29 नवंबर 2024: अडानी, सम्भल, मणिपुर पर संसद ठप, कितने रुपये में निकलता है गरीब का खर्चा, चुनाव आयोग देता नहीं हिसाब वोटों का, गोविल को नैतिकता की चिंता, भारत में बसे अफ्रीकी सिद्दी समुदाय पर फिल्म
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
सुर्खियां : संसद के दोनों सदनों में लगातार तीसरे दिन गुरुवार को अडानी, सम्भल और मणिपुर हिंसा पर हंगामा हुआ. दरअसल, विपक्ष शीतकालीन सत्र के पहले दिन से मांग कर रहा है कि अडानी समूह पर लगे रिश्वत के आरोपों, यूपी के सम्भल और मणिपुर में हिंसा की हाल की घटनाओं पर संसद में चर्चा हो, लेकिन उसकी मांग आज भी स्वीकार नहीं की गई. अंततः लोकसभा और राज्यसभा की बैठकों को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया. लोकसभा में नवनिर्वाचित सदस्यों वायनाड से प्रियंका गांधी वाड्रा और नांदेड से रवीन्द्र वसंत राव चव्हाण के शपथ ग्रहण करते ही स्पीकर ओम बिरला ने दोपहर तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी. दोबारा कार्यवाही तो शुरू हुई, लेकिन वक्फ (संशोधन) विधेयक पर बनी जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल के प्रस्ताव को स्वीकार करने के तुरंत बाद कल तक के लिए स्थगित कर दी गई. जेपीसी का समय बढ़ा दिया गया है. वह अब आगामी बजट सत्र की अंतिम तारीख तक अपनी रिपोर्ट पेश कर सकेगी. उधर राज्यसभा में भी यही हुआ. सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि नियम 267 के तहत प्राप्त 16 नोटिस नामंजूर कर दिए हैं. नोटिसों में अडानी, सम्भल और मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग की गई थी. धनखड़ ने कहा कि यह सदन सिर्फ बहस का सदन नहीं है. संसदीय विवाद हमारे लोकतंत्र को कमजोर करता है. संसदीय अवरोध कोई समाधान नहीं, बल्कि एक रोग है.
इधर सम्भल हिंसा को लेकर संसद के बाहर भी बहुत कुछ हो रहा है. मसलन, सम्भल की शाही जामा मस्जिद का मामला आज सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर निचली अदालत के मस्जिद का सर्वे कराने के आदेश को चुनौती दी है. कल शुक्रवार को देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच इसकी सुनवाई करेगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी एक जनहित याचिका लगाकर मांग की गई कि सम्भल हिंसा में उत्तरप्रदेश सरकार और जिले के डीएम व एसपी समेत प्रशासनिक अधिकारियों की कथित भूमिका की हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एसआईटी गठित कर जांच कराना चाहिए. याचिका में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई से हिंसा के कारणों और इसमें लोगों की भागीदारी की गहराई से जांच कराने का आग्रह भी किया गया है. इस बीच सम्भल प्रशासन ने सार्वजनिक स्थानों पर हिंसा में शामिल आरोपियों के नाम फोटो वाले होर्डिंग और बैनर लगाने का फैसला किया है. इन पर क्षतिपूर्ति राशि का भी उल्लेख रहेगा. सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि 100 उपद्रवियों की पहचान कर ली गई है. सीसीटीवी फुटेज और वीडियो की पड़ताल कर और लोगों के नाम व तस्वीरें इकट्ठा की जा रही हैं. देश में मंदिर मस्जिद का मुद्दा दशकों से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का कारण रहा है और अब उत्तरप्रदेश के वाराणसी, मथुरा, सम्भल के बाद राजस्थान के अजमेर शरीफ और उत्तराखंड के उत्तरकाशी से भी हलचल की खबरें आ रही हैं.
अजमेर की सिविल कोर्ट के जज मनमोहन चंदेल ने ने प्रसिद्ध अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण की मांग करने वाली याचिका पर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और अजमेर दरगाह समिति को नोटिस जारी किया है. हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया है कि सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के समाधि स्थल पर पहले शिव मंदिर था. मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी.
