31/07/2025: ट्रम्प पर मोदी की चुप्पी के बाद भी 25% टैरिफ, जुर्माना | मोदी राज्यसभा नहीं आए | कथित आतंकी वोटर आईडी लेकर आये थे | मणिपुर लोकतंत्र से 6 माह और दूर हुआ | सुनामी का अलार्म मद्धम
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आज की सुर्खियां
‘दोस्त’ ट्रम्प को झूठा न कह पाने के कारण मोदी निशाने पर
मोदी राज्यसभा नहीं आये, शाह ने बातें दुहराई
ऑपरेशन सिंदूर में लावारिस हुए 22 बच्चों का खर्चा राहुल गांधी उठाएंगे
एमपी में रोज़ाना एससी-एसटी की 10 महिलाओं के साथ बलात्कार, दो वर्ष में 558 की हत्या
मुस्लिम परिवार से हिंदू गुंडों ने नागरिकता के सबूत मांगे, बांग्लादेशी कहा, पुलिस मूक बनी रही
बिहार में एसआईआर | 93 पूर्व नौकरशाहों का खुला पत्र, “ यह लोकतंत्र के सामने सबसे बड़े खतरों में से एक”
शहडोल की महिला जज का इस्तीफा
रूस में शक्तिशाली भूकंप के बाद प्रशांत महासागर में सुनामी की चेतावनी, बाद में खतरा टला
ट्रम्प ने लगाया ‘दोस्त’ भारत पर 25% टैरिफ़, जुर्माना अलग से
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच जहाँ एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत चल रही है, वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 अगस्त से भारत पर 25% का टैरिफ़ लगा दिया है. इसके साथ ही उन्होंने भारत की व्यापार नीतियों को "अनुचित" बताते हुए और रूस से सैन्य उपकरण व ऊर्जा खरीदने के लिए एक अतिरिक्त "दंड" लगाने की भी बात कही है, जिसमें उन्होंने यूक्रेन पर मॉस्को के युद्ध का हवाला दिया. यह 25% की टैरिफ़ दर उस 26% दर से थोड़ी कम है जो उन्होंने पहले "लिबरेशन डे" पर भारत पर लगाई थी.
ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "याद रखें, जबकि भारत हमारा दोस्त है, हमने वर्षों से उनके साथ बहुत कम व्यापार किया है क्योंकि उनके टैरिफ़ बहुत ज़्यादा हैं, जो दुनिया में सबसे ज़्यादा हैं, और उनके पास किसी भी देश के मुकाबले सबसे कठोर और घृणित गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाएं हैं." उन्होंने आगे जोड़ा, "साथ ही, उन्होंने हमेशा अपने सैन्य उपकरणों का विशाल बहुमत रूस से खरीदा है, और चीन के साथ रूस की ऊर्जा के सबसे बड़े खरीदार हैं, ऐसे समय में जब हर कोई चाहता है कि रूस यूक्रेन में हत्याएं बंद करे — ये सभी बातें अच्छी नहीं हैं!".
व्हाइट हाउस ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह अतिरिक्त दंड क्या हो सकता है. इससे लगभग 12 घंटे पहले, ट्रम्प ने 'दोस्त' भारत पर 20-25% टैरिफ़ का संकेत दिया था और नई दिल्ली पर अमेरिका से किसी भी अन्य देश की तुलना में "सबसे ज़्यादा टैरिफ़" वसूलने का आरोप लगाया था. उन्होंने इस साल मई में 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में मध्यस्थता करने के अपने दावे को भी दोहराया था. ट्रम्प ने कहा, "मेरी गुजारिश पर उन्होंने पाकिस्तान के साथ युद्ध खत्म किया."
दिलचस्प बात यह है कि ट्रम्प का बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा में दिए गए उस बयान के कुछ ही घंटों बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान किसी भी विश्व नेता ने भारत को पाकिस्तान के खिलाफ अपनी सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए नहीं कहा था. इससे पहले मंगलवार को लोकसभा में बहस खत्म होने के बाद विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा था कि ट्रम्प 29 बार यह दावा कर चुके हैं कि उन्होंने संघर्ष विराम कराया था. गांधी ने कहा, "नरेंद्र मोदी ने साफ तौर पर यह नहीं कहा कि ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं. ट्रम्प 29 बार कह चुके हैं कि उन्होंने संघर्ष विराम कराया, लेकिन नरेंद्र मोदी ने इसका कोई जवाब नहीं दिया."
