26/01/2025: नफ़रत की पुजारन को पद्मभूषण, पुतिन जंग पर बात के लिए तैयार, फिट्जी कोचिंग मुसीबत में, अमेरिका ने सहायता पर रोक लगाई, करवाचौथ कंपलसरी करने की याचिका खारिज, गाजा में दूसरी खेप की रिहाई
हरकारा हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रौशनी ज़्यादा!
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां | 26 जनवरी 2025
पुतिन यूक्रेन युद्ध पर ट्रम्प के साथ 'बातचीत के लिए तैयार' : व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वह डोनाल्ड ट्रम्प के साथ यूक्रेन युद्ध पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं और उन दोनों की मुलाकात का यह विचार नेक है. यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने में विफल रहने पर रूस को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की ट्रम्प की धमकी के बाद अपने पहले बयान में पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रति अनुकूल लहजा अपनाया. पुतिन ने रूस के सरकारी टीवी के एक पत्रकार से कहा, "हमें वर्तमान राष्ट्रपति के साथ मिलकर काम करने की तत्परता के बारे में दिए गए बयानों पर विश्वास है. हम हमेशा इसके लिए खुले हैं और बातचीत के लिए तैयार हैं. "आज की वास्तविकताओं के आधार पर, शांत होकर बात करने के लिए हमारी मुलाकात करना बेहतर होगा." पुतिन ने ट्रम्प के साथ अपने संबंधों को "व्यावसायिक, व्यावहारिक और भरोसेमंद" बताया.
चुनाव नहीं लड़ पाएगी शेख हसीना की अवामी लीग : बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी. मुहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार महफूज आलम ने शनिवार को कहा कि बांग्लादेश समर्थक समूहों के बीच ही चुनाव लड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), जमात-ए-इस्लाम और अन्य बांग्लादेश समर्थक समूह ही देश में राजनीति कर पाएंगे. इनमें से कोई निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के जरिए सरकार बनाएगा, लेकिन इस देश में अवामी लीग के पुनर्वास को अनुमति नहीं दी जाएगी.
अदालत ने रिश्वत मामले में सिद्धारमैया को मिली क्लीन चिट स्वीकार की : बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस की ओर से दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है. इसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को क्लीन चिट दी गई है. जिन पर राज्य के एक भाजपा नेता ने बेंगलुरु टर्फ क्लब (बीटीसी) में नियुक्तियों के लिए 1.3 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था.
26/11 हमले के दोषी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण होगा : अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने 26/11 मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया है. कोर्ट ने मामले में उसकी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा याचिका खारिज कर दी है. पाकिस्तानी मूल का राणा कनाडा का नागरिक है और उस पर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले में प्रमुख भूमिका निभाने का आरोप है. भारत उसके खिलाफ मुकदमा चलाना चाहता है. 13 नवंबर को राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. फिलहाल उसको लॉस एंजिल्स के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में रखा गया है.

4 इज़रायली महिला सैनिक रिहा, 200 फिलिस्तीनी कैदी भी
‘अलजजीरा’ की खबर है कि गाजा युद्धविराम समझौते के तहत चार इज़रायली महिला सैनिकों की रिहाई हमास ने की है. यह कैदियों की अदला-बदली के दूसरे चरण का हिस्सा है. इस समझौते के तहत, इज़रायल की जेलों में बंद 200 फिलिस्तीनी कैदियों को भी रिहा किये गये. इधर इज़रायली बमबारी और निकासी की धमकियों के कारण उत्तरी गाजा से जबरन विस्थापित हुए सैकड़ों हजारों फिलिस्तीनी नागरिक युद्धविराम के दौरान अपने घरों में वापस लौटने की उम्मीद कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र ने वेस्ट बैंक के जेनिन शहर और शरणार्थी शिविर में इज़रायली सैन्य अभियान को "युद्ध जैसे" तरीकों का उपयोग करने का आरोप लगाया है. इस अभियान के दौरान, पांच दिनों में इज़रायली बलों द्वारा कम से कम 14 लोगों की जान गई है.
आरएसएस में शामिल होने का सरकारी दबाव : ‘द हिंदू’ की रिपोर्ट है कि सीधी जिले के मझौली स्थित एक सरकारी कॉलेज के अतिथि शिक्षक रामजस चौधरी ने आरोप लगाया है कि कॉलेज प्रशासन उन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने का दबाव बना रहा है. इस मामले को लेकर शिक्षक ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता ने अदालत में बताया कि कॉलेज के अधिकारियों द्वारा उन्हें बार-बार आरएसएस में शामिल होने के लिए बाध्य किया जा रहा है. उनका कहना था कि इस दबाव के कारण वह मानसिक तनाव और असुविधा का सामना कर रहे हैं. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है. राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने अदालत को आश्वस्त किया कि मामले की पूरी जांच की जाएगी और उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी. सरकार के इस आश्वासन के बाद हाईकोर्ट ने मामले को निपटाते हुए कहा कि यदि याचिकाकर्ता को फिर से किसी प्रकार की असुविधा का सामना करना पड़ता है, तो वे दोबारा अदालत का रुख कर सकते हैं.
