27/03/2025 : रॉ पर प्रतिबंध लगाने की अमेरिका में मांग | भारत पर ड्रग सप्लाई का आरोप | कामरा ने जारी की एक और पैरोडी | दलितों से भी होली पर हिंसा | सांवली नौकरशाह की फेसबुक पोस्ट
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आज की सुर्खियाँ
यूपीआई सिस्टम में खराबी से बाधित रहा डिजिटल लेन-देन
मनरेगा भुगतान में बंदरबांट को लेकर संसद में हंगामा
भूपेश समेत अनेक लोगों के ठिकानों पर सीबीआई के छापे
असम पुलिस ने पत्रकार को घोटाले की पड़ताल में किया गिरफ्तार
मस्जिद को अवैध बता हनुमान चालीसा का पाठ
सपा सांसद के घर पर बुलडोजर से हमला
भारत के ठंडे रवैये को देख युनूस ने चीन का रास्ता पकड़ा
रिलायंस ने वेनेजुएला से कच्चे तेल की खरीद रोकी
सीक्रेट वार चैट का और हिस्सा सार्वजनिक हुआ…
अमेरिकी पैनल ने रॉ पर प्रतिबंध की सिफारिश की, साथ ही मोदी की सांप्रदायिक टिप्पणियों का जिक्र
अमेरिका के धार्मिक स्वतंत्रता पैनल ने मंगलवार को कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार खराब हो रहा है. इसके साथ ही, पैनल ने भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) पर सिख अलगाववादियों की हत्या के षड्यंत्रों में शामिल होने के आरोपों के बीच प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है.
यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि भारत में 2024 के दौरान धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति और खराब हुई, जहां मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले व भेदभाव बढ़े. रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल के चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा ने मुसलमानों व अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ "घृणित बयानबाजी और गलत सूचना" फैलाई.
भारत ने बुधवार को इस रिपोर्ट को "पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक" बताते हुए खारिज कर दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, "यूएससीआईआरएफ एकाग्रता से अलग-थलग घटनाओं को गलत ढंग से पेश करने और भारत के बहुलवादी समाज पर सवाल उठाने का प्रयास करता है. यह धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति चिंता नहीं, बल्कि एक एजेंडा है."
अमेरिका एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर भारत और वियतनाम के साथ संबंध मजबूत करना चाहता है. विश्लेषकों का मानना है कि इसी वजह से वह मानवाधिकार मुद्दों को नजरअंदाज कर रहा है. 2023 से, अमेरिका और कनाडा में सिख अलगाववादियों को निशाना बनाने के आरोपों ने अमेरिका-भारत संबंधों में तनाव पैदा किया है. अमेरिका ने पूर्व भारतीय खुफिया अधिकारी विकास यादव पर एक नाकाम हत्या प्रयास का आरोप लगाया है. भारत ने इन आरोपों से इनकार किया है.
रिपोर्ट में पीएम मोदी के उस बयान का भी जिक्र है, जहां उन्होंने अप्रैल 2023 में मुसलमानों को "अधिक बच्चे पैदा करने वाले घुसपैठिए" बताया था. मोदी सरकार का कहना है कि उसकी नीतियां जैसे बिजलीकरण और सब्सिडी योजनाएं सभी समुदायों के लिए हैं. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूह नागरिकता कानून, धर्मांतरण विरोधी कानून, कश्मीर की विशेष स्थिति हटाने और मुस्लिम बहुल इलाकों में घरों के विध्वंस को लेकर चिंता जताते रहे हैं.
यूएससीआईआरएफ ने भारत को "विशेष चिंता वाला देश" घोषित करने और रॉ और यादव पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है. हालांकि, अमेरिकी सरकार द्वारा इन्हें लागू करने की संभावना कम है, क्योंकि पैनल की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं होतीं. विशेषज्ञों के अनुसार, चीन के मद्देनजर भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी प्राथमिकता बनी रहेगी.
चीन और भारत सरकारों पर अमेरिका में ड्रग तस्करों की सहायता करने का सीधा आरोप
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की एक वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को चीन के साथ स्टेट एक्टर के रूप में बताया गया है, जो अंतरराष्ट्रीय समूहों और मादक पदार्थ तस्करों को जरूरी रसायनों की सप्लाई में "प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष" रूप से सहायक हैं. द वायर के अनुसार यह रिपोर्ट मंगलवार (25 मार्च) को जारी की गई.
