31 दिसंबर 2024: रईस मुख्यमंत्रियों में सबसे नीचे ममता, दिल्ली चुनाव में रोहिंग्या, दंगों के एक साल बाद मेवात, लद्दाख में शिवाजी, मालदीव में दखल की ख़बर, कैसे रखा 93हजार पाकिस्तानी युद्धबंदियों को
हिंदी भाषियों का क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज्यादा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां: मुख्यमंत्रियों की रईसी में ममता बनर्जी सबसे नीचे हैं. उनकी घोषित संपत्ति 15 लाख रूपये है. उनके बाद सबसे गरीब उमर अब्दुल्ला है, जिनके पास 55 लाख की संपत्ति है. पिनाराई विजयन 1.18 करोड़ रुपये के साथ तीसरे स्थान पर हैं. सबसे अमीर चंद्र बाबू नायडू हैं, जिनकी जायदाद 931 करोड़ से ज्यादा है. अरुणाचल प्रदेश के पेमा खांडू 332 करोड़ रुपये से अधिक की कुल संपत्ति के साथ दूसरे सबसे अमीर मुख्यमंत्री हैं, कर्नाटक के सिद्धारमैया 51 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के साथ सूची में तीसरे स्थान पर हैं. यह जानकारी सोमवार (30 दिसंबर, 2024) को जारी एक एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार है. जबकि 2023-2024 के लिए भारत की प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय या एनएनआई लगभग 1,85,854 रुपये थी, एक मुख्यमंत्री की औसत स्व-आय 13,64,310 रुपये है, जो भारत की औसत प्रति व्यक्ति आय से लगभग 7.3 गुना अधिक है. 31 मुख्यमंत्रियों की कुल संपत्ति 1,630 करोड़ रुपये है.
दिल्ली चुनाव का रोहिंग्या कार्ड : विधानसभा चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और आम आदमी पार्टी (आप) ने शहर में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों की छोटी संख्या को राजनीतिक मुद्दा बना दिया है. पहले बीजेपी ने आप पर आरोप लगाया कि वह रोहिंग्या शरणार्थियों को राशन कार्ड और मुफ्त बिजली देकर उन्हें 'वोट बैंक' बना रही है. इसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पलटवार करते हुए बीजेपी पर आरोप लगाया कि उसने रोहिंग्या शरणार्थियों को गरीबों के लिए बने सरकारी फ्लैट दिए हैं. दिल्ली सरकार अब बांग्लादेशी और रोहिंग्या 'घुसपैठियों' के बच्चों को राज्य के स्कूलों से पहचान कर निकालने के कदम भी उठा रही है. इस बीच आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अगर उनकी पार्टी चुनाव जीतती है, तो उनकी सरकार ‘पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना’ के तहत मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18,000 रुपये प्रति माह देगी.
गवर्नेंस इंडेक्स फंस गया कहीं: डाटा के साथ नरेन्द्र मोदी सरकार का नाता पुराना है, और अच्छा नहीं. इसमें एक और कड़ी जुड रही है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रस्तावित गुड गवर्नेंस इंडेक्स को जारी करने का खयाल रद्द कर दिया है, जो 50 से अधिक संकेतकों पर राज्यों का मूल्यांकन करता है और जिसे इस साल दिसंबर के अंत में जारी किया जाना था, उसे 2025 के अंत तक टाल दिया गया है. सूचकांक को इस सप्ताह या तथाकथित सुशासन सप्ताह के दौरान जारी किया जाना था. द्विवार्षिक सूचकांक में देरी क्यों की गई है? क्या यह जनगणना की तरह ‘न्यूनतम’ सरकार की अधिकतम अक्षमता का एक और शिकार है?
लद्दाख में भारतीय थल सेना ने पांगोंग त्सो में शिवाजी की मूर्ति लगाई है और लद्दाख के लोग इस बारे में बहुत खुश नहीं. चुशूल के पार्षद कोंचोक स्टान्जिन का कहना है, ‘एक स्थानीय नागरिक होने के नाते मुझे पांगोग में शिवाजी की मूर्ति पर सवाल करना चाहिए. इसे यहां स्थानीय लोगों की राय लिये बिना लगाया गया औऱ मैं उसकी यहाँ के विशिष्ठ पर्यावरण और वन्य प्राणी के संदर्भ में इस पर सवाल करता हूँ. हम सबको मिलकर ऐसे प्रोजेक्ट को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो हमारी प्रकृति और लोगों का सम्मान करते हों.’
ऐसा माना जा रहा है कि आने वाली छह जुलाई को दलाई लामा अपने उत्तराधिकारी का ऐलान कर सकते हैं. उस दिन वे नब्बे साल के होंगे.
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के बेटे - बेटियों को संवैधानिक अदालतों में जजों के पद पर नियुक्त करने से रोके जाना का कायदा बनाने पर विचार किया जा रहा है.
पंजाब में 30 दिसंबर को किसानों द्वारा दिए गए 7 बजे से 4 बजे तक के बंद के कारण जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ और रेल तथा बस सेवाएं ठप हो गईं. किसान संघों ने अपने विभिन्न मांगों जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और कर्ज माफी के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ पिछले 10 महीने से आंदोलन जारी रखा है. पूरे राज्य के 23 जिलों में दुकानों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों ने सुबह से लेकर शाम तक अपनी दुकानें बंद रखीं.
