3 दिसंबर 2024: संसद का गतिरोध दूर, किसानों ने बैरियर तोड़े, आरक्षण के कायदे और आईआईटी/ आईआईएम, भोपाल गैस कांड और राजकुमार केसवानी की रिपोर्टिंग, सत्तर साल की मेधा, बुशरा बीबी का इस्लामाबाद में मोर्चा
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा.
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
संसद पर सरकार और विपक्ष में सुलह : हफ्ते भर से जारी संसद का गतिरोध दूर हो गया है. सोमवार को सरकार और विपक्ष संसद की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाने के लिए राजी हो गए. इसके लिए “संविधान पर बहस” का रास्ता निकाला गया है. विपक्षी नेताओं ने संकेत दिए हैं कि दोनों सदनों में विपक्ष अब सरकार के साथ सहयोग करेगा. ताकि कामकाज हो. मंगलवार से संसद चलेगी, जो 25 नवंबर से शुरू हुए शीतकालीन सत्र में कायदे से एक दिन भी नहीं चल सकी है. विपक्ष अडानी पर रिश्वतखोरी के आरोपों के अलावा सम्भल और मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग पर अड़ा हुआ था. ऐसा लगता है कि संविधान पर बहस के दौरान ये मुद्दे उठाए जा सकते हैं. लोकसभा में संविधान पर बहस 13 व 14 दिसंबर को होगी और राज्यसभा में 16 व 17 दिसंबर को. बताया जाता है कि इंडिया ब्लॉक और खुद कुछ उसके अपने सांसद जनता से जुड़े जरूरी मुद्दे संसद में नहीं उठा पाने के कारण परेशान थे, लिहाजा कांग्रेस को दबाव में अपनी रणनीति बदलनी पड़ी.
संसद तक ‘दिल्ली चलो’ मार्च की घोषणा करने वाले पंजाब के किसानों ने नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल के पास पुलिस बैरियर तोड़ दिया है और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों के समर्थन में दिल्ली की ओर कूच कर गए हैं. एमएसपी की कानूनी गारंटी के साथ-साथ कृषि सुधारों से संबंधित मुआवजा और लाभ किसानों की प्रमुख मांगों में से एक है. उनकी मांगों में भूमि अधिग्रहण से विस्थापित किसानों के लिए 10% विकसित भूखंडों का आवंटन, नए कानूनी लाभों का कार्यान्वयन और किसान कल्याण के लिए एक राज्य समिति की ओर से की गई सिफारिशों को लागू करवाना शामिल है. भारतीय किसान परिषद (बीकेपी), किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम), संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और अन्य किसान संगठनों ने संयुक्त रूप से घोषणा की थी कि वे अपनी मांगों के समर्थन में सोमवार को दिल्ली की ओर मार्च करेंगे. सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल से कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन आपका अधिकार है, लेकिन यह कोशिश करें कि आमजनों को परेशानी न हो. दल्लेवाल किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए खनौरी सीमा पर आमरण अनशन पर हैं.
चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट की झाड़ : एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने चुनाव आयोग से कहा है कि एक भी वोटर को मतदान से रोका नहीं जाना चाहिए. बजाय पोलिंग स्टेशन में वोटिंग मशीन बढ़ाने के, चुनाव आयोग ने हर बूथ पर ज्यादा मतदाताओं को भेजा, ताकि चुनाव का खर्च कम किया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है, साथ में यह भी कि ‘अगर मतदाता अपने अधिकार का प्रयोग नहीं कर पाएगा, तो वह लोकतंत्र के लिए खासा मंहगा पड़ेगा.’
इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया है कि अजमेर में पुरातत्व विभाग द्वारा सरंक्षित अढ़ाई दिन का झोंपड़ा मस्जिद को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं, जो 12 वीं सदी की मस्जिद है. अजमेर के डिप्टी मेयर नीरज जैन का बयान है कि जहाँ मस्जिद बनी है, उसके नीचे संस्कृत कॉलेज और मंदिर था. जैसे नालंदा और तक्षशिला पर हमले किये गये थे, वैसा ही यहां हुआ था. अजमेर शरीफ दरगाह के बाद यह नया मामला उठाया जा रहा है.
राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने भी "धर्म परिवर्तन निषेध विधेयक" को मंजूरी दी है. इसके तहत जबरन धर्मांतरण के मामलों में अधिकतम 10 साल की सजा और इसे गैर-जमानती अपराध घोषित किया गया है. विधेयक के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन करने से पहले जिला मजिस्ट्रेट से 60 दिन पूर्व अनुमति लेनी होगी. यह कानून पहले से लागू अन्य भाजपा शासित राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात के समान है. इस विधेयक को राजस्थान विधानसभा के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा. सरकार का कहना है कि यह कदम समाज में जबरन धर्म परिवर्तन के बढ़ते मामलों को रोकने और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उठाया गया है.
कुनो राष्ट्रीय पार्क में निरवा नाम के चीते के दो बच्चे पैदा होने के तीन दिन बाद ही मृत पाये गये. निरवा की गुफा में उनके शव सड़ी हालत में मिले. उनकी जाँच के लिए सैम्पल भेज दिये गये हैं.
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने जीडीपी आंकड़ों पर एक वर्चुअल ब्रीफिंग के दौरान कहा कि मजदूरी में धीमी वृद्धि लोगों की क्रय शक्ति को प्रभावित कर रही है. क्रय शक्ति में कमी का सीधा असर विनिर्माण क्षेत्र पर पड़ा है, जिससे जीडीपी वृद्धि धीमी हो गई है. उन्होंने कहा कि मजदूरी कम होने से लोग कम खर्च कर रहे हैं, जिससे उत्पादों की मांग घट रही है.
640 मीट्रिक टन जब्त पीडीएस चावल पश्चिम अफ्रीका भेजा जाएगा : आंध्र प्रदेश के काकीनाडा एंकरेज पोर्ट पर हाल ही में की गई छापेमारी में जब्त किए गए 640 मीट्रिक टन सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) चावल को बैंक गारंटी के आधार पर छोड़ने की अनुमति दी गई है. चावल को काकीनाडा एंकरेज पोर्ट से पश्चिम अफ्रीका में निर्यात करने की अनुमति दी जा रही है. इसे हाल ही में नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा जब्त कर लिया गया था.
केंद्र सरकार ने कहा है कि हसदेव अरण्य के केवल परसा ईस्ट केते बासन कोयला खदान के लिए अभी तक 1 लाख 8 हज़ार 137 पेड़ काटे जा चुके हैं. सोमवार को राज्यसभा में सांसद फूलोदेवी नेताम के सवाल के जवाब में यह बात सामने आई. गौरतलब है कि अडानी के एमडीओ वाले तीन खदान हसदेव अरण्य में स्वीकृत हैं.
