25/03/2025 : कामरा की पैरोडी पर बवाल | जस्टिस वर्मा पर महाभियोग की मांग | भाजपा के बाद किसान आप से नाराज़ | किरण बेदी ने करवाई अपनी बेटी की जासूसी | रामभद्राचार्य के बाद ज्ञानपीठ का मतलब
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां
आरएसएस ने “एक राष्ट्र- एक संस्कृति” की टेर लगाई
नागपुर हिंसा, खान के घर पर बुलडोजर चला
पांच चुनावों में 3,861 करोड़ रुपये खर्च, अकेले भाजपा ने किये 45% खर्च
8 सीपीएम कार्यकर्ताओं को आजीवन कारावास की सजा
अमेरिका में एफ-1 वीज़ा अस्वीकृतियों का नया रिकॉर्ड
राहुल गांधी की नागरिकता पर अदालत ने केंद्र को चार सप्ताह का वक़्त दिया
बुलेट ट्रेन की गैन्ट्री रेलवे लाइन पर गिरी
टैरिफ पर ट्रम्प चाल के बाद अब चीन की तरफ देखता भारत का व्यापार
बलूचिस्तान में खूनी बग़ावत ने पकड़ी रफ्तार
कामेडियन की पैरोडी, नेता की तिलमिलाहट
शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने कॉमेडी क्लब "द हैबिटेट" में की तोड़फोड़, कॉमेडियन कुणाल कामरा के एकनाथ शिंदे पर मजाक से थे आहत
रविवार को मुंबई के खार इलाके में उस कार्यक्रम स्थल कॉमेडी क्लब "द हैबिटेट" पर एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ की, जहां कॉमेडियन कुणाल कामरा ने कथित तौर पर उपमुख्यमंत्री के बारे में मजाक किया था. रविवार को यूट्यूब पर साझा किए गए मजाक के वीडियो में, कामरा ने एक हिंदी फिल्म के गाने को बदलकर शिंदे को “गद्दार” कहकर संबोधित किया. कामरा 2022 में शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के खिलाफ शिंदे की बगावत और महाराष्ट्र की समग्र राजनीतिक स्थिति का जिक्र कर रहे थे. इस मामले में कामरा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें शिंदे सेना के विधायक मुरजी पटेल ने शिकायत दर्ज कराई थी. पटेल ने कामरा से दो दिनों के भीतर एकनाथ शिंदे से माफी मांगने की मांग की, अन्यथा शिवसैनिक उन्हें मुंबई में खुलकर घूमने नहीं देंगे, ऐसी धमकी भी दी गई है. तोड़-फोड़ के लिए शिंदे सेना के युवा विंग के महासचिव और 19 अन्य लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है. तोड़-फोड़ के बाद, कॉमेडी क्लब "द हैबिटेट" ने कहा कि वे इस हमले से "बेहद टूटे" हुए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कलाकार अपने विचारों और रचनात्मक विकल्पों के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कामरा के तरीके की निंदा की, यह कहते हुए कि बड़े नेताओं को जान-बूझकर अपमानित करने का प्रयास सहन नहीं किया जाएगा और कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे ने स्थल पर हुए हमले को कायरता बताया, जबकि उद्धव ठाकरे ने कहा कि "गद्दार को गद्दार कहना किसी पर हमला नहीं है."
मैं इस भीड़ से नहीं डरता
दिनभर के घटनाक्रम के बाद कामरा ने “एक्स” पर कहा, “मैंने जो कहा, वह बिल्कुल वही है, जो अजित पवार (फर्स्ट डिप्टी सीएम) ने एकनाथ शिंदे (सेकंड डिप्टी सीएम) के बारे में कहा था. मैं इस भीड़ से नहीं डरता और अपने बिस्तर के नीचे छिपकर इस विवाद के शांत होने का इंतजार नहीं करूंगा. लेकिन वेन्यू (हेबिटेट) मेरी कॉमेडी के लिए जिम्मेदार नहीं है, न ही उसके पास इस बात का कोई कंट्रोल है कि मैं क्या कहता या करता हूं. वेन्यू पर हमला करना उतना ही मूर्खतापूर्ण है, जितना टमाटर ले जा रहे ट्रक को पलटना, क्योंकि आपको परोसा गया बटर चिकन पसंद नहीं आया.
इस बीच कामरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने उनसे फोन पर पूछताछ की, जिसमें स्टैंडअप कॉमेडियन ने कहा कि मुझे अपने पैरोडी सॉन्ग पर कोई पछतावा नहीं है. मैं माफी नहीं मांगूगा. लेकिन कोर्ट के कहने पर ऐसा कर सकता हूं. इस बीच बृहन्मुंबई नगर निगम भी तुरंत हरकत में आ गई और मुंबई के हैबिटेट स्टूडियो की कथित अनाधिकृत संरचनाओं को ध्वस्त करना शुरू कर दिया. कामरा ने इसी स्टूडियो में पैरोडी सॉन्ग की शूटिंग की थी. तोड़-फोड़ की घटना के बाद कामरा ने भारतीय संविधान की एक प्रति पकड़े हुए अपनी एक फोटो साझा की, जिसके कैप्शन में लिखा था- “आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता.”
जो कहा और सुनाया...