ट्रम्प की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा के लिए 25 अगस्त को भारत का दौरा करेगा. ब्लूमबर्ग के अनुसार, एक दिन पहले अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने कहा था कि भारत के साथ एक व्यापार समझौते तक पहुंचने के लिए "और अधिक बातचीत" आवश्यक है. लेकिन द न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि अब जब ट्रम्प ने भारत पर टैरिफ़ लगा दिया है, तो दांव और ऊंचे हो गए हैं, खासकर तब जब अमेरिका और भारत चीन के साथ अपनी प्रतिस्पर्धा में एक-दूसरे को अपरिहार्य साझेदार के रूप में देखते हैं.
‘दोस्त’ ट्रम्प को झूठा न कह पाने के कारण मोदी निशाने पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दावे के एक दिन बाद कि किसी भी देश के नेता ने भारत को ऑपरेशन सिंदूर रोकने के लिए नहीं कहा था, कांग्रेस ने बुधवार (30 जुलाई, 2025) को श्री मोदी पर अपना हमला तेज़ कर दिया है. द हिंदू ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस का आरोप है कि प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उन दावों को "स्पष्ट रूप से" नकारने से इनकार कर दिया है, जिसमें ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने का दावा किया था. पार्टी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा "30 बार" युद्ध रोकने का दावा किए जाने के बाद श्री मोदी "बहुत कमजोर विकेट पर हैं और उनके पास छिपाने के लिए बहुत कुछ है".
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, जिन्होंने मंगलवार को प्रधानमंत्री को सदन में यह कहने की चुनौती दी थी कि राष्ट्रपति ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं, ने ज़ोर देकर कहा कि श्री मोदी ऐसा नहीं कर सके. गांधी ने कहा, "यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री यह नहीं कह पा रहे हैं कि ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं. अगर प्रधानमंत्री ऐसा कहते हैं, तो वह (ट्रम्प) खुले तौर पर सच सामने रख देंगे. इसीलिए पीएम कुछ नहीं कह पा रहे हैं."
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प का मुकाबला करने में प्रधानमंत्री की असमर्थता "दाल में कुछ काला है" की ओर इशारा करती है. खड़गे ने कहा, "मोदी-जी ने अपने दो घंटे के भाषण में एक बार भी ट्रम्प का नाम नहीं लिया. मोदी-जी में यह कहने की हिम्मत नहीं है कि 'ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं और हम इस तरह की बकवास बर्दाश्त नहीं करेंगे'." कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी कहा कि प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द "अस्पष्ट" हैं.
सिंदूर पर संसद
मोदी राज्यसभा नहीं आये, शाह ने बातें दुहराई
बुधवार को राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान विपक्ष ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भाषण की शुरुआत में ही रोक दिया और अंततः विपक्षी सदस्य प्रदर्शन करते हुए सदन से बाहर चले गए. विपक्ष के सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति की मांग कर रहे थे, जबकि अमित शाह ने कहा कि यदि वे उत्तर दे सकते हैं तो प्रधानमंत्री की उपस्थिति क्यों जरूरी है?
दरअसल, विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी को सदन में बुलाने की मांग की थी. इस पर अमित शाह ने कहा- विपक्ष पूछ रहा है की पीएम कहां हैं? तो वह इस समय अपने ऑफिस में हैं. जब मेरे से निपट रहा है तो पीएम को क्यों बुला रहे हो? शाह ने कहा, "मेरे से निपट लो." शाह की इस टिप्पणी पर सदन में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस रवैये को उच्च सदन का अपमान बताया और कहा कि पीएम संसद परिसर में होते हुए भी राज्यसभा में नहीं आ रहे हैं. इस तरह सदन और सदस्यों का अपमान करना उचित नहीं है. इतना कहकर विपक्ष के सदस्यों ने सदन से वाकआउट कर दिया.
दरअसल, विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी को सदन में बुलाने की मांग की थी. इस पर अमित शाह ने कहा- विपक्ष पूछ रहा है की पीएम कहां हैं? तो वह इस समय अपने ऑफिस में हैं. पीएम को ज्यादा सुनने का शौक नहीं है. जब मेरे से निपट रहा है तो पीएम को क्यों बुला रहे हो? शाह ने कहा, "मेरे से निपट लो." शाह की इस टिप्पणी पर सदन में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस रवैये को उच्च सदन का अपमान बताया और कहा कि पीएम दिल्ली में होते हुए भी राज्यसभा में नहीं आ रहे हैं. इस तरह सदन और सदस्यों का अपमान करना उचित नहीं है. इतना कहकर विपक्ष के सदस्यों ने सदन से वाकआउट कर दिया.
