30/01/2025: महाकुंभ में महाभसड़ : रौंदे जाने से 30 की मौत, वक़्फ़ की तरह सनातन बोर्ड बनेगा, मस्क और लोकतंत्र की चुनौती, गाँधी की हत्या और गोड़से-सावरकर मुलाकात, चैप्लिन की अनदेखी फ़िल्म
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
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आज की सुर्खियां | 30 जनवरी 2025
प्रयागराज महाकुंभ में संगम तट पर मंगलवार-बुधवार की रात करीब डेढ़ बजे भगदड़ मच गई. ‘दैनिक भास्कर’ ने रिपोर्ट किया है कि इस हादसे में अब तक 35-40 लोगों की मौत हो चुकी है और 70 से ज्यादा लोग घायल हैं. भास्कर रिपोर्टर सृष्टि मेडिकल कॉलेज पहुंचीं, जहां हादसे में मारे गए लोगों के शव रखे गए थे. उन्होंने 20 शव गिने. उनके मुताबिक यहां आखिरी डेड बॉडी पर 40 नंबर लिखा हुआ था. साथ ही लिखा है कि मरने वालों की संख्या भी बढ़ सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा- 'प्रयागराज महाकुंभ में बुधवार तड़के मची भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 60 लोग घायल हो गए. अब तक 25 मृतकों की पहचान हो चुकी है, जबकि घायलों का इलाज स्थानीय मेडिकल कॉलेज में चल रहा है. महाकुंभ के डीआईजी वैभव कृष्ण ने इस हादसे की पुष्टि की है.' हालांकि, प्रशासन ने मौत या घायलों की संख्या को लेकर हादसे के 15 घंटे बाद भी कोई जानकारी नहीं दी थी, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया भी आई. ‘द गार्डियन’ समेत कई इंटरनेशन मीडिया आउटलेट्स ने इस खबर को प्रकाशित किया है. ‘द गार्डियन’ ने भी अपनी रिपोर्ट में 40 लोगों की मौत की पुष्टि की है.
भगदड़ कैसे हुई?
मौनी अमावस्या स्नान के दौरान, ब्रह्म मुहूर्त से पहले रात 1 से 2 बजे के बीच अखाड़ा मार्ग पर भारी भीड़ जमा हो गई. अत्यधिक दबाव के कारण एक ओर की बैरिकेडिंग टूट गई, जिससे वहां मौजूद लोग दूसरी ओर की भीड़ पर चढ़ने लगे. इस भगदड़ में कई श्रद्धालु कुचले गए. हालांकि पुलिस अफसर पहले तो भगदड़ की बात से ही मुकरते रहे. बाद में डीआईजी ने बताया कि प्रशासन ने तुरंत बचाव अभियान शुरू किया और एंबुलेंस के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया. कुल 90 घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया, जिनमें से 30 की मौत हो गई. दिन भर अफवाहें आती रहीं और अपुष्ट तौर पर मौतों की संख्या बदलती रही. इस बीच भगदड़, मौतों को नकारने का सरकारी उपक्रम चलता रहा.
विश्लेषण
भगदड़ के दो आगे भगदड़, भगदड़ के दो पीछे भगदड़, आगे भगदड़ पीछे भगदड़, बोलो कितनी भगदड़?
राजेश चतुर्वेदी
तीतर के दो आगे तीतर, तीतर के दो पीछे तीतर, आगे तीतर पीछे तीतर, बोलो कितने तीतर? उत्तर है- तीन तीतर. प्रयागराज महाकुंभ के दुर्भाग्यपूर्ण हादसे ने “सनातन काल” की इस पहेली की याद दिला दी. याद भी इस रूप में कि- भगदड़ के दो आगे भगदड़, भगदड़ के दो पीछे भगदड़, आगे भगदड़ पीछे भगदड़, बोलो कितनी भगदड़? सुबह जैसे ही महाकुंभ में भगदड़ मचने का समाचार आया, प्रयागराज के कमिश्नर विजय विश्वास पंत का एक वीडियो तेजी से वायरल होने लगा, जो हादसे से कुछ वक्त पहले का है. इस वीडियो में पंत कहते सुनाई पड़ रहे हैं कि, “सभी श्रद्धालु ध्यान से सुन लें, यहां लेटे रहने से कोई फायदा नहीं है. जो सोवत है सो खोवत है. उठिए, उठिए और स्नान करिए. यहां भगदड़ मचने की संभावना है.” साफ है कि पंत “असली भगदड़” के पहले ही भगदड़ का अंदेशा जता चुके थे.