कुणाल कामरा ने कहा था कि जज के ऑर्डर में लिखा है, जो इन्होंने महाराष्ट्र के इलेक्शन में किया है. उसके बारे में तो बोलना पड़ेगा. कामरा ने इसके बाद कहा कि शिवसेना बीजेपी से बाहर आ गई फिर शिवसेना शिवसेना से बाहर आ गई. एनसीपी-एनसीपी से बाहर आ गई. एक वोटर को नौ बटन दे दिए. सब कंफ्यूज हो गए. चालू एक जन (व्यक्ति) ने किया था. मुंबई में एक बहुत बढ़िया डिस्ट्रिक्ट है ठाणे, वहां से आते हैं. फिर इसके बाद कुणाल कामरा एक फिल्मी गाने की धुन पर यह पैरोडी सुनाते हैं, जो इस वीडियो में 34.30 मिनट पर है. हालांकि शिंदे का नाम भी कुणाल ने नहीं लिया, पर खुद शिंदे और उनकी शिव सेना को भी यह समझ में आ गया कि ये शिंदे के बारे में भी है.
ठाणे की रिक्शा...ठाणे की रिक्शा, चेहरे पे दाढ़ी, आंखों में चश्मा हाय...
ठाणे की रिक्शा, चेहरे पे दाढ़ी, आंखों में चश्मा हाय...
एक झलक दिखलाए कभी गुवाहाटी में छिप जाए...
मेरी नजर से तुम देखो गद्दार नजर वो आए…
ठाणे की रिक्शा, चेहरे पे दाढ़ी, आंखों में चश्मा हाय…
मंत्री नहीं वो दलबदलू है और कहा क्या जाए...
जिस थाली में खाए उसमें ही छेद कर जाए...
मंत्रालय से ज्यादा फडणवीस की गोदी में मिल जाए...
तीर कमान मिला है इसको बाप मेरा ये चाहे...
ठाणे की रिक्शा...ठाणे की रिक्शा, चेहरे पे दाढ़ी, आंखों में चश्मा हाय...
सहिष्णुता का यू टर्न... मोदी ने एक हफ्ते पहले ही ये कहा था...
“द टेलीग्राफ” में श्रीरूपा दत्ता ने लिखा है कि राजनीति में एक सप्ताह लंबा समय होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 मार्च को लेक्स फ्रीडमैन के साथ बातचीत में कहा था कि आलोचना "लोकतंत्र की आत्मा" है. इंटरव्यू में मोदी ने आलोचना का स्वागत किया, इसे प्रोत्साहित किया और यहां तक कि शास्त्रों का उल्लेख करते हुए आलोचकों को अपने पास रखने (निंदक नियरे राखिये) की बात कही. लेकिन... 23 मार्च को मुंबई में “सहिष्णुता ने यू-टर्न” ले लिया और शिंदे पर मजाक ने कामरा को मुश्किल में डाल दिया. कुल मिलाकर, हमारे लिए जो सीख है, वह यह कि :- आलोचना, खासकर जब यह सत्ता के करीब पहुंचती है, तो इसके साथ भारी नतीजे भी आते हैं.
कामरा से लेकर फ़ारूकी और तन्मय भट्ट तक...
बार-बार भारतीय कॉमेडियनों को उन राजनेताओं से विरोध का सामना करना पड़ा है, जो मजाक सहन नहीं कर पाते. सेंसरशिप से लेकर कानूनी धमकियों तक, कॉमेडियनों को सत्ता की आलोचना के लिए दंडित किया गया है. यहां ऐसे कुछ कॉमेडियनों की सूची दी गई है:
मुनव्वर फारूकी : जनवरी 2021 में इंदौर में एक स्टैंड-अप परफॉर्मेंस के दौरान मुनव्वर फारूकी को हिंदू देवताओं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. उन्हें एक महीने जेल में बिताना पड़ा और कई शो रद्द कर दिए गए.
वीर दास : 2021 में 'टू इंडियाज' नामक उनके मोनोलॉग ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक माहौल पर प्रकाश डाला, जिससे विवाद हुआ. इसमें उन्होंने महिलाओं की पूजा और उनके साथ अपराधों की ओर इशारा किया, जिसके कारण कई एफआईआर दर्ज हुईं.
अग्रिमा जोशुआ : 2020 में छत्रपति शिवाजी महाराज पर मजाक करने के लिए उन्हें धमकियां मिलीं. उन्हें माफी मांगने और वीडियो हटाने पर मजबूर किया गया.
वरुण ग्रोवर : नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) के खिलाफ उनकी कविता “हम कागज़ नहीं दिखाएंगे ” विरोध का प्रतीक बनी. इसके कारण उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ा.
तनमय भट्ट : एआईबी के सह-संस्थापक तनमय भट्ट को 2016 के “सचिन बनाम लता सिविल वॉर” वीडियो के लिए भारी विरोध झेलना पड़ा. राजनीतिक दलों ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
पाठकों से अपील
आरएसएस ने “एक राष्ट्र- एक संस्कृति” की टेर लगाई
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने "एक राष्ट्र-एक संस्कृति" के अपने संकल्प पर जोर देते हुए लोगों से "बुद्धिमानी से" प्रतीक चुनने की अपील की है. संघ ने सवाल किया कि क्या लोग "आक्रमणकारी" औरंगज़ेब को चुनना चाहते हैं या उसके भाई दारा शिकोह को, जिसने भारतीय संस्कृति की भावनाओं का सम्मान किया था. तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) की बैठक के समापन के बाद रविवार को आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने संवाददाताओं से कहा कि 'एक राष्ट्र-एक संस्कृति' पहल का उद्देश्य "लिखित इतिहास में विकृत कथाओं को सही करना" और "संगठित और सामंजस्यपूर्ण भारत" का निर्माण करना है. बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि संघ की “विश्व दृष्टि” में आस्था रखने वाले राज्य और गैरराज्य के खिलाड़ी (स्टेट और नॉन स्टेट प्लेयर्स) अब "संगठित और सामंजस्यपूर्ण भारत" का दृष्टिकोण कैसे लागू करते हैं.