इसके पहले शाह ने यह भी कहा कि वह विपक्ष के सवालों के जवाब देंगे, लेकिन विपक्ष ने "मोदी बुलाओ" के नारे लगाने शुरू कर दिए. इस पर शाह ने कहा, "मेरे से निपट लो, पीएम आ गए तो और तकलीफ होगी." इसके बाद, शाह ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब उसने कश्मीर के कुछ हिस्से पाकिस्तान को सौंप दिए थे और भाजपा सरकार पाक-नियंत्रित कश्मीर को वापस लेकर आएगी.
उन्होंने यह भी दावा किया कि एक हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता और कांग्रेस पर 2008 मुंबई आतंकवादी हमले के बाद "हिंदू आतंकवाद" शब्द गढ़ने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की प्राथमिकता देश की सुरक्षा नहीं, बल्कि वोट बैंक और मुसलमानों के प्रेम की राजनीति है, जिसकी वजह से आतंकवाद ने भारत में जड़ें जमा लीं और यह फैल गया. विपक्ष के इस मांग पर कि सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका साफ करे, अमित शाह ने दोहराया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' किसी के कहने पर नहीं रुका. गृह मंत्री ने कहा, "मैं गर्व के साथ दुनिया को घोषणा करता हूं कि हिंदू कभी भी आतंकवादी नहीं हो सकते. आतंकवाद समाप्त होने के कगार पर है, यह खत्म हो जाएगा."
कार्टून | पोनप्पा

ऑपरेशन सिंदूर: लावारिस हुए 22 बच्चों का खर्चा राहुल गांधी उठाएंगे
ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री मोदी के लोकसभा में संबोधन के बाद, पहलागाम आतंकी हमले के शिकार शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या द्विवेदी ने निराशा व्यक्त की. उन्होंने कहा, "एक बात जिसने मुझे सबसे ज़्यादा दुखी किया, वह यह थी कि प्रधानमंत्री ने उन 26 लोगों का कोई उल्लेख नहीं किया. प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने उन 26 पीड़ितों का उल्लेख किया और मैं उसके लिए उन्हें धन्यवाद देती हूं." इस बीच, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी इस साल अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद मई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान अपने माता-पिता को खोने वाले लगभग दो दर्जन बच्चों को "गोद" लेंगे. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू और कश्मीर कांग्रेस प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने बताया कि गांधी पुंछ में ऐसे 22 बच्चों का शैक्षिक खर्च वहन करेंगे. इन बच्चों ने या तो अपने दोनों माता-पिता या परिवार के एकमात्र कमाने वाले को पाकिस्तानी गोलाबारी में खो दिया था. कर्रा ने कहा, "यह सहायता इन बच्चों के स्नातक होने तक जारी रहेगी."
पाकिस्तानी वोटर आईडी और चॉकलेट रैपर लेकर घूमते कथित आतंकवादी मार गिराए
सेना ने आज पुंछ में नियंत्रण रेखा पार करने की कोशिश कर रहे दो आतंकवादियों का पता चलने पर 'ऑपरेशन शिवशक्ति' शुरू किया और उन्हें मार गिराया. जम्मू स्थित व्हाइट नाइट कॉर्प्स ने यह घोषणा की. पहलगाम हमले के बाद के दिनों में सुरक्षा बलों द्वारा विफल किया गया यह तीसरा अवैध घुसपैठ का प्रयास है. इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा को सूचित किया कि सोमवार को 'ऑपरेशन महादेव' में तीन पहलागाम आतंकवादी - सुलेमान, अफगान, और जिबरान - मारे गए. उन्होंने एक असाधारण दावा करते हुए खुलासा किया कि केंद्र ने आतंकवादियों के पाकिस्तानी मूल की पुष्टि करने वाले ठोस सबूत इकट्ठे किए हैं, जिसमें उनके शवों से पाकिस्तानी वोटर आईडी नंबर और पाकिस्तान में बने चॉकलेट के रैपर मिलना शामिल है.
हालांकि, पत्रकार प्रवीण स्वामी एक रियलिटी चेक प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि पाकिस्तान वोटर आईडी कार्ड जारी नहीं करता है. वहां सभी आधिकारिक पहचान उद्देश्यों के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण (NADRA) द्वारा जारी चिप और बायोमेट्रिक डेटा वाले पहचान पत्रों का उपयोग किया जाता है.
