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2025: भारत की विदेश नीति का सबसे कठिन साल? अमेरिका, चीन, रूस और पड़ोस पर सुशांत सिंह का विश्लेषण

हरकारा : ढंग की बातचीत तसल्ली से बढ़ाने का बिरला अड्डा

2025 भारत के लिए रक्षा और विदेश नीति के मोर्चे पर एक बेहद चुनौतीपूर्ण साल रहा. हरकारा डीप डाइव के इस एपिसोड में रक्षा और अंतरराष्ट्रीय रणनीति के विशेषज्ञ सुशांत सिंह से भारत के इस साल के विदेश निति पर खुल कर बातचीत की.
सुशांत सिंह बताते हैं कि किस तरह 2014 के बाद “मज़बूत भारत” और “विश्व गुरु” की जो छवि बनाई गई थी, वह 2025 में एक के बाद एक घटनाओं से कमज़ोर होती चली गई. अमेरिका में ट्रंप 2.0 के आने के बाद भारत की प्राथमिकता घटती दिखी. टैरिफ, H1-B वीज़ा, माइग्रेशन और ट्रेड डिफ़िसिट जैसे मुद्दों पर भारत दबाव में रहा, जबकि क्वाड और इंडो-पैसिफ़िक जैसे मंचों पर उसकी मौजूदगी फीकी पड़ी.
चीन के साथ रिश्तों पर बात करते हुए वह साफ़ कहते हैं कि हालिया “नॉर्मलाइज़ेशन” पूरी तरह चीन की शर्तों पर हुआ. सीमा विवाद जस का तस है, सेना तैनात है, और आर्थिक निर्भरता पहले से ज़्यादा बढ़ चुकी है. दक्षिण एशिया में भी भारत का प्रभाव कमज़ोर हुआ है. चाहे बांग्लादेश हो, नेपाल, श्रीलंका या मालदीव.
रूस के साथ ऐतिहासिक रक्षा निर्भरता, यूरोप के साथ यूक्रेन को लेकर बढ़ती दूरी, और पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण लेकिन बदले हुए समीकरण, यह बातचीत भारत की रणनीतिक कमज़ोरियों को खुलकर सामने रखती है.
अंत में चर्चा इस बात पर केंद्रित होती है कि भारत की तीन बड़ी कमज़ोरियाँ, चीन पर आर्थिक निर्भरता, रूस पर सैन्य निर्भरता और अमेरिका की रणनीतिक मदद पर निर्भरता, जब तक दूर नहीं होंगी, तब तक भारत वैश्विक शक्ति बनने की राह पर आगे नहीं बढ़ पाएगा.
यह बातचीत उन दर्शकों के लिए है जो 2025 को सिर्फ़ घटनाओं के ज़रिये नहीं, बल्कि उनके पीछे की रणनीति, चूकों और नतीजों के साथ समझना चाहते हैं.

अपील :

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