09 दिसंबर 2024: किसान मार्च पर आँसू गैस, संजीव भट्ट बरी, तानाशाह भागा, गोलवलकर पर किताब, विदेश सचिव ढाका में, नकली दूध, एक और मस्जिद पर सवाल, हाईकोर्ट के जज विहिप के कार्यक्रम में, धान छोड़ते किसान
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां : किसानों के ‘मार्च’ पर फिर आंसू गैस, हाईवे जाम का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा : किसानों के “दिल्ली चलो मार्च” के बीच नेशनल और स्टेट हाईवे जाम करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. पंजाब के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर पंजाब के सभी नेशनल और स्टेट हाईवे खोलने के लिए केंद्र सरकार और अन्य को निर्देश देने की मांग की है. उधर पंजाब हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर रविवार को भी 101 किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गए, जिसमें 6 किसानों के घायल होने की खबर है. दोपहर में दिल्ली की ओर मार्च करते ही हरियाणा पुलिस ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी और किसानों को बैरिकेड के आगे नहीं बढ़ने दिया. किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि प्रदर्शन को निलंबित कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि सोमवार को कोई जत्था दिल्ली नहीं जाएगा. हम सोमवार की दोपहर सभी किसान संघों की बैठक करेंगे ताकि अपनी अगली रणनीति तैयार कर सकें. शुक्रवार को भी किसानों के जत्थे के साथ यही हुआ था और 15 किसान घायल हो गए थे.
आईपीएस संजीव भट्ट बरी, मोदी पर लगाया था गुजरात दंगों में भूमिका का आरोप : 2002 के गुजरात दंगों में तब के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका को संदिग्ध बताने वाले आईपीएस संजीव भट्ट को शनिवार को बरी कर दिया गया. वह किसी और मामले में छह साल से गिरफ्तार थे. गुजरात के पोरबंदर जिले की एक अदालत ने शनिवार को भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट को 1997 के हिरासत में यातना मामले में बरी कर दिया. अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश पंड्या ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में विफल रहा और भट्ट पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं ली, जो कथित घटना के समय पोरबंदर में पुलिस अधीक्षक थे. भट्ट को इससे पहले जामनगर में 1990 के हिरासत में मौत के मामले में आजीवन कारावास और पालनपुर में राजस्थान के एक वकील को फंसाने के लिए ड्रग्स रखने से संबंधित 1996 के मामले में 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. फिलहाल वह राजकोट के सेंट्रल जेल में बंद हैं. भट्ट तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर किया था. बाद में एसआईटी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था. संजीव भट्ट दिसंबर 1999 से सितंबर 2002 तक गांधीनगर में स्टेट इंटेलिजेंस ब्यूरो में बतौर डिप्टी कमिश्नर थे. जब गोधरा कांड हुआ, उस समय वह तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे. गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में व्यापक दंगे भड़क उठे. सितंबर 2002 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को मोदी के भाषण की रिकॉर्डिंग देने के आरोप में भट्ट का ट्रांसफर कर दिया गया था.
अडानी का बहुत बिगड़ने वाला नहीं : फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार अमेरिकी न्याय विभाग के आरोपों के चलते अडानी समूह के सौर अनुबंधों को यदि रद्द भी कर दिया जाता है तो भी समूह पर कोई असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अनुबंध कम दरों पर है, लिहाजा समूह को नए खरीदार मिल सकते हैं.
आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष वाई.एस. शर्मिला ने शनिवार (7 दिसंबर) को कहा कि टीडीपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने अभी तक जगन-अडानी रिश्वत मामले पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है. शर्मिला ने ‘एक्स’ पर मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की खिंचाई करते हुए सवाल किया कि वह पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने में हिचकिचा क्यों रहे हैं?