ऑफिस ऑफ द डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलीजेंस द्वारा प्रकाशित 2025 की इस रिपोर्ट में कहा गया है, "गैर-राज्य समूहों को अक्सर चीन और भारत जैसे स्टेट एक्टर सीधे या परोक्ष तौर पर मददगार होते हैं. ड्रग तस्करों को यहां से जरूरी रसायन और उपकरण मुहैया होते हैं." यह पहली बार है, जब भारत को फेंटेनाइल जैसे ओपिओइड निर्माण में इस्तेमाल होने वाले जरूरी रसायनों की आपूर्ति में चीन के समकक्ष रखा गया है.
2024 की रिपोर्ट में भारत का जिक्र मेक्सिको समूहों के लिए "कम मात्रा" में स्रोत के तौर पर किया गया था, जबकि चीन को प्राथमिक आपूर्तिकर्ता बताया गया था. नई रिपोर्ट की भाषा चिंताजनक है, क्योंकि इसमें भारत और चीन को "स्टेट एक्टर" कहकर सरकारी संलिप्तता का संकेत दिया गया है.
यह रिपोर्ट तब आई है जब डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरा राष्ट्रपति कार्यकाल शुरू किया है और उन्होंने ओपिओइड संकट को प्राथमिकता देते हुए 1 फरवरी को चीन पर 10% और कनाडा-मेक्सिको पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया था. भारत इसी बीच 2 अप्रैल से लागू होने वाले ट्रंप के शुल्क नीति से बचने के लिए अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत तेज कर चुका है.
रिपोर्ट के मुताबिक, "चीन फेंटेनाइल प्रीकर्सर (जरूरी रसायन) और गोली बनाने के उपकरणों का प्रमुख स्रोत बना हुआ है, जबकि भारत दूसरे स्थान पर है. मेक्सिको स्थित दलाल अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचने के लिए गलत लेबलिंग और द्वैध उपयोग वाले रसायन खरीदते हैं." अक्टूबर 2024 तक के 12 महीनों में अमेरिका में फेंटेनाइल से 52,000 से अधिक मौतें दर्ज की गईं.
ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन की 2024 की रिपोर्ट ने भी भारत को सिंथेटिक ड्रग्स के प्रीकर्सर के लिए "प्रमुख स्रोत" बताया था. जनवरी में अमेरिका ने दो भारतीय कंपनियों पर फेंटेनाइल निर्माण हेतु रसायन आपूर्ति का अभियोग लगाया था. तीन महीने बाद, एक अन्य भारतीय फर्म के अधिकारियों को अमेरिका में फेंटेनाइल प्रीकर्सर बेचने के प्रयास में गिरफ्तार किया गया.
कुणाल कामरा की नई पैरोडी के निशाने पर वित्त मंत्री निर्मला

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर तंज़ कसने वाले स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने बुधवार को नया वीडियो पोस्ट किया है. इस बार उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर कटाक्ष किया है और मिस्टर इंडिया फिल्म के “हवा-हवाई” गाने की तर्ज पर गाया है कि-
“देश में इतनी महंगाई, सरकार के साथ है आई.
लोगों की लूटने कमाई, साड़ी वाली दीदी है आई.
सैलरी चुराने ये है आई, मिडिल क्लास दबाने ये है आई.
पॉपकॉर्न खिलाने ये है आई, कहते हैं इसको निर्मला ताई.
कुणाल पिछले पांच दिनों में ऐसे तीन वीडियो पोस्ट कर चुके हैं. इस बीच महाराष्ट्र विधानसभा और विधान परिषद में कामरा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है. उनकी यह अर्जी भी ठुकरा दी है गई है कि उन्हें मुंबई पुलिस के समक्ष पेश होने के लिए एक हफ्ते का समय दिया जाए. बल्कि पुलिस उनको दूसरा समन जारी करने वाली है.
अतुल चौरसिया ने अपने वीडियो में भी कामरा के किस्से पर अपनी टिप्पणी कसी. और खुद की भी पैरोडी सुनाई.
यूपीआई सिस्टम में खराबी से बाधित रहा डिजिटल लेनदेन : बुधवार को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (यूपीआई) में व्यापक व्यवधान के कारण करीब एक घंटे तक डिजिटल लेन-देन प्रभावित हुआ. बड़ी संख्या में उपयोगकर्ताओं ने तत्काल भुगतान इंटरफ़ेस में समस्याओं की शिकायत की. इसकी बहुत सारी शिकायतें डाउन डिटेक्टर पर की गई, जो उपयोगकर्ता रिपोर्ट के आधार पर सेवा व्यवधानों की निगरानी करता है. बाद में इसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (एनसीपीआई) ने सही कर दिया. यूपीआई : यह एक त्वरित भुगतान प्रणाली है, जिसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की विनियमित इकाई एनपीसीआई ने विकसित किया है और इसे वही प्रबंधित भी करता है. यह आपको किसी भी दो पक्षों के बैंक खातों के बीच बिना किसी शुल्क के तुरंत पैसे ट्रांसफर करने की अनुमति देता है.