उत्तरकाशी की दशकों पुरानी मस्जिद को लेकर भी तनाव बढ़ने की खबर है. हाईकोर्ट को दखल देना पड़ा है. उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट को बताया है कि उसने 1 दिसंबर को किसी महापंचायत की इजाजत नहीं दी है. दरअसल, दो संगठनों संयुक्त सनातन धर्म रक्षा संघ और विश्व हिंदू परिषद ने मस्जिद को गिराने की मांग को लेकर 1 दिसंबर को महापंचायत करने का ऐलान किया है. इस बीच राज्य सरकार ने उत्तरकाशी के एसपी अमित श्रीवास्तव का तबादला कर दिया है. एक माह पहले श्रीवास्तव ने मस्जिद की तरफ बढ़ रही भीड़ को रोकने के लिए सख्ती दिखाई थी.
सबसे गरीब भारतीय निकालते हैं 46 रुपये में अपना रोज का खर्चा
'द टेलीग्राफ' ने एक रिपोर्ट की है, जिसमें एक सरकारी सर्वेक्षण के हवाले से बताया गया है कि भारत में सबसे गरीब लोग औसतन 46 रुपये रोज में अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. इस सर्वे में ही यह बात भी निकल कर आई है कि शहरी भारतीय परिवारों में सबसे अमीर पांच प्रतिशत लोग भोजन और बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा उपचार, परिवहन और कपड़ों जैसी अन्य आवश्यकताओं पर जितना खर्च करते हैं, उसका लगभग 10 गुना कम गरीबों को मिल पाता है.
उद्धव ठाकरे पर पार्टी नेताओं ने बनाया एमवीए छोड़ने का दबाव
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को करारी हार मिलने के बाद शिवसेना (यूबीटी) के भीतर एमवीए में रहने को लेकर असंतोष दिखाई दे रहा है. घमासान शुरू हो गया है. इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से खबर की है कि सोमवार को पार्टी की बैठक में जीतकर महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे 20 विधायकों में से अधिकतर ने उद्धव ठाकरे से आग्रह किया कि वह महाविकास अघाड़ी से बाहर निकल जाएं. उनका कहना है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना की 57 सीटों पर जीत के बाद कार्यकर्ता एमवीए की प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं.
हालांकि सूत्रों की मानें तो उद्धव ठाकरे के साथ-साथ पार्टी के शीर्ष नेता जैसे आदित्य ठाकरे और राज्यसभा सांसद संजय राउत चाहते हैं कि ‘भाजपा के खिलाफ एकजुट विपक्ष पेश करने’ के लिए गठबंधन बनाए रखा जाए.
डीजीपी मीटिंग खालिस्तानी निशाने पर?
भुवनेश्वर में होने वाले डीजीपी सम्मेलन से एक दिन पहले गुरुवार को खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने इसे बाधित करने की धमकी दी है. इस बैठक में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के अलावा कई शीर्ष सुरक्षा अधिकारी शामिल होंगे. इसके अलावा सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) संगठन के प्रमुख पन्नू ने प्रधानमंत्री को भुवनेश्वर में राम मंदिर जाने की भी चुनौती दी है. पन्नू ने वीडियो संदेश में बैठक को बाधित करने के लिए अपने समर्थकों से भुवनेश्वर के मंदिरों-होटलों में भेष बदल कर छिपने का आह्वान किया है. वीडियो में उसने कहा है कि एनआईए, सीआरपीएफ, बीएसएफ, एनएसजी, आईबी और सीआईएसएफ के 200 से अधिक सुरक्षा अधिकारी शाह के नेतृत्व में बैठक में शामिल होंगे. बैठक में खालिस्तानी समर्थक सिखों, कश्मीरी लड़ाकों, नक्सलियों और माओवादियों की हत्या की योजना बनाई जाएगी और योजना बनाई जाएगी.
