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SIR के नाम पर लोकतंत्र पर हमला, क्या भारत में मतदाता ही मिटाए जा रहे हैं | डॉ. परकाला प्रभाकर

हरकारा : ढंग की बातचीत तसल्ली से बढ़ाने का बिरला अड्डा

हरकारा डीप डाइव के इस एपिसोड में अर्थशास्त्री और नीति विशेषज्ञ डॉ.परकाला प्रभाकर से ज़रूरी बातचीत की.
देश के अलग अलग राज्यों में SIR के तहत मतदाता सूचियों से लाखों नाम हटाए जा रहे हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों से सामने आ रहे आंकड़े बताते हैं कि यह सिर्फ तकनीकी प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद पर सीधा हमला है.
डॉ. परकाला प्रभाकर इसे खून के बिना किया गया राजनीतिक जनसंहार बताते हैं. उनका कहना है कि जब नागरिक से उसका वोट छीन लिया जाता है, तो वह मौजूद होते हुए भी राजनीतिक रूप से अदृश्य कर दिया जाता है.
बात होगी इस प्रक्रिया के संवैधानिक अर्थ, चुनाव आयोग की भूमिका, 2024 के चुनावों में वोट प्रतिशत के आंकड़ों में आए असामान्य अंतर, और उस ख़तरनाक मोड़ की, जहां सरकार तय करने लगी है कि कौन मतदाता रहेगा और कौन नहीं.
यह बातचीत सिर्फ चुनावी राजनीति की नहीं है. यह नागरिकता, बराबरी और लोकतंत्र के भविष्य से जुड़ा सवाल है.
पूरा इंटरव्यू देखें और समझें कि SIR का असर सिर्फ वोटर लिस्ट तक सीमित क्यों नहीं है.

अपील :

आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, यूट्यूब पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.

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