3 जनवरी 2025: घूस की पेशकश जुर्म है? 40 लाख नये वोटरों पर सवाल, किसान मामले में कोर्ट की फिर झाड़, कार बिक्री में मंदी, ईसाईयों ने की हिंसा रोकने की अपील, मॉब लिंचिंग के आरोपी अभी भी फरार, रोहित बाहर?
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां: सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को फिर से केंद्र और पंजाब सरकार को झाड़ लगाई कि वे 38 दिन से आमरण अनशन में बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डालेवाल को मेडिकल सहायता लेने के लिए मना नहीं पा रहे हैं. (विस्तृत खबर आगे). ‘द क्विंट’ ने एक दिलचस्प रिपोर्ताज में महाराष्ट्र की वोटर लिस्ट में विरोधाभास को उजागर किया है. कार बिक्री में जो तेजी कोविड के बाद देखने को मिली थी, वह वापस नीचे चली गई है. 400 से ज्यादा ईसाई नेताओं ने मांग की है कि भारत में ईसाइयों के साथ हिंसा रुकवाई जाए. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के प्रमुख एम. जगदीश कुमार द्वारा प्रस्तावित परिवर्तनों के अनुसार, "अब विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण करने या पीएचडी करने की आवश्यकता नहीं होगी."
डल्लेवाल को लेकर केंद्र और पंजाब सरकार दोनों को फटकार
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 26 नवंबर, 2024 से आमरण अनशन पर हैं. उन्होंने चिकित्सा सहायता लेने से इनकार कर दिया है. इस बात पर पहले से ही नाराज सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पंजाब सरकार को इस बात के लिए कड़ी फटकार लगाई कि राज्य सरकार के अधिकारी यह धारणा बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि अदालत डल्लेवाल पर अनशन तोड़ने के लिए दबाव बना रही है. शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हमारा निर्देश सिर्फ यह था कि उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए. वह अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी अपना शांतिपूर्ण विरोध जारी रख सकते हैं. आपको उन्हें इस दृष्टिकोण से मनाना होगा.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह से कहा, ‘उन्हें अस्पताल में स्थानांतरित करने का मतलब यह नहीं है कि वह अपना उपवास जारी नहीं रखेंगे. ऐसी चिकित्सा सुविधाएं हैं, जो यह सुनिश्चित करेंगी कि उनके जीवन को कोई नुकसान न हो. यही हमारी एकमात्र चिंता है. एक किसान नेता के रूप में उनका जीवन बहुमूल्य है. वह किसी भी राजनीतिक विचारधारा से जुड़े नहीं हैं और वह केवल किसानों के हितों का ध्यान रख रहे हैं’.
जब पंजाब के अटॉर्नी जनरल ने यह कहा, ‘हमने डल्लेवाल को आपके निर्देशों के अनुसार चिकित्सा सहायता लेने के लिए मनाने की कोशिश की है. हमारे लोग साइट पर हैं. उनका मत है कि केंद्र के कुछ हस्तक्षेप के बाद वह चिकित्सा सहायता स्वीकार कर लेंगे. इस पर अदालत ने कहा, ‘महाधिवक्ता महोदय, आपके अधिकारी एक बार भी वहां नहीं गए... आपके मंत्री वहां गए हैं... कृपया हमें बहुत-सी बातें कहने के लिए मजबूर न करें. क्या आपने कभी उन्हें बताया कि हमने इस उद्देश्य के लिए एक समिति का गठन किया है’?
पंजाब के एजी ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसानों को अदालत की ओर से गठित पैनल के बारे में बताया गया है. सिंह ने पीठ को यह भी बताया कि समिति ने उन्हें शुक्रवार को बातचीत के लिए बुलाया है. केंद्र की ओर से यह बयान नहीं देने पर भी पीठ ने सवाल उठाया. उन्हांने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से पूछा- आप इतने दिनों से वहां हैं. केंद्र यह बयान क्यों नहीं दे सकता कि वह वास्तविक मांगों पर गौर करेगा और किसानों की वास्तविक शिकायतों पर विचार करने के लिए उसके दरवाजे खुले हैं’.