दिल्ली में छापेमारी के दौरान ईडी की टीम पर हमला
दिल्ली के बिजवासन में गुरुवार को ईडी की टीम पर छापेमारी के दौरान आरोपियों ने हमला कर दिया. इसमें एक सहायक निदेशक के घायल होने की खबर है. उधर नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार को मानव तस्करी के मामले में छह राज्यों में 22 स्थानों पर छापेमारी की. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इनमें ऐसे व्यक्तियों और संगठनों को निशाना बनाया जा रहा है, जिन पर आर्थिक रूप से निम्न-गरीब तबके के लोगों की तस्करी में शामिल होने का संदेह है. बताया जाता है कि यह मामला राज्य की सीमाओं और संभवतः अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की तस्करी से जुड़ा है.
अडानी ने भारत के क्लीन एनर्जी मिशन को दिया झटका
दुनियाभर में क्लीन एनर्जी की ओर देश बढ़ रहे हैं. भारत भी इसमें शामिल था, लेकिन अचानक से गौतम अडानी के खिलाफ अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोपों ने भारत को इस रेस से थोड़ा पीछे धकेल दिया है. रायटर्स के लिए अपनी रिपोर्ट में सुदर्शन वरदन और सेथुरमन एन.आर. ने अडानी के चलते भारत के क्लीन एनर्जी मिशन और निवेशकों के बिदकने की पड़ताल की है. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने लिखा है कि अडानी समूह पर लगे आरोपों का असर भारत की स्वच्छ ऊर्जा पहल पर पड़ रहा है. भारत का रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र विश्व स्तर पर निवेशकों को आकर्षित कर रहा है, लेकिन अडानी पर लगे आरोप भारत के प्रति निवेशकों के भरोसे को कमजोर कर सकते हैं. अडानी समूह को सरकार ने इस क्षेत्र में खूब बढ़ाया, लेकिन अब ताज़ा आरोपों ने भारत की ऊर्जा योजनाओं की विश्वसनीयता पर असर डाला है. इस मामले ने वैश्विक वित्त संस्थानों और निवेशकों को भी सतर्क कर दिया है, जो अडानी की परियोजनाओं से जुड़े हुए हैं.
(साभार/ब्लूमबर्ग)
जगन ने अडानी मामले में दी सफाई: भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे गौतम अडानी के मामले में अपना नाम उछलने के कई दिन बाद अब वाईएसआरसीपी अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने गुरुवार को राज्य सरकार द्वारा सौर ऊर्जा की खरीद में रिश्वतखोरी के आरोपों को खारिज कर दिया. तब वह सत्ता में थे. जगन ने कहा- 'बिजली खरीद समझौता आंध्र प्रदेश सरकार की डिस्कॉम और भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई), दो सरकारी एजेंसियों के बीच था. गौतम अडानी या अडानी समूह सहित कोई अन्य इसमें शामिल नहीं था.' अमेरिकी अभियोग में कहा गया है कि अडानी ने आंध्र प्रदेश में 'सरकारी अधिकारी नंबर 1' से मुलाकात की और कथित तौर पर भारी रिश्वत की पेशकश की. पीटीआई ने जगन के हवाले से कहा, 'रिश्वतखोरी का आरोप पूरी तरह से अफवाह है और किसी ने भी यह नहीं कहा है कि मैंने या किसी और ने रिश्वत ली है.'
बैंक देख रहे अडानी के साथ अपना हिसाब-किताब: रॉयटर्स की एक खबर के मुताबिक रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी का आरोप लगने के बाद भारतीय बैंक अडानी समूह के साथ अपने वित्तीय संबंधों का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया सहित सार्वजनिक क्षेत्र के कई अन्य बैंक समीक्षा कर रहे हैं. इनमें आईसीआईसीआई बैंक, केनरा बैंक, आईडीबीआई बैंक और आरबीएल बैंक जैसे निजी ऋणदाता भी शामिल हैं.