‘डेक्कन हेराल्ड’ की एक खबर के मुताबिक केरल के उद्योग मंत्री पी. राजीव ने कहा है कि राज्य सरकार अडानी समूह के साथ नई परियोजनाओं पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन बड़े प्रदूषणकारी उद्योगों को बढ़ावा देने में उसकी रुचि नहीं है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब दक्षिणी राज्यों में अडानी समूह के साथ संबंधों को लेकर कुछ असहजता देखी जा रही है. हाल ही में केरल सरकार ने विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह परियोजना के लिए अडानी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
भारतीय विदेश सचिव आज ढाका में
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री सोमवार 9 दिसंबर को 12 घंटे की बांग्लादेश यात्रा पर जा रहे हैं. इस दौरान वह बांग्लादेशी विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन और पदेन विदेश मंत्री मोहम्मद तौहिद हुसैन से मुलाकात कर हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों को लेकर भारत की चिंताओं को उठाएंगे. समझा जाता है कि बांग्लादेश के अंतरिम नेता मुहम्मद युनूस से भी मिस्री की मुलाकात हो सकती है. बांग्लादेश भी अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को आश्रय देने के लिए अपनी चिंता से भारत को अवगत करा सकता है. पिछले माह युनूस ने कहा भी था कि उनकी सरकार भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेगी. गौरतलब है कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत बांग्लादेश के मजबूत रिश्तों में तनाव बढ़ा है और बीते कुछ सप्ताहों में हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों व इस्कॉन के पुजारी चिन्मॉय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी के बाद तो संबंधों में गिरावट ही आई है. इधर द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी है कि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने ढाका स्थित भारतीय उच्च आयोग को ज्ञापन सौंपकर भारत में बांग्लादेश विरोधी घटनाओं पर चिंता जताई है. इसके पहले भारतीय उच्च आयोग पर विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे बीएनपी समर्थकों को पुलिस ने रोक दिया. बीएनपी के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहउल कबीर रिजवी ने असत्य और भ्रामक अभियान चलाकर बांग्लादेश का धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश करने के लिए भारतीय सरकार और मीडिया की आलोचना की. रिजवी ने यह भी कहा कि लगता है, भारत शेख हसीना की बांग्लादेश में वापसी को सुगम बनाने में लगा है. इस बीच बीएनपी के सदस्य बांग्लादेश के नागरिकों से भारतीय वस्तुओं, उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करने का आव्हान कर रहे हैं. कुछ दिन पहले बीएनपी के एक नेता ने भारत में बनी साड़ियां, जो उसके परिवार की महिलाएं इस्तेमाल कर रही थीं, जला दी थीं. इस बीच “द वीक’” ने अपनी एक रिपोर्ट में दोनों देशों के दरमियान व्यापार की मौजूदा तस्वीर के मद्देनजर सवाल उठाया है कि क्या बांग्लादेश अब भारत से कन्नी काट रहा है? रिपोर्ट कहती है कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक उथलपुथल के चलते बांग्लादेश अब भारत के अलावा अन्य स्रोतों से आलू और प्याज आयात करने पर विचार कर रहा है ताकि भारत पर निर्भरता कम की जा सके. अभी वह आलू केवल भारत से और प्याज मुख्य रूप से भारत और म्यांमार से आयात करता है, जबकि कुछ प्याज पाकिस्तान, चीन और तुर्की से भी लेता है. भारत के वस्त्र और कृषि निर्यात के लिए बांग्लादेश एक प्रमुख बाजार है. 2010-11 में बांग्लादेश को निर्यात 3.2 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2021-22 में 16.2 अरब अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था. हालांकि, अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार में कमी आई है. इस्कॉन के पुजारी की गिरफ्तारी को लेकर चल रहे विवाद ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट फुलबाड़ी के माध्यम से होने वाले व्यापार को और प्रभावित किया है.
अब मुजफ्फरनगर की एक मस्जिद पर भी विवाद: उत्तर प्रदेश में संभल और बदायूं के बाद अब मुजफ्फरनगर की एक मस्जिद भी विवाद में फंस गई है. भगवा संगठन के एक स्थानीय नेता ने जिला प्रशासन को दी शिकायत में दावा किया है कि मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन के सामने मस्जिद वास्तव में पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की स्वामित्व वाली जमीन पर बनी है.
