27 नवंबर 2024: बैलेट पेपर को अदालत की ना, नया पैन कार्ड, सम्भल में पुलिस की भूमिका पर सवाल, इमरान समर्थकों का पाकिस्तान में आंदोलन जारी, आगे क्या होगा अडानी का
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
सुर्खियां: यदि आप जीतते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं हुई, जब हारते हैं तो हुई : सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर को वापस लाने वाली याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में बैलेट पेपर सिस्टम को फिर से शुरू करने की जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. मंगलवार को जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने याचिकाकर्ता केए पॉल से कहा, “होता क्या है कि जब आप चुनाव जीतते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती है और जब हार जाते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ होती है. जब चंद्रबाबू नायडू हार गए तो उन्होंने कहा कि छेड़छाड़ हो सकती है. इस बार जगन मोहन रेड्डी हार गए तो उन्होंने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो सकती है.
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बैलेट पेपर की वापसी के लिए ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जैसे अभियान की जरूरत बताई है. मंगलवार को संविधान दिवस पर पार्टी के एक आयोजन में खड़गे ने कहा कि “हमें ईवीएम नहीं चाहिए.”
दरअसल, हरियाणा में शर्मनाक हार के बाद महाराष्ट्र चुनाव में हुई बुरी गत के कारण कांग्रेस को ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग पर लौटना पड़ा है. महाराष्ट्र में उसकी सहयोगी एनसीपी (एसपी) ने भी ईवीएम के खिलाफ अदालती लड़ाई के लिए एक लीगल टीम करने का फैसला किया है. पार्टी सुप्रीमो शरद पवार ने अपने उम्मीदवारों से इस संबंध में दस्तावेज और सुबूत इकट्ठा करने के लिए कहा है.
अब क्यूआर कोड वाला नया पैन कार्ड : क्या नया बनवाना पड़ेगा? केंद्र सरकार ने 1453 करोड़ रुपए की लागत वाली पैन 2.0 (PAN कार्ड) योजना को मंजूरी दे दी है. इसके तहत मौजूदा पैन नंबर को बदले बिना कार्ड अपग्रेड किए जाएंगे. नए कार्ड क्यूआर कोड वाले होंगे. इसके लिए ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाई जाएगी और अलग से कोई शुल्क नहीं लगेगा. हालांकि बिना क्यूआर कोड वाले मौजूदा कार्ड क्या काम करेंगे, क्या नया कार्ड बनवाना जरूरी होगा, नए कार्ड से क्या लाभ होगा? इन सवालों के जवाब इकनॉमिक टाइम्स को एक्स्पर्ट्स ने दिए हैं, जिनका कहना है कि आपका मौजूदा कार्ड काम करेगा.
छात्रों, संकायों और शोधार्थियों के लिए ‘वन नेशन वन सब्स्क्रिप्शन’ : केंद्रीय कैबिनेट ने ‘वन नेशन वन सब्स्क्रिप्शन’ योजना को भी मंजूरी दी है. 6 हजार करोड़ रुपए की इस योजना के तहत 30 प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिका प्रकाशकों को शामिल किया गया है और इसमें 13 हजार ई जर्नल का सब्स्क्रिप्शन लेकर इसे छात्रों, संकायों और शोधार्थियों को मुहैया कराया जाएगा. देश के 6300 से अधिक सरकारी उच्च शिक्षा संस्थान और केंद्र सरकार के अनुसंधान एवं विकास संस्थान इसे साझा करेंगे.
सम्भल हिंसा : सोचने की बात है, वे एक दूसरे को गोली क्यों मारेंगे? पीएम रिपोर्ट में देशी कट्टे से फायरिंग की बात
सम्भल की मुगलकालीन मस्जिद की मैनेजिंग कमेटी के अध्यक्ष ज़फ़र अली के इस आरोप के बाद कि उन्होंने खुद पुलिस को भीड़ पर गोली चलाते देखा था, सम्भल का प्रशासन सवालों के घेरे मे है. बता दें कि उत्तरप्रदेश के सम्भल में शाही मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा में 4 जानें जा चुकी हैं. ज़फर अली के आरोप पुलिस के इस दावे को झुठलाते हैं कि सम्भल में भीड़ पर गोली नहीं चलाई गई और लोगों को मौके से हटाने के लिए सिर्फ आंसू गैस, लाठीचार्ज और पैलेट बंदूकों का ही इस्तेमाल किया गया.
