31/05/2025| घर-घर सिंदूर पर भाजपा बैकफुट पर | 500 के फर्जी नोट 37% बढ़े | एफडीआई की बदरंगी तस्वीर | बैंक धोखाधड़ी बढ़ी | वह गोमांस नहीं निकला | गिग वर्कर्स के लिए अध्यादेश
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा.
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
भारत से पैसा बाहर खींच रहे हैं विदेशी निवेशक
गोदरेज सरकारी लालफीताशाही से परेशान
पाकिस्तानी जनरल ने कहा- भारत और पाकिस्तान सीमा पर तनाव कम करने के करीब
पतंजलि आयुर्वेद को संदिग्ध वित्तीय लेनदेन पर केंद्र सरकार का नोटिस, कॉर्पोरेट गवर्नेंस उल्लंघन की जांच शुरू
अंकिता भंडारी हत्याकांड : भाजपा नेता के बेटे समेत दो को उम्रकैद
सुप्रीम कोर्ट का पुराना लोगो बहाल
अब पाकिस्तान ने रूस से मिलाया हाथ
पाकिस्तान को चीन के समर्थन के बावजूद भारत चीन से संबध नहीं बिगाड़ना चाहता
सुप्रीम कोर्ट ने असम में ‘फर्जी मुठभेड़ों’ की जांच के आदेश दिए
घर-घर सिंदूर को लेकर भाजपा बैकफुट पर, भास्कर में प्रकाशित ख़बर को फेक बताया
“आप पहले अपनी पत्नी को सिंदूर क्यों नहीं देते?”, गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी से ममता बनर्जी के इस सीधे सवाल के बाद भाजपा अब “घर-घर सिंदूर” पहुंचाने के अभियान से पीछे हटती दिखाई पड़ रही है. उसे लग रहा है कि सेना के “ऑपरेशन सिंदूर” के बरक्स उसकी यह राजनीतिक मुहिम कहीं उलटी न पड़ जाए, लिहाजा पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने शुक्रवार को दोपहर बाद (3.38pm) “एक्स” पर आकर बताया कि दैनिक भास्कर में “मोदी 3.0 की वर्षगांठ; घर-घर सिंदूर पहुंचाएगी भाजपा, 9 जून से शुरुआत” शीर्षक से प्रकाशित खबर “फेक” है. रिपोर्ट सुजीत ठाकुर की है. मालवीय ने इस शीर्षक में भी “घर-घर सिंदूर पहुंचाएगी भाजपा” को हाईलाइट किया है. यानी, आपत्ति “घर-घर सिंदूर” वाले हिस्से पर है, बाकी पर नहीं. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, “बहुत सारे लोग भास्कर में प्रकाशित इस “फेक न्यूज़” के आधार पर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. लेकिन हद तो तब हो गई, जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, एक अधिकृत सरकारी मंच से, एक ट्रोल की तरह इस “आधारहीन” खबर को लेकर राजनीति करने लगीं. ममता बनर्जी को अपने प्रदेश की बदहाली की चिंता करनी चाहिए, और देश की सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बेतुकी बयानबाज़ी नहीं करनी चाहिए. पश्चिम बंगाल संप्रदायिकता की आग में जल रहा है, महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, बेरोज़गारों के पास रोज़गार नहीं है- ये ममता बनर्जी की प्राथमिकताएं होनी चाहिए.”
दरअसल, ममता बनर्जी ने गुरुवार (29 मई) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर जिस तल्ख और तीखे शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवाब दिया और तमाम सवालों के साथ सीधा उनसे ही यह भी पूछ लिया कि- “आप पहले अपनी पत्नी को सिंदूर क्यों नहीं देते?, इसके बाद तो यह होना ही था. यों, ममता ने तमाम सवाल दागे, लेकिन एक महिला होने के नाते “दूसरी महिला” के दर्द और वेदना से जुड़े इस सवाल ने ही बीजेपी को यह समाचार “फेक” बताने के लिए मजबूर कर दिया. वर्ना, खबर तो 28 मई के अंक में प्रकाशित हुई थी. अमूमन अखबार तड़के छपकर और सबेरे-सबेरे बंटकर पाठकों तक पहुंच जाते हैं. करोड़ों सदस्यों वाली पार्टी में ही न जाने कितने होंगे, जिन तक यह समाचार 28 तारीख की सुबह ही पहुंच गया होगा. लेकिन, इसको “फेक” बताने में 48 घंटे से भी ज्यादा का लंबा वक्त लगा! अगर पार्टी चाहती तो उसी दिन “फेक” को “फेक” बताती. लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. क्यों? क्या इसलिए, क्योंकि 28 मई को ममता का सवाल नहीं आया था? ममता ने 29 मई को सवाल पूछा. वो भी तब, जब मोदी अलीपुरद्वार में उनकी सरकार और पार्टी पर तमाम आरोप लगाकर रवाना हो गए- निर्मम, भ्रष्ट बताकर और पांच संकट गिनाकर. तो, क्या यह मान लिया जाए कि “अगर ममता सवाल न करतीं तो बीजेपी “घर-घर सिंदूर” खबर के साथ सहज बनी रहती? नापतौल नहीं करती, नफे-नुकसान का जायजा न लेती और भास्कर को खंडन जारी करने के लिए न कहती?
