26/02/2025 : एमएमआरडीए पर फ्रेंच कंपनी के आरोप, सोने का आयात गिरा, यूपी-बिहार पाकिस्तान से पिछड़े क्यों है, 21 आप विधायक निलंबित, यूक्रेन मामले पर रूस और अमेरिका एक तरफ, भारत यूएन में वोटिंग से बाहर
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आज की सुर्खियां
ब्रिटेन जीडीपी का 2.5% तक बढ़ा रहा है रक्षा बजट
ईरानी तेल : अमेरिका ने 4 भारतीय कंपनियों को बैन किया
दिल्ली विधानसभा से 21 आप विधायक निलंबित
अग्निपथ : गरीब युवाओं के सपनों को तोड़ डाला
यूक्रेन मामले पर रूस और अमेरिका एक तरफ, भारत यूएन में वोटिंग से बाहर
डोनाल्ड ट्रम्प के सामने मैक्रों ने की यूक्रेन की तरफदारी
गाजा के गिरफ्तार डॉक्टरों पर इजरायल द्वारा प्रताड़ना
आकार पटेल : यूपी, बिहार पाकिस्तान से पिछड़े क्यों हैं, जबकि केरल नहीं
एआई के खिलाफ हज़ार से ज्यादा संगीतकार लामबंद
फ्रांसीसी कंपनी ने एमएमआरडीए पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
'द इकॉनमिक टाइम्स' की खबर है फ्रांसीसी इंजीनियरिंग कंपनी सिस्ट्रा ने मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) में गंभीर भ्रष्टाचार का खुलासा किया है, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों पर "अन्यायपूर्ण लाभ" की मांग करने और मेट्रो निर्माण प्रक्रिया में निजी लाभ के लिए हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया है. यह कंपनी जो परियोजना को डिज़ाइन और निगरानी करने में अहम भूमिका निभा रही थी, उसने एमएमआरडीए पर दबाव बनाने के आरोप लगाए हैं. कंपनी को भुगतान भी जानबूझकर देर से किए गए, जिससे संचालन में कठिनाई आई. क्या इसके बाद जिम्मेदारी तय होगी, या इसे भी दबा दिया जाएगा? इधर इस बीच, बंबई उच्च न्यायालय ने एमएमआरडीए द्वारा सिस्ट्रा के अनुबंध को समाप्त करने के लिए जारी किए गए नोटिस को रद्द कर दिया है. यह टिप्पणी करते हुए कि अनुबंध की समाप्ति "कोई कारण बताए बिना, मनमानी, अनुचित और असंगत है". मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति आरिफ एस. डॉक्टर की पीठ ने एमएमआरडीए को यह निर्देश दिया कि वह अनुबंध को समाप्त करने पर दोबारा निर्णय ले.
भारत में सोने का आयात 20 साल के निचले स्तर पर : भारत का सोना आयात फरवरी में पिछले साल की तुलना में 85% गिरकर 20 वर्षों के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने वाला है. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना उपभोक्ता है. पिछले एक दशक में फरवरी में औसतन 76.5 टन सोना आयात होता था. विवाह सीजन में आमतौर पर मांग बढ़ती है, लेकिन इस बार ऊंची कीमतों ने खरीदारी ठप कर दी. रॉयटर्स के मुताबिक सरकारी अधिकारी और बैंक डीलरों ने बताया कि सोने की रिकॉर्ड ऊंची कीमतों ने मांग को ठंडा कर दिया है. फरवरी में आयात लगभग 15 मीट्रिक टन रहने का अनुमान, जबकि 2024 में यह 103 टन था. स्पॉट सोना सोमवार को $2,956.15 प्रति ट्रॉय औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा. घरेलू बाजार में कीमत 86,592 रुपये प्रति 10 ग्राम तक चढ़ी. आयात में गिरावट से व्यापार घाटा कम हो सकता है और रुपया मजबूत हो सकता है. शादियों का मौसम चल रहा है, लेकिन मांग सुस्त – कोलकाता के एक डीलर ने इसे "असामान्य" बताया. एक मुंबई स्थित बैंक अधिकारी ने कहा, "जनवरी में आयातित सोना अभी भी भंडार में है. फरवरी में और आयात का कोई मतलब नहीं. " कुछ बैंक भारत के कस्टम्स-फ्री जोन में जमा सोना अमेरिका भेज रहे हैं, क्योंकि वहां 1% प्रीमियम मिल रहा है.
1984 सिख दंगे : सज्जन कुमार को एक और मामले में उम्र कैद : ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर है कि दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को 1984 के एंटी सिख दंगों के दौरान पिता पुत्र की हत्या में उनकी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इस मामले में कुमार को 12 फरवरी को दोषी ठहराया गया था.
