हरकरा Deep Dive के इस एपिसोड में हम बात कर रहे हैं शरजील इमाम के छोटे भाई मुज़म्मिल इमाम से, एक ऐसे परिवार की कहानी, जो पिछले पांच साल से इंसाफ़ का इंतज़ार कर रहा है. शरजील इमाम, जिन्होंने IIT से इंजीनियरिंग और JNU से इतिहास में मास्टर्स किया, CAA–NRC आंदोलन के दौरान दिए गए भाषणों के बाद से UAPA के तहत जेल में क़ैद हैं. उनका ट्रायल अभी तक शुरू नहीं हुआ है और ज़मानत की याचिका सुप्रीम कोर्ट में एक लंबे अरसे से लंबित है. मुज़म्मिल बताते हैं कि यह मामला सिर्फ शरजील का नहीं, बल्कि एक पूरे परिवार का संघर्ष है. उनके पिता अब नहीं रहे, और मां ने बेटे की गिरफ्तारी के बाद किसी भी पारिवारिक कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया. शरजील ने जेल में रहते हुए अब तक 1000 से ज़्यादा किताबें पढ़ी हैं और कई भाषाएँ सीखी हैं. वे यह भी बताते हैं कि शरजील इमाम बिहार विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, किशनगंज के बहादुरगंज से, ताकि लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात जनता तक पहुंचा सकें. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जमानत केस लंबित रहने और कानूनी व आर्थिक दिक्कतों के कारण उन्हें नामांकन वापस लेना पड़ा. मुज़म्मिल कहते हैं कि “भारत में 95% केस ऐसे हैं जिनका कोई नतीजा नहीं निकलता. कानून अब विरोध की आवाज़ को दबाने का औज़ार बन गया है.” इसके बावजूद शरजील और उनके परिवार के हर फ़र्द ने उम्मीद नहीं छोड़ी है. यह बातचीत सिर्फ शरजील इमाम की नहीं, बल्कि उन तमाम लोगों की है जो UAPA जैसे क़ानून की वजह से लंबे समय से बिना किसी ट्रायल के जेल में हैं. यह बातचीत समाज, न्याय और राजनीति की सच्चाई को उजागर करती है. वीडियो को लाइक करें, Harkara को सब्सक्राइब करें और इसे ज़रूर साझा करें
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