31/12/2025: एसआईआर मौतों को चुनाव आयोग ने खारिज किया | प्रार्थना का अपराधीकरण | कश्मीर से लेकर केरल तक हेट क्राइम | चीन ताइवान को हड़पने को तैयार | जेलेंस्की का मोदी पर आरोप | मेयर ममदानी
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा.
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल, फ़लक अफ़शां
आज की सुर्खियां
चुनाव आयोग ने एसआईआर मौतों की शिकायतों को ‘साजिश’ बताकर खारिज किया; टीएमसी का आरोप—सीईसी ने आपा खोया.
इंदौर में दूषित पानी पीने से 7 लोगों की मौत, 100 से ज्यादा अस्पताल में भर्ती.
नागपुर में पादरी की गिरफ्तारी पर भड़के केरल सीएम; कहा—यह संघ परिवार का एजेंडा.
ज़ेलेंस्की का तंज: यूक्रेन के राष्ट्रपति ने भारत पर लगाया दोहरे मापदंड का आरोप; कहा—हमारे बच्चों की मौत पर चुप क्यों?
चीन का दावा खारिज: भारत ने कहा—चीन ने कभी नहीं की भारत-पाक के बीच मध्यस्थता, दावा निराधार.
गिग वर्कर्स की हड़ताल: न्यू ईयर ईव पर ज़ोमैटो-स्विगी राइडर्स की हड़ताल; कंपनियों ने बढ़ाई प्रोत्साहन राशि.
नशे पर रोक: सरकार ने निमेसुलाइड और कफ सिरप की बिक्री पर लगाए कड़े प्रतिबंध.
हिमाचल में भांग: हिमाचल सरकार जल्द करेगी भांग की खेती को वैध; 2000 करोड़ की कमाई का लक्ष्य.
अमेरिकी राजनीति: भारतीय मूल के जोहरान ममदानी बनेंगे न्यूयॉर्क के सबसे युवा मेयर.
चुनाव आयोग ने बंगाल में एसआईआर मौतों की शिकायतों को ‘साजिश’ बताकर खारिज किया;
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग (ईसी) और सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया है. चुनाव आयोग ने मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार और बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज अग्रवाल के खिलाफ दर्ज की गई पुलिस शिकायतों को सिरे से खारिज कर दिया है. ये शिकायतें उन बुजुर्ग मतदाताओं की मौत के बाद दर्ज कराई गई थीं, जिन्हें एसआईआर प्रक्रिया के तहत सुनवाई के नोटिस मिले थे और कथित तौर पर मानसिक तनाव के कारण उनकी मृत्यु हो गई.
टेलीग्राफ इंडिया और न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट्स के अनुसार, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को “पूर्व नियोजित” और “निराधार” करार दिया है. आयोग का कहना है कि यह चुनाव अधिकारियों को डराने और चुनावी मशीनरी को झुकाने का एक प्रयास है. बंगाल के सीईओ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर लिखा, “कानून का राज और सच्चाई की जीत होगी. इन मनगढ़ंत शिकायतों के पीछे की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी.” पुरुलिया और हावड़ा में मृतकों के परिजनों ने आरोप लगाया था कि उनके बुज़ुर्ग परिजन मतदाता सूची से नाम कटने के डर और नोटिस मिलने के कारण भारी तनाव में थे, जिसके चलते उनकी जान गई.
हरकारा टीम की तरफ से आप सबको नया साल मुबारक. उम्मीद है हमारी जिंदगियों और दुनिया में शोर कम हो, रौशनी ज्यादा हो.
टीएमसी ने कहा- सीईसी ने आपा खोया
दूसरी ओर, टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने चुनाव आयोग के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद आयोग पर गंभीर आरोप लगाए. बनर्जी ने दावा किया कि जब उन्होंने 58 लाख नामों को हटाने और 1.36 करोड़ मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाने पर सवाल उठाए, तो मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) अपना आपा खो बैठे. अभिषेक ने कहा, “जब हमने बात करना शुरू किया, तो वे (सीईसी) गुस्सा हो गए... मैंने कहा कि आप मनोनीत हैं और मैं निर्वाचित हूं. अगर उनमें हिम्मत है तो वे बैठक की फुटेज जारी करें.”
अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि बंगाल को बदनाम करने के लिए “घुसपैठ का हवा” बनाया जा रहा है. उन्होंने आयोग को चुनौती दी कि वे ड्राफ्ट रोल से हटाए गए 58 लाख नामों में से बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की सूची सार्वजनिक करें. टीएमसी नेता ने यह भी दावा किया कि “निर्वाचन सदन में बैठा कोई व्यक्ति ऊपर के निर्देशों पर काम कर रहा है और सॉफ्टवेयर की मदद से नाम हटा रहा है.” उन्होंने कहा कि “वोट चोरी” अब ईवीएम के जरिए नहीं, बल्कि मतदाता सूची में एल्गोरिदम और सॉफ्टवेयर का उपयोग करके की जा रही है. टीएमसी ने चेतावनी दी है कि यदि अंतिम मतदाता सूची में विसंगतियां पाई गईं, तो वे कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.
हेट क्राइम
प्रार्थना का अपराधीकरण: नागपुर में केरल के पादरी और पत्नी गिरफ्तार
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने महाराष्ट्र के नागपुर में एक मलयाली ईसाई पादरी और उनकी पत्नी की गैर-जमानती धाराओं के तहत गिरफ्तारी की कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने इसे “अत्यधिक परेशान करने वाला” बताया और कहा कि यह “ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के लिए संघ परिवार द्वारा अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के चिंताजनक पैटर्न” का हिस्सा है.
“मकतूब मीडिया” के अनुसार, यह मामला तिरुवनंतपुरम के अमरविला के निवासी और नागपुर मिशन के पादरी सुधीर और उनकी पत्नी जैस्मिन के खिलाफ दर्ज किया गया है. पुलिस ने मंगलवार रात एक क्रिसमस प्रार्थना सभा के दौरान स्थानीय पादरियों सहित छह सदस्यीय समूह को गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी आधी रात के आसपास हुई और आरोपियों से रात भर पूछताछ की गई. रिपोर्टों के अनुसार, पुलिस ने उन चार लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है जो हिरासत में लिए गए लोगों के बारे में पूछताछ करने पहुंचे थे, जिससे इस मामले में कुल आरोपियों की संख्या 12 हो गई है. स्थानीय पादरियों के साथ-साथ प्रार्थना सभा आयोजित करने वाले घर के मालिक और उसकी पत्नी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है.
पिनाराई विजयन ने चेतावनी दी कि जबलपुर जैसी घटनाओं के बाद अब नागपुर में ऐसी कार्रवाइयां संवैधानिक स्वतंत्रता को कमजोर करती हैं. गौरतलब है कि नवंबर में केरल के एक अन्य सीएसआई पादरी, फादर जी. गॉडविन को भी जबलपुर में इसी तरह के आरोपों का सामना करना पड़ा था, जिन्हें बाद में जमानत मिल गई थी. इस बीच, सीएसआई बिशप काउंसिल ने पादरी की गिरफ्तारी को “अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण” बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है.
