5 नवंबर, 2024 : कश्मीर राज्य पर बात शुरू, कनाडा से कट्टी जारी, ट्रम्प के झूठ, क्रिकेट में हार, वोट और वफ़ा
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
सुर्खियाँ
नवनिर्वाचित जम्मू कश्मीर विधानसभा के पहले दिन जहाँ पीडीपी की तरफ से धारा 370 को वापस लाने का प्रस्ताव नहीं लाने दिया गया, वहीं लेफ्टिनेंट गवर्नर के भाषण में राज्य का दर्जा वापस देने और राज्य को मिली हुई संवैधानिक गारंटियां वापस लाने का साफ उल्लेख रहा. दिल्ली के मीडिया और सोशल मीडिया में पीडीपी पर दिन भर तंज चलते रहे. प्रोटोकॉल के मुताबिक भाषण का मसविदा मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट तय करती है. ‘राज्य को मिली संवैधानिक गारंटियों’ में जाहिर इशारा राज्य और उसके संसाधनों की बाहरी तत्वों द्वारा रक्षा की बात है. इसमें कश्मीर के लिए धारा 370 वैसे ही है जैसा नगालैंड के लिए धारा 371. देखा जाए तो कश्मीर में नई विधानसभा शुरू होने के बाद से राजनीति अब नये रंग दिखाएगी. उधर श्रीनगर में सोमवार को ग्रेनेड फेंकने से कम से कम 12 लोग घायल हो गये. यह नई सरकार बनने के बाद से छठवीं हिंसक वारदात है.
कनाडा पुलिस कल ओंटारियो के ब्रैम्पटन में एक हिंदू मंदिर के बाहर विरोध प्रदर्शन के बाद हुई हिंसा की घटना की जांच कर रही है. सीबीसी के अनुसार, सोशल मीडिया पर घटना के वीडियो में "खालिस्तान के समर्थन में प्रदर्शनकारी बैनर पकड़े हुए दिखाई दे रहे हैं ... और भारत का राष्ट्रीय ध्वज पकड़े हुए कुछ लोगों सहित अन्य व्यक्तियों के साथ झड़प कर रहे हैं." वहां डंडे भी चले. ओटावा में भारत के उच्चायोग ने "भारत विरोधी तत्वों" पर हिंसा का आरोप लगाते हुए कहा कि यह "स्थानीय जीवन प्रमाण पत्र लाभार्थियों" की मदद के लिए आयोजित एक कांसुलर शिविर के दौरान हुआ था और यह कनाडा में भारतीयों की सुरक्षा के लिए "खासा चिंतित" है. उधर खालिस्तान समर्थक सिख्स फॉर जस्टिस संगठन ने दावा किया कि हिंदू राष्ट्रवादियों ने लड़ाई को उकसाया था.
भारत और कनाडा के बीच चल रही तनातनी के अगले चरण में कनाडा सरकार के इस दावे का खंडन करने में मोदी सरकार ने चार दिन लगा दिए कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कनाडा में सिखों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं. विदेश सचिव विक्रम मिस्री बुधवार को कनाडा के साथ गतिरोध के बारे में विदेश मामलों की संसदीय समिति को जानकारी देंगे.
मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने सलमान खान के घर के बाहर गोलीबारी की घटना में कथित संलिप्तता के मामले में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई के भारत प्रत्यर्पण की मांग के लिए पिछले महीने एक विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया. सदाफ़ मोदक और मोहम्मद थावर की रिपोर्ट के अनुसार, यह अमेरिकी अधिकारियों द्वारा "कुछ महीने पहले" भारत को सूचित करने के बाद हुआ है कि अनमोल बिश्नोई उनके देश में है. पुलिस ने यह भी कहा है कि बिश्नोई बाबा सिद्दीकी की हत्या करने वाले लोगों के संपर्क में था और उस पर पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में शामिल होने का संदेह भी है.