वीरता पुरस्कारों की घोषणा: इनमें 2 कीर्ति चक्र (1 मरणोपरांत) और 14 शौर्य चक्र (3 मरणोपरांत) शामिल हैं. कीर्ति चक्र देश का दूसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है. यह 22 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर मंजीत और 28 राष्ट्रीय राइफल्स के नायक दिलावर खान (मरणोपरांत) को मिला है. इसके अलावा आर्म्ड फोर्स और अन्य कर्मियों को 305 डिफेंस डेकोरेशन की भी मंजूरी दी गई है.
नफरत की पुजारन को पद्म भूषण
मुस्लिमों और ईसाइयों के खिलाफ ज़हर उगलने वाली ऋतंभरा को समाजसेवी बताया
इस बार के पद्म पुरस्कार विजेता बहुत दिलचस्प भीड़ का हिस्सा हैं. इसमें नफरत और सांप्रदायिकता का सबसे ज्यादा ज़हर उगलने वाली ‘समाजसेवी’ ऋतंभरा शामिल हैं. उन्हें पद्म भूषण मिला है. इस वीडियो में आप देख सकते हैं उन्हें उत्तेजक भाषण देते हुए और यहाँ यह कहते हुए कि कारसेवा के लिए वह अदालत की परवाह भी नहीं करतीं. और यह एक नया वाला है.
द क्विंट में मेघनाद बोस का लिखा ऋतंभरा का कच्चा चिट्ठा यहाँ पढ़ा जा सकता है. इसके मुताबिक लिब्रहान आयोग, जिसे 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच के लिए भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया गया था, ने 68 लोगों की एक सूची संकलित की, जिन्हें उसने देश को "सांप्रदायिक वैमनस्य की कगार पर" ले जाने के लिए व्यक्तिगत रूप से दोषी बताया था. साध्वी ऋतंभरा उनमें से एक थीं. न्यायमूर्ति एम.एस. लिब्रहान ने लगभग 17 वर्षों की जांच के बाद जून 2009 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. हालांकि, बाबरी मस्जिद विध्वंस से संबंधित मामले में, ऋतंभरा को अंततः एक विशेष सीबीआई अदालत द्वारा बरी कर दिया गया था.
बोस लिखते हैं, राम जन्मभूमि आंदोलन के उन उत्तेजित वर्षों के दौरान, ऋतंभरा के कट्टरपंथी भाषणों को पहले से रिकॉर्ड किए गए ऑडियो कैसेटों के माध्यम से प्रसारित किया जाता था, जिन्हें बाद में सार्वजनिक रूप से लाउडस्पीकरों के माध्यम से बजाया जाता था. राजनीतिक वैज्ञानिक और लेखक क्रिस्टोफ जैफरलो ने अपनी पुस्तक 'द हिंदू नेशनलिस्ट मूवमेंट एंड इंडियन पॉलिटिक्स (1925 से 1990 के दशक तक)’ में लिखा है कि विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की सदस्य ऋतंभरा को "सबसे आक्रामक" माना जाता था और उनके भाषणों के टेप सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वालों में से थे. जनवरी 1991 में, इंडिया टुडे ने रिपोर्ट किया था कि 25 वर्षीय ऋतंभरा पर दिल्ली पुलिस ने भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया था. रिपोर्ट में लिखा था, "अयोध्या मुद्दे पर उनकी भड़काऊ बयानबाजी वाले ऑडियो कैसेट को दिल्ली पुलिस ने पहले ही प्रतिबंधित कर दिया है. भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था."
फरवरी 1995 में मध्य प्रदेश में देवास जिले के उदयनगर में काम कर रही एक कैथोलिक नन सिस्टर रानी मारिया को दिनदहाड़े एक बस से बाहर खींचकर मौत के घाट उतार दिया गया था. ईसाई पादरियों ने विरोध में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया था. पुलिस ने कथित हत्यारे, एक स्थानीय बीजेपी-विहिप कार्यकर्ता को गिरफ्तार कर लिया. बाद में उसी वर्ष, ऋतंभरा, जो उस समय विहिप की महिला विंग दुर्गा वाहिनी की 30 वर्षीय संयोजक थीं, ने उदयनगर का दौरा किया और ईसाई मिशनरियों, विशेष रूप से सिस्टर रानी मारिया के खिलाफ एक आक्रामक प्रलाप शुरू किया. इंडिया टुडे ने 31 मई 1995 के अंक में रिपोर्ट किया कि ऋतंभरा, यह सुझाव देते हुए कि मारिया लोगों को धर्मांतरित करने की कोशिश कर रही थीं, ने गरजते हुए कहा था, "अगर एक भी चोटी या जनेऊ काटा गया, तो ईसाइयों को भारत के चेहरे से मिटा दिया जाएगा." उदयनगर में उनके भाषण के एक दिन बाद, पुलिस ने ऋतंभरा को इंदौर में गिरफ्तार कर लिया और भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत आरोप लगाए. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने उन्हें 11 दिन की कैद के बाद रिहा कर दिया. अपनी रिहाई के बाद, ऋतंभरा ने सरकार से बदला लेने की कसम खाई और कहा, "मैं उन्हें मेरी अवैध हिरासत के हर एक पल का भुगतान करवाऊंगी."