ईसाइयों पर हमले; मोदी की चुप्पी पर कड़ा रुख
सीरो-मालाबार कैथोलिक चर्च ने अपने मलयालम मुखपत्र ‘दीपिका’ के संपादकीय में कहा है कि ‘अवैध धर्मांतरण’ के आरोप अक्सर ईसाइयों पर हमलों को प्रेरित करते हैं, जबकि “हिंदुत्व-प्रेरित धर्मांतरण, जिन्हें ‘घर वापसी’ जैसे प्यारे उपनाम से पुकारा जाता है, उनके संचालन में कोई बाधा नहीं आती है.” अनीसा पी.ए. की रिपोर्ट के मुताबिक, चर्च ने ईसाइयों पर हाल ही में हुए हमलों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर भी कड़ा रुख अपनाया है. लेख में आरोप लगाया गया है कि इस क्रिसमस पर दिल्ली के एक कैथेड्रल में उनकी यात्रा का उद्देश्य विदेशी दर्शकों को प्रभावित करना था, “अन्यथा, वे इन हमलों की निंदा करते या उनके खिलाफ कड़ा रुख अपनाते.”
बरेली में हनुमान चालीसा का पाठ और विवाद
आकांक्षा कुमार की रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने ईसाइयों को निशाना बनाने वाला सबसे शुरुआती प्रदर्शन उत्तर प्रदेश के बरेली में हुआ. यहाँ बजरंग दल के सदस्यों ने चर्च परिसर के एक स्कूल में आयोजित नाटकों की सामग्री को लेकर स्थानीय चर्च के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ किया.
बजरंग दल के एक स्थानीय पदाधिकारी ने पुलिस को दी गई शिकायत में आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम ने ‘धर्मांतरण को बढ़ावा’ दिया. हिंदुत्व कार्यकर्ताओं की मुख्य शिकायत नाटक के उन हिस्सों से थी, जो उनके अनुसार, “अन्य धर्मों की महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को नहीं दिखाते हैं, और केवल हिंदू समुदाय के बीच ऐसी घटनाओं को उजागर करते हैं.”
उत्तरप्रदेश: पादरी सहित तीन गिरफ्तार; चर्च के बाहर बजरंग दल का प्रदर्शन
“द इंडियन एक्सप्रेस” के अनुसार, उत्तरप्रदेश के फतेहपुर में पुलिस ने हाल ही में अवैध धर्मांतरण के आरोप में एक पादरी और उनके बेटे सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. रविवार को बजरंग दल के सदस्य चर्च के बाहर एकत्र हुए और आरोप लगाया कि कई हिंदू महिलाओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के उद्देश्य से वहां ‘लुभाया’ गया था. इस मामले में एक स्थानीय व्यक्ति की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई और धर्मांतरण के बदले लोगों को पैसा, काम और मुफ्त शिक्षा की पेशकश की गई.
कश्मीरी शॉल विक्रेता के साथ मारपीट, ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ बोलने को कहा
उत्तर भारत के कुछ राज्यों में कश्मीरी शॉल विक्रेताओं और व्यापारियों को लगातार कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. उन पर उत्पीड़न और हमले की घटनाएं बढ़ गई हैं, साथ ही उन्हें उनके कार्यस्थलों को छोड़ने के लिए भी मजबूर किया जा रहा है. ताजा मामला हरियाणा के फतेहाबाद इलाके से सामने आया है.
जेएंडके स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने एक बयान में कहा, “हरियाणा के फतेहाबाद में गर्म कपड़े बेचने वाले एक कश्मीरी युवक को एक दक्षिणपंथी तत्व ने घेर लिया. उसने कश्मीरी विक्रेता का कॉलर पकड़ रखा था और उसे ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाने के लिए मजबूर कर रहा था. जब युवक ने मना किया, तो उसे धमकाया गया, गर्दन से पकड़ा गया, उसका गला घोंटा गया और उसके साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया.”
एसोसिएशन ने एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें कथित तौर पर कश्मीरी विक्रेता के साथ उत्पीड़न होते देखा जा सकता है. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “”एक और निर्दोष कश्मीरी व्यक्ति को केवल इसलिए अपमानित और पीटा जा रहा है, क्योंकि उसने वंदे मातरम बोलने से इनकार कर दिया. मुझे आश्चर्य है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री और पुलिस इसे इतनी बेखौफ छूट के साथ होने दे रहे हैं. आप हमें वंदे मातरम या जय श्री राम बोलने के लिए मजबूर नहीं कर सकते.”
फ़ैयाज़ वानी की रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में, हिमाचल प्रदेश में 25-30 वर्षों से काम कर रहे कश्मीरी शॉल विक्रेताओं के एक समूह ने भी आरोप लगाया कि उन्हें बार-बार निशाना बनाया जा रहा है, डराया जा रहा है और अपना व्यवसाय बंद करने के लिए कहा जा रहा है, जो उनकी आजीविका का मुख्य साधन है. पिछले कुछ महीनों में हिमाचल प्रदेश में कश्मीरी विक्रेताओं के साथ उत्पीड़न की यह 17वीं कथित घटना थी.
जेएंडके स्टूडेंट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयोजक नासिर खुहामी के अनुसार, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड सहित कई उत्तर भारतीय राज्यों में कश्मीरी व्यापारियों के खिलाफ “आतंक का माहौल” बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, “मात्र दस दिनों में डराने-धमकाने, उत्पीड़न और हिंसा की एक दर्जन से अधिक घटनाएं हुई हैं. यह कोई इक्का-दुक्का मामला नहीं है, बल्कि लक्षित उत्पीड़न का एक व्यवस्थित और खतरनाक पैटर्न है. उनके सामान के साथ तोड़फोड़ और लूटपाट की गई है, उन्हें शॉल बेचने से रोका गया है, और कई मामलों में जब उन्होंने रिकॉर्डिंग करने की कोशिश की, तो उनके मोबाइल फोन तोड़ दिए गए.”
एसोसिएशन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कश्मीरी छात्रों और विक्रेताओं के खिलाफ हो रही इस हिंसा को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है. पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और विधायक सज्जाद गनी लोन ने इन हमलों को नागरिकों के खिलाफ “हेट क्राइम” (नफरत भरा अपराध) करार दिया है. अमित शाह से अपील करते हुए लोन ने कहा कि ये उन साथी भारतीयों के खिलाफ नफरत की घटनाएं हैं, जो सम्मानजनक जीवन जीने की कोशिश कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में, ये हमले उन तत्वों को मजबूत करते हैं जो भारत के विचार के विरोधी हैं. इसलिए ये हमले राष्ट्रीय सुरक्षा के दायरे में आते हैं.