बांग्लादेश की बिजली सप्लाई रोकने की चेतावनी के बाद वहां की सरकार ने अडानी समूह को बकाया भुगतान जल्दी करने का आश्वासन दिया है. उधर डेमचोक और डेप्सांग में आपसी सहमति के बाद ‘वेरिफिकेशन पेट्रोलिंग’ शुरू कर दी गई है. दीवाली पर दोनों तरफ के जवानों ने एक साथ मिठाई खाते फोटो भी खिंचवाए थे.
इकोनामिक टाइम्स के मुताबिक फार्मा कम्पनी डॉ रेड्डी लेबोरेटरीज अमेरिका से सिनाकालसेट दवा की 3.3 लाख बोतलें वापस मंगवा रही है. बताया जाता है कि एफडीए (वहां के ड्रग नियामक) के हिसाब से कोई एक अशुद्धता उसमें थी.
पीटीआई की रिपोर्ट है कि तेलुगू देशम पार्टी के सीनियर नेता नवाब जान ने वक्फ बिल पर हो रही एक बैठक में कहा है कि उनके नेता (चंद्रबाबू नायडू) ऐसे किसी कानून की इजाजत नहीं देंगे, जिससे मुस्लिमों के हितों पर विपरीत असर पड़ता हो.
स्क्रोल में आयुष तिवारी ने एक विस्तृत रिपोर्ट में बताया है कि कैसे उपचुनावों में हो रही नियुक्तियों में मुस्लिम, यादव, कुर्मी बूथ लेवल ऑफिसरों को हटाया जा रहा है. उत्तर प्रदेश की उन नौ सीटों में कटेहरी और कुंदरकी भी शामिल हैं, जहां इस महीने के अंत में उपचुनाव होंगे. आयुष तिवारी ने पाया कि कटेहरी के कुल 19 मतदान केंद्रों में जिन बूथ-स्तरीय अधिकारियों को हटाया गया था - जिन सभी में आम चुनाव में भाजपा की तुलना में समाजवादी पार्टी को अधिक समर्थन मिला था - वे सभी मुस्लिम, यादव या कुर्मी थे. और सपा के गढ़ कुंदरकी में, हटाए गए अधिकांश हिंदू और मुस्लिम बीएलओ को हिंदू बीएलओ से बदल दिया गया था. तिवारी याद करते हैं कि चुनाव आयोग ने उन आरोपों पर एक रिपोर्ट मांगी है कि उपचुनाव वाली सीटों पर यादव और मुस्लिम अधिकारियों को हटाया जा रहा है, और यह भी कि भाजपा ने राज्य में अपने खराब प्रदर्शन के कारणों में से एक "राज्य सरकार के कर्मचारियों का असहयोग" भी रहा है.
टेलीग्राफ में पीयूष श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कानपुर के एक मंदिर को 1000 लीटर गंगाजल से धोया गया क्योंकि वहाँ सीसामऊ से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी नसीम सोलंकी दिवाली की पूजा में शामिल होने चली गईं. उनका कहना है ऐसा उन्होंने अपने समर्थकों के कहने पर किया. उधर सोलंकी पर एक मुस्लिम उलेमा ने भी फतवा दे दिया कि इस्लाम में मूर्तिपूजा हराम है.
नौकरशाही में धर्म?
क्या फ्रिंज़ एलिमेंट, क्या राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और क्या ब्यरोक्रेट्स, ऐसा लगता है कि भारत में धर्मान्धता की आंधी ने किसी को मायूस ही नहीं किया है. ताज़ा मामला केरल का है, जहाँ एक विवादास्पद व्हाट्सएप समूह का मामला सामने आया है, जो केवल हिंदू IAS अधिकारियों के लिए बनाया गया था. बहुत से अधिकारियों को गुरुवार को एक व्हाट्सएप नोटिफिकेशन मिला, जिसमें उन्हें ‘मल्लू हिंदू ऑफ’ ग्रुप में जोड़े जाने की जानकारी दी गई. यह ग्रुप केवल हिंदू IAS अधिकारियों के लिए बनाया गया था और इसे लेकर विवाद उठ रहा है. इस मामले में राज्य सरकार ने जांच शुरू कर दी है, क्योंकि यह समाज में विभाजन को बढ़ावा देने का मामला माना जा रहा है. इस मामले की शुरुआत तब हुई जब एक IAS अधिकारी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसकी व्हाट्सएप आईडी हैक कर ली गई और उसका दुरुपयोग किया गया. यह मामला IAS अधिकारियों के आचार संहिता का उल्लंघन भी हो सकता है.
