निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज हम आपको ख़बरों के एक ऐसे सफ़र पर ले चलेंगे, जो महाराष्ट्र के खेतों से शुरू होकर, तिब्बती धर्मगुरु के भविष्य की योजनाओं से गुज़रता हुआ, दिल्ली के सत्ता के गलियारों, बिहार के गांवों की चिंता, और यहाँ तक कि हिंदी साहित्य की दुनिया में मचे घमासान तक जाएगा. हम जानेंगे कि कैसे तकनीक वरदान और अभिशाप दोनों बन रही है, और कैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कहे और अनकहे शब्दों के गहरे कूटनीतिक मायने होते हैं. तो चलिए, शुरू करते हैं आज का हरकारा.
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