कर चोरी के खिलाफ डिजी यात्रा डाटा का इस्तेमाल नहीं’: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ‘न्यू इंडिंयन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित रिपोर्टों का खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि ‘डिजी यात्रा’ डेटा का इस्तेमाल कर चोरी करने वालों पर नकेल कसने के लिए किया जाएगा. विभाग ने सोमवार को एक्स पर लिखा है कि आज की तारीख तक विभाग ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है. चेहरे की पहचान तकनीक (FRT) पर आधारित, डिजी यात्रा हवाई अड्डों पर विभिन्न चेक पॉइंट्स पर यात्रियों की संपर्क रहित, निर्बाध आवाजाही प्रदान करती है.
मालदीव में राष्ट्रपति को हटाने की कोशिश में थे भारतीय एजेंट?
वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, भारत कथित तौर पर 2024 की शुरुआत में राष्ट्रपति मुइज्जू को हटाने के प्रयासों में शामिल था. रिपोर्ट में बताया गया है कि विपक्षी एमडीपी ने एक लीक हुए आंतरिक पार्टी दस्तावेज़ का हवाला देते हुए, मुइज्जू को महाभियोग लगाने के लिए सांसदों और अधिकारियों को रिश्वत देने की योजना प्रस्तावित की थी. उस समय, मुइज्जू के नवंबर 2023 में पदभार ग्रहण करने के बाद, भारत के साथ संबंध तनावपूर्ण थे, क्योंकि उन्होंने नई दिल्ली के प्रति विरोध का रवैया अपनाया था. इनमें विमानों का संचालन करने वाले वर्दीधारी भारतीय कर्मियों को हटाना, जल सर्वेक्षण समझौते से हटना और अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए भारत की बजाय चीन को चुनना शामिल था.
दस्तावेज़ में कथित तौर पर इस योजना को अंजाम देने के लिए 8 मिलियन डॉलर (करीब 66.4 करोड़ रुपए) की आवश्यकता बताई गई थी, लेकिन इसमें धन के स्रोत का उल्लेख नहीं किया गया था. वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, कुछ अनाम मालदीवियन अधिकारियों ने दावा किया कि पैसे की उम्मीद भारत से थी, हालांकि एमडीपी के सांसदों ने सार्वजनिक रूप से इसे प्राप्त करने से इनकार किया. रिपोर्ट में आगे दावा किया गया है कि भारत ने मोहम्मद नशीद के साथ भी सीधा संपर्क किया था, उनसे सुलह करने और राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त रूप से लड़ने का आग्रह किया था, लेकिन नशीद ने मना कर दिया था.
अमेरिकी अखबार ने यह भी दावा किया है कि उसने वाशिंगटन में भारतीय दूतावास में एक वरिष्ठ रॉ खुफिया अधिकारी और शिरीष थोराट, जो एक पूर्व पुलिस अधिकारी हैं, के बीच फोन कॉल और बैठकों के निगरानी रिकॉर्ड प्राप्त किए हैं. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि ये रिकॉर्ड खुलासा करते हैं कि रॉ अधिकारी ने "मालदीव में राजनीतिक और व्यावसायिक संपर्कों वाले दो भारतीय मध्यस्थों के साथ राष्ट्रपति को हटाने की संभावना टटोली." मध्यस्थों की पहचान थोराट और साविओ रोड्रिग्स के रूप में की गई. रोड्रिग्स पहले भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि भारत मालदीव में घटनाओं को प्रभावित करने में रुचि दिखा सकता है, लेकिन इसके गुप्त प्रयास विशेष रूप से सफल नहीं रहे हैं. इसके बजाय, भारत मालदीव की आर्थिक स्थिति के साथ सहयोगी रवैया अपनाने में अधिक प्रभावी साबित हुआ.और खुद को चीन की तुलना में अधिक लचीले दाता के रूप में स्थापित किया.
मेवात दंगों के एक साल: कमजोर सबूतों और विरोधाभासी गवाही के बावजूद मुसलमानों को आतंकवादी करार दिया गया, जेल में रखा गया
आकांक्षा कुमार ने 'आर्टिकल 14' के लिए एक रिपोर्ट 2023 के जुलाई महीने में हरियाणा के नूह जिले में हुई साम्प्रदायिक हिंसा को लेकर की है. इस मामले में 10 मुस्लिम पुरुषों को हिंदू कार्यकर्ता अभिषेक चौहान की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इन आरोपों के बावजूद, जिनमें 'उग्रवाद' और 'आतंकी कनेक्शन' के आरोप लगाए गए हैं, गिरफ्तारियों के लिए कोई ठोस प्रमाण या साक्ष्य नहीं मिले हैं. अपनी रिपोर्ट में आकांक्षा ने लिखा- '14 अक्टूबर 2023 को, नूंह शहर में एक धार्मिक जुलूस के दौरान सांप्रदायिक दंगों के दो महीने से अधिक समय बाद, जिसमें दो होमगार्ड, एक गुरुग्राम मस्जिद के एक इमाम (एक उपदेशक) और जुलूस में शामिल एक बजरंग दल के व्यक्ति सहित छह लोगों की मौत हो गई थी, नूंह के सात पुलिस स्टेशनों में कम से कम 60 प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गईं, जिनमें 45 नाबालिगों सहित ज्ञात या अज्ञात मुसलमानों के खिलाफ थीं. जनवरी 2024 में, दंगों के छह महीने बाद, हरियाणा पुलिस ने चार एफआईआर में यूएपीए के प्रावधान लागू किए.