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन 6 माह और
मणिपुर में चुनी हुई सरकार के गठन का रास्ता अभी भी कठिन है, लिहाजा लोकसभा ने बुधवार (30 जुलाई, 2025) को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को 13 अगस्त के बाद छह महीने और बढ़ाने को मंजूरी दी गई है. हालांकि, सरकार ने दावा किया कि पूर्वोत्तर के इस राज्य में शांति कायम है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, "मणिपुर में शांति लौटने का इससे बड़ा कोई प्रमाण नहीं हो सकता कि राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद केवल एक मौत हुई है और पिछले चार महीनों में कोई हताहत नहीं हुआ है." राय ने कहा कि आरक्षण से संबंधित हाईकोर्ट के एक फैसले को लेकर राज्य में 2023 में हिंसा फैली थी और वह हिंसा जातीय थी. उन्होंने कहा कि दो धर्मों के लोगों के बीच कोई संघर्ष नहीं हुआ और न अभी हो रहा है. राय ने इस बात पर जोर दिया कि शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए राष्ट्रपति शासन जरूरी है. उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था नियंत्रण में है और सुलह व संवाद की प्रक्रिया जारी है.
मध्यप्रदेश महिला अपराध
एमपी में रोज़ाना एससी-एसटी की 10 महिलाओं के साथ बलात्कार, दो वर्ष में 558 की हत्या
मध्यप्रदेश में डबल इंजन की सरकार दलित और आदिवासी महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों पर काबू नहीं कर पा रही है. अपराधियों में डर भय नहीं है. राज्य सरकार ने विधानसभा में जो जानकारी दी है, उससे चौंकाने वाली असलियत का पता लगता है. सरकार ने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के सवाल के जवाब में बताया कि 2022 से 2024 में दो वर्ष के बीच अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की 7,418 महिलाओं के साथ बलात्कार, 558 की हत्या और 338 के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले दर्ज किए गए. इस हिसाब से इन दोनों वर्गों की औसतन 10 महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले रोजाना दर्ज किये जा रहे हैं.
जानकारी के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में औसतन प्रतिदिन कम से कम सात एससी-एसटी महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ. महत्वपूर्ण बात यह है कि मध्यप्रदेश की कुल आबादी का लगभग 38% इन दोनों वंचित वर्गों से है. एससी लगभग 16% और एसटी लगभग 22%.
2022 से 2024 के बीच 558 एससी-एसटी महिलाओं की हत्या भी हुई, जिनमें से 411 जनजातीय महिलाएं थीं और 147 अनुसूचित जाति से थीं. इसी अवधि में इन दोनों समुदायों की 338 महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ; इनमें 186 पीड़ित एसटी और 152 एससी समुदाय से थीं.
एक तय अवधि के दौरान कुल 5,983 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के साथ कथित रूप से छेड़छाड़ की गई, जो औसतन हर दिन पांच छेड़छाड़ के मामलों के बराबर है. इनमें से 3,367 पीड़ित महिलाएं दलित थीं, जबकि 2,616 पीड़ित महिलाएं आदिवासी थीं.
आंकड़ों से पता चलता है कि जहां आदिवासी महिलाएं बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और हत्या जैसे हिंसक और यौन अपराधों के लिए अपेक्षाकृत अधिक असुरक्षित थीं, वहीं दलित महिलाओं के लिए घरेलू हिंसा और छेड़छाड़ का खतरा ज्यादा था.
एससी/एसटी महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के 1,906 मामलों में, 1,352 पीड़ित महिलाएं अनुसूचित जाति से और 554 अनुसूचित जनजाति से थीं. इसका अर्थ है कि तीन साल की अवधि में औसतन हर दिन दो एससी/एसटी महिलाओं को घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मध्यप्रदेश में तीन साल के दौरान एससी/एसटी महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 44,978 मामले दर्ज किए गए, जो औसतन हर दिन ऐसे 41 मामलों का संकेत देते हैं. ये चौंकाने वाले आंकड़े राज्य में हाशिए पर रहने वाले समुदायों की महिलाओं की असुरक्षा और उनकी सुरक्षा एवं न्याय सुनिश्चित करने के लिए तत्काल प्रयत्नों की आवश्यकता को पुनः उजागर करते हैं.
मुस्लिम परिवार से हिंदू गुंडों ने नागरिकता के सबूत मांगे, बांग्लादेशी कहा, पुलिस मूक बनी रही
कारगिल युद्ध के पूर्व सैनिक के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि पुणे के चंदननगर इलाके में करीब 80 लोगों के एक हिंदुत्व समूह ने उनके घर में घुसपैठ की और उनकी भारतीय नागरिकता का सबूत मांगा. उन पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाया. परिवार का दावा है कि उस समय वहां कुछ पुलिसकर्मी सादी वर्दी में भी मौजूद थे, लेकिन वे मूकदर्शक बने रहे.