इस पर मेहता ने केंद्र की तरफ से जवाब दिया- ‘पीठ शायद कई कारकों से अवगत नहीं है, जो इसमें असर डाल रहे हैं. इसलिए, अभी हम एक व्यक्ति के स्वास्थ्य तक ही सीमित रख रहे हैं’. पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए सोमवार की तारीख देते हुए कहा, ‘यदि राज्य विफल रहता है, तो संघ करेगा’.
पीठ ने केंद्र से डल्लेवाल की मित्र गुनिंदर कौर गिल की ओर से दायर याचिका पर भी जवाब देने को कहा. इसमें केंद्र की ओर से किसानों के प्रति की गई प्रतिबद्धताओं को लागू करने की मांग की गई है’.
जेल नियमावली में संशोधन : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जाति के आधार पर जेल के कैदियों के साथ भेदभाव, वर्गीकरण और अलगाव को रोकने के लिए जेल नियमावली नियमों में संशोधन किया है. सोमवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे एक पत्र में, गृह मंत्रालय ने कहा, "यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कैदियों के साथ उनकी जाति के आधार पर कोई भेदभाव या वर्गीकरण या अलगाव न हो." पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि जेल के कैदियों को उनकी जाति के आधार पर कोई भी कर्तव्य या कार्य आवंटित करने में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. ये बदलाव 3 अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जेल नियमावली नियमों को रद्द करने के दो महीने से अधिक समय बाद आए हैं, जिसमें कहा गया था कि वे जेलों में दलित समुदायों के कैदियों को जेलों में तुच्छ काम करने के लिए आवंटित करके जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देते हैं. 3 अक्टूबर का आदेश पत्रकार सुकन्या शांता द्वारा दायर एक याचिका पर आया था, जो ‘द वायर’ में जाति-आधारित भेदभाव और जेलों में अलगाव पर उनकी खोजी रिपोर्टिंग श्रृंखला के बाद आया था.
कार बिक्री की वृद्धि दर घटी.. 2024 में कारों की बिक्री में वृद्धि घटकर 5% हो गई है. पिछले चार साल में सबसे धीमी वृद्धि है, जबकि 2023 में 8.3%, 2022 में 23% और 2021 में 30% की आश्चर्यजनक वृद्धि दर्ज की गई थी. शुरुआती अनुमानों के अनुसार, उद्योग ने 2024 में लगभग 43 लाख यूनिट्स की बिक्री के साथ बंद किया, जबकि 2023 में 41.1 लाख यूनिट्स की बिक्री हुई थी, जो मुख्य रूप से एसयूवी द्वारा संचालित थी, जिन्होंने बिक्री में 54% का योगदान दिया.
विदेशी अनुदान के ऑडिट के घेरे में अब सीए भी: इस सप्ताह की शुरुआत में, गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की, जिसके अनुसार गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के लिए ऑडिट रिटर्न दाखिल करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट को यह घोषणा करनी होगी कि संबंधित संगठनों ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) का अनुपालन किया है या नहीं. द हिंदू से बात करते हुए, एक स्वयंसेवी संगठन के सदस्य ने कहा: "अगर आपको कोई एफसीआरए दाता मिल भी जाता है, तो भी चार्टर्ड अकाउंटेंट उन एनजीओ की ओर से प्रमाणपत्र तैयार करने से डरेंगे जिन्हें सरकार की नज़रों में अच्छा नहीं माना जाता है."
भोपाल गैस त्रासदी : हटा कचरा खतरनाक सामग्री का 1% से भी कम : “द गार्डियन” में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भोपाल गैस कांड के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड के संयंत्र से हटाया गया 337 टन जहरीला कचरा वास्तव में आपदा के बाद शेष रह गई 10 लाख टन खतरनाक सामग्री का 1% से भी कम है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की सबसे घातक त्रासदी के चार दशक बाद यह सफाई अभियान पूरी तरह भ्रामक है. उधर, इस जहरीले कचरे को इंदौर के पास धार जिले में जलाने का सत्तारूढ़ भाजपा के नेताओं ने ही विरोध कर दिया है. सुमित्रा महाजन ने कहा, विशेषज्ञों से चर्चा कर होना चाहिए कचरे का निपटान : लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा है कि यह आम लोगों के जीवन से जुड़ा विषय है, लिहाजा इस कचरे का निपटारा वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से विस्तृत चर्चा करके किया जाना चाहिए.