इन चार एफआईआर में यूएपीए की धारा 10 (गैरकानूनी एसोसिएशन का सदस्य होना) और धारा 11 (गैरकानूनी एसोसिएशन को फंडिंग करना) जोड़ी गई. हालांकि अदालत के दस्तावेज़ों और जांच रिपोर्टों के अनुसार, कई गवाहों के बयानों में असंगतियां पाई गईं हैं, जैसे कि बयान एक जैसे थे, जिनसे यह प्रतीत होता है कि गवाहों को प्रशिक्षित किया गया था. इसके अलावा मुस्लिम आरोपियों द्वारा दी गई 'स्वीकृति' के बयान भी एक जैसे थे, जो संभवतः 'कॉपी-पेस्ट' किए गए थे.
आरोपियों पर अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठन से संबंध जोड़ने का भी आरोप था, लेकिन इसके लिए कोई साक्ष्य नहीं मिले. अकबर और उनके साथी आरोपियों को भारत के आतंकवाद विरोधी कानून UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य या प्रमाण नहीं मिले हैं. इसके अलावा, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने यह भी दिखाया कि चौहान की मौत गोली लगने से हुई थी, जबकि आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियारों (जैसे कुल्हाड़ी और तलवार) से संबंधित कोई चोटें नहीं पाई गईं. इन सभी घटनाओं और साक्ष्यों को लेकर स्थानीय मुस्लिम समुदाय और उनके परिवारों का आरोप है कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है और गिरफ्तारी में जांच एजेंसियों की ओर से पक्षपाती रवैया अपनाया गया है. परिवार और वकीलों का कहना है कि आरोपियों को बिना किसी ठोस प्रमाण के कैद किया गया है, और पूरी जांच प्रक्रिया को राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा है. इस मामले में न्याय की मांग उठाई जा रही है, क्योंकि आरोपियों को बिना स्पष्ट सबूत के जेल में रखा गया है.
समर हलर्नकर: अब भारतीयों को बुरा नहीं लगता जब ज्यादती होती है मुस्लिमों के साथ
‘आर्टीकल 14’ के संपादक समर हलर्नकर का कहना है 2024 के साल भारत के लोगों ने शायद ही कभी अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों के खिलाफ लिंचिंग, दुर्व्यवहार और भेदभाव पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार ने मिथक और कट्टरता को कानून में बदल दिया. समर अपने पोर्टल पर प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हैं.
"मैं मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखता हूं और अल्लाह में विश्वास करता हूं. मेरे समुदाय के लोग हिंदुओं से नफरत करते हैं."
ये उन वाक्यों में से थे जो आर्टिकल 14 की रिपोर्टर आकांक्षा कुमार ने मुस्लिम बहुल हरियाणा जिले नूंह, जो राज्य का सबसे गरीब और राष्ट्रीय स्तर पर आठवां सबसे गरीब जिला है, में 2023 के एक दंगे की जांच के दौरान कथित मुस्लिम दंगाइयों द्वारा दिए गए 22 समान कबूलनामे के बयानों में पाए.
पुलिस के मामलों में उन्होंने जो सामान्य सूत्र देखे: कॉपी-पेस्ट कबूलनामे; हिंदू गवाहों (ज्यादातर हिंदू चरमपंथी बजरंग दल से) द्वारा कॉपी-पेस्ट लेकिन परस्पर विरोधी खाते; एक पोस्टमार्टम रिपोर्ट जो पुलिस के दावों का खंडन करती है; और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी समूह अल कायदा के साथ संबंध के अस्पष्ट, निराधार दावे.
कुमार के निष्कर्षों ने जुलाई में पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट द्वारा जारी एक रिपोर्ट का समर्थन किया, जिसमें वकालत समूह के सदस्यों द्वारा अध्ययन किए गए 89 जमानत आदेशों में से 81 में "गिरफ्तारी के लिए किसी भी स्वतंत्र या सहायक सबूत की कमी" पाई गई. रिपोर्ट जारी होने पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन लोकुर ने कहा, "जमानत इसलिए दी गई क्योंकि कोई सबूत नहीं था." "अब, अगर कोई सबूत नहीं था, तो इन लोगों को गिरफ्तार क्यों किया गया?" न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा, जिन्हें हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की आंतरिक न्याय परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, "पुलिस को पता है कि कोई सबूत है या नहीं है." "उन्हें यह भी पता है कि अगर सबूत हैं, तो क्या वह अदालत में जांच में टिके रहेंगे. लेकिन विचार यह है कि चलो इस व्यक्ति को दंडित करते हैं... अदालत शायद उसे बरी करने जा रही है, लेकिन तब तक उसे एक सप्ताह, एक महीने, इस मामले में कई महीने बिताने दो... विचार है किसी व्यक्ति को जब तक हो सके जेल में रखना."