"द न्यू इंडियन एक्सप्रेस" के अनुसार, “इरशाद शेख (48) ने कहा कि उनके बड़े भाई हकीमुद्दीन शेख, जो इस समय उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ में रहते हैं, भारतीय सेना में सेवा कर चुके हैं और कारगिल युद्ध में भाग ले चुके हैं. वे वर्ष 2000 में इंजीनियर्स रेजीमेंट से हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए. इरशाद ने कहा, "मेरे बड़े भाई उत्तर प्रदेश में रहते हैं, मैं, मेरे दो भाई और उनके बच्चे पिछले कई दशकों से पुणे के चंदननगर इलाके में रह रहे हैं." शनिवार आधी रात के आसपास, लगभग 80 लोग अचानक उनके घर आकर दरवाजे को पीटने लगे. जब परिवार ने दरवाजा खोला, तो उनमें से कुछ लोग अंदर घुस आए और परिवार के सदस्यों के आधार कार्ड की मांग करने लगे. जब उन्होंने दस्तावेज दिखाए, तो समूह ने उन्हें फर्जी बताया और महिलाओं और बच्चों से आधार कार्ड दिखाने को कहा. शेख का आरोप है कि वे यह समझाने की कोशिश करते रहे कि उनका परिवार पिछले 60 सालों से यहां रह रहा है और उनके अलावा उनके दो चाचा भी सेना में सेवा कर चुके हैं. "लेकिन समूह के सदस्य सुनने के लिए तैयार नहीं थे. उन्होंने गाली-गलौज की और हमें बांग्लादेशी बताया. मैंने उन्हें कहा कि अगर वे जांच करना चाहते हैं तो जरूर करें, लेकिन किसी के घर में जबरन घुसना, गाली देना और बच्चों को आधी रात दस्तावेज दिखाने के लिए मजबूर करना उचित नहीं था," उन्होंने कहा.
शेख ने दावा किया कि जब हिंदुत्व कार्यकर्ताओं का एक समूह 'जय श्री राम' के नारे लगाने लगा और परिवार के सदस्यों को थाने लेकर आने के लिए मजबूर करने की कोशिश की, तब उनके साथ आए दो व्यक्तियों ने खुद को पुलिसकर्मी बताया. पूरी घटना के दौरान ये दोनों सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी चुपचाप खड़े रहे और कुछ भी नहीं किया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब वे चंडननगर पुलिस थाने पहुंचे, तो महिला पुलिस निरीक्षक ने उनके दस्तावेज ले लिए और बाहर इंतजार करने को कहा.
"दो घंटे तक इंतजार करवाने के बाद अधिकारी ने हमें अगले दिन फिर आने को कहा और चेतावनी दी कि अगर हम नहीं आए तो हमें बांग्लादेशी घोषित कर दिया जाएगा," शेख ने कहा. उन्होंने कहा कि वे अगले दिन फिर से थाने गए, जहां उन्हें कहा गया कि इस घटना को मुद्दा न बनाएं और कोई शिकायत न करें. पुलिस अब दबाव बनाने की कोशिश कर रही है और दिखाना चाहती है कि कोई भी हमारे घर में घुसा नहीं, शेख ने बताया. यदि दस्तावेजों में गलतियां होतीं तो पुलिस कड़ी कार्रवाई करती, लेकिन चूंकि सभी दस्तावेज असली हैं, इसलिए वे अब उन्हें चुप रहने को कह रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे 400 वर्ष पहले से अपने भारतीय नागरिक होने का प्रमाण दे सकते हैं. परिवार के कई सदस्यों ने भारतीय सेना में सेवा दी है. उनके एक चाचा 1971 के युद्ध में घायल हुए थे और बहादुरी के लिए सम्मानित हुए. दूसरे चाचा 1965 के हिंदुस्तान-पाकिस्तान युद्ध में अब्दुल हमीद के साथ लड़े थे.
पुलिस ने कहा है कि घर में बड़ी संख्या में लोगों के घुसने की कोई घटना नहीं हुई. कुछ पुलिसकर्मी केवल दस्तावेज जांचने गए थे और रात होने के कारण महिलाओं को नहीं ले जाया गया था, केवल कुछ पुरुष सदस्य पुलिस के साथ गए थे. किसी भी दस्तावेज में तर्कसंगत उल्लंघन नहीं पाया गया. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक सम्मेलन के अध्यक्ष राहुल डांबले ने कहा कि हिंदुत्ववादी संगठनों के सदस्य परिवार को डराने की कोशिश कर रहे थे.
बिहार में एसआईआर
93 पूर्व नौकरशाहों का खुला पत्र, “ यह लोकतंत्र के सामने सबसे बड़े खतरों में से एक”
चुनाव आयोग नियम और प्रथाओं को उलट रहा है, ताकि चुनाव आयोग पर यह साबित करने का बोझ न रहे कि उन्होंने किसी को झूठी नागरिकता के आधार पर बाहर क्यों किया, बल्कि यह बोझ वोटर पर आ जाए कि वह अपनी नागरिकता साबित करे. बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किये जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध करते हुए 93 पूर्व नौकरशाहों ने खुले पत्र में यह लिखा है.
