29/06/2025: बिहारी बताएं कि वे भारतीय हैं | उद्धव और राज साथ आएंगे | पटेल फिर हरकत में | यात्रा जगन्नाथ की, हमला मस्जिद पर | खामेनेई को लेकर भी ट्रम्प आत्मदया में | मद्रासी शेफ को फूड का ऑस्कर
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा.
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां:
2.93 करोड़ बिहारी साबित करें अपना भारतीय होना
बंगाल में भाजपा को अपने सर्वे में 46 से 49 सीटें, इसलिए यह उसकी कुटिल चाल
हजारों बैलेट, कंट्रोल और वीवीपीएट यूनिट्स जांच में फेल
महाराष्ट्र में हिंदी ने ला दिया ठाकरे बंधुओं को नजदीक, दो दशक बाद साझा करेंगे मंच
गुजरात के पटेलों में फिर सुगबुगाहट
पूर्व बीजेपी मंत्री के मुताबिक कपड़े, जूते, मोबाइल, सरकारी लाभ, बुवाई के पैसे उनकी वजह से
दाढ़ी के कारण कश्मीर के डॉक्टर को मेडिकल संस्थान में दाखिला नहीं
उज्जैन में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान मस्जिद पर चप्पलें फेंकीं, तनाव
कार्यस्थल में भेदभाव के चलते क्वीर भारतीय बना रहे हैं वैकल्पिक करियर की राह
एरिक ट्रम्प ने कहा - “अगर मैं चाहूं, तो व्हाइट हाउस की राह मेरे लिए आसान होगी”
ओरबान की धमकी के बाद भी हंगरी में विशाल रैली
ग़ाज़ा में इज़रायली हमलों में 60 से अधिक लोगों की मौत, मानवीय संकट और गहराया
शुक्रिया नहीं कहा, ट्रम्प को इसकी खामेनेई से शिकायत
ईरान ने इज़रायल के साथ युद्ध में मारे गए कमांडरों और वैज्ञानिकों को दी अंतिम विदाई
पाकिस्तान में भारी बारिश से आई बाढ़ में 32 लोगों की मौत, बचाव में देरी पर उठे सवाल
उत्तरी वज़ीरिस्तान में आत्मघाती हमला, 13 सैनिक मारे गये
ताइवान की उपराष्ट्रपति की यात्रा के दौरान चीन ने की थी ‘कार टक्कर’ की साजिश, चेक खुफिया एजेंसी का दावा
बेजोस ने ब्याह रचाया
नेतन्याहू के खिलाफ़ इजराइल सड़क पर
रोनाल्डो रोज़ाना कमाएंगे ₹5.12 करोड़, अल-नासर से 2027 तक नया रिकॉर्डतोड़ करार किया
तमिल खाना खिलाकर बना न्यू यॉर्क का बेस्ट शेफ
पिछले दरवाजे से एनआरसी
2.93 करोड़ बिहारी साबित करें अपना भारतीय होना
चुनाव आयोग द्वारा बिहार में शुरू किए गए मतदाता सूची के गहन पुरीक्षण अभियान को लेकर विपक्ष की चिंताओं, सवालों और “पिछले दरवाजे” से एनआरसी लागू करने के आरोप को इंडियन एक्सप्रेस की खबर से बल मिलता है. मतदाता सूची के गहन पुरीक्षण विवाद के बीच खबर आई है कि राज्य के 37%, यानी 2 करोड़ 93 लाख मतदाताओं को नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेज जमा करने होंगे, ताकि वे मतदाता सूची में बने रह सकें. प्रदेश में कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 4.96 करोड़ मतदाता, जिनका नाम 1 जनवरी 2003 को अंतिम बार मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण में था, उन्हें केवल नया एन्युमरेशन फॉर्म भरकर जमा करना होगा.
“द इंडियन एक्सप्रेस” में दामिनी नाथ की खबर है कि यह प्रक्रिया 25 जुलाई तक पूरी करनी होगी, तभी उनका नाम ड्राफ्ट रोल में शामिल होगा. नागरिकता प्रमाण देने के लिए जो दस्तावेज़ मांगे गए हैं, वे हैं- 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे लोगों को स्वयं का जन्म तिथि/स्थान प्रमाण, 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे व्यक्तियों को स्वयं और एक अभिभावक का जन्म तिथि/स्थान प्रमाण और 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोगों को स्वयं और दोनों अभिभावकों का जन्म तिथि/स्थान प्रमाण देना होगा.
बंगाल में भाजपा को अपने सर्वे में 46 से 49 सीटें, इसलिए यह उसकी कुटिल चाल
विपक्षी दलों की चिंता यह है कि यह प्रक्रिया गरीब, ग्रामीण और अल्पसंख्यक मतदाताओं को मतदाता सूची से बाहर कर सकती है. इसीलिए सरकार पर पिछले दरवाजे से एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजन्स) लागू करने का आरोप लगाया जा रहा है. तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को आरोप दोहराते हुए कहा कि यह एनआरसी को गुपचुप तरीके से लागू करने की भाजपा की चाल है. तृणमूल का दावा है कि भाजपा के आंतरिक सर्वे में बंगाल में उसे कम सीटें मिलने की संभावना के बाद यह कदम उठाया गया है. तृणमूल के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह पुनरीक्षण अचानक अभी क्यों किया जा रहा है? हमारे पास इस बात के सबूत हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि पश्चिम बंगाल के लिए भाजपा के नवीनतम आंतरिक सर्वे में पार्टी को 46 से 49 सीटें मिलने का अनुमान है. चीजों को बदलने की हताशा में आप ऐसी चीजें करते हैं.” ओ’ब्रायन ने कहा कि 1935 में नाजियों के समय, लोगों को पूर्वजों का प्रमाणपत्र देना पड़ता था. क्या यह उसी तरह का नया संस्करण है?