बिरला ने मुझे बोलने नहीं दिया, वह भाग गए...समझ नहीं आता, यहां चल क्या रहा है : लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को स्पीकर ओम बिरला पर आरोप लगाया कि उन्होंने संसद में उन्हें बोलने का मौका देने से इनकार कर दिया. रायबरेली से सांसद राहुल ने कार्यवाही को "अलोकतांत्रिक तरीके" से चलाने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि उनके बार-बार किए गए अनुरोधों को नज़रअंदाज़ किया गया. उन्होंने संसद के बाहर पत्रकारों से कहा, "मुझे समझ नहीं आता कि क्या चल रहा है... मैंने उनसे (अध्यक्ष) अनुरोध किया कि मुझे बोलने दें, लेकिन वह भाग गए और मुझे बोलने नहीं दिया. इस तरह सदन नहीं चलाया जा सकता." राहुल गांधी का कहना था कि उन्होंने महाकुंभ मेले और बढ़ती बेरोजगारी के मुद्दे पर बोलने की मांग की थी, लेकिन उन्हें बार-बार रोका गया. उन्होंने कहा, "मैंने कुछ भी नहीं किया, मैं चुपचाप बैठा था. फिर भी, जब भी मैं खड़ा होता हूं, मुझे बोलने से रोका जाता है. यहां लोकतंत्र के लिए कोई जगह नहीं है."
भूपेश समेत अनेक लोगों के ठिकानों पर सीबीआई के छापे : सीबीआई ने महादेव सट्टा ऑनलाइन बेटिंग एप मामले में छत्तीसगढ़, दिल्ली, भोपाल और कोलकाता समेत चार राज्यों के 60 स्थानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की है. छत्तीसगढ़ में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उनके दो करीबी तत्कालीन ओएसडी आशीष वर्मा और मनीष बंछोर, उनके राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा, उनकी पूर्व सचिव सौम्या चौरसिया, विधायक देवेंद्र यादव, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और चार आईपीएस अधिकारियों आनंद छाबड़ा, अभिषेक पल्लव, आरिफ शेख और प्रशांत अग्रवाल के आवासीय और आधिकारिक परिसरों पर छापेमारी की. गौरतलब है कि महादेव बुक ऑनलाइन बेटिंग एप को दुबई-स्थित प्रमोटर्स रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर द्वारा संचालित किया जा रहा है. आरोप है कि इस अवैध बेटिंग नेटवर्क के सुचारू संचालन के लिए लोकसेवकों को "सुरक्षा धन" के रूप में भारी भुगतान किया गया. शुरुआत में रायपुर की आर्थिक अपराध शाखा ने मामले की जांच की, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता की गहन जांच के लिए इसे बाद में सीबीआई को सौंप दिया गया. कांग्रेस ने सीबीआई की इस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया है.
मनरेगा भुगतान में बंदरबांट को लेकर संसद में हंगामा
बुधवार को संसद में मनरेगा को लेकर ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासनी के उस बयान के बाद विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया. पेम्मासनी ने कहा कि 20 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश की तुलना में 7 करोड़ आबादी वाला तमिलनाडु अधिक धन प्राप्त करता है. पर आंकड़ों के मुताबिक मंत्री का बयान गलत था. पेम्मासनी ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में "कई चीजें गलत हुईं". विपक्षी सदस्यों के जोरदार विरोध के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से प्रश्नकाल में "क्षेत्रीय राजनीतिक एजेंडा" न चलाने को कहा और सदन को स्थगित किया. विपक्षी सदस्य केरल और तमिलनाडु को केंद्रीय धन के भुगतान में देरी और पश्चिम बंगाल को तीन साल से धन न मिलने के मुद्दे उठा रहे थे.
कांग्रेस सांसद अडूर प्रकाश ने प्रश्नकाल में मनरेगा भुगतान में देरी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि केरल को 811 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है. पेम्मासनी ने जवाब दिया कि "भुगतान निरंतर जारी है और बकाया राशि अगले कुछ हफ्तों में दी जाएगी". डीएमके सांसद कनिमोझी ने बताया कि तमिलनाडु को पिछले पांच महीनों से 4,034 करोड़ रुपये बकाया हैं. पेम्मासनी ने कहा, "तमिलनाडु ने इस साल 7,300 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं, जबकि उत्तर प्रदेश को 10,000 करोड़ रुपये से अधिक मिले हैं. धन देने से इनकार नहीं है." हालांकि, मनरेगा वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में तमिलनाडु को 7,41,451.45 करोड़ और यूपी को 9,75,872.85 करोड़ रुपये जारी किए गए. टीएमसी सांसद बापी हलदार के सवाल के जवाब में पेम्मासनी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में "धन का दुरुपयोग" और ठेकेदारों को काम आवंटित करने जैसे मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि 5.37 करोड़ रुपये के गबन में से 2.39 करोड़ रुपये वसूल किए गए हैं और शेष मामलों का निपटारा किया जाएगा.
