29/03/2025 : इस बार ईद पर कई और 'सौग़ातें' | राहत कॉमेडियन और शायर को | मोबाइल आपका टाइम खा रहा है | भूकंप | मुस्लिम, आदिवासी, दलितों को लेकर पुलिसिया दुराग्रह | इस्तांबुल में आंदोलन का डिजिटल होना
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां
अपूर्वानंद : ख़ून से लिथड़ा हाथ अपने शिकार के मुंह में ठूंस रहा मिठाई
ऑक्सफोर्ड में ममता बोलीं, ‘‘मुझे नहीं लगता भारत 2060 में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा ’’
ओसीआई कॉर्ड रद्द करने के एक साल बाद गृह मंत्रालय ने वैनेसा डौग्नैक को पत्रकारिता की अनुमति दी
अशोक स्वैन, कोर्ट ने केंद्र का आदेश निरस्त किया
काठमांडू में कर्फ्यू, सेना तैनात
अडानी ने बांग्लादेश को बिजली चालू की
जलते मक़ान में नकदी वाले जस्टिस का इलाहाबाद तबादला
भारत ने दस्तावेजों के अभाव में रूसी तेल ले जा रहे जहाज को नहीं दिया प्रवेश
पुतिन ने ट्रम्प की ग्रीनलैंड हड़पने की योजना को दी मूक सहमति
यूक्रेन-अमेरिका खनिज समझौता अधर में
सीधे पासपोर्ट रद्द करेगी मेरठ पुलिस अगर सड़क पर नमाज़ पढ़ी तो, ईद पर हरियाणा में छुट्टी नहीं
सड़क पर नमाज़ पढ़ी तो पासपोर्ट-लाइसेंस रद्द : मेरठ पुलिस ने जिला मजिस्ट्रेट को आठ ऐसे व्यक्तियों की सूची दी है, जिन्होंने पिछले साल ईद के दौरान सड़कों पर नमाज़ अदा न करने के उसके आदेश का उल्लंघन किया था. पुलिस ने कहा कि उसने आठों के पासपोर्ट और लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस वर्ष ईद से पहले उठाए जा रहे व्यापक सुरक्षा उपायों के बारे में मेरठ के पुलिस अधीक्षक आयुष विक्रम सिंह ने कहा, "हम इस वर्ष सड़कों पर नमाज़ की अनुमति नहीं देंगे. जो कोई ऐसा करने का प्रयास करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और उसके हथियार लाइसेंस और पासपोर्ट रद्द कर दिए जाएंगे." लेकिन, केंद्रीय मंत्री और आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने मेरठ पुलिस की इस चेतावनी की तीखी आलोचना की है और इसे "ओरवेलियन 1984 की पुलिसिंग" कहा है.
पूर्व जेडीएस नेता के सवाल : इधर सड़क पर नमाज़ पढ़ने को लेकर कर्नाटक के पूर्व जेडीएस नेता सैयद शफ़ीउल्लाह, जिन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन के कारण पार्टी छोड़ दी थी, ने कुछ सवाल उठाए हैं. "मुझे बताओ, क्या भारत में हिंदू कभी सड़क पर या सार्वजनिक स्थान पर कुछ नहीं करते? क्या कांवड़ यात्री घर पर चलते हैं? क्या मुंबई में गणेश की विशाल मूर्तियाँ सड़क पर कई दिनों तक नहीं रखी जातीं?" शफ़ीउल्लाह ने एक पॉडकास्टर सुजीत कुमार से बात करते हुए दरअसल यह सवाल उठाया कि सड़क पर हिंदुओं द्वारा की जाने वाली धार्मिक क्रियाएं कभी सवाल क्यों नहीं उठातीं? यह एक लंबी बातचीत है जो यहाँ देखी जा सकती है.
हरियाणा में ईद पर सामान्य छुट्टी नहीं : इस बीच, हरियाणा में भाजपा सरकार ने कहा है कि इस बार ईद उल फ़ितर एक ऐच्छिक छुट्टी होगी, न कि सामान्य छुट्टी. आधिकारिक तौर पर इसका कारण यह है कि ईद 31 मार्च को पड़ रही है, जो वित्तीय वर्ष का अंतिम दिन होता है. लेकिन भाजपा शासित अन्य राज्यों से फिलहाल ऐसी खबर नहीं आई है.
और ईद पर ये भी : इस बार ईद नवरात्रि के दौरान पड़ रही है. इसी को मुद्दा बनाकर दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में भाजपा नेताओं ने मांग की है कि नवरात्रि के दौरान मांस की दुकान बंद रखी जाए. रमजान के बाद आने वाली ईद मीठी ईद होती है, इस मौके पर सिवइयां खाई जा सकती हैं. बकरा काटने की जरूरत नहीं है. वहीं दक्षिणपंथी समूह देवभूमि संघर्ष समिति के विरोध प्रदर्शन की धमकी के बाद हिमाचल प्रदेश की राजधानी के स्कूलों में ईद समारोह से जुड़े कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है.
