हरकारा डीप डाइव के इस एपिसोड में निधीश त्यागी ने लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता आकार पटेल से एहम बातचीत की . इस बातचीत की शुरुआत उनकी किताब “प्राइस ऑफ मोदी इयर्स” से होती है, जिसमें उन्होंने लगभग चार दर्जन वैश्विक सूचकों पर भारत की स्थिति का विश्लेषण किया था. अब नए आंकड़े और रिपोर्टें यह दिखा रही हैं कि 2014 के बाद भारत इन पैमानों पर या तो थमा हुआ है या लगातार नीचे फिसल रहा है.
संयुक्त राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक से लेकर भुखमरी सूचकांक, भ्रष्टाचार सूचकांक, एशिया पावर इंडेक्स और पासपोर्ट ताकत तक, हर जगह भारत की रैंकिंग पर चर्चा होती है. आकार पटेल बताते हैं कि छह वर्ष पहले नीति आयोग के माध्यम से सरकार ने इन इंडेक्स में सुधार की कोशिश शुरू की थी, लेकिन जब सुधार नहीं हुआ तो न केवल यह परियोजना धीरे धीरे ठंडी पड़ी, सरकार ने इन रिपोर्टों पर टिप्पणी करना भी लगभग बंद कर दिया.
बात सिर्फ आंकड़ों की नहीं है. बातचीत में सिविक स्पेस यानी विरोध प्रदर्शन की जगह के सिकुड़ने, प्रेस की घटती स्वतंत्रता, सूचना के अधिकार पर हमले और आम नागरिक के मन में पुलिस थाने, अदालत, अस्पताल और मीडिया हाउस तक के नाम से उठने वाले डर की चर्चा होती है. लोकतंत्र के वास्तविक अर्थ और नागरिक की गरिमा पर इसका क्या असर पड़ रहा है, यह विस्तार से सामने आता है.
आकार पटेल उत्तर भारत विशेषकर बिहार और उत्तर प्रदेश के मानव विकास सूचकों की तुलना सब सहारन अफ्रीका के गरीब देशों से करते हैं. वह बताते हैं कि कैसे इन बड़े और निर्धन राज्यों की अवस्थिति चुनावी मुद्दा ही नहीं बन पाती और चुनाव जाति, धर्म और प्रबंधन के बल पर जीत लिये जाते हैं. इलेक्टोरल बॉन्ड और असीमित चुनावी धन के कारण सत्ता कौन और क्यों मज़बूत है, इस पर भी स्पष्ट बात होती है.
क्षेत्रीय और वैश्विक संदर्भ में आसियान देशों के उदाहरण, चीन के साथ तुलना और दक्षिण एशिया के भीतर भारत के व्यवहार पर भी यह बातचीत रोशनी डालती है. अंत में सवाल यही है कि जब डेटा और प्रचार दो अलग दिशा में भाग रहे हों, तब भारत के नागरिक को सच कहाँ से और कैसे पता चले.
पूरा एपिसोड देखिए और खुद तय कीजिए कि क्या भारत वास्तव में विश्व गुरु की ओर बढ़ रहा है, या वैश्विक सूचकों में लगातार बैक स्लाइड करता एक थका हुआ लोकतंत्र बनता जा रहा है.
आज के लिए इतना ही. हमें बताइये अपनी प्रतिक्रिया, सुझाव, टिप्पणी. मिलेंगे हरकारा के अगले अंक के साथ. हरकारा सब्सटैक पर तो है ही, आप यहाँ भी पा सकते हैं ‘हरकारा’...शोर कम, रोशनी ज्यादा. व्हाट्सएप पर, लिंक्डइन पर, इंस्टा पर, फेसबुक पर, यूट्यूब पर, स्पोटीफाई पर , ट्विटर / एक्स और ब्लू स्काई पर.