असम पुलिस ने पत्रकार को घोटाले की पड़ताल में किया गिरफ्तार : गुवाहाटी प्रेस क्लब के महासचिव और पत्रकार दिलवर हुसैन मजूमदार को एक सहकारी बैंक के एमडी से भर्ती घोटाले के सवाल पूछने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया. इस बैंक के निदेशक मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और अध्यक्ष भाजपा विधायक विश्वजीत फुकन हैं. मजूमदार को रात में हिरासत में लेकर अज्ञात स्थान ले जाया गया. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया समेत कई मीडिया संगठनों ने इस गिरफ्तारी को "प्रेस की आज़ादी पर हमला" बताते हुए तत्काल रिहाई की मांग की. पुलिस ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है.
ट्विटर ने सरकार के सहयोग पोर्टल से किया इनकार : इलोन मस्क के एक्स कॉर्प (पूर्व ट्विटर) ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि वह सरकार के सहयोग पोर्टल 'सहयोग ' से नहीं जुड़ेगी, क्योंकि उसके पास "कानूनी अनुरोधों को प्रोसेस करने की अपनी व्यवस्था है". कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट के श्रेया सिंघल केस का हवाला देते हुए कहा कि यह पोर्टल आईटी एक्ट की धारा 69ए के दायरे में नहीं आता. सरकार ने शिकायत की थी कि एक्स ने बाल यौन शोषण संबंधी कंटेंट हटाने के अनुरोधों को नजरअंदाज किया है. अदालत ने दोनों पक्षों को जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणियों पर रोक लगाई : उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में बलात्कार के प्रयास की शिकार नाबालिग लड़की के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर पर रोक लगा दी. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह 'पूर्ण असंवेदनशीलता' और 'अमानवीय दृष्टिकोण' को दर्शाता है. हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगने पर पीड़िता के परिवार वालों ने राहत व्यक्त की. सुप्रीम कोर्ट में परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाली अधिवक्ता रचना त्यागी ने यह जानकारी साझा की. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि लड़की के स्तनों को पकड़ना और उसके पायजामे की डोरी खोलना बलात्कार (आईपीसी धारा 376) नहीं है, बल्कि महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमले के तहत आता है. पीटीआई से बात करते हुए त्यागी ने कहा, ‘‘नवंबर 2021 में हुई घटना के बाद से ही उसकी एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही थी. जनवरी 2022 में शिकायत दर्ज कराने के लिए उसे जिला अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा था. तब से साढ़े तीन साल से अधिक समय तक न तो ट्रायल कोर्ट और न ही हाई कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. बलात्कार का प्रयास एक संज्ञेय अपराध है और ऐसे मामलों में तुरंत एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए.” त्यागी के अनुसार, ‘पीड़िता का परिवार बेहद गरीब है. पीड़िता तीन भाइयों में इकलौती बहन है.
जज नकदी मामला पर एफआईआर की मांग पर सुनवाई बाद में : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से नकदी बरामदगी मामले में एफआईआर को लेकर दायर याचिका की त्वरित सुनवाई से इनकार कर दिया और इसे बाद की तारीख के लिए सूचीबद्ध किया है. याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट के 1991 के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया था कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी भी वर्तमान जज के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य है. “द इंडियन एक्सप्रेस” के अनुसार अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुमपरा ने जब इस मामले को जल्द सुनने का आग्रह किया तो सीजेआई संजीव खन्ना ने उनसे कहा, “आपका मामला सूचीबद्ध किया गया है.” सीजेआई ने उन्हें इस केस में सार्वजनिक बयान देने से बचने की सलाह भी दी. उधर, दिल्ली पुलिस जस्टिस वर्मा के आवास के उस कमरे को सील करने पहुंची, जिसमें आग लगी थी और अधजले नोट मिले थे.
कार्टून | राजेन्द्र धोड़पकर
हेट क्राइम
सिर्फ मुस्लिमों से नहीं, होली पर यूपी में दलितों और पिछड़ी जातियों से भी हिंसा
द वायर के लिए उमर राशिद ने एक रिपोर्ट की हे, इससे पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में होली समारोह के दौरान न सिर्फ अल्पसंख्कों पर हमले हुए, बल्कि दलितों और पिछड़ी जातियों के लोगों को भी निशाना बनाया गया था. त्योहार के दिन दलितों और अति पिछड़े समुदायों को निशाना बनाकर हिंसा और आगजनी की कम से कम तीन घटनाएं सामने आईं.
