोगों ने अडानी समूह और अन्य जुड़ी संस्थओं के जूरी में चल रही जांच के आधार पर सागर अडानी से संपर्क किया. उसने तब इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को खत्म करने की कोशिश की.
अमेरिकी अभियोजकों के संगीन आरोपों के बाद 21 नवंबर को अडानी समूह के 11 कंपनियों में 23% तक गिरावट दर्ज हुई. गौतम अडानी पर लगे अमेरिकी आरोपों का सीधा असर भारतीय सरकारी व वाणिज्यिक बैंकों के शेयर की कीमतों पर भी पड़ा, जिन्होंने बड़ी मात्रा में अडानी समूह की कंपनियों को कर्ज दे रखा है. इनमें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) जैसी बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकें शामिल हैं.
इनके शेयरों में 5% की गिरावट देखने को मिली. पिछले साल अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद यह बात सार्वजनिक हो गई कि एसबीआई ने अडानी समूह को 27 हजार करोड़ रुपये, पीएनबी ने 7 हजार करोड़ रुपये और बीओबी ने 5380 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा है. इसके अलावा रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन लिमिटेड ने भी 7 हजार करोड़ रुपये का कर्ज अडानी समूह को दे रखा है. यह भी सरकारी कंपनी है. निजी क्षेत्र की आईसीआईसीआई, आईडीएफसी, एक्सिस बैंक आदि ने भी इस समूह को खासा बड़ा कर्ज दे रखा है. अडानी समूह की दी जानकारी के अनुसार, 31 मार्च 2024 तक समूह पर 2.41 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था. इसमें से 88 हजार करोड़ रुपये भारतीय कर्जदाताओं का है. इसमें बड़ा हिस्सा भारतीय बैंकों और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का है.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद यह तथ्य जगजाहिर हो गया था कि अडानी समूह की विभिन्न कंपनियों में एलआईसी ने तकरीबन 77 हजार करोड़ रुपये का निवेश कर रखा था. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के दिन इस निवेश का मूल्य घट कर 53 हजार करोड़ रुपये का रह गया था. खुद एलआईसी के शेयर औंधे मुंह गिर पड़े थे और अपने आईपीओ के शेयर मूल्य 949 रुपये से काफी नीचे चला गया था. और अब भी अपने इश्यू कीमत से नीचे चल रहा है. अमेरिकी आरोपों के आने के बाद एलआईसी के शेयर कीमतों में गिरावट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस प्रकार की नकारात्मक खबरें संबंधित कंपनियों के शेयर कीमतों की अभिवृद्धि की गुंजाइश को खत्म कर देती हैं. शेयर विशेषज्ञ एसबीआई में निवेश करने की सलाह दे रहे हैं. अनेक दिग्गज शेयर ब्रोकर फर्मों का मानना है कि एसबीआई के शेयर की कीमत 1000 रुपये तक जा सकती है, लेकिन अब इस शेयर की चाल डगमगा सकती है. शेयरों की कीमतों को अपेक्षित अभिवृद्धि न होने से अंत में नुकसान केवल खुदरा निवेशकों का होता है, जिनकी कोई सुनवाई देश में नहीं है. अमेरिकी अभियोजन पक्ष के संगीन आरोपों के बाद देश की जांच एजेंसियों में घनघोर सन्नाटा है, जो गुत्थी को और उलझा देता है. लेकिन आने वाले दिन गौतम अडानी के लिए काफी कष्टकारी हो सकते हैं. हां, उनके सामने एक विकल्प है कि वह अमेरिकी आरोपों को सही मान नें और जुर्माना देकर बरी हो जाएं. हाल ही में बहुराष्ट्रीय कंपनियां सीमेंस और एरिक्सन ऐसा कर चुकी हैं, जिन्होंने क्रमश: 600 मिलियन (करीब 50.6 अरब रुपये) और एक बिलियन डॉलर (84.44 अरब रुपये) का जुर्माना भरा और अपने ऊपर लगे अमेरिकी आरोपों से मुक्त हो गए.