सौगात-ए-मोदी :
अपूर्वानंद : ख़ून से लिथड़ा हाथ अपने शिकार के मुंह में ठूंस रहा मिठाई
दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने सौगात ए मोदी पर अपनी प्रतिक्रिया द वायर हिंदी में लिखी है. उस लेख के अंश-
जब हम सोचते हैं कि अश्लीलता और घिनौनेपन की सारी हदें पार की जा चुकी हैं, भारतीय जनता पार्टी हमेशा हमें उस सीमा के बारे में सोचने को मजबूर करती है. घृणा और हिंसा अश्लील होती है या नहीं? ये सवाल और दूसरे भी मन में उठे, जब खबर पढ़ी कि भारतीय जनता पार्टी ईद के मौक़े पर 32,000 मस्जिदों के माध्यम से 32,00,000 मुसलमानों को ‘सौगात ए मोदी’ का वितरण करेगी. एक बिंब उभरा : खून से लिथड़ा हाथ अपने शिकार के मुंह में मिठाई ठूंस रहा है. सौग़ात देने का काम उसका अल्पसंख्यक मोर्चा करेगा. यानी राष्ट्रवादी या हिंदू हृदय वाले मुसलमान चेहरे. मोर्चे का कहना है कि रमज़ान में ज़रूरतमंद, गरीब लोगों की मदद का रिवाज है, इसलिए भाजपा ने इस बार यह पवित्र कार्य करने का फ़ैसला किया है. सिर्फ़ इस्लाम में नहीं, हिंदू धर्म में भी माना जाता है कि दूसरों की, विशेषकर कमजोर लोगों सहायता करने से पुण्य मिलता है. तो जितना लाभ इस सहायता से मदद पाने वाले को होता है, लगभग उतना ही या उससे अधिक करने वाले को हो जाता है. एक तरह से वह अपना परलोक सुधार रहा होता है. पुण्य लेकिन सहायता के उसी कृत्य से मिलता है, जिसमें उसके बदले कुछ पाने की इच्छा न हो. लगभग हर संस्कृति में यह कहा गया है कि असल दान वही है, जिसमें बाएं हाथ को मालूम न हो कि दाएं ने क्या दिया. लेकिन भारतीय जनता पार्टी किसी आध्यात्मिक उद्देश्य से तो यह कर नहीं रही. उसका मक़सद क़तई दुनियावी है.
लोग क़यास लगा रहे हैं कि ऐसा करके वह मुसलमानों को अपनी तरफ़ खींच सकेगी और उनके कुछ वोट उसे मिल पाएंगे. वह भारतीय मतदाताओं में अपना आधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है. वह इलाक़ा मुसलमानों का है जहां उसकी पहुंच नहीं है.
पूरा लेख हिंदी में आप 'द वायर' में पढ़ सकते हैं.
कामेडियन और शायर दोनों को अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए कोर्ट से राहत
कुणाल कामरा को मद्रास हाई कोर्ट और इमरान प्रतापगढ़ी को सुप्रीम कोर्ट से
'लाइव लॉ' की खबर है कि मद्रास हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ कथित टिप्पणी के मामले में मुंबई में दर्ज एफआईआर को लेकर कुणाल कामरा को 7 अप्रैल तक अंतरिम अग्रिम जमानत दी है. कामरा को संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष जमानत बॉन्ड भरने के लिए कहा गया है. हालांकि एफआईआर मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी, लेकिन कामरा तमिलनाडु के निवासी होने के कारण वहीं के उच्च न्यायालय पहुंचे. उनके वकील वी. सुरेश ने तत्काल राहत की मांग की, यह तर्क देते हुए कि उनके नए स्टैंड-अप वीडियो 'नया भारत' के प्रसारण के बाद कामरा को कई बार जान से मारने की धमकियां मिली हैं. न्यायमूर्ति सुंदर मोहन ने कहा कि वह प्राथमिक रूप से संतुष्ट हैं कि कामरा महाराष्ट्र में अदालतों से सुरक्षा की गुहार लगाने में असमर्थ हैं. इसलिए अदालत ने अंतरिम अग्रिम जमानत देने की सहमति जताई. अदालत ने खार पुलिस स्टेशन (मामले में दूसरे प्रतिवादी) को निजी नोटिस भेजने की अनुमति दी है. कामरा ने मुंबई में दर्ज एफआईआर को लेकर ट्रांजिट अग्रिम जमानत की मांग करते हुए मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. शिवसेना विधायक मुरारी पटेल की शिकायत पर कामरा के खिलाफ 353(1)(b), 353(2) [सार्वजनिक उपद्रव] और 356(2) [मानहानि] की धाराओं के तहत ज़ीरो एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसे बाद में मुंबई के खार पुलिस स्टेशन ट्रांसफर कर दिया गया. हालांकि कामरा ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया था, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि उन्होंने शिंदे को 'गद्दार' कहा, जब उन्होंने शिवसेना के विभाजन का संदर्भ दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने अदालत और पुलिस की लगाई संविधान पर मास्टरक्लास और फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इंस्टाग्राम पर शेयर की गई एक वीडियो क्लिप में दिखाई गई कविता मामले में कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी को बड़ी राहत दी. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता और गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया.