जहां तक संसद में अडानी मामले पर चर्चा का सवाल है, तो विपक्ष इसपर एकमत नहीं हैं. तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने कल इसी तरह के विरोध प्रदर्शन के बाद दोनों सदनों को स्थगित कर दिए जाने के बाद कहा कि 'हम चाहते हैं कि संसद चले, आप एक ही मुद्दे को पूरे सदन पर हावी नहीं होने दे सकते'. दरअसल, अडानी के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति की जांच उन छह मुद्दों में शामिल नहीं थी, जिन पर तृणमूल ने फैसला किया था कि वह संसद के इस सत्र के दौरान ध्यान केंद्रित करेगी.
अडानी समूह से जुड़े अनुबंधों पर कथित रिश्वतखोरी के लिए अमेरिकी अधिकारियों द्वारा अभियोग के बीच, इज़राइल ने निरंतर निवेश की अपनी इच्छा पर जोर देते हुए समूह के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की है. भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने कहा, 'हम चाहते हैं कि अडानी और सभी भारतीय कंपनियां इजरायल में निवेश करना जारी रखें.' राजदूत ने आरोपों को इसराइल के दृष्टिकोण से 'कुछ भी समस्याग्रस्त नहीं' कहकर खारिज कर दिया, जो समूह के साथ देश के आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को प्राथमिकता देने का संकेत देता है.
चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर अतिरिक्त वोटों को लेकर सवाल?
द वायर में करण थापर के साथ बातचीत में अर्थशास्त्री पराकला प्रभाकर ने फिर से मतदान और मतगणना के बीच अचानक से मतों के बढ़ जाने को लेकर सवाल उठाया है. साथ ही चुनाव आयोग पर भी कि वह इन सवालों का जवाब नहीं दे रहा. पराकला का आरोप कुछ इस तरह से है..
महाराष्ट्र में 20 तारीख को मतदान वाले दिन शाम 5 बजे से रात 11.30 बजे तक लगभग 66 लाख वोट बढ़े. 20 तारीख की रात 11.30 बजे से 23 नवंबर को मतगणना के कुछ घंटे (लगभग 12 घंटे) पहले तक 10 लाख वोट और बढ़ गए. इस प्रकार 20 तारीख की शाम 5 बजे से मतगणना के कुछ घंटे पहले की समयावधि में कुलमिलाकर 75 लाख 97 हजार 67 वोटों की बढ़ोतरी हुई. यानी लगभग 76 लाख वोट बढ़े. ऐसा पहली बार हुआ है. चुनाव आयोग मतदान वाले दिन शाम को वोटिंग के जो आंकड़े जारी करता था, उसमें आमतौर पर रात होते थोड़ी बढ़ोतरी हो जाती थी और अंतिम आंकड़े जारी कर दिए जाते थे. लेकिन कभी भी बढ़ोतरी 1 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हुई. ऐतिहासिक रूप से पहली बार है कि प्रारंभिक और अंतिम आंकड़ों के बीच 7.83 प्रतिशत का अंतर रहा, जो 76 लाख वोट होते हैं. सवाल यह है कि पोलिंग बूथ पर यदि शाम 5 बजे से रात 11.30 बजे के बीच 76 लाख वोट डाले तो क्या शाम 5 बजे के पहले किसी ने मतदान किया ही नहीं था? और फिर एक वोटर अगर 1 मिनट में वोट डालेगा तो हर बूथ पर 1 हजार लोगों को वोट डालने के लिए लगभग 16 घंटे लगेंगे! जबकि शाम 5 बजे से रात 11.30 बजे के बीच साढ़े छह घंटे होते हैं. झारखंड में इसके उलट हुआ. पहले चरण में प्रारंभिक और अंतिम आंकड़ों के बीच 2 प्रतिशत से कम अंतर था तो एनडीए ने अधिक सीटें जीतीं और दूसरे चरण में अंतर चूंकि 1 प्रतिशत से कम था, लिहाजा एनडीए को काफी कम सीटें मिलीं. कहने का मतलब है कि प्रारंभिक (शाम 5 बजे) और अंतिम आंकड़ों के बीच अंतर ज्यादा होता है तो एनडीए को जबरदस्त कामयाबी मिलती है और कम रहने पर नहीं. ऐसा ही हरियाणा के विधानसभा चुनावों में भी हुआ. हरियाणा के जिन 10 जिलों में भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया, उनकी 44 सीटों में से 37 सीटें एनडीए ने जीतीं, वहां प्रारंभिक और अंतिम आंकड़ों में 10 प्रतिशत से ज्यादा का अंतर था. दो जिलों का उदाहरण है, पंचकुला में 10.52 और चरखी दादरी में 11.48 प्रतिशत अंतर रहा. जबकि बाकी 12 जिलों की 46 सीटों में से भाजपा सिर्फ 11 सीटें जीत सकी. लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तरप्रदेश में वोटिंग के आंकड़ों का यह अंतर .5 प्रतिशत के अंदर रहा, नतीजा देखा कि वहां 62 से आधी हो गईं भाजपा की सीटें.