भारत के नंबर वन शटलर लक्ष्य सेन के खिलाफ धोखाधड़ी की जांच: कर्नाटक हाईकोर्ट ने पुरुष एकल विश्व बैडमिंटन रैंकिंग में 10वें और भारत के नंबर एक खिलाड़ी और अर्जुन पुरस्कार विजेता लक्ष्य सेन, उनके बड़े भाई चिराग सेन, जो खुद भी शटलर हैं, उनके माता-पिता और एक कोच के खिलाफ उम्र संबंधी धोखाधड़ी के मामले में दर्ज आपराधिक मामले में जांच की अनुमति दे दी है. 2 दिसंबर, 2022 को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के निर्देश पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि जूनियर श्रेणियों में सेन बंधु खेल सकें, इसके लिए उनके माता-पिता और उनके कोच विमल कुमार ने 2010 में फर्जीवाड़ा किया था. सेन बंधुओं की उम्र ढाई साल कम कर उनका जन्म प्रमाण पत्र बनवाया गया था.
ब्रिटेन जीडीपी का 2.5% तक बढ़ा रहा है रक्षा बजट : 'द गार्डियन' ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के हवाले से खबर दी है कि 2027 से ब्रिटेन का रक्षा खर्च देश की कुल जीडीपी का 2.5% तक बढ़ जाएगा. खुफिया एजेंसियों को भी इसमें शामिल किया जाए तो यह कुल 2.6% होगा. यूरोप में बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के बीच स्टार्मर का कहना है कि ब्रिटेन को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति बदलने के लिए कठिन विकल्पों का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सरकार शीत युद्ध के अंत के बाद से रक्षा खर्च में सबसे बड़ी निरंतर वृद्धि शुरू करेगी. इसे 3% तक ले जाने का इरादा है.
तेलंगाना सुरंग दुर्घटना : आठ लोगों से अब तक कोई संपर्क नहीं : नागरकुरनूल जिले में निर्माणाधीन एसएलबीसी सुरंग का हिस्सा ढहने से बाल-बाल बचे श्रमिकों को संदेह है कि इंजीनियरिंग कर्मचारियों ने दुर्घटना स्थल पर पानी के रिसाव को हल्के में लिया था और स्थिरीकरण प्रक्रिया को वैज्ञानिक रूप से नहीं मापा. कर्मचारियों ने डेक्कन हेराल्ड को बताया कि रिसाव और पानी निकालने का काम लंबे समय से चल रहा है. जिस स्थान पर ढहने की घटना हुई, वहां बहुत पहले ही काम बंद कर दिया गया था, तब से पानी का रिसाव हो रहा है और कोविड के समय से ही इस क्षेत्र से पानी निकाला जा रहा था. वहीं दुर्घटना के तीन दिन बाद भी सुरंग में फंसे आठ श्रमिकों से संपर्क नहीं हो पाया है. मंगलवार को भी बचावकर्मी सुरंग के अंदर मशीनरी और अर्थमूवर को दुर्घटना स्थल तक पहुंचाने के लिए रास्ता साफ करने में लगे हैं.
ईरानी तेल : अमेरिका ने 4 भारतीय कंपनियों को बैन किया : ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर है कि अमेरिका ने ईरान के साथ कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का व्यापार करने के कारण भारत की चार कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. प्रतिबंधित चार भारतीय कंपनियां हैं - नवी मुंबई स्थित फ्लक्स मैरीटाइम एलएलपी, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र स्थित बीएसएम मरीन एलएलपी, ऑस्टिनशिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड और तंजावुर स्थित कॉसमोस लाइन्स इंक.
दिल्ली विधानसभा से 21 आप विधायक निलंबित : दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना के अभिभाषण के दौरान भारी हंगामा हुआ. लिहाजा आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायक सदन की कार्यवाही नहीं चलने देने के कारण निलंबित कर दिए गए. दरअसल, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जैसे ही सदन में शराब नीति पर सीएजी की रिपोर्ट पेश की, आप विधायकों ने सीएम हाउस से आंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीरें हटाने के मुद्दे पर हंगामा शुरू कर दिया. जवाब में सत्ता पक्ष भाजपा के कई सदस्य भी एक साथ बोलने लगे. उनका कहना था कि सीएजी की रिपोर्ट से आप भयभीत है, इसीलिए सदन नहीं चलने दे रही है. सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि नई शराब नीति (2021-22) की वजह से दिल्ली सरकार को 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
आरजेडी नेता सुनील का सदन से निष्कासन रद्द किया : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार विधान परिषद से राजद नेता सुनील कुमार सिंह का निष्कासन रद्द कर दिया. सिंह को पिछले साल फरवरी में बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ ‘अपमानजनक टिप्पणी’ के लिए सदन की आचार समिति ने निष्कासित कर दिया था. अदालत ने अपने फैसले में इसे ‘अत्यधिक ज्यादती’ करार दिया. कहा कि निष्कासन से न केवल उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, बल्कि मतदाताओं के अधिकारों का भी उल्लंघन हुआ है.