कुमार की रिपोर्टिंग और पीयूडीआर रिपोर्ट ने खुलासा किया कि कैसे इन गिरफ्तारियों ने शामिल मुस्लिम युवाओं को सदमे में डाल दिया, पहले से ही गरीब परिवारों को उनके मुख्य कमाने वाले सदस्यों से वंचित कर दिया, उन्हें जमानत के लिए वकील और जमानतदार खोजने के लिए कम वित्तीय साधनों का उपयोग करने के लिए मजबूर किया और कई आजीविकाएं समाप्त कर दीं.
अदालतों ने अक्सर भारत में पुलिस के झूठे मामलों को उजागर किया है, लेकिन कानून के शासन की रक्षा करने वाली एजेंसियों द्वारा अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों (यहाँ, यहाँ और यहाँ) के खिलाफ कानून का हथियार बनना नरेंद्र मोदी के युग में विशेष रूप से स्पष्ट हो गया है.
हिंदू समाज और भाजपा के राजनीतिक विरोध ने मुसलमानों के खिलाफ लिंचिंग, दुर्व्यवहार और भेदभाव पर शायद ही कोई प्रतिक्रिया दी. मुस्लिम-विरोधी - और बहुत कम हद तक, ईसाई-विरोधी - बयानबाजी नए भारत में एक स्थिर, असाधारण लय में बस गई, वास्तविक जीवन की कट्टरता और अत्याचार की धुन के साथ तालमेल बिठाती हुई और उसे ऊर्जा प्रदान करती हुई. वास्तव में, विपक्षी नेताओं ने शायद ही कभी मुस्लिम विरोधी भाषण और हिंसा के बारे में खुलकर बात की, और अक्सर, उन राज्यों में स्थिति जहां वे शासन करते हैं, हिंदू समाज के कट्टरपंथीकरण को दर्शाती है.
समर बताते हैं, “पिछले हफ्ते, क्रिसमस से एक दिन पहले, हमने यह भी बताया कि कैसे कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश, भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड की तरह ही, गलत सूचना और इस्लामोफोबिया का केंद्र बन गया था. कौशिक राज और सृष्टि जायसवाल ने 34 दिनों में 30 मुस्लिम विरोधी रैलियों का पता लगाया, जिसमें बताया गया कि कैसे हिंदू प्रदर्शनकारियों ने मस्जिदों को गिराने, "बाहरी" मुसलमानों को निकालने, आर्थिक बहिष्कार करने और मुस्लिम संपत्तियों में तोड़फोड़ करने की मांग की.”
उन्होंने अभियानों का नेतृत्व करने वाले छह पुरुषों का साक्षात्कार लिया. उनमें से एक कांग्रेस पार्षद था, जिसने गर्व से उन्हें गरीब, मुस्लिम विक्रेताओं को निकालने में अपनी भूमिका के बारे में बताया. उन्होंने राज और जायसवाल से कहा, "कांग्रेस-भाजपा दूसरे स्थान पर आती है." “हम पहले हिंदू हैं. हम तभी राजनीति कर सकते हैं जब हम जीवित हों.”
दिल्ली में, आम आदमी पार्टी की सरकार, जो आंशिक रूप से मुस्लिम मतदाताओं द्वारा सत्ता में लाई गई है, ने भाजपा के साथ बने रहने की अपनी कड़ी लड़ाई तेज होने के कारण, जानबूझकर एम शब्द का उच्चारण करने से परहेज किया है.
दिल्ली में 2020 के दंगों के बाद से कथित मुस्लिम दंगाइयों और साजिशकर्ताओं पर मुकदमा चलाने पर इसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, अदालत में एक के बाद एक पुलिस मामले के ढहने के बावजूद. इसने मुस्लिम घरों के विध्वंस को नजरअंदाज कर दिया है, और अब, यह अवैध मुस्लिम प्रवासियों और शरणार्थियों को बुनियादी सेवाओं से वंचित करके भाजपा की डॉग-व्हिसलिंग रणनीति में शामिल हो गया है. आप सरकार के इस सप्ताह जारी एक परिपत्र में स्कूलों से "अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के नामांकन को रोकने के लिए सख्त प्रवेश प्रक्रियाओं, छात्रों के दस्तावेजों के सत्यापन को सुनिश्चित करने, विशेष रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के अनधिकृत प्रवेश का पता लगाने और रोकने के लिए अधिक जांच लागू करने" को कहा गया है.
उस परिपत्र ने किसी भी बच्चे के शिक्षा के संवैधानिक अधिकार और सरकार की अपनी अप्रैल की अधिसूचना का उल्लंघन किया, जिसमें यह आवश्यक है कि किसी भी बच्चे को - निराश्रित, शरणार्थी या शरण चाहने वाले, प्रवासी या बेघर - प्रवेश से वंचित न किया जाए.