जस्टिस अभय ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के खिलाफ प्रतापगढ़ी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में, प्रतापगढ़ी ने "ऐ खून के प्यासे बात सुनो" कविता के साथ एक वीडियो क्लिप साझा की थी. हरकारा के 22 जनवरी के अंक में ये पूरी नज्म और गुजरात पुलिस की एफआईआर की खबर पढ़ सकते हैं.
पीठ ने अदालतों और पुलिस को अलोकप्रिय राय व्यक्त करने वाले व्यक्तियों के अधिकारों को बनाए रखने के उनके कर्तव्य की याद दिलाई. फैसले को पढ़ते हुए न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि विचारों और दृष्टिकोणों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति एक स्वस्थ सभ्य समाज का अभिन्न अंग है और विचारों और दृष्टिकोणों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बिना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत सम्मानजनक जीवन जीना असंभव है. पीठ ने अपने आदेश में कहा,
"साहित्य और कला मानव जीवन को अधिक सार्थक बनाते हैं; गरिमापूर्ण जीवन के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आवश्यक है. व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूहों द्वारा विचारों और मतों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति एक स्वस्थ सभ्य समाज का अभिन्न अंग है. विचारों और मतों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बिना, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत गरिमापूर्ण जीवन जीना असंभव है. एक स्वस्थ लोकतंत्र में, किसी व्यक्ति या समूह द्वारा व्यक्त किए गए विचारों का प्रतिकार दूसरे दृष्टिकोण को व्यक्त करके किया जाना चाहिए... यहाँ तक कि यदि बड़ी संख्या में लोग किसी के विचारों से सहमत नहीं हैं, तब भी उस व्यक्ति के विचार व्यक्त करने के अधिकार का सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए. कविता, नाटक, फिल्में, व्यंग्य और कला सहित साहित्य मानव जीवन को अधिक सार्थक बनाते हैं."
जस्टिस ओका ने तो आदेश में यहां तक लिखा, "कभी-कभी, हम न्यायाधीशों को बोले गए या लिखे गए शब्द पसंद नहीं आते हैं, लेकिन फिर भी, अनुच्छेद 19(1) के तहत मौलिक अधिकारों को बनाए रखना हमारा कर्तव्य है. हम न्यायाधीशों का भी संविधान और संबंधित आदर्शों को बनाए रखने का दायित्व है. अदालत का कर्तव्य है कि वह मौलिक अधिकारों की रक्षा करे. विशेष रूप से, संवैधानिक न्यायालयों को नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में सबसे आगे रहना चाहिए. यह सुनिश्चित करना न्यायालय का कर्तव्य है कि संविधान और संविधान के आदर्शों का उल्लंघन न हो."
"न्यायालय का प्रयास हमेशा मौलिक अधिकारों, विशेषकर वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता—जो किसी भी उदार संवैधानिक लोकतंत्र में नागरिकों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अधिकार है—को सुरक्षित और संवर्धित करना होना चाहिए."
अदालत के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों की जल्दबाजी पर भी सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई.
"पुलिस अधिकारियों को संविधान का पालन करना चाहिए और इसके आदर्शों का सम्मान करना चाहिए. संवैधानिक आदर्शों का दर्शन स्वयं संविधान में निहित है. प्रस्तावना में स्पष्ट किया गया है कि भारत के लोगों ने गंभीरतापूर्वक भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने और सभी नागरिकों के लिए विचार व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है. अतः, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारे संविधान के आदर्शों में से एक है. पुलिस अधिकारी, नागरिक होने के नाते, संविधान का पालन करने के लिए बाध्य हैं और उन्हें इस अधिकार को बनाए रखना है."
संख्यात्मक
आपके रोज 5 घंटे मोबाइल स्क्रीन पर, 70% समय सोशल मीडिया, गेमिंग और वीडियोज़ पर खर्च
मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) के अनुसार, 2024 में भारतीयों ने सामूहिक रूप से अपने स्मार्टफोन पर 1.1 लाख करोड़ घंटे बिताए. सस्ते इंटरनेट ने इंस्टाग्राम से लेकर नेटफ्लिक्स जैसे प्लेटफॉर्म्स को दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में और अधिक सुलभ बना दिया है. ईवाई ने गुरुवार को जारी अपनी वार्षिक मनोरंजन रिपोर्ट में कहा कि औसतन, भारतीयों ने प्रतिदिन पाँच घंटे मोबाइल स्क्रीन पर बिताए, जिसमें से लगभग 70% समय सोशल मीडिया, गेमिंग और वीडियोज़ पर खर्च किया गया.