मथुरा में, रंग फेंकने को लेकर हुए विवाद में जाटव (दलित) और ठाकुर समुदाय के सदस्यों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसके बाद दोनों पक्षों ने आपराधिक मामले दर्ज कराए. दो प्राथमिकी रिपोर्ट में कुल 74 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. फर्रुखाबाद में, होली मनाने जा रहे कुर्मी (अन्य पिछड़ा वर्ग या ओबीसी) समुदाय के तीन लोगों द्वारा कथित तौर पर देसी पिस्तौल से गोली चलाने के बाद आधा दर्जन दलित घायल हो गए. संत कबीर नगर में, होली पर डीजे बजाने को लेकर हुए विवाद के बाद ब्राह्मण समुदाय के लोगों के एक समूह ने राजभर (ओबीसी) की कम से कम 20 झोपड़ियों को आग के हवाले कर दिया. मथुरा में जाटव समुदाय के 32 लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास और अन्य आरोपों के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया है. इन लोगों पर 14 मार्च को ऊंची जातियों, खासकर ठाकुरों के करीब आधा दर्जन लोगों पर हमला करने का आरोप है.
मेरठ में मस्जिद को अवैध बता हनुमान चालीसा का पाठ : उत्तरप्रदेश के मेरठ में छावनी इलाके की एक मस्जिद के निकट हनुमान चालीसा का पाठ करने और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के आरोप में एक हिंदू संगठन के नेता और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस के अनुसार, कुछ लोगों ने सोमवार को मस्जिद के बाहर इसे अवैध बताते हुए विरोध प्रदर्शन किया, धर्म विरोधी नारे लगाए, हनुमान चालीसा पढ़ने लगे और मस्जिद गिराने की धमकी दी. इसके बाद इलाके में अफरातफरी मच गई.
सपा सांसद के घर पर बुलडोजर से हमला कर तोड़-फोड़ की : बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा में थे. इसी दिन दक्षिणपंथी संगठन करणी सेना के सदस्यों ने शहर में समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के आवास पर बुलडोजर से तोड़फोड़ की. सेना सांसद सुमन के संसद में दिए गए भाषण, जिसमें राजपूत राजा राणा सांगा का उन्होंने जिक्र किया था, इसके विरोध में यह हमला किया. इस दौरान हिंसक हमले में सेना के सदस्यों ने कई पुलिस अधिकारियों को भी घायल कर दिया. इस मुठभेड़ में कम से कम 15 पुलिसकर्मी समेत कई लोग घायल हुए हैं. समूह ने एमजी रोड के पास पुलिस बैरिकेड्स तोड़ दिया और अधिकारियों से भिड़ गए. पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ तितर-बितर करने का प्रयास किया, मगर इससे पहले वे वाहनों और सांसद के घर का प्रवेश द्वार तोड़ने में कामयाब रहे. सुमन को कथित तौर पर संसद में उनकी टिप्पणियों के लिए निशाना बनाया गया था, जिसमें उन्होंने कहा था, “भाजपा नेता अक्सर दावा करते हैं कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है. लेकिन भारतीय मुसलमान बाबर को अपना आदर्श नहीं मानता. वास्तव में, बाबर को भारत कौन लाया? वह राणा सांगा ही थे, जिन्होंने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए आमंत्रित किया था. उस तर्क से, यदि आप दावा करते हैं कि मुसलमान बाबर के वंशज हैं तो आप भी राणा सांगा के वंशज हैं - एक गद्दार.”
जब सुमन दिल्ली में संसद में भाग ले रहे थे, तब उनके बेटे पूर्व एमएलसी रंजीत सुमन ने बताया कि परिवार को ऑनलाइन धमकियाँ मिली थीं और स्थानीय प्रशासन ने चेतावनियों को नज़रअंदाज़ कर दिया. आज, लाठी और तलवारों से लैस होकर, उन्होंने हमारे घर और इलाके के अन्य लोगों के घरों को भी नुकसान पहुंचाया. इस हमले में कई लोग भी घायल हुए हैं."
वैकल्पिक मीडिया | ऑल्ट न्यूज
नागपुर हिंसा : एक फिल्म, एक पुराना राजा, बहुत सारे नेता और नफ़रत की आग
फैक्ट चैक वेबसाइट आल्ट न्यूज ने नागपुर हिंसा के पहले नेताओं द्वारा दिये गये नफरत भरे बयानों की फेहरिस्त बनाई है और समझाने की कोशिश की है कि किस तरह से हिंसा भड़काने में उनकी भूमिका रही.