अली कहते हैं कि वह उस वक्त मौके पर मौजूद थे और उन्होंने मुरादाबाद के डीआईजी, सम्भल के एसपी और डीएम को भीड़ के खिलाफ शूटिंग ऑर्डर देने के बारे में चर्चा करते सुना था. “मैंने देखा कि पुलिस गोलियां चला रही है. मेरे सामने यह हुआ. मेरी मौजूदगी में पब्लिक की तरफ से कोई गोली नहीं चलाई गई. पुलिस के पास भी देशी कट्टे थे. आखिर वे (प्रदर्शनकारी) एक दूसरे को क्यों मारेंगे? यदि उनको गोली चलानी ही होती तो वे पुलिस पर चलाते, न कि पब्लिक पर. यह थोड़ा सोचने वाली बात है,” अली ने कहा. वहीं सम्भल के एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई कहते हैं, “जब रबर की गोलियों से हालात को काबू में किया जा सकता है, तो भला हम प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग क्यों करेंगे?
इधर, सम्भल में हालात सामान्य हो रहे हैं. मंगलवार को स्कूल फिर से खुले और बाजार भी. हालांकि लगातार तीसरे दिन इंटरनेट सेवाओं को बंद रखा गया. इस बीच मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में देशी कट्टे से फायरिंग की बात सामने आई है. रिपोर्ट कहती है कि अधिकांश जख्म पॉइंट 315 बोर गोलियों के पाए गए, जो काफी नजदीक से चलाई गईं. इस बीच दिल्ली विश्विद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने “द वायर” में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक बार कहा था कि हिंदुओं को किसी भी संरचना को लेकर उत्पन्न अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने का अधिकार है. एक तरह से चंद्रचूड़ ने रास्ता दिखा दिया और अब हिंदुओं के नुमाइंदे भारत में जगह जगह जिज्ञासाएं तलाशते फिर रहे हैं. और मुसलमान सिर्फ अपनी जान की कीमत पर ही इसका विरोध कर सकते हैं.
उधर उत्तरकाशी में जामा मस्जिद विवाद को बढ़ता देख उत्तराखंड हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा है. कोर्ट ने प्रशासन को मस्जिद के आसपास चाकचौबंद सुरक्षा व्यवस्था रखने और हेट स्पीच तथा मस्जिद को गिराने की धमकियों के साथ सख्ती से निपटने के निर्देश दिए हैं. अल्पसंख्यक सेवा समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने डीएम और एसपी को मस्जिद की सुरक्षा करने और हिंसा को रोकने के लिए कहा है.
अब क्या होगा अडानी का ?
‘ब्लूमबर्ग’ में डेविड वोरेकोस ने अडानी रिश्वत मामले की गहराई से पड़ताल की है और ये बताया है कि आगे इस मामले में भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के साथ आखिर क्या-क्या हो सकता है. वोरेकोस लिखते हैं कि भारत में अधिकारियों को करीब 2200 करोड़ की रिश्वत की साजिश रचने और अमेरिकी निवेशकों को धोखा देने में मदद करने के आरोप में अरबपति गौतम अडानी को जेल में डालने के अपने प्रयास में अमेरिकी अभियोजकों को कड़ी कानूनी और कूटनीतिक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी समझे जाने वाले अडानी को ब्रुकलिन अदालत में पेश करने के लिए, अमेरिका को प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा. इसमें वर्षों नहीं तो महीनों का समय लग सकता है, और इसका परिणाम किसी भी तरह से निश्चित नहीं है.
वोरेकोस लिखते हैं कि अडानी को अपने ख़िलाफ़ तीन मामलों में से प्रत्येक में 20 साल तक की जेल का सामना करना पड़ सकता है. पांच अन्य आरोपियों पर अमेरिकी विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम का उल्लंघन करने की साजिश रचने का आरोप है, लेकिन अडानी पर कम से कम ये आरोप नहीं है. अडानी और दो अन्य लोगों पर अमेरिकी कानून फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (FCPA) के तहत धोखाधड़ी और षड्यंत्र के आरोप हैं.