इससे डिजिटल चैनल 2024 में भारत के 2.5 लाख करोड़ रुपये (29.1 अरब डॉलर) के मीडिया और मनोरंजन उद्योग का सबसे बड़ा खंड बन गए हैं, जो पहली बार टेलीविज़न को पीछे छोड़ते हुए. हालाँकि, भारतीयों द्वारा मोबाइल फोन पर बिताया गया दैनिक समय इंडोनेशिया और ब्राज़ील के बाद तीसरे स्थान पर है, लेकिन कुल घंटों के हिसाब से यह दुनिया का सबसे बड़ा बाज़ार है, जिसके लिए मेटा और अमेज़ॅन से लेकर मुकेश अंबानी और इलोन मस्क जैसे उद्योगपति प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं.
ईवाई इंडिया के मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र के प्रमुख आशीष फेरवानी ने रिपोर्ट में लिखा कि देश "डिजिटल मोड़ बिंदु" पर पहुँच गया है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में व्यवसायिक मॉडल्स, साझेदारियों और समेकन में वृद्धि होगी. देश के लगभग 40% (56 करोड़) लोग अब स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं, जो अमेरिका और मेक्सिको की संयुक्त आबादी से अधिक है. 2024 में 5G सदस्यताएँ दोगुनी से अधिक होकर 27 करोड़ तक पहुँच गईं, जबकि 40% इंटरनेट ग्राहक ग्रामीण क्षेत्रों से हैं. रिपोर्ट के अनुसार, टेलीविज़न, प्रिंट और रेडियो जैसे पारंपरिक मीडिया के राजस्व और बाज़ार हिस्सेदारी 2024 में घट गए. कॉन्सर्ट और क्रिकेट टूर्नामेंट जैसे लाइव इवेंट्स ने भी उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक यह क्षेत्र 3.1 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचने का अनुमान है.
पाठकों से अपील
ऑक्सफोर्ड में ममता बोलीं, उन्हें नहीं लगता भारत 2060 में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के केलॉग कॉलेज में 2060 तक भारत के दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के अनुमान पर सवाल उठाया. इसके बाद भाजपा नेताओं ने ममता पर आरोप लगाया कि विदेशी धरती पर वह देश को अपमानित कर रही हैं.
कॉलेज में बातचीत के दौरान, ममता ने कहा कि वह दावे से असहमत हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी बहुत-सी चीजें हैं, जिनके बारे में उन्हें यहां नहीं बोलना चाहिए. आंतरिक और बाहरी मामलों के बारे में वह खुलासा नहीं कर सकतीं. मेरी राय अलग है. उन्होंने कहा कि हर देश कोविड के बाद चुनौती का सामना कर रहा है और दुनिया में उथल-पुथल की स्थिति भी है. अगर दुनिया में आर्थिक युद्ध जैसी स्थिति चल रही है, तो कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि हमें फायदा होगा? हमें लाभ की उम्मीद करनी चाहिए, हम केवल उम्मीद कर सकते हैं. यह हमारा सपना है कि हमारा देश सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करे. लेकिन यह निर्भर करता है." उनके इस बातचीत पर भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की उपलब्धियों को कमतर आंकने और उसकी आकांक्षाओं का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बनर्जी की टिप्पणियों को अपमानजनक बताया. किशोर की आलोचना में कई भाजपा नेताओं ने सुर मिलाया. कॉलेज में भाषण देते समय ममता को विरोध प्रदर्शनों का भी सामना करना पड़ा. जहां उन्हें आरजी कर बलात्कार-हत्या और सिंगूर मुद्दे सहित अन्य मुद्दों पर सवालों का सामना करना पड़ा.
किसान नेता डल्लेवाल ने तोड़ा अनशन, सुप्रीम कोर्ट ने की तारीफ : पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी कि एमएसपी समेत विभिन्न मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 4 माह 11 दिन बाद शुक्रवार सुबह पानी स्वीकार अपना अनशन तोड़ दिया. जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने ने डल्लेवाल के प्रयासों की सराहना की और कहा कि वे बिना किसी राजनीतिक एजेंडे के एक सच्चे किसान नेता हैं. पीठ ने कहा, "हम जानते हैं कि कुछ लोग किसानों की शिकायतों का समाधान नहीं चाहते हैं. हम हाथी दांत के टॉवर में नहीं बैठे हैं. हम सब कुछ जानते हैं."