400 से अधिक वरिष्ठ ईसाई नेताओं और 30 चर्च समूहों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक तत्काल अपील जारी की है, जिसमें ईसाइयों के खिलाफ हिंसा में वृद्धि को संबोधित करने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया गया है. नेताओं और चर्च समूहों ने एक प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है कि यह अपील क्रिसमस के मौसम के दौरान देश भर में ईसाई सभाओं को लक्षित हिंसा, धमकियों और व्यवधानों की कम से कम 14 घटनाओं के बाद आई है. उन्होंने परेशान करने वाले आंकड़ों की ओर इशारा किया, जिसमें इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया को रिपोर्ट की गई ईसाइयों को लक्षित हिंसा की 720 से अधिक घटनाएं और जनवरी और नवंबर 2024 के बीच यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम द्वारा दर्ज किए गए 760 मामले शामिल हैं. अपील में व्यवस्थित चिंताओं पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें धर्मांतरण विरोधी कानूनों का दुरुपयोग, धार्मिक स्वतंत्रता के लिए बढ़ती धमकियां, घृणा भाषण का बढ़ना और दलित ईसाइयों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने से इनकार करने वाली नीतियों का समावेश है.
40 लाख नए वोटर पर ‘द क्विंट’ का भंडाफोड़
'द क्विंट' के लिए हिमांशी दहिया और आदित्य मेनन की रिपोर्ट है कि 2004 से प्रत्येक चुनाव में महाराष्ट्र में निर्वाचकों यानी पंजीकृत मतदाताओं के आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि कांग्रेस के आरोप के अनुरूप, 2024 के लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र में 2024 के विधानसभा चुनाव के बीच पांच महीने में 40,81,229 नए मतदाता सूची में जोड़े गए. जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के बीच पांच साल में 31,03,745 नए मतदाता जुड़े. इसका मतलब है कि पांच साल में जितने नए मतदाता जुड़े, उससे कहीं ज्यादा पांच महीने में जुड़े.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में मतदाताओं के आंकडों में विसंगतियों के आरोपों को भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने 24 दिसंबर को खारिज कर दिया. पार्टी ने दो प्रमुख मुद्दों को उठाया था. पहला, अंतिम मतदाता सूची से प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में मनमाने ढंग से मतदाताओं का नाम हटाना और उसके बाद 10,000 से अधिक मतदाताओं को जोड़ना. दूसरा, वोटिंग के दिन शाम 5 बजे से लेकर रात 11.30 बजे चुनाव आयोग द्वारा घोषित अंतिम मतदान प्रतिशत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी. इसके जवाब में आयोग ने कहा कि शाम 5 बजे के मतदान को अंतिम मान लेना एक 'गलत धारणा' है और हालांकि अधिकांश स्थानों पर मतदान आधिकारिक तौर पर शाम 5 बजे समाप्त हो जाता है, लेकिन मतदान केन्द्र पर पहले से मौजूद लोगों को अपना वोट डालने की अनुमति होती है, चाहे इसमें कितना भी समय लगे.
साल 2004 के बाद यह पहली बार है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच पांच महीनों में मतदाता सूची में जोड़े गए नए मतदाताओं की संख्या, विधानसभा चुनाव और उसके बाद हुए लोकसभा चुनावों के बीच पांच सालों में मतदाता सूची में जोड़े गए नए मतदाताओं की संख्या से अधिक है. उदाहरण के लिए, 2019 के लोकसभा चुनाव (अप्रैल-मई में आयोजित) और 2019 के महाराष्ट्र राज्य विधानसभा चुनाव (अक्टूबर में आयोजित) के बीच पांच महीनों में 11,62,788 नए मतदाता सूची में जोड़े गए; जबकि, 2014 के राज्य विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के बीच पांच सालों में 51,49,047 नए मतदाता सूची में जोड़े गए.