अडानी का आगे क्या होगा
अमेरिकी विदेश विभाग अभियोग और अन्य प्रासंगिक दस्तावेज भारतीय विदेश मंत्रालय को सौंपेगा. इसके बाद भारत सरकार तय करेगी कि मजिस्ट्रेट को जांच शुरू करने का आदेश दिया जाए या नहीं. भारतीय मजिस्ट्रेट तय करेंगे कि आरोप भारतीय कानूनों के तहत भी लागू होते हैं या नहीं. मजिस्ट्रेट यह नहीं तय करेंगे कि अडानी दोषी हैं या नहीं, केवल यह देखेंगे कि मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं या नहीं. अगर अडानी भारत छोड़कर किसी अन्य देश जाते हैं, तो उनके खिलाफ इंटरपोल का रेड नोटिस जारी हो सकता है.
प्रत्यर्पण का विरोध किया जाएगा?
अडानी और अन्य के वकील यह तर्क दे सकते हैं कि अभियोग 'राजनीति' से प्रेरित है और इसलिए यह प्रत्यर्पण अधिनियम के अधीन नहीं है. वे यह भी तर्क दे सकते हैं कि कथित अपराध भारतीय कानून के अंतर्गत नहीं आते हैं.
क्या फैसले में राजनीति की भूमिका होगी?
अंतिम निर्णय भारत सरकार पर निर्भर करता है. यह अमेरिका और भारत के बीच राजनयिक संबंधों पर निर्भर हो सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप और उनकी टीम भारत और अडानी समूह को चीन के प्रभाव को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार मानते हैं, यह भी इस जांच का एक पेंच बन सकता है. 'हरकारा' के 22, 23, 24 , 25 और 26 नवंबर के अंक में अडानी प्रकरण पर विस्तार से पढ़ सकते हैं.
अडानी की चिंता कि क्या विदेशी बैंक अब लोन देंगे!
‘द टेलीग्राफ’ के लिए अपने एक लेख में प्राण बालकृष्णन लिखते हैं कि अडानी ग्रुप की अब यह बड़ी चिंता है कि क्या विदेशी बैंक, संस्थाएं उसका समर्थन जारी रखेंगी ? भ्रष्टाचार के आरोपों ने अडानी के बुनियादी ढांचे के साम्राज्य को हिलाकर रख दिया और शेयरों में गिरावट आई, भारत और दुनिया भर में बड़े पैमाने पर परियोजनाओं के बारे में सवाल उठने लगे हैं. फ्रांसीसी कंपनी टोटलएनर्जीज़ ने घोषणा की है कि वह अडानी समूह में नए निवेश और भुगतान पर तब तक रोक लगा रही है, जब तक कि इसके संस्थापक गौतम अडानी के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों के परिणाम सामने नहीं आ जाते. अडानी टोटल गैस में टोटल की भी 37.4 प्रतिशत हिस्सेदारी है. यह एक संयुक्त उद्यम है जो पूरे भारत में अपने गैस वितरण नेटवर्क का तेजी से विस्तार कर रहा है.
अडानी ने संकट मे डाला भारत का सोलर सेक्टर
अमेरिका में अडानी ग्रुप और एज्योर पावर पर लगे आरोपों के बाद भारतीय सोलर सेक्टर पर संकट के बादल छा गए हैं. इस मामले का केंद्र 12 गीगावॉट का सोलर प्रोजेक्ट है, जिसे सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने नीलाम किया था. अडानी ग्रुप पर लगाए गए घूसखोरी और धोखाधड़ी के आरोप से यह मामला और भी जटिल हो गया है. बिजनेस स्टैंडर्ड की उक रिपोर्ट के मुताबिक अडानी प्रकरण से उठे वैश्विक बवाल के कारण फंडिंग पर असर पड़ने से सौर क्षेत्र धुंध में फंस गया है. इस सेक्टर की बड़ी कंपनियों के एसईसीआई निविदाओं से दूर रहने की संभावना है.
संभलते नहीं संभल रहे अडानी के शेयर
अडानी समूह के शेयरों में गिरावट जारी है. मंगलवार को भी अडानी समूह की सभी कंपनियों के शेयर गिरावट के साथ बंद हुए. बीएसई पर अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) का शेयर 7.05 प्रतिशत गिरकर 899.40 रुपये पर आ गया. अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर 4.78 प्रतिशत गिरकर 2,149.80 रुपये पर और अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस 3.79 प्रतिशत गिरकर 601.15 रुपये पर आ गए. अडानी टोटल गैस लिमिटेड का स्टॉक 3.50 प्रतिशत, अडानी पोर्ट्स 3.23 प्रतिशत, अडानी विल्मर 2.44 प्रतिशत, अंबुजा सीमेंट्स 2.30 प्रतिशत, अडानी पावर (2.04 प्रतिशत), सांघी इंडस्ट्रीज (1.91 प्रतिशत) , एसीसी (1.37 प्रतिशत) और एनडीटीवी (0.09 प्रतिशत) की गिरावट के साथ बंद हुआ. बाजार में अडानी के शेयर संभलते नहीं संभल रहे हैं.