ओसीआई कॉर्ड रद्द करने के एक साल बाद गृह मंत्रालय ने वैनेसा डौग्नैक को पत्रकारिता की अनुमति दी : फ्रांसीसी पत्रकार वैनेसा डौग्नैक ने बताया कि उन्हें पत्रकारिता का परमिट देने से इनकार करने के ढाई साल बाद और उनके ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया का दर्जा रद्द करने की नोटिस जारी करने के एक साल से ज़्यादा समय बाद, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें पत्रकारिता का परमिट दे दिया है. हालांकि तत्कालीन विदेश सचिव ने दावा किया था कि डौग्नैक के खिलाफ़ सरकार की कार्रवाई का उनके रिपोर्टिंग से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन उन्होंने कहा कि उनके ओसीआई कॉर्ड पर गृह मंत्रालय के नोटिस में कहा गया था कि उनके लेख “दुर्भावनापूर्ण” थे और “भारत की संप्रभुता और अखंडता के हितों” को नुकसान पहुंचा रहे थे.
अशोक स्वैन, कोर्ट ने केंद्र का आदेश निरस्त किया : भारत दिल्ली हाई कोर्ट ने मोदी सरकार की असहमति को दबाने की कार्रवाई की कड़ी आलोचना करते हुए शुक्रवार को शिक्षाविद अशोक स्वैन के ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड को रद्द करने के केंद्र के आदेश को निरस्त कर दिया. स्वीडन में रहने वाले और मोदी सरकार की नीतियों के मुखर आलोचक स्वैन का ओसीआई कार्ड राजनीतिक प्रतिशोध के तहत रद्द कर दिया गया था. उनके वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया कि उन्हें उनके विचारों के लिए निशाना नहीं बनाया जा सकता. यह दूसरी बार है जब अदालत ने स्वैन का ओसीआई कार्ड रद्द करने के केंद्र के आदेश को खारिज किया है. 2023 में भी ऐसा ही हुआ था.
काठमांडू में कर्फ्यू, सेना तैनात : पड़ोसी देश नेपाल में राजशाही और हिंदू राज्य की मांग को लेकर राजधानी काठमांडू में शुक्रवार को बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. प्रदर्शनकारियों ने एक इमारत को आग के हवाले कर दिया. काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया गया है और सेना तैनात कर दी गई है.
भयानक भूकम्प : म्यांमार और थाईलैंड में रिक्टर स्केल पर 7.7 के झटके
(बचावकर्मी बैंकॉक, थाईलैंड में शुक्रवार, 28 मार्च 2025 को 7.7 तीव्रता के भूकंप के बाद ढह गई एक ऊंची इमारत के निर्माण स्थल पर राहत कार्य कर रहे हैं. साभार : एसोसिएटेड प्रेस)
शुक्रवार को म्यांमार में केंद्रित एक शक्तिशाली भूकंप ने दक्षिण-पूर्व एशिया को हिला दिया, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई. कई इलाकों में व्यापक नुकसान हुआ है. बैंकॉक में बचाव दल एक गिरी हुई इमारत के मलबे में फंसे 81 लोगों की तलाश कर रहे हैं. 'रायटर्स' की रिपोर्ट है कि म्यांमार के टाउनगू शहर में एक मस्जिद आंशिक रूप से ढह जाने से कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार औंग बान में एक होटल गिरने से कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए. थाईलैंड में लोग सड़कों पर भागते नजर आए, जबकि स्टॉक एक्सचेंज को बंद करना पड़ा है. चीन में भी झटके महसूस किए गए हैं. चीन के युन्नान प्रांत में झटके महसूस किए गए, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ है. चीन के युन्नान प्रांत में झटके महसूस किए गए, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ है. उत्तर पूर्व भारत के भी कई हिस्सों में झटके महसूस किये गये, पर कोई जानमाल के नुक्सान की ख़बर नहीं है.
मंडले और अन्य शहरों में भी भारी तबाही मची है. कई इमारतें गिरीं, सड़कें और पुल टूटे हुए हैं. मंडले पैलेस की दीवारों को भी नुकसान पहुंचा है, ऐतिहासिक अवा ब्रिज भी नष्ट हुआ है. फोन नेटवर्क बाधित हुआ है और कई इलाकों में बिजली भी गुल हो गई है. म्यांमार की सैन्य सरकार पहले से ही विरोधी गुटों से संघर्ष कर रही है, जिससे राहत कार्य प्रभावित हो सकते हैं.सेना ने कई क्षेत्रों में आपातकाल की घोषणा की. रेड क्रॉस को बांधों और अन्य संरचनाओं की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि भूकंप ऐसे समय आया, जब म्यांमार पहले से ही मानवीय संकट झेल रहा था. अमेरिका ने राहत सहायता में कटौती की, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है. भूकंप म्यांमार के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण समय पर आया है, जब देश पहले ही राजनीतिक अस्थिरता, सैन्य संघर्ष और आर्थिक संकट से जूझ रहा है.