कार्टून

दिल्ली पुलिस ने फाड़े इजरायल और आरएसएस की निंदा करने वाले पोस्टर : 'द टेलीग्राफ' की खबर है कि दिल्ली पुलिस ने सोमवार को ट्रेड यूनियनों के एक राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान वहां लगे उन बैनरों को हटा दिया, जो इजरायल के हमले और आरएसएस एवं बीजेपी द्वारा "नफरत फैलाने" की निंदा कर रहे थे. आल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स ने ताल कटोरा स्टेडियम में श्रमिकों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें रेलवे, रक्षा उत्पादन, सफाई और विभिन्न सरकारी योजनाओं में कार्यरत श्रमिकों के मुद्दों पर बात की गई. इस सम्मेलन में अन्य ट्रेड यूनियनों के नेताओं को बुलाया गया था, सिवाय आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ के. सम्मेलन के स्थल पर आयोजकों ने श्रमिकों के अधिकारों और मांगों से संबंधित बैनर लगाए थे. उन्होंने फिलिस्तीन पर हुए हमले और आरएसएस-बीजेपी द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ "नफरत फैलाने" की निंदा करने वाले पोस्टर भी लगाए थे. एआईसीसीटीयू की उपाध्यक्ष सुचिता डे ने कहा कि जब सम्मेलन शुरू होने वाला था, तो पुलिस ने परमिशन के बावजूद हॉल में घुसकर दो बैनर उतार दिए. इससे पहले भी अक्टूबर 2024 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में फिलिस्तीन पर हमले पर आयोजित एक सेमिनार को "कार्यक्रम की योजना में नियमों का पालन न करने" के कारण रद्द कर दिया गया था. सीपीआई एमएल के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि आठ घंटे काम का दिन घटता जा रहा है और श्रमिकों से 12 घंटे तक काम करने को कहा जा रहा है. उन्होंने श्रमिकों से धार्मिक नफरत, जातिवाद और शोषण के खिलाफ विरोध करने की अपील की है.
आकार पटेल
यूपी, बिहार पाकिस्तान से पिछड़े जबकि केरल नहीं
पिछले डेढ़ दशक के अधूरे डाटा से यही पता चलता है, पर नये बदलावों को जनगणना पूरे होने के बाद निकले आंकड़ों की रोशनी में देखना दिलचस्प होगा.
केंद्र सरकार का कहना है कि "भारतीय जनगणना विभिन्न विशेषताओं पर भारत के लोगों के सांख्यिकीय आंकड़ों का सबसे बड़ा स्रोत है. 130 वर्ष से अधिक के इतिहास के साथ, यह विश्वसनीय और समय-परीक्षित प्रक्रिया हर 10 वर्ष में डेटा की वास्तविक जानकारी प्रदान करती रही है, जो 1872 से शुरू हुई थी. जब भारत के विभिन्न हिस्सों में पहली बार (पर एक साथ नहीं) जनगणना आयोजित की गई थी."
और यह भी कहना है कि "जनगणना जनसांख्यिकी, अर्थशास्त्र, मानव विज्ञान, समाजशास्त्र, सांख्यिकी और अन्य विषयों के शोधकर्ताओं के लिए आकर्षक डेटा स्रोत रही है."
एचडीआई का सवाल
भारत की अंतिम जनगणना 2011 में हुई थी, और इसके बाद से हमारे पास न केवल जनसंख्या बल्कि कई चीजों पर अच्छे डेटा का अभाव है. मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) औसत उपलब्धियों का एक सारांश माप है : जैसे लंबा और स्वस्थ जीवन, ज्ञानवान होना और एक सभ्य जीवन स्तर.
स्वास्थ्य आयाम का आकलन संयुक्त राष्ट्र जन्म के समय जीवन प्रत्याशा से करता है, शिक्षा आयाम को स्कूली शिक्षा के औसत वर्षों और स्कूल-प्रवेश आयु वाले बच्चों के अपेक्षित शिक्षा वर्षों से मापा जाता है. जीवन स्तर को राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति वार्षिक आय से मापा जाता है.