वर्षों से, ऋतंभरा ने उतनी ही तेजी से हिंदुत्व का प्रचार जारी रखा है. 2022 में ही, उत्तर प्रदेश में एक भाषण में, ऋतंभरा ने कथित तौर पर हर हिंदू जोड़े से चार बच्चे पैदा करने और उनमें से दो को राष्ट्र को समर्पित करने का आग्रह किया था, और कहा था कि भारत जल्द ही "हिंदू राष्ट्र" बन जाएगा. उन्होंने कहा था कि, "जो लोग राजनीतिक आतंकवाद के माध्यम से हिंदू समाज को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें धूल में मिला दिया जाएगा."
पद्म भूषण की लिस्ट में आंध्र के स्टार नंदमुरि बालकृष्ण का भी नाम है. वह विवादित नेता और अभिनेता रहे हैं. 2004 में इन्होंने एक बहस के दौरान अपने आवास पर निर्माता बेलमकोंडा सुरेश और उनके सहयोगी सत्यनारायण चौधरी पर गोलियां चलाईं थी. इसमें ये दोनों घायल हो गए थे. पिछले साल उन्होंने मंच पर से अपनी फिल्म की हीरोइन को जानबूझकर धक्का दे दिया था. कई सह-कलाकार उन पर दुर्व्यवहार का आरोप लगा चुके हैं. अपने असिस्टेंट को गाली देकर जूते साफ करने को भी कह चुके हैं. सोशल मीडिया पर अपमानजनक महिला विरोधी बयान दे चुके हैं और प्रशंसकों को थप्पड़ मार चुके हैं.
वक़्फ़ जेपीसी बैठक : 10 विपक्षी सांसद निलंबित
वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति अगले सप्ताह अपनी मसौदा रिपोर्ट को स्वीकार करने की तैयारी कर रही है. इस बीच समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने शुक्रवार की बैठक से समिति के 10 विपक्षी सदस्यों को निलंबित कर दिया. निलंबन सिर्फ शुक्रवार की बैठक के लिए था. वे अगली बैठक में भाग ले सकते हैं. वहीं निलंबित सदस्यों ने समिति के अध्यक्ष पर कार्यवाही को ‘तमाशा’ बनाने का आरोप लगाया है.
विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल 5 फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सरकार के इशारे पर एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं. निलंबित सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर पाल से 27 जनवरी की बैठक स्थगित करने को कहा है. पत्र में यह भी अनुरोध किया है कि समिति के अध्यक्ष एजेंडे पर अन्य सदस्यों से भी परामर्श करें. रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले विधेयक पर समग्रता से विचार करने के लिए 27 जनवरी की बैठक निर्धारित की गई है. विपक्षी सांसदों ने हितधारकों के विचारों का अध्ययन कर अपने विचार तैयार करने के लिए और समय की मांग की है. वहीं पाल ने विपक्षी सदस्यों, खासकर तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी पर कार्यवाही बाधित करने का प्रयास और उनके साथ गाली-गलौज करने का आरोप लगाया है. निलंबित सदस्यों में बनर्जी और नदीम-उल हक (तृणमूल कांग्रेस), मोहम्मद जावेद, इमरान मसूद और हुसैन (कांग्रेस), राजा और मोहम्मद अब्दुल्ला (डीएमके), असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम), मोहिबुल्लाह (समाजवादी पार्टी) और अरविंद सावंत (शिवसेना-यूबीटी) शामिल हैं. विपक्षी सदस्यों का निलंबन उस दिन हुआ, जब कश्मीर में मुसलमानों के धार्मिक प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर का एक प्रतिनिधिमंडल मसौदा कानून पर अपनी चिंताओं को साझा करने के लिए समिति के समक्ष उपस्थित हुआ.
फिट्जी कोचिंग सेंटर के कई केंद्र बंद
नई दिल्ली: संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए छात्रों को तैयार करने वाले कोचिंग सेंटर, फिट्जी ने पिछले कुछ हफ्तों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर सहित कई राज्यों में अपने कई केंद्र बंद कर दिए हैं.