रिपोर्ट
पुलिस मान कर ही चलती है मुस्लिम, दलित, आदिवासी को अपराधी
भारत में पुलिसिंग की स्थिति रिपोर्ट 2025 के अध्ययन में दावा किया गया है कि सबसे अधिक दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के पुलिसकर्मियों का मानना है कि मुसलमान "काफी हद तक स्वाभाविक रूप से अपराध करने की ओर प्रवृत्त होते हैं.”
दिलचस्प बात यह है कि लोकनीति, सीएसडीएस और लाल फैमिली फाउंडेशन के सहयोग से 'कॉमन कॉज' द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि करीब 40 प्रतिशत मुस्लिम पुलिसर्मी का भी मानना है कि मुसलमान या तो ‘काफी’ या ‘कुछ हद तक’ अपराध करने के लिए प्रवृत्त होते हैं. सर्वेक्षण में शामिल लगभग एक-तिहाई मुस्लिम और हिंदू कर्मियों को यह भी लगता है कि ईसाई या तो ‘काफी’ या ‘कुछ हद तक’ अपराधी प्रवृत्ति के होते हैं. सर्वेक्षण अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में सर्वेक्षण किए गए 39 प्रतिशत पुलिसकर्मियों का मानना है कि मुसलमानों में अपराध करने की प्रवृत्ति है. अध्ययन में कहा गया है कि राजस्थान (70 प्रतिशत), महाराष्ट्र (68 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (68 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (68 प्रतिशत), गुजरात (67 प्रतिशत) और झारखंड (66 प्रतिशत) में दो तिहाई से अधिक पुलिसकर्मियों का मानना है कि मुस्लिम समुदाय में अपराध करने की प्रवृत्ति स्वाभाविक है. कर्नाटक में, 61 प्रतिशत ने यह महसूस किया.
वहीं गुजरात के पुलिसकर्मियों में सबसे ज्यादा (68 प्रतिशत) ऐसे लोग हैं, जो मानते हैं कि दलितों में अपराध करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है. महाराष्ट्र (52 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश (51 प्रतिशत) के आधे से ज्यादा पुलिसकर्मियों का भी ऐसा ही मानना है. दलितों के मामले में, कर्नाटक के 46 प्रतिशत पुलिसकर्मी अनुसूचित जातियों के खिलाफ पूर्वाग्रह रखते हैं.
गुजरात (56 प्रतिशत) और उसके बाद ओडिशा (51 प्रतिशत) के पुलिसकर्मियों में सबसे ज्यादा ऐसे लोग हैं जो मानते हैं कि आदिवासियों में अपराध करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है.
इसमें यह भी कहा गया है कि हर पांच में से दो पुलिस उत्तरदाताओं (39 प्रतिशत) का मानना है कि माइग्रेंट स्वाभाविक रूप से अपराध करने के लिए प्रवृत्त होते हैं”. राजस्थान, गुजरात, असम और कर्नाटक के पुलिसकर्मियों का पुलिस बल में सबसे ज्यादा अनुपात है. अध्ययन में कहा गया है कि आधे से अधिक पुलिसकर्मियों का मानना है कि हिजड़े, ट्रांसजेंडर और समलैंगिक लोग समाज पर बुरा प्रभाव डालते हैं और पुलिस को इनसे सख्ती से निपटने की जरूरत है.
अडानी ने बांग्लादेश को बिजली चालू की : ‘बीबीसी’ की रिपोर्ट है कि भारतीय समूह अडानी ने बांग्लादेश को पूरी बिजली आपूर्ति बहाल कर दी है. कंपनी ने चार महीने पहले बकाया राशि के कारण आपूर्ति को आधा कर दिया था. अडानी पावर भारत के पूर्वी राज्य झारखंड में स्थित अपने कोयला आधारित संयंत्र से बांग्लादेश को 1,600 मेगावाट बिजली आपूर्ति करता है. बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) के अध्यक्ष रेज़ाउल करीम ने गुरुवार को ब्लूमबर्ग को बताया, "हम अडानी को नियमित भुगतान कर रहे हैं और अपनी जरूरत के अनुसार बिजली प्राप्त कर रहे हैं." आपूर्ति करीब दो हफ्ते पहले बहाल कर दी गई थी.