संयुक्त राष्ट्र कहता है कि एचडीआई का उपयोग राष्ट्रीय नीतियों पर सवाल उठाने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि समान प्रति व्यक्ति जीएनआई वाले दो देश अलग-अलग मानव विकास परिणाम क्यों देते हैं. ये अंतर सरकारी नीतियों की प्राथमिकताओं पर बहस को प्रेरित कर सकते हैं. भारत का एचडीआई स्कोर 0.644 है, जो इराक (0.673), बोत्सवाना (0.708) और बांग्लादेश (0.670) से नीचे और विश्व औसत 0.739 से काफी कम है, लेकिन केरल का 0.775 स्कोर इसे मेक्सिको (0.781), क्यूबा (0.764) और चीन (0.788) के साथ रखता है, जबकि उत्तर प्रदेश (0.592) और बिहार (0.551) के 30 करोड़ लोग ज़िम्बाब्वे (0.550) और पाकिस्तान (0.540) के समूह में आते हैं.
यदि तमिलनाडु (0.738) अलग होता, तो वह बिहार से 50 स्थान ऊपर होता. पाकिस्तान में भी प्रांतों के बीच भारी अंतर हैं. एक आंतरिक सर्वेक्षण (वैश्विक मानकों से अलग) के अनुसार, पंजाब का एचडीआई 0.732 था, जबकि बलूचिस्तान 0.421 और खैबर पख्तूनख्वा केवल 0.216.
तुलनाएं
जुलाई 2023 में, भारत के सांख्यिकी मंत्रालय ने राज्यवार प्रति व्यक्ति आय के आंकड़े जारी किए. तेलंगाना (3.08 लाख रुपये/वर्ष या 25,000 रुपये/माह) मध्य प्रदेश (1.4 लाख) से दोगुना, यूपी (2022 में 70,000 रुपये) से चार गुना और बिहार (2022 में 49,000 रुपये) से छह गुना अधिक था. पाकिस्तान की प्रति व्यक्ति आय 1.2 लाख रुपये (भारतीय रुपये में) और बांग्लादेश की 2.1 लाख रुपये थी. यदि धर्म या राष्ट्रीय संस्कृति का कोई प्रभाव होता, तो यूपी और बिहार पाकिस्तान से गरीब नहीं होते. पाकिस्तान की आधी से अधिक आबादी पंजाबी है. भौतिक रूप से, वे भारतीय पंजाब (1.7 लाख रुपये प्रति व्यक्ति) के करीब हैं.
निलकांतन आर.एस. की पुस्तक दक्षिण बनाम उत्तर में, जन्म स्थान के आधार पर भारतीयों के मानव विकास में अंतर दर्ज किया गया है. 15 वर्षों से जनगणना नहीं हुई है, लेकिन उपलब्ध डेटा के अनुसार, मध्य प्रदेश में जन्मे व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा उत्तराखंड (64 vs 72 वर्ष) से 8 वर्ष कम है. यूपी में प्रति 1,000 जन्म पर मृत्यु दर केरल से छह गुना अधिक है. असम में प्रसव के दौरान महिला मृत्यु दर महाराष्ट्र से चार गुना अधिक है.
बच्चे और महिलाएं
पंजाब में 25% बच्चे "स्टंटेड" (उम्र के हिसाब से कम लंबाई) हैं, जबकि बिहार में यह आधा है. हरियाणा में एक आंगनवाड़ी के पक्की इमारत में होने की संभावना पश्चिम बंगाल से 10 गुना अधिक है. कर्नाटक में प्रति लाख लोगों पर बिहार की तुलना में 10 गुना अधिक अस्पताल बिस्तर हैं, और महाराष्ट्र में प्रति लाख डॉक्टरों की संख्या उड़ीसा से आठ गुना है.
हिमाचल के लोगों के उच्च शिक्षा में नामांकित होने की संभावना गुजरातियों से दोगुनी है, और पंजाबियों के अंग्रेजी में शिक्षित होने की संभावना तीन गुना अधिक है. निलकांतन बताते हैं कि मध्य प्रदेश में कृषि का आर्थिक उत्पादन तमिलनाडु से पांच गुना है, जबकि गुजरात में मैन्यूफैक्चरिंग का सकल घरेलू उत्पाद आंध्र प्रदेश से तीन गुना है. हिमाचल प्रदेश में महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी बिहार से 12 गुना और छत्तीसगढ़ में यूपी से तीन गुना अधिक है.