कई समाचार रिपोर्टों के अनुसार, नागरिक निकायों द्वारा पेश किए गए नए सुरक्षा ऑडिट नियम और वेतन न मिलने के कारण प्रशिक्षकों के इस्तीफे, बंद होने के कारणों में से हैं, ‘द हिंदू बिजनेस लाइन’ ने रिपोर्ट किया. फिट्जी के जो केंद्र वर्तमान में बंद हैं उनमें दिल्ली के लक्ष्मी नगर और नोएडा सेक्टर 62 में स्थित केंद्र, साथ ही उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, लखनऊ, वाराणसी, मध्यप्रदेश के भोपाल और महाराष्ट्र में मुंबई के अंधेरी, कांदिवली, ठाणे और नवी मुंबई में स्थित केंद्र शामिल हैं. फिट्जी के देशभर में 73 केंद्र हैं.
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट में एक अभिभावक के हवाले से कहा गया है कि एक निवर्तमान फिट्जी शिक्षक ने कहा कि अधिकांश फैकल्टी सदस्य नौकरी छोड़कर जा चुके, क्योंकि उन्हें कई महीनों से वेतन नहीं दिया गया था. इसी तरह, बिजनेस लाइन के अनुसार, हाल ही में हुए सुरक्षा ऑडिट से पता चला है कि कुछ कोचिंग संस्थान और उनके स्थान कथित तौर पर "अनुपयुक्त और असुरक्षित" थे, जिसके कारण स्थानीय अधिकारियों ने परिसर को सील कर दिया. द इंडियन एक्सप्रेस ने 25 जनवरी को रिपोर्ट किया कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में फिट्जी का कोचिंग सेंटर जनवरी के मध्य में बंद हो गया, जब अभिभावकों ने "संस्थान पर अचानक संचालन बंद करने और उनके बच्चों की शैक्षणिक तैयारी को खतरे में डालने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की". अपनी शिकायत में, माता-पिता ने आरोप लगाया कि गाजियाबाद केंद्र के शिक्षकों को उनका वेतन नहीं दिया गया था. रिपोर्ट में गाजियाबाद के जिला विद्यालय निरीक्षक के हवाले से भी कहा गया है कि कुछ केंद्र उचित लाइसेंस के बिना काम कर रहे थे. उसी समाचार रिपोर्ट के अनुसार, फिट्जी "वित्तीय संकट" से गुजर रहा है, और कई शाखाओं के कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है. फिटजी केंद्र जेईई मेन्स के पहले सत्र से ठीक पहले बंद हुए हैं, जो 22, 23 और 24 जनवरी को आयोजित किया गया था.
एआई ऐप्स के जरिए अब कोई किसी को भी चूम सकता है… या क्लिप बना सकता है
क्या बीते कुछ अरसे में आपने सोशल मीडिया पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, अमिताभ बच्चन को अपनी बहू ऐश्वर्या राय और एलोन मस्क को मेलोनी को चूमते हुए वीडियो देखे हैं? यदि हां, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि अब फ़िल्मोरा, एआई वीडियो, पिक्सवर्स और एआई विदू जैसे एप्लिकेशनों के जरिए नकली अंतरंग छवियों और वीडियो को बनाना बहुत आसान हो गया है. ‘द टेलीग्राफ’ में सम्राट सरदार की रिपोर्ट है कि अगर किसी अजनबी की पहुंच आपकी तस्वीरों तक है तो वह जब चाहे आपके साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए वीडियो बना सकता है. ये सभी ऐप्स गूगल प्ले (एंड्रॉइड) और एप्पल ऐप स्टोर (आईओएस) पर उपलब्ध हैं और इन एप्लिकेशनों को तकनीकी-संवर्धित साइबर हिंसा के बढ़ते मामलों के बीच लाखों लोगों द्वारा डाउनलोड किया गया है, खासकर महिलाओं के खिलाफ. डेवलपर्स द्वारा कई विज्ञापनों के अलावा, यूट्यूब पर इन एप्लिकेशनों का उपयोग कैसे करें, इस पर ट्यूटोरियल भी मौजूद हैं. और ऐसे ऐप्स की संख्या बढ़ती जा रही है. डॉ. धान्या मेनन, जो भारत की पहली महिला साइबर अपराध जांचकर्ता के रूप में जानी जाती हैं, ने कहा कि ऐसे वीडियो पहले ही ब्लैकमेल और जबरन वसूली के लिए उपयोग किए जा चुके हैं. पारुल विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर डॉ. देबराती हलदर कहती हैं कि ऐसे एआई उपकरण महिलाओं के खिलाफ तकनीकी-संवर्धित लिंग आधारित हिंसा को बढ़ाते हैं और भारत में बिना किसी कानूनी सुरक्षा के बदला लेने वाले अश्लील वीडियो बनाने के लिए सुविधाजनक माहौल भी प्रदान करते हैं.