पराकला प्रभाकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के पति भी हैं. पूरा वीडियो यहां देखिये
वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन पर मोदी उत्साहित, पर शिक्षाविद नहीं
मंगलवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट के जरिए कहा कि केंद्रीय कैबिनेट ने एक योजना को मंजूरी दे दी है जो 'भारतीय शिक्षा जगत और युवा सशक्तिकरण के लिए गेम-चेंजर' होगी. हालांकि देश के शिक्षाविदों की राय इस मामले में बिल्कुल अलग है. स्क्रॉल के लिए अपनी रिपोर्ट में जोहाना दीक्षा ने लिखा है कि सरकार ने यह नहीं बताया है कि योजना कैसे काम करेगी. कुछ लोगों को डर है कि इससे उनकी शैक्षणिक स्वतंत्रता सीमित भी हो सकती है. इस मामले में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए सी लक्ष्मणन ने कहा- 'विभिन्न संस्थानों की अलग-अलग ज़रूरतें होंगी. क्या होगा यदि वे कहें, हम केवल कुछ देशों की कुछ पत्रिकाओं तक ही पहुँच सकते हैं?' शिक्षाविदों ने कहा कि सरकार ने अभी तक यह नहीं बताया है कि पत्रिकाओं का चयन कैसे किया जाएगा और विभिन्न संस्थानों की विशिष्ट ज़रूरतों को ये योजना कैसे पूरी करेगी. बता दें कि मोदी 'एक राष्ट्र, एक सदस्यता' परियोजना का जिक्र कर रहे थे, जो केंद्र और राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार के अनुसंधान और विकास संस्थानों द्वारा प्रबंधित उच्च शिक्षा संस्थानों को अपनी स्वयं की सदस्यता खरीदने के बजाय एक ही पोर्टल पर उच्च गुणवत्ता वाली शैक्षणिक पत्रिकाओं तक पहुंचने की अनुमति देगी. सरकार का कहना है कि इस योजना से 'सभी विषयों के लगभग 1.8 करोड़ छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों' को लाभ होगा, लेकिन संस्थान और शिक्षाविद इस योजना से डरे हुए हैं.
शेख हसीना को इंटरनेशनल कोर्ट में घसीटेगी बांग्लादेश सरकार
बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने कहा है कि उनकी सरकार शेख हसीना के शासनकाल में जुलाई में हुए सामूहिक विद्रोह के दौरान किए गए नरसंहार और उनके 16 साल के शासन के दौरान जबरन गायब किए गए लोगों के मामलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी. उन्होंने यह बात तब कही जब आईसीसी अभियोजक करीम ए खान ने बुधवार को ढाका में स्टेट गेस्ट हाउस जमुना में उनसे मुलाकात की. आईसीटी ने पहले ही शेख हसीना और उनके राजनीतिक दल के सदस्यों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है.