पूर्व नौकरशासकों ने चुनाव आयोग के इस कदम को लोकतंत्र पर हमला करार दिया है, जिसका परिणाम बड़ी संख्या में मतदाताओं को मतदान से वंचित करने में होगा, जिनमें से अधिकांश के पास नागरिकता का प्रमाण देने के लिए दस्तावेज नहीं होते.
सेवानिवृत्त अधिकारी तीनों अखिल भारतीय सेवाओं और विभिन्न केंद्रीय सरकारी सेवाओं से हैं. उन्होंने लिखा कि बिहार में मतदाता सूचियों की "निष्फल" एसआईआर जारी रखना और इस प्रक्रिया का देश के बाकी हिस्सों तक विस्तार करना "भारतीय लोकतंत्र के सामने सबसे बड़े खतरों में से एक है."
पत्र में कहा गया: "हम यह व्यक्त करने के लिए लिख रहे हैं कि हमारे लोकतंत्र की बुनियादों पर, जो सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की प्रणाली है — यानी नागरिकों के मतदान के अधिकार पर— एक हमला प्रतीत हो रहा है.
"यह एक छुपा हुआ हमला है, जहां मतदाता सूचियों को साफ़-सुथरा करने और शुद्ध करने का कथित प्रयास अंततः मतदान करने वाले बड़ी संख्या में लोगों को, विशेष रूप से गरीब और हाशिए पर रह चुके लोगों को, जो अपनी नागरिकता के प्रमाण के रूप में आधिकारिक दस्तावेज़ नहीं रखते, मतदान से वंचित कर सकता है,” उन्होंने आगे कहा.
"अब तक मतदाता सूचियों की तैयारी में नागरिकता के दस्तावेजों की पुष्टि के लिए उदार और लचीला दृष्टिकोण अपनाया जाता रहा है, यह जानते हुए कि अधिकांश भारतीयों के पास अपनी नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेज या प्रमाणपत्र नहीं होते,”उन्होंने तर्क दिया.
यशवंत वर्मा केस में सुप्रीम कोर्ट : सीजेआई केवल डाकघर नहीं
जस्टिस यशवंत वर्मा केस में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीजेआई केवल एक डाकघर (पोस्ट ऑफिस) नहीं हैं, उनके पास ऐसे मामले में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को कदाचार से संबंधित सामग्री भेजने का दायित्व है. इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने मुख्य न्यायाधीश द्वारा उनके खिलाफ आदेशित इन-हाउस जांच को चुनौती दी थी, जो उनके दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास से नकदी मिलने के आरोपों से जुड़ी थी. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी बताया कि 1985 के जजेस (प्रोटेक्शन) एक्ट की धारा 3(2) उन्हें इस तरह की जांच का आदेश देने का अधिकार देती है, ताकि संस्था की अखंडता बनी रहे. जस्टिस दीपंकर दत्ता, जो दो जजों की बेंच के प्रमुख हैं और जिन्होंने जस्टिस वर्मा की याचिका सुनी, ने इस अधिनियम की धारा 3(2) की ओर इशारा किया कि इस अधिनियम की उप-धारा (1) केंद्रीय या राज्य सरकार, सुप्रीम कोर्ट, किसी उच्च न्यायालय या अन्य प्राधिकारियों की शक्तियों को प्रभावित नहीं करती, जो किसी व्यक्ति के खिलाफ (नागरिक, आपराधिक, विभागीय या अन्य प्रकार से) कार्रवाई कर सकती हैं जो वर्तमान या पूर्व में न्यायाधीश था.
शिपिंग और तेल व्यापार पर प्रतिबंधों का असर
निधि वर्मा और मोही नारायण ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि सेवन आइलैंड्स शिपिंग और ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग ने नायरा एनर्जी से अपने अनुबंधों से तीन जहाजों को मुक्त करने के लिए कहा है. यह कदम नायरा एनर्जी, जो कि बहुमत में रूसी स्वामित्व वाली फर्म है, के खिलाफ यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के आलोक में उठाया गया है. इस बीच, हिंदुस्तान पेट्रोलियम के स्वामित्व वाला एक टैंकर, जिसे कल नायरा से तेल लेना था, उसे प्रतिबंधों पर चिंताओं के कारण मैंगलोर की ओर मोड़ दिया गया. योंगचांग चिन की रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रतिबंधों ने भारतीय रिफाइनरियों को अज़रबैजान और नाइजीरिया सहित अन्य स्थानों से कच्चा तेल खोजने के लिए भी प्रेरित किया है, हालांकि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि उन्होंने रूसी आपूर्ति से पूरी तरह किनारा कर लिया है.