17 मार्च, 2025 को महाराष्ट्र के नागपुर में एक हिंदुत्व संगठन के प्रदर्शन के दौरान क़ुरआन की आयत लिखे कपड़े को जलाए जाने की अफवाह के बाद हिंसा भड़क उठी. प्रदर्शनकारियों ने मुगल बादशाह औरंगजेब का पुतला फूंका, जिसके बाद हुए झड़पों में 30 लोग घायल हुए और घरों-वाहनों को नुकसान पहुंचा. यह घटना औरंगजेब को लेकर भारत में चल रहे सियासी-साम्प्रदायिक विवाद की नवीनतम कड़ी है.
300 साल पुराने शासक औरंगजेब का चरित्र आज भी राजनीतिक हथियार बना हुआ है. फरवरी 2025 में रिलीज फिल्म 'छावा' ने इस विवाद को हवा दी. फिल्म में छत्रपति संभाजी महाराज के साथ औरंगजेब के अत्याचारों को ग्राफिक तरीके से दिखाया गया है. सिनेमाघरों में दर्शकों के रोने, नारेबाजी करने और परदे फाड़ने की वायरल वीडियोज ने महाराष्ट्र में मराठा अस्मिता की भावनाएं भड़काईं. हिंदुत्व नेताओं और भाजपा ने फिल्म का खुलकर समर्थन किया, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में मराठी साहित्य सम्मेलन में इसे "गौरवशाली इतिहास" बताया.
3 मार्च को समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने विधानसभा में औरंगजेब को "कुशल प्रशासक" बताकर विवाद खड़ा किया. इसके जवाब में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आजमी को पार्टी से निकालने की मांग की. महाराष्ट्र भर में भाजपा, बजरंग दल और विहिप ने औरंगजेब के मकबरे को गिराने की मांग तेज कर दी. भाजपा नेता नवनीत राणा, उदयनराजे भोसले और नितेश राणे जैसे नेताओं ने खुलेआम मकबरा विध्वंस का समर्थन किया. नितेश राणे ने रत्नागिरी में कहा, "जैसे बाबरी ढहाई, वैसे ही औरंगजेब का मकबरा भी गिरेगा." महाराष्ट्र सरकार ने एक ओर मकबरे की सुरक्षा बढ़ाने का दावा किया, वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भोसले के मकबरा विध्वंस के बयान का समर्थन करते हुए कहा, "कानूनी रास्ते से हटाया जाए." विडंबना यह है कि मंत्रियों द्वारा हिंसा भड़काने वाले बयानों के बावजूद अब तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई.
भारत के ठंडे रवैये को देख युनूस ने चीन का रास्ता पकड़ा : बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनुस चीन जाने से पहले भारत आना चाहते थे, लेकिन भारत ने उनके अनुरोध का "सकारात्मक" जवाब नहीं दिया. प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने बताया कि दिसंबर 2023 में ही भारत से युनुस की द्विपक्षीय यात्रा का प्रस्ताव भेजा गया था, जो चीन यात्रा से हफ्तों पहले था. आलम ने कहा, "हम भारत के साथ गर्मजोशी चाहते हैं, लेकिन जवाब न मिलने पर चीन का दौरा तय हुआ." युनुस ने पिछले महीने चीन का दौरा किया, जहां उन्होंने बुनियादी ढांचे और व्यापार समझौतों पर चर्चा की.
ट्रम्प के टैरिफ भी नहीं रोक पा रहे भारतीयों की भर्तियां
न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट किया है कि भारत के प्रतिभाशाली युवाओं की बढ़ती ताकत ने अमेरिकी कंपनियों को अपने ग्लोबल ऑपरेशंस के लिए भारतीय शहरों को चुना है. ट्रंप प्रशासन के टैरिफ और आव्रजन नीतियों के बावजूद, भारत में अमेरिकी कॉर्पोरेट ऑफिसों का विस्तार जारी है.
बेंगलुरु, हैदराबाद और गुरुग्राम जैसे शहरों में अमेरिकी कंपनियों के "ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स" तेजी से बढ़ रहे हैं. जेपीमॉर्गन चेस जैसे दिग्गजों के यहाँ 55,000 कर्मचारी हैं, वहीं टारगेट, लोव्स और गूगल जैसी कंपनियाँ भी हजारों भारतीयों को नौकरियाँ दे रही हैं. 2024 तक भारत में 1,800 से अधिक विदेशी कॉर्पोरेट ऑफिस स्थापित हो चुके हैं, जिनमें 1.9 मिलियन कर्मचारी काम करते हैं. 2030 तक यह संख्या 2.8 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है.
ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार घाटे ($46 बिलियन) और अवैध आव्रजन पर नाराजगी जताई है, लेकिन यह ट्रेंड थमने का नाम नहीं ले रहा. विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका में कुशल कर्मचारियों की कमी और भारत में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स की बाढ़ (प्रतिवर्ष 1.2 मिलियन) मुख्य वजह हैं. भारतीय वेतन अमेरिका के मुकाबले 25-30% ही हैं, लेकिन कंपनियों को यहाँ "स्केल करने" की क्षमता आकर्षित करती है.
कोविड ने इस ट्रेंड को गति दी. जिनोव के सीईओ परी नटराजन कहते हैं, "कंपनियों को एहसास हुआ कि टीम्स कहीं भी काम कर सकती हैं." सिलिकॉन वैली की कंपनी प्योर स्टोरेज जैसे नए खिलाड़ी बेंगलुरु में कैलिफोर्निया जैसे ऑफिस बना रहे हैं. पुरानी कंपनियाँ जैसे पिटनी बोव्ज भी अपने 85% टेक वर्कफोर्स को भारत में तैनात कर चुकी हैं.
बेंगलुरु जैसे शहरों में रियल एस्टेट महंगा हो रहा है, और प्रतिभा के लिए प्रतिस्पर्धा तेज है. फिर भी, 2025 में 100 नए ग्लोबल सेंटर्स के खुलने की उम्मीद है. यह ट्रेंड भारत के लिए अहम है, जहाँ हर साल 1 करोड़ नौकरियों की जरूरत है. अमेरिकी कंपनियों का यह विश्वास अब टैरिफ की राजनीति से परे जा चुका है.
रिलायंस ने वेनेजुएला से कच्चे तेल की खरीद रोकी
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने वेनेजुएला से कच्चे तेल की आगे की खरीद पर रोक लगा दी है. यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रतिबंधित वेनेजुएला से तेल खरीदने वाले देशों पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने के बाद उठाया गया है. हालांकि, रिलायंस को पिछले साल वेनेजुएला से तेल आयात की छूट मिली थी और केप्लर के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से अब तक कंपनी ने 65 लाख बैरल तेल आयात किया है. वर्तमान में क्रूड का एक अंतिम जहाज भारत की ओर रवाना है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसके बाद कोई और शिपमेंट नहीं होगी.
भारतीय रिफाइनरियां पहले भी वेनेजुएला के तेल को व्यापारियों के माध्यम से खरीदती रही हैं, लेकिन रूस का सस्ता और आसानी से उपलब्ध क्रूड उनकी प्राथमिकता बना हुआ है. वहीं, वेनेजुएला का सबसे बड़ा खरीदार चीन फरवरी में 40% से अधिक निर्यात ले चुका है और अमेरिकी दबाव के बावजूद आपूर्ति जारी रखेगा. 2 अप्रैल से लागू हो रहे नए शुल्क को देखते हुए भारतीय कंपनियां सतर्कता बरत रही हैं.
ट्रम्प प्रशासन
सीक्रेट वार चैट का और हिस्सा सार्वजनिक हुआ..
पूर्व रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने ट्रंप प्रशासन के शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के सिग्नल ग्रुप चैट में अत्यधिक क्लासिफाइड जानकारी साझा की थी, जबकि यह ऑपरेशन शुरू भी नहीं हुआ था. यह दावा एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी और एक अन्य सूत्र ने किया, जिन्हें ऑपरेशन की जानकारी थी.
द अटलांटिक ने बुधवार को इस चैट के और टेक्स्ट मैसेज प्रकाशित किए, जिसमें यमन के हौथी हमले से पहले संवेदनशील जानकारी साझा करने को "ऑपरेशनल सुरक्षा की भारी चूक" बताया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, हेगसेथ द्वारा दी गई अपडेट्स वही थीं, जो एक कमांडर राष्ट्रपति को गुप्त ब्रीफिंग में देता. एक रक्षा अधिकारी ने कहा, "ये योजनाएं सैन्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए गोपनीय होती हैं. ऐसी जानकारी अनवर्गीकृत सिस्टम पर साझा करना गंभीर लापरवाही है."
ट्रंप और उनकी टीम ने द अटलांटिक की सोमवार की रिपोर्ट के बाद चैट की संवेदनशीलता को कम करने की कोशिश की, लेकिन बुधवार को प्रकाशित मैसेज में हवाई हमले के विमानों, ड्रोन और समयसीमा का विस्तार से जिक्र था. एक मैसेज में हेगसेथ ने लिखा, "मौसम अनुकूल है. सेंटकॉम से पुष्टि हुई कि मिशन लॉन्च के लिए तैयार." रक्षा अधिकारी के अनुसार, "यूनिफॉर्म में कोई भी ऐसा करता तो कोर्ट-मार्शल होता."