अडानी का बांग्लादेश पर बयान : अडानी पावर ने सोमवार को कहा कि उसे इस बात का कोई संकेत नहीं मिला है कि बांग्लादेश सरकार कंपनी के साथ बिजली खरीद समझौते की समीक्षा कर रही है. असल में रायटर्स की रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि बांग्लादेश बिजली सौदे पर फिर से बातचीत करना चाहता है. रॉयटर्स ने रविवार को बताया कि बांग्लादेश अडानी समूह के साथ समझौते के तहत कीमतों में तेजी से कमी करना चाहता है, जब तक कि इसे अदालत द्वारा रद्द नहीं किया जाता है, जिसने 25 साल के सौदे की जांच के लिए कहा है. हालांकि सोमवार की शाम होते-होते भुगतान विवाद के बीच बांग्लादेश ने अडानी से बिजली खरीद आधी कर दी, ऐसी भी खबर आ ही गई. अडानी ने अपदस्थ प्रधान मंत्री शेख हसीना के शासन में साल 2017 में 25 साल के लिए बिजली सौदे का अनुबंध हासिल किया था. इस प्रोजेक्ट की डील ने खूब सुर्खियां भी बटोरी थी. अभी अडानी समूह झारखंड में बने 16,600 करोड़ रुपये के बिजली संयंत्र से बिजली की आपूर्ति कर रहा है, जिसमें दो इकाइयां हैं. इनमें से प्रत्येक की क्षमता लगभग 800 मेगावाट है. ढाका ने कहा है कि उसे ब्लैकमेल नहीं किया जा सकता वैसे भी अगर इस सौदे में भ्रष्टाचार अदालत में साबित होता है तो करार अपने आप ही रद्द हो जाएगा. अडानी पावर लिमिटेड के शेयरों में सोमवार को कारोबार में 0.8 फीसदी की गिरावट आई, जबकि हाल ही में कंपनी के प्रवक्ता के हवाले से रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया कि अडानी समूह की कंपनी को बांग्लादेश सरकार से कोई संकेत नहीं मिला है कि वह बिजली खरीद समझौते (पीपीए) की समीक्षा कर रही है. अब जबकि बांग्लादेश ने बिजली खरीद आधी कर दी है, तब मंगलवार का कारोबारी दिन समूह के शेयर प्रभावित कर सकता है.
26 राफेल-एम जेट और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का सौदा जल्द
नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके त्रिपाठी ने सोमवार को प्रेस ब्रीफिंग में जानकारी दी कि भारत अगले महीने 26 नौसेना वैरिएंट राफेल लड़ाकू विमान और 3 अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद के लिए अलग-अलग अनुबंध पर हस्ताक्षर कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत चीन और पाकिस्तान की नौसेना गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहे हैं. 4 दिसंबर को नौसेना दिवस से पहले एडमिरल त्रिपाठी ने यह भी कहा कि सरकार ने दो एसएसएन (परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों) के निर्माण को मंजूरी दे दी है. ऐसी कुल 6 बोट बनाने की योजना है. पहली एसएसएन 2036-37 तक और दूसरी 2038-39 तक तैयार हो जानी चाहिए. एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि राफेल मरीन बातचीत के अंतिम चरण में है, चूंकि यह सरकार से सरकार का सौदा है, इसलिए इसमें ज्यादा समय लगने की उम्मीद नहीं है.
बाइडेन ने अपने बेटे हंटर बाइडेन को दी माफी, विवाद शुरू : जाते-जाते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने बेटे हंटर बाइडेन के अपराध माफ कर दिए हैं. इसी साल जून में हंटर बाइडेन को डेलावेयर की संघीय अदालत ने तीन गंभीर अपराधों का दोषी पाया था. हंटर पर 2018 में हथियार खरीदते समय संघीय फॉर्म पर झूठ बोलने का आरोप था. हंटर ने फॉर्म में दावा किया था कि वह न तो अवैध रूप से ड्रग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं और न ही नशे के आदी हैं. यह कदम राष्ट्रपति बाइडेन के पहले किए गए वादों के उलट है, जिसमें उन्होंने पारिवारिक मामलों में निष्पक्षता का वादा किया था.
अगरतला में बांग्लादेशी परिसर का सुरक्षा घेरा टूटा : भारत के विदेश मंत्रालय ने उस बात पर खेद जताया है, जब अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग के परिसर का सुरक्षा घेरा एक प्रदर्शन के दौरान तोड़ा गया. त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में हजारों लोगों ने हिंदू संघर्ष समिति के बैनर तले एक रैली निकाली थी. हिंदू संघर्ष समिति, विश्व हिंदू परिषद का एक अंग है. बांग्लादेश में गिरफ्तार इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और हिंदुओं पर हो रहे कथित जुल्म के विरोध में यह रैली निकाली गई थी.