इलाहाबाद के वकील जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले के खिलाफ आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, महाभियोग की मांग की
इलाहाबाद के वकीलों ने दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रस्तावित स्थानांतरण के विरोध में मंगलवार 25 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की. एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी सोमवार को मीडिया को हड़ताल पर जाने की जानकारी देते हुए कहा कि भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करें. इसके अलावा भारत के राष्ट्रपति और केंद्र सरकार से मांग की कि नागरिक समाज के सदस्यों को भी शामिल कर महाभियोग प्रक्रिया चलाएं. साथ में इलाहाबाद तथा दिल्ली हाई कोर्टों में जस्टिस वर्मा के दिए गए सभी निर्णयों की व्यापक समीक्षा की भी मांग की है. बार एसोसिएशन का कहना है कि न्यायपालिका में जनता का विश्वास बहाल करने के लिए यह आवश्यक है. इसके अलावा भारत के चीफ जस्टिस से यह भी मांग की कि सीबीआई, ईडी और अन्य जांच एजेंसियों को इस मामले की जांच का आदेश दें.
जस्टिस वर्मा से जुड़ा विवाद 14 मार्च को उनके दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने के बाद कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने से उपजा है. हरकारा ने पिछले कुछ दिनों में इस पर लगातार कई स्टोरी कवर की है.
एफआईआर दर्ज करने के लिए जनहित याचिका दायर
सिर्फ इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने ही नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर भी जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच की मांग की गई है. तीन वकील मैथ्यूज जे नेदुम्परा, हेमाली सुरेश कुर्ने, राजेश विष्णु आद्रेकर और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट, मंशा निमेश मेहता ने इस संबंध में शीर्ष अदालत में संयुक्त रूप से जनहित याचिका दायर की है.
याचिका में कहा गया है कि कि कॉलेजियम द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति के पास 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास पर हुई घटना की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है, जहां बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) के तहत विभिन्न संज्ञेय धाराओं के तहत आग लगने से नोटों के ढेर बरामद हुए थे. समिति को इस तरह की जांच करने का अधिकार देने वाला कॉलेजियम का प्रस्ताव शुरू से ही निरर्थक है, क्योंकि कॉलेजियम खुद को ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं दे सकता, जब संसद या संविधान ने ऐसा करने का अधिकार न दिया हो.
याचिका में कहा गया है, “जब अग्निशमन बल/पुलिस ने आग बुझाने के लिए अपनी सेवाएं दीं, तो यह बीएनएस के विभिन्न प्रावधानों के तहत दंडनीय संज्ञेय अपराध बन गया और पुलिस का कर्तव्य है कि वह एफआईआर दर्ज करे. यूनियन ऑफ इंडिया वर्सेज के. वीरस्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में की गई टिप्पणियां, जिसमें कहा गया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की लिखित अनुमति के बिना किसी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है. पुलिस का कर्तव्य है कि वह संज्ञेय अपराध की सूचना मिलने पर एफआईआर दर्ज करे.”
याचिका में यह भी मांग की गई है कि सरकार को न्यायपालिका के सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए प्रभावी और सार्थक कार्रवाई करने का निर्देश देने के लिए उचित आदेश दिया जाए, जिसमें न्यायिक मानक और जवाबदेही विधेयक, 2010 को अधिनियमित करना शामिल है, जो समाप्त हो चुका है.
पंजाब बॉर्डर पर किसानों पर 'हमले' के बाद नाराज़गी
‘डर भाजपा से था, पर धोखा आप ने दिया’
गुरपिंदर सिंह को अपने 71 वर्षीय पिता, जगजीत सिंह डल्लेवाल, से बात किए चार दिन हो गए हैं. भारतीय किसान यूनियन (एकता-सिधुपुर) के नेता डल्लेवाल पिछले 115 दिनों से खनौरी बॉर्डर पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर थे, जहां वह फरवरी पिछले साल से डेरा डाले हुए थे. इसी तरह, ईशप्रीत सिंह को भी अपने पिता, 68 वर्षीय किसान नेता इंदरजीत सिंह घनइया, से बात किए चार दिन हो चुके हैं. घनइया भी पिछले एक साल से खनौरी बॉर्डर पर मौजूद थे. 19 मार्च को, डल्लेवाल और घनइया उन करीब 100 किसानों में शामिल थे, जिन्होंने खनौरी से चंडीगढ़ की ओर कूच किया था. राखी बोस की 'द क्विंट' के लिए रिपोर्ट है कि किसानों को लगता है कि आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने व्यापारियोंं के दबाव में आकर किसानों पर कार्रवाई करवाई है.
"किसानों को बातचीत के लिए बुलाया गया था, लेकिन इसके बजाय, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया." गुरपिंदर ने 'द क्विंट' को बताया. उन्होंने कहा कि उनके पिता को जालंधर कैंटोनमेंट में लोक निर्माण विभाग (पीडबल्यूडी ) के गेस्ट हाउस में रखा गया है. गुरपिंदर सिंह ने कहा— "हमने सुना है कि उन्होंने 20 मार्च को पानी पीना भी छोड़ दिया था और उनके डॉक्टर को उनसे मिलने नहीं दिया गया. पुलिस कहती है कि उनका इलाज हो रहा है, लेकिन हमें अभी तक उनसे कोई खबर नहीं मिली है." दूसरी ओर, घनइया के बेटे ईशप्रीत को नहीं पता कि उनके पिता किस जेल में हैं या उन्हें कब तक हिरासत में रखा जाएगा. घनइया उन 700 किसानों में से एक हैं, जिन्हें पंजाब पुलिस ने हरियाणा-पंजाब सीमा पर शंभु और खनौरी में प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं पर की गई कार्रवाई के बाद हिरासत में लिया है.