कोर्ट में याचिका, अडानी की जांच करो
रिश्वत के आरोप में अमेरिका में गौतम अडानी के खिलाफ अभियोग की एसआईटी/ईडी/सीबीआई जांच की मांग को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है. याचिका में गृह मंत्रालय से एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या किसी अन्य उपयुक्त जांच एजेंसी को अडानी प्रकरण की जांच के निर्देश देने की मांग की गई है.
मूडीज ने रेटिंग गिराई
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मंगलवार को अडानी की सात कंपनियों की रेटिंग पर आउटलुक को 'स्थिर' से घटाकर 'नकारात्मक' कर दिया है, जबकि फिच रेटिंग्स ने कुछ बांड जारी किए हैं. मूडीज ने सभी सात कंपनियों जिनमें अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के दो सीमित प्रतिबंधित समूह, अडानी ट्रांसमिशन स्टेप-वन लिमिटेड, अडानी ट्रांसपोर्टेशन लिमिटेड ग्रुप 1 (एईएसएल आरजी1), अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड और अडानी इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल प्राइवेट लिमिटेड की रेटिंग नेगेटिव कर दी है.
'द टेलीग्राफ' की ही एक खबर है कि आंध्र प्रदेश की सरकार गौतम अडानी पर अमेरिकी अभियोग के कारण अडानी समूह से जुड़े बिजली खरीद सौदे को निलंबित कर सकती है. सूत्रों के हवाले से खबर छपी है, जिसमें कहा गया है कि आंध्र सरकार भी अब अडानी के मामले में जांच की मांग कर सकती है.
मुजफ्फरनगर में किसानों ने स्मार्ट मीटर का किया विरोध, अडानी की यहां भी गूंज
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली, बडौत और बागपत में प्रदर्शन के बाद मंगलवार को सैकडों किसानों ने किसान एकता केंद्र के बैनर तले मुजफ्फरनगर में स्मार्ट बिजली मीटर बिलों के खिलाफ प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान राहगीरों को हजारों पर्चे भी बांटे, जिनमें स्मार्ट बिजली मीटर के बारे में अपनी आशंकाओं का जिक्र किया गया था. प्रदर्शनकारियों में किसान, छोटे दुकानदारों समेत बड़े पैमाने पर मजदूर भी शामिल हुए. किसानों ने इस दौरान फिर दोहराया है कि वो किसी भी सूरत में इस योजना को पूरा नहीं होने देंगे और इसके खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे. बता दें कि यूपी में स्मार्ट बिजली मीटर का ठेका अडानी को ही मिला हुआ है. स्मार्ट बिजली मीटर के विरोध में किसान एकता केन्द्र और मजदूर सहायता समिति ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर मुजफ्फरनगर के डीएम को 11 सूत्रीय ज्ञापन सौंपकर अपना विरोध जताया है. ‘हरकारा’ के 15 नवंबर के अंक में हम इस मामले पर पहले भी विस्तार से लिख चुके हैं.
महिला सैन्य अफसरों की क्षमता पर सवाल उठाने पर बवाल
फौज में महिलाओं की हिस्सेदारी को लेकर कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राजीव पुरी ने सेना के ईस्टर्न आर्मी के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राम चंद्र तिवारी को भेजे फीडबैक में महिला अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि कर्नल रैंक की महिला अफसरों के समझदारी व व्यवहार कुशलता में कमी है. पत्र में उन्होंने महिला अधिकारियों में अहंकार संबंधी मुद्दे, लगातार शिकायतें और सहानुभूति की कमी का भी जिक्र किया है. लेफ्टिनेंट जनरल पुरी के अनुसार, सेना में जेंडर इक्वलिटी की जगह जेंडर न्यूट्रलिटी पर जोर दिया जाना चाहिए, साथ में महिलाओं के काम की लगातार निगरानी और उनकी लीडरशिप में आ रही कमियों का समाधान निकाला जाना चाहिए.