अधिकार और अन्य समस्याएं
भारतीय राज्य नागरिकों के लिए उनके स्थान के आधार पर भिन्न प्रकार से कार्य करता है. मणिपुर में पुलिस शिकायत के बाद आरोप पत्र दाखिल होने की संभावना आंध्र प्रदेश की तुलना में छह गुना कम है. आंध्र में 92% मामलों में आरोप पत्र दाखिल होते हैं, जबकि मणिपुर में केवल 14% (2021 के सरकारी आंकड़े). केरल में प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध दर कर्नाटक (1075 vs 71) से 12 गुना अधिक है. क्या वास्तव में इतना अंतर है? संभावना है कि केरल में मामले दर्ज करने की इच्छाशक्ति अधिक है. केरल में भारत में हत्या की दर सबसे कम (0.9 प्रति लाख) है, जो आंध्र प्रदेश (1.8) से आधी और गुजरात (1.4), ओडिशा (3.0) व झारखंड (4.0) से कम है.
नोटबंदी, कोविड-19 की दूसरी लहर, प्रजनन दर में गिरावट और कृषि मजदूरों की वृद्धि जैसे पिछले 15 वर्षों के प्रभावों का आकलन जनगणना के बाद ही संभव होगा.
आकार पटेल एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के अध्यक्ष हैं.
अग्निपथ : गरीब युवाओं के सपनों को तोड़ डाला
जुलाई 2023 की दुखद घटना है. सियाचिन में भारतीय सेना के गोला-बारूद डिपो में आग लग गई थी. अपने साथियों को बचाने में कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए थे. पिछले वर्ष उनकी माँ ने नरेंद्र मोदी सरकार से अग्निवीर योजना को “तुरंत” समाप्त करने का आग्रह किया था. अंशुमान की माँ ने यह मांग क्यों की? “द टेलीग्राफ” की जमीनी रिपोर्ट इस सवाल का जवाब देती है. दरअसल, अग्निपथ योजना, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “आवश्यक सुधार” कहते हैं, ने सशस्त्र बलों में सेवा करने की महत्वाकांक्षा रखने वाले गरीब परिवारों के युवाओं के सपनों को तोड़ दिया है. अग्निपथ योजना के तहत भर्तियों में से 75 प्रतिशत अग्निवीरों को चार साल बाद (2026 में) बिना पेंशन या ग्रेच्युटी के सेवा से मुक्त किया जाना है. लिहाजा कई पूर्व सैनिकों का कहना है कि जून 2022 में शुरू की गई यह योजना सशस्त्र बलों में मनोबल और व्यावसायिक दक्षता पर नकारात्मक असर डालेगी.
लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेंशन के बारे में सरकार की स्थिति कारगिल विजय की 25वीं वर्षगांठ पर लद्दाख के द्रास में हुई एक सभा में ही स्पष्ट कर दी थी. मोदी ने कहा था, “आज भर्ती होने वाले जवानों की पेंशन का मुद्दा 30 साल बाद उठेगा. सरकार इस पर आज क्यों फैसला लेगी? इसे उस समय की सरकारों पर छोड़ देना चाहिए.”
बिहार के चार ऐसे युवकों से पीपल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया ने बात की, जिनके सेना में शामिल होने के सपने अग्निपथ योजना ने तोड़ दिए. रिपोर्ट कहती है कि 2020 से पहले, सशस्त्र बल औसतन प्रति वर्ष 61,000 कर्मियों की भर्ती करते थे. लेकिन, अग्निपथ के तहत भर्तियों की यह संख्या गिरकर सालाना 46,000 तक पहुंच गई है. इस रिपोर्ट में अग्निपथ योजना के राजनीतिक महत्व पर भी रोशनी डाली गई है. कहा गया है कि राजस्थान, हरियाणा और उत्तरप्रदेश के कई भाजपा नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को बताया है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में हुए नुकसान में अग्निपथ योजना के कारण पैदा असंतोष ने भी भूमिका निभाई है. बिहार, जहां इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, में 2022 में अग्निपथ योजना के ऐलान के वक्त हिंसक विरोध देखने को मिला था.
यूक्रेन मामले पर रूस और अमेरिका एक तरफ, भारत यूएन में वोटिंग से बाहर
'द गार्डियन' की खबर है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन युद्ध के लिए रूस की निंदा करने वाले प्रस्ताव का समर्थन किया है. इस प्रस्ताव के पक्ष में 93 देशों ने मतदान किया, जबकि अमेरिका, रूस, बेलारूस और उत्तर कोरिया ने इसके खिलाफ वोट किया. हालांकि, भारत ने मंगलवार को यूक्रेन युद्ध के मसले पर संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाए गए दो प्रतिस्पर्धी प्रस्तावों पर मतदान से बचते हुए अपनी स्थिति बनाए रखी. भारत को लेकर पहले से ही तय था कि वो यूरोपीय संघ द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव पर अनुपस्थित रहेगा और भारत ने किसी को मायूस नहीं किया. नई दिल्ली सार्वजनिक रूप से पिछले तीन सालों से रूस की आलोचना करने से बचता रहा है.