तो प्रश्न है कि जब अंदेशा था तो भगदड़ रोकने के लिए जरूरी कदम क्यों नहीं उठाए गए? या फिर उनकी इस अपील के बाद ही भगदड़ मची? खैर, इसके बाद देसी-विदेशी मीडिया में भगदड़ और कुछ लोगों के हताहत होने की एकदम सादा खबर फ्लैश होने लगती है. खुद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ घटना के आठ-दस घंटे बाद भी एएनआई से बात करते हुए यह नहीं बता रहे हैं कि भगदड़ मचने के कारण क्या हैं, कौन लोग जिम्मेदार हैं, कितने लोगों की मौत हुई है, कितने घायल हुए हैं? बल्कि वह जो बोल रहे हैं, उसमें “भगदड़” शब्द कहीं सुनाई नहीं पड़ रहा है. योगी सिर्फ कुछ श्रद्धालुओं के गंभीर रूप से घायल होने की सूचना भर दे रहे हैं. हालांकि यह बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने चार बार हालचाल लिया है, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और राज्यपाल ने रिपोर्ट ली है. किसका हालचाल और रिपोर्ट, यह नहीं बता रहे!
जिस भगदड़ का अफसोस मोदी को था, एसएसपी ने कहा हुई ही नहीं
इसके बाद भगदड़ और उसमें हुई जनहानि के समाचार को छिपाने, ढंकने और “सबकुछ सामान्य है” बताने के लिए एक और “भगदड़” मची. इसमें मुख्यधारा के मीडिया से लेकर सरकारी स्तर पर, सब शामिल हो गए. कारणों और बदइंतजामी की चर्चा के बजाय अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की जाने लगी. यह बताए बिना कि असली खबर क्या है? यूपी सरकार के मंत्री संजय निषाद की जुबान भी इस भगदड़ में बढ़त बनाती दिखी, जब उन्होंने कहा, “इतने बड़े आयोजन में छोटी-मोटी घटनाएं हो जाती हैं.” हद तो तब हुई, जब सोशल मीडिया एक्स पर प्रयागराज कुंभ मेला के एसएसपी राजेश द्विवेदी का दोपहर 12.09 बजे यह कथन आया कि कोई भगदड़ ही नहीं हुई. जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 11.47 बजे ही हादसे में जान गँवाने वालों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कर चुके थे. उनके बाद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने भी शोक संवेदना संदेश जारी किया. मुख्यधारा के टीवी मीडिया ने पता नहीं क्यों पर अलग अंदाज में हेडलाइन मैनेजमेंट किया. भगदड़ की खबर, चित्र और वीडियो पूरी दुनिया में फ्लैश हो रहे थे, पर अपने यहां ज्यादातर चैनलों पर ये शीर्षक चल रहे थे- पीएम मोदी ने सीएम योगी से बात की, मोदी ने दोबारा योगी से बात की, अफवाह पर ध्यान न दें, अमित शाह, नड्डा ने योगी से बात की, मोदी ने एक घंटे में दो बार योगी से बात की. उनके यहां महाकुंभ को लेकर अमावस का मौन था. इसके बाद साधुओं के अमृत स्नान की खबरों को दिखाया जाने लगा. बताया जाने लगा कि अखाड़ों ने किस भव्य भाव से स्नान किया और उन पर हेलिकॉप्टरों से किस तरह कई क्विंटल फूल बरसाए गए. मानो कुछ हुआ ही न हो. दूसरी ओर वैकल्पिक मीडिया ने जरूर प्रशासनिक बदइंतजामी और वीवीआईपी मूवमेंट के कारण उठे सवालों को हाईलाइट किया है. भगदड़ में अपने परिजनों को खोकर लोग कैसे बेसुध हो गए हैं
और कोई उनकी खोज खबर लेने वाला नहीं है, यह भी बताया गया. अंत में बुधवार की रात शुरू होते मुख्यमंत्री योगी लगभग रुआँसे प्रकट हुए और शोक प्रकट किया! मोदी के कई घंटे बाद. दिलचस्प यह है कि इन्हीं योगी ने इसी 9 जनवरी को अकड़ कर कहा था, "पूर्व की सरकारें इस पवित्र अवसर पर भगदड़ पैदा करती रही हैं." उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने कुंभ को गंदगी, अराजकता और भगदड़ का पर्याय बना दिया था, जो एक सबक होना चाहिए. सवाल यह है कि आज की भगदड़ के बाद योगी का अब क्या उत्तर देंगे? उस भगदड़ का जो मिस मैनेजमेंट की मास्टर क्लास साबित हुई.