हजारों बैलेट, कंट्रोल और वीवीपीएट यूनिट्स जांच में फेल
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की प्रथम स्तर की तकनीकी जांच (एफएलसी) में 12.26% बैलेट यूनिट, 4.96% कंट्रोल यूनिट और 4.67% वीवीपीएट फेल घोषित कर दी गईं. कुल 1,76,506 बैलेट यूनिट्स की जांच हुई, जिनमें से 21,634 यूनिट्स फेल हो गईं. इसी तरह, 1,28,726 कंट्रोल यूनिट्स में से 6,389 और 1,36,317 वीवीपीएट में से 6,369 यूनिट्स जांच में फेल हुईं. जो मशीनें फेल हुईं, उन्हें मरम्मत के लिए हैदराबाद स्थित ईसीआईएल (इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) भेजा गया है.
महाराष्ट्र में हिंदी ने ला दिया ठाकरे बंधुओं को नजदीक, दो दशक बाद साझा करेंगे मंच
महाराष्ट्र की राजनीति में अगले माह 5 जुलाई को बड़ा घटनाक्रम देखने को मिलेगा, जब दोनों चचेरे भाई, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे, एक साथ मंच साझा करेंगे. पिछले लगभग दो दशकों से दोनों अलग-अलग राजनीतिक राह पर थे, लेकिन राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य किए जाने के फैसले ने दोनों भाइयों को करीब ला दिया है. साझा मंच का उद्देश्य हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के फैसले के खिलाफ एक संयुक्त रैली है.
कहा जा रहा है कि फडणवीस सरकार के इस कदम ने राज और उद्धव को एक दुर्लभ, लेकिन मराठी पहचान की रक्षा करने का अत्यंत आवश्यक, साझा मकसद दिया है. वल्लभ ओज़ारकर के मुताबिक दोनों ने कहा है कि यह विरोध “राजनीतिक” नहीं है, लेकिन दोनों ठाकरे वारिसों का एक साथ आना अपने आप में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है.
राज ठाकरे ने हाल ही में संकेत दिए थे कि वे उद्धव ठाकरे के साथ मिलकर महाराष्ट्र और मराठी भाषा के हितों के लिए काम करने को तैयार हैं. उन्होंने कहा था कि उनके और उद्धव के बीच राजनीतिक मतभेद और झगड़े महाराष्ट्र के हित के आगे बहुत छोटी बातें हैं. उद्धव ठाकरे ने भी सकारात्मक संकेत दिए थे और कहा था कि वे महाराष्ट्र के हित के लिए छोटे-मोटे झगड़े भुलाने को तैयार हैं. उद्धव ठाकरे ने शर्त रखी थी कि यदि राज ठाकरे भाजपा या एकनाथ शिंदे गुट से दूर रहते हैं, तो वे गठबंधन के लिए भी तैयार हैं.
दोनों की नजदीकी का राजनीतिक महत्व भी है. मुंबई, पुणे, नासिक जैसे बड़े नगर निगम चुनाव कुछ महीनों में होने वाले हैं. ऐसे में उद्धव-राज का संभावित गठबंधन राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है. दोनों नेताओं का मराठी वोटबैंक मजबूत है, जिससे आने वाले चुनावों में यह गठबंधन राज्य की राजनीति में नया समीकरण बना सकता है.
शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत ने सोशल मीडिया पर कहा, “महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी थोपने के खिलाफ एकजुट और एकल मार्च होगा. ठाकरे ही ब्रांड हैं.” राउत ने इस पोस्ट में केंद्रीय मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी टैग किया.
“द न्यू इंडियन एक्सप्रेस” में सुधीर सूर्यवंशी के मुताबिक, संजय राउत ने बताया कि पहले शिवसेना (यूबीटी) ने 7 जुलाई और राज ठाकरे ने 6 जुलाई को अपने-अपने मार्च की घोषणा की थी. लेकिन राज ठाकरे ने फोन कर कहा कि एक ही मुद्दे पर दो ठाकरे का अलग-अलग मार्च करना अच्छा नहीं लगेगा. अगर दोनों मिलकर एक ऐतिहासिक और विशाल मार्च करें, तो उसका असर और संदेश बड़ा होगा. राउत ने यह बात मातोश्री में उद्धव ठाकरे को भी बताई, जिस पर उद्धव ठाकरे भी सहमत हुए और दोनों ने मिलकर एक ही मार्च निकालने का फैसला किया.
संजय राउत ने यह भी कहा कि ठाकरे भाइयों का यह मिलन एक शुरुआत है और भविष्य में महाराष्ट्र और मराठी मानुष के बड़े हित के लिए वे बार-बार साथ आएंगे. राउत ने सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात को हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने से छूट दी गई है, तो महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हिंदी क्यों थोप रहे हैं?