हाथियों की रहस्यमय मौत
मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत का कारण अब तक नहीं जान पाई है. बांधवगढ़ में इसी हफ्ते रहस्यमय परिस्थितियों में 10 हाथी मरे हुए पाए गए थे. पहले कहा गया कि हाथियों ने कीटनाशक वाला कोदो और बाजरा (मोटा अनाज) का सेवन कर लिया था. मगर सीएम यादव ने वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय जांच दल को भेजकर कारण पता करवाया तो मालूम हुआ कि ऐसा कुछ नहीं है. कोदो कीटनाशक से मुक्त था. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है. इस बीच सरकार ने वन विभाग के दो अफसरों को सस्पेंड कर दिया है. इनमें से एक आईएफएस और बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर गौरव चौधरी को इसलिए सस्पेंड किया गया है, क्योंकि हाथियों की मौत के बावजूद वह छुट्टी से नहीं लौटे और उन्होंने अपना मोबाइल भी चालू नहीं किया.
एक संपादक गिरफ्तार, एक दूसरे पत्रकार पर तीसरी एफआईआर
उत्तरप्रदेश पुलिस ने एक अखबार के संपादक को गिरफ्तार किया है. संपादक का नाम इमरान खान है. वह गाजियाबाद के स्थानीय हिंदी दैनिक "आप अभी तक" के संपादक हैं. दअरसल, इसी वर्ष लोकसभा चुनाव के दौरान 12 अप्रैल को खान के अखबार में गाजियाबाद से कांग्रेस उम्मीदवार डॉली शर्मा की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की खबर छपी थी. इसमें डॉली शर्मा ने भाजपा उम्मीदवार अतुल गर्ग के खिलाफ तमाम आरोप लगाए थे. अखबार ने शीर्षक लगाया था, "भाजपा ने भूमाफिया अतुल गर्ग को ही बना दिया लोकसभा प्रत्याशी." बता दें कि गर्ग 8.54 लाख वोट पाकर यह चुनाव जीत गए थे और डॉली शर्मा 5.17 लाख वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थीं. गर्ग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के 6 माह बाद 6 अक्टूबर को पुलिस थाने में मानहानि की शिकायत दी थी. जिस पर पुलिस ने शर्मा और खान के खिलाफ उसी दिन आईपीसी की धाराओं 500, 501, 504, 120 बी और आईटी की अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली थी. यह खबर लिखने वाले अखबार के रिपोर्टर सुभाष चंद्र ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "डॉली शर्मा ने जो कुछ कहा, वही खबर में था. कुछ भी जोड़ा नहीं गया." उप्र कांग्रेस कमेटी के महासचिव बिजेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि खान वरिष्ठ पत्रकार हैं और अपना काम अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन वह चूंकि मुस्लिम हैं, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है.
उधर नामचीन अंग्रेजी अखबार "दि हिंदू" के अहमदाबाद संवाददाता महेश लांगा के खिलाफ तीसरी एफआईआर दर्ज कर ली गई है. एक विज्ञापन कंपनी के मालिक की शिकायत पर पुलिस ने बीते मंगलवार को यह कार्रवाई की. अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर जीएस मलिक ने कहा कि खुशी एडवरटाइजिंग कंपनी के मालिक प्रणव शाह ने लांगा के खिलाफ पर्याप्त सबूत दिए हैं. शाह का आरोप है कि उसने लांगा को 28 लाख 68 हजार रुपए दिए थे. लांगा ने लौटाने का वादा किया था, पर रकम वापस नहीं की. शाह का आरोप है कि इसमें से 5 लाख 68 हजार रुपए लांगा की पत्नी की बर्थ डे पार्टी पर खर्च किए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की याचिका को मंजूरी दे दी, जिसमें उन पर दर्ज यूएपीए मामले में हर हफ्ते पुलिस को रिपोर्ट करने की जमानत शर्त में ढील देने की मांग की गई थी. जस्टिस पी एस नरसिम्हन और संदीप मेहता की पीठ ने सितंबर 2022 में जमानत देते समय शीर्ष अदालत द्वारा कप्पन पर लगाई गई जमानत शर्त में ढील दी.