प्रतापगढ़: ‘कर्बला’ की जमीन पर अवैध कब्जे की कोशिश, चार आरोपी गिरफ्तार
उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रंजीतपुर चिलबिला इलाके में ‘कर्बला’ की जमीन पर कथित तौर पर जबरन अतिक्रमण करने के प्रयास में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है.
यह घटना मंगलवार सुबह अयोध्या-प्रयागराज राजमार्ग पर चिलबिला फ्लाईओवर के पास हुई. आरोप है कि विजय मौर्य के नेतृत्व में एक समूह दो जेसीबी मशीनों के साथ विवादित स्थल पर पहुंचा और जमीन को समतल करना शुरू कर दिया, जिसके बाद स्थानीय निवासियों ने इसका कड़ा विरोध किया. पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लिया, दोनों जेसीबी मशीनों को जब्त कर लिया और कई व्यक्तियों को हिरासत में लिया. जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि स्थिति संवेदनशील है, लेकिन नियंत्रण में है. किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए कड़ी निगरानी रखी जा रही है.
देहरादून में छात्र की हत्या: परिवार ने पुलिस जांच पर उठाए सवाल, कहा- ‘नस्लीय उद्देश्य’ को खारिज करना जल्दबाजी
त्रिपुरा के 24 वर्षीय एमबीए छात्र एंजेल चकमा की देहरादून में हुई हत्या के मामले में उनके परिवार ने पुलिस की जांच प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं. परिवार ने पुलिस के उस निर्णय को “जल्दबाजी और बेहद अपमानजनक” बताया है, जिसमें हत्या के पीछे ‘नस्लीय अपमान’ (Racial Slurs) को खारिज कर दिया गया था.
घटना 9 दिसंबर की है, जब एंजेल और उनके छोटे भाई माइकल पर छह लोगों के समूह ने कथित तौर पर हमला किया था. हमले के एकमात्र चश्मदीद गवाह माइकल ने बताया कि हमलावरों ने “चिंकी”, “चाइनीज” और “मोमो” जैसे नस्लीय शब्दों का इस्तेमाल किया था. इलाज के दौरान 26 दिसंबर को एंजेल की मौत हो गई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, माइकल ने कहा, “यह सिर्फ एक शब्द या अपमान के बारे में नहीं है. यह इस बारे में है कि जब हम बोलते हैं तो क्या हमारी आवाज़ को वैध माना जाता है या नहीं.”
देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने मंगलवार (30 दिसंबर) को एक प्रेस वार्ता में परिवार के आरोपों का खंडन किया. उन्होंने कहा कि पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की जांच और लोगों से पूछताछ के बाद 12 दिसंबर को मामला दर्ज किया था. एसएसपी ने कहा कि चूंकि छह आरोपियों में से दो मणिपुर और नेपाल के हैं, इसलिए नस्लीय उद्देश्य “असंभव” प्रतीत होता है. हालांकि, पीड़ित के चाचा मोमेन चकमा ने आरोप लगाया कि पुलिस चश्मदीद गवाह की गवाही को नजरअंदाज कर रही है.
पुलिस ने अब तक छह में से पांच आरोपियों (दो नाबालिगों सहित) को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि एक आरोपी फरार है. एसएसपी सिंह ने कहा कि पुलिस अदालत में चार्जशीट दाखिल करने से पहले एक मजबूत केस बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
एंजेल की हत्या के खिलाफ पूर्वोत्तर के छात्रों का दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन
देहरादून में पूर्वोत्तर के छात्र एंजेल चकमा की हत्या के विरोध में छात्रों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन किया. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, छात्रों ने उत्तराखंड प्रशासन पर जांच में देरी करने और ढिलाई बरतने का आरोप लगाया है. ऑल इंडिया चकमा स्टूडेंट्स यूनियन के उपाध्यक्ष विपुल चकमा ने कहा, “जब किसी ने मदद नहीं की, तो मृतक के पिता के बुलाने पर मैं 11 दिसंबर को देहरादून गया था.” उन्होंने अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि वे खुद दिल्ली विश्वविद्यालय में नस्लीय दुर्व्यवहार का शिकार हो चुके हैं. विपुल चकमा ने मांग की कि पूर्वोत्तर के छात्रों के खिलाफ नस्लीय हमलों और दुर्व्यवहार का यह सिलसिला अब बंद होना चाहिए.
फरीदाबाद में चलती कार में 25 वर्षीय महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म, चलती गाड़ी से फेंका
‘पीटीआई’ की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा के फरीदाबाद में सोमवार को एक 25 वर्षीय विवाहित महिला के साथ चलती कार में कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया गया और बाद में उसे सड़क पर फेंक दिया गया.
पुलिस ने बताया कि महिला के चेहरे और सिर पर गंभीर चोटें आई हैं और उसे 12 से अधिक टांके लगे हैं. उसकी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है. इस मामले के संबंध में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है.
पुलिस के अनुसार, यह घटना सोमवार देर रात की है जब महिला फरीदाबाद के सेक्टर 23 के पास वाहन का इंतजार कर रही थी. दो व्यक्तियों ने उसे लिफ्ट देने की पेशकश की, लेकिन उसे गंतव्य तक ले जाने के बजाय, वे कार को गुरुग्राम की ओर ले गए और कार के अंदर ही उसके साथ बलात्कार किया.
पुलिस ने बताया कि महिला को रात भर गाड़ी में घुमाया गया और तड़के करीब 3 बजे राजा चौक के पास 90 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से चलती कार से बाहर फेंक दिया गया.
पुलिस ने बताया कि आरोपी उत्तरप्रदेश और मध्य प्रदेश के मूल निवासी हैं और वर्तमान में फरीदाबाद में रह रहे हैं. वे महिला के परिचित नहीं थे. फरीदाबाद पुलिस के प्रवक्ता यशपाल यादव ने कहा कि आरोपियों को पकड़ लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है. अपराध में इस्तेमाल की गई वैन को जब्त कर लिया गया है.
इंदौर : देश के सबसे साफ शहर में पीने का पानी गंदा, 10 लोगों की मौत
मध्यप्रदेश के इंदौर, जिसे देश के सबसे स्वच्छ शहर का अवार्ड हासिल है, में कथित तौर पर दूषित पानी पीने के बाद दस्त (डायरिया) और उल्टी के कारण अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है. “पीटीआई” के मुताबिक, बुधवार को मौतों की संख्या को लेकर विरोधाभासी दावों के बीच मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने 7 मौतों की पुष्टि की.
मेयर ने पत्रकारों से कहा, “स्वास्थ्य विभाग ने भागीरथपुरा क्षेत्र में डायरिया के प्रकोप से तीन मौतों की सूचना दी है. लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार, इस बीमारी से पीड़ित चार और लोगों को अस्पतालों में लाया गया था और उनकी भी मृत्यु हो गई है.” जबकि, स्थानीय निवासियों का दावा है कि पिछले एक सप्ताह में भागीरथपुरा क्षेत्र में दूषित पानी पीने से छह महिलाओं सहित कम से कम आठ लोगों की मौत हुई है.