और, इस प्रकार, गणतंत्र के पैरों के चारों ओर नया सामान्य जुड़ता और बढ़ता है, इसे नफरत और असुरक्षा से तौलता है, इसे बहुसंख्यकवादी तानाशाही के गंदे पानी में डुबोने में जल्दबाजी करता है, जिससे - जैसा कि इतिहास ने हमें दिखाया है - उभरने में कई जीवन लगते हैं. 2024 में स्थापित यह नया सामान्य उन लोगों को, जो भारत की 79% आबादी का गठन करते हैं, पीड़ित होने का दावा करने और उस समुदाय पर प्रतिशोध की मांग करने की अनुमति देता है जो भारत की सामाजिक-आर्थिक सीढ़ी के सबसे निचले पायदान पर है.
नया सामान्य एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को अपमानजनक शब्द "कठमुल्ला" का उपयोग करने और यह घोषित करने की अनुमति देता है कि बहुमत की इच्छा प्रबल होगी. नया सामान्य मुसलमानों - यहां तक कि बच्चों और बुजुर्गों को भी - को कहीं और कभी भी रोकने और पीटने की अनुमति देता है यदि वे "जय श्री राम" का जाप करने से इनकार करते हैं और उन्हें हिंदू-प्रधान क्षेत्र में फ्लैट किराए पर लेने या खरीदने से रोकता है.
नया सामान्य राज्य को मुस्लिम घरों और व्यवसायों को या तो कानून की अनदेखी करके या जानबूझकर गलत व्याख्या करके ध्वस्त करने की अनुमति देता है. यादृच्छिक हिंदू पुरुषों और महिलाओं के लिए मुस्लिम विक्रेताओं को उनकी धार्मिक पहचान बताने के लिए धमकाना या उन्हें आजीविका कमाने से रोकना काफी सामान्य है. भारत के नेताओं के लिए रेडियो रवांडा और क्रिस्टलनाचट की भाषा बोलना और मुसलमानों को घुसपैठिए और दीमक कहना निश्चित रूप से सामान्य है.
समर लिखते हैं, “जिस दिन मैं यह लिख रहा हूं, नए सामान्य की रिपोर्टें आ रही हैं: हिंदू चरमपंथी लखनऊ में क्रिसमस पर प्रार्थना कर रहे ईसाइयों को बाधित करने के लिए गाते और नाचते हैं, जोधपुर, राजस्थान में एक क्रिसमस स्कूल कार्निवल को हिंसक रूप से रोकते हैं; गुजरात के बापूनगर में एक और; पटना, बिहार में एक लोक गायक को महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन को गाने से रोकते हैं; बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश में कश्मीरी मुस्लिम शॉल विक्रेताओं को व्यापार करने से रोकते हैं और मकान मालिकों को उन्हें घर किराए पर देने से धमकाते हैं; और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, राज्य सरकार सम्भल, उत्तर प्रदेश में मुसलमानों को परेशान करने के नए तरीके ढूंढती है.
हिंदुओं ने अब सम्भल की 16वीं सदी की मस्जिद और अन्य शहरों में कम से कम नौ और मस्जिदों पर दावा किया है, यह दावा करते हुए कि नीचे मंदिर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में ऐसे तीर्थस्थलों के सर्वेक्षण पर रोक लगा दी, जो कानून का उल्लंघन करते हुए स्थानीय न्यायाधीशों द्वारा आसानी से आदेशित किए गए थे. पांच दिनों में ऐसे दो सर्वेक्षणों ने सम्भल में एक दंगा भड़का दिया, जिसमें पांच मुसलमानों की जान चली गई, जिसके बाद पुलिस के पक्षपात, जबरन दफनाने और मजबूर बयानों के आरोप लगाए गए, जैसा कि सबाह गुरमत ने आर्टिकल 14 के लिए रिपोर्ट किया था.”
बढ़ते हिंदू उग्रवाद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से भी शांति और सामान्य ज्ञान के लिए अपील करना भी ऐसा प्रतीत कराया जैसे कि वह खुद कभी मुसलमानों का "तुष्टिकरण" कहते थे. भागवत ने इस महीने कहा, "हर दिन एक नया मामला सामने आता है. यह कैसे अनुमति दी जा सकती है?" उन्होंने आगे कहा, और मस्जिदों को खोदने की मांगों का जिक्र किया. "यह जारी नहीं रह सकता." सम्भल में हिंसा के बाद की गई भागवत की टिप्पणियों का हिंदू गुरुओं और उनकी अपनी संगठन के मुखपत्र, ऑर्गेनाइजर ने खंडन किया, जिसने मस्जिदों के नीचे मंदिरों की खोज की मांगों को "सभ्यतागत न्याय" की खोज बताया.
यह सम्भल में है कि यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है कि भारतीय राज्य नए सामान्य को लागू करने के लिए क्या कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार को शांति सुनिश्चित करने का आदेश देने के कुछ दिनों बाद, अधिकारियों ने मुस्लिम क्षेत्रों में विशेष रूप से अतिक्रमण और बिजली चोरी के खिलाफ अभियान शुरू किए, स्क्रॉल ने रिपोर्ट किया. उन्होंने एक मुस्लिम सांसद के घर के एक हिस्से को ध्वस्त कर दिया और कथित तौर पर बिजली चोरी करने के लिए उन पर 1.9 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, और एक मुस्लिम पड़ोस में एक हिंदू मंदिर के ताले खोल दिए, जिसे उन्होंने कहा कि 56 वर्षों से बंद था.