दैनिक भास्कर ने 30 मई की रात खंडन जारी करते हुए कहा- “ऑपरेशन सिंदूर : देश भर में घर-घर सिंदूर पहुंचाने का भाजपा का कोई कार्यक्रम नहीं.” यह भी लिखा कि भाजपा ने भास्कर में प्रकाशित इस खबर को गलत बताया है. ममता ने मोदी से ये भी कहा था- "आप झूठ का कचरा फैला रहे हैं. वे देश को लूटकर भाग जाते हैं. इस तरह की बातें करना अच्छा नहीं लगता. ऑपरेशन सिंदूर के बारे में, हालांकि मेरे पास कोई टिप्पणी नहीं है, कृपया याद रखें कि हर महिला सम्मान की हकदार है. वे अपने पतियों से सिंदूर लेती हैं. पीएम मोदी किसी के पति नहीं हैं; आप अपनी पत्नी को पहले सिंदूर क्यों नहीं देते? मुझे खेद है कि मुझे इन सब मामलों में नहीं जाना चाहिए, लेकिन आप हमें ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन बंगाल के नाम पर बोलने के लिए मजबूर करते हैं.”
आरजेडी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका भारती ने उस डिबेट का वीडियो जारी किया है जिसमें ‘न्यूज 24’ की एक डिबेट में न्यूज एंकर मानक गुप्ता के यह पूछने पर कि घर-घर जाकर सिंदूर क्यों बांट रहे हो पर भाजपा प्रवक्ता शिवम त्यागी ने लाइव डिबेट में इसे गौरव का विषय बताया है.
बंगाल में “सिंदूर खेला” का महत्व...
बंगाली समाज में सिंदूर खेला का महत्व है. दुर्गा पूजा के अंतिम दिन पश्चिम बंगाल समेत देशभर में महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं. इसके बाद एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर सदा सुहागिन रहने की कामना करती हैं. मान्यता है कि मां दुर्गा नवरात्र में पृथ्वी पर अपने मायके आती हैं और 10वें दिन ससुराल विदा हो जाती हैं. इसे यादगार बनाने के लिए ही “सिंदूर खेला” की परंपरा है. ममता ने बंगाल और उसकी संस्कृति के ऐतिहासिक संदर्भों में “सिंदूर” के महत्व को शायद, पहचान लिया, तभी उन्होंने “सिंदूर” को लेकर सीधा अटैक किया, जो बीजेपी के बहुत भीतर तक उतर गया. और, खेला हो गया.
कहीं आपका 500 का नोट जाली तो नहीं?
37% बढ़ गए ₹500 के जाली नोट, छह वर्षों में सबसे अधिक
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकिंग प्रणाली में ₹500 मूल्यवर्ग के नए डिजाइन वाले जाली नोटों की संख्या वित्त वर्ष 2024-25 में वार्षिक आधार पर 37 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 1.18 लाख तक पहुंच गई. यह 2025 में सभी अन्य मूल्यवर्गों की तुलना में सबसे अधिक है. पिछले वित्त वर्ष में ₹500 के जाली नोटों की संख्या 85,711 थी. यह संख्या पिछले छह वर्षों (वर्ष 2020 के बाद से) में सबसे अधिक है.
रिपोर्ट के अनुसार, जिन अन्य मूल्यवर्गों में जाली नोट पाए गए, उनमें ₹100 के 51,069 नोट, ₹200 के 32,660 नोट और ₹2,000 के 3,508 नोट शामिल हैं. इसके बावजूद, वित्त वर्ष 2025 में कुल जाली नोटों की संख्या पिछले वित्त वर्ष की तुलना में कम रही. 2025 में कुल जाली नोटों की संख्या 2.18 लाख रही, जबकि एक साल पहले यह 2.23 लाख थी.
कुल मिलावट में से 95.3 प्रतिशत नकली नोट, जिनकी संख्या 2.07 लाख थी, बैंकों में पकड़े गए, और बाकी आरबीआई में पकड़े गए. पिछले साल नवंबर में, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा साझा किए गए संसद पत्र के अनुसार, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2018-19 से 2023-24 के दौरान बैंकिंग सिस्टम में ₹500 के नकली नोटों में 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की.
वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि ₹500 का नोट अब भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला मुद्रा नोट बन गया है. यह कुल चलन में मौजूद नोटों की संख्या का 40.9 प्रतिशत हिस्सा है. मूल्य के हिसाब से, इसका हिस्सा कुल चलन में मौजूद पैसों का 86 प्रतिशत है.
भारत में सिक्कों की मात्रा में 3.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि उनकी कुल कीमत में वित्त वर्ष 2024-25 में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई. ₹1, ₹2 और ₹5 के सिक्के सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं, जो कुल चलन में मौजूद सभी सिक्कों का 81.6 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं.