विमानन क्षेत्र में संकट: एयर इंडिया में खामियां और डीजीसीए में कर्मचारियों की कमी
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने इस महीने एयर इंडिया के संचालन के अपने ऑडिट में 51 खामियों की पहचान की. आदित्य कालरा और अभिजीत गणपतिवरम की रिपोर्ट के अनुसार, इन खामियों में अपर्याप्त प्रशिक्षण, कुछ हवाई अड्डों के आसपास उड़ान के लिए घटिया सिमुलेटर का उपयोग और रोस्टरिंग प्रणाली से संबंधित मुद्दे शामिल थे. एयर इंडिया ने कहा है कि वह ऑडिट प्रक्रिया में "पूरी तरह से पारदर्शी" थी. हालांकि, डीजीसीए के भीतर भी सब ठीक नहीं है. कुणाल पुरोहित द्वारा दायर एक आरटीआई के जवाब से पता चलता है कि नियामक के एयरवर्थनेस निदेशालय में 61% पद खाली हैं, जिसका काम यह जांचना है कि विमान उड़ान भरने के लिए सुरक्षित हैं या नहीं. वहीं पूरे डीजीसीए में 43% पद खाली हैं.
भारत ने चीन से रिकॉर्ड मात्रा में सोया तेल खरीदा
एक दुर्लभ कदम उठाते हुए, भारतीय आयातकों ने चीन से रिकॉर्ड 150,000 मीट्रिक टन सोया तेल खरीदा है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव इसलिए आया है क्योंकि चीनी सोयाबीन क्रशर अतिरिक्त आपूर्ति के कारण रियायती दरों की पेशकश कर रहे हैं, जिससे चीनी सोया तेल दक्षिण अमेरिका के सामान्य आपूर्तिकर्ताओं की तुलना में अधिक आकर्षक हो गया है. रिपोर्ट के अनुसार, चीनी विक्रेताओं ने दक्षिण अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं की तुलना में 15 से 20 डॉलर प्रति टन की छूट पर तेल की पेशकश की.
"न्याय ने रास्ता खो दिया": शहडोल की महिला जज का इस्तीफा
कथित तौर पर लगातार उत्पीड़न और न्यायपालिका की निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए, शहडोल की सिविल जज अदिति कुमार शर्मा ने सोमवार को अपने कर्तव्यों से इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा आरोपी जिला जज के मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में पदोन्नत होने के कुछ ही घंटों बाद आया. शर्मा ने एक कड़े शब्दों में लिखे पत्र में कहा, "मैं अपनी नैतिक शक्ति और भावनात्मक थकावट के हर औंस के साथ न्यायिक सेवा से इस्तीफा देती हूं, इसलिए नहीं कि मैंने न्याय में विश्वास खो दिया, बल्कि इसलिए कि न्याय ने उस संस्था के भीतर अपना रास्ता खो दिया है जिसकी रक्षा करने की उसने शपथ ली थी."
व्हाट्सएप इमोजी पर प्रतिक्रिया देना पड़ा महंगा, बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे की एक महिला के खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट (FIR) को रद्द करने से इनकार कर दिया. महिला पर अपने हाउसिंग सोसाइटी के व्हाट्सएप ग्रुप में ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा करने वाले एक संदेश पर कथित रूप से हंसने वाले इमोजी के साथ प्रतिक्रिया देने का आरोप है. जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस राजेश पाटिल की पीठ ने फराह दीबा द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनके कार्यों के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है, जिसमें कथित तौर पर एक व्हाट्सएप स्टेटस पोस्ट करना भी शामिल था जिसे मोदी और भारतीय ध्वज के लिए अपमानजनक माना गया.
प्रख्यात अर्थशास्त्री लॉर्ड मेघनाद देसाई का निधन
गुजरात में जन्मे सांसद और विचारक, प्रख्यात अर्थशास्त्री, पद्म भूषण पुरस्कार विजेता और यूनाइटेड किंगडम के हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य लॉर्ड मेघनाद देसाई का 85 वर्ष की आयु में गुरुग्राम के एक अस्पताल में निधन हो गया. उनका एक शानदार शिक्षण करियर भी रहा, जिसमें 1965 से 2003 के बीच लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में लेक्चरर के रूप में कार्य करना शामिल है.