भारतीय किसान यूनियन (एकता-सिधुपुर) के सदस्य बाना बराड़, जो 19 मार्च को खनौरी में विरोध प्रदर्शन में मौजूद थे, ने कहा कि यह एक "घात" (अचानक हमला) था. वह खनौरी में कुछ गिने-चुने किसान नेताओं में से हैं, जो "जब हजारों पुलिसकर्मी जेसीबी मशीनों के साथ आए" और किसानों को हटाना शुरू किया, तब गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहे. बराड़ ने बताया, "पुलिस ने सैकड़ों किसानों को जबरदस्ती वहां से हटा दिया, जो अस्थायी ट्रॉलियों में रह रहे थे और लगभग 3 किलोमीटर तक हाईवे को अवरुद्ध किए हुए थे. कुछ लोग पास के खेतों में भागने में कामयाब रहे, लेकिन अधिकांश को जबरन हिरासत में लेकर वैन में भर दिया गया."
किसान नेता अभिमन्यु सिंह कोहड़, जिन्हें बाद में हिरासत में ले लिया गया, ने बैठक से एक दिन पहले बताया था कि पहले यह बैठक शाम 5 बजे होनी थी. 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, जिसमें खनौरी प्रदर्शन के वरिष्ठ नेता जैसे सरवन कुमार पंधेर, काका कोटरा, कोहड़ और मंजीत सिंह राय शामिल थे, ने किसानों का पक्ष रखने के लिए बैठक में भाग लिया. डल्लेवाल खुद एम्बुलेंस से बैठक में पहुंचे थे. बैठक लगभग चार घंटे चली. बीकेयू (ईएस) के सदस्यों ने बताया कि बैठक के दौरान, किसानों की मुख्य मांग, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी पर चर्चा के लिए एक संयुक्त सचिव को नियुक्त किया गया. अगली बातचीत के लिए 4 मई की तारीख तय की गई, लेकिन बैठक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची. और जैसे ही नेता बैठक खत्म कर चंडीगढ़ से लौट रहे थे, पंजाब पुलिस ने मोहाली में उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
बीकेयू (ई-एस) के नेता गुरदीप सिंह ने कहा, "गिरफ्तारियां पहले से तय लग रही थीं. पुलिस ने हर एक किलोमीटर की दूरी पर बैरिकेड्स लगा रखे थे. यह साफ था कि उन्होंने किसी भी वाहन को भागने से रोकने के लिए पूरी तैयारी कर रखी थी."
"आप और बीजेपी दोनों ने हमें धोखा दिया"
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के नेता पलविंदर सिंह महल ने 'द क्विंट' से बात करते हुए कहा, "आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) दोनों ने किसानों के साथ सबसे बुरा विश्वासघात किया है. पहले केंद्र ने नेताओं को शांतिपूर्ण बातचीत के लिए बुलाया और फिर आप ने उन्हें गिरफ्तार करवा दिया. यह पीठ में छुरा घोंपने जैसा है."
किसानों पर इस कार्रवाई ने आम आदमी पार्टी (AAP) की राजनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, ने आप पर बीजेपी की "बी-टीम" होने का आरोप लगाया है. बीकेयू (E-S) के वरिष्ठ नेता दलबर सिंह और गुरदीप सिंह को लगता है कि आप और भगवंत मान सरकार का किसानों के प्रति रुख में बदलाव, पार्टी को दिल्ली में हुए नुकसान का नतीजा है. उन्होंने आरोप लगाया कि गिरफ्तारियां, आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल को पंजाब से राज्यसभा में निर्वाचित कराने के लिए बनाई गई योजना का हिस्सा थीं. आप ने अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को लुधियाना वेस्ट विधानसभा उपचुनाव के लिए मैदान में उतारा है, जो आने वाले हफ्तों में होने की उम्मीद है. यह सीट आप के विधायक गुरप्रीत सिंह गोगी की रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मौत के बाद खाली हुई थी.
दलबर ने आरोप लगाया, "पार्टी खुद को किसानों के प्रति सख्त दिखाकर लुधियाना के शहरी सीट के मध्यवर्ग और व्यापारी वर्ग के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है." कार्रवाई से पहले, केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ 17 मार्च को लुधियाना का दौरा किया था और होटल रैडिसन में व्यापारियों के समुदाय के साथ बैठक की थी. करीब 400 व्यापारी और व्यवसायी इस बैठक में शामिल हुए थे. सूत्रों के अनुसार, पंजाब में आप सरकार के करीब रहने वाले व्यापारियों ने केजरीवाल को चेतावनी दी थी कि अगर सरकार किसानों के मुद्दे को हल करने में विफल रही, तो इसका राजनीतिक खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
नागपुर हिंसा, खान के घर पर बुलडोजर चला : नागपुर हिंसा के कथित मास्टरमाइंड फहीम खान के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया है. हिंसा के एक हफ्ते बाद आखिरकार जेसीबी निकली और खान का घर गिरा दिया गया. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने “बुलडोजर एक्शन” की बात कही भी थी. हालांकि यह मकान खान की माँ के नाम रजिस्टर्ड था. इसके अलावा, जोहरीपुरा इलाके में एक अन्य आरोपी यूसुफ शेख की संपत्ति के कुछ अवैध हिस्से को भी ध्वस्त कर दिया गया.