15 दिसंबर को, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि मंदिर "हमारी स्थायी विरासत और हमारे इतिहास की सच्चाई" का प्रतिनिधित्व करता है. उसी दिन, पुलिस अधीक्षक और जिला मजिस्ट्रेट ने वहां प्रार्थना की, स्क्रॉल ने रिपोर्ट किया.
यह कोई संयोग नहीं है कि भाजपा के लिए सम्भल एक नया राजनीतिक युद्ध का मैदान है, जहां उसने शायद ही कभी चुनाव जीता हो, द इंडियन एक्सप्रेस ने पिछले सप्ताह रिपोर्ट किया था. पार्टी हिंदू मतदाताओं को पवित्र भूमि का दावा करके ऊर्जावान बनाने की उम्मीद करती है, जहां विष्णु के अंतिम अवतार कल्कि के लिए एक भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिए, एक देवता जो अंत के बाद समाज को बचाने के लिए आएंगे.
समर के मुताबिक यह नए भारत में पार्टी की चढ़ती हुई राजनीति का एक खाका है. मिथक को आधुनिक हिंदू मांगों और राजनीति के साथ जल्दी और आसानी से मिलाना और राज्य की शक्तियों को कानून को मोड़ने या छोड़ने के लिए तैयार होना भारत के नए सामान्य की एक विशिष्ट विशेषता है. जैसे-जैसे कट्टरपंथीकरण जारी है, अधिक पुलिस, न्यायाधीश, राजनेता और अन्य लोग जो कानून के शासन को बनाए रखने की शपथ लेते हैं, या तो इसे सही ठहराने या इसकी मांगों के आगे झुकने की संभावना है.
“मुझसे अक्सर पूछा जाता है कि आपके काम और आप जैसे अन्य लोगों के काम से क्या फर्क पड़ता है? क्या यह ज्वार को पलट सकता है? मैं यह नहीं कह सकता कि ऐसा होगा, लेकिन जब एक हिसाब का समय आएगा - और वह आएगा, शायद जल्द या बाद में - हमें इन समयों के एक रिकॉर्ड के रूप में काम करना होगा. हमें समाज को एक दर्पण दिखाना जारी रखना चाहिए, यह याद दिलाते हुए कि हम कहाँ थे, हम कहाँ पहुँचे हैं, और हम कहाँ जा रहे हैं.”
विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में पंहुचने का अरमान अटका
ये फोटो मेर्लबोर्न क्रिकेट ग्राउंड ने यह कहते हुए ट्वीट किया है कि इस फोटो को लूव्र आर्ट गैलरी में टांग लो. बल्लेबाज के चारों ओर आठ आदमी, दांव पर एक टेस्ट, और एक पांचवें दिन का क्लाइमैक्स. एक मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड ने सोमवार (30 दिसंबर, 2024) को यह सब और बहुत कुछ देखा, जिसने पैट कमिंस और उनके लोगों को एक खेल का उच्च प्रदर्शन दिया, जिन्होंने चौथे टेस्ट में भारत को 184 रनों से हराया. ऑस्ट्रेलिया 3 जनवरी से सिडनी में होने वाले पांचवें और अंतिम टेस्ट के साथ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी श्रृंखला में 2-1 से आगे है.
भारत भले ही महत्वपूर्ण बॉक्सिंग डे मुकाबला 184 रनों से हार गया हो, लेकिन विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए क्वालिफाई करने की उनकी संभावनाओं को लेकर सब कुछ खत्म नहीं हुआ है. फाइनल के लिए क्वालिफाई करने के लिए, भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में श्रृंखला का आखिरी टेस्ट जीतना होगा, और फिर उम्मीद करनी होगी कि जब ऑस्ट्रेलिया अगले साल की शुरुआत में द्वीप राष्ट्र का दौरा करेगा तो श्रीलंका के लिए सकारात्मक परिणाम (या 0-0 से ड्रॉ) होगा.
हार के बाद, भारत का अंक प्रतिशत 55.89 से घटकर 52.78 हो गया है. दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया ने अपने अंक बढ़ा लिये है क्योंकि अब उनके पास 61.46 है. दक्षिण अफ्रीका ने रविवार को पहले टेस्ट में पाकिस्तान को दो विकेट से हराकर पहले ही WTC फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया है. अगर भारत सिडनी में जीतने में सफल रहता है, तो उनके पास 55.26 पीसीटी होगा और ऑस्ट्रेलिया के पास 54.26 होगा. श्रीलंका के खिलाफ दो टेस्ट में से एक जीत ऑस्ट्रेलिया के लिए भारत के पीसीटी को पार करने और फाइनल में प्रोटीज में शामिल होने के लिए पर्याप्त होगी. भारत ने 2024/25 सत्र की शुरुआत में, घर पर बांग्लादेश पर 2-0 से तसल्ली से जीत हासिल की थी.
