न्यूयॉर्क शहर में मेयर का चुनाव हो रहा है, लेकिन इसकी गूंज दिल्ली से लेकर तेल अवीव तक सुनाई दे रही है. इस चुनाव के केंद्र में हैं 34 वर्षीय ज़ोहरान ममदानी, एक गुजराती मुस्लिम मूल के उम्मीदवार, जिनके बारे में कहा जाता है कि अगर वो गुजरात में होते तो शायद सरपंच का चुनाव भी नहीं लड़ पाते. आज वही ज़ोहरान दुनिया के सबसे शक्तिशाली शहर का मेयर बनने की दौड़ में हैं और उनके सामने हैं डोनाल्ड ट्रंप, इज़राइल लॉबी, कॉरपोरेट जगत और भारत की दक्षिणपंथी ताकतें. इस पॉडकास्ट में वरिष्ठ पत्रकार श्रवण साहब के साथ नीतीश त्यागी इसी चुनाव के वैश्विक और भारतीय लोकतंत्र पर पड़ने वाले असर की पड़ताल कर रहे हैं. ज़ोहरान ममदानी की तुलना तेजस्वी यादव से क्यों हो रही है? राहुल गांधी 55 की उम्र में वो क्यों नहीं कर पाए जो ज़ोहरान 34 में कर रहे हैं? ज़ोहरान के वो कौन से मुद्दे हैं जिनसे अमेरिका का अमीर तबका और ट्रंप परेशान हैं? कैसे एक मेयर का चुनाव दुनिया में तानाशाही प्रवृत्तियों के खिलाफ एक उम्मीद बन गया है? समझिए न्यूयॉर्क चुनाव की पूरी कहानी और भारत के लिए इसके सबक.
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