जलते मक़ान में नकदी वाले जस्टिस का इलाहाबाद तबादला : न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का तबादला शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया. केंद्र सरकार ने 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की संस्तुति के बाद इसे अधिसूचित किया. शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कहा है कि वे जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपें. दिलचस्प बात यह है कि कॉलेजियम ने यह निर्णय 20 और दूसरी 24 मार्च को दो बैठकें आयोजित करने के बाद लिया. समाचार रिपोर्टों के अनुसार, 14 मार्च की शाम को न्यायमूर्ति वर्मा के घर में आग लगने के कारण अनजाने में दमकलकर्मियों के हाथ बेहिसाब नकदी लग गई थी. जलाये गये नकदी की बरामदगी का एक वीडियो भी दिल्ली पुलिस आयुक्त ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के साथ साझा किया था. इलाहाबाद, लखनऊ, मध्य प्रदेश (जबलपुर), गुजरात, कर्नाटक और केरल के हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायधीश से मिलकर जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद हाई कोर्ट में उनके ट्रांसफर को रद्द करने का आग्रह किया था और इलाहाबाद के वकील इस मुद्दे को लेकर हड़ताल पर थे. 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के घर पर आग लगने के बाद वहां से कथित तौर पर अधजले 14 करोड़ रुपये मिले थे.
भारत ने दस्तावेजों के अभाव में रूसी तेल ले जा रहे जहाज को नहीं दिया प्रवेश : रूस के कच्चे तेल के व्यापार को झटका देते हुए, भारत ने अधूरे दस्तावेजों के कारण वडिनार में डॉकिंग करने से होंडुरन ध्वज वाले तेल टैंकर अंडमान स्काईज को प्रवेश देने से मना कर दिया है. भारतीय तेल निगम के लिए 767,000 बैरल रूसी कच्चे तेल से लदा यह जहाज अरब सागर में फंसा हुआ है. इससे मास्को के संदिग्ध तेल व्यापार में बढ़ते जोखिम उजागर होते हैं. यूक्रेन के आक्रमण के बाद रूसी कच्चे तेल का एक प्रमुख खरीदार भारत, प्रतिबंधित तेल के साथ अपने लेन-देन के लिए जांच के दायरे में है, जबकि अंडमान स्काईज नवीनतम अमेरिकी ब्लैकलिस्ट में नहीं है. ओमान और भारत के बीच टैंकर के निष्क्रिय रहने से, यह प्रकरण रूसी कच्चे तेल के वैश्विक बाजारों में पिछले दरवाजे से प्रवेश के लिए बढ़ती बाधाओं का संकेत देता है.
हिलेरी क्लिंटन ने ट्रंप प्रशासन की नीतियों को बताया ‘मूर्खतापूर्ण और खतरनाक’
'द न्यूयॉर्क टाइम्स' के लिए लिखे अपने लेख में हिलेरी क्लिंटन ने सिग्नल चैट घोटाले और इलोन मस्क द्वारा संघीय कर्मचारियों में की जा रही कटौती की आलोचना करते हुए ट्रम्प प्रशासन की शासन नीति को ‘मूर्खतापूर्ण और खतरनाक’ करार दिया है. उन्होंने कहा कि ट्रम्प अमेरिका को "कमजोर और अकेला" बना देंगे. पूर्व विदेश मंत्री और डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार क्लिंटन ने न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए लिखे इस संपादकीय का शीर्षक है- "यह और कितना मूर्खतापूर्ण हो सकता है?" लेख की शुरुआत उन्होंने इस टिप्पणी से की है - "मुझे पाखंड से ज्यादा बेवकूफी परेशान करती है."
पुतिन ने ट्रम्प की ग्रीनलैंड हड़पने की योजना को दी मूक सहमति
'बीबीसी' के लिए स्टीव रोज़ेनबर्ग की रिपोर्ट है कि पुतिन ने अमेरिका की ग्रीनलैंड पर कब्जे की योजना को मौन सहमति दे दी है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आर्कटिक फोरम में अमेरिका की ग्रीनलैंड योजना को "गंभीर और ऐतिहासिक" बताया, जिसे उन्होंने मौन समर्थन दिया. उन्होंने आर्कटिक में रूस के नेतृत्व को मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा कि यह क्षेत्र भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन रहा है. पुतिन के इस रुख से अमेरिका-रूस संबंधों में सुधार के संकेत मिले. रूस अब आर्कटिक में अमेरिका के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर विचार कर रहा है. किरिल दिमित्रियेव, रूसी निवेश कोष प्रमुख, ने इलोन मस्क के साथ मंगल मिशन में सहयोग की संभावना जताई. साथ ही, अमेरिकी अधिकारियों ने रूस-यूक्रेन युद्ध में कब्जे वाले क्षेत्रों के जनमत संग्रह को स्वीकार करने जैसे रूस-समर्थक रुख अपनाए हैं. पुतिन के सहयोगी निकोलाई पात्रुशेव ने कहा कि अमेरिका में नीतियां पार्टियों के साथ बदलती हैं, और अब विश्व "बहु-ध्रुवीय" हो रहा है.