खड़गे का आरोप, मोदी सरकार में लाखों-करोड़ की बैंक जालसाजी
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने “एक्स” पर लिखा, “मोदी सरकार के 11 साल में 6,36,992 करोड़ रुपये की बैंक जालसाजी हुई है, जो कि 416 प्रतिशत की बढ़ोतरी है. नोटबंदी के बाद भी, पिछले 6 वर्षों में 500 रुपये के नक़ली नोट की संख्या 291 प्रतिशत बढ़ी.” उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मोदी जी, हमें नहीं मालूम कि आपकी रगों-नसों में क्या-क्या है, पर इतना तय है कि आपकी सरकार की नसों में धोखाधड़ी और जालसाजी ज़रूर है.''
भारत से पैसा बाहर खींच रहे हैं विदेशी निवेशक
न्यूजलांड्री में आर्थिक विश्लेषक विवेक कौल ने लिखा है कि विदेशी निवेश के मामले में भारत की हालत बदतर होती जा रही है. और सरकार असलियत नहीं बता रही. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2024-25 में भारत में कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) 81 अरब डॉलर पहुंचा है, जो पिछले साल से 14 प्रतिशत अधिक है. लेकिन इन चमकदार आंकड़ों के पीछे एक चिंताजनक तस्वीर छुपी है. वह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में नेट एफडीआई सिर्फ 0.01 प्रतिशत है. यह 2000-01 के बाद से सबसे कम है. यानी 25 साल का सबसे निचला स्तर. जब हम भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार के अनुपात में एफडीआई को देखते हैं, तो पता चलता है कि वास्तविक निवेश में गिरावट आ रही है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि विदेशी निवेशक अपना पैसा वापस ले जा रहे हैं - यह रकम 2019-20 में 18.4 अरब डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 51.4 अरब डॉलर हो गई है. कुल एफडीआई से रिपैट्रिएशन घटाने के बाद सिर्फ 29.6 अरब डॉलर बचता है. इसमें से भारतीय कंपनियों का विदेशी निवेश (29.2 अरब डॉलर) घटाने पर नेट एफडीआई केवल 354 मिलियन डॉलर रह जाता है. उस समय एफडीआई-जीडीपी अनुपात 3.5 प्रतिशत था, अब यह घटकर 0.8 प्रतिशत रह गया है. भारतीय रिजर्व बैंक इसे "परिपक्व बाजार का संकेत" बताता है जहां निवेशक आसानी से आ-जा सकते हैं. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ सच्चाई छुपाने का तरीका है. विदेशी और भारतीय दोनों निवेशक भारत की विकास कहानी पर भरोसा खो रहे हैं. कंपनियों के सीईओ भारत के बाजार की बड़ाई की बात करते हैं, लेकिन उनका पैसा कहीं और जा रहा है. यह स्पष्ट संकेत है कि महज प्रचार और वादों से विकास नहीं होता - असली निवेश चाहिए, जो अभी नदारद है.
गोदरेज सरकारी लालफीताशाही से परेशान
भारत के पुराने औद्योगिक घरानों में से एक गोदरेज समूह के 76 वर्षीय चेयरमैन जमशेद गोदरेज ने फाइनेंशियल टाइम्स को दिये गये इंटरव्यू में भारत में व्यापार करने की कठिनाइयों पर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने सरकारी नौकरशाही और लालफीताशाही को देश में निवेश की सबसे बड़ी बाधा बताया है. गोदरेज ने कहा कि भारत के नियम-कानून आज भी उस दौर की मानसिकता से बने हैं जब सरकारी नियंत्रण का माहौल था. "ब्रिटिश काल और आजादी के बाद के समाजवादी शासन के दौरान बने ये नियम आज भी हावी हैं," उन्होंने कहा. "भारतीय निवेशक के पास धैर्य है तो ठीक है, लेकिन विदेशी निवेशकों के लिए यह बहुत मुश्किल है," गोदरेज ने स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि मुंबई से बाहर नई 3,421 करोड़ रुपये की फैक्ट्री के लिए जमीन लेने में पूरे 10 साल लग गए. गोदरेज के मुताबिक, "सरकार को व्यापार के रास्ते से हट जाना चाहिए और और अधिक नियंत्रण मुक्ति करनी चाहिए." गोदरज ने यह भी कहा कि सब्सीडी से ज्यादा सुधार की जरूरत है. "हर कोई कुछ न कुछ सहायता चाहता है, लेकिन यह आपको प्रतिस्पर्धी नहीं बनाएगा. सही इंफ्रास्ट्रक्चर, सही रवैया और समय पर मंजूरी मिलना - यही चीजें आपको प्रतिस्पर्धी बनाएंगी."
गोदरेज की यह टिप्पणी तब आई है जब प्रधानमंत्री मोदी की सरकार भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की कोशिश कर रही है. गोदरेज उन गिने-चुने उद्योगपतियों में से हैं जिन्होंने खुलकर सरकारी बाधाओं की आलोचना की है. 1897 में अर्देशीर गोदरेज द्वारा स्थापित यह समूह शुरू में ताले बनाता था और भारत के पहले चुनावों (1951-52) के लिए बैलेट बॉक्स भी. आज यह समूह माइक्रोवेव, वॉशिंग मशीन, सुरक्षा प्रणाली और एयरोस्पेस के उपकरण बनाता है.