कुलपति के अयोध्या पर भाषण की आलोचना करने पर छात्रा निलंबित : दिल्ली स्थित डॉ. बी.आर. अंबेडकर विश्वविद्यालय (एयूडी) ने एक छात्रा को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया है. यह कार्रवाई कुलपति प्रो. अनुराधा लठर के भाषण की आलोचना करने के आरोप में की गई है. छात्रा, जो ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) की सदस्य भी है, को न केवल वर्तमान शीतकालीन सेमेस्टर से बाहर कर दिया गया है, बल्कि इस अवधि में कैंपस में प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है. विवाद की जड़ कुलपति लठर का 26 जनवरी के भाषण है, जिसमें उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन को "525 साल पुराना" बताते हुए मंदिर निर्माण की सराहना की और डॉ. अंबेडकर को "केवल दलितों का नहीं, राष्ट्रीय प्रतीक" बनाने की बात कही. विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने बचाव में कहा कि प्रॉक्टोरियल बोर्ड "निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया" का पालन करता है. कुलपति लठर ने भी अपने बयान पर कायम रहने की बात कही. वहीं, छात्रा ने आरोप लगाया कि यह निलंबन उसकी डिग्री और भविष्य को नुकसान पहुंचाने की साजिश है.
पांच चुनावों में 3,861 करोड़ रुपये खर्च, अकेले भाजपा ने किये 45% खर्च : सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के एक अध्ययन में सिर्फ 2024 के लोकसभा चुनावों में करीब 1.35 लाख करोड़ रुपये का खर्च का अनुमान लगाया गया था. मगर चुनाव आयोग के पास 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ इसी साल आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टियों द्वारा किये गये खर्च का आधिकारिक आंकड़ा मौजूद है. आइए देखते हैं, वह क्या बताता है? कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) ने चुनाव आयोग से मिली जानकारी के आधार पर हाल ही में एक अध्ययन किया है. उससे पता चलता है कि राजनीतिक दलों ने सत्ता की लड़ाई में किस तरह से अपनी तिजोरी खोल दी थी. इन आधिकारिक आंकड़ों के अध्ययन के अनुसार, चुनाव खर्च के लिए केवल 22 राजनीतिक दलों के पास 18,742.31 करोड़ रुपये थे. इस बड़े राजनीतिक आयोजन में कुल 3,861.57 करोड़ रुपए खर्च किए गए. भाजपा ने सबसे अधिक 1,737.68 करोड़ रुपए खर्च किए, जो अकेले कुल खर्च का 45% से भी अधिक है. विशेष रूप से दान की बात करें तो 7,416.31 करोड़ रुपए जुटाए गए, जिसमें भाजपा को कुल राशि का 84.5% हिस्सा मिला.
8 सीपीएम कार्यकर्ताओं को आजीवन कारावास की सजा : 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' की खबर है कि कन्नूर के थलास्सेरी जिला सत्र न्यायालय ने सोमवार को मुझप्पिलांगड के भाजपा कार्यकर्ता एलंबिलाय सूरज की 2005 में हत्या के मामले में आठ सीपीएम कार्यकर्ताओं को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. सत्र न्यायालय के न्यायाधीश के.टी. निसार अहमद ने 11वें आरोपी को तीन साल की सजा सुनाई, जबकि दसवें आरोपी नागथनकोटा प्रकाशन को एक प्रमुख गवाह के मुकर जाने के कारण बरी कर दिया गया. 7 अगस्त 2005 को हुई यह हत्या राजनीतिक दुश्मनी के चलते हुई थी, जब सूरज ने सीपीएम छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली थी. विशेष अभियोजक पी. प्रेमराजन के अनुसार, आरोपियों ने पहले सूरज पर बम फेंका और फिर कुल्हाड़ी और चाकुओं से उसकी नृशंस हत्या कर दी. सूरज पर हत्या से छह महीने पहले भी सीपीएम कार्यकर्ताओं ने हमला किया था, जिससे उनके पैर में गंभीर चोट आई थी और उन्हें महीनों तक बिस्तर पर रहना पड़ा. ठीक होने के बाद जब वह अस्पताल से डिस्चार्ज हुए, तो उन पर दोबारा हमला किया गया और उनकी हत्या कर दी गई.
अमेरिका में एफ-1 वीज़ा अस्वीकृतियों का नया रिकॉर्ड : 'द इंडियन एक्सप्रेस' के लिए अभिनय हरिगोविंद की रिपोर्ट है कि अमेरिका में छात्रों के लिए एफ-1 वीज़ा (अकादमिक पढ़ाई के लिए) की अस्वीकृति दर 2023-24 में पिछले 10 सालों में सबसे ज़्यादा रही. इस दौरान कुल 6.79 लाख आवेदनों में से 2.79 लाख (41%) वीज़ा आवेदन खारिज कर दिए गए, जबकि 2022-23 में यह दर 36% थी. भारतीय छात्रों के लिए भी स्थिति मुश्किल हुई है. साल 2024 के पहले नौ महीनों में भारतीय छात्रों को दिए गए वीज़ा की संख्या 38% कम हो गई. अब भारतीय छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों में सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय छात्र समूह बन गए हैं, जिन्होंने चीनी छात्रों को पीछे छोड़ दिया है. दूसरी तरफ, कनाडा और यूके जैसे देशों ने भी विदेशी छात्रों की संख्या सीमित करने के लिए नए कड़े नियम लागू किए हैं.