पुलिसकर्मी ने सहकर्मी की हत्या की, फिर खुद को मारी गोली: जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में रविवार तड़के एक पुलिसकर्मी ने कथित तौर पर एके-47 राइफल से अपने सहयोगी की गोली मारकर हत्या कर दी और फिर खुद को भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली.
एक लीटर केमिकल से 500 लीटर नकली दूध तैयार, पकड़ा गया 21700 किलो : बुलंदशहर से सचिन गुप्ता ने ‘दैनिक भास्कर’ के लिए रिपोर्ट की है, जो दूध के जहर के कारोबार के बारे में है. बुलंदशहर के अग्रवाल ट्रेडर्स के अजय अग्रवाल की फैक्ट्री से पुलिस ने 21700 किलो केमिकल बरामद किया है. बताया जा रहा है कि एक लीटर केमिकल से 500 लीटर नकली दूध तैयार हो जाता है और अजय अग्रवाल बीस साल से इस धंधे में हैं! यानी कि अभी जो माल बरामद हुआ है, उससे कुल एक करोड़ आठ लाख पचास हजार लीटर नकली दूध बनाया जा सकता था.
विहिप कार्यक्रम में हाईकोर्ट के जज़: रविवार 8 दिसंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दो वर्तमान न्यायाधीश प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम का हिस्सा बने. इनमें से एक ने ‘समान नागरिक संहिता की आवश्यकता’ पर व्याख्यान दिया. हाईकोर्ट के लाइब्रेरी हॉल में इस कार्यक्रम का आयोजन विहिप के ‘काशी प्रांत’ के विधि प्रकोष्ठ और हाईकोर्ट ईकाई (इलाहाबाद) ने मिलकर किया था. कार्यक्रम में चर्चा के विषय थे- ‘वक्फ बोर्ड अधिनियम’ और ‘धार्मिक रूपांतरण : कारण और रोकथाम’. 2026 में सेवानिवृत्त होने वाले जस्टिस शेखर कुमार यादव ने यूसीसी पर भाषण दिया, जिसका शीर्षक था- ‘समान नागरिक संहिता : एक संवैधानिक अनिवार्यता’. एक अन्य न्यायाधीश जस्टिस दिनेश पाठक को ‘दीप प्रज्वलन’ और ‘आशीर्वाद’ के साथ कार्यक्रम का उद्घाटन करना था, लेकिन उनकी उपस्थिति की पुष्टि नहीं हुई.
तानाशाह असद सीरिया छोड़ कर भागा
8 दिसंबर 2024 को सीरिया के विद्रोहियों ने दमिश्क पर नियंत्रण स्थापित कर राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से बेदखल कर दिया, जिससे उनकी 13 साल की तानाशाही खत्म हो गई. विद्रोहियों के अचानक दमिश्क पर कब्ज़े के बाद असद अज्ञात स्थान पर भाग गए. रूस के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि असद ने शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण का आदेश दिया और देश छोड़ दिया. इस बीच हजारों लोग सड़कों पर आए और 'स्वतंत्रता' के नारे लगाते हुए उन्होंने जश्न मनाया. लोगों ने राष्ट्रपति महल में प्रवेश किया और जेलों से कैदियों को रिहा किया. पश्चिमी सरकारें लंबे समय से इस बात को लेकर चिंतित थीं कि अगर सीरिया में इस्लामी लड़ाकों ने सत्ता हासिल कर ली, तो यह "विनाशकारी सफलता" हो सकती है, लेकिन अब विशेषज्ञों का कहना है कि विद्रोही बदल गए हैं. विद्रोही कमांडर अबू मोहम्मद अल-जोलानी ने अपनी सेना द्वारा दमिश्क पर कब्ज़ा करने के बाद सीरिया के राज्य टीवी पर पढ़े गए एक बयान में कहा है कि पीछे मुड़ने की कोई गुंजाइश नहीं है और संगठन उस रास्ते को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है, जो उन्होंने 2011 में अरब वसंत के दौरान शुरू किया था. अल-जोलानी ने कहा, ‘भविष्य हमारा है’. जोलानी ने वर्षों तक छाया बनकर काम किया, लेकिन अब वह सुर्खियों में है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया को साक्षात्कार दे रहे हैं और सीरिया के दूसरे शहर अलेप्पो को देश के गृहयुद्ध में पहली बार सरकारी नियंत्रण से छीनने के बाद जमीन पर दिखाई दे रहे हैं. 2016 में अल-कायदा से संबंध तोड़ने के बाद से जोलानी ने खुद को एक अधिक उदारवादी नेता के रूप में चित्रित करने की कोशिश की है, लेकिन उन्हें अभी भी विश्लेषकों और पश्चिमी सरकारों के बीच उन संदेहों को शांत करना बाकी है जो अभी भी एचटीएस को एक आतंकवादी संगठन के रूप में ही देखती आई हैं.