भारत में कानूनी गर्भपात इतना मुश्किल कैसे?
'इंडिया स्पेंड' के लिए मेनका राव ने भारत में महिलाओं की जटिल स्थिति को लेकर पड़ताल की है. मेनका ने रिपोर्ट में लिखा है कि भारत में सरकारी नीतियाँ कहती हैं कि प्राइमरी हेल्थ सेंटर (PHC) तक महिलाओं को गर्भपात सेवाएँ मिलनी चाहिए, लेकिन हकीकत में कई गांवों और छोटे शहरों में ऐसी सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के अतरौलिया ब्लॉक में पीड़ित महिलाओं को नजदीकी सरकारी अस्पताल में स्त्रीरोग विशेषज्ञ नहीं मिलते. ऐसे में महिलाएँ या तो 15,000 रुपये जैसे महंगे निजी क्लीनिक का सहारा लेती हैं या फिर गैर-पंजीकृत चिकित्सकों (झोलाछाप) के पास जाने को मजबूर होती हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय की 2022 की रिपोर्ट और नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2019-21) के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भपात सेवाएँ बेहद सीमित हैं. लगभग 3% गर्भधारण गर्भपात में बदलते हैं, जिसमें ज्यादातर शहरी और उच्च जाति के समूहों में होते हैं. आज भारत में गर्भपात का सबसे आम तरीका मेडिकल गर्भपात गोलियाँ (मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल) हैं. ये गोलियाँ अक्सर बिना डॉक्टर की देखरेख के ली जाती हैं. 'द लैंसेट' की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, 75% मेडिकल गर्भपात स्वास्थ्य सुविधाओं के बाहर होते हैं. गोलियाँ लेने के बाद कुछ मामलों में महिलाओं को असहनीय रक्तस्राव और अधूरे गर्भपात का सामना करना पड़ता है. संयुक्त राष्ट्र की स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2022 के अनुसार, असुरक्षित गर्भपात भारत में मातृ मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण है, जिससे हर दिन लगभग 8 महिलाओं की मौत होती है. वो अपनी रिपोर्ट में कुछ समाधान भी पेश करती हैं, जो कुछ ऐसे हैं...
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुरक्षित और मुफ्त गर्भपात सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना.
गर्भपात कानून और लिंग चयन कानून में स्पष्टता लाना.
झोलाछाप डॉक्टरों की जगह प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों को नियुक्त करना.
भारतीय कुश्ती महासंघ का दफ्तर फिर उसी बृज भूषण सिंह के आवास पर पहुंचा
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का कार्यालय फिर से अपने पुराने पते पर काम करने लगा है. महासंघ का कार्यालय इसके पूर्व प्रमुख और पांच बार के भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के दिल्ली स्थित आवास 21, अशोका रोड पर पहले भी स्थित था. वह जब दिल्ली में होते हैं तो यहीं रहते हैं. इससे यह स्पष्ट है कि महासंघ ने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी सिंह के साथ संबंध नहीं तोड़े हैं. यह तब है, जब खेल मंत्रालय ने दिसंबर 2023 में डब्ल्यूएफआई को निलंबित करते हुए उल्लेख किया था कि यह कार्रवाई महासंघ को ‘पूर्व पदाधिकारियों द्वारा नियंत्रित परिसर’ के भीतर से चलाये जाने के कारण की गई है.
देश की कुछ शीर्ष महिला पहलवानों ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इस कारण उन्हें पहले महासंघ का अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया था. उनके बदले उनके बेटे करण भूषण सिंह को उत्तर प्रदेश के कैसरगंज की पारिवारिक सीट से चुनाव लड़वाया था, जहां से वे निर्वाचित हुए हैं.
दिल्ली की एक अदालत में सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मुकदमा चल रहा है. उनके खिलाफ आरोप तय हो चुके हैं. दिल्ली पुलिस के आरोपपत्र के अनुसार, दो पहलवानों ने आरोप लगाया था कि 21, अशोका रोड स्थित डब्ल्यूएफआई कार्यालय में उनके साथ ‘अनुचित स्पर्श’ और ‘छेड़छाड़ की घटनाएं’ हुईं थी, जो सिंह का आधिकारिक सांसद आवास भी है. 2023 में मंत्रालय की ओर से उनके खिलाफ़ कार्रवाई के कुछ हफ़्तों के भीतर ही महासंघ का कार्यालय हरि नगर में एक कमरे के शिफ्ट कर दिया गया था. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, हालांकि महासंघ की आधिकारिक वेबसाइट के होमपेज पर पता अब भी 101, हरि नगर, आश्रम चौक, नई दिल्ली-110014 ही सूचीबद्ध है.