गुजरात के पटेलों में फिर सुगबुगाहट
पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (PAAS) के पूर्व नेताओं ने शनिवार को कहा कि उन्होंने राज्य सरकार के सामने उठाने के लिए "सात सामाजिक मुद्दों" की एक सूची तैयार की है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर 25 अगस्त तक कोई कदम नहीं उठाया गया, तो वे एक बड़ी जनसभा का आयोजन करेंगे. 25 अगस्त को पाटीदार आंदोलन के 10 साल पूरे हो जाएंगे. हालांकि, इस बैठक में आंदोलन के पोस्टर बॉय रहे हार्दिक पटेल और आम आदमी पार्टी के विधायक गोपाल इटालिया शामिल नहीं हुए. शनिवार दोपहर सरगासन में आयोजित 'पाटीदार चिंतन शिविर' में कांग्रेस विधायक किरीट पटेल, पूर्व विधायक ललित वसोया और ललित कगथरा के साथ-साथ बीजेपी और आम आदमी पार्टी के कई पाटीदार नेता और समिति के संयोजक शामिल हुए. चर्चा के लिए सूचीबद्ध मुद्दों में शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए माता-पिता के हस्ताक्षर अनिवार्य करना, ऑनलाइन गेमिंग और जुए पर प्रतिबंध, सूदखोरों पर रोक, स्थानीय निकाय चुनावों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10% आरक्षण लागू करना और पाटीदार आंदोलन के दौरान दर्ज हुए पुलिस केस वापस लेना शामिल था. पास के पूर्व संयोजक दिनेश बामनिया ने कहा, "हम 50-60 लोगों की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन 300 से अधिक लोग आए. हम मुख्यमंत्री से मिलकर ये सात मुद्दे उनके सामने रखेंगे और 25 अगस्त तक कार्रवाई की मांग करेंगे. अगर सरकार विफल रहती है, तो हम जनता का समर्थन मांगेंगे". आप की महिला विंग की अध्यक्ष रेशमा पटेल ने कहा कि बैठक में सामाजिक मुद्दों पर चर्चा हुई. उन्होंने कहा, "शादी के लिए माता-पिता के हस्ताक्षर का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है. मैं प्रेम विवाह के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन कई बार लड़कियां प्रभावित होकर गलत फैसला ले लेती हैं और बाद में उन्हें बिना किसी सहारे के दयनीय स्थिति में रहना पड़ता है".
पराग जैन रॉ के नए प्रमुख नियुक्त
पराग जैन को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. पराग जैन, 1989 बैच के पंजाब कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी हैं. उनका दो साल का कार्यकाल 1 जुलाई से शुरू होगा. वे रॉ के मौजूदा प्रमुख रवि सिन्हा का स्थान लेंगे, जो 30 जून को रिटायर हो रहे हैं. जैन की नियुक्ति का फैसला कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने इस सप्ताह की शुरुआत में लिया था. पूरी खबर विस्तार से यहां है.
पूर्व बीजेपी मंत्री के मुताबिक कपड़े, जूते, मोबाइल, सरकारी लाभ, बुवाई के पैसे उनकी वजह से
भाजपा विधायक और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बबनराव लोणीकर एक बार फिर अपने बयान “हमने आपको सब कुछ दिया” को लेकर विवादों में हैं. हाल ही में जालना जिले के परतुर विधानसभा क्षेत्र में किसानों की सभा को संबोधित करते हुए लोणीकर ने कहा कि "जो लोग मेरी पार्टी और सरकार की आलोचना करते हैं, उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि उन्हें कपड़े, जूते, मोबाइल, सरकारी योजनाओं के लाभ और बुवाई के लिए पैसे हमारी वजह से मिलते हैं."
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर हमारी और हमारी पार्टी की आलोचना करते हैं. हमने आपके गांव में पानी की टंकी, कंक्रीट की सड़कें, समारोह स्थल बनवाए और विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिया. “बबनराव लोणीकर ने आलोचना करने वालों की माताओं को वेतन दिया और उनके पिताओं के लिए पेंशन भी स्वीकृत की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपके पिता को बुवाई के लिए 6,000 रुपये (पीएम किसान सम्मान निधि का संदर्भ) दिए. आपकी बहनें ‘लाडकी बहिन योजना’ का लाभ उठा रही हैं”, उन्होंने कहा. यह पहली बार नहीं है, वे पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं. पांच साल पहले उन्होंने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में स्थानीय तहसीलदार को "हीरोइन" कह दिया था.
दाढ़ी के कारण कश्मीर के डॉक्टर को मेडिकल संस्थान में दाखिला नहीं : कश्मीर के एक डॉक्टर ने आरोप लगाया है कि उसे अपनी दाढ़ी के कारण कोयंबटूर के एक मेडिकल संस्थान में सुपर-स्पेशियलिटी डिग्री में प्रवेश से वंचित कर दिया गया. डॉक्टर ने अपना नाम उजागर नहीं करने की गुजारिश के साथ बताया कि उसे कोवई मेडिकल सेंटर एंड हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी विभाग में डॉक्टर ऑफ नेशनल बोर्ड डिग्री कोर्स के लिए नीट सुपर-स्पेशियलिटी काउंसलिंग के दूसरे राउंड में चुना गया था. लेकिन, शीर्ष अधिकारियों ने साफ शब्दों में कहा कि दाढ़ी की अनुमति नहीं है. डॉक्टर ने कहा, “मैं ड्रेस कोड के अन्य सभी निर्देशों का पालन करने को तैयार था, जैसे पैंट पहनना. लेकिन वे चाहते थे कि मैं अपनी दाढ़ी पूरी तरह से साफ करूं. ”
उज्जैन में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान मस्जिद पर चप्पलें फेंकीं, तनाव
मध्यप्रदेश के उज्जैन में शुक्रवार रात जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान छत्री चौक स्थित शाही मस्जिद पर भीड़ में से कुछ लोगों ने चप्पलें फेंकीं. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिससे मुस्लिम समुदाय में आक्रोश फैल गया. समुदाय के लोगों ने खाराकुआं थाने का घेराव कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की.