भार्गव ने बताया कि प्रारंभिक मूल्यांकन से पता चलता है कि पाइपलाइन में लीकेज के कारण ड्रेनेज (गंदा पानी) का पानी पीने के पानी की लाइन में मिल गया, जिससे भागीरथपुरा क्षेत्र में डायरिया और उल्टी का प्रकोप फैल गया. वहीं, कलेक्टर शिवम वर्मा ने बताया कि शहर के 27 अस्पतालों में इस बीमारी से पीड़ित 149 मरीजों को भर्ती कराया गया है और उनके स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है.
कांग्रेस प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने आरोप लगाया कि प्रशासन अपनी “घातक लापरवाही” को छिपाने के लिए मौतों के वास्तविक आंकड़ों को कम बता रहा है. उन्होंने कहा, दूषित पानी की इस घटना ने देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की छवि पर कलंक लगा दिया है.
100 मिग्रा से ज्यादा वाली निमेसुलाइड पर प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने दर्द और बुखार में इस्तेमाल होने वाली निमेसुलाइड (Nimesulide) दवा के 100 मिलीग्राम से अधिक डोज की सभी दवाओं की मैन्यूफैक्चरिंग और बिक्री पर तत्काल रोक लगा दी है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक निमेसुलाइड एक नॉन-स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा है. यह दर्द तो कम करती है, लेकिन इसकी ज्यादा डोज से लिवर खराब होने का खतरा रहता है.
“एजेंसी” के अनुसार, यह प्रतिबंध केवल अधिक डोज (100 मिलीग्राम) वाली निमेसुलाइड पर लागू होगा. जबकि कम डोज की दवाएं मिलती रहेंगी. जो दवाइयां पहले से बाजार में मौजूद हैं उन्हें वापस मंगाना होगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय मध्य प्रदेश और राजस्थान में दूषित कफ सिरप पीने या छोटे बच्चों को गलत दवा देने के कारण हुई मौतों की घटनाओं के बाद लिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश में कम से कम 22 बच्चों की मौत हुई थी. नए नियमों के तहत, कफ सिरप को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के ‘शिड्यूल के’ (अनुसूची-के) से हटा दिया गया है. इसका मतलब है कि अब केमिस्ट बिना रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर की पर्ची (प्रिस्क्रिप्शन) के कफ सिरप नहीं बेच सकेंगे. हालांकि, खांसी की गोलियां और लोजेंजेस अभी भी सूची में बनी रहेंगी.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने निमेसुलाइड को लेकर विशेष चेतावनी जारी की थी, जिसे ड्रग रेगुलेटर की विशेषज्ञ समिति ने स्वीकार कर लिया है. ICMR ने सिफारिश की है कि निमेसुलाइड का उपयोग गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और गर्भधारण की योजना बना रही महिलाओं में नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही, लिवर या किडनी की बीमारी वाले मरीजों को भी यह दवा नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि इससे लिवर को गंभीर नुकसान (liver toxicity) होने का खतरा होता है. गौरतलब है कि यह दवा 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए पहले से ही प्रतिबंधित है.
न्यू ईयर ईव: गिग वर्कर्स की हड़ताल की चेतावनी के बीच ज़ोमैटो और स्विगी ने बढ़ाया इंसेंटिव
गिग वर्कर्स यूनियनों द्वारा हड़ताल के आह्वान के बीच, फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म ज़ोमैटो और स्विगी अपने डिलीवरी पार्टनर्स को अधिक प्रोत्साहन (इंसेंटिव) दे रहे हैं. यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसका पालन वे त्योहारों के दौरान करते हैं, ताकि नए साल की पूर्व संध्या पर सेवाओं में कम से कम व्यवधान सुनिश्चित किया जा सके.
“पीटीआई” के मुताबिक, तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स ने दावा किया है कि बेहतर भुगतान और काम की बेहतर स्थितियों की मांग को लेकर लाखों कर्मचारी देशव्यापी हड़ताल में शामिल होने के लिए तैयार हैं.
उद्योग जगत के सूत्रों के अनुसार, इस हड़ताल से ज़ोमैटो, स्विगी, ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट और ज़ेप्टो जैसी फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स फर्मों का संचालन प्रभावित हो सकता है, क्योंकि नए साल की पूर्व संध्या पर मांग अपने चरम पर होती है.
ज़ोमैटो ने न्यू ईयर ईव पर शाम 6 बजे से रात 12 बजे के बीच ‘पीक ऑवर्स’ के दौरान डिलीवरी पार्टनर्स को 120 रुपये से 150 रुपये प्रति ऑर्डर तक के भुगतान की पेशकश की है. इसके अतिरिक्त, प्लेटफॉर्म ने ऑर्डर की संख्या और कर्मचारी की उपलब्धता के आधार पर दिन भर में 3,000 रुपये तक की कमाई का भी वादा किया है.
फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म ज़ोमैटो और स्विगी ने 31 दिसंबर (न्यू ईयर ईव) पर अपनी सेवाओं में किसी भी तरह की बाधा से बचने के लिए डिलीवरी पार्टनर्स के लिए प्रोत्साहन राशि (इंसेंटिव) में भारी बढ़ोतरी की है. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब गिग वर्कर्स यूनियनों ने बेहतर भुगतान और काम करने की सुरक्षित स्थितियों की मांग को लेकर राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स का दावा है कि लाखों कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल होने के लिए तैयार हैं.
उद्योग के सूत्रों का कहना है कि साल के सबसे व्यस्त दिनों में से एक, 31 दिसंबर को हड़ताल से ज़ोमैटो, स्विगी, ब्लिंकिट और जेप्टो जैसी कंपनियों की सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. हड़ताल के असर को कम करने के लिए, ज़ोमैटो ने 31 दिसंबर को शाम 6 बजे से रात 12 बजे के पीक ऑवर्स के दौरान प्रति ऑर्डर 120 रुपये से 150 रुपये तक का भुगतान करने का ऑफर दिया है. इसके अलावा, कंपनी ने दिन भर में 3,000 रुपये तक की कमाई का वादा किया है. वहीं, स्विगी ने 31 दिसंबर और 1 जनवरी के दौरान अपने डिलीवरी वर्कर्स के लिए 10,000 रुपये तक की कमाई का अवसर देने की घोषणा की है.