ओवल में भिड़े गौतम गंभीर, ग्राउंड्समैन से हुई तीखी बहस
इंग्लैंड-भारत टेस्ट सीरीज़ में लगातार देखी जा रही गरमा-गरमी मंगलवार को अभ्यास सत्र के दौरान भी देखने को मिली. जब मेहमान टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर की सरे के हेड ग्राउंड्समैन ली फोर्टिस से झड़प हो गई. यह घटना तब हुई जब भारतीय टीम ओवल में गुरुवार से शुरू होने वाले सीरीज़ के आखिरी टेस्ट की तैयारी कर रही थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, फोर्टिस इस बात से नाराज़ थे कि भारतीय टीम मुख्य स्क्वायर के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल कर रही थी, जिस पर उन्हें कहा गया कि "आप हमें नहीं बता सकते कि क्या करना है". भारत के बल्लेबाज़ी कोच सितांशु कोटक ने कथित तौर पर हेड ग्राउंड्समैन पर "थोड़ा अहंकारी" होने और भारतीय स्टाफ के सदस्यों पर चिल्लाने का आरोप लगाया. कैमरे में भारत के लिए 58 टेस्ट खेल चुके गंभीर को फोर्टिस की ओर उंगली उठाकर यह कहते हुए देखा गया: "तुम हमें नहीं बता सकते कि क्या करना है. तुम सिर्फ एक ग्राउंड्समैन हो, उससे ज़्यादा कुछ नहीं".
रुपया चार महीने के निचले स्तर पर, डॉलर के मुकाबले 87.44 पर पहुंचा
हालिया नुकसान के बाद भारतीय रुपये में कमज़ोरी का रुख बना हुआ है. पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 23 पैसे गिरकर 86.91 प्रति अमेरिकी डॉलर पर बंद हुआ. इस गिरावट के साथ, भारतीय मुद्रा लगभग चार महीने के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 97.50 पर स्थिर बना हुआ है.
'जींस जिहाद': पश्चिमी दिल्ली में मुस्लिम संचालित जींस उद्योग बना निशाना
अनंत गुप्ता की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा पश्चिमी दिल्ली के ख्याला में मुख्य रूप से मुस्लिम संचालित जींस उद्योग से अवैध कारोबार खत्म करने के लिए अभियान चला रहे हैं. इसके साथ ही वे बिना किसी सबूत के यह भी दावा कर रहे हैं कि यह इलाका अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं का केंद्र है. इसी बीच एक कॉन्सपिरेसी थ्योरी भी सामने आई है जिसमें दावा किया जा रहा है कि यहां के मुसलमान 'जींस जिहाद' कर रहे हैं, जिसके तहत वे कथित तौर पर हिंदुओं और सिखों को बाहर करने के लिए मजबूर कर रहे हैं. अब अवैध प्रतिष्ठानों को सील करने की इस मुहिम के परिणामस्वरूप, ख्याला का जींस उद्योग ठप पड़ गया है.
रूस में शक्तिशाली भूकंप के बाद प्रशांत महासागर में सुनामी की चेतावनी, बाद में खतरा टला
रूस के सुदूर पूर्व में दुनिया के सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक के आने के बाद प्रशांत महासागर के अधिकांश हिस्सों में सुनामी की चेतावनियों को कम कर दिया गया है. 8.8 तीव्रता का यह भूकंप बुधवार को कामचटका प्रायद्वीप के पास आया, जिसके बाद रूस, जापान और अमेरिकी राज्य हवाई सहित कई क्षेत्रों में सुनामी की चेतावनी जारी की गई और 20 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का आदेश दिया गया.
विभिन्न एजेंसी रिपोर्टों के अनुसार, भूकंप की भारी तीव्रता के बावजूद, किसी बड़े नुकसान या चोट की कोई खबर नहीं है. हवाई में, ओहू में 1.2 मीटर और माउ में 1.7 मीटर तक की लहरें टकराईं. हालांकि, कुछ घंटों बाद चेतावनी का स्तर घटा दिया गया. अमेरिका के पश्चिमी तट पर उत्तरी कैलिफोर्निया के क्रिसेंट सिटी में 1.09 मीटर तक की लहरें दर्ज की गईं. रूस में, जहां भूकंप का केंद्र था, सेवेरो-कुरिल्स्क जैसे इलाकों में 5 मीटर तक की लहरें उठीं और बाद में कामचटका में एक ज्वालामुखी, क्लुचेवस्कॉय, में भी विस्फोट शुरू हो गया.
जापान में, लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया, लेकिन बाद में चेतावनी का स्तर घटा दिया गया. फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के संचालक ने कहा कि वहां कोई "असामान्यता" नहीं पाई गई, जिसे 2011 में एक विनाशकारी भूकंप और सुनामी का सामना करना पड़ा था.
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