बैंक धोखाधड़ी तीन गुना बढ़कर ₹36,014 करोड़ पहुंची : आरबीआई
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में बैंक धोखाधड़ी से जुड़ी कुल राशि तीन गुना बढ़कर ₹36,014 करोड़ हो गई, जो कि पिछले साल ₹12,230 करोड़ थी. इस बढ़ोतरी के पीछे धोखाधड़ी के वर्गीकरण में बदलाव और पिछले वर्षों के मामलों की नई रिपोर्टिंग को जिम्मेदार ठहराया गया है. दिलचस्प बात यह है कि कुल मामलों की संख्या में कमी आई है. 2024-25 में कुल 23,953 धोखाधड़ी के मामले सामने आए, जो कि 2023-24 में 36,060 थे. इनमें से 59.42% मामले निजी बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए.
आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, कुल ₹36,014 करोड़ की धोखाधड़ी में से ₹33,148 करोड़ अग्रिमों (loans) से संबंधित थीं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा ₹10,072 करोड़ था। इसके विपरीत, कार्ड और इंटरनेट धोखाधड़ी में गिरावट दर्ज की गई - यह राशि ₹1,457 करोड़ से घटकर ₹520 करोड़ रह गई. आरबीआई ने बताया कि 2024-25 के आंकड़ों में 122 मामलों को शामिल किया गया है, जिनकी कुल राशि ₹18,674 करोड़ है. ये मामले पहले के वित्तीय वर्षों से संबंधित थे, लेकिन मार्च 27, 2023 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन के बाद फिर से रिपोर्ट किए गए.
आरबीआई ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण बताता है कि जहां सबसे ज्यादा मामलों की संख्या निजी बैंकों से आई है, वहीं सबसे अधिक राशि की धोखाधड़ी सार्वजनिक बैंकों से जुड़ी रही है. कार्ड/इंटरनेट धोखाधड़ी के मामले 2024-25 में घटकर 13,516 हो गए, जबकि पिछले साल ये 29,082 थे. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने ₹25,667 करोड़ की धोखाधड़ी की रिपोर्ट दी, जो पिछले साल के ₹9,254 करोड़ से काफी अधिक है.
धोखाधड़ी के मामलों की संख्या : निजी बैंक : 14,233 (पिछले वर्ष 24,207) सार्वजनिक बैंक : 6,935 (पिछले वर्ष 7,460)
पाकिस्तानी जनरल ने कहा- भारत और पाकिस्तान सीमा पर तनाव कम करने के करीब
‘रॉयटर्स’ ने पाकिस्तान के एक शीर्ष सैन्य अधिकारी जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा के हवाले से छापा है कि भारत और पाकिस्तान, जो दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं, इस महीने के संघर्ष के बाद अपनी सीमा पर सैन्य तैनाती को घटाकर पहले जैसी स्थिति में लाने के करीब हैं. हालांकि उन्होंने चेतावनी दी कि यह संकट भविष्य में हालात और बिगड़ने की आशंका को बढ़ाता है. दोनों देशों ने हालिया संघर्ष के चार दिनों में लड़ाकू विमान, मिसाइलें, ड्रोन और तोपखाने का इस्तेमाल किया, यह दशकों में सबसे भीषण टकराव था, जिसके बाद संघर्षविराम की घोषणा की गई. जनरल मिर्ज़ा, जो वर्तमान में सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं, ने कहा कि इस संघर्ष के दौरान परमाणु हथियारों का कोई उपयोग नहीं हुआ, लेकिन स्थिति बेहद संवेदनशील थी. “कुछ नहीं हुआ इस बार, लेकिन किसी भी रणनीतिक गलतफहमी को नकारा नहीं जा सकता,” उन्होंने कहा. “इस बार संघर्ष सिर्फ कश्मीर तक सीमित नहीं रहा, मुख्यभूमि पर भी सैन्य ठिकानों पर हमले हुए. यह बेहद खतरनाक रुझान है.” जनरल मिर्ज़ा ने कहा कि न तो कोई बैकचैनल वार्ता चल रही है और न ही उन्होंने भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान से मिलने की योजना बनाई है, जो शांगरी-ला सम्मेलन में मौजूद हैं. “इन मुद्दों का समाधान सिर्फ बातचीत से ही हो सकता है, युद्ध से नहीं.”
‘रॉयटर्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, इस संघर्ष का अंत अमेरिका, भारत और पाकिस्तान के बीच पर्दे के पीछे की कूटनीति और वाशिंगटन की मध्यस्थता की वजह से संभव हुआ. भारत ने किसी तीसरे पक्ष की भूमिका को नकारा है और कहा है कि भारत-पाकिस्तान के बीच कोई भी वार्ता द्विपक्षीय ही होनी चाहिए. जनरल मिर्ज़ा ने चेतावनी दी कि भविष्य में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप कठिन होगा क्योंकि दोनों देशों के बीच संकट प्रबंधन की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हस्तक्षेप का समय बहुत सीमित रहेगा, और तब तक भारी नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान संवाद के लिए तैयार है, लेकिन वर्तमान में केवल सीमित स्तर की सैन्य संचार हॉटलाइन ही मौजूद हैं.