कंपनियों के प्रवक्ताओं का कहना है कि त्योहारों और साल के अंत में बढ़ी हुई मांग को देखते हुए प्रोत्साहन राशि बढ़ाना उनका ‘मानक ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल’ है. हालांकि, यूनियनों ने कंपनियों के इस रवैये की आलोचना की है. संयुक्त बयान में यूनियनों ने कहा कि 25 दिसंबर की हड़ताल के बाद भी कंपनियों ने उनकी मांगों पर चुप्पी साधे रखी—न तो भुगतान बढ़ाया गया और न ही सुरक्षा पर कोई ठोस आश्वासन दिया गया. यूनियन ने सभी गिग वर्कर्स से अपील की है कि वे 31 दिसंबर को अपने ऐप बंद रखें और सेवाएं न दें.
संसद: विधायी कार्यों पर खर्च हुआ 30 प्रतिशत से भी कम समय
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष लोकसभा और राज्यसभा ने अपने समय का 30 प्रतिशत से भी कम हिस्सा विधायी कार्यों (जिसमें विधेयकों पर चर्चा और उन्हें पारित करना शामिल है) पर खर्च किया. संसद के प्रदर्शन के अपने विश्लेषण में, पीआरएस ने कहा कि प्रश्नकाल भी निर्धारित समय से कम चला. लोकसभा में प्रश्नकाल सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक और राज्यसभा में दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक निर्धारित होता है, लेकिन दोनों सदनों में व्यवधानों के कारण वास्तविक समय कम रहा.
रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2025 के दौरान, संसद ने 31 विधेयक पारित किए. यह भी उल्लेख किया गया कि 18वीं लोकसभा के कार्यकाल के दौरान अब तक 42 विधेयक पेश किए गए हैं. इनमें से केवल 26 प्रतिशत (11 विधेयक) को ही विस्तृत जांच के लिए संसदीय समितियों के पास भेजा गया. केवल एक विधेयक को विभाग से संबंधित स्थायी समिति के पास भेजा गया. शेष भेजे गए विधेयकों में ‘एक साथ चुनाव’ पर दो विधेयक और हिरासत में लिए जाने पर मंत्रियों को हटाने से संबंधित तीन विधेयक शामिल हैं, जिनकी जांच संयुक्त समितियों द्वारा की जा रही है.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं: भारत ने चीन और अमेरिका के मध्यस्थता के दावों को खारिज किया
भारत सरकार ने बुधवार (31 दिसंबर, 2025) को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के उस बयान का पुरजोर खंडन किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि चीन ने मई में भारत-पाकिस्तान संघर्ष को समाप्त करने में “मध्यस्थता” की थी. विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा साल भर किए गए ऐसे ही दावों को भी खारिज किया है. हालांकि विदेश मंत्रालय ने वांग यी के भाषण पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की है, लेकिन अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि “किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता” के खिलाफ भारत का रुख नहीं बदला है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने संपर्क करने पर बताया कि भारत ने लगातार यह माना है कि 10 मई को संघर्ष विराम का अनुरोध सीधे पाकिस्तान द्वारा किया गया था और इसे भारत ने सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) चैनल के माध्यम से स्वीकार किया था. इसमें किसी अन्य देश की कोई भूमिका नहीं थी. अधिकारी ने कहा, “कृपया हमारे पहले के जवाबों को देखें,” जिसमें 13 मई का विदेश मंत्रालय का बयान और 17 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ हुई टेलीफोन पर बातचीत शामिल है. उस बातचीत में पीएम मोदी ने स्पष्ट किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी स्तर पर अमेरिकी मध्यस्थता के किसी प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हुई थी.
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने पिछले सात महीनों में 60 से अधिक बार यह दावा किया है कि उन्होंने व्यापार समझौतों का लाभ उठाकर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की. हाल ही में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बातचीत के दौरान भी उन्होंने यह दावा दोहराया था. वहीं, मंगलवार (30 दिसंबर, 2025) को अपने भाषण में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था, “शांति बनाए रखने के लिए, हमने निष्पक्ष रुख अपनाया... हमने उत्तरी म्यांमार, ईरानी परमाणु मुद्दे, पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव, और फिलिस्तीन-इजरायल के मुद्दों में मध्यस्थता की.”
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर कहा, “यह देखते हुए कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान चीन निर्णायक रूप से पाकिस्तान के साथ था, चीन के मध्यस्थता के दावे चिंताजनक हैं. यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का मजाक उड़ाने जैसा लगता है. भारत के लोगों को स्पष्टता चाहिए कि ऑपरेशन सिंदूर को अचानक रोकने में चीन की क्या भूमिका थी.”
ज़ेलेंस्की ने लगाया मोदी पर दोहरे मापदंड का आरोप
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आवास पर कथित हमले को लेकर नई दिल्ली द्वारा जताई गई “गहरी चिंता” और दूसरी तरफ रूसी हमलों में मारे जा रहे यूक्रेनी बच्चों पर “चुप्पी” साधने को लेकर इन देशों पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 दिसंबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा था, “रूसी संघ के राष्ट्रपति के आवास को निशाना बनाए जाने की खबरों से गहरी चिंता हुई. जारी राजनयिक प्रयास ही शत्रुता को समाप्त करने और शांति प्राप्त करने का सबसे व्यवहार्य रास्ता हैं.”
यूक्रेनी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स-यूक्रेन के अनुसार, ज़ेलेंस्की ने पत्रकारों से कहा, “ईमानदारी से कहूं तो यह भ्रमित करने वाला और अप्रिय है कि भारत और यूएई जैसे कुछ देशों ने पुतिन के आवास पर हमारे कथित ड्रोन हमलों की निंदा की—जो कभी हुए ही नहीं. लेकिन इस तथ्य पर उनकी निंदा कहां है कि वे (रूस) हमारे बच्चों और लोगों को मार रहे हैं? ईमानदारी से कहूं तो मुझे भारत या यूएई से यह सुनाई नहीं देता.”
रूस ने सोमवार को दावा किया था कि यूक्रेन ने लंबी दूरी के ड्रोन का उपयोग करके पुतिन के आवास पर हमला करने का प्रयास किया, जिसे यूक्रेन ने पूरी तरह से मनगढ़ंत बताया है. यूक्रेन के विदेश मंत्री एंड्री सिबिहा ने कहा कि रूस ने अपने आरोपों का कोई सबूत नहीं दिया है. यह पहली बार नहीं है जब ज़ेलेंस्की ने भारत के रुख की आलोचना की है. जुलाई 2024 में भी उन्होंने पीएम मोदी की रूस यात्रा के दौरान पुतिन को गले लगाने पर नाराजगी जताई थी, ठीक उसी दिन कीव में एक बच्चों के अस्पताल पर रूसी मिसाइल हमला हुआ था.
शी जिनपिंग : ‘ताइवान का एकीकरण कोई नहीं रोक सकता’; सैन्य अभ्यास के बाद दिया बयान
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीजिंग में अपने वार्षिक न्यू ईयर ईव भाषण में ताइवान को चीन के साथ फिर से जोड़ने (Reunification) का संकल्प लिया है. ताइवान के चारों ओर चीन के तीव्र सैन्य अभ्यास के समापन के एक दिन बाद बोलते हुए, शी ने कहा, “हमारी मातृभूमि का एकीकरण, समय का एक रुझान है और इसे रोका नहीं जा सकता.”