इसके अलावा अमेरिका का एक वैकल्पिक प्रस्ताव भी था, जिसे अधिकांश देशों ने नकार दिया है. रूस के यूक्रेन पर आक्रमण की तीसरी वर्षगांठ पर इसे पारित किया गया. प्रस्ताव को यूक्रेन और यूरोपीय संघ ने मिलकर तैयार किया था. यूरोप, डोनाल्ड ट्रम्प की यूरोप से बढ़ती दूरी और व्लादिमीर पुतिन के साथ उनके बढ़ते संबंधों को देख इस वक्त परेशानी में हैं. प्रस्ताव में रूस को एक आक्रामक देश के तौर पर नामित किया गया और यूक्रेन से रूसी सेना हटाने का आह्वान किया गया है, जबकि 18 देशों ने इसके खिलाफ वोट किया, जिनमें अमेरिका और रूस शामिल हैं.
यह वोट उस समय हुआ जब ट्रम्प ने सोमवार को व्हाइट हाउस में इमैनुअल मैक्रों से मुलाकात की और दोनों ने जी सात नेताओं के साथ बातचीत की ताकि युद्ध समाप्त करने के लिए शांति वार्ता पर चर्चा की जा सके और वाशिंगटन और यूरोपीय राजधानियों के बीच नाटो गठबंधन के भविष्य को लेकर बढ़ती खाई पर चर्चा की. जर्मनी के अगले चांसलर, फ्रेडरिक मर्ज ने इस सप्ताहांत में चेतावनी दी कि यूरोप को संयुक्त राज्य अमेरिका से अधिक स्वतंत्रता की कोशिश करनी चाहिए और कहा कि यह "पूर्ण प्राथमिकता होगी कि यूरोप को जल्दी से सशक्त बनाया जाए ताकि हम धीरे-धीरे संयुक्त राज्य अमेरिका से वास्तव में स्वतंत्रता हासिल कर सकें."
मैक्रों ने व्हाइट हाउस के बाहर संवाददाताओं से कहा कि जी सात की कॉल "परफेक्ट" थी, लेकिन उन्होंने अन्य विवरण नहीं दिए. ट्रम्प ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा कि जी सात के सभी सदस्य शांति प्राप्त करना चाहते थे और यह युद्ध कभी नहीं हुआ होता अगर वह राष्ट्रपति होते. ट्रम्प ने तेजी से पुतिन के साथ सीधे वार्ता शुरू की है, जिसमें यूक्रेन को नजरअंदाज किया गया है और साथ ही कीव को "महत्वपूर्ण खनिजों और दुर्लभ पृथ्वी के सौदे" में मजबूर करने की कोशिश की है, ताकि यूक्रेन के लिए अमेरिका के समर्थन की लागत को तीन साल में वसूल किया जा सके जब से पुतिन ने अपना पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू किया था.
अमेरिकी प्रस्ताव तीन पैराग्राफ लंबा था और इसमें रूस के आक्रमण का कोई उल्लेख नहीं था, इसमें कहा गया था कि यह "संघर्ष के शीघ्र अंत की अपील करता है और यूक्रेन और रूसी संघ के बीच स्थायी शांति की दिशा में और अधिक आग्रह करता है." रूस के राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी प्रस्ताव को "अच्छा कदम" कहा था. संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूक्रेनी सह-प्रायोजित प्रस्ताव को समाप्त करने की कोशिश की थी और अमेरिकी राजनयिकों ने इस सप्ताहांत में यूरोपीय संघ और यूक्रेनी अधिकारियों पर दबाव डाला था ताकि वे सोमवार के वोट से पहले अपने प्रस्ताव को वापस ले लें.