जगन और शर्मिला का झगड़ा
"जगन और शर्मिला" का झगड़ा दो दक्षिणी राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के चौक- चौराहों और गली-मोहल्लों में चर्चा का मुद्दा बन गया है. घर-घर में बात हो रही है कि भाई सही है या बहन? यह भी कि मां विजयम्मा का रोल ठीक है या नहीं? वह बेटी का पक्ष लेकर सही कर रही हैं अथवा गलत? कुलमिलाकर विवाद सार्वजनिक होने के बाद सबकुछ पंचायती हो गया है. इसमें आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी की मां विजयम्मा के हालिया पत्र ने हैरान और उलझन पैदा करने वाला सवाल खड़ा कर दिया है. उन्होंने जगन को लिखे पत्र में कहा है, " वाईएस राजशेखर रेड्डी की ख्याति एक उद्योगपति की नहीं थी, बावजूद इसके उन्होंने जगन को देने के लिए इतने बड़े पैमाने पर संपत्ति कैसे अर्जित कर ली?" बहरहाल, भाई-बहन के इस झगड़े में प्यार, संपत्ति, विरासत सबकुछ है.
धुंध यहाँ भी है, धुंध वहाँ भी
क्या दिल्ली क्या लाहौर! दुनिया के इन दो ऐतिहासिक शहरों की आबोहवा ही ऐसी ख़राब हो गयी है कि दोनों के आसमान में अब कोई फर्क नहीं है. लाहौर में तो पूरे एक हफ्ते के लिए स्कूलों को ही बंद कर दिया गया है, जबकि दिल्ली में भी हाल ठीक तो नहीं ही कहे जा सकते हैं. लाहौर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शनिवार को 1,000 से अधिक हो गया, जो 300 के “खतरनाक” स्तर से कहीं अधिक है. पंजाब सरकार ने इसे 'अभूतपूर्व' बताया. इसके चलते सभी सरकारी और निजी प्राथमिक स्कूलों को एक सप्ताह के लिए बंद करने का निर्णय लिया गया है. लाहौर के वरिष्ठ पर्यावरण संरक्षण अधिकारी जहीर अनवर ने कहा कि अगले छह दिनों के मौसम पूर्वानुमान में हवाओं के पैटर्न में कोई बदलाव नहीं दिखाई दे रहा है. इधर दिल्ली में बढ़ रहे वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अखबारों की खबरों को देखकर लगता है कि दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लागू नहीं किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है कि पटाखों को प्रतिबंधित क्यों नहीं किया गया? क्या करें जब आबोहवा ही ख़राब हो जाए...
फटते ज्वालामुखी की जिंदा तस्वीरें
आबोहवा से याद आया कि वो तो दिल्ली और लाहौर से मीलों दूर इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप पर भी ठीक नहीं है. यहां स्थित लेवोटोबी माउंट लियोटोबी लाकी-लाकी ज्वालामुखी ने 11:59 बजे रात को विस्फोट किया, जिसमें कम से कम 10 लोग मारे गए. रात के वक़्त ज्वालामुखी के फटने की वजह से लोगों को सँभलने का मौका ही नहीं मिल सका और इलाके के कई घर ज्वालामुखीय पत्थरों से आग की लपटों में घिर गए. ज्वालामुखी फटने से करीब 10,000 लोगों के प्रभावित होने का आंकलन है.
इस घटना के बाद स्थानीय सरकार ने 58 दिनों के लिए आपातकाल घोषित किया है और प्रभावितों तक मदद पहुंचाई जा रही है. विस्फोट के बाद से ही लोगों ने सुरक्षित स्थानों की तलाश शुरू कर दी थी.