दिल्ली में बढ़ेंगी बिजली की दरें : दिल्ली के बिजली मंत्री आशीष सूद ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में सोमवार को कहा कि राज्य में बिजली की कीमतें बढ़ सकती हैं. इसके लिए पिछली आप सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के माध्यम से बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर छोड़े गए 27,000 करोड़ रुपया कर्ज है. सूद ने आप विधायक इमरान हुसैन के बिजली टैरिफ बढ़ोतरी पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि डिस्कॉम को बकाया राशि वसूलने के लिए दरें बढ़ाने का अधिकार है.
राहुल गांधी की नागरिकता पर अदालत ने केंद्र को चार सप्ताह का वक़्त दिया : सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने केंद्र को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ दोहरी नागरिकता मामले पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया, जबकि केंद्र आठ सप्ताह का वक़्त चाहता था. अदालत ने आगे की सुनवाई के लिए 21 अप्रैल की तारीख तय की है. कर्नाटक के वकील और भाजपा सदस्य एस विग्नेश शिशिर ने पिछले साल जुलाई में याचिका दायर कर दावा किया था कि राहुल के पास ब्रिटिश नागरिकता भी है. याचिकाकर्ता ने राहुल की भारतीय नागरिकता रद्द करने और उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने की मांग की है.
बुलेट ट्रेन की गैन्ट्री रेलवे लाइन पर गिरी : 'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर है कि रविवार रात अहमदाबाद में बुलेट ट्रेन लाइन के खंभों के बीच कंक्रीट गार्डर लगाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक विशाल गैन्ट्री अपने स्थान से फिसलकर गिर गई, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में अहमदाबाद से होकर गुजरने वाली कम से कम 51 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं. राहत की बात यह रही कि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ. पश्चिम रेलवे के अहमदाबाद मंडल ने बताया कि दुर्घटना के कारण 25 ट्रेनें पूरी तरह रद्द कर दी गई हैं, जबकि 15 ट्रेनों को आंशिक रूप से रद्द किया गया है, पांच ट्रेनों का समय बदला गया है और छह ट्रेनों का मार्ग परिवर्तित किया गया है. अहमदाबाद फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज के अधिकारियों के मुताबिक, यह घटना रात करीब 10:28 बजे हुई. अधिकारियों ने बताया, “डी-मार्ट के पास वटवा रोड पर हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के तहत दो खंभों के बीच एक स्लैब लॉन्चिंग क्रेन गिर गई. सौभाग्य से इसमें कोई जनहानि नहीं हुई.” पूरी तरह रद्द की गई ट्रेनों में कर्णावती एक्सप्रेस, गुजरात क्वीन, गुजरात एक्सप्रेस और कुछ इंटरसिटी ट्रेनें शामिल हैं. आंशिक रूप से रद्द की गई ट्रेनों में शताब्दी एक्सप्रेस, मुंबई-गांधीनगर वंदे भारत, साबरमती एक्सप्रेस और शांति एक्सप्रेस शामिल हैं. पश्चिम रेलवे ने बताया कि हावड़ा एक्सप्रेस सहित पांच ट्रेनों का समय बदला गया है और ओखा-गोरखपुर एक्सप्रेस सहित छह अन्य ट्रेनों का मार्ग परिवर्तित किया गया है.
वैकल्पिक मीडिया | न्यूज लॉंड्री
किरण बेदी ने रसूख का इस्तेमाल कर दिल्ली पुलिस से अपनी ही बेटी की जासूसी करवाई!
2003 में किरण बेदी को संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना विभाग में नागरिक पुलिस सलाहकार नियुक्त किया गया था. लगभग इसी समय, किरण और उनकी बेटी साइना के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था, जो जीवन के तीसरे दशक में पहुंचने वाली थी. न्यूजलॉण्ड्री की खबर के अनुसार, किरण बेदी की बेटी साइना दिल्ली में एक विवाहित होटल व्यवसायी गोपाल सूरी के साथ रिश्ते में थी. दोनों बेईमानी से पैसा कमाने की योजना में लगे हुए थे, जिसमें ऐसे लोग शामिल थे जो अंतरराष्ट्रीय वीज़ा चाहते थे. इसके लिए उन्होंने किरण बेदी की सार्वजनिक प्रोफ़ाइल का फायदा उठाया. किरण को इन सौदों का पता था और वह इसके खिलाफ थीं. किरण को इस बात की चिंता थी कि अगर साइना की जाँच की गई, तो उनके भविष्य को जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई नहीं की जा सकेगी.
चूँकि वह तब संयुक्त राष्ट्र में अपनी पोस्टिंग के लिए न्यूयॉर्क में थीं, इसलिए दिल्ली में बेटी पर नज़र रखने के लिए उन्होंने अपने दोस्तों और सहकर्मियों के एक समूह से मदद ली. किरण और इन लोगों के बीच ईमेल के आदान-प्रदान से पता चलता है कि तब साइना और गोपाल की चाल पर नजर रखने के लिए किरण ने दिल्ली पुलिस के भीतर अपने आधिकारिक संबंधों का इस्तेमाल कर जोड़े पर एक आक्रामक निगरानी अभियान चलाया.