पिछले दो दशकों में, महाराष्ट्र में प्रत्येक चुनाव चक्र में नए मतदाताओं की संख्या में लगातार गिरावट देखी गई है. संभवतः, ऐसा जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट के कारण हुआ हो. 2009 में (2004 की तुलना में) मामूली वृद्धि देखी गई, जब 2009 के लोकसभा और 2009 के विधानसभा चुनावों के बीच नए मतदाताओं की संख्या 30,14,254 थी. 2004 में यह संख्या 29,53,584 थी. हालांकि, 2009 के बाद से यह आंकड़ा 2014 में घटकर 25,81,758 मतदाता रह गया और 2019 में 11,62,788 मतदाता रह गया, जबकि 2024 में इसमें तेजी से वृद्धि हुई 40,81,229 मतदाता जोड़े गए.
गोक़शी के मामले में हत्या पर कोई कार्रवाई नहीं
नीतिका झा और मनीष साहू की इंडियन एक्सप्रेस में रिपोर्ट के अनुसार, मुरादाबाद में 37 वर्षीय मोहम्मद शाहिदीन कुरैशी की गोहत्या के आरोपों में पीट-पीट कर हत्या किए जाने के तीन दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस ने अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया है. हालांकि, उन्होंने उसके भाई अदनान को गिरफ्तार कर लिया है, जिस पर कुरैशी के साथ सोमवार की सुबह एक बैल को मारने का आरोप है. पुलिस ने यह कहते हुए उद्धृत किया कि स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें बैल मारते हुए देखने के बाद अदनान घटनास्थल से भाग गया और कुरैशी ने सोमवार को बाद में दम तोड़ दिया. कुछ रिपोर्टों में इस घटना में बजरंग दल की संलिप्तता का आरोप लगाया गया है.
लेकिन गुलबुद्दीन निकला ‘मानसिक बीमार’
'द कैरेवन' के पत्रकार शाहिद तांत्रे ने एक्स पर थ्रेड के जरिए सम्भल की स्थिति का आंखों देखा हाल बयां किया है. सम्भल में 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद के हालातों को समझने के लिए हमने दो बार वहाँ का दौरा किया. निवासियों का कहना है कि पुलिस की हिंसा योजनाबद्ध थी और इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका थी. मृतकों के रिश्तेदारों को घटना के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल रही थी, जबकि गिरफ्तार व्यक्तियों के परिवार न्याय की उम्मीद में थे. गिरफ्तार लोगों में गुलबुद्दीन भी शामिल हैं, जिन पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. गुलबुद्दीन, जिन्हें पुलिस ने हमले, हथियार छीनने, सीसीटीवी कैमरा तोड़ने और वाहनों को जलाने का आरोप लगाया था, उनके छोटे भाई फैजान के अनुसार, गुलबुद्दीन मानसिक रूप से बीमार थे और वे किसी भी स्थिति को समझने में सक्षम नहीं थे. उनका कहना था कि जब पुलिस ने उन्हें वापस जाने को कहा, तो वह एक क़व्वाली गाने लगे. इसके अलावा, एक पुलिस कांस्टेबल ने हमें यह कहा कि "जिन्हें मारना हो, उनकी तस्वीरें खींचो". प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाही जामा मस्जिद के पहले सर्वे से नौ महीने पहले सम्भल में एक मंदिर की नींव रखी थी. मस्जिद के चारों ओर 200 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात थे. तीन ओर से बैरिकेड्स थे, जो स्थल तक पहुँचने की अनुमति को सीमित कर रहे थे, और केवल एक सड़क स्थानीय लोगों के लिए खुली थी. पुलिस ड्रोन मस्जिद के आसपास उड़ते हुए दिखाई दे रहे थे, जिससे सुरक्षा की स्थिति और भी कड़ी हो गई थी. यह स्थिति सम्भल में बढ़ते तनाव और हिंसा के बीच उत्पन्न हुई थी.