इंडोनेशिया में ज्वालामुखी विस्फोट की घटनाएं आम हैं, क्योंकि यह "फायर रिंग" में स्थित है. पिछले वर्षों में, ज्वालामुखियों के विस्फोट ने हजारों लोगों को प्रभावित किया है, जिससे विस्थापन और आर्थिक नुकसान हुआ है. ये घटनाएं स्थानीय जीवन, कृषि, और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डालती हैं.
मरने के बाद बाप बनने की इज़ाजत?
आपको मशहूर पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के माता-पिता, चरन कौर और बलकौर सिंह की दूसरी संतान पैदा होने की कहानी पता है? अगर हां, तब तो आपके लिए ऐसी ही एक और खबर सामने आयी है, जो भारत में प्रजनन के मामले पर एक नयी बहस खड़ी कर रही है.
भारत में "पोस्टह्यूमस रिप्रोडक्शन" (मृत्यु के बाद प्रजनन) के नैतिक, सामाजिक और कानूनी पहलुओं पर केरल उच्च न्यायालय के एक फैसले ने एक बार फिर से इस मसले पर नयी बहस को छेड़ दिया है. असल में अगस्त 2024 में ए. एन. अनु नाम की महिला ने केरल उच्च न्यायालय से अपने गंभीर रूप से बीमार पति के प्रजनन सेल्स को संरक्षित करने की अनुमति मांगी, ताकि उनके निधन के बाद भी वह अपने पति से संतान प्राप्त कर सकें, लेकिन समस्या यह थी कि 2021 का एआरटी (असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी) अधिनियम लिखित सहमति के बिना इस प्रक्रिया की अनुमति नहीं देता है.
अनु के पति ने इस बारे में कोई लिखित सहमति भी नहीं दी थी, लेकिन अनु जो कि अपने पति के ठीक न हो पाने को लेकर आस्वस्त थी, उसने हिम्मत नहीं हारी और कोर्ट में अपने लिए न्याय माँगा. कोर्ट ने इस याचिका को "न्याय" के आधार पर स्वीकार कर लिया, क्योंकि कानून में इस तरह के मामले पर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं था. मृत्यु के बाद प्रजनन के बारे में अधिकतर देशों, जैसे ब्रिटेन, अमेरिका, और जर्मनी में सख्त नियम हैं. कुछ देशों में इसके लिए लिखित सहमति आवश्यक होती है, जबकि इज़राइल में पति की मृत्यु के बाद उनकी सहमति के बिना शुक्राणु निकालने की अनुमति है. भारत में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है और अब यही चर्चा का विषय बन गया. सवाल तो उठता ही है कि आखिर भारत में इस प्रकार के मामलों के लिए स्पष्ट कानूनी नियम क्यों नहीं होने चाहिए, ताकि परिवारों के हित, मृत व्यक्ति के अधिकार और बच्चे के कल्याण के बीच संतुलन स्थापित हो सके.
सिद्धू मूसेवाला के निधन के दो साल बाद, IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) की मदद से उनके माता पिता ने एक नए बच्चे का स्वागत किया था. ये मामला काफी चर्चाओं में भी रहा था, क्योंकि सिद्धू मूसेवाला की माँ की उम्र काफी ज्यादा थी. 2022 में सिद्धू के जाने के बाद, माता-पिता के लिए यह निर्णय उनके बेटे की स्मृति को जीवित रखने और अपने जीवन में फिर से उम्मीद लाने का तरीका था, ठीक वैसे ही जैसे अनु के लिए अपने बीमार पति से संतान की चाह.
सोने को मिलावटी बता करोड़ों की हेराफेरी
रिपोर्टर्स कलेक्टिव की इस तहकीकात में पता लगाया है कि संयुक्त अरब अमीरात के साथ मोदी सरकार के द्वारा ज़ल्दबाजी में किये गये व्यापार समझौते के कारण निजी व्यापारियों ने 1,700 करोड़ रुपये के अनुमानित टैक्स को बिना चुकाये 24,000 करोड़ के प्लैटिनम एलॉय का आयात कर लिया. कस्टम अधिकारियों ने इसको लेकर चेतावनी दी थी.