घटना उस समय हुई जब खाती समाज की जगन्नाथ रथ यात्रा जगदीश मंदिर, ढाबा रोड से शुरू होकर गोपाल मंदिर होते हुए लौट रही थी. वीडियो में दिखाई देता है कि यात्रा के मस्जिद के सामने से गुजरने के दौरान तीन बार चप्पलें मस्जिद की ओर फेंकी गईं.
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया कि यह हरकत जानबूझकर की गई ताकि शहर का सौहार्द्र बिगाड़ा जा सके. पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 299 (धार्मिक भावनाएं आहत करने के इरादे से किया गया कृत्य) के तहत मामला दर्ज किया है. उज्जैन राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का गृह नगर है.
पुलिस ने कहा कि आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की जा रही है और आरोपियों की पहचान होते ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. फिलहाल इलाके में शांति बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात है और प्रशासन ने लोगों से संयम बरतने की अपील की है.
कार्यस्थल में भेदभाव के चलते क्वीर भारतीय बना रहे हैं वैकल्पिक करियर की राह
'इंडिया स्पेंड' के लिए आमिर बिन रफी और मानसी राठी की रिपोर्ट है कि भारत में LGBTQIA+ समुदाय के कई लोग पेशेवर दुनिया में भेदभाव, उत्पीड़न और अस्वीकार का सामना कर रहे हैं, जिससे वे स्वतंत्र और रचनात्मक करियर की ओर रुख कर रहे हैं. सुवाजित उर्फ रोनी, जो कोलकाता में भेदभाव झेल चुके हैं, अब हिमाचल के रक्कड़ गांव में अपना आर्ट स्टूडियो चलाते हैं और LGBTQ+ के लिए "प्राइड बैठकें" आयोजित करते हैं. प्रभात, एक सेल्स प्रोफेशनल, अपने ऑफिस में अपनी पहचान छिपाकर जीते हैं, लेकिन सप्ताहांत में LGBTQ+ कार्यक्रमों में अपने असली रूप में शामिल होते हैं. सोहेल, जो दिल्ली के एक NGO में काम करते थे, सार्वजनिक अपमान के बाद नौकरी छोड़कर क्रोशिया बिजनेस शुरू कर चुके हैं. दीपक टंडन (डी) ने ऑफिस उत्पीड़न के बाद एक ऑनलाइन थ्रिफ्ट स्टोर शुरू किया, जो अब 41,000 से ज्यादा फॉलोअर्स से जुड़ा है और उन्हें "वर्चुअल परिवार" का समर्थन मिला है.
2017 की रिपोर्ट के अनुसार 40% ट्रांसजेंडर लोगों को 18 वर्ष से पहले यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा.
2021 में LGBTQ+ व्यक्तियों पर एक सर्वे में 103 में से केवल 17 लोग ही कार्यस्थल पर खुले रूप में सामने आए थे। उनमें से 16 को भेदभाव और अवसरों से वंचित किया गया.
एक अमेरिकी रिपोर्ट (2024) के मुताबिक, 47% LGBTQ कर्मियों को कार्यस्थल पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, और 33% को पहचान के कारण नौकरी छोड़नी पड़ी.
एरिक ट्रम्प ने कहा - “अगर मैं चाहूं, तो व्हाइट हाउस की राह मेरे लिए आसान होगी”
'फायनेंशियल टाइम्स' की रिपोर्ट है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बेटे एरिक ट्रम्प ने इशारा किया है कि वह या ट्रम्प परिवार का कोई और सदस्य 2028 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हो सकता है, जब उनके पिता का दूसरा कार्यकाल समाप्त होगा. 41 वर्षीय एरिक, जो ट्रम्प ऑर्गनाइज़ेशन के सह-कार्यकारी उपाध्यक्ष हैं, ने कहा- “सवाल यह नहीं है कि मैं कर सकता हूं या नहीं… सवाल यह है कि क्या मैं अपने परिवार को फिर से उसी राजनीतिक बवंडर में झोंकना चाहूंगा?” उन्होंने कहा- “अगर मैंने हां कहा, तो यह राह मेरे लिए आसान होगी. और हां, परिवार के अन्य सदस्य भी ऐसा कर सकते हैं.” जहां डोनाल्ड जूनियर और इवांका ट्रम्प कई बार सार्वजनिक राजनीतिक गतिविधियों में शामिल रहे, वहीं एरिक ट्रम्प ने खुद को बिज़नेस तक सीमित रखा.