सम्भल मस्जिद विवाद पर कोर्ट कमिश्नर ने गुरुवार को चंदौसी कोर्ट में अपनी सर्वे रिपोर्ट सौंपी. 19 नवंबर को अदालत ने इस मुगलकालीन मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था. एक दक्षिणपंथी संगठन ने दावा किया था कि ठीक मस्जिद की जगह पर पहले हरिहर मंदिर था.
सरकारें कर रही हैं कोर्ट को धीमा: विनीत भल्ला का कहना है कि हमारे संवैधानिक न्यायालयों में मामलों के लंबित रहने का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उन मामलों में जवाबी हलफनामे दाखिल करने में बड़ी देरी की जाती है जिनमें वे वादी होते हैं. यह न्यायालयों के प्रतिकूल निर्णयों के बावजूद होता है. भल्ला लिखते हैं कि इस संबंध में राज्य की उदासीनता का एक कारण न्यायालयों द्वारा अपनी अवमानना शक्तियों का पर्याप्त रूप से प्रयोग न करना हो सकता है; अक्सर वे अपनी निष्क्रियता के लिए राज्य पर केवल तुच्छ जुर्माना लगाते हैं.
बांग्लादेशी नहीं, नाईजीरियाई: हिंदू में विजेता सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अप्रैल 2023 और मार्च 2024 के बीच विदेशियों के क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारियों द्वारा निर्वासित किए गए लोगों में नाइजीरियाई लोगों का समूह सबसे बड़ा था, जिसमें 2,331 विदेशियों में से 1,470 नागरिकों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था. इसके बाद बांग्लादेशी और युगांडा के नागरिक थे. वार्षिक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मंत्रालय और राज्य सरकारों ने इंटरनेट पर अवैध सामग्री की रिपोर्ट करने, साइबर स्वच्छता का प्रचार करने और कानून प्रवर्तन में मदद करने के लिए 'साइबर विशेषज्ञों' के रूप में काम करने के लिए 54,833 लोगों को साइबर स्वयंसेवकों के रूप में शामिल किया है. इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने पहले 'साइबर वालंटियर फ्रेमवर्क' की आलोचना की है, जो इन नामांकनों का हिस्सा है, जो संभावित रूप से "समाज में निगरानी और निरंतर संदेह की संस्कृति को बढ़ावा दे सकता है, जिससे संभावित सामाजिक अविश्वास पैदा हो सकता है".
केरल के कुन्नूर और उसके आसपास के 150 स्कूलों के छात्रों ने कहा है कि वे उत्तर प्रदेश में एक गरीब महिला को उसकी तीन बेटियों की शिक्षा के लिए पैसे जुटाएंगे, जब प्रेस रिपोर्टों में पता चला कि महिला लागत को कवर करने के लिए एक गुर्दा बेचने को तैयार थी. 2017 में, केरल में एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कुन्नूर में आफ्स्वा यानी सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम के लागू करने की मांग की थी.
कश्मीर पर केंद्र का नया शगूफा: नाम होगा कश्यप!
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को ‘जेएंडके एंड लद्दाख थ्रू द एजेज’ पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि ‘कश्मीर’ का नाम ‘कश्यप’ के नाम पर रखा जा सकता है. इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश आजाद हो गया है और लोगों के सामने सही चीजें पेश की जानी चाहिए.
शाह ने भारत के इतिहास में कश्मीर के सांस्कृतिक महत्व के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र का भारतीय संस्कृति से जुड़ाव शंकराचार्य, सिल्क रूट और हेमिश मठ के संदर्भ से स्पष्ट होता है.
शाह ने कहा, ‘पुस्तक में लद्दाख में मंदिरों के विनाश और कश्मीर में संस्कृत के उपयोग को, इस क्षेत्र के भारतीय सभ्यता के साथ गहरे संबंध के प्रमाण के रूप में उद्धृत किया गया है. यह पुस्तक आज़ादी के बाद की गई गलतियों को भी संबोधित करती है, जिन्हें बाद में सुधार लिया गया है.