कायदों को ताक में रख आईआईटी, आईआईएम में 80% से ज्यादा पद जनरल कैटेगरी से
‘द हिंदू’ अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 2 इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) और 3 इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) में सामान्य वर्ग के फैकल्टी की हिस्सेदारी 90% से अधिक है. 6 अन्य IIT और 4 अन्य IIM में यह हिस्सेदारी 80-90% है. इसकी जानकारी सितंबर 2024 के विभिन्न दिनों में इन संस्थानों से निजी रूप से प्राप्त सूचना के अधिकार (RTI) के जवाबों पर आधारित हैं. यह हाल इसके बाद है कि केंद्र ने न सिर्फ IIT और IIM के लिए, बल्कि सभी केंद्रीय शिक्षण संस्थानों के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों के लिए 27%, अनुसूचित जाति (SC) के लिए 15% और अनुसूचित जनजाति (ST) के उम्मीदवारों के लिए 7.5% आरक्षण अनिवार्य कर रखा है. यह आरटीआई अखिल भारतीय ओबीसी छात्र संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौड़ किरण कुमार ने दायर की थी.
भोपाल गैस कांड की 40वीं बरसी: सब वहीं है, न कचरा हटा, न पीड़ित
एक रात में हजारों जानें लीलने वाली भोपाल गैस त्रासदी की बरसी अपनी तमाम बुरी स्मृतियों के साथ फिर हाजिर है. 3 दिसंबर को इस बार 40वीं बरसी है. यूनियन कार्बाइड परिसर के आसपास रस्में निभाने का सिलसिला शुरू हो गया है. मशाल जुलूस निकाले जा रहे हैं और 1984 की काली रात के भयावह दृश्यों को याद किया जा रहा है. त्रासदी प्रदत्त जख्म नई पीढ़ी को बताए जा रहे हैं. यह भी कि मिथाइल आइसोसाइनाइड (मिक) के दुष्प्रभाव अभी तक कितना असर कर रहे हैं. फेफड़ों और किडनी की तकलीफों के साथ लोगों को किस तरह जीवन बसर करना पड़ रहा है. ऐसा लगता है कि कोई फिल्मी सेट लगा हो. सब अपना पार्ट अदा कर रहे हैं. दुनिया की भीषणतम रासायनिक त्रासदी के शिकार, पीड़ित, प्रभावित हों या उनकी पीड़ा, आवाज़ को उठाने वाले... सब वहीं खड़े हैं...तकलीफें, मशालें, नारे सब वही हैं...सरकार या कहें सरकारें भी, अपने रोल में हैं....अपनी जगह खड़ी हैं... 337 मीट्रिक टन विषैला कचरा अभी भी यूनियन कार्बाइड परिसर में वैसा ही पड़ा हुआ है... निपटान की योजना अभी तक लागू नहीं हुई है. 11 लाख टन प्रदूषित मिट्टी और पारा, कचरा डंप करने के लिए कोई योजना नहीं है... सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों को वर्षों से नजरअंदाज किया जा रहा है, लिहाजा भूजल दूषित होता जा रहा है... उसका दायरा बढ़ रहा है.
न्यायालय के कई आदेशों और चेतावनियों के बावजूद सरकारी अधिकारियों ने इस कचरे को सुरक्षित तरीके से नष्ट नहीं किया है, यह पुष्टि अधिकारियों ने “द हिंदू” को की है. 2005 से यूनियन कार्बाइड कारखाना परिसर में पड़े 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को ठिकाने लगाने के लिए केंद्र सरकार मध्यप्रदेश सरकार को 126 करोड़ रुपए की राशि दे चुकी है, मगर कचरे का निपटान नहीं हुआ है.
