निधीश त्यागी, साथ में राजेश चतुर्वेदी और गौरव नौड़ियाल
आज हम बात करेंगे भारत में गरीबी के आंकड़ों की उस बाजीगरी की, जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है. हम जानेंगे कि कैसे एक ही साल में करोड़ों गरीब कागजों पर गायब हो गए. इसके साथ ही, हम नज़र डालेंगे देश के अलग अलग कोनों में सुलगते तनाव पर, भारतीय परिवारों की बदलती आर्थिक आदतों पर, और अंतरराष्ट्रीय पटल पर उस जंग पर जिसकी आंच भारत तक भी पहुंच रही है. तो चलिए, शुरू करते हैं आज का सफ़र, शोर कम, रोशनी ज़्यादा के हमारे वादे के साथ.