बांग्लादेश ने एडिट किया अपने ‘राष्ट्रपिता’ का नाम
बांग्लादेश ने अपनी इतिहास की पाठ्य-पुस्तकों में बदलाव किया है. ‘द डेली स्टार’ अखबार ने कहा कि प्राथमिक और माध्यमिक छात्रों के लिए नई पाठ्य-पुस्तकों में कई बदलाव किए गए हैं. मुजीबुर्रहमान के लिए ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि हटा दी गई है. इन पुस्तकों में कहा गया है कि 1971 में देश की आजादी की घोषणा जियाउर्रहमान ने की थी, मगर पिछली पाठ्य-पुस्तकों में इस घोषणा का श्रेय ‘बंगबंधु’ शेख मुजीबुर्रहमान को दिया गया था.
अखबार ने ‘द नेशनल करिकुलम एंड टेक्स्ट बुक बोर्ड’ के अध्यक्ष रियाजुल हसन को कोट किया है, ‘अब 2025 शैक्षणिक वर्ष के लिए नई पाठ्य-पुस्तकों में कहा जाएगा, 26 मार्च, 1971 को, जिया उर्रहमान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी और बंगबंधु की ओर से 27 मार्च को स्वतंत्रता की एक और घोषणा की गई थी’.
अखबार के अनुसार, इन पाठ्य-पुस्तकों के बदलाव में शामिल लेखक और शोधकर्ता राखल राहा ने कहा कि उन्होंने पाठ्य-पुस्तकों को ‘अतिरंजित, थोपे गए इतिहास’ से मुक्त करने का प्रयास किया है. अखबार में कहा गया है कि इससे पहले, कक्षा एक से 10 तक की पाठ्य-पुस्तकों में, स्वतंत्रता की घोषणा किसने की, इसकी जानकारी सत्ता में सरकार के अनुसार बदल दी जाती थी. अवामी लीग के समर्थकों के बीच यह व्यापक रूप से माना जाता है कि मुजीबुर्रहमान ने घोषणा की थी और तत्कालीन सेना प्रमुख और बाद में लिबरेशन वॉर के सेक्टर कमांडर रहे जियाउर्रहमान ने मुजीब के निर्देश पर आजादी की घोषणा सिर्फ पढ़ी थी. इससे पहले, बांग्लादेश ने पुराने नोटों को चलन से बाहर करने के साथ ही अपने करेंसी नोटों से शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर हटाने की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया था. अंतरिम सरकार ने मुजीबुर्रहमान की हत्या के उपलक्ष्य में 15 अगस्त का राष्ट्रीय अवकाश भी रद्द कर दिया है.
बांग्लादेश इस्कॉन के महंत चिन्मय कृष्ण दास को पड़ोसी देश की एक अदालत ने देशद्रोह के मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया. बांग्लादेश में उनकी गिरफ्तारी के विरोध में हुई हिंसा में एक सरकारी अभियोजक की मौत हो गई थी. इससे तनाव और बढ़ गया था.
ममता का केंद्र पर आरोप, बीएसएफ गुंडों और हत्यारों को बांग्लादेश सीमा से भेज रही है : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक प्रशासनिक बैठक में आरोप लगाया है कि बीएसएफ गुंडों और हत्यारों को बांग्लादेश सीमा से भेज रही है. उन्होंने कहा कि सीमा की सुरक्षा का काम बीएसएफ का है, टीएमसी का नहीं. गुस्साई ममता का कहना था कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) बांग्लादेश से घुसपैठियों को भारत में प्रवेश करने की अनुमति दे रहा है. यह राज्य को अस्थिर करने का प्रयास है. इस मामले में केंद्र सरकार के “ब्लू प्रिंट” की ओर इशारा करते हुए ममता ने कहा कि बगैर इसके ऐसी गतिविधियां संभव नहीं हैं.