सीए फाउंडेशन परीक्षा 16 जनवरी को, कार्यक्रम में बदलाव
सीए फाउंडेशन परीक्षा अब 12,16,18 और 20 जनवरी 2025 को आयोजित की जाएगी. आईसीएआई ने मकर संक्रांति, पोंगल, बीहू आदि त्योहारों को देखते हुए परीक्षा कार्यक्रम में थोड़ा बदलाव किया है और 14 जनवरी की परीक्षा 16 जनवरी को होगी. इस बीच करेक्शन विंडो 27 नवंबर को खुल जाएगी और पंजीकृत उम्मीदवार अपने फॉर्म में 29 नवंबर तक बदलाव कर सकेंगे. परीक्षा का विस्तृत ब्योरा यहां क्लिक करके मिल सकता है.
बांग्लादेश : इस्कॉन प्रमुख की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन, एक की मौत
चटगांव कोर्ट परिसर में इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को को पुलिस हिरासत में ले जा रही जेल वैन को हिंदू समुदाय के लोगों ने रोक कर 2000 से अधिक लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन हिंसक होने के कारण 35 वर्षीय एक वकील की मौत हो गई और 27 लोगों के घायल होने की खबर है. सोमवार (25 नवंबर) को चिन्मय कृष्णन दास को राजद्रोह के आरोप में बांग्लादेश की पुलिस ने गिरफ्तार किया था. अदालत ने उन्हें जमानत नहीं दी. इसके बाद अशांति फैल गई. दास चटगांव में अक्टूबर में हुई एक रैली से संबंधित राजद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे हैं. उन पर और अन्य पर राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप लगाया गया था. इसके बाद बांग्लादेश सरकार ने प्रेस रिलीज जारी कर सफाई दी है. उसमें कहा गया है कि सभी नागरिकों, विशेष कर धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बांग्लादेश का कर्तव्य है। दास की गिरफ्तारी को ‘गलत तरीके से’ समझा गया है। दास को विशिष्ट आरोपों के तहत गिरफ़्तार किया गया है.
पाकिस्तान में फिर बेकाबू हुए इमरान समर्थक, देखते ही गोली मारने के आदेश
जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के हजारों समर्थकों ने मंगलवार को इस्लामाबाद में जोरदार प्रदर्शन किया. इस्लामाबाद के डी-चौक पर ये विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसमें अर्धसैनिक बल के चार जवान और दो पुलिसकर्मी मारे गए. पाकिस्तान के अखबार 'डॉन' के मुताबिक 100 से अधिक सुरक्षाकर्मी घायल हो गए, जबकि कई प्रदर्शनकारियों को भी चोटें आई हैं. पाकिस्तान की सरकार ने प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए हैं. साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में सेना तैनात कर दी गई है. बुशरा बीबी ने एक वीडियो मैसेज में कहा कि मेरे भाइयों, जब तक इमरान हमारे साथ नहीं हैं, हम यह मार्च खत्म नहीं करेंगे. मैं अपनी आखिरी सांस तक वहीं रहूंगी और आप सभी को मेरा साथ देना होगा.
(इस्लामाबाद में इमरान की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन करते पीटीआई के कार्यकर्ता. साभार/ डॉन)
असल में सोमवार देर रात इस्लामाबाद में श्रीनगर राजमार्ग पर एक वाहन ने पाकिस्तान रेंजर्स कर्मियों को टक्कर मार दी थी, जिसमें चार रेंजर्स अधिकारियों की मौत हो गई थी, जबकि कई पुलिस अधिकारियों को भी गंभीर चोटें आईं. आरोप इमरान के समर्थकों पर लगा, लेकिन पीटीआई का कहना है कि रेंजर्स ने गोला बारूद से गोलीबारी की, जिसमें 2 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और 4 अन्य घायल हो गए. राजनीतिक अनिश्चितता का असर पाकिस्तान के बाजार पर भी दिखा. पीएसएक्स 3,500 अंक गिर गया.