ख़तरे में हिंदू सनातन बोर्ड बनाएंगे, प्रस्ताव पास!
प्रयागराज के महाकुंभ मेला में 27 जनवरी को "सनातन धर्म संसद" का आयोजन हुआ, जहाँ हिंदू धर्मगुरुओं ने देशभर के मंदिरों और मठों के प्रबंधन के लिए वक़्फ़ बोर्ड की तर्ज पर "सनातन बोर्ड" बनाने का प्रस्ताव पास किया. द वायर ने इसपर विस्तार से रिपोर्ट किया है.
इस प्रस्ताव का मकसद मंदिरों की संपत्ति, धन और धार्मिक परंपराओं को सीधे हिंदू संगठनों के नियंत्रण में लेना बताया गया. इसके तहत "सनातन बोर्ड ट्रिब्यूनल" बनाने की भी बात कही गई, जो विवादों को "सनातनी परंपरा" के हिसाब से सुलझाएगा. मंच पर मौजूद चर्चित हस्तियों में तेलंगाना के विवादित विधायक टी. राजा सिंह, मुस्लिम-विरोधी बयानों के लिए जानी जाने वाली हिंदुत्व नेता साध्वी प्राची, अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के पुजारी राजू दास, जो मुलायम सिंह यादव की मूर्ति पर पेशाब करने के आह्वान के लिए चर्चा में हैं, शामिल थे.
दिलचस्प है कि मंच पर उपस्थित लोगों में भाजपा सांसद हेमा मालिनी भी थी, जिन्होंने फिल्मी सितारे धर्मेंद्र उर्फ दिलावर खान से शादी करने के लिए इस्लाम धर्म कबूल किया था और शादी के लिए अपना नाम आयशा बी रख लिया था. दिलावर उर्फ धर्मेंद्र भी कालांतर में भाजपा सांसद रहे और उनके बेटे सन्नी भी.
प्रस्ताव के मुख्य बिंदु थे, वक़्फ़ बोर्ड द्वारा "कब्ज़ा की गई" ज़मीन को वापस लेना. सनातन धर्म के खिलाफ फिल्मों, कॉमेडी या बयानों पर ईशनिंदा कानून लागू करना. मंदिरों की संपत्ति को बेचने या ट्रांसफर करने के लिए सनातन बोर्ड की अनुमति अनिवार्य होगी.
विरोध के स्वर : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के ज़्यादातर बड़े धर्मगुरु इस बैठक में शामिल नहीं हुए. विश्व हिंदू परिषद और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी केंद्रीकृत बोर्ड के विचार को नापसंद किया है. कुंभ मेला में केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ जूना अखाड़ा और निरंजनी अखाड़ा के प्रमुखों ने मुलाकात की, लेकिन वे सनातन संसद में नहीं दिखे.
भड़काऊ भाषणों की अमृत वर्षा :
राजू दास (अयोध्या पुजारी) : "हिंदुओं के घर बांग्लादेश में जल रहे हैं, फिर भी वे मोबाइल खरीदते हैं, हथियार क्यों नहीं?" उन्होंने 2013 के कुंभ मेला को "सुअर के बच्चों" (मुस्लिम नेता आजम खान) के हवाले करने का आरोप लगाया.
साध्वी प्राची : "अगर मोदी-शाह न होते, तो यूपी बांग्लादेश बन चुका होता. हिंदू एक बच्चा पैदा कर रहे, मुस्लिम 40!"
टी. राजा सिंह : "वक्फ बोर्ड ने किसानों और मठों की ज़मीन हड़प ली. तिरुपति मंदिर का दान 'विधर्मियों' (मुस्लिम/ईसाई) पर खर्च होता है."
देवकीनंदन ठाकुर (आयोजक) : "वक़्फ़ बोर्ड अगर पूरे भारत पर दावा करे, तो हम कहाँ जाएँगे?"
जगद्गुरु बल्लभदास : "वक़्फ़ बोर्ड खत्म होगा, तो लव जिहाद बंद होगा. मस्जिदों की जगह मंदिर बनेंगे."
विद्या भास्कर : "1991 का पूजा स्थल कानून हटाएँ. अयोध्या, मथुरा, काशी के अलावा अब और मंदिर चाहिए!"