इंडियन एक्सप्रेस ने पिछले साल जुलाई में इस पते का दौरा किया था, तो बिल्डिंग के प्रवेश द्वार पर लगी नेमप्लेट और छोटे कमरे के दरवाजे पर डब्ल्यूएफआई लिखा हुआ था, हालांकि दरवाजा बंद था. कार्यालय की जगह के मालिक ने कहा कि महासंघ ने जगह खाली कर दी है. बुधवार को इस पते पर इंडियन एक्सप्रेस ने दोबारा पता किया तो पाया कि यहां नया किराएदार आया है, जिसने बताया कि डब्ल्यूएफआई कई महीने पहले ही यहां से चला गया है. हालांकि महासंघ के कोषाध्यक्ष का कहना है कि कार्यालय हरिनगर से ही चल रहा है.
अमेरिका ने लगभग सभी विदेशी सहायता पर लगाई रोक, इज़राइल और मिस्र को छूट
'द इंडियन एक्सप्रेस' की खबर है कि शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 90 दिनों के लिए विदेशी विकास सहायता पर रोक लगाने का आदेश दिया है. इस दौरान सहायता की प्रभावशीलता और उनकी विदेश नीति के लक्ष्यों के साथ इसकी संगति की समीक्षा की जाएगी. हालांकि, इस फैसले में इज़राइल और मिस्र को छूट दी गई है और इन देशों को सहायता जारी रहेगी. ट्रम्प प्रशासन ने कहा है कि इस समीक्षा का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिकी करदाताओं के पैसे का उपयोग प्रभावी ढंग से हो और यह अमेरिका के राष्ट्रीय हितों को मजबूत करे.
इज़राइल और मिस्र को क्यों छूट? इज़राइल और मिस्र अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण साझेदार हैं. इज़राइल के साथ अमेरिका का मजबूत संबंध और मिस्र के साथ मध्य पूर्व में रणनीतिक साझेदारी शांति बनाए रखने में मदद करती है. इन दोनों देशों को सहायता जारी रखने का निर्णय लिया गया है. यह कदम वैश्विक सहायता नीतियों में बड़े बदलाव का संकेत देता है और ट्रंप प्रशासन की "अमेरिका फर्स्ट" नीति का हिस्सा है.
अमेरिकी जज ने ट्रम्प के बर्थराइट सिटिजनशिप खत्म करने के प्रयास को रोका
वॉशिंगटन पोस्ट की खबर है कि अमेरिकी जज ने डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा जन्मसिद्ध नागरिकता (बर्थराइट सिटिजनशिप) खत्म करने के आदेश पर अस्थाई रोक लगा दी है. यह आदेश ट्रम्प ने अपने कार्यालय में वापसी के पहले दिन हस्ताक्षरित किया था. ट्रम्प के आदेश के तहत, उन बच्चों को अमेरिकी नागरिकता देने से इनकार करने के लिए संघीय एजेंसियों को निर्देश दिया गया था जो अमेरिका में जन्मे हैं, लेकिन जिनके माता-पिता में से कोई भी अमेरिकी नागरिक या वैध स्थायी निवासी नहीं है. जज ने इसे अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के खिलाफ बताया, जो स्पष्ट रूप से कहता है कि अमेरिका में जन्मे या प्राकृतिक रूप से देश में उपस्थित सभी व्यक्तियों को नागरिकता का अधिकार है. ट्रम्प ने अपने आदेश को "अमेरिका फर्स्ट" नीति के तहत सही ठहराया और दावा किया कि यह कदम गैर-कानूनी आप्रवासन को रोकने और देश के संसाधनों की रक्षा के लिए जरूरी है. इस कदम की व्यापक आलोचना हुई है. नागरिक अधिकार संगठनों और कई विशेषज्ञों ने इसे असंवैधानिक और मानवाधिकारों के उल्लंघन का प्रयास बताया है. यहां तक कि कई अप्रवासियों ने तो अस्पतालों में प्री मेच्योर डिलिवरी के लिए भी इस बीच दौड़ लगा दी थी. इस संबंध में हमने ‘हरकारा’ के 24 जनवरी के अंक में विस्तार से छापा है. ट्रम्प के कार्यकाल संभालते ही अमेरिका नहीं दुनियाभर में हलचल मच गई है. ऐसा ट्रम्प की नीतियों के चलते हो रहा है. बहरहाल अब यह मामला अमेरिका की उच्च अदालत में जाएगा, जहां यह तय किया जाएगा कि ट्रम्प का यह आदेश संवैधानिक है या नहीं. इस बीच, आदेश पर रोक लगा दी गई है, जिससे प्रभावित परिवारों को राहत मिली है.
