निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी, गौरव नौड़ियाल, फ़लक अफ़शां
आज हम बात करेंगे वोटर लिस्ट में हो रहे बदलावों पर, जिसे अर्थशास्त्री पराकला प्रभाकर ने ‘राजनीतिक नरसंहार’ का नाम दिया है। साथ ही, आनंद तेलतुंबडे से समझेंगे कि क्या भारत में चुनाव सिर्फ एक दिखावा बनकर रह गया है, जहाँ रेफ़री ही प्रधानमंत्री चुन रहा हो। योगेन्द्र यादव विश्लेषण करेंगे कि नरेंद्र मोदी सिर्फ नफ़रत ही नहीं, उम्मीद भी बेचते हैं और विपक्ष के पास इसका जवाब क्यों नहीं है। इसके अलावा, हम नज़र डालेंगे इंटरनेट की आज़ादी पर आई नई रिपोर्ट जिसमें भारत की रैंकिंग और फिसली है, माओवाद के ख़िलाफ़ एक बड़ी कामयाबी में 50 लाख के इनामी हिडमा के मारे जाने की ख़बर, और यह जानेंगे कि कैसे भारतीय छात्रों का अमेरिका से मोहभंग हो रहा है। बने रहिए हमारे साथ।
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