14/04/2025 : हेडली कहां रह गया | ये डिजिटल तख्तापलट है | अंबेडकर, आरएसएस और सवर्ण | राम सेतु एआई से वायरल | भारतीयों की जेनेटिक मैपिंग | दलित युवक को जिंदा जलाया | अमेरिका के अंडे
‘हरकारा’ यानी हिंदी भाषियों के लिए क्यूरेटेड न्यूजलेटर. ज़रूरी ख़बरें और विश्लेषण. शोर कम, रोशनी ज़्यादा!
निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, मज़्कूर आलम, गौरव नौड़ियाल
आज की सुर्खियां :
पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से 8 लोगों की मौत, 7 घायल
मुंबई एयरपोर्ट पर यात्री के जूतों से 6.3 करोड़ रुपये का सोना बरामद
तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने छात्रों से ‘जय श्री राम’ का नारा लगवाया
चर्च जाते यूक्रेनियों पर मिसाइल हमला, 31 की मौत
बर्नी सैंडर्स की रैली ने अमेरिका में मचाई हलचल
दारफुर में नरसंहार : सूडान के विस्थापित शिविरों में 200 से अधिक की हत्या
26/11 : राणा तो ले आये, पर हेडली कहां रह गया?
डेविड कोलमैन हेडली, एक पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक, 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का एक प्रमुख षड्यंत्रकारी है, जिसने 2008 में भारत के सबसे भीषण आतंकवादी हमलों में से एक को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ‘द टेलीग्राफ’ ने हेडली पर एक रिपोर्ट की है.
हेडली का असली नाम दाऊद गिलानी था, जिसने बाद में अपना नाम बदलकर डेविड कोलमैन हेडली रखा. वह पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक सक्रिय सदस्य था. उसने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूस के रूप में भी काम किया. उसने मुंबई हमलों की योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें लक्ष्यों की रेकी और हमलावरों के लिए मार्गदर्शन शामिल था. उसकी दोनो आँखों के रंग अलग बताए जाते हैं.
हेडली पहले अमेरिकी ड्रग एनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन यानी डीईए का मुखबिर था. डीईए के अनुसार, उसे 27 मार्च, 2002 को आधिकारिक तौर पर मुखबिर के रूप में निष्क्रिय कर दिया गया था. हालांकि, हेडली के अनुसार, उसका डीईए के साथ संबंध सितंबर 2002 तक जारी रहा. अन्य अमेरिकी एजेंसियों के अधिकारियों का कहना है कि वह 2005 तक किसी न किसी क्षमता में डीईए के लिए काम करता रहा. कुछ भारतीय अधिकारियों का मानना है कि वह एक "डबल एजेंट" था, जो एक साथ अमेरिका और लश्कर-ए-तैयबा/आईएसआई के लिए काम कर रहा था
2013 में, एक अमेरिकी संघीय अदालत ने हेडली को मुंबई षड्यंत्र में उसकी भूमिका के लिए 35 साल की जेल की सजा सुनाई. वर्तमान में वह अमेरिका की जेल में है. भारत ने उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है, लेकिन अमेरिका ने अभी तक उसे भारत नहीं भेजा है
विवाद और अनुत्तरित प्रश्न : हेडली के अमेरिकी एजेंसियों के साथ संबंधों ने गंभीर सवाल उठाए हैं. प्रो पब्लिका की इस पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक, हेडली "दरारों से फिसल गया," जिससे अटकलें लगीं कि क्या प्रणालीगत विफलताएँ या अघोषित खुफिया संबंध थे. कुछ भारतीय अधिकारियों का तर्क है कि हमलों से पहले प्रदान की गई खुफिया जानकारी हेडली पर अमेरिकी निगरानी से आई हो सकती है. हालांकि, 2012 में प्रो पब्लिका और पीबीएस फ्रंटलाइन की एक संयुक्त जांच ने हमलों के समय हेडली के अमेरिकी सरकार के लिए काम करने का कोई प्रमाण नहीं पाया.
हेडली के अलावा, तहव्वुर राणा (एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई व्यापारी) को हाल ही में प्रत्यर्पित किया गया है. जकी-उर-रहमान लखवी, जो लश्कर-ए-तैयबा का तत्कालीन सैन्य प्रमुख था और हमलों की योजना बनाने में एक प्रमुख व्यक्ति था, को पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से रहने का विश्वास है. अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, लखवी को हिरासत में रखे जाने के बावजूद, उसे अब भी लश्कर का सैन्य प्रमुख माना जाता है और बाहरी दुनिया से संपर्क करने की क्षमता है.
मुंबई हमलों के 15 साल से अधिक समय बाद भी, न्याय का सवाल अनुत्तरित बना हुआ है. पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों और खुफिया एजेंसियों के साथ हेडली के संबंध, साथ ही अमेरिकी एजेंसियों के साथ उसके संदिग्ध संबंध, इस मामले को और भी जटिल बनाते हैं.
कैरोल कैडवलाड्र : डिजिटल तख्तापलट की कार्रवाई है अमेरिका में ट्रम्प और मस्क के फैसले!
ब्रिटिश पत्रकार कैरोल कैडवलाड्र की यह दूसरी धमाकेदार टेड स्पीच है. पहली तब आई थी, जब उन्होंने कैंब्रिज एनालिटिका का भंडाफोड़ किया था. अपने हालिया टेड भाषण में तकनीकी क्षेत्र के बढ़ते प्रभाव और लोकतंत्र पर इसके खतरों के बारे में चेतावनी दी है. कैडवलाड्र ने इस अंतराल में चीजें कितनी बिगड़ गई हैं, यह अमेरिका में ट्रम्प और मस्क के आने के परिप्रेक्ष्य में बताया. और साथ ही अपने पिछले टेड भाषण के बाद अपने खिलाफ चले तीन साल के कानूनी संघर्ष के बारे में भी. कैडवलाड्र का भाषण डिजिटल युग में लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली आह्वान है. वे चेतावनी देती हैं कि तकनीकी दिग्गजों के बढ़ते प्रभाव और डेटा संग्रह से निजता और लोकतांत्रिक मूल्य खतरे में हैं. उनका संदेश यह है कि हमें इन शक्तियों के विरुद्ध खड़ा होना चाहिए और अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए - क्योंकि अगर हम संगठित होते हैं, तो हम असहाय नहीं हैं.
कैडवलाड्र ने वर्तमान तकनीकी परिदृश्य को एक "तख्तापलट" के रूप में वर्णित किया और इसे "ब्रोलिगार्की" (टेक-ब्रोज़ + ऑलिगार्की) का उदय बताया - तकनीकी कार्यकारियों का एक अभूतपूर्व शक्तिशाली वर्ग जो दुनिया भर में लोकतंत्र को कमजोर करने में सहायक है. उन्होंने चेतावनी दी कि "सिलिकॉन वैली का पूरा व्यावसायिक मॉडल निगरानी पर आधारित है" और हम पहले से ही "सर्वसत्तावाद के वास्तुकला के अंदर" रह रहे हैं. उन्होंने लोगों से अपनी निजता की रक्षा करने का आग्रह किया.
कैडवलाड्र ने AI युग में "कुल जानकारी पतन" के बारे में चिंता व्यक्त की और बताया कि "राजनीति अब तकनीक है" जिससे सिलिकॉन वैली की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है. उन्होंने अपने अनुभव के माध्यम से बताया कि कैसे कानून का उपयोग लोगों को चुप कराने के हथियार के रूप में किया जा रहा है (SLAPP - सार्वजनिक भागीदारी के खिलाफ रणनीतिक मुकदमेबाजी).
कैडवलाड्र ने सिर्फ समस्याओं के बारे में ही नहीं बताया, बल्कि प्रतिरोध के मार्ग भी सुझाए. "हमें डिजिटल रूप से अवज्ञा करना सीखना होगा" - कुकीज़ को अस्वीकार करना, अपना वास्तविक नाम न देना, सिग्नल जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप का उपयोग करना आदि. उन्होंने कहा,”हमें अभी एक-दूसरे का समर्थन करना होगा" - उन्होंने बताया कि कैसे 30,000 लोगों ने उनके कानूनी बचाव के लिए धन जुटाया, जो दर्शाता है कि लोग मिलकर शक्तिशाली हो सकते हैं. उन्होंने वेबैक मशीन जैसे संगठनों का समर्थन करने का आह्वान किया, जो इंटरनेट पर लोगों को सुरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. "डेटा अधिकार मानवाधिकार हैं" - उन्होंने AI कंपनियों द्वारा निजी डेटा के उपयोग के बारे में चिंता व्यक्त की और कॉपीराइट कानूनों का उपयोग करने का आग्रह किया.
भाषण के अंत में, कैडवलाड्र ने सिलिकॉन वैली के प्रमुख नेताओं को सीधे संबोधित किया, "सैम अल्टमैन, मार्क जुकरबर्ग, एलोन मस्क, आप भगवान नहीं हैं. आप पुरुष हैं, और आप लापरवाह हैं." उन्होंने उन्हें "सहयोगी" और "भय और क्रूरता के शासन में सहभागी" बताया. उन्होंने अपना भाषण इस संदेश के साथ समाप्त किया कि "हम अशक्त नहीं हैं" और सिलिकॉन वैली से सवाल किया कि "क्या आप जानते हैं कि आप कौन हैं और आप किसके लिए खड़े हैं?"
कैरोल कैडवलाड्र को आप सब्सटैक पर यहां फॉलो कर सकते हैं.
आज जयंती
10 कोट्स : अंबेडकर क्या सोचते थे आरएसएस और ब्राह्मणों के बारे में

गौरव नौड़ियाल
“यदि मेरी चेतना आज के भारत में लौट आए, तो मैं पूछूंगा - क्या मेरे शब्दों को केवल प्रतिमाओं में कैद कर दिया गया है?” डॉ. भीमराव अंबेडकर का यह कल्पित संवाद, उस वक्त जिंदा हो उठता है, जब आरएसएस मुख्यालय में जाने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दीक्षा भूमि में अंबेडकर के आगे शीष झुकाते नजर आते हैं! ये अपने आप में ही विरोधाभास है. हिन्दुत्व की राजनीति के पैरोकार मोदी, अंबेडकर के आगे नतमस्तक हैं. भारत के राजनीतिक पटल पर अंबेडकर नित्य चमक रहे हैं. ये उनकी वैचारिक ताकत ही है कि फिर चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या संघ प्रमुख मोहन भागवत, दोनों को बाबा साहेब को याद करना पड़ जाता है, याद रखना पड़ता है. आज जब भारत बहुसंख्यकवाद, आर्थिक असमानता और राजनीतिक विभाजन के संकटों से जूझ रहा है, तब अंबेडकर और अधिक प्रासांगिक हो उठते हैं. खासकर ऐसे वक्त में जब आरएसएस, अंबेडकर को न केवल गले लगाता दिख रहा है, बल्कि येन-केन प्रकारेण बस यह साबित कर देना चाहता है कि ‘अरे वो तो हमारे ही थे!’. यहां देखें आरएसएस और सवर्णों के बारे में डॉ. अंबेडकर की राय…
“आरएसएस में जाति व्यवस्था पर कोई विरोध नहीं है”
अंबेडकर ने नागपुर में आरएसएस की शाखा देखने के बाद कहा था - "मैंने देखा कि वे मिलिट्री अनुशासन में खड़े होते हैं, परंतु यह अनुशासन सामाजिक परिवर्तन के लिए नहीं है. उनके पास समाज को बदलने की कोई योजना नहीं है."
"आरएसएस में जाति व्यवस्था पर कोई विरोध नहीं है" : अंबेडकर ने महसूस किया कि आरएसएस जात-पांत को बनाए रखना चाहता है और यदि वह वाकई हिन्दू समाज का संगठन होता, तो पहले ब्राह्मणवाद के खिलाफ आवाज उठाता. हिंदू संगठनों का हिंदुत्व का विचार ब्राह्मणवादी ढांचे को मजबूत करता है.
"हिंदू कोड बिल का विरोध करने वाले आरएसएस जैसे संगठन असली समस्या हैं" : हिंदू कोड बिल (1940-50 के दशक में) का आरएसएस और अन्य रूढ़िवादी हिंदू संगठनों ने विरोध किया था, क्योंकि यह महिलाओं को संपत्ति और तलाक के अधिकार देता था और हिंदू परंपराओं को चुनौती देता था. अंबेडकर ने अपनी किताब 'द राइज एंड फॉल ऑफ द हिंदू वुमन' और संसद में अपने भाषणों में इस विरोध की आलोचना की थी. उन्होंने हिंदू संगठनों को महिलाओं और दलितों के अधिकारों के खिलाफ बताया था.
"आरएसएस की ‘हिंदुत्व’ परिभाषा, दलित विरोधी है" : अंबेडकर ने लिखा - "हिंदुत्व को जो परिभाषा दी जा रही है, वह ब्राह्मणवादी प्रभुत्व को बनाए रखने का तरीका है." अंबेडकर ने हिंदू राष्ट्रवाद के विचार का विरोध किया था, जिसे आरएसएस प्रोत्साहित करता था. उनका मानना था कि यह विचारधारा भारत की बहुलवादी प्रकृति के विपरीत है और वंचित समुदायों, विशेष रूप से दलितों के लिए समावेशी नहीं है. इसके अलावा अंबेडकर ने आरएसएस द्वारा प्राचीन हिंदू ग्रंथों, विशेष रूप से मनुस्मृति के प्रति सम्मान को लेकर भी आपत्ति जताई थी, जिसे उन्होंने दलितों और महिलाओं के लिए अपमानजनक माना था.
"सावरकर और गोलवलकर की सोच समान थी और दोनों दलितों को स्थान देने के पक्ष में नहीं थे" : अंबेडकर ने हिन्दू महासभा और आरएसएस को एक ही विचारधारा की संतानें बताया. उन्होंने कहा- "इन दोनों का सपना एक ‘हिंदू राष्ट्र’’ था, लेकिन उस हिंदू राष्ट्र में दलितों के लिए कोई सम्मान या स्थान नहीं था." अंबेडकर ने हिंदू महासभा (सावरकर) और आरएसएस (गोलवलकर) को हिंदू राष्ट्रवाद के समर्थक के रूप में एक ही श्रेणी में रखा था. ‘थॉट्स ऑन पाकिस्तान’ और उनके भाषणों में उन्होंने इन संगठनों को सामाजिक समानता का विरोधी बताया.
“जाति उन लोगों की ज़रूरत है जो अपने को 'ऊँचा' समझते हैं”
"ब्राह्मणवाद नष्ट करना ही सच्चा समाजवाद है" : अंबेडकर ने कहा- "ब्राह्मणवाद, न कि ब्राह्मण, ही असली दुश्मन है. जब तक ब्राह्मणवाद जिंदा है, तब तक कोई समानता नहीं आ सकती."
"सवर्ण हिन्दू केवल अपने अधिकारों की रक्षा करते हैं, दूसरों के अधिकारों को नकारते हैं": अंबेडकर ने कहा - "उन्होंने शूद्रों और अछूतों को शिक्षा, सम्मान और स्वाधीनता से वंचित रखा है."
"जाति एक मनोवैज्ञानिक बंधन है, जिसे सवर्णों ने बनाया और बनाए रखा" : अंबेडकर ने कहा - "जाति कोई दिव्य योजना नहीं है, यह एक सामाजिक षड्यंत्र है, जो ऊँची जातियों ने अपने स्वार्थ के लिए गढ़ा."
"यदि सवर्ण अपनी श्रेष्ठता छोड़ दें, तो जाति तंत्र अगले दिन ही खत्म हो जाएगा" : अंबेडकर ने कहा - "जाति उन लोगों की ज़रूरत है जो अपने को 'ऊँचा' समझते हैं, न कि उन लोगों की जो 'नीचे' कहे जाते हैं."
‘’मैं हिन्दू धर्म में जन्मा हूँ, लेकिन मैं हिन्दू रहते हुए मरूँगा नहीं’’ : 14 अक्टूबर 1956 को जब उन्होंने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया, तब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था - "अब मैं मानवता का धर्म स्वीकार कर रहा हूँ. मैंने धर्म परिवर्तन इसलिए किया है ,क्योंकि मुझे अपने आत्म-सम्मान, स्वतंत्रता और मानवता के लिए एक ऐसा धर्म चाहिए था, जो विज्ञान और तर्क पर आधारित हो, और बौद्ध धर्म वही है."
अंबेडकर ने हिंदू महासभा और बाद में उभरते हुए जनसंघ (भाजपा का पूर्वरूप) के विचारों से दूरी बनाए रखी. वे भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बनाना चाहते थे, जबकि मुखर्जी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की वकालत करते थे. यह दूरी आज के समय में और अधिक प्रासंगिक है, जब अंबेडकर को संघ परिवार द्वारा एक प्रतीक के रूप में अपनाने की कोशिश की जा रही है. अंबेडकर एक ऐसे नेता थे जो “समझौते के योग्य” तो थे, परंतु “मौन और तुष्टिकरण के नहीं”. उनके जीवन का हर संवाद, हर संघर्ष एक विचार की लड़ाई थी और आज भी उसी विचार से राजनीति का पुनर्मूल्यांकन संभव है.
वैकल्पिक मीडिया | ‘द मूकनायक’
प्रयागराज में दलित युवक को काम के बहाने बुलाकर जिंदा जलाया
'द मूकनायक' की रिपोर्ट है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के करछना थाना क्षेत्र के इटौरा गांव में 12 अप्रैल की रात एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके में सनसनी मचा दी. 30 वर्षीय दलित युवक देवी शंकर की कथित तौर पर सुनियोजित तरीके से हत्या कर दी गई, जिसके बाद उसकी लाश को सबूत मिटाने के लिए जला दिया गया. रविवार सुबह 5:30 बजे गांव के पूरब स्थित महुआ के बाग में उसकी जली हुई लाश मिली. आजाद समाज पार्टी के नेता और नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इस हत्या को जातिवादी नफरत से प्रेरित बताते हुए दावा किया कि कुछ लोगों ने बोझा ढोने के बहाने देवी शंकर को घर से बुलाया और पेट्रोल डालकर उसे जिंदा जला दिया. ‘दैनिक भास्कर’ की रिपोर्ट के मुताबिक इसौटा गांव में रहने वाले दलित अशोक कुमार का बेटा 30 साल का बेटा देवी शंकर मजदूरी करता था. उसके 3 बच्चे हैं. एक बेटी काजल और दो बेटे सूरज, आकाश हैं. पत्नी की मौत हो चुकी है. वह मां-बाप का अकेला बेटा था.
फैक्ट चेक
राम सेतु की खोज बताते स्कूबा डाइविंग के वीडियो झूठे निकले, पर वायरल तो हो ही गए
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो, जिनमें स्कूबा डाइवर्स समुद्र के नीचे 'राम' नाम वाले शिलालेख, मूर्तियां और औज़ारों की खोज करते दिख रहे हैं, असल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से बनाए गए हैं. वायरल वीडियो में दावा किया गया कि यह राम सेतु की वास्तविक खोज है. वह प्राचीन पुल जो भगवान राम ने श्रीलंका जाने के लिए बनाया था, लेकिन ‘ऑल्ट न्यूज़’ ने अपने फैक्ट चेक में पाया कि कोई नई वैज्ञानिक खोज या अभियान इस साल नहीं हई है और वीडियो एक एआई कलाकार जेप्रिंट्स द्वारा बनाया गया है, जिन्होंने स्पष्ट रूप से इंस्टाग्राम पर यह लिखा है कि यह वीडियो केवल कला और कल्पना के लिए बनाया गया है, किसी की भावनाएं आहत करना उद्देश्य नहीं है. हालांकि, सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस वीडियो को बिना एआई की जानकारी दिए सच मानकर शेयर किया.
पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से 8 लोगों की मौत, 7 घायल : आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली जिले में रविवार को एक पटाखा बनाने वाली फैक्ट्री में आग लगने से आठ लोगों की मौत हो गई, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं, जबकि सात अन्य घायल हो गए. राज्य की गृह मंत्री वी. अनिता ने बताया, “आग की इस घटना में आठ लोगों की मौत हुई है और सात लोग घायल हुए हैं. घायलों को अस्पतालों में शिफ्ट किया गया है.” यह हादसा दोपहर करीब 12:45 बजे हुआ. फिलहाल अधिकारी शवों को बाहर निकालने और घायलों को अस्पताल पहुंचाने में लगे हुए हैं.
मुंबई एयरपोर्ट पर यात्री के जूतों से 6.3 करोड़ रुपये का सोना बरामद
'डेक्कन क्रोनिकल' की रिपोर्ट है कि राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक यात्री को गिरफ्तार किया है, जिसके जूते में छिपाकर लाया गया 6.3 करोड़ रुपये मूल्य का सोना बरामद किया गया. एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि इस मामले में सोने की तस्करी से जुड़े एक संभावित खरीदार को भी बाद में गिरफ्तार किया गया. विशिष्ट सूचना के आधार पर, डीआरआई अधिकारियों ने बैंकॉक से मुंबई पहुंचे एक यात्री को छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रोका. जब उसकी तलाशी ली गई तो उसके जूतों में छिपाकर रखा गया 6.7 किलोग्राम तस्करी का सोना मिला, जिसकी कीमत लगभग 6.3 करोड़ रुपये है. इसके बाद यात्री को गिरफ्तार कर लिया गया. पूछताछ के दौरान यात्री ने सोने के एक संभावित खरीदार का नाम बताया, जिसे बाद में डीआरआई की टीम ने गिरफ्तार कर लिया. अधिकारी के अनुसार, दोनों आरोपी सोने की तस्करी के एक बड़े गिरोह का हिस्सा हैं.
तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने छात्रों से ‘जय श्री राम’ का नारा लगवाया
तमिलनाडु में शिक्षाविदों के संगठन स्टेट प्लेटफॉर्म फॉर कॉमन स्कूल सिस्टम तमिलनाडु ने राज्यपाल आर.एन. रवि के खिलाफ उनके संवैधानिक पद की शपथ के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उन्हें तत्काल पद से हटाने की मांग की है. एसपीसीएसएस का आरोप है कि 12 अप्रैल को मदुरै के थियागराजर इंजीनियरिंग कॉलेज में एक सरकारी अनुदान प्राप्त संस्थान द्वारा आयोजित साहित्यिक प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित राज्यपाल ने अपने भाषण के दौरान छात्रों से एक विशेष धर्म के ईश्वर का नाम तीन बार जपने के लिए कहा. एसपीसीएसएस ने बयान में कहा, “श्री आर.एन. रवि को तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में आमंत्रित किया गया था. उन्हें किसी विशेष धर्म का प्रवचन देने के लिए नहीं बुलाया गया था. उनका कार्य एक धार्मिक उपदेशक का नहीं था.” उन्होंने राज्यपाल की इस हरकत की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि जिस कॉलेज में यह घटना हुई, वह तमिलनाडु सरकार और भारत सरकार द्वारा दिए गए ग्रांट-इन-एड से चलता है.
“शिक्षा एक धर्मनिरपेक्ष गतिविधि है. शिक्षण संस्थानों के प्रबंधन सरकार के एजेंट होते हैं, जिनकी ज़िम्मेदारी संविधान की भावना और प्रावधानों के अनुसार शिक्षा प्रदान करना होता है. कक्षा की गतिविधियों और आधिकारिक कार्यक्रमों में छात्रों को किसी भी धार्मिक निर्देश नहीं दिए जाने चाहिए और किसी को भी छात्रों से किसी विशेष धर्म के ईश्वर का नाम जपवाने का अधिकार नहीं है.” एसपीसीएसएस ने कहा कि छात्रों ने केवल अनावश्यक शर्मिंदगी से बचने के लिए राज्यपाल के आदेश का चुपचाप पालन किया. संगठन ने यह भी कहा कि राज्यपाल रवि को राज्य की शैक्षणिक संरचना और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य की कोई समझ नहीं है.
“राज्यपाल रवि, तमिलनाडु के स्कूलों और कॉलेजों में अपनाए गए पाठ्यक्रम और पाठ्यसामग्री के संदर्भ में पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं. अपनी अज्ञानता और अहंकार के कारण वे समाज में भ्रम फैलाने वाले विचारों को प्रचारित कर रहे हैं, जिससे शांति भंग होती है और एक वर्ग को दूसरे वर्ग के खिलाफ भड़काने की कोशिश की जाती है.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि तमिलनाडु के शैक्षणिक पाठ्यक्रम विशेषकर तमिल साहित्य में विभिन्न धार्मिक परंपराओं से संबंधित रचनाएँ शामिल हैं.
चर्च जाते यूक्रेनियों पर मिसाइल हमला, 31 की मौत

'द गार्डियन' के लिए ल्यूक हार्डिंग की रिपोर्ट है कि रविवार को यूक्रेन के सुमी शहर में, जब लोग पाम संडे के लिए चर्च जा रहे थे, तभी रूस ने बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया जिसमें कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए. दो मिसाइलें भीड़भाड़ वाले सिटी सेंटर में गिरीं. एक मिसाइल ने यात्रियों से भरी एक ट्रॉली बस को निशाना बनाया. घटनास्थल से सामने आए वीडियो में सड़कों पर बिखरी लाशें, जलती हुई कारें और घायल लोगों को उठाते बचावकर्मी दिखे. मृतकों में दो बच्चे भी शामिल हैं. एक बचे हुए व्यक्ति ने बताया, “मैंने बस समय रहते मुंह फेर लिया. फिर अचानक सब उड़ गया – खिड़कियों के कांच, दरवाज़े, सब कुछ. धमाका बहुत ज़ोरदार था.” उसके सिर पर पट्टी बंधी थी. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि दर्जनों आम नागरिक मारे गए और घायल हुए हैं. उन्होंने रूस पर जानबूझकर "आतंक फैलाने" का आरोप लगाया और अमेरिका, यूरोप और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कड़ी प्रतिक्रिया की मांग की है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “दुश्मन की मिसाइलों ने एक सामान्य शहर की सड़क को निशाना बनाया – आम ज़िंदगी को: घर, स्कूल, सड़क पर चलती गाड़ियां… और वो भी उस दिन जब लोग चर्च जाते हैं – पाम संडे, जब प्रभु यरूशलेम में प्रवेश करते हैं.” जेलेंस्की ने आगे कहा, “ऐसा सिर्फ एक नीच व्यक्ति ही कर सकता है. आम लोगों की ज़िंदगियां छीनना. रूस इसी तरह का आतंक चाहता है और इस युद्ध को खींचता जा रहा है. जब तक आक्रांता पर दबाव नहीं बनेगा, तब तक शांति असंभव है.” अधिकारियों के मुताबिक, 83 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 10 बच्चे भी शामिल हैं.
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच सेंट पीटर्सबर्ग में बातचीत हुई. अमेरिका ने 30 दिनों के युद्धविराम की योजना बनाई थी, जिसे यूक्रेन ने स्वीकार कर लिया है, लेकिन उस प्रस्ताव के बाद से रूस ने अपने हमलों में तेज़ी ला दी है. इस महीने की शुरुआत में, रूस के एक मिसाइल हमले में क्रिवी रीह शहर में एक बच्चों के खेल मैदान पर हमला हुआ, जिसमें 9 बच्चों और 9 वयस्कों की मौत हो गई. जेलेंस्की ने अमेरिका और सहयोगी देशों से 10 और पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम की मांग की है ताकि यूक्रेनी आसमान की रक्षा हो सके. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने हाल ही में कुछ अतिरिक्त सिस्टम इज़राइल भेजे हैं, क्योंकि ईरान के साथ तनाव बढ़ रहा है.
बर्नी सैंडर्स की रैली ने अमेरिका में मचाई हलचल : 'द गार्डियन' की रिपोर्ट है कि शनिवार को लॉस एंजेलेस में आयोजित बर्नी सैंडर्स की रैली में रिकॉर्ड तोड़ भीड़ उमड़ी. इस कार्यक्रम में मशहूर संगीतकार जोआन बायेज़ और नील यंग ने परफॉर्म किया और लोगों से “अमेरिका को वापस लेने” का आह्वान किया. ‘फाइटिंग ऑलिगार्की: व्हेयर वी गो फ्रॉम हियर’ नामक सैंडर्स के दौरे को अमेरिका भर में भारी समर्थन मिल रहा है. प्रगतिशील न्यूयॉर्क प्रतिनिधि एलेक्ज़ान्द्रिया ओकासियो-कोर्टेज़ के साथ मिलकर सैंडर्स ने तीन हफ्ते पहले एरिज़ोना के टेम्पे में राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक रैली की. डेनवर, कोलोराडो में 83 वर्षीय सैंडर्स की अब तक की सबसे बड़ी रैली हुई, जिसमें 34,000 से ज़्यादा लोग आए. शनिवार को लॉस एंजेलेस में यह संख्या 36,000 तक पहुंच गई. इंडी रॉक बैंड द रेड पेयर्स, मैगी रॉजर्स, इंडिगो डे सूज़ा, और बायेज़ तथा यंग जैसे दिग्गज कलाकारों ने कार्यक्रम की शुरुआत की.
एक्सप्लेनर
भारतीयों की जेनेटिक मैपिंग कैसे मदद करेगी?
हाल ही में, जीनोमइंडिया परियोजना के प्रारंभिक निष्कर्ष 'नेचर जेनेटिक्स' नामक प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं. इस परियोजना का लक्ष्य भारत के 83 विभिन्न जनसंख्या समूहों के लगभग 10,000 स्वस्थ और असंबंधित व्यक्तियों के पूरे जीनोम का अध्ययन करना था. अंतिम विश्लेषण में 9,772 व्यक्तियों (4,696 पुरुष और 5,076 महिला) के आनुवंशिक डेटा को शामिल किया गया.
यह महत्वाकांक्षी परियोजना जनवरी 2020 में जैव प्रौद्योगिकी विभाग की फंडिंग से शुरू हुई थी. इसका मुख्य उद्देश्य भारत की विशाल आनुवंशिक विविधता को समझना था. इसके लिए देशभर के 100 से अधिक भौगोलिक स्थानों से 83 जनसंख्या समूहों (30 आदिवासी और 53 गैर-आदिवासी) के 20,000 व्यक्तियों से रक्त के नमूने और संबंधित जानकारी (जैसे वजन, ऊंचाई, रक्तचाप आदि) एकत्र किए गए. इनमें से 10,000 से अधिक व्यक्तियों के डीएनए का संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (Whole Genome Sequencing) किया गया. यह कार्य आईआईएससी बेंगलुरु, CCMB हैदराबाद, IGIB दिल्ली, NIBMG कोलकाता और GBRC गांधीनगर सहित 20 संस्थानों के सहयोग से किया गया.
भारत अपनी जातीय-भाषाई और सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है. इस विविधता को आनुवंशिक स्तर पर समझने के लिए, शोधकर्ताओं ने विभिन्न समूहों से नमूने एकत्र किए. गैर-आदिवासी समूहों से औसतन 159 और आदिवासी समूहों से 75 नमूने लिए गए. नमूने असंबंधित व्यक्तियों से लिए गए ताकि विभिन्न समूहों में म्यूटेशन (जीन में बदलाव) की आवृत्ति का सटीक अनुमान लगाया जा सके. अध्ययन में भारत की चार प्रमुख भाषा परिवारों - इंडो-यूरोपियन, द्रविड़, ऑस्ट्रो-एशियाटिक और तिब्बती-बर्मन - का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया, क्योंकि भाषा को आनुवंशिक विविधता का एक महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है. हालाँकि, अंडमान के कुछ प्राचीन (लगभग 65,000 वर्ष पुराने) और दो अपेक्षाकृत आधुनिक (लगभग 5,500 वर्ष पुराने) आबादी समूहों को इस अध्ययन में शामिल नहीं किया गया.
अध्ययन किए गए व्यक्तियों में कुल 180 मिलियन (18 करोड़) आनुवंशिक भिन्नताएं या म्यूटेशन पाए गए. इनमें से अधिकांश (लगभग 98%) जीनोम के उन हिस्सों में हैं जो सीधे प्रोटीन नहीं बनाते (नॉन-कोडिंग क्षेत्र). ये भिन्नताएं विकासवादी इतिहास को समझने में मदद करती हैं. भारत में कई समुदाय सदियों से अंतर्विवाह (Endogamy - अपने ही समूह में विवाह करना) का पालन करते आए हैं, जिससे उनमें विशिष्ट आनुवंशिक पैटर्न विकसित हुए हैं.
अंतर्विवाह के कारण, कई भारतीय जनसंख्या समूहों में कुछ खास आनुवंशिक भिन्नताएं विकसित हुई हैं. इनमें कुछ ऐसी भिन्नताएं भी शामिल हैं जो विशिष्ट बीमारियों के खतरे को बढ़ाती हैं और उस समूह विशेष में अधिक आवृत्ति से पाई जाती हैं. वैश्विक जीनोमिक्स डेटाबेस में मुख्य रूप से यूरोपीय मूल के लोगों का डेटा है, और भारत जैसे विविध देश का प्रतिनिधित्व बहुत कम है. यह अध्ययन इस कमी को पूरा करने में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वैश्विक पटल पर कम प्रतिनिधित्व वाले भारतीय आबादी की आनुवंशिक विविधता को सामने लाता है.
जब सरकार को यह पता चलेगा कि किस समुदाय में कौन सी आनुवंशिक बीमारी का खतरा अधिक है, तो वह उस समुदाय के लिए विशेष स्वास्थ्य जांच, जागरूकता अभियान और निवारक उपाय लागू कर सकती है. यह सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को अधिक प्रभावी बनाएगा. आनुवंशिक भिन्नताओं की समझ हमें 'प्रिसिजन मेडिसिन' की ओर ले जाएगी. इसका मतलब है कि भारतीय आनुवंशिक प्रोफाइल के अनुरूप दवाएं और उपचार विकसित किए जा सकेंगे, जो अधिक प्रभावी होंगे. बीमारियों से जुड़ी आनुवंशिक भिन्नताओं की जानकारी से सस्ते और प्रभावी डायग्नोस्टिक उपकरण विकसित करने में मदद मिलेगी. इससे बीमारियों का जल्दी पता लगाया जा सकेगा और उनकी रोकथाम व प्रबंधन बेहतर तरीके से हो सकेगा.
दारफुर में नरसंहार : सूडान के विस्थापित शिविरों में 200 से अधिक की हत्या
'द गार्डियन' की खबर है कि सूडान के दारफुर क्षेत्र में एल-फशर शहर के आसपास और विस्थापन शिविरों में पैरामिलिट्री बल द्वारा 200 से अधिक नागरिकों की हत्या कर दी गई है. यह क्षेत्र अभी तक सूडानी सेना के नियंत्रण में है और आरएसएफ के हमलों की यह शृंखला अब तक की सबसे भयानक हिंसा में से एक मानी जा रही है. उम कदादा कस्बे पर नियंत्रण करने के बाद, दो दिनों में कम से कम 56 नागरिकों की हत्या कर दी गई. हमलों में जातीय पहचान के आधार पर लोगों को निशाना बनाया गया. जमजम शिविर में रिलीफ इंटरनेशनल के सभी चिकित्साकर्मियों की हत्या कर दी गई. यह क्लिनिक इस क्षेत्र में चिकित्सा सेवा का एकमात्र स्रोत था. आरएसएफ ने दावा किया कि वे सूडानी सेना के लड़ाकों की खोज कर रहे थे, लेकिन वास्तव में वे आम नागरिकों पर हमला कर रहे थे. यूनाइटेड नेशंस ने चेतावनी दी है कि यह हमला 700,000 से अधिक विस्थापित लोगों के लिए विनाशकारी हो सकता है. इंटरनेशनल रेस्क्यू कमिटी ने इसे “अब तक का सबसे बड़ा मानवीय संकट” कहा है.
चलते-चलते
ईस्टर सामने है और ट्रम्पिस्तान में अंडों के दाम आसमान पर
अमेरिका में एक अजीब सी समस्या चल रही है! वहां के लोग अंडे खरीदने के लिए अपनी जेबें खाली कर रहे हैं! हाल ही में अमेरिका में अंडों की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई हैं - एक दर्जन अंडों के लिए पूरे $6.23 (लगभग ₹520)! सामान्य दिनों की कीमत से करीब दोगुना. सोचिए. अमेरिकी लोग सोच रहे थे कि ईस्टर त्योहार तक अंडों के दाम कम हो जाएंगे, लेकिन उनकी यह आशा टूट गई. 20 अप्रैल को ईस्टर आने वाला है और अंडों की मांग अब भी बहुत ज्यादा है. बेचारे अमेरिकी अब क्या करें?
मुर्गियों में बीमारी इस महंगाई का मुख्य कारण बताया जा रहा है. बर्ड फ्लू के कारण 3 करोड़ से ज्यादा मुर्गियों को मारना पड़ा! अब तो अमेरिका में अंडे देने वाली मुर्गियों की संख्या घटकर सिर्फ 2.85 करोड़ रह गई हैं, जबकि पहले 3.15 करोड़ से ज्यादा हुआ करती थीं. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि अंडों के दाम कम हो रहे हैं, लेकिन उनका यह दावा अभी सच होता नहीं दिख रहा है! उन्होंने यह भी कहा कि व्हाइट हाउस में होने वाले वार्षिक "एग रोल" कार्यक्रम में इस बार भी असली अंडे इस्तेमाल किए जाएंगे, भले ही कीमतें कितनी भी ज्यादा क्यों न हों!
अब तो अमेरिकी लोग ईस्टर के लिए प्लास्टिक के अंडे खरीद रहे हैं! माइकल्स नामक क्राफ्ट स्टोर में प्लास्टिक अंडों की बिक्री पिछले साल से 20% बढ़ गई है. महंगाई ऐसी कि लोग असली अंडों से दूरी बना रहे हैं! अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में अंडों के दाम भी अलग-अलग हैं. कैलिफोर्निया में एक दर्जन अंडे $6.34 (₹530) के हैं, जबकि नेब्रास्का में $4.97 (₹415). भारत में रहकर सोचिए, हम कितने भाग्यशाली हैं!
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मैं नहीं ढोऊँगा तुम्हारे गेहूँ के बोझ
------पराग पावन--------
मेरी माँ के गर्भ में राख नहीं पला था
न मेरे पिता की धमनियों में बह रही थी
जली हुई चमड़ियों की दुर्गन्ध
पेट्रोल से भी पुरानी घृणा
अब काई की तरह मुझसे चिपककर
मुझे मिट्टी का हिस्सा बना चुकी है
पर ध्यान से देखो मेरी उँगलियों को
ये तुम्हारी ओर उठी हैं
और राजपथ की ओर
और एक धर्मग्रन्थ की ओर
मेरे इशारे में प्रश्न से अधिक प्रतिकार है
मेरी चुप में कैसा अनहद नाद है
ध्यान से सुनो मेरी यह बात
मैं नहीं ढोऊँगा तुम्हारे गेहूँ के बोझ
यह कोई मध्यकालीन युद्ध नहीं
किसी रणक्षेत्र की दुंदुभि नहीं है यह
यह दो हज़ार पचीस का तेरहवाँ अप्रैल है
देश एक उन्मादी गमछे को पताका की तरह पहन चुका है
एक मंत्र को गाली की तरह याद कर चुका है
इस तारीख में सिरविहीन पुलिस है
प्रशासन है जो कल सूरज को
एक खोटे सिक्के में बदल देगा
तुम्हारा है
तुम्हारा सगा शासक
वह अबतक के सन्यास की सबसे बड़ी शर्म है
और मेरे पास पृथ्वी पर इस समय यही इकलौता वाक्य है
ध्यान से सुनो इसे
मैं नहीं ढोऊँगा तुम्हारे गेहूँ के बोझ
देह बिखरने से सपने नहीं बिखर जाते
यही बात संघर्षों के बारे में भी है
तुमने देख होगा पानी हमेशा नीचे की ओर बढ़ता है
और आग हमेशा ऊपर की ओर
पर अन्याय हमेशा बढ़ता है उस ओर
जहाँ कमज़ोरों की झुकी हुई गर्दन होती है
तुमने यह भी देखा होगा
ज़मीन उसकी होती है जो उसे जोत लेता है
घोड़ा उसका जो उसे साध लेता है
पर ताक़त उसकी होती है
जो ताक़तवर की पुतली पर अपने पाँव जमा देता है
उसे अपने क़रीब बुलाता है
और कहता है
ध्यान से सुनो मेरी यह बात
मैं नहीं ढोऊँगा तुम्हारे गेहूँ के बोझ
हम जो तुम्हारा पेट ढ़ो रहे प्राचीन काल से
हमारे देह की बूँदों से गूँथी जा रहीं तुम्हारी रोटियाँ
तुम्हारे चेहरे की चमक
हमारे पीढ़ीगत पसीने की कमाई है
तुम्हारी आवाज़ जो मिथकों के महाशोर से बल पाकर
हमें रौंद रही है घास की तरह
अब बहुत देर तक नहीं गूँजेगी
तुम देख सकते हो
यदि हम मृत्यु और मंजूर में-से
मृत्यु चुन सकते हैं
तो तुम्हें डरना चाहिए
हम और क्या-क्या चुन सकते हैं
मुझे सितारों को कंचों की तरह खेलने जाना है
मेरे सीने और समुद्र में होड़ है
संसद के सिंहद्वार पर प्रश्नवाचक की तरह लटकना है
समय के आईने पर एक पत्थर की तरह गिरना है मुझे
एक लिबिरियाती कविता में गद्य की घुसना है
मेरी विदाई से पहले मेरे निकट आओ
और ध्यान से
बहुत ध्यान से सुनो मेरी यह बात
मैं नहीं ढोऊँगा तुम्हारे गेहूँ के बोझ।
पराग पावन