सीनेट आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के अध्यक्ष रॉजर विकर और डेमोक्रेट सदस्य जैक रीड ने प्रशासन से इंस्पेक्टर जनरल रिपोर्ट और गुप्त ब्रीफिंग मांगी. वहीं, पेंटागन के प्रवक्ता शॉन पार्नेल ने कहा कि हेगसेथ ने केवल चल रहे ऑपरेशन की जानकारी दी, जो पहले से स्वीकृत थी.
द अटलांटिक के अनुसार, हेगसेथ ने हमले का समय, एफ - 18 विमानों के लॉन्च, एम क्यू -9 ड्रोन और टोमाहॉक मिसाइलों के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की, जो हमले से दो घंटे पहले चैट में डाली गई. रिपोर्टर्स ने चेतावनी दी कि यह जानकारी गलत हाथों में पहुंचती तो अमेरिकी सैनिकों को खतरा हो सकता था. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज़ ने लक्ष्य के ढहने की पुष्टि की, जबकि हेगसेथ ने अगले हमलों का संकेत दिया. यह जानकारी डीएनआई तुलसी गैबार्ड के बयानों के विपरीत है, जिन्होंने चैट में हथियारों और समय पर चर्चा से इनकार किया था.
व्हाइट हाउस ने द अटलांटिक की रिपोर्ट को "झूठा" बताया, लेकिन एनएससी ने मैसेज की प्रामाणिकता स्वीकार की. सैन्य विश्लेषक सेड्रिक लेइटन ने कहा, "यह स्पष्ट रूप से क्लासीफाइड जानकारी है." इस मामले में राजनीतिक और सैन्य स्तर पर बहस जारी है.
चलते चलते
सांवली मुख्य सचिव का अपने रंग पर फेसबुक पोस्ट
"50 साल तक मैंने खुद को उस सोच की मिट्टी में दबा लिया था कि मेरा रंग 'काफी अच्छा नहीं है'," केरल की मुख्य सचिव सारदा मुरलीधरन ने एक भावुक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा. उन्होंने अपने जीवन भर के रंगभेद के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि कैसे उनके बच्चों ने उन्हें "कालेपन की गरिमा" सिखाई.
सितंबर 2023 में मुख्य सचिव बनीं सारदा ने मंगलवार को एक फेसबुक पोस्ट में हाल की एक घटना का जिक्र किया. उन्होंने लिखा, "किसी ने मेरे कार्यशैली पर टिप्पणी करते हुए कहा—'यह तो उतनी ही काली है जितना आपका रंग, जबकि आपके पति (पूर्व मुख्य सचिव वेणु) की शैली सफ़ेद थी.'" यह टिप्पणी सुनकर बुरा तो लगा, लेकिन फिर उन्होंने इसे अपने 'कालेपन' को गले लगाने का मौका बनाया. अपनी पोस्ट में सारदा ने बताया कि कैसे चार साल की उम्र में उन्होंने माँ से पूछा था, "क्या तुम मुझे वापस पेट में डालकर गोरी और सुंदर बना सकती हो?" यही वह पल था, जब समाज ने उनके मन में यह बीज बो दिया कि "काला रंग कमतर है". आगे के पाँच दशकों तक वह इसी धारणा से जूझती रहीं—"गोरा रंग ही सुंदरता, बुद्धिमत्ता और अच्छाई का प्रतीक है".
परिवर्तन तब आया, जब उनके बच्चों ने काले रंग को गर्व के साथ अपनाया. सारदा लिखती हैं, "मेरे बच्चों ने अपनी कालेपन की विरासत पर नाज़ किया. वे उन जगहों पर खूबसूरती ढूंढ़ लेते थे, जहाँ मुझे कुछ नहीं दिखता था. उन्होंने मुझे सिखाया कि काला रंग शक्तिशाली है—यह ब्रह्मांड का सच है, बारिश के बादलों का वादा है, काजल की चमक है." उन्होंने सवाल उठाया, "काला रंग बुराई, निराशा और अत्याचार का प्रतीक क्यों माना जाता है? क्या यह सिर्फ़ रंग नहीं, बल्कि उससे जुड़े पूर्वाग्रह हैं, जिन्हें हमने पाला है?" अपने पोस्ट को दोबारा शेयर करते हुए उन्होंने कहा, "यह चर्चा होनी चाहिए कि क्यों एक महिला के लिए 'काला' शब्द शर्म की बात समझा जाता है."
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