निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
आज हम बात करेंगे भारत के लोकतंत्र की उस बुनियाद की, जिस पर सवालिया निशान लग रहे हैं. राजधानी दिल्ली की सड़कों पर विपक्ष के 300 सांसद "वोट चोरी" का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग तक मार्च कर रहे हैं, और उसे "चुराओ आयोग" तक कह रहे हैं. आख़िर बिहार की मतदाता सूची में ऐसा क्या हो रहा है, जिसने देश की सियासत में इतना बड़ा भूचाल ला दिया है? तो क्या यह महज़ एक राजनीतिक हंगामा है, या मतदाता सूचियों में सचमुच कुछ ऐसा हो रहा है जो लोकतंत्र के लिए ख़तरा बन सकता है? हम इन दावों और पड़ताल की गहराई में जाएंगे.
और यह सिर्फ़ देश के भीतर की कहानी नहीं है. भारत के सामने अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भी दोहरी चुनौती है. एक तरफ़ पाकिस्तान से परमाणु युद्ध की धमकी आ रही है, तो दूसरी तरफ़ अमेरिका, जो कल तक चीन के ख़िलाफ़ एक अहम साथी था, आज भारत पर ही टैरिफ़ का हमला कर रहा है. इन बड़ी राजनीतिक और रणनीतिक ख़बरों के बीच, हम उन आवाज़ों को भी सुनेंगे जिन्हें दबाने की कोशिश हो रही है. चाहे वो मध्य प्रदेश में आदिवासियों के लिए काम कर रहे एक समूह पर हमला हो, कश्मीर में किताबों पर पाबंदी हो, या फिर ग़ाज़ा में सच दिखाने वाले पत्रकारों की निशाना बनाकर की गई हत्या.
तो चलिए, शुरू करते हैं आज की सुर्ख़ियों के साथ.
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