(वरिष्ठ पत्रकार राजेश रपरिया हिंदी के उन संपादकों में गिने जा सकते हैं, जब संपादक का पद एक संस्थान हुआ करता था. कई बड़े संस्थानों में शीर्ष संपादकीय पदों पर काम करने के अलावा उनकी आर्थिक औऱ कारपोरेट मामलों पर पैनी निगाह और गहरी पकड़ रही है)
इज़रायली सैनिकों ने आत्महत्या की, मानसिक तनाव कारण
इज़रायली दैनिक येदिओथ अहरोनोथ ने शुक्रवार को खुलासा किया कि हाल के महीनों में कम से कम 6 इजरायली सैनिकों ने आत्महत्या की है. गाजा पट्टी और दक्षिणी लेबनान में लंबे समय से चल रहे युद्धों के कारण गंभीर मनोवैज्ञानिक तनाव को इसका मुख्य कारण बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्याओं की वास्तविक संख्या इससे कहीं बहुत अधिक हो सकती है, क्योंकि इजरायली सेना ने अभी तक आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए हैं, जबकि उसने साल के अंत तक उन्हें जारी करने का वादा किया था.
इजरायल ने युद्ध के खिलाफ आवाज उठाने वाले नागरिकों पर कसा शिकंजा
युद्ध के खिलाफ बोलने वाले नागरिकों के खिलाफ इजरायल की साल भर की कार्रवाई ने कई लोगों को जेल जाने और समाज में हाशिए पर धकेल दिए जाने के डर से चुप रहने के लिए मजबूर किया है, जबकि कुछ अब भी सावधानी से असहमति जताने के तरीके ढूंढ रहे हैं. मध्य इजरायल के एक वकील ने बताया, अक्टूबर 2023 में अहमद खलीफा पर गाजा के समर्थन में युद्ध-विरोधी नारे लगाने के कारण आतंकवाद भड़काने का आरोप लगाया गया. उन्हें 3 महीने जेल में बिताने पड़े और उसके बाद 6 महीने से एक अपार्टमेंट में नजरबंद हें. इसके बावजूद यह तय नहीं है कि उन्हें अपने अपराध या बेगुनाही पर अंतिम फैसला कब मिलेगा. अल्पसंख्यकों के लिए एक कानूनी अधिकार समूह अदाला के अनुसार, खलीफा इजरायल के 400 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिकों में से एक हैं, जिनकी गाजा में युद्ध की शुरुआत के बाद से ‘आतंकवाद या हिंसा को भड़काने’ के मामले में जांच की गई है.
आईपीएल मेगा ऑक्शन 2025-27 : पंत बने सबसे महंगे खिलाड़ी, ‘अय्यरों’ ने दिखाया दम
आईपीएल 2025-27 की दो दिवसीय मेगा नीलामी सउदी अरब के जेद्दा में चल रही है. पहले ही दिन दो भारतीय खिलाड़ी रिकॉर्ड कीमत पर बिके. पहले 26.75 करोड़ में श्रेयस अय्यर को पंजाब किंग्स ने खरीदा. इसी के साथ उन्होंने सबसे महंगे खिलाड़ी का रिकॉर्ड बनाया. मगर इसके तुरत बाद ऋषभ पंत ने उनका रिकॉर्ड तोड़ दिया और वह आईपीएल इतिहास के सबसे कीमती खिलाड़ी बन गए. उन्हें लखनऊ सुपर जायंट्स ने 27 करोड़ में अपने नाम किया. इसके अलावा वेंकटेश अय्यर के लिए भी बोली जमकर लगी. आखिर में वे 23.75 करोड़ में केकेआर के हुए. इसके पहले आईपीएल 2024 की नीलामी में मिचेल स्टार्क 24.75 करोड़ रुपये में बिके थे. रविवार बिके खिलाड़ियों की पूरी लिस्ट यहां देख सकते हैं.
विराट-यशस्वी शो : भारत की जीत तय, ऑस्ट्रेलिया को मिला 534 का लक्ष्य
पर्थ में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच के तीसरे दिन टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने जमकर बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने जीत के लिए 534 रन का लक्ष्य रखा. इसके पहले टीम इंडिया ने यशस्वी जायसवाल (161) और विराट कोहली (100 नाबाद) के शतकों की बदौलत 487/6 पर अपनी पारी घोषित की. कोहली ने सर डॉन ब्रेडमैन का 29 टेस्ट शतकों का रिकार्ड तोड़ा है. सुनील गावस्कर, सचिन तेंडुलकर जैसे नामों वाली इस सूची में कोहली भी शामिल हो गए हैं.
