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उत्तर बनाम दक्षिण: भारत का 'अस्तित्व संकट'? | अर्थशास्त्री रथिन रॉय की बड़ी चेतावनी | #harkara

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हरकारा डीप डाइव के नए एपिसोड में हमने उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच बढ़ती हुई आर्थिक और सामाजिक असमानता पर गहराई से चर्चा की. इस बार निधीश त्यागी ने UNDP में वरिष्ठ पद पर कार्य कर चुके विशेषज्ञ, और NIPFP के पूर्व निदेशक रहे रथिन राय, जो भारत सरकार के पूर्व आर्थिक सलाहकार भी रह चुके है, से बात चीत की. वे समझाते हैं कि भारत के भीतर विकसित और अविकसित क्षेत्रों के बीच का यह अंतर कैसे सिर्फ आँकड़ों का नहीं, बल्कि राष्ट्र की एकता और भविष्य का मुद्दा है.
रथिन राय इसे “Same Same But Different” फ्रेम में रखते हैं. उनका कहना है कि सामाजिक स्तर पर दोनों क्षेत्र लगभग एक जैसे ही हैं, चाहे बात जाति की हो, स्त्रियों के प्रति असमान व्यवहार की हो या सत्ता और पद के वंशानुगत हस्तांतरण की. लेकिन आर्थिक स्थिति में यह दोनों क्षेत्र बिल्कुल अलग हैं. दक्षिणी राज्य जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और केरल की प्रति व्यक्ति आय उत्तर भारत से कई गुना अधिक है. जहाँ दक्षिण के कुछ सूचकांक इंडोनेशिया या पूर्वी यूरोप जैसे देशों के बराबर हैं, वहीं उत्तर भारत के कई राज्यों की स्थिति नेपाल और बांग्लादेश से भी पीछे दिखाई देती है.
मानव विकास सूचकांक (HDI) के स्तर पर भी यह अंतर साफ दिखता है. भारत की वैश्विक रैंकिंग भले ही लगभग 130/180 है, लेकिन देश के भीतर आंकड़े दो भारत की तस्वीर प्रस्तुत करते हैं. दक्षिण में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर कई यूरोपीय देशों के बराबर पहुँच चुका है, जबकि उत्तर भारत के कई क्षेत्रों की स्थिति आज भी सहारा अफ्रीका जैसे पिछड़े क्षेत्रों से तुलना योग्य है. केरल तो माँ और शिशु मृत्यु दर जैसे संकेतकों में अमेरिका से भी बेहतर प्रदर्शन कर चुका है.
इस बातचीत में यह भी समझाया गया कि भारत के लोकतंत्र में जनसंख्या का मतलब राजनीतिक ताक़त है. इसलिए अगर लोकसभा सीटें जनसंख्या के अनुसार पुनः विभाजित की जाती हैं, तो उत्तरप्रदेश, बिहार और एक दो राज्य हमेशा के लिए स्थायी बहुमत हासिल कर सकते हैं। इससे दक्षिण की चिंता यह है कि आर्थिक योगदान हम दें और निर्णय शक्ति उत्तर के पास हो, जिससे देश की एकता पर ख़तरा है. दुनिया में यूगोस्लाविया और USSR ऐसे ही असंतुलन के कारण टूट चुके हैं.
दक्षिण बनाम उत्तर की इस बातचीत में हमने यह भी समझा कि हम दो अलग दिशा में बसे भारत को सामाजिक और आर्थिक रूप से कैसे एक साथ ला सकते हैं, देखें यह हम बातचीत, और इसे अपने दोस्तों और पहचानने वाले लोगों के साथ साझा करें.

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