हालांकि, उनका कहना है कि वे हमेशा राजनीति पर नज़र रखते आए हैं और उन्हें "आधे से ज्यादा नेता बेअसर और निराशाजनक लगते हैं." “मैं यह काम बेहद प्रभावी ढंग से कर सकता हूं,” उन्होंने कहा. 2028 की रिपब्लिकन उम्मीदवारी के लिए जेडी वेंस (वर्तमान उपराष्ट्रपति) और मार्को रूबियो (विदेश मंत्री) को संभावित दावेदार माना जा रहा है, लेकिन जब एरिक से पूछा गया कि क्या 2024 ट्रम्प परिवार का अंतिम चुनाव था, उन्होंने कहा- “कौन जानता है? वक्त ही बताएगा. पर मैं अकेला नहीं हूं.” जब एरिक ट्रम्प से पूछा गया कि क्या व्हाइट हाउस उनके परिवार के लिए मुनाफे का साधन बन गया है, तो उन्होंने स्पष्ट इंकार किया - “अगर कोई एक परिवार है, जिसने राजनीति से मुनाफा नहीं कमाया, तो वह ट्रम्प परिवार है.” “अगर मेरे पिता चुनाव न लड़ते, तो हमारे नाम के पीछे और ज्यादा जीरो होते.” उन्होंने दावा किया कि ट्रम्प परिवार ने “झूठे रूसी आरोपों, फर्जी डोज़ियर और कानूनी मामलों” से खुद को बचाने में करीब $500 मिलियन खर्च किए.
ओरबान की धमकी के बाद भी हंगरी में विशाल रैली
बुडापेस्ट प्राइड बना ओरबान सरकार के ख़िलाफ़ जनविरोध का प्रतीक : बुडापेस्ट में हजारों लोगों ने प्रतिबंधित प्राइड मार्च में हिस्सा लेकर प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बान की नीतियों का विरोध किया. सरकार ने मार्च पर बच्चों की सुरक्षा का हवाला देकर रोक लगाई थी और चेहरा पहचानने वाली तकनीक से कार्रवाई की चेतावनी दी थी, लेकिन मार्च एक बड़े जनआंदोलन में बदल गया, जो एलजीबीटी अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की मांग कर रहा है.
ग़ाज़ा में इज़रायली हमलों में 60 से अधिक लोगों की मौत, मानवीय संकट और गहराया
'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि ग़ाज़ा में शुक्रवार रात से शनिवार सुबह तक हुए इज़रायली हवाई हमलों में कम से कम 62 लोगों की मौत हो गई है. स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि यह मौतें ऐसे समय हो रही हैं जब ग़ाज़ा में मानवीय हालात बद से बदतर हो रहे हैं, भले ही युद्धविराम की कुछ नई उम्मीदें दिख रही हैं. इस दौरान एक विस्थापन शिविर के पास (पैलेस्टाइन स्टेडियम, ग़ज़ा सिटी) बमबारी में दर्जनों लोग मारे गए. इसके अलावा शनिवार दोपहर एक हमले में कम से कम 11 लोग मारे गए.
दक्षिणी ग़ाज़ा के अल-मवासी इलाके में भी एक परिवार पर तंबू में सोते समय हमला हुआ, सभी की मौत हो गई. बता दें कि इज़रायल ने ग़ाज़ा पर ढाई महीने तक खाद्य सामग्री की पूरी नाकाबंदी की थी, जिसे मई के अंत में कुछ ढील दी गई, लेकिन अब भी बहुत सीमित सहायता ही पहुंच पा रही है. यूनिसेफ के अनुसार, अप्रैल से मई के बीच ग़ज़ा में बच्चों में गंभीर कुपोषण के मामले 50% बढ़े हैं और 60% जल आपूर्ति संयंत्र काम नहीं कर रहे.
जीएचएफ नामक अमेरिकी निजी संगठन से भोजन प्राप्त करने की कोशिश में अब तक 500 से अधिक फिलिस्तीनी गोली मारकर मारे गए हैं. गवाहों ने आरोप लगाया है कि इज़रायली सैनिकों ने भीड़ पर सीधा गोली चलाई, जबकि हर हमले के बाद की ही तरह इज़रायली सेना ने कहा है कि वह घटनाओं की जांच कर रही है.
शुक्रिया नहीं कहा, ट्रम्प को इसकी खामेनेई से शिकायत
ईरान-इज़रायल युद्धविराम के कुछ ही दिनों बाद, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर कहा है कि उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को “बेहद अपमानजनक मौत” से बचाया और इसके बावजूद खामेनेई ने “धन्यवाद तक नहीं कहा”. ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर लिखा- "जब खामेनेई झूठ बोलते हैं कि ईरान ने इज़रायल के साथ युद्ध जीता, तो वे जानते हैं कि यह एक झूठ है. उनके तीनों परमाणु ठिकाने नष्ट कर दिए गए थे. मुझे पता था कि वह कहां छिपे हैं और अगर मैंने इज़रायल या अमेरिका की सेना को हरी झंडी दी होती, तो वह जिंदा नहीं बचते." ट्रम्प का दावा है कि युद्ध के अंतिम चरण में उन्होंने इज़रायल से कहा कि वह तेहरान की ओर जा रहे विमानों को वापस बुला ले, जिससे "ईरान में भारी जान-माल का नुकसान" टल गया. उनका कहना है कि अगर वह हमले की अनुमति देते, तो यह "ईरान के इतिहास की सबसे बड़ी तबाही" होती. राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वह ईरान पर लगे प्रतिबंध हटाने और संबंध सुधारने के लिए प्रयास कर रहे थे, लेकिन इसके जवाब में उन्हें केवल कठोर बयान और असहयोग मिला. उन्होंने खामेनेई के शासन की आलोचना करते हुए कहा, “ईरान अब और भी बुरे दौर में प्रवेश करेगा. वहां केवल दुख, क्रोध और निराशा का माहौल है. मैं चाहता था कि ईरान को भविष्य मिले, लेकिन वहां की सैन्य और धार्मिक सत्ता ने अपने ही लोगों से सब कुछ छीन लिया है.” बयान के अंत में ट्रम्प ने तंज कसते हुए लिखा - “ईरान के नेताओं को समझना चाहिए कि शहद से ज्यादा असर सिरके से होता है. शांति के साथ पेश आओ.”