क्लाइमेट चेंज: विकासशील देशों ने हाथ खड़े कर दिए और ‘बजट का कटोरा’ विकसित देशों के आगे सरका दिया!
‘द गार्डियन’ ने लिखा है कि अज़रबैजान में हो रहा COP29 सम्मेलन अपने तय समय सीमा से आगे बढ़ गया है, क्योंकि 83 लाख करोड़ रुपये के वार्षिक जलवायु फंड के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पा रही है. यह फंड विकासशील देशों की मदद के लिए प्रस्तावित है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं. गरीब देश अमीर देशों से अधिक योगदान की मांग कर रहे हैं, लेकिन कई विकसित देश इस फंड में बड़ा हिस्सा देने से बच रहे हैं. गरीब देशों का कहना है कि उनकी ऊर्जा परिवर्तन और जलवायु संकट से निपटने की क्षमता सीमित है और उन्हें तत्काल मदद की जरूरत है.
सऊदी अरब और अन्य तेल उत्पादक देश नए फॉसिल फ्यूल लक्ष्य तय करने का विरोध कर रहे हैं. दूसरी तरफ, छोटे द्वीपीय देशों और कम विकसित देशों ने ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है. फंडिंग का बड़ा हिस्सा निजी क्षेत्र से जुटाने की बात हो रही है, जिसे कई देश अनुचित मानते हैं. उनकी चिंता है कि ऋण आधारित मॉडल से गरीब देशों के कर्ज का बोझ और बढ़ सकता है.
सऊदी ने दस्तावेज बदला
COP29 जलवायु सम्मेलन में सऊदी अरब पर बैठक के आधिकारिक 'नेगोशिएटिंग टेक्स्ट' (समझौता दस्तावेज़) को बदलने का आरोप लगा है. आमतौर पर इसे बदला नहीं जाता. यह दस्तावेज़ जलवायु परिवर्तन पर देशों के बीच समझौतों का आधार होता है. सऊदी अरब ने "फॉसिल फ्यूल्स" (कोयला, तेल और गैस) को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के मुद्दे पर विरोध जताते हुए इसे हटाने या कमजोर करने की कोशिश की. सऊदी अरब का कहना है कि इस प्रकार के बदलाव उनके आर्थिक हितों के लिए खतरा हैं, क्योंकि उनका मुख्य राजस्व तेल पर ही निर्भर है. सउदी ने 'नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशंस' (NDCs) जैसे वादों को स्वैच्छिक बताकर नए प्रस्तावों का विरोध किया, जिसके चलते अन्य देशों ने इसे 'नकारात्मक और विनाशकारी' बताया है. सम्मेलन में खूब हंगामा हुआ है.
इसके साथ ही सऊदी अरब और अन्य विकासशील देशों ने यह भी मांग की कि जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में जो 83 लाख करोड़ रुपये की फंडिंग है, उसे विकसित देश चुकाएं. वित्तीय मुद्दों पर बैठक में देशों के बीच गहरे मतभेद देखे गए हैं.
COP29 जलवायु सम्मेलन: 5 मुख्य मुद्दे जो आपको जानने चाहिए
फॉसिल फ्यूल्स से स्विच के लिए वित्त पोषण
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए फॉसिल फ्यूल्स (कोयला, गैस, तेल) से नवीकरणीय ऊर्जा में बदलाव की फंडिंग सबसे बड़ा सवाल है. विकसित और विकासशील देशों के बीच इस फंडिंग की जिम्मेदारी पर बहस हो रही है.
न्यूक्लियर पावर की भूमिका
परमाणु ऊर्जा को कार्बन मुक्त ऊर्जा स्रोत के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इसके खतरों और दीर्घकालिक प्रभावों पर चिंता जारी है। यह चर्चा का एक अहम बिंदु है।
'लॉस एंड डैमेज' फंड का क्रियान्वयन
जलवायु आपदाओं से प्रभावित विकासशील देशों के लिए वित्तीय सहायता की व्यवस्था की जा रही है. हालांकि, अब तक केवल 5810 करोड़ रुपये का ही जुगाड़ हो पाया है, जबकि अरबों डॉलर की जरूरत है.