24 साल बाद घर में ही ढेर हुए टीम इंडिया के शेर
क्रिकेट एक खेल है और इसमें हार और जीत होनी ही होती है, लेकिन जब मामला अपने देश की टीम के हार जाने का हो तो ये खेल भावना कुछ देर के लिए गायब सी हो जाती है. भारतीय क्रिकेट के सन्दर्भ में आज तो कम से कम यही कहा जा सकता है. दरअसल 24 साल बाद अपने ही घर में क्लीन स्वीप होने के बाद टीम इंडिया के स्टार खिलाड़ी, फैंस के निशाने पर आ गए और सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई. मशहूर लेखक रामचंद्र गुहा ने भी इस पर लिखा और उन्होंने अपने लेख में खेल भावना को जिन्दा रखकर न्यूज़ीलैंड की खेल शैली और भारतीय टीम के सुधार के लिए संदेश पर जोर दिया. हार तो वाकई शर्मनाक कही जा रही है, लेकिन जहाँ जीत मिली है वहां क्या चल रहा है!
न्यूजीलैंड की मीडिया ने भारत में न्यूज़ीलैंड की क्रिकेट टीम की जीत को ऐतिहासिक बताया है. न्यूजीलैंड के प्रमुख अख़बार NZ Herald ने कप्तान टॉम लैथम के नेतृत्व की तारीफ की और इसे न्यूज़ीलैंड क्रिकेट के इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि कहा.
चुनाव जीतने के लिए बोले गये ट्रम्प के बेतहाशा झूठ
निधीश त्यागी
अमेरिका चुनाव के मुहाने पर है और सारे पोल्स में टक्कर कांटे की बताई जा रही है. और आखिरी दम तक पहले राष्ट्रपति रह चुके और फिर से रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीद डोनल्ड ट्रम्प लगभग रोज ही नया झूठ बोले जा रहे हैं. हरकारा ने हाल में बोले गये इन झूठों की फेहरिस्त बनाई है. इस सोच के साथ कि क्या लोग झूठ को सच मानकर वोट देते हैं. या फिर वे झूठ को ही वोट देना चाहते हैं. जैसे यहाँ पर अमेरिका के अख़बार वाशिंगटन पोस्ट ने तथ्यों की जाँच कर के बताया है कि अपने चार साल के राष्ट्रपति काल में ट्रम्प ने 30573 झूठे या भ्रमित करने वाले बयान दिये जो कि रोज के स्ट्राइक रेट के हिसाब से 21 होता है. पिछले चुनाव से एक दिन पहले ट्रम्प ने यानी २ नवम्बर को ही 503 झूठे या भ्रामक बयान दिये.
ट्रम्प के बयान तो एक तरफ हैं, पर दूसरी तरफ ये लोकतंत्र की व्यवस्था और लोगों के मानस पर भी सवालिया निशान लगाता है. 41 फीसदी अमेरिकी वोटर इस पोल के मुताबिक अभी भी डोनल्ड ट्रम्प को ईमानदार और विश्वसनीय समझते हैं. खुद ट्रम्प के साथ उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ रहा जेडी वांस का कहना है कि इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि ट्रम्प सही बोल रहे हैं या नहीं, पर उन्हें ऐसा करने देना चाहिए ताकि अमेरिकी मीडिया का ध्यान उनकी तरफ खिंच सके.
इस बार हो रहे चुनावों में ट्रम्प ने जो ग़ज़ब के झूठ बोले हैं, उनकी एक लिस्ट इस तरह से है.
अमेरिका में ऐसे स्कूल हैं जहां बच्चों को जबरन यौन परिवर्तन करवाया जा रहा है बिना उनके अभिभावकों को बताये हुए.
हैती से आये हुए गैरकानूनी प्रवासी अमेरिकी नागरिकों के कुत्ते और बिल्ली खा रहे हैं.
2020 के अमेरिकी चुनावों के नतीजों में हेरा फेरी हुई थी.
2024 के अमेरिकी चुनावों में वह बहुत आगे चल रहे हैं और भारी जीत हासिल करने वाले हैं.