क्या है खास:
असद के मुख्य सहयोगी रूस और ईरान को इस विद्रोह से बड़ा झटका लगा. लेबनान के हिज़बुल्लाह ने भी दमिश्क से अपने सभी सैनिक हटा लिए.
इस्राइल ने कहा कि यह ईरान और हिज़बुल्लाह को कमजोर करने की उसकी रणनीति का नतीजा है.
फ्रांस के राष्ट्रपति ने इस घटना को "बर्बर राज्य के पतन" के रूप में वर्णित किया. अमेरिका ने कहा कि वह ISIS के खिलाफ अपनी उपस्थिति बनाए रखेगा.
सीरियाई प्रधानमंत्री का कहना है कि वे जनता द्वारा चुने गए किसी भी नेतृत्व के साथ सहयोग करने को तैयार हैं. अपने फेसबुक अकाउंट पर प्रसारित एक भाषण में, प्रधान मंत्री मोहम्मद अल-जलाली ने कहा, "यह देश एक सामान्य देश हो सकता है, जो अपने पड़ोसियों और दुनिया के साथ अच्छे संबंध बनाता है."
अब सीरिया के नए नेताओं के सामने स्थिरता बहाल करने और एक समावेशी सरकार बनाने की चुनौती होगी. देश को पुनर्निर्माण के लिए अरबों डॉलर की जरूरत होगी. एक बार फिर इस्लामिक स्टेट (ISIS) जैसे संगठनों के उभरने का खतरा है.
दक्षिण कोरिया का राजनीतिक संकट : मार्शल लॉ लगाने वाले दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक योल ने इम्पीचमेंट वोट से बचाव तो कर लिया है, लेकिन उनकी पद से हटने की मांग और तीव्र हो गई है. विपक्ष के प्रयासों के बावजूद यून के खिलाफ लाया गया इम्पीचमेंट प्रस्ताव पास नहीं हो सका. यून के खिलाफ अब देशद्रोह की जांच शुरू हो गई है. यदि दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें उम्रकैद या मृत्युदंड का सामना करना पड़ सकता है. सियोल में हजारों लोग उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. इस राजनीतिक संकट ने कोरिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है, जहां शेयर बाजार में गिरावट और अमेरिका व उत्तर कोरिया के साथ सुरक्षा चिंताएं बढ़ रही हैं. इधर यून की पार्टी उनके "संतुलित तरीके से हटने" की योजना पर विचार कर रही है, जिससे चुनावी नुकसान को रोका जा सके.
बारूदी सुरंगों के जाल में घिरा यूक्रेन : ‘अल जज़ीरा’ की रिपोर्ट के अनुसार, वाशिंगटन ने यूक्रेन को रूसी सेना की घुसैपठ को रोकने के लिए एंटी-पर्सनल बारूदी सुरंगें भेजने का फैसला किया है. इस निर्णय की मानवाधिकार संगठनों ने आलोचना की है. यूक्रेन अब दुनिया का सबसे अधिक बारूदी सुरंगों से प्रभावित देश बन चुका है. न तो अमेरिका और न ही रूस ओटावा संधि के हस्ताक्षरकर्ता हैं, जो बारूदी सुरंगों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाती है. ‘अल जज़ीरा’ के असद बैग ने खार्किव क्षेत्र के ग्रामीणों से बात की, जहां रूसी सेना द्वारा छोड़ी गई सुरंगों के कारण नागरिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. ये सुरंगें जानमाल के लिए बड़ा खतरा बनी हुई हैं.