न्यूजलॉण्ड्री ने इसमें शामिल पुलिस अधिकारियों से पूछा कि क्या इस ऑपरेशन के लिए कोई औपचारिक प्राधिकरण था? लेकिन, उन्होंने जवाब नहीं दिया.
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों द्वारा किरण के कहने पर इस कार्य को अंजाम देने के लगभग दो दशक बाद, न्यूजलॉण्ड्री को किरण और उनके विश्वासपात्रों और निगरानी अभियान में शामिल पुलिस अधिकारियों के बीच आदान-प्रदान किए गए सैकड़ों ईमेल की प्रतियाँ मिली हैं. एक निजी जासूसी एजेंसी की रिपोर्ट भी मिली है, जिसे साइना और गोपाल का पीछा करने के लिए नियुक्त किया गया था, साथ ही 20 से अधिक कैसेट टेप भी मिले हैं, जिनमें 30 घंटे की रिकॉर्डिंग है. ईमेल और टेप से जो बात सामने आई है, वह सबूतों का एक ऐसा जखीरा है, जो बताता है कि एक प्रतिष्ठित पुलिस अधिकारी ने एक घिनौने निजी मामले को निपटाने के लिए अपनी शक्ति और प्रभाव का इस्तेमाल किया. निगरानी अभियान ने किरण की बेटी और बेटी के साथी की निजता का भी उल्लंघन किया. इसके अलावा, भले ही ऑपरेशन में शामिल पुलिस अधिकारियों को इस जोड़े द्वारा अपने वीजा व्यवसाय के लिए अपनाए गए संदिग्ध तरीकों के बारे में पता था, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने उनके खिलाफ कोई भी कानूनी कार्रवाई करने से औपचारिक रूप से परहेज किया. इस बीच, एक ईमेल के अनुसार, ऑपरेशन से 2003 में एक स्विस राजनयिक के यौन उत्पीड़न के बारे में संभावित सुराग मिला. इस सुराग को उत्पीड़न की जांच करने वालों को कभी नहीं बताया गया.
टैरिफ पर ट्रम्प चाल के बाद अब चीन की तरफ देखता भारत का व्यापार
'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर है कि भारत पर अमेरिकी टैरिफ के खतरे के बीच, भारत गैर-व्यापारिक बाधाओं को कम करने और चीनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आसान बनाने पर विचार कर रहा है. निवेश के मोर्चे पर, इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि भारत अब चीन से निवेश प्रवाह की अनुमति देने के लिए अधिक खुला है, इससे दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार घाटे की भरपाई हो सकती है. भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव में कुछ कमी के साथ, नीति-निर्माता अब द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को बेहतर बनाने के लिए अधिक खुले नजर आ रहे हैं. इसे एक उपयुक्त समय के रूप में देखा जा रहा है, खासकर जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत पर टैरिफ कम करने और वाशिंगटन द्वारा तय शर्तों को मानने के लिए दबाव डाल रहे हैं. विभागों के बीच उन कुछ प्रतिबंधों को कम करने या बेअसर करने के लिए चर्चाएं हो रही हैं, जो 2020 में गलवान संघर्ष के बाद व्यापार और निवेश पर लागू किए गए थे. कुछ प्रस्तावों को उद्योग की मांगों के कारण बल मिला है, जिनमें चीनी कर्मियों के लिए वीजा प्रतिबंधों में ढील देना और चीन से आयातित खेपों पर कुछ टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाना शामिल है. कुछ चीनी ऐप्स को फिर से अनुमति दी जा सकती है. उड़ानों की बहाली और चीनी विद्वानों को वीजा जारी करने के प्रस्ताव पहले से ही विचाराधीन हैं. सरकार के भीतर इस बात पर आंतरिक बहस हो रही है कि व्यापार और गैर-व्यापार बाधाओं को हटाना भारतीय उद्योग की मांग है, विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों के क्षेत्र से. इसके अलावा, सरकार चीनी श्रमिकों/तकनीशियनों के लिए वीजा नीति में ढील दे सकती है, जो भारी बुनियादी ढांचा उपकरणों के आयात और उनकी स्थापना तथा संचालन से जुड़े हैं. पिछले कुछ वर्षों में, भारत सरकार ने भारत में काम करने वाले चीनी व्यक्तियों के लिए वीजा विस्तार की समीक्षा प्रक्रिया को कड़ा कर दिया था.
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2023-24 में 118.40 बिलियन डॉलर था. नवीनतम ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के आंकड़ों के अनुसार, चीन दो साल के अंतराल के बाद फिर से अमेरिका को पछाड़कर भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार बन गया है. हालांकि व्यापार की मात्रा 2020 के बाद से तेजी से बढ़ी है, लेकिन इससे भारत के किसी भी देश के साथ सबसे बड़े व्यापार घाटे का सामना करना पड़ा है. 2023 में यह घाटा 83 बिलियन डॉलर को पार कर गया. भारतीय निर्यातकों को चीन में गैर-टैरिफ बाधाओं की एक श्रृंखला का सामना करना पड़ता है, जो भारतीय कृषि और फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए बाजार पहुंच को सीमित करता है. भारत की ओर से कोई ढील देने से नई दिल्ली को अपने सामान के लिए अधिक पहुंच की मांग करने में लाभ मिल सकता है.