कर्नाटक ने गिग वर्कर्स की सुरक्षा के लिए अध्यादेश जारी किया, कल्याण शुल्क अनिवार्य किया
‘द हिंदू’ के अनुसार, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कर्नाटक प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स (सामाजिक सुरक्षा और कल्याण) अध्यादेश, 2025 को मंजूरी दे दी, जो राज्य भर में गिग वर्कर्स की सुरक्षा और समर्थन के लिए एक कानूनी ढांचा स्थापित करता है. अध्यादेश में कहा गया है कि ज़ोमैटो, स्विगी, ओला, उबर, अमेज़ॅन और अन्य जैसे एग्रीगेटर प्लेटफ़ॉर्म गिग वर्कर्स के साथ किए गए प्रत्येक लेनदेन का 1 से 5 प्रतिशत के बीच कल्याण शुल्क का भुगतान करते हैं. यह शुल्क, जिसे त्रैमासिक रूप से एकत्र किया जाएगा और कर्नाटक गिग वर्कर्स सोशल सिक्योरिटी एंड वेलफेयर फंड में जमा किया जाएगा, जो नव घोषित सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के लिए फंडिंग तंत्र का निर्माण करेगा. कल्याण शुल्क संरचना को राज्य सरकार द्वारा छह महीने के भीतर अधिसूचित किया जाएगा और यह प्लेटफॉर्म की श्रेणी के अनुसार अलग-अलग होगी.
पतंजलि आयुर्वेद को संदिग्ध वित्तीय लेनदेन पर केंद्र सरकार का नोटिस, कॉर्पोरेट गवर्नेंस उल्लंघन की जांच शुरू
'बिजनेस स्टैंडर्ड' की रिपोर्ट है कि केंद्र सरकार ने योग गुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से उन वित्तीय लेनदेन पर स्पष्टीकरण मांगा है, जिन्हें केंद्रीय आर्थिक खुफिया एजेंसियों ने “संदिग्ध और असामान्य” करार दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने कंपनी को नोटिस जारी किया है और फंड डायवर्जन (धन के ग़लत इस्तेमाल) व कॉर्पोरेट गवर्नेंस उल्लंघनों की जांच कर रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, जांच अभी शुरुआती चरण में है और संदिग्ध लेनदेन की विशिष्ट राशि सार्वजनिक नहीं की गई है. मंत्रालय ने पतंजलि को नोटिस का जवाब देने के लिए लगभग दो महीने का समय दिया है. ताज़ा जांच पतंजलि आयुर्वेद और उसकी सहयोगी कंपनियों के खिलाफ पहले से चल रही कानूनी और नियामकीय कार्यवाहियों की कड़ी में एक और कदम है. पिछले साल कंपनी की एक इकाई को कर उल्लंघनों और गलत टैक्स रिफंड दावों को लेकर शोकॉज नोटिस मिला था.
इसके अलावा, कंपनी पर गंभीर बीमारियों के इलाज के झूठे दावे करने वाले विज्ञापन प्रकाशित करने को लेकर भारी आलोचना हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को ऐसी प्रचार गतिविधियों से रोक दिया था, यह कहते हुए कि यह ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 का उल्लंघन है. फरवरी 2025 में, केरल ड्रग्स कंट्रोल विभाग ने जानकारी दी कि राज्य की विभिन्न अदालतों में रामदेव और पतंजलि के खिलाफ 26 सक्रिय मामले चल रहे हैं. कई अखबारों के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज हैं जिन्होंने पतंजलि के विवादास्पद विज्ञापन छापे थे. हालांकि पतंजलि आयुर्वेद एक प्राइवेट कंपनी है, लेकिन इसकी लिस्टेड सब्सिडियरी, पतंजलि फूड्स लिमिटेड के शेयरों पर इन विवादों का असर पड़ा है. मई 2025 में इसके शेयरों में लगभग 10% की गिरावट आई है.
वह गोमांस नहीं निकला
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में गोमांस की तस्करी के आरोप में हिंदुत्व संगठनों के सदस्यों के चार मुस्लिम व्यक्तियों को घेरकर हमला करने के कुछ दिनों बाद, पुलिस सूत्रों ने ‘द वायर’ को बताया है कि वास्तव में ‘गाय का मांस’ नहीं था. हरदुआगंज पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) धीरज कुमार ने पुष्टि की है कि फोरेंसिक रिपोर्ट ने गोमांस तस्करी के आरोपों को खारिज कर दिया है. नमूनों को परीक्षण के लिए मथुरा की एक सरकारी प्रयोगशाला में भेजा गया था. अलीगढ़ पुलिस ने भी गोमांस तस्करी के आरोपों को झूठा बताया है.