जिमी कार्टर : अमेरिकी राष्ट्रपति, नोबेल पुरस्कृत
न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर का 100 साल की आयु में निधन हो गया है. जिमी कार्टर का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था. वह मूंगफली के किसान के रूप में जाने जाते थे और अपने सरल जीवन के लिए प्रसिद्ध थे. जिमी कार्टर ने एक राजनेता के रूप में अपना करियर शुरू किया और 1977 में अमेरिका के राष्ट्रपति बने. उनके कार्यकाल में कई चुनौतियाँ रहीं, जैसे आर्थिक समस्याएँ और ईरान बंधक संकट. कार्टर ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद मानवता और कूटनीति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों के लिए काम किया, जिसमें हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटी जैसे संगठनों के माध्यम से घर बनाने में मदद शामिल है. जिमी कार्टर को इसराइल और मिस्र के बीच शांति समझौता कराने के लिए 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. भारत से नाता 'द हिंदू' की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिमी कार्टर की मां लिलियन कार्टर 1960 के दशक में यू.एस. पीस कोर की सदस्य के रूप में महाराष्ट्र में सेवा देने आई थीं. जिमी कार्टर ने 1978 में भारत का दौरा किया. उस समय भारत और अमेरिका के बीच परमाणु कार्यक्रमों को लेकर कई विवाद थे, और कार्टर प्रशासन ने भारत के साथ एक संतुलित संबंध स्थापित करने का प्रयास किया.
सैटेलाइट तस्वीरों से खुली खनन की पोल
राजस्थान के कोटपुतली-बहरोड़ जिले में स्थित सोता नदी, जो कभी जीवनदायिनी हुआ करती थी, आज अवैध खनन और पत्थर तोड़ने के कारण बर्बाद हो चुकी है. राजस्थान के अधिकारियों ने नदी में खनन न होने के दावे किए, लेकिन सैटेलाइट से आई तस्वीरों ने सारी स्थिति साफ कर दी. ‘आर्टिकल 14’ की रिपोर्ट है कि अप्रैल 2024 में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सोता नदी के तल में अवैध खनन और पत्थर तोड़ने के खिलाफ याचिका दायर की, लेकिन जिला अधिकारियों ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में इन आरोपों को खारिज कर दिया. अब सैटेलाइट इमेजरी से व्यापक पर्यावरणीय क्षति सामने आई है, जिसमें नदी का बाधित प्रवाह, जमीन का कटाव और पहाड़ियों का समतलीकरण दिखा. राज्य के जल संसाधन विभाग (WRD) ने भी अवैध खनन के प्रमाण प्रस्तुत किए. सोता नदी जो 250 किमी तक फैली है और वर्षा व छोटे बांधों से पोषित होती है, लेकिन अब अवैध खनन और विस्फोटों के कारण स्थानीय निवासी श्वसन संबंधी समस्याओं और सिलिकोसिस से पीड़ित हो रहे हैं. बांधों और जलाशयों में पानी की आवक में कमी आई है, जिससे जल संकट गहराया है. सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में नदी के तल पर खनन पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन 2021 में इसे आंशिक रूप से हटाया गया. अब एनजीटी ने अक्टूबर 2024 में इसे ‘खतरनाक स्थिति’ बताते हुए कोटपुतली-बहरोड़ जिला मजिस्ट्रेट को नदी के पुनरुद्धार के लिए कार्य योजना तैयार करने का आदेश दिया है.
कन्याकुमारी में समुद्र पर देश का पहला ग्लास ब्रिज
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को कन्याकुमारी में विवेकानंद स्मारक और तिरुवल्लुवर प्रतिमा को जोड़ने वाले देश के पहले ग्लास ब्रिज का उद्घाटन किया. पहले इन दोनों स्मारकों तक नौका से जाना पड़ता था. अब सैलानी पैदल जा सकेंगे. 77 मीटर लंबे और 10 मीटर चौड़े इस धनुषाकार आर्च ब्रिज को बनाने में 37 करोड़ रुपये की लागत आई है.
रूसी कंपनी ने भारतीय निवेशकों से 800 करोड़ रुपये ठगे : प्रवर्तन निदेशालय ने एक रूसी नागरिक पावेल प्रोज़ोरोव की ओर से संचालित एक फर्म द्वारा बनाए गए 800 करोड़ रुपये के पोंजी स्कीम घोटाले में आरोप पत्र दायर किया है. ऑक्टाएफएक्स, फॉरेक्स ट्रेडिंग फर्म पिछले चार से पांच वर्षों में अपने विज्ञापनों और आईपीएल टीमों के प्रायोजन के कारण सोशल मीडिया पर छाई रही है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, किसी को नहीं पता था कि यह सब एक विस्तृत पोंजी स्कीम का हिस्सा था. ऑक्टाएफएक्स ने किसी भी संदेह को चकमा दिया और प्रभावशाली लोगों, टीवी हस्तियों और बॉलीवुड अभिनेताओं के जरिये निवेशकों को लुभाया. इन निवेशकों को कंपनी के दलालों ने मदद की थी. इन्हें कंपनी की ओर से अच्छी रकम दी जा रही थी.