अब कमला क्या करेंगी? ख़ाली तो नहीं बैठने वाली
कमला हैरिस एक अनोखी स्थिति में पद छोड़ रही हैं. पिछले साल उनके छोटे राष्ट्रपति पद के अभियान के दौरान उनकी राष्ट्रीय प्रोफाइल में वृद्धि हुई. उनकी एप्रूवल रेटिंग अब उनके अभियान शुरू करने की तुलना में अधिक है, हालांकि यह उनके पहली बार पद पर आने की तुलना में कम है.
सेंट लुइस यूनिवर्सिटी में कानून के प्रोफेसर और आधुनिक उपराष्ट्रपति पद के विशेषज्ञ जोएल गोल्डस्टीन ने कहा कि हैरिस फिर से चुनाव लड़ने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं. उन्होंने कहा, "उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में उनके पास ऐसे अनुभव हैं जो 75 वर्ष या उससे कम उम्र के किसी भी डेमोक्रेटिक नेता के पास नहीं हैं." गोल्डस्टीन ने कहा कि हैरिस के पास तीन विकल्प हैं: 2026 में कैलिफोर्निया के गवर्नर पद के लिए चुनाव लड़ना, 2028 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ना, या जिसे उन्होंने "दरवाजा नंबर तीन" कहा, वह खोलना: यानी कुछ और करना जिसमें चुनाव लड़ना शामिल नहीं है.
एनपीआर से नाम न बताने की की शर्त पर हैरिस के दो सहायकों का कहना है कि उन्होंने अपने विकल्पों पर कोई फैसला नहीं किया है - एक सूत्र ने कहा कि अभी तक पूरी तरह से चर्चा नहीं हुई है. दूसरे सूत्र ने कहा कि उपराष्ट्रपति के रूप में सेवा करने के बाद हैरिस का एक कदम पीछे जाकर गवर्नर पद के लिए भागना "बहुत तुच्छ" होगा - लेकिन हैरिस सार्वजनिक रूप से सक्रिय रहने का इरादा रखती हैं, चाहे वह भाषणों या सोशल मीडिया के रूप में हो, एक तीसरे सूत्र का कहना है. और अगले कुछ महीनों में वह कैसे अपने विचारों को व्यक्त करें, यह तय करते समय वह अपने साथ सलाहकारों का एक छोटा समूह रख रही हैं. हैरिस के करीबी सूत्रों में से एक ने कहा कि अगर वह फिर से चुनाव लड़ना चाहती हैं, तो उन्हें इस गर्मी तक फैसला करना होगा, ताकि धन जुटाने और प्रचार करने का काम शुरू किया जा सके.
पॉलिटिको के मुताबिक 20 से अधिक वर्षों में यह पहली बार है, जब हैरिस एक लोक सेवक के रूप में काम नहीं कर रही होंगी. हैरिस ने राजनीतिक भविष्य के बारे में किसी भी विचार को गुप्त रखा है, लेकिन उन्होंने सलाहकारों और सहयोगियों से अपने विकल्पों को खुला रखने के लिए कहा है, पॉलिटिको ने नवंबर में रिपोर्ट किया था. हैरिस के लिए अनिवार्य रूप से तीन विकल्प हैं: 2026 में कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर पद के लिए चुनाव लड़ना, 2028 में फिर से राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ना या चुनाव लड़ने से इनकार करना और किनारे से पार्टी के नेता बनना.
रिप्रजेंटेटिव लतीफा साइमन, डी-कैलिफ़ोर्निया, सैन फ्रांसिस्को के जिला अटॉर्नी के रूप में हैरिस के पहले निर्वाचित पद पर काम करने गईं. अब, साइमन कांग्रेस की नई सदस्य हैं जो ओकलैंड का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, जहां उनकी पुरानी बॉस बड़ी हुई हैं - और उनका कहना है कि हैरिस रिटायर होने के कहीं भी करीब नहीं हैं. उन्होंने कहा, " क्या उन्होंने मुझे बताया है कि वह क्या करने जा रही हैं? नहीं. लेकिन मैं इस महिला को जानती हूं, और मैं जानती हूं कि वह बस शुरू कर रही हैं."
कमला हैरिस ने अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में कोई निर्णय सार्वजनिक नहीं लिया है, लेकिन उन्होंने पहले ही उस संगठन का निर्माण कर लिया है जो इसे आगे बढ़ाने में मदद करेगा.अपनी राष्ट्रपति पद की अंतिम वित्तीय डिस्क्लोजर के अनुसार, जो पिछले सप्ताह दायर किया गया. पूर्व उपराष्ट्रपति ने पिछले महीने अपने गृह राज्य कैलिफोर्निया में पायनियर49 नाम से एक एलएलसी की स्थापना की. कागज़ों में लिखा है कि यह संगठन "पूर्व उपराष्ट्रपति की सहायता करने वाली एक इकाई" है . संभवतः हैरिस के अगले राजनीतिक कदम को आगे बढ़ाने में मदद करेगा. "पायनियर" सीक्रेट सर्विस द्वारा उपयोग किया जाने वाला हैरिस का कोड नाम है.