चीन स्वशासित द्वीप ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और लंबे समय से इसे अपने में मिलाने की कसम खाता रहा है, चाहे इसके लिए बल प्रयोग ही क्यों न करना पड़े. गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी खुफिया एजेंसियां इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगर शी को सही समय लगा तो चीनी सेना हमला करने की अपनी क्षमताओं को तेजी से बढ़ा रही है. सोमवार और मंगलवार को, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने “जस्टिस मिशन 2025” नामक लाइव-फायर सैन्य अभ्यास किया, जिसमें ताइवान के मुख्य बंदरगाहों की नाकेबंदी का अनुकरण किया गया. इन अभ्यासों में कम से कम 89 युद्धक विमान शामिल थे.
बुधवार शाम को बीजिंग में बोलते हुए, शी ने कहा कि चीन ने “दुनिया को खुली बाहों से अपनाया है.” उन्होंने इस साल बीजिंग द्वारा आयोजित कई बहुपक्षीय सम्मेलनों पर प्रकाश डाला, जिनमें अगस्त में शंघाई सहयोग शिखर सम्मेलन शामिल था, जहां व्लादिमीर पुतिन और नरेंद्र मोदी जैसे नेता शामिल हुए थे. शी के भाषण के प्रसारण में सितंबर में आयोजित चीन की अब तक की सबसे बड़ी सैन्य परेड के दृश्य भी दिखाए गए, जिसमें शी, पुतिन और किम जोंग-उन एक साथ खड़े थे—एक ऐसा भू-राजनीतिक गठजोड़ जिसे “उथल-पुथल की धुरी” कहा गया है.
शी ने अपने भाषण में “ताइवान रेट्रोसेशन डे” का भी उल्लेख किया, जो 1945 में जापानी शाही शासन के अंत की याद दिलाता है. इसके अलावा, उन्होंने इस साल चीन की तकनीकी प्रगति, जैसे कि किकबॉक्सिंग रोबोट और वीडियो गेम ‘ब्लैक मिथ: वुकोंग’ की वैश्विक सफलता की भी सराहना की.
विश्लेषण
वर्ष 2025 : भारत में पाखंड और हिंसा साथ-साथ
वरिष्ठ पत्रकार आनंद के. सहाय ने लिखा है कि भारत में वर्ष 2025 का अंत होते-होते पाखंड और हिंसा साथ-साथ चलते दिखाई दिए. नई दिल्ली में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कुछ ही दिनों के भीतर उन्मादी भीड़ द्वारा दूसरे हिंदू व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या (लिंचिंग) के बाद बिल्कुल सही कहा कि बांग्लादेश ने अपने अल्पसंख्यकों — हिंदू, ईसाई और बौद्ध — के प्रति “अविराम शत्रुता” दिखाई है. इस बात का वजन और महत्व तब और बढ़ जाता, यदि भारत में हमने खुद को सांप्रदायिक शुचिता के उदाहरण के रूप में पेश किया होता—चाहे समाज के स्तर पर हो या कम से कम सरकार के स्तर पर, जो ऐसे मामलों में कानून के उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करती. नफरत भरे इस क्रिसमस के दौरान, देश के कई राज्यों में, विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में, ईसाइयों के उत्सवों पर गुंडों द्वारा हमले किए गए. इन लोगों ने स्कूलों, सार्वजनिक मैदानों, चर्च परिसरों और यहाँ तक कि उन छोटी गलियों में भी सांता क्लॉज की सजावट को फाड़ दिया जहाँ फेरीवाले क्रिसमस के खिलौने बेच रहे थे. असम में, इनकी पहचान विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के सदस्यों के रूप में की गई. लेकिन मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक व्यापक रूप से रिपोर्ट की गई घटना में, स्थानीय भाजपा उपाध्यक्ष ने एक दृष्टिहीन लड़की के चेहरे से सांता का मुखौटा नोंच दिया.
मध्यप्रदेश के ही झाबुआ में, ‘कैथोलिक कनेक्ट’ ने रिपोर्ट किया कि क्रिसमस के दिन तलवारों और पिस्तौल से लैस बजरंग दल के पुरुषों की एक टुकड़ी ने ईसाई मोहल्ले में मार्च किया और ईसाई समुदाय, उनके पादरियों और उनके धर्म के खिलाफ नारे लगाए. अधिकारियों को पहले ही सूचित किया गया था, फिर भी इस सशस्त्र जुलूस की अनुमति दी गई, हालांकि हिंदुत्व कार्यकर्ताओं ने कोई शारीरिक हिंसा नहीं की. अगली बार... कौन जानता है?
कुछ घाव ऐसे होते हैं जो दर्द कम होने के बाद भी कभी नहीं भरते. भारत में वह एक व्यक्ति जिसके हाथ के एक इशारे से इन उपद्रवियों के कदम ठिठक सकते थे, वह बस दूर कहीं देख रहा है. क्या वह अनजान है? क्या वह हो सकता है? मीडिया की खबरों के अनुसार, इस व्यक्ति ने राष्ट्रीय राजधानी के सेक्रेड हार्ट्स कैथेड्रल में “शांतिपूर्वक” क्रिसमस मनाया (पुष्टि के लिए दृश्य देखें), जबकि श्रद्धालु गा रहे थे “ओ, कम लेट अस अडोर हिम, क्राइस्ट द लॉर्ड!” वह व्यक्ति सहज नहीं था. लेकिन उसने सद्भाव, भाईचारा और शांति जैसे सही शब्द बोलना नहीं छोड़ा. यह काम का हिस्सा था.
हम नहीं जान सकते कि नेता के मन में क्या चल रहा था. लेकिन हम यह जानते हैं कि भारत में, जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में “सुशासन दिवस” के रूप में मनाया जाता है. मोदी के भारत में क्रिसमस आधिकारिक कैलेंडर पर नहीं है. केरल में कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और राज्य में बड़ी संख्या में ईसाई मूल निवासी हैं. यूरोप और अमेरिका भी ईसाई देश हैं और उन्हें नाराज नहीं किया जाना चाहिए. एक सधे हुए खेल के तहत, जब खबर खराब होती है, तो इसके केंद्र में रहने वालों को “अराजक तत्व” (फ्रिंज) कहा जाता है. निहित संदेश यह है कि मुख्य हिस्सा साफ और शुद्ध है. मीडिया, आमतौर पर, कोई सवाल नहीं पूछता. सामान्य पटकथा यह है कि कुछ लोगों को गिरफ्तार किया जाता है, और फिर शोर कम होने पर उन्हें छोड़ दिया जाता है.