बता दें कि 13 नवंबर को इमरान खान ने 24 नवंबर को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए 'अंतिम आह्वान' जारी किया था, जिसमें पीटीआई के चुनावी जनादेश की बहाली, हिरासत में लिए गए पार्टी सदस्यों की रिहाई और 26 वें संशोधन को उलटने की मांग की गई है. इससे पहले पीटीआई का कहना था कि ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा, बलूचिस्तान और दक्षिण पंजाब के विभिन्न ज़िलों से आने वाले हज़ारों पीटीआई कार्यकर्ता इस्लामाबाद में विरोध प्रदर्शन के लिए तैयार हैं.
लेबनान-इजराइल : 60 दिन का युद्ध विराम
बेंजामिन नेतन्याहू के प्रवक्ता ने सीएनएन को बताया कि इजरायली कैबिनेट मंगलवार को लेबनान में युद्धविराम समझौते पर मतदान करेगी. इस मामले में सूचना ये आ रही है कि इजरायली प्रधानमंत्री ने इसे लेकर सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है. नेतन्याहू ने रविवार रात इजरायली अधिकारियों के साथ सुरक्षा परामर्श के दौरान हिजबुल्लाह के साथ उभरते युद्धविराम के लिए अपनी संभावित मंजूरी का संकेत दिया. कुल मिलाकर युद्ध विराम की खबर आ रही है. हालांकि ये शुरू में 60 दिनों के लिए होगा, ताकि स्थायी युद्धविराम का आधार बन सके. इस युद्धविराम के पीछे अमेरिका की ताकत बताई जा रही है.
• इज़राइल ने सितंबर में हिजबुल्लाह के खिलाफ एक बड़ा हमला किया, शीर्ष कमांडरों को मार डाला, कई हमले किए और दक्षिणी लेबनान में सेना भेज दी, जिसका युद्ध लक्ष्य विस्थापित इजरायलियों को उत्तरी क्षेत्रों में लौटने की अनुमति देना था.
• सीएनएन टैली के अनुसार, तब से लेबनान में 3,000 से अधिक लोग मारे गए हैं और दस लाख से अधिक विस्थापित हो गए हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने के आवेदन पर गृह मंत्रालय से जवाब मांगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने के उद्देश्य से दायर याचिका के संबंध में जानकारी तलब की है. डिप्टी सॉलिसिटर जनरल सूर्यभान पांडे ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन गृह मंत्रालय को भी मिला है और उस पर प्रक्रिया के तहत कार्यवाही की जा रही है. कर्नाटक से भाजपा के सदस्य एस विग्नेश शिशिर की ओर से दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में कहा गया है कि राहुल गांधी ब्रिटेन के नागरिक हैं. न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की लखनऊ पीठ ने गृह मंत्रालय को 19 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई तक इस पर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है.
अनशन शुरू करने से पहले किसान नेता दल्लेवाल को पुलिस ने उठाया
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के संयोजक जगजीत सिंह दल्लेवाल ने किसानों के विरोध की चौथी वर्षगांठ (26 नवंबर) पर अनशन शुरू करने की घोषणा की थी. लेकिन अनशन शुरू करने से कुछ घंटे पहले मंगलवार को पंजाब पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.
कटाक्ष: राष्ट्र, महाराष्ट्र और धृतराष्ट्र
राकेश कायस्थ
राष्ट्र प्रसन्न है. महाराष्ट्र उससे भी ज्यादा प्रसन्न है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रसन्न धृतराष्ट्र हैं. वाक्य थोड़ा गलत है, धृतराष्ट्र प्रसन्न नहीं हैं बल्कि हमेशा प्रसन्न रहते हैं. नई पीढ़ी के जो लोग धृतराष्ट्र के बारे में नहीं जानते हैं वे कुंदन शाह की फिल्म `जाने भी दो यारों’ का कालजयी अंतिम दृश्य देख लें. जो बार-बार कहता है, `ये क्या हो रहा है’ और सबकुछ अपनी आँखों के सामने होने देता है, धृतराष्ट्र वही होता है.
जो धृतराष्ट्र होता है, उसके साथ कोई ना कोई संजय भी होता है, लेकिन कलियुग में धृतराष्ट्र अंधा होने के साथ-साथ बहरा भी होता है. संजय कान में आकर चीखता है - विनाश!!
धृतराष्ट्र मुग्ध भाव से कहता है - ओ विकास बहुत अच्छे.
संजय फिर आता और इस बार ज्यादा जोर से चिचियाता है- दंगा..