सनातन बोर्ड की संरचना के मुताबिक चार शंकराचार्य संरक्षक होंगे. 11 सदस्यीय राष्ट्रीय बोर्ड में जगद्गुरु और हिंदुत्व विचारधारा वाले पत्रकार, सेवानिवृत्त न्यायाधीश व अधिकारी शामिल होंगे. आगे की रणनीति : देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा. सरकार संशोधन चाहे, तो विचार करेंगे.
इस आयोजन में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ "विधर्मी", "चादर-फादर" जैसे अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल हुआ. दारा सिंह, जिसने ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके दो बच्चों को जिंदा जला दिया था, को इस बैठक में 'कानपुर का योद्धा' बताया गया.कई वक्ताओं ने पाकिस्तान को निशाना बनाते हुए हिंसक भाषा का प्रयोग किया और मुगलकालीन मस्जिदों पर दावे ठोके गये.
हिंदुत्व ले जा रहा है ब्रिटिश युवाओं को उग्र चरमपंथ की तरफ
ब्रिटेन की गृह मंत्री यवेट कूपर द्वारा तैयार कराई गई एक लीक रिपोर्ट में हिंदू राष्ट्रवाद, यानी हिंदुत्व, को चरमपंथ का एक प्रमुख कारक बताया गया है. रिपोर्ट के निष्कर्षों में खुलासा हुआ है कि कैसे हिंदुत्व संकीर्णता, महिला विरोध और दक्षिणपंथी चरमपंथ के लिए एक जमीन तैयार कर रहा है. ब्रिटेन की चरमपंथ-रोधी नीतियों की जांच जैसे-जैसे गहरा रही है, रिपोर्ट में हिंदुत्व के खतरनाक प्रसार को नजरअंदाज न करने की चेतावनी दी गई है, जो सामाजिक एकता और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा बन रहा है.
कार्टून | राजेन्द्र धोड़पकर
गोवा में एसपी का वायरलेस पर तबादला : दक्षिण गोवा की पुलिस अधीक्षक सुनीता सावंत ने बजरंग दल के वरिष्ठ नेताओं की जानकारी जुटाने के लिए सभी थानों को वायरलेस संदेश भेजा और कुछ ही घंटों बाद उनके तबादले का आदेश वायरलेस के ज़रिए ही कर दिया गया. आमतौर पर तबादले सरकारी आदेश से होते हैं, लेकिन यह फैसला सीधे पुलिस विभाग ने वायरलेस के ज़रिए किया. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बजरंग दल के नेताओं ने सावंत के आदेश के बाद उनके तबादले के लिए दबाव बनाया. साथ ही, एक और वजह यह भी बताई जा रही है कि एक महिला की इज्जत से खिलवाड़ के आरोपी को गिरफ्तार न कर पाने में पुलिस की नाकामी भी तबादले की वजह हो सकती है.
फिंगरप्रिंट रिपोर्ट न आने के बाद भी मुंबई पुलिस का कॉन्फिडेंस हाई
हालांकि सीआईडी की तरफ से सैफ़ अली खान पर हमला करने वाले कथित आरोपी मोहम्मद शरीफुल इस्लाम शहजाद के मौके पर से फिंगरप्रिंट की तसदीक नहीं की गई है, पर मुंबई पुलिस मामले में खुद को पुख्ता बताया है. पुलिस के मुताबिक, आरोपी का केस में शामिल होना साबित करने के लिए उनके पास काफी सबूत हैं. फिंगरप्रिंट रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. मुंबई पुलिस के अतिरिक्त कमिश्नर परमजीत सिंह दहिया ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन और आईपीडीआर रिपोर्ट जैसे टेक्निकल सबूतों से 16 जनवरी की रात आरोपी की मौजूदगी साबित हुई है. उन्होंने कहा, "हमारे पास ठोस मौखिक, फिजिकल और टेक्निकल सबूत हैं." कुछ रिपोर्ट्स में फिंगरप्रिंट न मिलने की बात सामने आई है, लेकिन पुलिस ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए दूसरे सबूतों पर ज़ोर दिया है. सैफ की बिल्डिंग 'सतगुरु शरण' के सीसीटीवी में दिखे घुसपैठिए और शरीफुल के चेहरे में अंतर के आरोपों के बाद पुलिस ने अब उसका फेशियल रिकग्निशन टेस्ट कराने का फैसला लिया है.