ईरान ने इज़रायल के साथ युद्ध में मारे गए कमांडरों और वैज्ञानिकों को दी अंतिम विदाई
(फोटो साभार : माजिद असगरीपोर /रॉयटर्स)
‘रॉयटर्स’ की रिपोर्ट है कि ईरान और इज़राइल के बीच हाल ही में चले भयानक युद्ध के बाद अब दोनों मुल्कों में युद्ध की त्रासदी से उभरेन की कवायद जारी हो गई है. दोनों ही जगह जीत के दावे पेश किए गए. अब 'रॉयटर्स' की रिपोर्ट है कि इजरायली हमलों में मारे गए सेना प्रमुख, रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के वरिष्ठ कमांडर और 16 परमाणु वैज्ञानिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए तेहरान में लोग उमड़ पड़े. ईरान ने शनिवार को राजधानी तेहरान में एक भव्य शोक समारोह आयोजित कर उन वरिष्ठ सैन्य कमांडरों, परमाणु वैज्ञानिकों और आम नागरिकों को श्रद्धांजलि दी जो इस महीने इज़रायल के साथ हुए हवाई युद्ध में मारे गए. राज्य मीडिया के अनुसार, मारे गए लोगों में ईरानी सशस्त्र बलों के प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी, रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी, और गार्ड्स एयरोस्पेस फोर्स के प्रमुख जनरल अमीर अली हाजीज़ादेह शामिल थे. इनकी मौत युद्ध के पहले दिन 13 जून को हुई थी. तेहरान के आज़ादी चौक में उनके ताबूत राष्ट्रीय झंडे और तस्वीरों के साथ लाए गए. इस दौरान लोगों ने ताबूतों को छूने और गुलाब की पंखुड़ियां चढ़ाने की कोशिश की. सरकारी टीवी ने लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों की झलक भी दिखाई. ‘शक्ति के शहीदों का जुलूस’ नामक इस जनाज़े में कुल 60 लोगों को श्रद्धांजलि दी गई, जिनमें चार महिलाएं और चार बच्चे भी शामिल थे.
इस मौके पर राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान, खामेनेई के सलाहकार अली शामखानी (जो युद्ध में घायल हुए) और उनके पुत्र मोज्तबा खामेनेई भी मौजूद थे. इससे पहले आजादी चोक पर ही जीत के जश्न में भव्य समारोह भी किया गया था. ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने टेलीग्राम पर लिखा - “आज ईरानियों ने दो परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्रों के सामने डटकर अपने सम्मान और आत्मगौरव की रक्षा की है. हमारा भविष्य पहले से कहीं अधिक दृढ़ और गरिमामय है.” हालांकि सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने अब तक कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है. अतीत में वह स्वयं वरिष्ठ कमांडरों के जनाज़े की नमाज़ अदा करते रहे हैं.
ईरानी शहीदों के जनाज़े में शामिल हुए अली शामखानी, इजरायल ने मरा हुआ बताया था : हालिया इज़रायली हमले में गंभीर रूप से घायल हुए ईरान के पूर्व शीर्ष सुरक्षा अधिकारी अली शामखानी ने शनिवार सुबह तेहरान में ईरानी शहीदों के जनाज़े में शिरकत की. गौरतलब है कि इंटरनेशनल मीडिया में अली शामखानी की मौत के दावे किए गए थे. इन शहीदों में सीनियर सैन्य कमांडर और आम नागरिक शामिल हैं, जो इज़रायल द्वारा हाल ही में किए गए हवाई हमलों में मारे गए थे.
पाकिस्तान में भारी बारिश से आई बाढ़ में 32 लोगों की मौत, बचाव में देरी पर उठे सवाल
पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी और पंजाब क्षेत्रों में भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ के चलते कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई है. मृतकों में 16 बच्चे भी शामिल हैं. सबसे दुखद घटना स्वात नदी में एक परिवार के बह जाने की रही, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और सरकार की लापरवाही पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली. यह परिवार पंजाब से स्वात जिले में पिकनिक मनाने आया था. बताया गया कि कुछ बच्चे नदी किनारे फोटो खींच रहे थे, तभी अचानक पानी का बहाव तेज़ हो गया. परिवार के लोग बच्चों को बचाने के लिए नदी में उतरे, लेकिन तेज बहाव में बह गए. गवाहों का कहना है कि वे एक घंटे से अधिक समय तक फंसे रहे, लेकिन कोई मदद नहीं पहुंची.