उल्लेखनीय है कि पिछले 15 दिनों में यह दूसरी बार था, जब पुरुषों के एक ही समूह ने एक ही स्थान पर पीड़ितों के मांस-परिवहन वाहन को निशाना बनाया. इस बार, उन्होंने वाहन को आग लगा दी और राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया. परेशान करने वाली बात यह है कि दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय के परिसर के पास ‘गोमांस’ बेचने या परिवहन करने के आरोपी व्यक्तियों पर भी हमले हुए हैं. ‘हरकारा’ में हमने इस मामले में पहले भी रिपोर्ट छापी है.
अंकिता भंडारी हत्याकांड : भाजपा नेता के बेटे समेत दो को उम्रकैद
उत्तराखंड में अंकिता भंडारी हत्याकांड में पौड़ी गढ़वाल की ज़िला अदालत ने शुक्रवार को अहम फै़सला सुनाया है. बीबीसी की रिपोर्ट है कि कोर्ट ने मुख्य अभियुक्त भाजपा नेता पुलकित आर्य के साथ दो अन्य अभियुक्तों सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को हत्या, साक्ष्य मिटाने, अनैतिक देह व्यापार और छेड़खानी के मामले में दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि अंकिता के परिवार को चार लाख रुपए का मुआवज़ा दिया जाए. मुख्य अभियुक्त, पुलकित आर्य भारतीय जनता पार्टी के नेता रहे और पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य के बेटे हैं. मुख्य अभियुक्त पुलकित आर्य को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत उम्र कै़द और 50 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. इसके अलावा साक्ष्य नष्ट करने (धारा 201) के लिए पांच साल, यौन उत्पीड़न (धारा 354 ए ) में दो साल और अनैतिक देह व्यापार (निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(ए) में पांच साल की सज़ा और जुर्माना लगाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट का पुराना लोगो बहाल
भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने सुप्रीम कोर्ट की पारंपरिक गरिमा को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के पुराने लोगो को बहाल कर दिया है. यह बदलाव उनके पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ द्वारा किए गए संशोधन को पलटता है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, इस निर्णय के साथ ही मुख्य न्यायाधीश गवई ने सुप्रीम कोर्ट के अग्रभाग में लगे कांच के पार्टिशन को हटाने की योजना की भी घोषणा की है. यह पहल न केवल पारदर्शिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई है, बल्कि न्यायालय की पारंपरिक गरिमा और खुलेपन को फिर से स्थापित करने की दिशा में एक साहसिक कदम मानी जा रही है.
अब पाकिस्तान ने रूस से मिलाया हाथ
शहबाज़ शरीफ़ और पुतिन की हालिया मुलाकात ने दिल्ली की सिरदर्दी को नए सिरे से बढ़ा दिया है. 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट है कि भारत के पुराने रणनीतिक साझेदार रूस ने पाकिस्तान के साथ सोवियत युग के एक निष्क्रिय स्टील प्लांट को पुनर्जीवित करने का सौदा किया है. इस कदम ने नई दिल्ली में चिंता बढ़ा दी है. यह नया स्टील प्लांट कराची के पास स्थित 19,000 एकड़ क्षेत्र वाले पाकिस्तान स्टील मिल्स (PSM) परिसर के 700 एकड़ हिस्से में बनाया जाएगा और इसमें पाकिस्तान के अनुमानित 1.4 अरब टन लौह अयस्क भंडार का उपयोग किया जाएगा. उन्नत रूसी स्टील निर्माण तकनीक से संचालित यह परियोजना पाकिस्तान के वार्षिक स्टील आयात बिल को 30% तक कम कर सकती है और विदेशी खर्च में $2.6 अरब की कटौती कर सकती है. यह सहयोग क्षेत्रीय आर्थिक रिश्तों को एक नई दिशा दे सकता है और भारत-रूस के बीच कूटनीतिक तनाव को जन्म दे सकता है.
पाकिस्तान को चीन के समर्थन के बावजूद भारत चीन से संबध नहीं बिगाड़ना चाहता
भारत-पाक युद्ध में चीन के पाकिस्तान का समर्थन किये जाने के बावजूद दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया को जारी रखने के लिए उत्सुक है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जुलाई के प्रारम्भ में रियो डी जेनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मुलाकात होने की उम्मीद है. इसकी मेजबानी 6 और 7 जुलाई को ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा करेंगे.
डेक्कन हेराल्ड की खबर है, भारत-पाक संघर्ष के दौरान चीन ने पाकिस्तान की मदद की थी. कथित तौर पर पाकिस्तान में आतंकवादी शिविरों और साथ ही पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए क्षेत्रों को निशाना बनाकर भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के मद्देनजर पाकिस्तान को जे-35ए स्टील्थ लड़ाकू जेट की आपूर्ति में तेजी लाने का फैसला किया है. उसने जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए नरसंहार की निष्पक्ष जांच के लिए इस्लामाबाद के आह्वान का भी समर्थन किया था, जबकि पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फोर्स ने भारत में हुए हालिया आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी ली है. पाकिस्तान ने 7-10 मई को दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच सीमा पार से भड़की हिंसा के दौरान भारत में लक्ष्यों पर चीन में निर्मित पीएल-15 मिसाइलें भी दागीं. चीन ने कथित तौर पर भारत में लक्ष्य चुनने और भारत के जवाबी हमलों को बेअसर करने के लिए पाकिस्तान को उपग्रह सहायता भी प्रदान की थी. इसके बावजूद नई दिल्ली बीजिंग के साथ संबंधों को बिगाड़ने का इच्छुक नहीं है.