“जीबीएस” से बंगाल में भी 2 मौतें
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में तनुश्री बोस और स्वीटी कुमारी की रिपोर्ट के अनुसार गुइलेन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) पश्चिम बंगाल में भी दो नाबालिगों की जान ले चुका है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बुधवार को इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि मृतकों में एक की उम्र 10 वर्ष और दूसरे की 17 वर्ष थी. 10 वर्षीय नाबालिग को कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन रविवार को उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई. वह उत्तर 24 परगना जिले के जगतदाल का निवासी था और मृत्यु से एक सप्ताह पहले से बीसी रॉय अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था. उत्तर 24 परगना जिले के ही एक अन्य 17 वर्षीय युवक का भी सोमवार सुबह कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में निधन हो गया. उसमें भी इस रहस्यमय बीमारी के लक्षण थे. रिपोर्ट के अनुसार गुइलेन बैरे सिंड्रोम के कारण पश्चिम बंगाल में एक 48 वर्षीय व्यक्ति और एक 17 वर्षीय युवक की मौत होने की भी आशंका जताई गई है. राज्य में इस सिंड्रोम से प्रभावित 2 अन्य बच्चे वर्तमान में वेंटिलेटर सहायता पर हैं. बता दें, महाराष्ट्र में भी एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है और पुणे में जीबीएस के 100 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं.
कनाडा के आरोप को किया खारिज : भारत ने कनाडा के एक जांच आयोग की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कनाडा की चुनावी प्रक्रिया में भारत की संलिप्तता है. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि इसके उलट कनाडा ही लगातार भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है. ‘कनाडा की ओर से इस तरह के हस्तक्षेप’ ने अवैध प्रवास और संगठित आपराधिक गतिविधियों के लिए माहौल तैयार किया है.
जनहित में कही यमुना के पानी में ज़हर होने की बात केजरीवाल ने
अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को चुनाव आयोग को जवाब देते हुए कहा कि यमुना के पानी में ज़हर होने की बात उन्होंने जनहित में कही है. साथ ही इस बात से इनकार किया कि उन्होंने किसी कानून का उल्लंघन किया है. इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस नेताओं की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए चुनाव आयोग ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल से अपने उस दावे के समर्थन में ठोस सबूत पेश करने को कहा, जिसमें उन्होंने कहा था कि यमुना के पानी में जहर मिलाकर दिल्ली भेजा जा रहा है.
केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि भाजपा शासित हरियाणा सरकार ने दिल्ली की जल आपूर्ति में ज़हर मिलाने की साजिश रची थी, जिसे दिल्ली जल बोर्ड के इंजीनियरों ने नाकाम कर दिया. केजरीवाल के बयान को चुनाव आयोग ने गंभीर और अभूतपूर्व बताया. चुनाव आयोग ने केजरीवाल को निर्देश दिया है कि वे अपने आरोपों के समर्थन में तथ्यात्मक और कानूनी प्रमाणों सहित सभी सबूत बुधवार रात 8 बजे तक आयोग को सौंपें. केजरीवाल ने इस बार न्यूक्लियर और बायोलॉजिकल वैपन जैसे हाई-फाई शब्दों से दिल्ली के वोटर का ध्यान खींचना चाहा था.
इधर 'द ट्रिब्यून' की खबर है कि यमुना नदी को लेकर जारी विवाद के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को दिल्ली-हरियाणा सीमा के पास यमुना का पानी पिया और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया. सीएम सैनी ने कहा, "मैंने हरियाणा की सीमा पर पवित्र यमुना का पानी बिना किसी हिचकिचाहट के पिया. केजरीवाल पूरी तरह से झूठ बोल रहे हैं. मेरे खुद के रिश्तेदार भी दिल्ली में रहते हैं. केजरीवाल को तुरंत माफी मांगनी चाहिए."
इस बीच हरियाणा के सोनीपत की अदालत ने बुधवार 29 जनवरी को 'यमुना में जहर' वाली टिप्पणी पर अरविंद केजरीवाल को 17 फरवरी को तलब किया है. केजरीवाल ने दावा किया था कि ‘भाजपा शासित राज्य हरियाणा यमुना नदी में जहर मिला रहा है’. यह शिकायत सोनीपत के राज्य जल सेवा प्रभाग के एक कार्यकारी अभियंता द्वारा दर्ज कराई गई है.