ममता के खास की हत्या : इस बीच टीमसी की मालदा जिला ईकाई के उपाध्यक्ष दुलाल सरकार की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. सरकार छह बार के पार्षद थे और ममता बनर्जी के काफी नजदीकी समझे जाते थे. खुद ममता ने प्रशासनिक बैठक में कहा भी कि मेरे करीबी सहयोगी, मेरे साथी योद्धा दुलाल सरकार की हत्या एक सदमा है.
क्या घूस की पेशकश अपराध है? सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला
‘द इंडियन’ एक्सप्रेस की रिपोर्ट है कि सुप्रीम कोर्ट एक ऐसे मामले पर सुनवाई करने जा रहा है, जो 2018 से पहले दर्ज भ्रष्टाचार के मामलों को बड़ी तरह से प्रभावित कर सकता है. सवाल यह है कि अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी अधिकारी को घूस देने की पेशकश करता है और अधिकारी उस प्रस्ताव को ठुकरा देता है, तो क्या इसे भी भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के तहत अपराध माना जाएगा? हालांकि 2018 में इस अधिनियम में संशोधन के बाद, घूस देने को अपराध के तौर पर स्पष्ट रूप से शामिल किया गया है, लेकिन 2018 से पहले के मामलों को लेकर हाई कोर्ट्स की अलग-अलग राय रही है. अब इस पर सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला सुनाने जा रहा है. 21 जनवरी को होने वाली इस सुनवाई पर पूरे देश की नजरें होंगी, क्योंकि इसका असर पुराने लंबित मामलों और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर साफ दिखाई देगा. यह मामला 2016 का है, जब ओडिशा के बेरहामपुर में एक कथित गुटखा फैक्ट्री पर छापा मारा गया. पुलिस को छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में गुटखा और उसकी निर्माण सामग्री के साथ मशीनें मिलीं। इस फैक्ट्री के मालिक, रवींद्र कुमार पात्रा को दस्तावेज पेश करने के लिए बुलाया गया. पात्रा पर आरोप है कि उन्होंने थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर को ₹2 लाख की घूस देने की पेशकश की, ताकि आगे कोई कार्रवाई न हो और जब्त गुटखा उन्हें वापस कर दिया जाए. इंस्पेक्टर ने इस पेशकश को ठुकरा दिया और पात्रा को चेतावनी दी कि यदि उन्होंने दोबारा ऐसा किया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी, लेकिन पात्रा ने कहा कि वह रात को पैसे लेकर आएंगे.
गाजा में इजराइल ने 60 से ज्यादा लोगों को मारा
'अलजजीरा' की एक रिपोर्ट के मुताबिक गाजा पट्टी पर कई इजरायली हवाई हमलों में एन्क्लेव के पुलिस बल के प्रमुख और उनके डिप्टी सहित दर्जनों फिलिस्तीनी मारे गए हैं. अल जज़ीरा को गुरुवार को चिकित्सा स्रोतों ने बताया कि दक्षिणी शहर खान युनिस के पास स्थित अल-मावासी के "मानवीय क्षेत्र" में एक तम्बू शिविर पर हमले में 12 लोग, जिनमें कई बच्चे शामिल हैं, मारे गए. यह हमला एक तंबू शिविर पर हुआ, जो उस क्षेत्र में रहने वाले शरणार्थियों और पीड़ितों के लिए एक अस्थायी आवास था. एक अन्य हमले में खबर लिखे जाने तक 63 लोग मारे जा चुके हैं. हमला अब भी पूरी गाजा पट्टी में जारी है.
एशियाई शेरों के लिए छोटा पड़ रहा है गिर नेशनल पार्क
गिर अभयारण्य एशियाई शेरों की आखिरी बची बसाहट है. यह नेशनल पार्क इन संकटग्रस्त जानवरों के संरक्षण की कामयाबी की एक मिसाल है. हालांकि, अब शेरों की आबादी इतनी बढ़ गई है कि उनके लिए ये जगह छोटी पड़ रही है. जगह और खाने की तलाश में मजबूर होकर शेरों को इंसानी बसाहटों में दाखिल होना पड़ रहा है. इससे शेरों और लोगों के बीच संघर्ष का जोखिम बढ़ता जा रहा है. क्या दोनों प्रजातियां मिल-जुलकर रह पाएंगी? डीडब्ल्यू हिंदी ने इसी पर रिपोर्ट की है.