ईसाइयों को इस साल उनके सबसे पवित्र दिन पर चोट झेलनी पड़ी, हालांकि वर्षों से उनके चर्चों और उनके पादरियों एवं ननों पर समय-समय पर हमले होते रहे हैं. वहीं, पिछले दस वर्षों में मुसलमानों ने चौतरफा और निरंतर हिंसा का सबसे अधिक दंश झेला है.
वर्ष 2025 में पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन के अवसर पर, अभी कुछ ही समय पहले, उत्तरप्रदेश में उन संपत्तियों पर बुलडोजर चला दिया गया जिन पर लाल दिल के प्रतीक के साथ “आई लव मोहम्मद” के साइन बोर्ड लगे थे. 5 दिसंबर को, बिहार के नवादा में एक मुस्लिम कपड़ा विक्रेता की बिना किसी विशेष कारण के पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. शायद सिर्फ मनोरंजन के लिए; लेकिन जब शिकारी कुत्ते बाहर हों, तो यह एक खूनी खेल बन जाता है.
बिहार में, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद एक मुस्लिम महिला डॉक्टर के चेहरे से हिजाब खींच दिया, जब वह सरकारी खजाने की कीमत पर आयोजित एक भव्य समारोह में उसे नौकरी का नियुक्ति पत्र सौंप रहे थे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह का शुभारंभ 1 अक्टूबर को हुआ, जिसमें नई दिल्ली के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी मुख्य अतिथि थे. जिस संगठन पर गांधी की हत्या के बाद तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल ने प्रतिबंध लगा दिया था, उस संगठन के लिए राज्य की शक्ति के तत्वावधान में एक स्मारक सिक्का ढाला गया और डाक टिकट जारी किया गया. प्रधानमंत्री ने 2025 के अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में भी इस संगठन की प्रशंसा की थी.
21 दिसंबर को कोलकाता में, वर्तमान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दावा किया कि भारत पहले से ही एक ‘हिंदू राष्ट्र’ है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह उगते सूरज की तरह एक स्वतः सिद्ध सत्य है—वे इस बात को पूरी तरह नजरअंदाज कर गए कि संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि भारत एक “धर्मनिरपेक्ष” देश है, जो किसी धर्म के प्रति पक्षपाती नहीं है.
भागवत ने आगे बढ़कर दर्शकों से आग्रह किया कि वे भाजपा के माध्यम से आरएसएस को समझने की कोशिश न करें, हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि आरएसएस के सदस्य राजनीति में हैं और सत्ता का आनंद ले रहे हैं. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस को “अर्धसैनिक संगठन” या केवल एक सेवा संगठन के रूप में न देखा जाए.
निश्चित रूप से, यह एक बहुआयामी चीज़ है—जिसे हर किसी के लिए सब कुछ बनने के इरादे से बनाया गया है. लेकिन क्या बजरंग दल और विहिप के सदस्य कभी आरएसएस की वर्दी में नहीं मिलते? या क्या वे केवल तभी “अर्धसैनिक” बनते हैं जब वे अपना झंडा फहराते हैं? क्या वे आरएसएस के सामान्य दर्शन को साझा नहीं करते जब वे झाबुआ में सार्वजनिक रूप से प्रतिबंधित हथियारों को लेकर मार्च करते हैं? क्या सैन्य-शैली की वर्दी पहनना और सुबह “दंड” के साथ मार्च करना एक “अर्धसैनिक” गुण नहीं है?
भारत में, यह वास्तव में “सीज़न ऑफ द विच” यानी जादू-टोने या अंधकार का दौर है. धार्मिक अल्पसंख्यकों के अलावा, श्रमिक वर्ग भी सरकार के निरंतर प्रहार के अधीन है. लाखों लोगों की आजीविका पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है. 2025 के अंतिम संसद सत्र में दुनिया के सबसे प्रशंसित, मांग-आधारित ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम का अंत देखा गया, जिसे 2005 में मनमोहन सिंह सरकार ने शुरू किया था. यह स्पष्ट है कि विचार विशाल खेतिहर मजदूर वर्ग को भेड़ियों के सामने फेंकने और उन्हें उस कतार में शामिल होने के लिए मजबूर करने का है, जिसे मार्क्स ने “बेरोजगारों की आरक्षित सेना” कहा था. इसका प्रभाव अंततः शहरी मजदूरी दरों को कम करने के रूप में होगा, क्योंकि ग्रामीण बेरोजगार अब काम की तलाश में शहरों की ओर कूच करेंगे. इससे सबसे अधिक प्रभावित असंगठित क्षेत्र होने की संभावना है, जो भारत में शहरी कार्यबल का लगभग 95 प्रतिशत है.
मनरेगा कार्यक्रम के इतिहास बन जाने के साथ, महात्मा गांधी का नाम भी हटा दिया गया है, जो इस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित योजना से जुड़ा था जिसने कोविड के वर्षों में देश और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बचाया था. आरएसएस, हिंदू महासभा और जनसंघ-भाजपा के लिए गांधी अप्रिय रहे हैं. सरकार ने एक तीर से दो शिकार किए हैं—गरीबों में सबसे गरीब (गांधी के “अंतिम व्यक्ति”) के स्वावलंबन को खत्म करना और सबसे महत्वपूर्ण गरीब-हितैषी योजना से गांधी का नाम हटाना.
अभी हाल ही में, उत्तराखंड के काशीपुर में एक कश्मीरी मुस्लिम व्यापारी को पीटा गया और चेतावनी दी गई कि वह दोबारा उन इलाकों में न दिखे. इनमें से किसी भी प्रकरण में कानून का इकबाल नहीं दिखा. राजनीतिक पात्रों की चांदी है, जबकि सरकारी तंत्र केवल मूकदर्शक बना रहता है.
और मनरेगा के स्थान पर अपर्याप्त और उपहासपूर्ण ढंग से एक ऐसी योजना को लाया गया है, जिसका नाम बेहद अजीब है. यह सत्ता के सामान्य ‘विकसित भारत’ वाले प्रचार हथकंडे से शुरू होता है और “जी राम जी” पर समाप्त होता है—जिसका उच्चारण करने पर अर्थ निकलता है “हाँ, भगवान राम जी.” सत्ता के (धार्मिक) प्रचार की सेवा में इससे बड़ी विडंबना की कल्पना करना कठिन है, जिसे संभवतः सरकार के सबसे अंधकारमय और कुटिल कोनों में गढ़ा गया होगा.