आरबीआई पर टिप्पणी: ‘आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया’
पत्रकार मिलिंद खांडेकर ने अपने कॉलम "हिसाब किताब" में महंगाई और मंदी के बीच के गहरे संबंध को टटोला है. उन्होंने रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की हालिया मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक के बाद अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति और भविष्य की चुनौतियों पर विस्तार से अपने कॉलम में चर्चा की है. मिलिंद ने बताया कि महंगाई के बढ़ते स्तर ने आम जनता की खपत (खरीदारी) को प्रभावित किया है, जिससे आर्थिक विकास दर (ग्रोथ) में गिरावट आ रही है. रिज़र्व बैंक ने स्वीकार किया है कि इस वित्त वर्ष में महंगाई और ग्रोथ के अनुमान गलत साबित हुए. महंगाई दर अब 4.8% रहने की संभावना है, जबकि पहले यह 4.5% रहने का अनुमान था. वहीं, ग्रोथ दर 7.2% से घटकर 6.6% रह गई है. मिलिंद के अनुसार, इस स्थिति का असर सीधा आम जनता पर पड़ रहा है. आमदनी स्थिर है, लेकिन महंगाई के कारण खर्च बढ़ते जा रहे हैं. इसके अलावा, कम खपत के कारण कंपनियों का मुनाफा भी प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि कम बिक्री से शेयर बाजार में कंपनियों के शेयर की कीमतें भी प्रभावित हुई हैं. मिलिंद ने कॉलम में सुझाव दिया कि अर्थव्यवस्था को संतुलन में लाने के लिए सरकार और रिज़र्व बैंक दोनों को मिलकर कदम उठाने होंगे. फिलहाल, आम जनता को अपने खर्चों पर कड़ी नजर रखनी होगी और धैर्य के साथ इंतजार करना होगा.
धान के खेत खाली छोड़ रहे हैं किसान
'डाउन टू अर्थ' के लिए राजू सजवान इस दफा हरियाणा के तीन जिलों करनाल, कुरुक्षेत्र और झज्जर का दौरा कर धान किसानों की नई चुनौती का पूरा रिपोर्ताज लेकर आए हैं. उनका रिपोर्ताज बताता है कि हरियाणा भीषण जल संकट का सामना कर रहा है. जहां एक ओर कुछ जगहों पर भूजल लगभग पूरी तरह से समाप्त हो गया है, वहीं दूसरी ओर कई जगह ऐसी हैं, जहां जलभराव की समस्या है. विशेषज्ञों का कहना है कि हरियाणा में बहुत ज्यादा धान लगाने की वजह से ऐसे हालात बने हैं. इस चुनौती से निपटने के लिए हरियाणा सरकार ने 'मेरा पानी-मेरी विरासत' नामक एक योजना शुरू की है, जिसके तहत सरकार उन किसानों को मुआवजा प्रदान करती है जो अपने खेतों में धान के बजाय अन्य फसलें उगाते हैं या धान लगाने की बजाय खेत खाली छोड़ देते हैं. ‘डाउन टू अर्थ’ ने ऐसे कई किसानों से बात की जो धान का अलविदा कह चुके...या आगे मन बना रहे हैं.
एमपी के रातापानी अभयारण्य में साउंडप्रूफ कॉरिडोर
'द मूकनायक' के लिए अंकित पचौरी की रिपोर्ट है कि एमपी के रातापानी अभयारण्य में करीब 400 करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च कर साउंडप्रूफ कॉरिडोर बनाया जा रहा है. औबेदुल्लागंज से बैतूल नेशनल हाइवे पर स्थित रातापानी अभयारण्य में निर्माणाधीन 12.38 किलोमीटर का वन्यजीव कॉरिडोर पर्यावरण संरक्षण और सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में उभर रहा है. इस कॉरिडोर का मुख्य उद्देश्य जंगल में रहने वाले वन्य प्राणियों को वाहनों के शोर और दुर्घटनाओं से बचाना है. इस परियोजना में रॉक वूल टेक्नोलॉजी से बनी साउंडप्रूफ दीवारें प्रमुख भूमिका निभा रही हैं, जो पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का उदाहरण प्रस्तुत करती हैं. रॉक वूल, जिसे खनिज ऊन भी कहा जाता है, पत्थरों को पिघलाकर और रेशों में बदलकर बनाया जाता है. इसका व्यापक उपयोग इमारतों में थर्मल इन्सुलेशन के लिए किया जाता है, लेकिन यहां इसे वाहनों के शोर को कम करने के लिए लगाया जा रहा है. यह 3 मीटर ऊंची दीवार पॉलीकार्बोनेट शीट से कवर की गई है, जो नॉइज बैरियर के रूप में कार्य करती है. राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अनुसार, इस परियोजना की कुल लागत 417 करोड़ रुपए है.