कार्बन क्रेडिट बाजार
पेरिस समझौते के तहत कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग सिस्टम को मजबूत करने की योजना है, लेकिन यह विवादित है क्योंकि कई विशेषज्ञ इसे प्रभावी नहीं मानते.
COP31 की मेजबानी और नेतृत्व
भविष्य में कौन मेजबान बनेगा और जलवायु नेतृत्व में किन देशों की भूमिका होगी, यह तय करना भी चर्चा का हिस्सा है.
झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने से दो और शिशुओं की मौत, मृतकों की संख्या 17 पहुंची
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में लगी आग से बचाए गए दो और शिशुओं की मौत हो गई है. 15 नवंबर की रात को मेडिकल कॉलेज अस्पताल की नवजात गहन देखभाल इकाई में लगी भीषण आग से 39 शिशुओं को बचाया गया था. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर ने पीटीआई को जानकारी दी कि इसमें से दो और की मौत हो गई. इन दोनों को मिलाकर आग में मरने वालों की संख्या 17 हो गई.
एआई का दुरुपयोग: बाल यौन शोषण और घोटालों के लिए नई चुनौती
ब्रिटेन की पुलिस ने कहा है कि एआई तकनीक का तेजी से दुरुपयोग आपराधिक गतिविधियों में हो रहा है. इसमें सेक्सटॉर्शन, ऑनलाइन धोखाधड़ी और बच्चों के यौन शोषण से जुड़े मामले शामिल हैं. चुलिस का कहना है कि अपराधी अब एआई का उपयोग करके रियलिस्टिक डीपफेक इमेज बना रहे हैं. इसमें बच्चों की तस्वीरों को 'न्यूडिफाई' करने और उनके असली चित्रों को गलत संदर्भ में पेश करने जैसी घटनाएं शामिल हैं. कुछ मामलों में एआई की मदद से बच्चों के शोषण से जुड़े चित्रों को व्यावसायिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया है. पुलिस के लिए असली और एआई-जनित (फर्जी) सामग्री के बीच अंतर करना मुश्किल हो रहा है.
मंगल ग्रह के 4.45 अरब साल पुराने क्रिस्टल में मिला पानी का प्रमाण
एक हालिया अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि 'ब्लैक ब्यूटी' नामक उल्कापिंड में पाए गए 4.45 अरब साल पुराने मंगल ग्रह के क्रिस्टल से यह संकेत मिलता है कि मंगल पर उसकी शुरुआती अवस्था से ही पानी मौजूद था. इस क्रिस्टल में हॉट वॉटर सिस्टम (हाइड्रोथर्मल प्रक्रिया) के प्रमाण मिले हैं, जिसे जिरकॉन कहा जाता है. यह वही प्रक्रिया है जो पृथ्वी पर मैग्मा और पानी के संपर्क में आने से होती है. अध्ययन में पाया गया कि मंगल की सतह पर उस समय गर्म पानी मौजूद था, जब ग्रह का निर्माण हो रहा था. यह प्रक्रिया प्री-नोआचियन युग की है, जब मंगल पर संभावित रूप से महासागर हो सकते थे.
बिल क्लिंटन की आत्मकथा: छिपाया ज्यादा, बताया कम
बिल क्लिंटन की नई आत्मकथा 'सिटीजन' बाजार में आ गई है और अब इस पर प्रेस ने रिव्यू छापने भी शुरू कर दिए हैं. 'द गार्डियन' ने इस किताब का रिव्यू करते हुए लिखा है- '42वें राष्ट्रपति की नई किताब स्मृतियों की एक लंबी यात्रा है, जो कभी अपनी मंज़िल तक नहीं पहुँचती.' इसमें बिल क्लिंटन ने राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्ति के बाद की ज़िंदगी बयां की है. इस पुस्तक में उन्होंने व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद के 23 वर्षों के अनुभव साझा किए हैं, जिसमें उनके परोपकारी कार्य, व्यक्तिगत जीवन, और ऐतिहासिक घटनाओं में उनकी भूमिका शामिल है.