तो होती ही नहीं गैस त्रासदी : इस बीच एक नई कहानी सामने आई है, जो कहती है कि यदि एक वकील शाहनवाज खान के नोटिस को गंभीरता से लिया जाता और यूनियन कार्बाइड प्रबंधन अपने संयंत्र में सुधार कर लेता तो 2-3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात ‘भोपाल गैस त्रासदी’ होती ही नहीं. लेकिन बजाय इसके कि यूनियन कार्बाइड प्रबंधन सुरक्षा प्रणाली को सुधार कर अपनी खामियों को दुरुस्त करता, उसने 29 अप्रैल, 1983 को शाहनवाज खान को जवाब देते हुए उनकी चिंताओं और आरोपों को 'बेजा' करार दिया. वकील शाहनवाज खान ने यूनियन कार्बाइड को एक नोटिस भेजा था, जिसमें कीटनाशक संयंत्र में विषैली गैसों का उत्पादन रोकने के लिए कहा गया था, क्योंकि इसके आसपास रहने वाले 50 हजार लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा था.
नोटिस के जवाब में भोपाल यूनिट के कार्यकारी प्रबंधक जे मुकुंद ने लिखा, "हम एक बार फिर आपके 4 मार्च, 1983 के नोटिस में लगाए गए सभी आरोपों का खंडन करते हैं, और यदि आप हमारे खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई करते हैं, तो इसका यथासंभव बचाव किया जाएगा." शाहनवाज स्वतंत्रता सेनानी और चार बार विधायक रहे खान शाकिर अली खान के भतीजे हैं, और उन्हें "शेर-ए-भोपाल" के नाम से भी जाना जाता था. शाहनवाज़ ख़ान ने पीटीआई को बताया कि अपने नोटिस के जवाब मिलने के बाद, उन्होंने पुलिस और अन्य स्रोतों से लीक और उसके परिणामस्वरूप हुई मौतों के मामलों में दस्तावेज़ इकट्ठा करना शुरू किया, ताकि यूनियन कार्बाइड के खिलाफ मामला दायर किया जा सके. "इससे पहले कि मैं दस्तावेज़ इकट्ठा कर पाता, कार्बाइड फैक्ट्री से एक भयानक गैस लीक हो गई..."
73 वर्षीय वकील शाहनवाज ने याद करते हुए कहा कि उन्हें तब शंका हुई जब यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के एक श्रमिक अशरफ की गैस लीक के बाद मौत हो गई. 9 जनवरी 1982 को प्लांट में लीक के बाद 25 श्रमिकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिसके बाद श्रमिकों ने विरोध प्रदर्शन किया. “एक और विषैली गैस लीक घटना मार्च 1982 में हुई. उसी वर्ष 5 अक्टूबर को एक और लीक के बाद प्लांट के पास रहने वाले सैकड़ों निवासियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया,” उन्होंने कहा. लिहाजा मैंने 4 मार्च 1983 को कार्बाइड को एक कानूनी नोटिस दिया, जिसमें लिखा कि "पहले, एक व्यक्ति आपकी फैक्ट्री में अपनी जान गंवा बैठा. कुछ दिन पहले, आपकी फैक्ट्री में एक गंभीर दुर्घटना हुई”.
भोपाल गैस कांड होने के दो साल पहले से एक आदमी गैस संयंत्र में सुरक्षा कमज़ोरियों के बारे में लिख रहा था. राजकुमार केसवानी भोपाल का वह पत्रकार था, जो राजनीतिक दबाव, कारपोरेट ताकत और मीडिया की उपेक्षा के बावजूद इन खतरों के बारे में बताता रहा. बीबीसी रेडियो फोर की सत्तावन मिनट की इस लम्बी डाक्यूमेंट्री में आप सुन सकते हैं, राजकुमार केसवानी की जिंदगी और पत्रकारिता के जरिये भोपाल गैस कांड की कहानी. बीच-बीच में उनकी आवाजों के साथ. केसवानी का निधन तीन साल पहले कोविड के दौरान हो गया. गैस कांड के बिखरे सुरागों और एक रिपोर्टर के संघर्ष के साथ-साथ आपको शायद वह सब भी सुनने-जानने को मिले, जो पत्रकारिता के बेहतर दिनों में मुमकिन हुआ करता था.