इधर भारत में शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति 11 दिसंबर को बांग्लादेश की स्थिति पर चर्चा करेगी. यह कदम तब आया है जब भारत ने हिंदू धार्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत से इनकार पर "गंभीर चिंता" व्यक्त की थी. थरूर ने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति को परेशान करने वाला बताया है. थरूर ने पड़ोसी देश के अधिकारियों से हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समूहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है. उधर बांग्लादेश के हाई कोर्ट ने इस्कॉन को प्रतिबंधित करने की याचिका खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट के वकील मोनिर उद्दीन ने कुछ अखबारों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए संगठन पर प्रतिबंध लगाने और धारा 144 लागू करने की मांग की थी. कोर्ट ने यह आदेश देने से इनकार कर दिया और सरकार को इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेने का निर्देश देने से मना कर दिया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को बांग्लादेश में हिंदू इस्कॉन भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर केंद्र जो भी फैसला लेगा, वह उसका समर्थन करेंगी. उन्होंने कहा- 'किसी भी धर्म पर हमला निंदनीय है, हम हमेशा इसकी निंदा करते हैं. घटना के बाद मैंने इस राज्य के इस्कॉन प्रमुख से दो बार बात की, लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय मामला है. हम केंद्र के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते...लेकिन हम इस हमले की निंदा कर सकते हैं.' पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की नेता शेख हसीना ने 28 नवंबर, 2024 को अपनी सरकार के पतन के बाद पहली बार सार्वजनिक बयान दिया है. उन्होंने बांग्लादेश में गिरफ्तार किए गए इस्कॉन नेता की तत्काल रिहाई की मांग की है. अवामी लीग द्वारा जारी एक बयान में शेख हसीना ने चटगांव में हुए सांप्रदायिक संघर्षों में एक सहायक सरकारी वकील की हत्या की निंदा की और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के खिलाफ बांग्लादेश की जनता से एकजुट होकर खड़े होने का आह्वान किया है. चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के एक प्रमुख हिंदू नेता और इस्कॉन के सदस्य हैं. उन्हें 25 नवंबर 2024 को ढाका हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया. आरोप है कि उन्होंने अक्टूबर में एक हिंदू रैली में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया, जिसे देशद्रोह का मामला बताया जा रहा है. इससे बांग्लादेश के हिंदू समुदाय में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, खासतौर पर ढाका और चटगांव में, जहां हिंसा में कई लोग घायल भी हुए हैं. इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास को जमानत नहीं मिलने के बाद प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें वकील सैफुल इस्लाम की मौत हो गई. भारतीय मीडिया ने झूठा दावा किया कि वह दास के वकील थे. अब इस मामले का फैक्ट चेक ऑल्ट न्यूज ने किया है और भारतीय मीडिया के दावे को फर्जी पाया है.
अरुण गोविल को अब सताई अनैतिकता की चिंता
दूरदर्शन के रामायण सीरियल में राम का रोल करने वाले मेरठ के सांसद अरुण गोविल का कहना है कि ओवर-द-टॉप (ओटीटी) स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया की 'लक्ष्मण रेखा' चाहिए! गोविल का कहना है कि 'रचनात्मक स्वतंत्रता' के नाम पर आपत्तिजनक और अनैतिक सामग्री को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए. हालांकि खुद गोविल ने अपने बेहतर दिनों में बिस्तर जैसी सी ग्रेड हिंदी और बुक भारा भालोभाशा जैसी बांग्ला फिल्म में शीर्ष रोल किये थे, जो हिंदी में पागल दीवाने नाम से आई थी. गोविल ने संसद में ओटीटी प्लेटफॉर्म को सेंसर के दायरे में लाने जैसी बातें कही हैं.