डोनाल्ड ट्रम्प के सामने मैक्रों ने की यूक्रेन की तरफदारी
(साभार : वॉशिंगटन पोस्ट)
‘वॉशिंगटन पोस्ट’ की खबर है कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोमवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की, ताकि यूक्रेन और यूरोप के पक्ष में ट्रम्प को वापस मोड़ा जा सके, जबकि अमेरिकी नेता ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के लिए जिम्मेदारी डाली थी, न कि रूस पर. व्हाइट हाउस में ट्रम्प से मुलाकात के दौरान, मैक्रों ने यूक्रेन में शांति समझौते को सुरक्षित करने के लिए यूरोपीय सैनिकों को तैनात करने के लिए अमेरिकी समर्थन प्राप्त करने के लिए बातचीत की. इमैनुएल मैक्रों ने डोनाल्ड ट्रम्प को यूक्रेन के "समर्पण" के खिलाफ चेतावनी दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि रूस के नेता व्लादिमीर पुतिन "एक समझौता करना चाहते हैं," जिसमें यूरोपीय शांति सैनिकों का समावेश हो सकता है. इस दौरान ट्रम्प और मैक्रों के बीच मतभेद स्पष्ट उभर रहे थे. वे यूक्रेन में दी जा रही सहायता और स्थायी शांति स्थापित करने के प्रयासों पर असहमत थे. यह बैठक उस समय के कुछ घंटे बाद ही हुई जब अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया था, जिसे यूक्रेन और यूरोपीय संघ ने रूस के आक्रमण की निंदा करने के लिए तैयार किया था. एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने रूस के साथ अपनी टीम की सकारात्मक बातचीत का प्रचार किया. 'जब मैं यहां आया, तो रूस से कोई संचार नहीं था और रूस कॉल का जवाब नहीं दे रहा था. वे किसी से बात नहीं कर रहे थे और लोग इसे स्वीकार कर रहे थे, लेकिन जब मैं यहां आया, तो मेरी पहली कॉल पुतिन से थी और हमें बड़ी इज्जत मिली और वे इस युद्ध को समाप्त करना चाहते हैं, तो यह एक बड़ी बात है.'
मैक्रों ने स्वीकार किया कि उन्होंने और ट्रम्प ने "अपनी चर्चा में बहुत ठोस कदम आगे बढ़ाए हैं." लेकिन उन्होंने रूस को यूक्रेन में "आक्रांता" के रूप में स्पष्ट रूप से वर्णित किया है. उन्होंने पत्रकारों से कहा- 'यह शांति यूक्रेन के समर्पण का मतलब नहीं होनी चाहिए. इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि बिना गारंटी के युद्धविराम हो. यह शांति यूक्रेनी संप्रभुता की अनुमति देनी चाहिए और यूक्रेन को अन्य भागीदारों के साथ बातचीत करने की अनुमति देनी चाहिए.' मैक्रों ने यूरोपीय सुरक्षा गारंटी देने के लिए ट्रम्प से समझौता प्राप्त करने की कोशिश की, यह कहते हुए कि अगर रूस शांति समझौते का उल्लंघन करता है, तो उसे यूरोप के साथ संघर्ष का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने यह भी कहा कि पुतिन को भरोसा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उन्होंने 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले झूठ बोला था और सुरक्षा गारंटी नहीं दी थीं.
पाठकों से अपील
गाजा के गिरफ्तार डॉक्टरों पर इजरायल द्वारा प्रताड़ना

डॉ. इसीम अबू अजवा गाजा के मध्य में अल-अहली अरब अस्पताल में एक मरीज की गंभीर पेट की चोट पर आपातकालीन सर्जरी कर रहे थे, जब सैनिक उनके पास पहुंचे. "मैंने उनसे पूछा कि वे ऑपरेशन थियेटर में क्यों आ रहे हैं," वह कहते हैं. "एक सैनिक ने मेरी ओर इशारा किया और कहा- 'क्या आप डॉ. इसीम अबू अजवा हैं?' मैंने कहा - 'हां, मैं वही हूं.' उन्होंने यह सुनते ही मेरी पिटाई शुरू कर दी. 63 वर्षीय अबू अजवा कहते हैं कि उन्हें ऑपरेशन रूम से खींचकर बाहर निकाला गया, फिर उनके हाथ बांधकर, आंखों पर पट्टी बांधकर, इजरायली सेना ने उनके कपड़े उतार दिए. इसके बाद उन्हें अन्य डॉक्टरों, नर्सों और चिकित्सा कर्मचारियों के साथ एक सैन्य ट्रक में डाला गया और अस्पताल से दूर ले जाया गया. 24 घंटे से भी कम समय में वह इजरायल की हिरासत में थे, जहां उन्होंने महीनों तक चलने वाली क्रूरता, लगातार हिंसा और उत्पीड़न का सामना किया. ये अकेले इसीम अबू अजवा की कहानी नहीं, जो युद्ध के जख्म लेकर बैठे हैं.