गुजरात के 4 ठग कर्नाटक में पकड़ाए : बेंगलुरु पुलिस ने भुगतान प्लेटफॉर्म क्रेड के जरिये एक्सिस बैंक से 12.2 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए सभी ठग गुजरात के हैं. ड्रीमप्लग पेटेक सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (क्रेड की मूल कंपनी) के कार्यकारी नरसिम्हा वसंत शास्त्री की शिकायत पर ये गिरफ्तारियां की गईं. इस ठगी में राजकोट में एक्सिस बैंक की एक शाखा में रिलेशनशिप मैनेजर वैभव पिथाडिया, बीमा एजेंट शैलेश और कमीशन एजेंट शुभम के साथ सूरत की बैंकिंग एजेंट परमार नेहा बेन विपुलभाई शामिल हैं.
केमिकल यूनिट में जहरीली गैस के रिसाव से 4 की मौत : गुजरात फ्लोरोकेमिकल्स लिमिटेड (जीएफएल) के रासायनिक संयंत्र में जहरीली गैस की चपेट में आने से चार श्रमिकों की मौत हो गई. यह यूनिट गुजरात के भरूच जिले के दहेज में स्थित है.
भागने के 21 दिन बाद मिल गई ‘जीनत’ : तीन हफ्ते पहले तीन वर्षीय बाघिन ‘जीनत’ ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व (एसटीआर) से भाग गई थी. उसे रविवार को पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले के गोसाईंडीही गांव के पास एक जंगल में बेहोश कर पकड़ लिया गया. मुख्य वन्यजीव वार्डन देबल रे ने बताया कि पिछले 21 दिनों में तीन राज्यों में भटकने और 300 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद ओडिशा और पश्चिम बंगाल की अधिकारियों को जीनत को पकड़ने में कामयाबी मिली.
चलते चलते : 93 हजार पाकिस्तानी युद्धबंदियों की मेजबानी कैसे की भारत ने
अकसर इस बात का उल्लेख तो किया जाता है कि 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने समर्पण किया था, लेकिन सार्वजनिक रूप से इस बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है कि भारतीय सेना ने इन हजारों पाक सैनिकों के भोजन-पानी से लेकर उनके मनोरंजन, स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि को लेकर कितने बड़े पैमाने पर इंतजाम किए. लेकिन, इंडियन एक्सप्रेस में मान अमन सिंह चीना ने अपने एक लेख में बताया है कि पाक सैनिकों के लिए भारत पाक सीमा से बहुत दूर शिविर बनाए गए थे. जैसे रांची, आगरा, ग्वालियर, रुड़की और जबलपुर. लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी समेत पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को जबलपुर में रखा गया था. इन शिविरों में पाक सैनिकों के माता-पिता, पत्नियां और बच्चे भी कैद में थे. इसलिए इनके लिए जरूरी चीजों के इंतजाम अलग से करना पड़े. सच तो यह है कि 1972 के प्रारंभिक दिनों में पाकिस्तानी सैनिकों के कई बच्चे शिविर में पैदा हुए थे. एक शिविर से 1972 में छह बच्चों के जन्म की सूचना मिली थी. सर्दी के मौसम में रजाई, कंबल, ऊनी पुलओवर, शर्ट, चमड़े की जैकिटें, मोजे आदि दिए जाते थे. नागरिक शिविरों में बच्चों को फल का वितरण किया जाता था. मल्टी विटामिन सिरप भी दिया जाता था. धार्मिक स्वतंत्रता थी. जो युद्धबंदी भागते समय या किसी बीमारी के कारण मारे गए, उन्हें मुस्लिम कब्रिस्तान में दफनाया जाता था. रमजान के दिनों में रात में नमाज पढ़ने और खाद्य सामग्री का पूरा इंतजाम होता था. एक शिविर में ईद अल अजहा मनाने के लिए भारतीय सेना के अधिकारियों ने 5000 रूपए आवंटित किए और क्रिसमस के लिए प्रति ईसाई युद्धबंदी 1 रूपया दिया गया. कई शिविरों में शिया मुसलमानों को मुहर्रम के लिए मदद की गई. उन्हें उर्दू और अंग्रेजी के अखबार दिए जाते थे. इलस्ट्रैटेड वीकली ऑफ इंडिया भी दिया जाता था. रेडियो प्रसारण सुनने की अनुमति थी. पाक सेना के बड़े अधिकारियों के पास व्यक्तिगत ट्रांजिस्टर होते थे. जूनियर कमीशन अधिकारियों के पास हर बैरक में एक ट्रांजिस्टर होता था, जबकि अन्य रैंक के अधिकारियों के पास हर ब्लॉक में एक ट्रांजिस्टर होता था. औसतन हर महीने दो फिल्में भी दिखाई जाती थीं. प्रत्येक बाड़े में एक वॉलीबॉल का मैदान था, जहां वॉलीबॉल टूर्नामेंट आयोजित किए जाते थे. इनडोर खेलों के लिए युद्ध बंदियों के पास प्रत्येक ब्लॉक में खेलने के लिए ताश के पत्ते, एक शतरंज की बिसात और दो कैरम बोर्ड होते थे. आमतौर पर एक हारमोनियम, चार तबले, एक भारतीय ढोल और दस बांसुरी भी शिविरों में उपलब्ध रहते थे.
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