BBC Sounds - Bhopal - Available Episodes
सत्तर साल की मेधा: नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर इस एक तारीख को सत्तर की हो गईं. सीजी खबर में उनसे आलोक पुतुल ने लम्बी बातचीत की.
आप जानते हैं यह शब्द 'ब्रेन रॉट' ?
अंतहीन सोशल मीडिया स्क्रॉलिंग और दिमाग सुन्न करने वाली सामग्री पर चिंताओं के बीच 'ब्रेन रॉट' को 2024 के लिए ऑक्सफोर्ड शब्द ऑफ द ईयर घोषित किया गया है. ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी के प्रकाशक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा तैयार की गई छह शब्दों की शॉर्टलिस्ट में से विजेता को चुनने में मदद के लिए 37,000 से अधिक लोगों ने मतदान किया. 'ब्रेन रॉट' एक ऐसी अभिव्यक्ति है, जो सोशल मीडिया पर निरंतर और महत्वहीन सामग्री देखने के प्रभाव को दर्शाती है. लोगों ने इसे सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव का सबसे सटीक वर्णन माना.
वैकल्पिक मीडिया: सरकार से कुकी भी नाराज़ हैं और मैती भी
'द वॉम्ब' के लिए रिपोर्ट करने वाली कशिश सिंह ने कुकी और मैतेई दोनों प्रमुख समुदायों के बदहाल शिविरों का दौरा किया. वहां उन्हें हर किसी के चेहरे पर केवल असहायता दिखाई दी. सभी के चेहरे उदास थे और करीब-करीब हर किसी परिवार का सदस्य 18 महीने से चल रहे जातीय हिंसा में मारा गया है. उनका सपना है, जल्द से जल्द घर लौटने का. उन घरों में जिन्हें दंगाई भीड़ ने जला दिया है और अब भी तोड़-फोड़ जारी है. यह ‘बर्बर हिंसा’ की धीमी आंच में खदबदाती नफरत है, जिससे महीनों-सालों यह समझना नामुमकिन होगा कि नुकसान कितना हुआ या और कितने वक्त तक होता रहेगा. देखिए ‘द वॉम्ब’ के लिए कशिश सिंह की ग्राउंड रिपोर्ट, जिसमें वह दोनों प्रमुख समुदाय कुकी और मैतेई की राहत शिविरों में जाकर पीड़ितों से बात कर रही हैं…
कई मोर्चों पर आंतरिक युद्ध लड़ रही म्यांमार की सेना
'स्क्रॉल' की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनियों की मदद के बावजूद म्यांमार की सैन्य सरकार को कई मोर्चों पर युद्ध का सामना करना पड़ रहा है. पिछले साल अक्टूबर से तीन सबसे प्रभावशाली जातीय सशस्त्र समूहों अराकान आर्मी, म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस आर्मी और ताआंग नेशनल लिबरेशन आर्मी ने चीन की सीमा के पास, शान राज्य में फौजी सरकार के खिलाफ मिलकर हमले शुरू किए हैं. काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी और करेन नेशनल लिबरेशन आर्मी जैसे जातीय समूह लंबे समय से थाईलैंड के साथ म्यांमार की सीमाओं पर फौजी सरकार के साथ सशस्त्र संघर्ष में लगे हुए हैं. सशस्त्र संघर्ष का विस्तार होने पर अन्य मिलिशिया समूह और पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज भी इसमें शामिल हो गए. इस साल अप्रैल से रोहिंग्या गोलीबारी में फंसे हुए हैं. फौज ने 2021 में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंका था, पिछले कुछ महीनों में कुछ सबसे बड़े उलटफेरों के साथ लगातार अपनी जमीन खो रहा है.