टेक्नोलॉजी
डीपसीक के बाद एआई के अखाड़े में अलीबाबा और टिकटॉक भी उतरे
रायटर्स की खबर के मुताबिक, चीनी टेक कंपनी अलीबाबा ने बुधवार को अपना नया एआई मॉडल, क्वेन 2.5 निकाला है. कंपनी कह रही है कि ये डीपसीक-वी3 से भी बेहतर है, जिसने पूरी दुनिया में हंगामा मचा रखा है. क्वेन 2.5-मैक्स को लॉन्च करने का ये समय थोड़ा अजीब है, क्योंकि ये चंद्र नव वर्ष का पहला दिन है, जब ज़्यादातर चीनी लोग छुट्टी पर होते हैं और अपने परिवार के साथ होते हैं. इससे पता चलता है कि पिछले तीन हफ़्तों में डीपसीक नाम की एक चीनी एआई कंपनी ने जितनी तेज़ी से तरक्की की है, उससे न सिर्फ़ विदेशों की कंपनियों पर दबाव है, बल्कि चीन में भी बाकी कंपनियों में होड़ मच गई है. अलीबाबा ने अपने वीचैट अकाउंट पर बताया है कि "क्वेन 2.5-मैक्स लगभग हर मामले में जीपीटी-4ओ, डीपसीक-वी3 और लामा-3.1-405बी से अच्छा काम करता है." ये ओपनएआई और मेटा के सबसे एडवांस एआई मॉडल हैं. डीपसीक ने 10 जनवरी को अपना एआई असिस्टेंट निकाला था, जो डीपसीक-वी3 मॉडल पर चलता है. फिर 20 जनवरी को आर1 मॉडल निकाला. इससे सिलिकॉन वैली में हलचल मच गई और टेक कंपनियों के शेयर गिर गए थे. डीपसीक-आर1 के आने के दो दिन बाद ही, टिकटॉक की कंपनी बाइटडांस ने भी अपना एआई मॉडल अपडेट किया और कहा कि ये एआईएमई टेस्ट में माइक्रोसॉफ्ट की ओ1 से अच्छा है. ये टेस्ट देखता है कि एआई मॉडल मुश्किल सवालों को कितने अच्छे से समझता और जवाब देता है. डीपसीक ने भी ऐसा ही दावा किया था कि उसका आर1 मॉडल कई मामलों में ओपनएआई के ओ1 से टक्कर ले सकता है.
डोनाल्ड ट्रम्प की संघीय सहायता रोकने पर रोक : ‘रायटर्स’ की खबर है कि मंगलवार को एक संघीय न्यायाधीश ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस आदेश को अस्थायी रूप से रोक दिया, जिसमें सैकड़ों अरब डॉलर की संघीय सहायता रोकने की बात कही गई थी. अमेरिका की डिस्ट्रिक्ट जज लॉरेन अलीखान ने कुछ संगठनों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए इस आदेश को अस्थायी रूप से रोका. यह आदेश लागू होने से कुछ ही मिनट पहले न्यायालय का यह फैसला आया. ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ की खबर है कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने विदेशी सहायता पर लगाई गई लगभग पूरी तरह की रोक से पीछे हटते हुए "जीवनरक्षक मानवीय सहायता" को जारी रखने की अनुमति दे दी है. मंगलवार को जारी एक मेमो में उन्होंने अरबों डॉलर की मानवीय सहायता को छूट देने की मंजूरी दी. हालांकि, कई सहायता संगठनों को अब भी यह स्पष्ट नहीं है कि इस फैसले का असली मतलब क्या है और क्या वे अपने काम को जारी रख सकते हैं.
किताब | गाँधी का हत्यारा गोड़से
सावरकर उनके पीछे-पीछे आए और उनसे कहा “सफल होकर लौटना!’’