‘गांधी के हत्या से पहले गोलवलकर कुछ और थे’
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक धीरेंद्र के झा की अंग्रेजी में ताजातरीन किताब ‘गोलवलकर : द मिथ बिहाइंड द मैन, द मैन बिहाइंड द मशीन’ आई है. उनके इस किताब पर यूट्यूब चैनल ‘कड़वी कॉफी’ में प्रोफेसर अपूर्वानंद ने लेखक से तसल्ली से करीब सवा घंटे बातचीत की है. यह किताब न सिर्फ गोलवलकर की सार्वजनिक विचारधारा को सामने लाती है, बल्कि ऐतिहासिक कालक्रम के जरिये वर्तमान राजनीति से इसका क्या लेना-देना है, इस पर भी रोशनी डालती है. इस कार्यक्रम में झा अपनी पुस्तक के हवाले से बताते हैं कि किस तरह से झूठ और मिथकों के जरिये गोलवलकर और खुद की और आरएसएस की छवि का निर्माण करते हैं. वह कहते हैं कि इसे समझने के लिए गोलवलकर की चर्चित किताब ‘बंच ऑफ थॉट’ से ज्यादा जरूरी उनकी लिखी पुस्तकें ‘वी’ और ‘ऑवर नेशनहुड डिफाइन’ हैं.
झा कहते हैं कि इन किताबों को आरएसएस का वैचारिक बायलॉज कह सकते हैं और वर्तमान में जो कुछ हो रहा है, उसे आप उनमें देख सकते हैं.
यह किताब न सिर्फ गोलवलकर के बारे में बताती है, बल्कि आरएसएस की यात्रा को भी समझाती चलती है. इसमें हेगडेवार, बाला साहब देवरस के बारे में भी जानते को मिलता है. इसके अलावा सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल पर भी संघ के विचार स्पष्ट होते है.
झा कहते हैं कि गोलवलकर और संघ की जर्नी समग्रता में देखनी हो तो इसे दो भागों में विभक्त कर देखना चाहिए- गांधी की हत्या के पहले और हत्या के बाद. ऐसा करने से मिथकों और झूठ के जरिये बनाई गई छवि को बेहतर तरीके से समझा जाता है. भारत के आधुनिक इतिहास और राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह एक उपयोगी किताब है.
सोने की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी की कहानी
‘ब्लूमबर्ग’ की एक रिपोर्ट बताती है कि सोने की कीमतें लगातार नए रिकॉर्ड बना रही हैं. इसके पीछे कई कारण हैं. मसलन वैश्विक स्तर पर जारी अस्थिरता ने सोने को सुरक्षित निवेश विकल्प बना दिया है. मंदी और महंगाई जैसी आर्थिक चुनौतियों ने सोने की मांग को और बढ़ा दिया है. इसके अलावा अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना ने भी कम ब्याज दरों से सोने की निवेश में आकर्षण बढ़ाया है, जबकि चीन द्वारा सोने की बेतहाशा खरीद ने इसकी कीमतों को आसमान छूने में थोड़ी और मदद कर दी है. देखिए ये रिपोर्ट...
