निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल
हरकारा के आज के अंक में आपका स्वागत है. आज हम अंतरराष्ट्रीय मंच पर हुई एक बड़ी मुलाक़ात से लेकर भारत की राजनीति में इतिहास और पहचान को लेकर छिड़ी बहसों पर नज़र डालेंगे. एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की अलास्का में हुई बातचीत और यूक्रेन युद्ध के भविष्य पर दुनिया की नज़रें टिकी हैं, तो वहीं भारत में स्वतंत्रता दिवस के एक पोस्टर और एनसीईआरटी की एक किताब ने विभाजन और स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को लेकर तीखा विवाद खड़ा कर दिया है. हम प्रधानमंत्री मोदी के लाल किले से दिए गए भाषण के विश्लेषण को भी सुनेंगे और जानेंगे कि क्यों इसे एक थके हुए प्रधानमंत्री का भाषण कहा जा रहा है. साथ ही, हम क्रिस्टोफ़ जैफरलो की क़िताब के ज़रिए मोदी और अडानी के रिश्तों की जड़ों को समझेंगे और इतिहासकार ऑड्रे ट्रश्के से जानेंगे कि हिंदुत्व की विचारधारा अतीत से नफ़रत क्यों करती है.
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