महात्मा गांधी की हत्या के आज 76 साल पूरे हो रहे हैं. उनके हत्यारे और आज़ाद भारत के पहले आतंकवादी नाथूराम गोड़से पर धीरेन्द्र के झा की शोधपरक किताब है, गांधी का हत्यारा गोड़से : नाथूराम की जिंदगी और उसके सपनों का भारत. इसमें गोड़से की जिंदगी और उसके अपराध की गहरी तहकीकात तो है ही, साथ ही गोड़से के आरएसएस से अभिन्न रिश्तों और वीडी सावरकर की भूमिका की पड़ताल भी है. किताब के ग्यारहवे अध्याय में नाथूराम गोड़से और वीडी सावरकर से मुलाकात का जिक्र है. और उसके कुछ ही दिन बाद महात्मा की दिल्ली में हत्या कर दी जाती है. किताब का वह अंश:
बहुत समय तक वे रिवॉल्वर प्राप्त करने में असफल रहे थे. दीक्षित महाराज ने पिछले दिन उन्हें हथियार देने का वादा किया था और जब वे दोपहर में मिले तो उनको एक अमेरिकन रिवॉल्वर लाकर भी दी थी. हालाँकि, इसकी क़ीमत उसने ₹500 माँगी थी जो ये लोग चुकाने के लिए तैयार नहीं थे. उन्हें उम्मीद थी कि वह उन्हें मुफ़्त में यह दे देगा. पर ऐसा लगता है कि दीक्षित महाराज ने अपने भाई दादा महाराज के अनुभव से सीख ले ली थी जिसे इन दोनों ने इस तरह मूर्ख बनाया था कि उससे हथियार और गोलाबारूद ले लिया था पर किसी ऑपरेशन को अंजाम नहीं दिया. दीक्षित महाराज से तो उनका सौदा नहीं पटा. इसी वजह से गोपाल की बात गोड़से को अहम लगी.
अख़बार के दफ़्तर में लौटते हुए, गोड़से बड़गे के घर यह समझने गया कि वह अभी भी उनके दल का हिस्सा है या नहीं? उस समय, बड़गे घर पर नहीं था. इसलिए गोड़से अपने दफ़्तर के लिए चल दिया. कुछ देर के बाद, गोड़से एक बार फिर बड़गे के घर आया पर वह अब भी नहीं लौटा था. बडगे ने बाद में कहा, ‘जब मैं अपने घर वापस लौटा, शंकर ने मुझे बताया कि हिंदू राष्ट्र के दफ़्तर से कोई दो बार मुझसे मिलने के लिए आया था पर मैं घर पर नहीं था. मैं तुरंत समझ गया कि यह आदमी गोड़से ही होगा,’ बडगे ने आगे बताया ‘इसलिए मैं गोड़से के दफ़्तर गया. वह वहाँ अकेला था और मुझे देखकर वह बाहर आया और पूछा कि मैं बंबई जाने के लिए तैयार हूँ कि नहीं. मैंने उसे कहा कि मैं तैयार हूँ और 17 जनवरी 48 की सुबह वी.टी. रेलवे स्टेशन पर मौजूद रहूँगा’. गोड़से ने उससे यह भी कहा कि गोपाल रिवॉल्वर लेकर आएगा और उन लोगों से मिलेगा. ‘इसके बाद उसने मुझे एक छोटा पिस्तौल दिया और कहा कि क्या मैं इसके बदले एक बड़े पिस्तौल का जुगाड़ कर पाऊँगा? यह पिस्तौल अपनी कमीज़ की ज़ेब से निकाला और मुझे थमा दिया. उसने मुझे कहा कि अगर मैं इसके बदले किसी बड़े पिस्तौल का इंतज़ाम नहीं कर पाया तो मैं इसे ही अपने साथ बंबई लेता आऊँ.’
जिस तरह से चीज़ें आगे बढ़ रही थीं, ख़ास तौर पर गोपाल और बडगे से बात करने के बाद, गोड़से बंबई के लिए दोपहर को ट्रेन लेकर पुणे निकल गया. शाम के 9 बजे वह सी ग्रीन होटल पहुँचा. आप्टे उससे तुरंत मिला. देर रात तक वे गोड़से की पुणे यात्रा और अपनी योजना के बारे में बात करते रहे जबकि मनोरमा इसी होटल के दूसरे कमरे में आप्टे की राह देख रही थी. उस रात के लिए आप्टे ने दो कमरे बुक किए थे, एक गोड़से के लिए और दूसरा मनोरमा और अपने लिए. गोड़से के 15 जनवरी की शाम को पुणे जाने के समय से ही वह आप्टे के साथ थी. आप्टे ने उसे गाँधी की हत्या करने की अपनी योजना के बारे में कुछ भी नहीं बताया था. सिर्फ इतना कहा था कि वह और गोड़से कुछ जरूरी काम से दिल्ली जा रहे हैं.
शनिवार, 17 जनवरी 1948 को शाम क़रीब 7 बजे, गोड़से और आप्टे वी.टी. पहुँचे जहाँ बडगे और शंकर उसका इंतज़ार कर रहे थे. थोड़ा समय इन लोगों ने पैसे इकट्ठे करने के लिए बंबई में कुछ लोगों से मिलने में बिताया. ‘इसके बाद गोड़से ने कहा हम सभी बाहर जाएं और एक अंतिम बार तात्याराव का दर्शन करके आएँ,’ बडगे ने बाद में बताया. इसके बाद चारों लोग सावरकर सदन के लिए निकल गए. शंकर बाहर ही रहा जबकि शेष अन्य लोग बिल्डिंग के अंदर गए जहाँ बडगे को ग्राउंड फ़्लोर पर ही रुकने को कहा गया और गोड़से और आप्टे ऊपरी मंज़िल पर सावरकर से मिलने गए. ‘5 या 10 मिनट के बाद, वे दोनों नीचे आए और जैसे ही वे सीढ़ियों से नीचे उतर रहे थे, सावरकर उनके पीछे-पीछे आए और उनसे कहा “सफल होकर लौटना!’’ बडगे ने बताया. ‘रास्ते में आप्टे ने बताया कि तात्याराव ने भविष्यवाणी की है कि गाँधी जी के सौ साल अब समाप्त हो गए हैं. इसलिए, इसमें कोई संदेह नहीं कि हम अपने मिशन में कामयाब होंगे. आप्टे का यह बयान और तात्याराव को मैंने जो कहते हुए सुना वह मेरी इस धारणा की पुष्टि करता है कि जो किया जा रहा था उसे सावरकर की सहमति और आशीर्वाद प्राप्त था’.
दोपहर बाद क़रीब 1.30 बजे, गोड़से और आप्टे अहमदाबाद होते हुए दिल्ली जानेवाले हवाई जहाज में बैठ गए. वे जब अंदर आए तो उन्होंने दादा महाराज को विमान की नीले रंग वाली चमड़े की सीट पर आराम से बैठा पाया. उन्होंने एक-दूसरे का अभिवादन किया पर आपस में बात नहीं की. कुछ देर बाद विमान अहमदाबाद उतरा. दादा महाराज उतरने के लिए जब सीट से उठा तब जाकर उसने हैदराबाद और पाकिस्तान पर हमले करने की विफल योजना की बात छेड़ ही दी. गोड़से तो चुप रहा पर आप्टे ने कहा : ‘अब तुम देखना कि हम क्या करने जा रहे हैं’.
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चलते-चलते : 1918 की चैपलिन फिल्म नये अवतार में
न्यूयॉर्क के म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट (मोमा) ने चार्ली चैपलिन की 1918 की क्लासिक फिल्म "शोल्डर आर्म्स" को दोबारा से तैयार किया है. चार्ली चैपलिन की इस अद्भुत फिल्म के गुम हो चुके दृश्यों को दोबारा से ढूंढकर फिल्म के नए एडिशन में शामिल किया गया है. यह फिल्म गुरुवार को "टू सेव एंड प्रोजेक्ट" नामक वार्षिक फिल्म संरक्षण कार्यक्रम के समापन पर दिखाई जाएगी. यह फिल्म प्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में एक अमेरिकी सैनिक की भूमिका में चार्ली चैपलिन की कॉमेडी को दर्शाती है और 1918 में अपनी पहली स्क्रीनिंग के बाद से ही दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रही है. हालांकि, मोमा द्वारा बहाल किया गया यह संस्करण संभवतः पहले से उपलब्ध संस्करणों से हर फ्रेम में अलग होगा. मोमा के फिल्म विभाग के क्यूरेटर डेव केर ने कहा, "यह मूल रूप से एक अज्ञात चार्ली चैपलिन फिल्म की तरह है, जिसे वास्तव में किसी ने उसकी असली रिलीज़ के रूप में नहीं देखा."
1918 में इस फिल्म का चार्ली चैपलिन ने जो संस्करण अमेरिका में वितरित किया था, वह दशकों से प्रचलित संस्करण से अलग था. इस रिस्टोरेशन की प्रक्रिया में उन मूल दृश्यों और टेक्स्ट को फिर से शामिल किया गया है, जो समय के साथ बदल गए थे या खो गए थे. मोमा की इस पहल का उद्देश्य चार्ली चैपलिन के सिनेमा को उसके वास्तविक स्वरूप में प्रस्तुत करना है, जिससे दर्शकों को यह अनुभव हो सके कि 1918 में जब फिल्म पहली बार रिलीज हुई थी, तब यह वास्तव में कैसी थी. गौरतलब है कि चार्ली चैपलिन की यह ऐतिहासिक फिल्म केवल 40 मिनट की है, लेकिन इसकी कॉमेडी और संदेश ने इसे एक महान कृति बना दिया है.
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