जेल में इमरान खान, इस्लामाबाद में पार्टी का मोर्चा संभालती बुशरा बीबी …
'यह पाकिस्तान की आजादी की लड़ाई है'..बुर्के में कैद एक 49 साल की औरत पिछले दिनों पाकिस्तान की सड़क पर दहाड़ रही थी. ये थी बुशरा बीबी. इमरान खान की रिहाई की मांग को लेकर पाकिस्तान की राजधानी में पिछले दिनों भारी भीड़ उमड़ी. इस भीड़ का नेतृत्व किया इमरान की तीसरी पत्नी बुशरा बीबी ने, जो हाल तक एक ग़ैर राजनीतिक और कुछ हद तक रहस्यमयी आध्यात्मिक शक्तियों वाली मानी जाती रही हैं. खान के साथ उनकी शादी के बारे में सालों तक गपशप तो खूब होती रही, लेकिन बुशरा ने खुद को काफी हद तक लोगों की नजरों से बचाए रखा. हालांकि बदले राजनीतिक समीकरणों में इमरान खान के साथ बुशरा को भी जनवरी में जेल जाना पड़ा. बुशरा बीबी अब जेल से बाहर हैं तब वह इमरान के हजारों समर्थकों को लेकर पिछले हफ्ते इस्लामाबाद पहुंच गई. सरकारी आदेशों की अवहेलना करते हुए, दंगा पुलिस, आंसू गैस और रबर की गोलियों की बौछार का सामना करते हुए.
'द गार्डियन' ने बुशरा बीबी पर एक लंबी रिपोर्ट की है. रिपोर्ट में लिखा है कि बुशरा एक शिपिंग कंटेनर के शीर्ष पर खड़े होकर भीड़ को संबोधित कर रही थी, जो कि इस्लामाबाद के लिए उनका रास्ता रोकने के लिए पुलिस ने रखा था. परदे के पीछे से बुशरा बीबी ने समर्थकों को भाषण दिया और उन्हें इस्लामाबाद की तरफ बढ़ते रहने के लिए कहा. सेना और अर्धसैनिक बलों पर आरोप है कि विरोध पर उतरे तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के समर्थकों पर गोलीबारी की गई है. पाकिस्तानी सरकार किसी के भी मारे जाने से इनकार करती है. साथ में यह दावा भी कि अगर कोई मरा है, तो उसकी जिम्मेदार केवल बुशरा बीबी हैं.
एक राजनीतिक नेता के रूप में बीबी के अचानक उभरने से खान की पार्टी के भीतर कलह भी पैदा हो गई है. कथित तौर पर एकांत कारावास में कुछ समय बिताने के बाद अक्टूबर में उन्हें जमानत पर जेल से रिहा कर दिया गया था और उनके करीबी लोगों के अनुसार वह सीधे इमरान के आदेशों पर काम कर रही थीं. कहते हैं इमरान को शक है कि पार्टी में उनके अपने वरिष्ठ नेता सरकार के साथ मिल चुके हैं और वह उनके खिलाफ काम कर रहे हैं.
इमरान खान को जेल में बंद हुए 500 से अधिक दिन बीत गए हैं और उनपर 100 से अधिक आरोप हैं. इमरान कहते आए हैं कि ये आरोप उनके राजनीतिक विरोधियों और शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान द्वारा लगाए गए हैं. बीबी के करीबी सहयोगी मशाल यूसुफजई ने कहा- 'खान जेल में बहुत निराश हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके निर्देश जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच रहे हैं. खान ने बीबी से कहा है कि उसे सीधा संदेशवाहक बनने की जरूरत है. बीबी की अपनी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है, वह एक बहुत ही शांत आध्यात्मिक व्यक्ति हैं. वह सिर्फ खान और लोगों के बीच एक पुल के रूप में काम कर रही हैं.'