बाइडेन और कमला हैरिस के कार्यकाल में अमेरिका ने सबसे बड़ी मुद्रास्फीति देखी है.
बाइडेन और कमला ने 13000 प्रवासी हत्यारों को खुला छोड़ रखा है.
सीक्रेट कागजात छिपाने वाले मामले में मारालागो, फ्लोरिड़ा में छापा डालने आए एफबीआई का दल ट्रम्प को मारने की तैयारी से आया था.
कमला हैरिस हाल ही अश्वेत (ब्लैक) व्यक्ति बनी है.
कांगो अपनी जेलें और पागलखाने खाली कर अमेरिका भेज रहा है.
कमला हैरिस ने हरीकेन हेलेन से पीड़ित लोगों की मदद करने का फंड (पेमा) गै़रकानूनी प्रवासियों पर खर्च कर दिया.
बाइडेन और हैरिस के कार्यकाल में 325000 बच्चे या तो गायब हो गये, या फिर मर गये या फिर गुलाम बना लिए गये, बहुत से तो सैक्स के लिए भी.
पवनचक्कियों से कैंसर फैलता है और व्हेल्स मर रही हैं.
मैं बहुत टेलीविजन नहीं देखता. (जबकि रोज आठ घंटे का औसत है.)
अगर मैं हारा- तो इसलिए कि वे बेइमानी करते हैं. किसी और वजह से हम हार ही नहीं सकते.
बहुत सारे गैर नागरिक और बिना कागज़ वाले प्रवासी वोट दे रहे हैं.
एफबीआई ने ईरान को मेरे प्रचार की जासूसी करते पकड़ा और मेरी सारी जानकारी कमला हैरिस कैम्पेन को दे दी. इस तरह मेरी जासूसी दरअसल गैरकानूनी तौर पर वह (कमला हैरिस और प्रचार टीम) करवा रहे थे.
कमला हैरिस एआई का इस्तेमाल कर अपनी रैलियों में ज्यादा भीड़ दिखला रही है. भीड़ जो है ही नही!
वह अपनी वकालत की परीक्षा भी पास नहीं कर पाई.
6 जनवरी को कोई मारा नहीं गया.
मुझे लगता है एबार्शन कोई मुद्दा नहीं है.
चलते - चलते: पति से छिपकर वोट देने को बढ़ावा
वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक उत्तरी कैरोलिना में एक महिला ने अपने हेयर सैलून के दरवाजे पर एक नोट चिपका दिया. एक अन्य ने इसे अर्कांसस में टैम्पोन बॉक्स के पीछे चिपका दिया. तीसरी ने ओहायो हवाई अड्डे पर महिलाओं के शौचालय के शीशे पर एक लटका दिया. नोट में लिखा था, "वूमन टू वूमन: मतदान केंद्रों पर आपका वोट कोई नहीं देखता है" स्विंग राज्यों और रिपब्लिकन गढ़ों में, कॉलेज परिसरों में और खेल के मैदानों में, स्टिकी नोट्स दिखाई दिए हैं जो महिलाओं को याद दिलाते हैं कि उनके वोट गोपनीय हैं - यहां तक कि और विशेष रूप से उनके जीवन में पुरुषों से भी निजी रखे जाते हैं.
ये ट्रेंड शुरू कहां से हुआ, इसकी पुष्टि नहीं हुई , लेकिन उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के अभियान का समर्थन करने वाले एक जमीनी स्तर के समूह, वीमेन फॉर हैरिस-वाल्ज़ के सह-संस्थापक का कहना है कि उनके सदस्य महीनों से बाथरूम और इसी तरह के स्थानों पर नोट्स चिपका रहे हैं, जिससे महिलाओं को अपने मन की बात कहने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और उन्हें याद दिलाया जा रहा है कि उनका मतपत्र गुप्त है. फिर मशहूर फिल्मी हस्ती जूलिया रॉबर्ट्स इस चुनावी विज्ञापन में यही करती दिखलाई दी.
आज के लिए इतना ही. आप बता सकते हैं अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी हमें. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ.