रुपया 86 से नीचे, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी लुढ़का, 81% भारतीय आर्थिक असमानता से परेशान, 71% धर्म के भेदभाव से, ट्रम्प कन्विक्टेड फेलोन, भारतीयो से नफरत एक्स पर, 2024 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष
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निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियाँ : 11/01/ 2025
शुक्रवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 86.04 के सर्वकालिक निचले स्तर पर गिरने के साथ, पिछले सप्ताह भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 10 महीने के निचले स्तर 634.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले कुछ हफ़्तों से गिरावट का रुझान बना हुआ है. इस गिरावट का कारण रुपये में अस्थिरता को कम करने में मदद के लिए रिजर्व बैंक द्वारा पुनर्मूल्यांकन के साथ-साथ विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप बताया गया है. सितंबर के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 3 जनवरी को समाप्त सप्ताह के लिए, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, जो भंडार का एक प्रमुख घटक हैं, 6.441 अरब डॉलर घटकर 545.48 अरब डॉलर रह गईं. डॉलर के संदर्भ में व्यक्त की गई विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी गई यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी इकाइयों के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव शामिल है. आरबीआई ने कहा कि सप्ताह के दौरान सोने का भंडार 824 मिलियन डॉलर बढ़कर 67.092 अरब डॉलर हो गया. शीर्ष बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 58 मिलियन डॉलर घटकर 17.815 अरब डॉलर रह गया.
कर्ज वसूली के लिए एजेंटों की भर्ती बढ़ी : इस बीच, असुरक्षित ऋणों में उछाल ने भारतीय बैंकों को ऋण के दलदल में धकेल दिया है. इसकी वजह से अपराध बढ़ रहे हैं और बैंकों ने कर्ज वसूली के लिए रिकवरी एजेंटों का इस्तेमाल बढ़ाया है. दिसंबर 2024 तक, बैंकिंग, वित्तीय उपक्रम और बीमा क्षेत्र में आउटसोर्स किए गए वसूली एजेंटों की संख्या लगभग 50% बढ़कर 8,800 हो गई, जो अनपेड क्रेडिट कार्ड बिलों और व्यक्तिगत ऋणों में खतरनाक वृद्धि को दर्शाती है. टीमलीज सर्विसेज के कृष्णेंदु चटर्जी ने स्वीकार किया, "असुरक्षित ऋणों में वृद्धि हुई है, और परिणामस्वरूप अपराध दरें भी बढ़ी हैं, जिसके कारण पिछले छह महीनों में खुदरा ऋण क्षेत्र में, विशेष रूप से क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत ऋण जैसे असुरक्षित ऋणों में वसूली एजेंटों की मांग बढ़ी है." असुरक्षित ऋण में अनियंत्रित बढ़ोतरी के बारे में आरबीआई की हालिया चेतावनी आने वाले संकट को रेखांकित करती है.
अनशन के बीच डल्लेवाल का बयान: 47 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पंजाब इकाई पर निशाना साधते हुए एक वीडियो संदेश साझा किया है. दो मिनट 58 सेकंड के वीडियो में किसान नेता ने कहा, मुझे बताया गया है कि भाजपा की पंजाब इकाई ने अकाल तख्त से संपर्क किया है और जत्थेदार से मेरा अनशन समाप्त करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है’. उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि, मुझे लगता है कि भाजपा नेता गलत दिशा में जा रहे हैं. अकाल तख्त से संपर्क करने के बजाय, उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय से संपर्क करना चाहिए और मामले को सुलझाने के लिए उनसे हस्तक्षेप की मांग करनी चाहिए’. डल्लेवाल ने कहा, ‘आपको उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के कार्यालय जाना चाहिए, जिन्होंने पहले ही हमारे मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है. आपको कृषि मंत्री (शिवराज सिंह चौहान) और गृह मंत्री अमित शाह के कार्यालय भी जाना चाहिए’. डल्लेवाल ने कहा, ‘अनशन के पीछे मेरा मकसद किसानों की मांगों को स्वीकार करना है. मांगों से केंद्र की सहमति जताने के बाद वह इसे खत्म कर देंगे’. डल्लेवाल ने यह भी कहा, ‘मैं भाजपा की पंजाब इकाई से फिर आग्रह करूंगा कि वह प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग करे’. एसकेएम (गैर-राजनीतिक) प्रमुख जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत और रक्तचाप में गिरावट की खबरों के बीच, प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) कुमार राहुल के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक उच्च स्तरीय टीम ने गुरुवार को अनशनकारी किसान नेता की स्वास्थ्य जांच के लिए खनौरी का दौरा किया. किसान नेता 26 नवंबर से ही धरने पर बैठे हैं. धरने के पहले दिन उन्हें पुलिस ने उठाकर लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन बाद में किसान यूनियनों के दबाव के बाद उन्हें छोड़ दिया गया और तब से वे खनौरी बॉर्डर पर अनशन कर रहे हैं. डल्लेवाल जिस जगह पर अनशन कर रहे हैं, उसके चारों ओर ट्रैक्टर-ट्रेलरों को आपस में जोड़ दिया गया है और 700 से अधिक स्वयंसेवक धरना स्थल के पास रात्रि जागरण कर रहे हैं.
पहला ‘दोष सिद्ध मुजरिम’ अमेरिकी राष्ट्रपति
डोनल्ड ट्रम्प पहले ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे, जो इस दाग़ के साथ व्हाइट हाउस रहने जाएंगे कि वह अदालत में ‘दोष सिद्ध अपराधी’ हैं. डोनाल्ड ट्रम्प को शुक्रवार को न्यूयॉर्क की अदालत में पार्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को सैक्स के बदले पैसे देकर मामला रफा दफा करने का दोष सिद्ध हुआ है. उनपर जुर्माना तो नहीं लगा न ही सजा सुनाई गई. राष्ट्रपति पद पर चुने जाने के कारण जो कानूनी सरंक्षण उन्हें मिला हुआ है, इसलिए उन्हें बिना किसी सज़ा के बिना शर्त रिहाई की सजा देनी पड़ी है.
न्यायाधीश जुआन मर्चन ने ट्रम्प से कई मिनट तक बात की. निर्वाचित राष्ट्रपति को जज ने बताया कि यह राष्ट्रपति पद का कार्यालय था - और न कि पद का धारक - जिसे असाधारण कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई थी. मर्चन द्वारा सजा सुनाए जाने से पहले ट्रम्प ने बयान दिया और कहा कि उन्हें बिल्कुल भी पछतावा नहीं है और कि वे "राजनीतिक विच हंट" के शिकार हुए हैं. ऐसा वह 20 महीने पहले पहली बार आरोपित होने के बाद से दावा कर रहे हैं.
मर्चन ने पहले ही संकेत दे दिया था कि वह ट्रम्प को कोई सज़ा नहीं देंगे, जेल की सज़ा तो दूर की बात है. यही वह बात थी जिसे अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया था जब उसने गुरुवार रात को ट्रम्प की आपत्तियों पर 5-4 के फैसले में सुनवाई को आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी. लेकिन इससे शुक्रवार की सज़ा ट्रम्प के लिए किसी भी तरह से कम महत्वपूर्ण या शर्मनाक नहीं हुई, जिन्हें फ्लोरिडा में अपने मार-ए-लागो रिसॉर्ट से ऑनलाइन उपस्थित होने की अनुमति दी गई थी. शुक्रवार की सज़ा के दौरान, ट्रम्प का लहजा वस्तुतः जुड़ने के दौरान थोड़ा शांत था, लेकिन फिर भी उन्होंने मामले में शामिल हर किसी - अभियोजकों, न्यायाधीश, माइकल कोहेन और अन्य - के खिलाफ कई मिनट तक भड़ास निकाली, यह दावा करते हुए कि उनके साथ अन्याय किया गया है.
सुखबीर का इस्तीफा : शिरोमणि अकाली दल (बादल) की कार्यसमिति ने शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष पद से सुखबीर सिंह बादल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया. इस कदम को सौ साल पुरानी पार्टी को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से एक सुधार के रूप में देखा जा रहा है, जो पंजाब में राजनीतिक वापसी के लिए संघर्ष कर रही है. बादल ने दो महीने पहले इस्तीफा दिया था. अध्यक्ष पद का चुनाव अब एक मार्च को होगा.
ट्रम्प की शपथ में चीन की शिरकत : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 20 जनवरी को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में खुद नहीं जाएंगे और अपनी जगह एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधि भेजेंगे. फाइनेंशियल टाइम्स की खबर के मुताबिक दोनों देशों के बीच टकराव को कम करने की दिशा में चीनी राष्ट्रपति शी का यह अप्रत्याशित कदम है. बीजिंग ने ट्रम्प की टीम को सूचित किया है कि ट्रम्प ने शी को न्योता दिया था, लेकिन उनकी जगह उनका प्रतिनिधि समारोह में उपस्थित होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह प्रतिनिधि ट्रम्प की टीम के साथ बातचीत भी करेगा. शी जिनपिंग संभवतः हान झेंग, जो कभी-कभी औपचारिक भूमिकाओं में उनका प्रतिनिधित्व करते हैं, को भेज सकते हैं, जबकि एक अन्य विकल्प विदेश मंत्री वांग यी हो सकते हैं. हालांकि कुछ ट्रम्प सलाहकारों ने कैई ची को देखने की इच्छा व्यक्त की है, जो पोलितब्यूरो स्थायी समिति के सदस्य हैं और जिन्हें शी का करीबी सहयोगी माना जाता है.
मेटा के साथ काम करने वाली भारतीय तथ्य-जांच करने वाली (फैक्ट-चैकर) कंपनियाँ इस बात पर नज़र रख रही हैं कि सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी द्वारा थर्ड-पार्टी तथ्य-जांच को 'समुदाय नोट्स' प्रणाली से बदलने का निर्णय उन पर कैसे प्रभाव डालेगा - मेटा के साथ साझेदारी कुछ तथ्य-जांच करने वाली कंपनियों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है.
‘इलाहाबाद हाईकोर्ट में फाइलिंग, लिस्टिंग बंद’ : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से मामले पर शीघ्र विचार करने के निर्देश के बावजूद सुनवाई न करने का उल्लेख कर स्थिति को चिंताजनक बताया. कोर्ट ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें उत्तर प्रदेश के दिवंगत गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटों ने संपत्ति के स्वामित्व पर दावा किया है. दो जजों की बेंच की अध्यक्षता करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने देश के कुछ हाईकोर्टों के कामकाज पर सवाल उठाए और कहा, ‘कुछ हाईकोर्टों… हम नहीं जानते कि क्या होगा... यह (इलाहाबाद हाईकोर्ट) उनमें में से एक है. इसके बारे में चिंतित होना चाहिए. दुर्भाग्य से, फाइलिंग बंद हो गई है, लिस्टिंग बंद हो गई है... कोई नहीं जानता कि कौन-सा मामला लिस्ट होगा’.
असम कोयला खदान में आठ खनिक अब भी फंसे हुए हैं : असम के दीमा हसाओ जिले में बाढ़ग्रस्त रैट-होल कोयला खदान का जल स्तर शुक्रवार 10 जनवरी को सात मीटर से भी कम हो गया. भीतर फंसे आठ खनिकों के पता लगाने की संभावना अब बढ़ गई है. इस बीच शुक्रवार को पुलिस ने खदान के एक ‘वित्तपोषक’ को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है. 6 जनवरी को खदान में अचानक पानी भर जाने से नौ मजदूर फंस गए थे. इनमें से 8 जनवरी को एक खनिक का शव बरामद किया गया था.
2024 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष : पिछला साल यानी कि साल 2024 इतिहास में अब तक का सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया गया और यह पहली बार था जब औसत वैश्विक तापमान ने प्री-इंडस्ट्रियल स्तर (औद्योगिक क्रांति से पहले के स्तर) से 1.5°C की प्रतीकात्मक सीमा को पार किया. यह सीमा जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों की चेतावनी के रूप में मानी जाती है. वैज्ञानिकों ने इसे जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभावों से बचने के लिए एक महत्वपूर्ण सीमा बताया है. दो नए डाटासेट्स से पता चला कि 2024 पहला कैलेंडर वर्ष था जब औसत वैश्विक तापमान ने इस सीमा को पार किया. इस गर्मी ने बाढ़, सूखा और गर्म हवाओं जैसी घातक घटनाओं को बढ़ावा दिया. दुनिया के कई हिस्सों में अप्रत्याशित बाढ़ और सूखे की घटनाएँ देखी गईं. वैज्ञानिकों ने कहा कि यह बढ़ता तापमान जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए तुरंत और बड़े पैमाने पर कार्रवाई की आवश्यकता को दर्शाता है.
81% भारतीय आर्थिक असमानता से परेशान, 71% धर्म के भेदभाव से
प्यू रिसर्च सेंटर के एक हालिया सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि भारत में अधिकांश लोगों का मानना है कि अमीर और गरीब के बीच की खाई बहुत अधिक है. लगभग 81% उत्तरदाताओं ने आर्थिक असमानता पर चिंता व्यक्त की, जिसमें से 64% ने इसे "बहुत बड़ी समस्या" माना. सर्वे में 71% लोगों नें धार्मिक और जातिगत भेदभाव को भी चिंता का विषय बताया.
प्यू रिसर्च सेंटर ने अपनी रिपोर्ट, "आर्थिक असमानता दुनिया भर में एक बड़ी चुनौती के रूप में देखी जा रही है" गुरुवार को जारी की. यह रिपोर्ट एशिया-प्रशांत क्षेत्र, यूरोप, लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और उप-सहारा अफ्रीका में किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित है.
भारत में 81% लोगों ने इस बात पर जोर दिया कि देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई एक समस्या है, वहीं 39% सर्वेक्षण किए गए व्यक्तियों ने इस बात पर जोर दिया कि आर्थिक व्यवस्था में पूर्ण सुधार की आवश्यकता है और 34% ने सुझाव दिया कि बड़े बदलाव की आवश्यकता है. जब पूछा गया कि इस असमानता का कारण क्या है, तो दुनिया भर में सर्वेक्षण किए गए अधिकांश लोगों ने धन और राजनीति के बीच संबंधों को इसका कारण बताया.
रिपोर्ट में कहा गया है, "सर्वेक्षण किए गए देशों के वयस्कों में से औसतन 54% का कहना है कि उनके देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई एक बहुत बड़ी समस्या है. अन्य 30% का कहना है कि यह एक मध्यम बड़ी समस्या है."
इसमें यह भी कहा गया है, "औसतन 60% का मानना है कि अमीर लोगों का राजनीतिक प्रभाव आर्थिक असमानता में बहुत बड़ा योगदान देता है."
आर्थिक असमानता के मामले में, भारतीयों ने धन की खाई का श्रेय विभिन्न कारकों को दिया, जिसमें अमीर लोगों का राजनीतिक प्रभाव (79%), स्वचालन (73%), शिक्षा प्रणाली (72%) और नस्लीय या जातीय भेदभाव (56%) शामिल हैं. इसके अलावा, 65% इस बात से सहमत थे कि जन्म के समय अलग-अलग अवसर आर्थिक असमानता की ओर ले जाते हैं.
71% भारतीय धार्मिक भेदभाव को एक गंभीर मुद्दा मानते हैं
सर्वेक्षण, जिसमें अमेरिका में 3,600 सहित 36 देशों के 41,503 लोगों से राय ली गई, में यह भी पाया गया कि भारतीय धार्मिक और जातिगत भेदभाव से गहराई से परेशान हैं. लगभग 71% भारतीय उत्तरदाताओं ने धार्मिक भेदभाव को एक महत्वपूर्ण मुद्दा माना (57% ने इसे बहुत बड़ा और 14% ने इसे मध्यम बड़ा माना), जबकि 69% का मानना था कि जाति और जातीय भेदभाव एक समस्या थी. इस प्रतिशत की अहमियत इस बात से भी है कि सर्वेक्षण किए गए देशों के वयस्कों में से औसतन 29% का कहना है कि धार्मिक भेदभाव एक "बहुत बड़ी समस्या" है.
मस्क के प्लेटफॉर्म पर भारतीयों से नफरत बढ़ी
2024 के अंतिम हफ्तों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “X” पर भारतीयों के खिलाफ नफरत में वृद्धि देखने को मिली है. इसकी खास वजह अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कट्टर समर्थकों द्वारा एच1बी वीज़ा कार्यक्रम का विरोध है. एक नए अध्ययन के मुताबिक इसे एक ऐसी संगठित और सुनियोजित नफरत का रूप बताया गया है, जिसे प्रभावशाली लोग हवा दे रहे हैं. इसको श्वेत वर्चस्ववादी विचारधारा के प्रभुत्व का संकेत भी बताया गया है. वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक, “सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ ऑर्गनाइज्ड हेट”, ने गुरुवार को “X” पर भारतीयों के खिलाफ पोस्टों की वृद्धि का विश्लेषण करते हुए एक रिपोर्ट जारी की. अध्ययन ने 22 दिसंबर से 3 जनवरी के बीच साझा की गईं 128 पोस्टों की समीक्षा की. रिपोर्ट के अनुसार, इन पोस्टों ने 3 जनवरी तक कुल 138.54 मिलियन (साढ़े तेरह करोड़ से ज्यादा) व्यू हासिल किए, जिनमें से 36 पोस्टों ने एक मिलियन (10 लाख) से अधिक व्यू प्राप्त किए. ये पोस्ट 85 खातों से उत्पन्न हुईं, जिनमें से 64 प्रीमियम खातें की थीं. रिपोर्ट के लेखकों ने पाया कि विवादास्पद, सनसनीखेज, पूर्वाग्रही और नफरत भरे विचार चूंकि अधिक जुड़ाव प्राप्त करते हैं, लिहाजा “X” का व्यापार मॉडल प्रभावी रूप से हेट स्पीच को प्रोत्साहित करता है, इसे मौद्रिककरण के बतौर पेश करने के साथ ही प्रसिद्धि पाने और दबदबा बनाने के अवसर के रूप में प्रस्तुत करता है.” रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि मौखिक हमलों में भारतीय या अमेरिकी मूल के हिंदुओं से परे जाकर सिख समुदाय के सदस्यों समेत उन सभी लोगों को निशाने पर लिया गया, जो भारतीय वंश के रूप में देखे जाते हैं.
महेश लांगा को जमानत : इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक गुजरात हाईकोर्ट ने वृहस्पतिवार 9 जनवरी को ‘द हिंदू’ के पत्रकार महेश लांगा को अहमदाबाद पुलिस के जीएसटी अपवंचन मामले में जमानत दे दी है. हालांकि लांगा जेल में ही रहेंगे क्योंकि वे राजकोट पुलिस के जीएसटी धोखाधड़ी मामले का भी सामना कर रहे हैं. बता दें, लांगा के खिलाफ 5 केस हैं और उन्हें पहले केस में राहत मिली है. उनके वकील ने कहा कि वह अपनी फर्म डीए एंटरप्राइजेज द्वारा 'गलत तरीके से प्राप्त' इनपुट टैक्स क्रेडिट को वापस करने के लिए तैयार हैं. 'द हिंदू' ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एमआर मेगडेय के हवाले से कहा : “इस प्रकार, वर्तमान आवेदक के खिलाफ आरोपित अपराध की जांच अब लगभग समाप्त हो चुकी है. इसी को ध्यान में रखते हुए, वर्तमान आवेदन पर विचार किया जाना चाहिए.”
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को समलैंगिक विवाह को वैध बनाने से इनकार करने वाले अक्टूबर 2023 के अपने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया. जस्टिस बीआर गवई, सूर्यकांत, बीवी नागरत्ना, पीएस नरसिम्हा और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि उसने मामले में दिए गए फैसलों को ध्यान से देखा है. अदालत ने कहा, "हमें रिकॉर्ड में कोई स्पष्ट त्रुटि नहीं मिली." "हमें आगे पता चलता है कि दोनों निर्णयों में व्यक्त की गई राय कानून के अनुसार है और इसलिए, किसी भी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है."
यूट्यूब वीडियो स्ट्रीमिंग का सिरमौर
भारत में वर्ष 2024 के दौरान यूट्यूब ने 14 हजार 300 करोड़ रूपए की आय अर्जित की. मेटा, जियोस्टार और नेटफ्लिक्स का स्थान उसके बाद आता है. वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाओं में यूट्यूब अव्वल स्थान पर बना रहा. वीडियो उद्योग के उभरते रुझानों पर आधारित बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार सब्सक्रिप्शन-आधारित वीडियो ऑन डिमांड (एसवीओडी) बाजार ने भी 2024 में मजबूती दिखाई, जिससे अनुमानित 15 मिलियन (डेढ़ करोड़) नए सब्सक्राइबर जुड़े और भारत में कुल स्ट्रीमिंग वीडियो सब्सक्राइबर की संख्या 125 मिलियन (साढ़े बारह करोड़) हो गई. ऑनलाइन वीडियो बाजार पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ रहा है, जो बढ़ी हुई सहभागिता और मुद्रीकरण से प्रेरित है. भारत वीडियो स्ट्रीमिंग का सबसे बड़ा बाजार है, जो उद्योग की आय वृद्धि को 26% तक बढ़ाता है, इसके बाद चीन (23%), जापान (15%), ऑस्ट्रेलिया (11%), कोरिया (9%) और इंडोनेशिया (5%) का स्थान है. कुल मिलाकर, ये प्रमुख बाजार लगभग 90% अतिरिक्त वीडियो उद्योग आय वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं. मीडिया पार्टनर्स एशिया की 2025 की रिपोर्ट में एशिया-प्रशांत वीडियो और ब्रॉडबैंड बाजार में प्रमुख विकास कारक और उद्योग परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलावों का खुलासा किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2027 तक स्ट्रीमिंग टीवी को पीछे छोड़ देगी, जिसका मुख्य कारण चीन और भारत होगा और एपीएसी वीडियो उद्योग की आय में स्ट्रीमिंग का हिस्सा 2024 में 44% से बढ़कर 2029 तक 54% हो जाएगा.
‘सुप्रीम कोर्ट के जज पब्लिक सर्वेंट नहीं’
लोकपाल ने एक अहम फैसला देते हुए कहा कि हाईकोर्ट और अधीनस्थ कोर्ट के न्यायाधीश उनके अधिकार क्षेत्र में आते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश इससे मुक्त हैं, क्योंकि वे ‘लोक सेवक’ नहीं हैं. लोकपाल ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के खिलाफ दायर एक शिकायत को इसी आधार पर खारिज कर दिया. 18 अक्टूबर को दायर 382 पन्नों की इस शिकायत में पूर्व सीजेआई पर ‘एक खास राजनेता और राजनीतिक दल को लाभ पहुंचाने के लिए’ ‘भ्रष्टाचार और पद के दुर्भावनापूर्ण प्रयोग’ का आरोप लगाया गया था. 3 जनवरी को दिए गए लोकपाल के फैसले के अनुसार, सीजेआई या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश ‘लोक सेवक’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आएंगे, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना संसद के किसी अधिनियम के तहत नहीं, बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत की गई थी. इसके अलावा जस्टिस एएम खानविलकर ने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय पूर्णतः या अंशत: न तो केंद्र सरकार की ओर से वित्तपोषित है और न ही नियंत्रित. सुप्रीम कोर्ट के व्यय का भार भारत की संचित निधि पर है और यह केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित होने पर निर्भर नहीं है. इसमें इसके प्रशासनिक कार्य भी शामिल हैं. यही तर्क सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों या भारत के मुख्य न्यायधीश पर भी लागू होना चाहिए, अर्थात, केंद्र सरकार द्वारा पूर्णतः या आंशिक रूप से वित्तपोषित या उसके द्वारा नियंत्रित नहीं होना चाहिए.
आयुष्मान भारत के कारण कैंसर रोगी ने खुद की जान ली
बेंगलुरु के 72 वर्षीय एक कैंसर रोगी ने 25 दिसंबर को आत्महत्या कर ली. यह घटना उनके गैस्ट्रिक कैंसर का पता चलने के 15 दिन बाद हुई. उन्हें आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) के तहत ₹5 लाख की बीमा कवरेज का लाभ नहीं मिला, जिसके वह पात्र थे. परिवार के एक सदस्य ने कहा, “हमने AB PM-JAY वरिष्ठ नागरिक कार्ड बनवाया था, जो ₹5 लाख का वार्षिक कवर प्रदान करता है, लेकिन किदवई मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी ने यह लाभ देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के आदेश अभी तक नहीं आए हैं. हालांकि, उन्होंने हमें 50% छूट दी.” रोगी के इलाज में कीमोथेरेपी और बड़ी सर्जरी शामिल थी. परिवार ने बताया कि शुरुआती जांच और स्कैन में ही ₹20,000 खर्च हो गए थे. परिवार के सदस्य ने कहा, “हम इलाज के लिए भुगतान करने को तैयार थे, लेकिन उन्होंने दो दिन बाद आत्महत्या कर ली. मैं यह नहीं कह रहा कि यह केवल बीमा लाभ की अनुपलब्धता के कारण हुआ, लेकिन वह पहले से ही तनाव में थे.” कर्नाटक में आयुष्मान भारत योजना के कार्यान्वयन में राज्य और केंद्र सरकार के बीच वित्तीय मतभेद के कारण ये रुकावट आ रही है. कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा कि योजना में राज्य को 75% और केंद्र को 25% हिस्सा देना होता है. उन्होंने इसे राज्य के लिए "बोझ" करार दिया.
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