उत्तरी वज़ीरिस्तान में आत्मघाती हमला, 13 सैनिक मारे गये
'द डॉन' की रिपौर्ट है कि पाकिस्तान के उत्तरी वज़ीरिस्तान ज़िले में शनिवार को एक आत्मघाती हमले में सेना के 13 जवान शहीद हो गए. रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान का आरोप है कि यह हमला "भारत प्रायोजित आतंकी संगठन फितना-उल-खवारिज" द्वारा किया गया. हमला एक विस्फोटक से लदी गाड़ी से किया गया, जिसमें महिलाएं और बच्चे भी घायल हुए. हमले के बाद कार्रवाई में 14 आतंकी मारे गए. पाक सेना ने हाल ही में कहा है कि भारत "अपने एजेंटों" के ज़रिए पाकिस्तान में आतंकी हमलों को बढ़ावा दे रहा है और इसके पास "अखंडनीय सबूत" हैं कि भारतीय सैन्य अधिकारी इन हमलों में शामिल हैं. ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 के मुताबिक, पाकिस्तान दुनिया का दूसरा सबसे प्रभावित देश है, जहां पिछले एक साल में आतंकी हमलों में 45% की वृद्धि दर्ज की गई और 1,081 मौतें हुईं.
ताइवान की उपराष्ट्रपति की यात्रा के दौरान चीन ने की थी ‘कार टक्कर’ की साजिश, चेक खुफिया एजेंसी का दावा
'द गार्डियन' चेक गणराज्य की खुफिया एजेंसी ने खुलासा किया है कि चीन के राजनयिकों और खुफिया एजेंटों ने ताइवान की उपराष्ट्रपति ह्सियाओ बी-खिम की 2024 की प्राग यात्रा के दौरान एक कार दुर्घटना की योजना बनाई थी, जिसका मकसद उन्हें डराना था. ह्सियाओ बी-खिम मार्च 2024 में प्राग पहुंची थीं. यह चुनाव जीतने के बाद उनकी और ताइवान के राष्ट्रपति लाई छिंग-ते की पहली विदेश यात्रा थी. उस समय खबर आई थी कि एक चीनी राजनयिक ने ह्सियाओ की सुरक्षा गाड़ियों के काफिले का पीछा करते हुए रेड लाइट तोड़ी थी. अब चेक सार्वजनिक रेडियो इरोझलास की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना महज़ एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी, जिसे प्राग स्थित चीनी दूतावास से संचालित किया जा रहा था.
बेजोस ने ब्याह रचाया
अरबपति और अमेज़ॅन के संस्थापक जेफ बेजोस ने टीवी प्रस्तोता लॉरेन सांचेज़ के साथ शुक्रवार को वेनिस में एक भव्य समारोह में शादी कर ली. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रियलिटी सितारे, अभिनेता, शाही हस्तियां और कई बड़े नाम वाटर टैक्सी से पहुंचे, जिनके पीछे पापराज़ी की भीड़ लगी रही. ओपरा विन्फ्रे, ऑरलैंडो ब्लूम, काइली जेनर और इवांका ट्रम्प जैसे कई जाने-माने चेहरे इस स्टार-स्टडेड इवेंट के लिए शहर में मौजूद थे.
दुल्हन लॉरेन सांचेज़ ने डोल्से एंड गबाना का एक शानदार लेस गाउन पहना, जिसे बनाने में 900 घंटे लगे थे. उन्होंने फोटोग्राफरों से कहा कि वह "एक राजकुमारी की तरह महसूस कर रही थीं". बाद में, 55 वर्षीय सांचेज़ को 61 वर्षीय बेजोस के साथ मुस्कुराते हुए देखा गया, जिसकी तस्वीर इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई. शादी में लगभग 200 मेहमानों को बुलाया गया था, जिनमें 70 परिवार के सदस्य थे, हालांकि सांचेज़ ने इसे "बेहद अंतरंग" कार्यक्रम बताया.
शुक्रवार का समारोह सैन जियोर्जियो के छोटे से द्वीप पर हुआ, जहां मशहूर इतालवी गायक एंड्रिया बोसेली के बेटे मैटेओ बोसेली ने प्रस्तुति दी. उम्मीद है कि शनिवार को एक पूर्व मध्ययुगीन शिपयार्ड में एक बड़ी पार्टी के साथ उत्सव का समापन होगा, जहां लेडी गागा और एल्टन जॉन के प्रदर्शन करने की भी संभावना है.
नेतन्याहू के खिलाफ़ इजराइल सड़क पर
शनिवार को पूरे इज़राइल में सरकार विरोधी प्रदर्शनों की लहर देखी गई, जिसका समापन तेल अवीव में एक विशाल रैली के साथ हुआ. देश भर में प्रदर्शनकारियों ने गाजा में युद्ध समाप्त करने, बंधकों की तत्काल वापसी और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार के इस्तीफे की मांग की. उत्तरी शहर हाइफा में लोगों ने बैनर उठाए जिन पर लिखा था, "युद्ध खत्म होना चाहिए, बंधक वापस आने चाहिए, सरकार गिरनी चाहिए!". तेल अवीव के हॉस्टेजेस स्क्वायर में हज़ारों की भीड़ जमा हुई, जहाँ अनुमान के मुताबिक 30,000 लोग शामिल हुए. माहौल बहुत जोशीला था और लोग "उन्हें अभी घर लाओ" जैसे नारे लगा रहे थे. कुछ प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी हस्तक्षेप की अपील की, जिनके बैनर पर लिखा था, "राष्ट्रपति ट्रंप, गाजा का संकट खत्म करें! नोबेल इंतजार कर रहा है". इसी दौरान, गाजा में मारे गए इताय चेन की मां रूबी चेन ने एक भावुक अपील करते हुए कहा, "युद्ध खत्म करने की कीमत पर भी सभी बंधकों को वापस लाना ही सही कदम है". उन्होंने नेतन्याहू को उनके उपनाम 'बीबी' से संबोधित करते हुए कहा, "बंधकों की वापसी आत्मसमर्पण नहीं है... यह राजनीतिक विचारों को छोड़कर बंधकों को घर लाने का समय है".