करवा चौथ कम्पलसरी करवाने की याचिका खारिज
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक अनोखी जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें करवा चौथ त्योहार को सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य रूप से मनाने का निर्देश देने की मांग की गई. हालांकि, हाईकोर्ट ने ये बिन सिर पैर की याचिका खारिज कर दी है, जिसमें करवा चौथ त्योहार को सभी महिलाओं के लिए, चाहे वे विधवा, तलाकशुदा, अलग रह रहीं हों या लिव-इन रिलेशनशिप में हों, अनिवार्य बनाने की मांग की गई थी. अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई के बाद इसे "विधायिका के विशेष अधिकार क्षेत्र" का मामला बताते हुए हस्तक्षेप से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता ने कहा था कि करवा चौथ को सभी महिलाओं के लिए एक सार्वभौमिक त्योहार घोषित किया जाए. इसे “महिलाओं के अच्छे भाग्य का त्योहार”, ‘मां गौरा उत्सव’ या ‘मां पार्वती उत्सव’ के रूप में मान्यता दी जाए. सरकार से कानून में संशोधन कर हर वर्ग और समुदाय की महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए. किसी भी समूह द्वारा भागीदारी से इनकार को दंडनीय अपराध घोषित किया जाए. मुख्य न्यायधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमीत गोयल की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता महिलाओं के वैवाहिक, सामाजिक या व्यक्तिगत स्थिति की परवाह किए बिना करवा चौथ को मनाने की घोषणा चाह रहे हैं. अदालत ने कहा कि यह याचिका मुख्य रूप से इस आधार पर दायर की गई थी कि कुछ वर्ग की महिलाओं, खासकर विधवाओं, तलाकशुदा और अलग रह रहीं महिलाओं को करवा चौथ के अनुष्ठान करने से रोका जाता है. याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी. अदालत ने इसे खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 1,000 रुपये का प्रतीकात्मक जुर्माना लगाया, जिसे चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर के गरीब मरीज कल्याण कोष में जमा करने का निर्देश दिया.
टी -20 टीम ऑफ द ईयर के कैप्टन रोहित शर्मा : 2024 में भारत को दूसरा टी-20 विश्व कप खिताब जिताने वाले रोहित शर्मा को आईसीसी की अंतरराष्ट्रीय ‘टी-20 टीम ऑफ द ईयर’ का कप्तान चुना गया है. एकादश में चार भारतीय खिलाड़ियों को जगह दी गई है. यह सभी टी-20 विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा थे. इस एकादश में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, पाकिस्तान, श्रीलंका, जिम्बाब्वे, वेस्ट इंडीज और अफगानिस्तान के एक-एक खिलाड़ियों को जगह दी गई है.
आईसीसी अंतरराष्ट्रीय टी-20 अंतरराष्ट्रीय टीम ऑफ द ईयर : रोहित शर्मा (कप्तान), ट्रैविस हेड, फिल साल्ट, बाबर आजम, निकोलस पूरन (विकेट कीपर), सिकंदर रजा, हार्दिक पांड्या, राशिद खान, वानिंदु हसरंगा, जसप्रीत बुमराह और अर्शदीप सिंह.
चलते-चलते : वीएचएस टेप के चश्मे से नज़र, नज़ारा, नज़रिया
नाइजीरियाई शहर ओसोग्बो में, इस पारंपरिक अफ्रीकी पोशाक को पहने हुए दो मॉडल, जिसे असो ओके के नाम से जाना जाता है. और वीएचएस टेप से बने चश्मे पहने हुए हैं. यह प्रचलन से बाहर जा चुकी टैक्नोलॉजी का सूझ-बूझ के साथ किया गया प्रयोग है, जो फैशन और डिज़ाइन के माध्यम से सांस्कृतिक तौर पर अभिव्यक्त हो रहा है. ये चश्मे केवल सामग्री के रिसाइकल कर इस्तेमाल ही नहीं, बल्कि कलात्मक अभिव्यक्ति के साथ-साथ एक ऐसी दुनिया के बारें बताते हैं, जहां उन चीजों को सजीव कर व्यावहार में लाया जा रहा है, जिसे किसी और समय और देश में बेकार समझ कर ख़ारिज किया जा चुका है. रेस्ट ऑफ वर्ल्ड में एक फोटो कांटेंस्ट में शामिल खास तस्वीरों को फिर से यहाँ पर संजोया गया है. यह चित्र ओलेइड डेविड का है.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.
स्पष्ट, साफसुथरी और विचारोत्तेजक खबरें जो अखबार और टीवी नहीं दिखाते-बताते । -रमेश जोशी