जिसे बैन किया सरकार ने, उसी का इस्तेमाल जारी है सरकार में
केंद्र की मोदी सरकार ने चीन के साथ सीमा विवाद के बीच 59 चीनी ऐप को जून 2020 ब्लॉक कर दिया था. बैन करने का कारण सरकार ने यह दिया था, ‘ये ऐप भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए नुकसानदेह है. उन प्रतिबंधित ऐप में से एक है कैमस्कैनर. इसका उपयोग चुनाव आयोग समेत कई सरकारी संस्थाएं कर रही है. ‘रेस्ट ऑफ वर्ल्ड’ को चुनाव आयोग के अलावा सरकारी विभागों और मंत्रालयों की ओर से अपलोड किए गए दस्तावेजों के 30 और उदाहरण मिले हैं, जिन्हें प्रतिबंधित होने के बाद इन 4 सालों में डाले गए हैं. इन दस्तावेजों को कैमस्कैनर से ही स्कैन किया गया था, इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है, क्योंकि उन्हें ‘वॉटरमार्क कैमस्कैनर से स्कैन किया गया’ है.
दो एंकर्स के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी
हाई-प्रोफाइल गोदी मीडिया पत्रकारिता को करारा झटका देते हुए, गुरुग्राम की एक अदालत ने प्रसारण से जुड़े नौ साल पुराने पोक्सो मामले में एंकर चित्रा त्रिपाठी (एबीपी न्यूज) और सैयद सुहैल (रिपब्लिक भारत) के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है. एक नाबालिग लड़की के मॉर्फ्ड अश्लील वीडियो का ये मामला था. इन एंकरों पर छह अन्य लोगों के साथ स्वयंभू संत आसाराम बापू से जुड़े 2013 के एक मामले में सबूतों को सनसनीखेज बनाने और विकृत करने का आरोप है. न्यायाधीश अश्विनी कुमार मेहता ने उनकी जमानत रद्द करते हुए, अदालत की सुनवाई से उनकी बार-बार अनुपस्थिति की आलोचना की और सुहैल के राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल होने के दावे को "अनुचित" बताते हुए खारिज कर दिया.
चलते–चलते: भारत में आकर बसे अफ्रीकी सिद्दियों पर बनी फिल्म
जयन के चेरियन की ताजा फिल्म ‘रिदम ऑफ दम्मम’ भारत में अल्पज्ञात सिद्दी समुदाय की जिंदगी और उनके संघर्षों पर है. इस को सिद्दी या हब्शी के नाम से भी जाना जाता है. भारत में इनका मुख्यत: निवास कर्नाटक, गुजरात और तेलंगाना में है. सिद्दी खुद को दक्षिण-पूर्व अफ्रीका के बंटू समुदाय से जोड़ते हैं. उनका मानना है कि पुर्तगाली व्यापारियों के साथ 1530 से 1740 के बीच उन्हें गुलाम बनाकर भारतीय उपमहाद्वीप में लाया गया. इनमें से कुछ मोजाम्बिक से आए थे. 1835 में ब्रिटिश शासकों ने जब गुलामी को अपराध घोषित कर दिया, तब भी पुर्तगाली-नियंत्रित गोवा में 1865 तक वह दास बनकर रहे. फिर भारत की जटिल जाति व्यवस्था ने उन्हें गुलाम बनाए रखा. उनके साथ वह भेदभाव अब भी जारी है. उन्होंने भारतीय संस्कृति, विशेष रूप से पारंपरिक दम्मम संगीत और आदिवासी रीति-रिवाजों के तत्वों को इस तरह से उन्होंने अपनी जिंदगी में शामिल रखा है कि उसकी मोहकता किसी को भी अपने पाश में बांध ले. जयन के चेरियन ‘रिदम ऑफ दम्मम’ समेत 2007 लेकर अब तक कुल आठ फिल्में बना चुके हैं और उनको मिले उल्लेखनीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों की संख्या इसकी दोगुनी है. जयन अपनी अधिकतर फिल्मों के निर्माता, निर्देशक, लेखक-पटकथा लेखक, एडिटर और सिनेमैटोग्राफर खुद ही होते हैं. वह एक शानदार कवि (अंग्रेजी और मलयालम) भी हैं और यही वजह है कि उनकी फिल्में भी पोएटिक होती हैं. आप ‘रिदम ऑफ दम्मम’ की इन टीजरों में भी उसे बाकमाल देख सकते हैं.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.