“सीने में जलन, आँखों में तूफ़ान सा क्यों है?” यह सवाल आज हर दिल्लीवासी ख़ुद से पूछ रहा है. हर साल दिल्ली की हवा ज़हरीली हो जाती है, लेकिन क्या यह सिर्फ़ कुछ हफ़्तों की बात है या एक साल भर चलने वाली साज़िश?
हरकारा डीप डाइव के इस एपिसोड में, पर्यावरणविद विमलेंदु झा बता रहे हैं कि कैसे सरकारें AQI मॉनिटर पर पानी छिड़ककर और उन्हें बंद करके आंकड़ों से खिलवाड़ कर रही हैं. यह ‘डेटा जुगाड़’ सिर्फ़ इमेज बचाने की कोशिश नहीं, बल्कि एक आपराधिक लापरवाही है.
इस बातचीत में जानिए:
क्या दिल्ली का प्रदूषण सिर्फ़ पराली और पटाखों से होता है?
आंकड़ों की हेराफेरी आपकी और आपके बच्चों की सेहत के लिए कितनी ख़तरनाक है?
दिल्ली के प्रदूषण के असली स्रोत क्या हैं? (वाहन, कंस्ट्रक्शन या कुछ और?)
क्या EV गाड़ियाँ और कृत्रिम बारिश इस समस्या का समाधान हैं?
प्रदूषण के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों के साथ पुलिस ने कैसा बर्ताव किया?
इस ज़हरीली हवा से बचने का असली और स्थायी समाधान क्या है?
यह बातचीत सिर्फ़ एक समस्या का विश्लेषण नहीं, बल्कि एक समाधान की मांग है. अपनी और अपने शहर की साँसों के लिए यह चर्चा ज़रूर सुनें.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, यूट्यूब पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.