'द गार्डियन' ने लिखा है- 'कांग्रेस ने डोनाल्ड ट्रम्प पर दो बार महाभियोग चलाया. उनकी कानूनी समस्याएं क्लिंटन की तुलना में कहीं अधिक व्यापक हैं. फिर भी, प्रतिध्वनियां हैं. पुराने दिनों में, क्लिंटन और ट्रम्प ने एक साथ गोल्फ खेला, दोनों एक टैब्लॉइड फिक्स्चर थे. क्लिंटन ने जेफरी एप्सटीन से भी मुलाकात की. अखबार ने लिखा है कि 464 पेज की यह किताब यादों के गलियारे में एक लंबी सैर है जो कभी भी वांछित गंतव्य तक नहीं पहुंचता है. यह बहुत ज़्यादा है, बहुत कम है, बहुत देर है- सब एक ही बार में.' बता दें कि क्लिंटन उन तीन अमेरिकी राष्ट्रपतियों में से एक हैं, जिन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ा. यह कार्रवाई उनके व्हाइट हाउस इंटर्न मोनिका लेविंस्की के साथ अवैध यौन संबंधों और इस पर शपथ के तहत झूठ बोलने के कारण हुई थी.
चलते चलते: भारतीय भिक्षु जिसने चीनियों को समझाया बौद्ध धर्म
ऐसे समय में जब राष्ट्र-राज्यों, राष्ट्रीय सीमाओं और पहचान पत्रों की अवधारणाएं मौजूद नहीं थीं, उत्तर पश्चिम चीन में गोबी रेगिस्तान में दुनहुआंग का नखलिस्तान शहर चार महान संस्कृतियों का मिश्रण था, जिनमें चीनी, भारतीय, ग्रीक और फारसी शामिल थी. दूर-दूर से व्यापारी, यात्री, विद्वान, भिक्षु, मिशनरी इस शहर तक पहुंचने के लिए प्रतिकूल परिदृश्यों और खराब मौसम का सामना करते थे, जो अंततः मध्य एशिया में बौद्ध धर्म का केंद्र बन गया. यात्रा करने वालों में धर्मक्षेम नाम का एक भारतीय बौद्ध भिक्षु भी था.
मध्य भारत के रहने वाले धर्मक्षेम ने 5वीं शताब्दी में महत्वपूर्ण बौद्ध ग्रंथों का चीनी भाषा में अनुवाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इन ग्रंथों ने महायान बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को चीन में लोकप्रिय बनाया. धर्मक्षेम की विद्वत्ता और अनुवाद कार्य ने भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को मजबूत किया. 'स्क्रॉल' के लिए अपने लेख में अजय कमलाकरण लिखते हैं कि कैसे धर्मक्षेम की 5वीं सदी में की गई मेहनत ने बौद्ध धर्म के अध्ययन और अभ्यास को चीन में गहराई दी. चीन में आज भी धर्मक्षेम के काम महत्वपूर्ण माने जाते हैं. बौद्ध धर्म प्राचीन रेशम मार्ग के माध्यम से भारत से चीन तक फैल गया था और चौथी शताब्दी ईस्वी में देश में फल-फूल रहा था. जब यह बात भारत में वापस आई कि चीन में बौद्ध सिद्धांतों की गहरी समझ की मांग हो रही है, तो धर्मक्षेम को पता था कि वह मदद करने वाला व्यक्ति था. कमलाकरण लिखते हैं कि रॉबर्ट ई बसवेल जूनियर और डोनाल्ड एस लोपेज जूनियर द्वारा संपादित प्रिंसटन डिक्शनरी ऑफ बौद्ध धर्म में कहा गया है, "वाक्पटुता और बुद्धिमत्ता दोनों से संपन्न, धर्मक्षेम को मठवासी और धर्मनिरपेक्ष दोनों मामलों में व्यापक रूप से समझ थी और वह मुख्यधारा के बौद्ध ग्रंथों में पारंगत था."
धर्मक्षेत्र के बारे में जो कुछ भी ज्ञात है, वह पूर्वी एशियाई धर्मों के प्रोफेसर जिंहुआ चेन के शोध में है. चेन कनाडा के वैंकूवर में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं. चेन ने अपने सहयोगियों के साथ, भिक्षु दाओलांग द्वारा धर्मक्षेम की जीवनी का अनुवाद किया. दाओलांग ने लिखा, "भारतीय श्रमण तन्मोचेन (धर्मक्षेम) मध्य भारत के मूल निवासी थे और एक ब्राह्मण परिवार के वंशज थे." आज के लिए इतना ही.
हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.