बीबी की बहन मरियम रियाज़ वट्टू भी मानती हैं कि खान के करीबी सहयोगियों की हरकतें संदिग्ध हैं और ऐसा लगता है कि वे अपने फायदे के लिए दोनों पक्षों से खेल रहे हैं. वट्टू ने ही असल में पहली बार 2015 में खान और बुशरा की मुलाकात करवाई थी. बुशरा एक उपचारक और सूफी शिक्षाओं की विशेषज्ञ के रूप में तब पहचानी जाती थी. खान अपनी दूसरी शादी से जूझ रहे थे और इसी दौरान वो आध्यात्मिक मामलों पर परामर्श लेने बुशरा के पास गए थे. इमरान बुशरा पर अंततः भारी भरोसा करने लगे और साल 2018 में दोनों ने शादी कर ली. कहा जाता है कि यह एक ऐसा निर्णय था, जिससे इस्लामाबाद के सत्ता के गलियारों में बहुत तिलमिलाहट हुई. एक शक्तिशाली सेना प्रमुख ने तो उस दौर में कथित तौर पर शादी को रोकने का प्रयास भी किया था. इमरान खान ने अपनी पत्नी बुशरा के बारे में ये तक दावा किया है कि उन्होंने अपनी शादी के बाद तक बीबी का चेहरा खुला नहीं देखा था.
बीबी के साथ शादी के बाद कभी प्लेबॉय के बतौर मशहूर इमरान खान यकायक कट्टर धार्मिक इस्लामी बनकर पेश हुए. शादी के बाद पाकिस्तान में अफवाहों का दौर भी शुरू हो गया था कि बुशरा काले जादू और टोने-टोटके वाली औरत है.
इमरान और बुशरा की शादी भी पीटीआई के भीतर बेचैनी का एक कारण बनी, जब खान प्रधानमंत्री थे. उन पर आरोप लगे कि वह राजनीति में पर्दे के पीछे की भूमिका निभा रही हैं. खान के करीबी सहयोगियों ने दावा किया कि उन्होंने हाई-प्रोफाइल मंत्रिस्तरीय नियुक्तियों सहित महत्वपूर्ण राजनीतिक निर्णयों को प्रभावित किया था और कुछ राजनीतिक बैठकों में वह स्क्रीन के पीछे छिपकर बैठती थीं और खान को मार्गदर्शन और सलाह देती थीं. पिछले हफ्ते के प्रदर्शन के बाद पाकिस्तान में बुशरा बीबी की लोकप्रियता बढ़ी है. पीटीआई में कुछ नेता इससे असहज भी हो गए हैं. हालांकि, इमरान खुश हैं. जेल में जब उनके वकील फैसल फरीद ने उन्हें बताया कि बीबी पेशावर शहर से भीड़ के साथ मार्च कर रही हैं तो खान मुस्कुराने लगे और इमरान ने सिर्फ इतना कहा- 'वह एक अक्लमंद औरत है'.
चलते-चलते : अनुष्का शंकर के संगीत की दुनिया
अनुष्का शंकर का संगीत पारंपरिक भारतीय शास्त्रीय तत्वों को समकालीन ध्वनियों के साथ मिश्रित करने, एक शैली-विरोधी शैली बनाने के लिए पहचाना जाता है. उनका सितार वादन भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनकी गहरी पकड़ को दर्शाता है, जो उन्होंने अपने पिता पंडित रविशंकर से सीखा था, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक बीट्स से लेकर फ्लेमेंको और जैज़ तक के प्रभाव शामिल थे. इस अभिनव दृष्टिकोण ने उन्हें कई ग्रैमी नामांकन और संगीत की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए मान्यता दिलाई है.
बीबीसी और अन्य स्रोत इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि अनुष्का कैसे परंपरा और आधुनिकता के अंतर्संबंधों की खोज करती हैं. इसके अतिरिक्त उन्होंने कर्ष काले और अपनी सौतेली बहन नोरा जोन्स जैसे वैश्विक कलाकारों के साथ भी मंच साझा किया है. प्रसिद्ध सितार वादक अनुष्का शंकर के संगीत की दुनिया में उतरें और उनकी कलात्मकता को देखें. समकालीन ध्वनियों के साथ शास्त्रीय परंपराओं का मिश्रण, उनका काम शैलियों से परे है और संस्कृतियों को जोड़ता है…
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.