दूसरा खुला हमला शहरी श्रमिक वर्ग पर है, जिसे अब अधिसूचित किए गए तथाकथित ‘श्रम संहिताओं’ के माध्यम से अंजाम दिया गया है. ये संहिताओं श्रमिकों की कमाई, जिसमें पीएफ और ग्रेच्युटी शामिल है, को नुकसान पहुँचाती हैं और श्रमिकों को आंशिक रूप से बेरोजगार कर सकती हैं. देश का लगभग हर ट्रेड यूनियन संगठन इसके खिलाफ लामबंद है. संतुलन के दूसरी तरफ, बीमा क्षेत्र को विदेशी कंपनियों के लिए शत-प्रतिशत खोल दिया गया है. उन्हें बिना किसी सीमा के भारतीय वित्त क्षेत्र में प्रवेश दे दिया गया है, वह भी उस क्षेत्र में जहाँ श्रमिक वर्ग और मध्यम वर्ग की जीवन भर की बचत निवेश की जाती है. इस क्षेत्र में होने वाली कोई भी उथल-पुथल उन पेंशन फंडों को बर्बाद करने की क्षमता रखती है जो ऐसे क्षेत्रों में जमा हो सकते हैं.
एकतरफा रूप से नामित चुनाव आयोग के कारण चुनाव प्रणाली पर पूर्ण नियंत्रण और राष्ट्रीय राजनीतिक मामलों पर मजबूत पकड़ होने के कारण, आरएसएस-भाजपा से प्रेरित ‘जी राम जी’ शासन धार्मिक अल्पसंख्यकों, श्रमिक वर्ग की जीवन स्थितियों और मध्यम वर्ग के एक बड़े हिस्से पर हमला करने के लिए खुद को स्वतंत्र महसूस कर रहा है. भारत के लिए 2026 के सूरज की शुरुआत किसी सुखद संकेत के साथ होने की संभावना कम ही दिखाई देती है.
हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती वैध होगी
हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भांग की खेती को वैध और विनियमित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार (31 दिसंबर, 2025) को द हिंदू को बताया कि इस नीति से राज्य को सालाना 1,000 से 2,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो सकता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार एनडीपीएस एक्ट, 1985 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए नियम और तौर-तरीके तैयार कर रही है और उम्मीद है कि एक-दो महीने में इसे कैबिनेट की मंजूरी मिल जाएगी. दशकों से कुल्लू और मंडी की घाटियों में भांग अवैध रूप से उगती रही है और इसे नशीले पदार्थों के व्यापार से जोड़ा जाता रहा है. लेकिन नई नीति का उद्देश्य भांग की छवि को बदलकर इसका उपयोग औषधीय (दर्द निवारण, सूजन कम करना) और औद्योगिक कार्यों (कपड़ा, कागज, बायो-प्लास्टिक) के लिए करना है.
सीएम सुक्खू ने स्पष्ट किया कि औद्योगिक गांजा की खेती के लिए टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (टीएचसी) की मात्रा 0.3% से कम रखना अनिवार्य होगा, ताकि यह नशा न करे. उन्होंने इसे “ग्रीन टू गोल्ड” (हरे से सोना) पहल करार दिया. उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों द्वारा पारंपरिक फसलों को नुकसान पहुंचाने के कारण किसान खेती छोड़ रहे थे, ऐसे में यह पहल उन्हें एक स्थायी आजीविका प्रदान करेगी. पालमपुर और नौनी के विश्वविद्यालय हिमालयी क्षेत्र के लिए उपयुक्त कम THC वाली किस्मों पर पहले से ही शोध कर रहे हैं.
ईडी ने बैंक धोखाधड़ी मामले में नितिन कासलीवाल की लंदन में स्थित 150 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए एस. कुमार्स नेशनवाइड लिमिटेड के पूर्व चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर नितिन शंभुकुमार कासलीवाल से जुड़ी लंदन की एक बेशकीमती संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया है. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, 150 करोड़ रुपये की यह संपत्ति लंदन के पॉश इलाके में बकिंघम पैलेस के पास स्थित है.
कासलीवाल पर भारतीय बैंकों के एक कंसोर्टियम के साथ 1,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है. ईडी की जांच में एक जटिल वित्तीय जाल का पर्दाफाश हुआ है. एजेंसी का आरोप है कि कासलीवाल ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, जर्सी और स्विट्जरलैंड जैसे टैक्स हेवन देशों में ट्रस्टों और कंपनियों का नेटवर्क बनाया था. जांच में पता चला कि उन्होंने ‘कैथरीन ट्रस्ट’ (पूर्व में सूर्य ट्रस्ट) की स्थापना की थी, जिसके जरिए जर्सी स्थित कंपनी ‘कैथरीन प्रॉपर्टी होल्डिंग लिमिटेड’ को नियंत्रित किया जाता था. इसी कंपनी के नाम पर लंदन में यह संपत्ति खरीदी गई थी. ईडी का कहना है कि कासलीवाल ने विदेशी निवेश की आड़ में भारत से धन बाहर भेजा और उसे अपने परिवार के लाभ के लिए विदेशी संपत्ति में बदल दिया.
जोहरान ममदानी 1 जनवरी को चार्ज संभालेंगे
जोहरान ममदानी 1 जनवरी 2026 की मध्यरात्रि को न्यूयॉर्क शहर के मेयर के रूप में शपथ लेंगे. 34 वर्षीय ममदानी पिछले एक सदी में न्यूयॉर्क के सबसे कम उम्र के मेयर बनकर इतिहास रचने जा रहे हैं. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता मीरा नायर के बेटे और पूर्व स्टेट असेंबलीमैन ममदानी एक प्रगतिशील एजेंडे के साथ सत्ता में आ रहे हैं, जिसका मुख्य लक्ष्य शहर में ‘एफोर्डेबिलिटी’ (रहने की लागत) के संकट को हल करना है.
हालांकि, उनके प्रशासन के गठन की धीमी गति को लेकर राजनीतिक हलकों में सवाल भी उठ रहे हैं. चुनाव के बाद से ममदानी अपनी टीम बनाने के लिए दौड़ रहे हैं, लेकिन कई प्रमुख पदों पर नियुक्तियां अभी बाकी हैं. आलोचकों का कहना है कि उनके पास सरकार चलाने का अनुभव कम है और नियुक्तियों में देरी इसका संकेत है. हालांकि, ममदानी ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि वे एक ऐसी टीम बना रहे हैं जो न्यू यॉर्क वासियों के जीवन को बेहतर बनाएगी.
ममदानी ने अपने कार्यकाल के लिए महत्वाकांक्षी योजनाएं तैयार की हैं, जिनमें बसों को ‘फास्ट एंड फ्री’ (तेज और मुफ्त) बनाना और किराए को स्थिर (रेंट फ्रीज़) करना शामिल है. हाल ही में उन्होंने वाशिंगटन डी.सी. में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ ओवल ऑफिस में मुलाकात की थी. उनकी ट्रांजिशन टीम (सत्ता हस्तांतरण समिति) में कुछ विवाद भी हुए, जैसे एक नियुक्ति को सोशल मीडिया पोस्ट्स के कारण 24 घंटे के भीतर इस्तीफा देना पड़ा. इसके बावजूद, उनके सहयोगी आश्वस्त हैं कि ममदानी शहर को नई दिशा देंगे.
अपील :
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, यूट्यूब पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.