विवाद के बाद किया गया मनु का नाम शामिल
पेरिस ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली मनु भाकर का चयन खेल रत्न तो दूर, अर्जुन अवॉर्ड के लिए भी नहीं किया गया था. इसके बाद सोशल मीडिया पर जब ट्रॉलिंग शुरू हुई कि पुरस्कार जीतने के बाद भाकर आकर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से मिली थीं. इसी वजह से उनका नाम खेल रत्न अवॉर्ड के लिए नहीं भेजा गया है. इसके बाद इस 22 वर्षीय निशानेबाज को देश के सर्वोच्च राष्ट्रीय खेल पुरस्कार के लिए शामिल किया गया, जबकि अधिकारियों का कहना था कि पुरस्कार चयन समिति ने भाकर के नाम की सिफारिश नहीं की थी, क्योंकि भाकर ने आवेदन नहीं किया था. इस पर काफी बवाल हुआ था. इसके बाद मनु को आवेदन करने के लिए समय दिया गया और उन्होंने कहा कि हो सकता है कि उनकी ओर से ही चूक हुई होगी, तब जाकर विवाद थमा था.
गुरुवार को दो ओलंपिक पदक विजेता मनु भाकर, विश्व शतरंज चैंपियन डी गुकेश, पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पैरा-हाई जम्पर प्रवीण कुमार को देश के सबसे प्रतिष्ठित खेल पुरस्कार मेजर ध्यानचंद खेल रत्न के लिए चुना गया.
खेल रत्न के अलावा 32 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार दिए गए हैं. इनमें से 17 पैरा-एथलीट हैं और दो को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड के तहत अर्जुन पुरस्कार दिया जाएगा. वहीं पांच कोचों को द्रोणाचार्य अवॉर्ड दिया गया है.
रोहित पांचवें टेस्ट से होंगे बाहर!
पत्रकारों से भरे कमरे में उनसे बात करते हुए टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर ने इस बात की पुष्टि नहीं की कि खराब फॉर्म से जूझ रहे कप्तान रोहित शर्मा सिडनी में नए साल के टेस्ट में एकादश का हिस्सा होंगे या नहीं. पत्रकारों ने जब उनसे यह पूछा कि क्या अंतिम टेस्ट में रोहित खेलने जा रहे हैं, तो कोच ने कहा- ‘हम विकेट को देखेंगे और कल एकादश को अंतिम रूप देंगे’. वहीं रिपोर्ट के अनुसार, रोहित पांचवें टेस्ट का हिस्सा नहीं होने जा रहे हैं.
इतना ही नहीं, रिपोर्ट में तो यहां तक कहा गया है कि गंभीर से ‘एक प्रभावशाली क्रिकेट प्रशासक, जिसका बीसीसीआई में बहुत सम्मान है’ ने भी गौतम गंभीर से अनुरोध किया था, ‘रोहित को सिडनी मैच खेलकर टेस्ट क्रिकेट से रिटायर होने की अनुमति दी जाए’. मगर मुख्य कोच ने इससे इनकार कर दिया.
चलते चलते : कितना जानते हैं भारत के पेड़ों को आप?
"भारत के आइकोनिक पेड़" नामक पुस्तक, जो भारत के अद्भुत पेड़ों की कहानी बताती है, वनस्पति शास्त्री एस नतेश द्वारा लिखी गई है. इस पुस्तक में चित्रकार सागर भौमिक द्वारा बनाए गए चित्र हैं और लेखक ने पेड़ों का जीवंत और दिलचस्प वर्णन किया है. हृदयेश जोशी इस पुस्तक के बारे में बता रहे हैं, जिसमें भारतीय पेड़ों की महत्वता और उनके अनोखे गुणों का सुंदर चित्रण किया गया है. देखिए ‘इको एंड एनर्जी टॉक’ पर ये रिपोर्ट…
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