रोनाल्डो रोज़ाना कमाएंगे ₹5.12 करोड़, अल-नासर से 2027 तक नया रिकॉर्डतोड़ करार किया
फुटबॉल स्टार क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने सऊदी प्रो लीग क्लब अल-नासर के साथ 2027 तक का नया दो साल का करार साइन कर लिया है. इस डील की कुल कीमत £492 मिलियन (₹5,000 करोड़ से अधिक) बताई जा रही है, जो खेल इतिहास की अब तक की सबसे महंगी डील मानी जा रही है. इस हिसाब से देखें तो रोनाल्डो का रोज़ाना वेतन ₹5.12 करोड़ (लगभग £4.88 लाख प्रतिदिन) है, जबकि साइनिंग बोनस ₹2,609 करोड़ (£24.5 मिलियन), जो दूसरे साल बढ़कर ₹4,047 करोड़ (£38 मिलियन) हो सकता है. इसके अलावा परफॉर्मेंस बोनस भी हैं. ₹85.2 करोड़ (£8 मिलियन) सऊदी लीग जीतने पर, ₹53.25 करोड़ (£5 मिलियन) एएफसी चैंपियंस लीग खिताब पर, ₹42.6 करोड़ (£4 मिलियन) गोल्डन बूट पर और हर गोल पर ₹85.2 लाख और हर असिस्ट पर करीब ₹42.6 लाख (दूसरे साल 20% की बढ़ोतरी). इसके अलावा ब्रांड डील के तौर पर भी सऊदी कंपनियों से दो वर्षों में ₹639 करोड़ (£60 मिलियन) तक की संभावित कमाई होने की उम्मीद है. इतना ही नहीं इसके अलावा प्राइवेट जेट से लेकर नौकर, बॉडीगार्ड और शेफ तक इस डील का हिस्सा होंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, पांच बार के बैलन डी'ओर विजेता क्रिस्टियानो रोनाल्डो को क्लब में 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी (मालिकाना शेयर) भी दी जाएगी. सउदी रोनाल्डो के लिए अपने कानून भी बदल रहा है. इस निर्णय का मतलब है कि रोनाल्डो और उनकी गर्लफ्रेंड जॉर्जिना रोड्रिगेज सऊदी अरब में साथ रहना जारी रखेंगे, भले ही वहां का क़ानून अविवाहित जोड़ों को साथ रहने की अनुमति नहीं देता.
चलते-चलते
तमिल खाना खिलाकर बना न्यू यॉर्क का बेस्ट शेफ
न्यूयॉर्क के पाक जगत में, भारतीय शेफ विजय कुमार किसी बग़ावत से कम नहीं.. हाल ही में 'बेस्ट शेफ: न्यूयॉर्क स्टेट' के लिए प्रतिष्ठित जेम्स बियर्ड अवार्ड जीतना उनके लिए सिर्फ़ एक व्यक्तिगत सम्मान नहीं है. यह तमिल भोजन के लिए एक वैश्विक मान्यता और एक सांस्कृतिक मील का पत्थर है. उनके रेस्टोरेंट 'सेम्मा' का उद्देश्य भारतीय भोजन की घिसी-पिटी छवि को तोड़ना है.
बीबीसी के लिए सुधा जी तिलक लिखती हैं कि तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव में जन्मे, 44 वर्षीय कुमार अपनी माँ और दादी की यादों से खाना बनाते हैं. उनकी प्रेरणा चूल्हे पर बने पारंपरिक भोजन से आती है. अवार्ड लेते हुए उन्होंने भावुक होकर कहा, 'जिस भोजन को खाकर मैं बड़ा हुआ, वह आज मुख्य मंच पर है'. अपनी जड़ों पर गर्व करते हुए, वह समारोह में पारंपरिक तमिल पोशाक 'वेष्टि' पहनकर पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि तमिलनाडु का एक सांवला लड़का इतने बड़े मंच तक पहुंच पाएगा.
सेम्मा के मेन्यू में बटर चिकन या नान जैसे व्यंजन नहीं मिलते. इसके बजाय, कुमार उन व्यंजनों को परोसते हैं जो उनके बचपन की याद दिलाते हैं. उनकी एक ख़ास डिश है 'नथाई पिरट्टल', यानी घोंघे. बचपन में जब घर में चावल की कमी होती थी, तो वे खेतों से घोंघे पकड़कर लाते थे. पहले उन्हें यह गरीबी का भोजन लगता था, लेकिन जब उन्होंने देखा कि फ्रांसीसी कितने गर्व से घोंघे (एस्कारगोट) परोसते हैं, तो उनकी सोच बदल गई.
विजय कुमार सिर्फ़ खाना नहीं परोस रहे. वे यादें, गर्व और एक क्रांति परोस रहे हैं. सेम्मा न्यूयॉर्क का पहला दक्षिण भारतीय रेस्टोरेंट है जिसे मिशेलिन स्टार मिला है. उनकी जीत इस बात का प्रमाण है कि भारत के क्षेत्रीय व्यंजनों की सादगी और स्वाद का वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण स्थान है. यह जीत भारतीय डायस्पोरा के युवाओं को अपनी जड़ों पर गर्व करने के लिए भी प्रेरित कर रही है.
पाठकों से अपील :
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