वहीं हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, जर्मन अख़बार फ्रैंकफर्टर अलगेमाइन ज़ितुंग के साथ एक साक्षात्कार में, भारत-पाकिस्तान संघर्ष में चीन की पाक मददगार की भूमिका को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्वीकार किया. उन्होंने बिना किसी विशेष नाम का उल्लेख किये कहा, "पाकिस्तान के पास मौजूद कई हथियार प्रणालियाँ चीनी मूल के हैं और दोनों देश बहुत करीब हैं. आप इससे अपने निष्कर्ष निकाल सकते हैं."
पत्रकार ने पत्नी के साथ ‘लाइव’ ज़हर खाया
उत्तरप्रदेश के पीलीभीत में एक पत्रकार और उसकी पत्नी ने सरकारी अधिकारियों और एक ठेकेदार के कथित उत्पीड़न से परेशान होकर जान देने की कोशिश की. दोनों ने पहले वीडियो बनाया और फिर कैमरे पर ही जहर खा लिया. पत्रकार इसरार ने कहा कि उन्होंने हाल ही में बरखेड़ा नगर पंचायत में कथित भ्रष्टाचार पर एक खबर प्रकाशित की थी, जो मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंची थी. इसके बाद, उनके परिवार को लगातार धमकियां दी गईं और झूठे मामले में फंसाया गया. इस घटना के बाद दंपती को जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां इसरार की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है, जबकि उसकी पत्नी की स्थिति गंभीर है.
भाजपा- बीआरएस विलय के प्रयास का विरोध किया कविता ने
बीआरएस एमएलसी और पार्टी की वारिस के कविता ने कहा है कि भारत राष्ट्र समिति को भाजपा में विलय करने के 'बार-बार प्रयास' किए गए, जिसमें वह तब भी शामिल थी, जब वह दिल्ली शराब नीति मामले में जेल में थीं. उन्होंने कहा कि वह इस तरह के विलय के पक्ष में नहीं थीं. द हिंदू की रिपोर्ट है कि उन्होंने यह भी कहा कि वह केवल अपने पिता, लंबे समय से बीआरएस अध्यक्ष और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को ही पार्टी के नेता के रूप में स्वीकार करेंगी - यह ऐसे समय में जब उनके बेटे केटी रामा राव को उत्तराधिकारी माना जाता है. हाल ही में कविता ने केसीआर को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने भाजपा की अपर्याप्त आलोचना पर असंतोष व्यक्त किया था. इस बीच, तेलंगाना के तेजतर्रार भाजपा विधायक टी राजा सिंह ने बीआरएस के साथ गठबंधन करने की कथित इच्छा के लिए अपनी पार्टी के नेतृत्व की आलोचना की.
कर्नाटक में सांप्रदायिक घटनाओं से निपटने के लिए विशेष कार्रवाई बल बनेंगे
बढ़ते सांप्रदायिक तनावों से निबटने के लिए कर्नाटक सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एक नया विशेष कार्रवाई बल शुरू किया है. इसे सांप्रदायिकता विरोधी बल कहा गया है, जो सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील तीन जिलों, दक्षिण कन्नड़, उडुपी और शिवमोगा में काम करेगा. विशेष कार्रवाई बल की भूमिका में एक खुफिया इकाई शामिल होगी. इसमें मीडिया और सोशल मीडिया के साथ-साथ नफरत फैलाने वाले भाषण, भड़काऊ घटनाओं और सांप्रदायिक घटनाओं के बारे में खुफिया जानकारी एकत्र करने और निगरानी करने के लिए एक तकनीकी सेल शामिल होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने असम में ‘फर्जी मुठभेड़ों’ की जांच के आदेश दिए
हिमंत बिस्वा सरमा के मुख्यमंत्री काल के दौरान असम में किए गए 171 कथित फर्जी मुठभेड़ों के पीड़ितों के परिवारों सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उम्मीद की किरण जग गई है, जिसमें अदालत ने अपने आदेश में असम मानवाधिकार आयोग (एएचआरसी) को इन मामलों की ‘स्वतंत्र और त्वरित’ जांच का आदेश दिया है. अदालत ने जोर देकर कहा, “पीड़ितों की आवाज सुनी जानी चाहिए, शिष्टाचार के नाते नहीं, बल्कि अधिकार के नाते.” न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि पीड़ितों ने या तो डर के कारण या संसाधनों की कमी के कारण चुप्पी साध ली है. सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि आयोग ने पहले हाई कोर्ट में लंबित सुनवाई का हवाला देते हुए मामले की जांच करने से इनकार कर दिया था.
फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “इनमें से कुछ मामले फर्जी मुठभेड़ों से जुड़े हैं और ये वाकई गंभीर हैं. अगर ये साबित हो जाते हैं, तो ये अनुच्छेद 21 का गंभीर उल्लंघन होगा... मामलों की व्यक्तिगत जांच किए बिना अदालती निर्देश न्याय की विफलता का कारण बनेंगे, या तो दोषियों को बचाएंगे या चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले लोक सेवकों की वैध कार्रवाई को कलंकित करेंगे."
अमेरिका के पोस्ट को ब्लॉक करने वालों को नहीं मिलेगा वीजा : अमेरिका ने कहा है कि वह उन विदेशी अधिकारियों को वीजा देने से इनकार कर देगा, जो अमेरिकियों के सोशल मीडिया पोस्ट को ब्लॉक करते हैं, क्योंकि ट्रम्प प्रशासन मुक्त अभिव्यक्ति पर एक नई लड़ाई छेड़ रहा है. मार्को रुबियो - राज्य के सचिव जिन्होंने इजरायल की आलोचना करने वाले कार्यकर्ताओं के वीजा को विवादास्पद रूप से रद्द कर दिया है और विदेशी छात्रों के सोशल मीडिया की स्क्रीनिंग बढ़ा दी है - ने बुधवार को कहा कि वह अमेरिकी टेक फर्मों के खिलाफ विदेशों में ‘घोर सेंसरशिप कार्रवाई’ के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं. रुबियो ने एक्स पर लिखा, "चाहे लैटिन अमेरिका हो, यूरोप हो या कहीं और, अमेरिकियों के अधिकारों को कमजोर करने के लिए काम करने वालों के लिए निष्क्रिय उपचार के दिन खत्म हो गए हैं." उन्होंने कहा, "विदेशी अधिकारियों द्वारा यह मांग करना भी अस्वीकार्य है कि अमेरिकी टेक प्लेटफॉर्म वैश्विक सामग्री मॉडरेशन नीतियों को अपनाएं.
अडानी ने मुंबई और नवी मुंबई हवाई अड्डों के लिए समान शुल्क का प्रस्ताव रखा
‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ की रिपोर्ट है कि गौतम अडानी के नेतृत्व वाली अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स (एएएचएल) ने प्रस्ताव दिया है कि सरकार यात्रियों और एयरलाइनों के लिए शुल्क लगाते समय मुंबई और नवी मुंबई हवाई अड्डों को एक इकाई माने, ताकि शुल्कों में समानता लाई जा सके. इसका उद्देश्य ‘दोनों हवाई अड्डों पर यात्रियों और एयरलाइनों के लिए शुल्कों को एक समान करना है, क्योंकि एनएमआईए के शुल्क अधिक होंगे.” यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब पावर-टू-पोर्ट समूह को कथित तौर पर नए हवाई अड्डे पर परिचालन स्थानांतरित करने पर एयरलाइनों से विरोध का सामना करना पड़ा है.
चलते-चलते
बुद्ध के अवशेष न बेचे जाने चाहिए, न खरीदे
सोथबी की नीलामी कंपनी ने भारत सरकार के कानूनी नोटिस के बाद बुद्ध के अवशेषों की नीलामी स्थगित कर दी. हांगकांग में 7 मई को होने वाली एक विवादास्पद नीलामी को रोक दिया गया है. इस नीलामी में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष बेचे जाने थे, जिसका भारत सरकार ने कड़ा विरोध किया था. ये अवशेष 1898 में गोरखपुर के पास पिपरहवा स्थल से खोदे गए थे. अंग्रेज अधिकारी विलियम पेप्पे ने इन्हें पांच अस्थि कलशों में पाया था. इनमें से एक पर शाक्य वंश का उल्लेख है, जो बुद्ध के पिता के कुल को दर्शाता है. इससे स्पष्ट होता है कि ये स्वयं बुद्ध के अवशेष हैं. भारत सरकार का कहना है कि इन पवित्र अवशेषों को बाजार में बेचना अनैतिक है. यह वैसा ही है जैसे ईसा मसीह या पैगंबर मोहम्मद के शरीर को बेचना. ये अवशेष केवल कलाकृतियां नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था का केंद्र हैं. इससे पहले 1952 में सांची के अवशेष वापस मिले थे और 1939 में लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम से सारिपुत्र और मौद्गल्यायन के अवशेष वापस किए गए थे. दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में भी बुद्ध के अवशेष रखे हैं, जहां भिक्षु और तीर्थयात्री नियमित रूप से प्रार्थना करते हैं. भारत अन्य बौद्ध देशों को भी विशेष विमानों से अवशेष भेजता रहा है. इस घटना से कई जरूरी सवाल उठते हैं, जैसे क्या पवित्र अवशेषों को व्यावसायिक वस्तु बनाया जा सकता है? और औपनिवेशिक काल में ले जाई गई धरोहरों की वापसी कैसे हो? धार्मिक आस्था और व्यावसायिक हितों के बीच संतुलन कैसे बने? भारत का यह कदम भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक मिसाल स्थापित करता है. टाइम्स ऑफ इंडिया में नमन पी आहूजा ने इस पर लेख लिखा है.

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