बच्चों के हाथ में बंदूक थमाने के मायने
अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) में पहली बार किसी पूर्व बाल सैनिक का बचाव करने के लिए क्रिस्पस अयेना को हेग में वकील नियुक्त किया गया है. उनका मुवक्किल है डोमिनिक ओंगवेन. डोमिनक तब नौ साल का था, जब उसे युगांडा में विद्रोही नेता कोनी की 'लॉर्ड्स रेजिस्टेंस आर्मी' (एलआरए) ने उठा लिया और डोमिनक बन गया ऐसे ही उठाए गए कम से कम 20,000 बच्चों में से एक. एक रोज डोमिनिक पकड़ा गया. दुनिया के बड़े अपराधियों के बीच इस छोटे से अफ्रीकी आदमी पर मुकदमा चलाया गया. लोगों को यातनाएं देने, बलात्कार और हत्या समेत युद्ध अपराधों के ऐसे ही करीब 70 संगीन मामलों से डोमिनिक को लाद दिया गया वो भी उसकी जमीन से मीलों दूर. अब ये बन गया है महत्वपूर्ण सवाल, कि क्या जब कोई पीड़ित और अपराधी दोनों होता है और जब अपराध स्थल से दूर एक अंतरराष्ट्रीय अदालत में मुकदमा चलाया जाता है तो न्याय का क्या मतलब है? लुकाज़ कोनोपा और एमिल लैंगबॉल की डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'थिएटर ऑफ वायलेंस' यही सवाल उठाती है. इस डॉक्यूमेंट्री के एक हिस्से में आप डोमिनिक को धरती की सबसे समृद्ध जगह पर चिल्लाते हुए सुनेंगे... 'मुझे सब याद है...मुझे सब याद है...मुझे सब याद है...' कैमरा उसकी पीठ से उसके मुंह के आगे गिरती बिजलियों को दर्ज कर रहा है...खामोश सवालों और डोमिनिक की चीखों के बीच!
सौ की उम्र पार कर ब्याह करने की सूझी
100 बरस की बर्नी लिटमैन और 102 साल के मार्जोरी फिटरमैन ने इसी साल 19 मई को शादी के बंधन में बंधे हैं. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने शुक्रवार को इस बुजुर्ग दंपती को दुनिया के सबसे बुजुर्ग नवविवाहित जोड़े के रूप में रिकॉर्ड में दर्ज किया. इन दोनों की संयुक्त आयु 202 साल है. लिटमैन और फिटरमैन की मुलाकात नौ साल पहले अमेरिका के फिलाडेल्फिया में वरिष्ठ नागरिकों के लिए बने एक लिविंग कम्युनिटी में एक कॉस्ट्यूम पार्टी में हुई थी. वहीं से इनकी प्रेम कहानी शुरू हुई. 9 साल में बात शादी तक पहुंच गई.
चलते-चलते : दास्तानगोई में हबीब तनवीर का जादू
नई दिल्ली में थियेटर कर्मी हबीब तनवीर के शताब्दी वर्ष पर 'हबीबनामा' का प्रीमियर हुआ. इसे दास्तानगोई शैली में दानिश हुसैन ने पेश किया. ये शो पहले भी मुंबई के पृथ्वी थिएटर समेत देश के कई हिस्सों में धूम मचा चुका. हुसैन ने तनवीर के जीवन, कला और विचारों को आत्मकथात्मक अंश, कविता, संगीत और नाटक के माध्यम से इस प्ले में दर्शाया है. यह प्रस्तुति न केवल तनवीर की लोक कला और भाषा की समझ को उजागर करती है, बल्कि संचार और अभिव्यक्ति के नए आयाम भी दिखाती है. वरिष्ठ पत्रकार माधवन नारायणन ने एक्स पर अपनी एक पोस्ट में लिखा- ‘पुष्पा 2, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और हबीब तनवीर के बीच क्या समानता है? आप इसे तब समझ सकते हैं, जब आप दानिश हुसैन को हबीब तनवीर के जीवन और उनकी कलाओं की कहानी प्रस्तुत करते देखें. तनवीर के शताब्दी वर्ष पर यह प्रस्तुति "नाटक से, नाटक के लिए, और नाटक द्वारा" की गई एक अद्भुत झलक है.’ छत्तीसगढ़ी गानों, संगीत और कलाकारों को दुनिया भर में ले जाने वाले तनवीर साहब के नाटक के गाने की ये पुरानी रिकार्डिंग सुनिये.
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