जेडी और उषा वांस ग्रीनलैंड पंहुचे

यूक्रेन-अमेरिका खनिज समझौता अधर में : यूक्रेन और अमेरिका के बीच खनिज समझौते की शर्तें अभी तय नहीं हुईं. अमेरिका का प्रस्ताव यूक्रेन से मांगता है कि वह युद्धकालीन सहायता (4% ब्याज सहित) चुकाने तक अपने प्राकृतिक संसाधनों की आय अमेरिका को दे. इस राशि को एक संयुक्त कोष में रखा जाएगा, जिस पर अमेरिकी कंपनियों का नियंत्रण होगा. यूक्रेनी उप प्रधानमंत्री यूलिया स्विरीडेंको ने कहा कि समझौता अंतिम नहीं हुआ है. राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने अमेरिकी दबाव के बावजूद देश को "गरीब" करने वाले किसी भी प्रस्ताव को खारिज किया है. इस बीच, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन में "अस्थायी सरकार" बनाने और चुनाव कराने की मांग की, साथ ही यूक्रेन को निहत्था करने व अपने कब्जे वाले क्षेत्रों को मान्यता देने की शर्त रखी. अमेरिका-यूक्रेन वार्ता के समानांतर, यूक्रेन ने 30 दिन के युद्धविराम को स्वीकार किया, लेकिन रूस ने इसे ठुकरा दिया. ट्रम्प का मानना है कि यह समझौता अमेरिका को यूक्रेनी संसाधनों में हिस्सेदारी देगा और युद्ध समाप्त करेगा.
चलते चलते
इस्तांबुल की सड़कों से निकलकर आंदोलन का डिजिटल चेहरा.. मज़ाक है या असरदार?
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन के प्रमुख विरोधी और इस्तांबुल के महापौर एक्रेम इमामोलू की गिरफ्तारी (19 मार्च) के बाद शहर में भड़के विरोध प्रदर्शनों ने एक सरियल डिजिटल मोड़ ले लिया है. पुलिस की दमनकारी कार्रवाई के बीच एक प्रदर्शनकारी का पिकाचू कॉस्ट्यूम पहनकर भागना और एआई-जनित छवियों में जोकर का विरोध में शामिल होना वायरल हो गया. ये दृश्य राजनीतिक संघर्ष को वैश्विक मनोरंजन में बदल देते हैं, पर सवाल उठाते हैं : क्या यह जनता का विद्रोह है या हाइपररियलिटी का खेल? स्क्रोल में ढाका से ज़ाकिर किबरिया ने इस्तांबुल में हो रहे आंदोलन से पैदा होते डिजिटल कंटेट पर लिखा है.
इमामोलू पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को राजनीतिक बताते हुए हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए. विरोध की नई पहचान बना पिकाचू कॉस्ट्यूम—जहाँ एक ओर पानी की बौछारें और लाठियाँ हैं, वहीं दूसरी ओर एक कार्टून चरित्र की बेतुकी बहादुरी. यह विरोधाभास दर्शकों को झटका देता है : "गोटा कैच एम ऑल" जैसे मेम्स ने प्रदर्शन को ग्लोबल स्क्रीन तक पहुँचाया. एआई ने जोकर और स्पाइडर-मैन को भी विरोध में घुसा दिया — क्या यह सच्चाई को धुंधला करने की साजिश है? फ्रांसीसी दार्शनिक ज्यां बोद्रियार के अनुसार, आधुनिक समाज में "हाइपररियलिटी" (वास्तविकता का सिमुलेशन) सच्चाई को निगल जाती है. पिकाचू प्रदर्शनकारी अब एक प्रतीक है, जिसका मूल संदर्भ खो चुका है. गाए देबोर की "स्पेक्टेकल सोसाइटी" थ्योरी के मुताबिक, यह विरोध मनोरंजन में तब्दील होकर अपना राजनीतिक मकसद खो देता है. वहीं, मार्शल मैक्लुहान कहेंगे कि टिकटॉक-फ्रेंडली विडियो और मीम्स विरोध की धारणा बदल रहे हैं. यह विरोध 21वीं सदी के प्रतिरोध का नमूना है—जहाँ बेतुके हास्य से सत्ता की दमनकारी ताकतों को चुनौती मिलती है. परंतु, एआई-जनित छवियाँ और डीपफेक अराजकता असली विद्रोह को "मैन्युफैक्चर्ड कल्पना" में बदल सकते हैं. क्या यह जनता की आवाज़ है या एल्गोरिदम का खेल? डिजिटल युग में, विरोध की सफलता नैरेटिव पर नियंत्रण और स्पेक्टेकल की कला में निहित है. परंतु, 1,900 गिरफ्तारियाँ याद दिलाती हैं कि स्क्रीन के पीछे हिंसा का सच अब भी ज़िंदा है.
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