'द गार्डियन' की खबर है कि इजरायली जेलों में गाज़ा के 160 से अधिक स्वास्थ्यकर्मी बंद हैं, जिनमें 20 से अधिक डॉक्टर शामिल हैं. कैद में बंद स्वास्यकर्मियों के साथ प्रताड़ना की रिपोर्ट्स सामने आई हैं. वरिष्ठ डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें महीनों तक शारीरिक उत्पीड़न, पिटाई और अपमानित किया गया. संयुक्त राष्ट्र ने उन बंदियों की रिहाई की मांग की है जो अभी भी हिरासत में हैं. हेल्थकेयर वर्कर्स वॉच (HWW), एक फिलिस्तीनी चिकित्सा एनजीओ, ने कहा कि उसने पुष्टि की है कि 162 चिकित्सा कर्मचारियों को इस्राइली हिरासत में रखा गया है, जिनमें गाज़ा के कुछ वरिष्ठ चिकित्सक शामिल हैं. इनमें से 24 अब गायब हैं, जिन्हें इजरायल ने गाजा में अस्पतालों को नष्ट कर उठाया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पुष्टि की है कि इस्राइली सेना ने युद्ध की शुरुआत से अब तक 297 स्वास्थ्यकर्मियों को हिरासत में लिया है, लेकिन संगठन के पास यह जानकारी नहीं है कि कितनों को रिहा किया गया है या कितने अभी भी हिरासत में हैं.
चलते-चलते
एआई के खिलाफ़ 1000 से ज्यादा संगीतकार लामबंद
ब्रिटेन में 1,000 से अधिक संगीतकारों – जिनमें एनी लेनॉक्स, डेमन अल्बार्न और केट बुश शामिल हैं – ने मंगलवार को यूके सरकार द्वारा प्रस्तावित कॉपीराइट कानून में बदलाव के विरोध में एक "साइलेंट" एल्बम जारी किया. कलाकारों का कहना है कि यह बदलाव एआई कंपनियों को बिना लाइसेंस के कॉपीराइटेड कार्यों का उपयोग करने की अनुमति देगा.
नए प्रस्तावों के तहत, एआई डेवलपर्स को इंटरनेट पर उपलब्ध रचनात्मक सामग्री का उपयोग करने की छूट मिलेगी, जब तक कि कॉपीराइट धारक विशेष रूप से "ऑप्ट आउट" न करें. कलाकारों का यह एल्बम, ‘इज दिस व्हाट वी वांट?” खाली स्टूडियो और प्रदर्शन स्थलों की ध्वनि रिकॉर्डिंग्स से भरा है, जो इस कानून के संभावित प्रभाव को दर्शाता है. एल्बम की ट्रैकलिस्टिंग में संदेश है: "ब्रिटिश सरकार को एआई कंपनियों के फायदे के लिए संगीत की चोरी को कानूनी नहीं बनाना चाहिए. " इस बारे में केट बुश ने कहा, "क्या भविष्य के संगीत में हमारी आवाज़ें दब जाएंगी?" एल्बम आयोजक एड न्यूटन-रेक्स ने कहा कि यह प्रस्ताव "संगीतकारों के लिए विनाशकारी" और "बिल्कुल ग़ैर ज़रूरी" है. गायिका नाओमी किम्पेनु ने चेतावनी दी: "यह योजना यूके के नए कलाकारों के भविष्य को तबाह कर देगी." विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी विभाग (DSIT) के प्रवक्ता ने कहा: "हम एक ऐसा समाधान चाहते हैं जो एआई डेवलपर्स और कलाकारों दोनों के हितों की रक्षा करे. कोई भी निर्णय पूरी तरह विचार के बाद ही लिया जाएगा. " प्रख्यात बीटल गायक पॉल मकार्टनी ने बीबीसी को बताया: "यह प्रस्ताव कलाकारों की आजीविका को खतरे में डालता है. " स्टिंग, एड शीरन, दुआ लिपा समेत 200 से अधिक हस्तियों ने द टाइम्स को पत्र लिखकर चेतावनी दी कि यह कानून "बड़ी टेक कंपनियों को रचनात्मक क्षेत्रों को लूटने की छूट देगा." 2023 में यूके के संगीत उद्योग ने अर्थव्यवस्था में 7.6 अरब पाउंड का योगदान दिया. संगीतकारों का कहना है कि एआई को कॉपीराइटेड काम करने की अनुमति देना इस उद्योग को कमजोर करेगा. इस बारे में ‘मेक इट फेयर’ अभियान के तहत राष्ट्रीय अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित किए गए हैं, जो लोगों से सांसदों को पत्र लिखकर सरकार के प्रस्तावों का विरोध करने का आग्रह करता है. इस एल्बम से मिलने वाली सभी आय संगीतकारों की मदद के लिए बनी ‘हेल्प म्यूजिशियंस’ चैरिटी को दान की जाएगी. संगीतकारों का कहना है कि "ऑप्ट आउट" प्रणाली अव्यावहारिक है, क्योंकि व्यक्तिगत कलाकार हजारों एआई कंपनियों को नोटिस नहीं भेज सकते. यूके सरकार के सार्वजनिक परामर्श का समय मंगलवार को समाप्त हुआ.
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