धृतराष्ट्र तत्काल प्रसन्नता जताता है- चंगा
धृतराष्ट्र के दरबार में एक देवी की मूर्ति भी होती है, जिसके हाथ में तलवार होती है और आँखों पर पट्टी बंधी होती है. अचानक देवी की आँखों से वो पट्टी गायब हो गई है. मैं ढूंढ रहा था कि कहां गई, फिर पता चला कि धृतराष्ट्र ने वो पट्टी अपनी आंखों पर बांध ली है, ताकि गलती से भी कुछ दिख जाने की आशंका हो तो उसे रोका जा सके.
धृतराष्ट्र कोई एक व्यक्ति नहीं है, एक संस्थान स्वरूप पदवी है. धृतराष्ट्र बदलते रहते हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति उनका अवदान नहीं बदलता. एक धृतराष्ट्र वो थे, जिन्होंने दुनिया की सबसे महंगी बाइक पर सवार होकर फोटो खिंचवाई थी और उसके बाद अचानक सार्वजनिक समारोह में उनकी पूरी पतलून बेल्ट समेत गिरकर जूतों तक आई थी. अच्छा हुआ उस वक्त कानून की देवी ने अपनी आंखों से पट्टी नहीं उतारी थी.
एक धृतराष्ट्र मी टू वाले थे, जो भगवत कृपा से समस्त आरोपों से मुक्त हुए और आगे चलकर सबसे ज्यादा सदस्य संख्या वाली पार्टी को प्राप्त हुए. जितने भी धृतराष्ट्र पिछले दस साल में हुए उनमें से ज्यादातर इसी पार्टी के नेता को अपना मी लार्ड मानते रहे, राष्ट्र यह बात अच्छी तरह जानता है.
राष्ट्र को लेकर धृतराष्ट्र हमेशा चिंतित रहते हैं. समय-समय पर अपनी चिंता जताते हैं, लेकिन जाने भी दो यारों के आखिरी दृश्य की तरह महाभारत में सलीम-अनारकली का ड्रामा होने देते हैं. धृतराष्ट्र को कुछ लोग घृतराष्ट्र भी मानते हैं. राष्ट्र में आजकल घी की नदियां बहती हैं. अगर घृतराष्ट्र दो चार चम्मच निकालकर अग्निदेवता को समर्पित कर दें तो भला इसमें एतराज लायक बात क्या है!
घृतराष्ट्र को मंदिरों के अवशेष ढूंढवाने और विवादास्पद ढांचा गिराने को वैध ठहराने का बहुत शौक है. उन्हें तत्काल अपने आसन के नीचे खुदाई का आदेश दे देना चाहिए. वैसे वे जहां बैठते हैं, वो पूरी इमारत ही अब विवादास्पद ढांचा बन चुकी है.
जब न्याय के नाम पर घंटा ही मिलना है तो हम वहां मंदिर बनवा लेंगे और न्याय का घंटा उस दिशा में लगवा लेंगे, धृतराष्ट्र न्याय करते वक्त जिस दिशा में दंडवत होते हैं.
(पेशे से मीडिया प्रोफेशनल राकेश कायस्थ नई पीढ़ी के लोकप्रिय लेखकों में गिने जाते हैं. व्यंग्य संग्रह `कोस-कोस शब्दकोश’ उपन्यास `रामभक्त रंगबाज’ और फैंटेसी नॉबेल ‘प्रजातंत्र के पकौड़े’ इनकी चर्चित कृतियां हैं.)
चलते-चलते: जब दार्जिलिंग के लोगों ने खुद ही टांग दिया 130 फुट का पुल
सरकार ने जब नहीं सुनी तो दार्जिलिंग के सुदूर सिंगतम गांव में लोगों ने खुद के संसाधनों से 130 फुट लंबा नया पुल बना डाला. पुराना सस्पेंशन ब्रिज ब्रिटिश राज में बना था और तब से ही इलाके के लोगों के लिए “जीवन रेखा” था. आजादी के बाद सरकारों द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने से यह खतरनाक और जर्जर हो चुका था. यह पुल चूंकि सिंगतम गांव को दार्जिलिंग के बाकी हिस्सों से जोड़ता है, लिहाजा स्थानीय लोगों ने सरकार से कई बार गुहार लगाई, लेकिन बात नहीं बनी तो खुद ही पुल बना डाला. देखिए 'द टेलिग्राफ' की ये रिपोर्ट..
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