बलूचिस्तान में खूनी बग़ावत ने पकड़ी रफ्तार
23 वर्षीय कामरान हसन, जो इस्लामाबाद में चार्टर्ड एकाउंटेंट था, अचानक जून में गायब हो गया. पिता मोहम्मद अकरम को उसका फोन आया : "मैं पहाड़ों में जा रहा हूँ." यह संकेत था कि कामरान बलूच उग्रवादी समूह बीएलए में शामिल हो गया. उसकी कहानी बलूचिस्तान के हज़ारों युवाओं की तरह है, जो पाकिस्तानी सेना के दमन और संसाधनों के शोषण के विरोध में हथियार उठा रहे हैं. हन्ना एलिस-पीटर्सन और शाह मीर बलोच ने 'द गार्डियन' के लिए अपनी रिपोर्ट में बलूचिस्तान में चल रहे विद्रोह की जड़ों को टटोला है.
1948 में पाकिस्तान में जबरन विलय के बाद से बलूचिस्तान में विद्रोह चला आ रहा है. 2000 के दशक में बीएलए जैसे समूहों ने स्वतंत्रता के लिए संगठित हिंसा शुरू की. हाल के वर्षों में हमलों की तीव्रता बढ़ी है—रेलवे ट्रेन हाईजैकिंग, आत्मघाती हमले, और सैन्य ठिकानों पर धावे आम हो गए हैं. 2024 में अब तक बीएलए ने 302 हमलों की ज़िम्मेदारी ली, जिनमें क्वेटा रेलवे स्टेशन पर बमबारी भी शामिल है, जहाँ 26 लोग मारे गए.
शिक्षित मध्यवर्गीय युवाओं का उग्रवाद की ओर झुकाव चिंताजनक है. बीएलए टिकटॉक, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स पर हमलों के वीडियो और प्रेस विज्ञप्तियाँ पोस्ट करता है, जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलती है. पाकिस्तानी सेना द्वारा "गायब" करने, यातना देने और न्यायेतर हत्याओं ने आक्रोश बढ़ाया है. 2009 से अब तक 1,500 लोगों के शव मिले हैं, जबकि 6,000 लापता हैं. युवा इन्हीं ज़ुल्मों के खिलाफ विद्रोह में शामिल हो रहे हैं. तालिबान की वापसी के बाद बीएलए को अफगानिस्तान में आश्रय और प्रशिक्षण मिल रहा है. कमांडर-इन-चीफ बशीर ज़ैब अफगानिस्तान से संचालन करते हैं, जबकि पाकिस्तानी तालिबान से सहयोग की आशंकाएँ हैं.
चलते चलते
अपूर्वानंद : रामभद्राचार्य को पुरस्कृत करने के बाद ज्ञानपीठ से घिन आनी चाहिए थी…
जीवित रचनाकारों में विनोद कुमार शुक्ल शीर्ष लेखकों में शामिल हैं. इन्हें ज्ञानपीठ मिलना खुश करने वाली खबर है और लोग खुशी जाहिर कर रहे हैं, जिन्होंने पिछले साल रामभद्राचार्य को यह पुरस्कार मिलने पर कोई आलोचना नहीं की थी, वह भी. दिल्ली विश्वविद्यालय मे हिंदी के प्रोफेसर अपूर्वानंद का सत्य हिंदी में ताजा आलेख इसी पर है कि किसी के लिए अब कुछ भी वर्जित नहीं है.
उनका कहना है, ‘पिछले साल ज्ञानपीठ ने स्वामी रामभद्राचार्य और गुलज़ार को संयुक्त रूप से पुरस्कृत किया. यह ऐसा निर्णय था जिससे साहित्यिक समाज में घिन पैदा होनी चाहिए थी. रामभद्राचार्य को लेखक के रूप में नहीं जाना जाता. आज के अन्य हिंदू आध्यात्मिक नेताओं की तरह ही वे अपने मुसलमान और दलित विरोधी वक्तव्यों के कारण प्रसिद्ध हैं. भारत के सबसे बड़े मुसलमान विरोधी अभियान, यानी बाबरी मस्जिद को तोड़कर राम मंदिर बनाने के अभियान में उनकी भूमिका से सब वाक़िफ़ हैं. पिछले साल उन्हें पुरस्कार देकर ज्ञानपीठ ने घृणा, गाली गलौज और हिंसा के प्रचार को सांस्कृतिक और सर्जनात्मक क्रियाओं की पदवी प्रदान की.’
आज जीवित कुछ सबसे बड़े रचनाकारों में एक विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई है. साहित्यिक जगत में इसका स्वागत हो, यह स्वाभाविक ही है. ख़ुद विनोद कुमार शुक्ल ने अपनी ख़ुशी ज़ाहिर की है. कहा है कि उन्हें इसका ख़याल न था कि यह पुरस्कार उन्हें मिलेगा. इससे वे कुछ और लिख सकेंगे. उनके प्रशंसकों ने कहा है कि इससे ज्ञानपीठ पुरस्कार का मान बढ़ा है.
इस पुरस्कार के प्रति लेखक और उनके पाठकों की प्रतिक्रिया देखकर यह लगा कि हमारा साहित्यिक वर्ग दो गुणों से धीरे-धीरे वंचित होता दिखता है जो साहित्य से अभिन्न हैं. इनमें एक तो स्मृति है और दूसरा सामाजिक विवेक. वरना ज्ञानपीठ पुरस्कार समिति ने ठीक एक साल पहले क्या किया है, इसे भूलकर आज यह वाहवाही न की जाती. इससे यह भी पता चलता है कि हमारे समाज में कोई ऐसी नैतिक रेखा हमने नहीं खींची है, जिसका उल्लंघन करना अस्वीकार्य माना जाए. हमारे लिए नाक़ाबिले बर्दाश्त कुछ भी नहीं. पूरा लेख सत्य हिंदी पर.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.